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उपदेश

विषय ११ : मिलापवाला तम्बू

[11-21] महायाजक जो प्रायश्चित के दिन अर्पण चढ़ाता था (लैव्यव्यवस्था १६:१-३४)

महायाजक जो प्रायश्चित के दिन अर्पण चढ़ाता था
(लैव्यव्यवस्था १६:१-३४)
“जब हारून के दो पुत्र यहोवा के सामने समीप जाकर मर गए, उसके बाद यहोवा ने मूसा से बातें कीं; और यहोवा ने मूसा से कहा, “अपने भाई हारून से कह कि सन्दूक के ऊपर के प्रायश्‍चित्तवाले ढकने के आगे, बीचवाले परदे के अन्दर, पवित्रस्थान में हर समय न प्रवेश करे, नहीं तो मर जाएगा; क्योंकि मैं प्रायश्‍चित्तवाले ढकने के ऊपर बादल में दिखाई दूँगा। जब हारून पवित्रस्थान में प्रवेश करे तब इस रीति से प्रवेश करे, अर्थात् पापबलि के लिये एक बछड़े को और होमबलि के लिये एक मेढ़े को लेकर आए। वह सनी के कपड़े का पवित्र अंगरखा, और अपने तन पर सनी के कपड़े की जाँघिया पहिने हुए, और सनी के कपड़े का कटिबन्द, और सनी के कपड़े की पगड़ी भी बाँधे हुए प्रवेश करे; ये पवित्र वस्त्र हैं, और वह जल से स्‍नान करके इन्हें पहिने। फिर वह इस्राएलियों की मण्डली के पास से पापबलि के लिये दो बकरे और होमबलि के लिये एक मेढ़ा ले।और हारून उस पापबलि के बछड़े को जो उसी के लिये होगा चढ़ाकर अपने और अपने घराने के लिये प्रायश्‍चित्त करे। और उन दोनों बकरों को लेकर मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के सामने खड़ा करे; और हारून दोनों बकरों पर चिट्ठियाँ डाले, एक चिट्ठी यहोवा के लिये और दूसरी अज़ाज़ेल के लिये हो। और जिस बकरे पर यहोवा के नाम की चिट्ठी निकले उसको हारून पापबलि के लिये चढ़ाए; परन्तु जिस बकरे पर अज़ाज़ेल के लिये चिट्ठी निकले वह यहोवा के सामने जीवित खड़ा किया जाए कि उस से प्रायश्‍चित्त किया जाए, और वह अज़ाज़ेल के लिये जंगल में छोड़ा जाए। “हारून उस पापबलि के बछड़े को जो उसी के लिये होगा समीप ले आए, और उसको बलिदान करके अपने और अपने घराने के लिये प्रायश्‍चित्त करे। और जो वेदी यहोवा के सम्मुख है उस पर के जलते हुए कोयलों से भरे हुए धूपदान को लेकर, और अपनी दोनों मुट्ठियों को कूटे हुए सुगन्धित धूप से भरकर, बीचवाले परदे के भीतर ले आकर उस धूप को यहोवा के सम्मुख आग में डाले, जिससे धूप का धूआँ साक्षीपत्र के ऊपर के प्रायश्‍चित्त के ढकने के ऊपर छा जाए, नहीं तो वह मर जाएगा; तब वह बछड़े के लहू में से कुछ लेकर पूर्व की ओर प्रायश्‍चित्त के ढकने के ऊपर अपनी उंगली से छिड़के, और फिर उस लहू में से कुछ उंगली के द्वारा उस ढकने के सामने भी सात बार छिड़क दे। फिर वह उस पापबलि के बकरे को जो साधारण जनता के लिये होगा बलिदान करके उसके लहू को बीचवाले परदे के भीतर ले आए, और जिस प्रकार बछड़े के लहू से उसने किया था ठीक वैसा ही वह बकरे के लहू से भी करे, अर्थात् उसको प्रायश्‍चित्त के ढकने के ऊपर और उसके सामने छिड़के। और वह इस्राएलियों की भाँति भाँति की अशुद्धता, और अपराधों, और उनके सब पापों के कारण पवित्रस्थान के लिये प्रायश्‍चित्त करे; और मिलापवाला तम्बू जो उनके संग उनकी भाँति भाँति की अशुद्धता के बीच रहता है उसके लिये भी वह वैसा ही करे।जब हारून प्रायश्‍चित्त करने के लिये पवित्रस्थान में प्रवेश करे, तब से जब तक वह अपने और अपने घराने और इस्राएल की सारी मण्डली के लिये प्रायश्‍चित्त करके बाहर न निकले तब तक कोई मनुष्य मिलापवाले तम्बू में न रहे। फिर वह निकल कर उस वेदी के पास जो यहोवा के सामने है जाए और उसके लिये प्रायश्‍चित्त करे, अर्थात् बछड़े के लहू और बकरे के लहू दोनों में से कुछ लेकर उस वेदी के चारों कोनों के सींगों पर लगाए। और उस लहू में से कुछ अपनी उंगली के द्वारा सात बार उस पर छिड़ककर उसे इस्राएलियों की भाँति भाँति की अशुद्धता छुड़ाकर शुद्ध और पवित्र करे। “जब वह पवित्रस्थान और मिलापवाले तम्बू और वेदी के लिए प्रायश्चित कर चुके, तब जीवित बकरे को आगे ले आए; और हारून अपने दोनों हाथों को जीवित बकरे पर रखकर इस्राएलियों के सब अधर्म के कामों, और उनके सब अपराधों, अर्थात् उनके सारे पापों को अंगीकार करे, और उनको बकरे के सिर पर धरकर उसको किसी मनुष्य के हाथ जो इस काम के लिये तैयार हो जंगल में भेजके छुड़वा दे। वह बकरा उनके सब अधर्म के कामों को अपने ऊपर लादे हुए किसी निर्जन स्थान में उठा ले जाएगा; इसलिये वह मनुष्य उस बकरे को जंगल में छोड़ दे। “तब हारून मिलापवाले तम्बू में आए, और जिस सनी के वस्त्रों को पहने हुए उसने पवित्रस्थान में प्रवेश किया था उन्हें उतारकर वहीं पर रख दे। फिर वह किसी पवित्रस्थान में जल से स्‍नान कर अपने निज वस्त्र पहिन ले, और बाहर जाकर अपने होमबलि और साधारण जनता के होमबलि को चढ़ाकर अपने और जनता के लिये प्रायश्‍चित्त करे। और पापबलि की चरबी को वह वेदी पर जलाए। और जो मनुष्य बकरे को अज़ाज़ेल के लिये छोड़कर आए वह भी अपने वस्त्रों को धोए, और जल से स्‍नान करे, और तब वह छावनी में प्रवेश करे। और पापबलि का बछड़ा और पापबलि का बकरा भी जिनका लहू पवित्रस्थान में प्रायश्‍चित्त करने के लिये पहुँचाया जाए वे दोनों छावनी से बाहर पहुँचाए जाएँ; और उनका चमड़ा, मांस, और गोबर आग में जला दिया जाए। और जो उनको जलाए वह अपने वस्त्रों को धोए, और जल से स्‍नान करे, और इसके बाद वह छावनी में प्रवेश करने पाए।“तुम लोगों के लिये यह सदा की विधि होगी कि सातवें महीने के दसवें दिन को तुम अपने अपने जीव को दु:ख देना, और उस दिन कोई, चाहे वह तुम्हारे निज देश का हो चाहे तुम्हारे बीच रहने वाला कोई परदेशी हो, कोई भी किसी प्रकार का काम-काज न करे; क्योंकि उस दिन तुम्हें शुद्ध करने के लिये तुम्हारे निमित्त प्रायश्‍चित्त किया जाएगा; और तुम अपने सब पापों से यहोवा के सम्मुख पवित्र ठहरोगे। यह तुम्हारे लिये परमविश्राम का दिन ठहरे, और तुम उस दिन अपने अपने जीव को दु:ख देना; यह सदा की विधि है। और जिसका अपने पिता के स्थान पर याजक पद के लिये अभिषेक और संस्कार किया जाए वह याजक प्रायश्‍चित्त किया करे, अर्थात् वह सनी के पवित्र वस्त्रों को पहिनकर, पवित्रस्थान, और मिलापवाले तम्बू, और वेदी के लिये प्रायश्‍चित्त करे; और याजकों के और मण्डली के सब लोगों के लिये भी प्रायश्‍चित्त करे।और यह तुम्हारे लिये सदा की विधि होगी कि इस्राएलियों के लिये प्रतिवर्ष एक बार तुम्हारे सारे पापों के लिये प्रायश्‍चित्त किया जाए।” यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार जो उसने मूसा को दी थी हारून ने किया।”
 
 
महायाजक वो व्यक्ति था जो प्रायश्चित के दिन इस्राएल के लोगोप्न केन लिए बलिदान अर्पण करता था। यह बलिदान इस्राएली केलेंडर के अनुसार साल में एक बार सांतवे महीने के दसवें दिन दिया जाता था। इस दिन, जैसे महायाजक हारून इस्राएल के लोगों के बदले में बलिदान अर्पण करता था, तब वास्तव में उनके सारे अपराध बलिदान के ऊपर डाले जाते थे और उन्हें शुध्ध किया जाता था। इसलिए प्रायश्चित का दिन इस्राएल के लोगों के लिए बहुत बड़ा त्योहार बन गया था।
दुसरे अर्पण की तरह, प्रायश्चित के दिन के अर्पण को भी तिन प्रामाणित विधि के द्वारा पूरा किया जाता था: निर्दोष बलिदान का पशु, उसके ऊपर हाथ रखना, और बलिदान के पशु का लहू बहाना। इस तरह से अर्पण किया हुआ बलिदान परमेश्वर प्रसन्नता से स्वीकार करता था। यह बलिदान दुसरे बलिदानों से इसलिए अलग था क्योंकि इस बलिदान में महायाजक बलिदान के अर्पण के लहू को परमपवित्र स्थान में लेकर जाता था।
अपने खुद के लिए और अपने घराने के लिए अर्पण देने के बाद, महायाजक हारून इजराइल के लोगों के लिए परमेश्वर के सामने दो बकरे रखता था। पहले, वह उसमे से एक को ठीक उसी तरह परमेश्वर के सामने अर्पण करता है जैसे वह पापबलि के समय बैल के साथ करता था। और उसके बाद वह दुसरे बकरे को जीवित बलिदान के रूप में अर्पण करता है। वह इस्राएलियों की उपस्थिति के सामने बकरे के सिर पर अपनी हाथ रखने के द्वारा इस्राएल के लोगों के सारे पाप उसके ऊपर डालता था, और फिर जब यह बकरा उनके पापों का स्वीकार करता था तब उसे किसी मनुष्य के हाथों जंगल में छोड़ दिया जाता था।
 
 

प्रायश्चित के दिन का अर्पण इस्राएल के लोगों के सारे पाप शुध्ध करता था

 
प्रायश्चित के दिन, इस्राएल के लोगों का प्रतिनिधि महायाजक बलिदान के सिर पर अपने हाथ रखने के द्वारा उनके पापों को बलिदान के ऊपर डालता था। वह दो जीवित बकरे को लाता था, उनके लिए चिठ्ठिया डालता था – एक परमेश्वर के लिए और दूसरा इस्राएल के लोगों के लिए।
यहाँ हाथ रखने का मतलब है बलिदान के सिर पर हाथ रखने के द्वारा सारे पाप उसके ऊपर डालना। यह हाथ रखने की विधि पाप को साफ़ करने के लिए परमेश्वर के द्वारा स्थापित की गई थी, और नए नियम के समय में भी, मनुष्यजाति के सारे पाप साफ़ करने के लिए यीशु के लिए भी उपयोग की गई थी। महायाजक के खुद के पाप, उसके घराने के पाप, और इस्राएल के लोगों के वार्षिक पाप माफ़ करने के लिए, उसे निश्चित तौर पर बकरे के सिर पर हाथ रखने पड़ते थे और सारे पाप उसके ऊपर डालने पड़ते थे। क्योंकि महायाजक इस प्रकार अर्पण के सिर पर हाथ रखने के द्वारा इस्राएल के लोगों के पाप बलिदान के ऊपर डालता था, इसलिए इस्राएलियों के साल भर के सारे पाप मिट जाते थे। इसी तरह, प्रायश्चित के दिन के बलिदान के द्वारा, इस्राएल के लोग परमेश्वर का धन्यवाद कर सकते थे क्योंकि उसने उन्हें उनके सारे पापों से बचाया था।
प्रत्येक लोग जिन्होंने पाप किया है दण्ड सहना पड़ता है। क्योंकि लोगों के पापों के लिए बलिदान के अर्पण को दण्ड सहना था, इसलिए उसे सबसे पहले उनके पापों का स्वीकार करना पड़ता था। यदि महायाजक ने उसके सिर पर हाथ रखे बिना परमेश्वर को बलिदान अर्पण किया होता, तो यह अर्पण परमेश्वर के लिए निंदा बन जाता, इसलिए उसे यह करने से परहेज करना था। सारी मनुष्यजाति को बचाने के लिए जो पापी बन चुकी थी, परमेश्वर को हाथ रखने की विधि के द्वारा परिपूर्ण उद्धार की योजना को स्थापित करना पडा। इस्राएल के लोगों के पापों को मिटाने के लिए, परमेश्वर ने महायाजक को खड़ा किया और उससे उनके प्रतिनिधि के रूप में बलिदान के सिर पर हाथ रखने के द्वारा अपने सारे लोगों के पाप बलिदान के ऊपर डलवाए। उसी रूप से, मिलापवाले तम्बू में परमेश्वर को बलिदान किए गए सारे पशु ने हाथ रखवाने के द्वारा इस्राएलियों के सारे पापों का स्वीकार किया था, और उन्होंने उनके बदले पाप का दण्ड भी सहा था, अपना खून बहाया और मर गए।
परमश्वर की धार्मिकता और प्रेम को परिपूर्ण करने के लिए, साल में एक बार प्रायश्चित के दिन इस्राएलियों को बलिदान के अर्पण के सिर पर महायाजक के हाथ रखवाने के द्वारा बलिदान का गला काटकर उसका लहू बहाने के द्वारा बलिदान अर्पण करना पड़ता था। दुसरे शब्दों में, इस अर्पण के द्वारा, परमेश्वर एक ही बार में हमेशा के लिए इस्राएल के लोगों के पाप साफ़ करना चाहता था। यह परमेश्वर के प्रेम की व्यवस्था थी जो उसकी कृपा और उसके न्याय को संतुष्ट कराती थी। क्योंकि परमेश्वर न्यायी है, इसलिए अपने न्यायी व्यवस्था के मुताबिक़ एक ही बार में लोगों के सारे पाप मिटाने के लिए, परमेश्वर ने यीशु मसीह को मेमने के रूप में तैयार किया, उसे हाथ रखवाने के द्वारा पापों को उठावाया, और क्रूस पर उसका लहू बहाया।
यीशु, जिसने खुद को अनंतकाल के बलिदान के रूप में अर्पण किया, इसी रूप से प्रत्येक लोगों के पापों को एक ही बार में हमेशा के लिए उठाया, एक बार अपना लहू बहाया, और इस प्रकार पाप से उनके उद्धार को पूर्ण किया। उसी रूप से, हमें भी उस विश्वास के साथ परमेश्वर के सामने आना चाहिए जो नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुए उद्धार के सत्य पर विश्वास करता हो। इस विश्वास के द्वारा सारे पाप एक ही बार में हमेशा के लिए माफ़ हो सकते है। इसलिए, जो कोई भी पाप की माफ़ी पाना चाहता है उन्हें उस विश्वास के साथ परमेश्वर के सामने आना चाहिए जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करता है।
 
 

हाथ रखने का मतलब

 
पर हाथ रखने का मतलब है, “पारित करना, या गाड़ना” (लैव्यव्यवस्था १:३-४)। जब इस्राएल के साधारण लोग अनजाने में पाप करते थे और फिर उन्हें इसके बारे में पता चलता था, तब उन्हें परमेश्वर को होमबलि अर्पण करना पड़ता था (लैव्यव्यवस्था ४:२७-२९)। उसे सबसे पहले निर्दोष बलिपशु को लाना पड़ता था, और फिर उसके सिर पर अपने हाथ रखकर सारे पाप उसके ऊपर डालने पड़ते थे। और उसे उसका गला काटना पड़ता था, खों निकालना पड़ता था, और फिर यह लहू याजक को देना था (लैव्यव्यवस्था ४:२७-३१)। फिर याजक कुछ लहू को अपनी ऊँगली से लेता था, होमबलि की वेदी के सींगो पर छिड़कता था, और फिर बाकी बचा हुआ लहू वेदी की भूमि पर बहा देता था। उसे उसकी चरबी को भी वेदी पर जलाना पड़ता था, और फिर परमेश्वर जलती हुई चरबी के सुंगंध को लेता था जो इस बलिदाम में दी गई थी।
हमने पहले ही सिख लिया है की इस्राएल के लोगों के पापों को मिटाने के लिए, परमेश्वर ने प्रायश्चित के दिन को तैयार किया जहाँ हाथों को बलिपशु पर रखे जाते थे और उसका लहू बहाया जाता था। इस मामले में भी, बलिदान के अर्पण के ऊपर हाथ रखे बिना परमेश्वर इस्राएलियों के पापों को साफ़ नहीं कर सकता था। इसी तरह, प्रायश्चित के दिन का अर्पण जो पुराने नियम में दिया जाता था वह नए नियम के यीशु के बपतिस्मा और लहू से जुड़ा हुआ है।
जैसे पुराने नियम के बलिदान के अर्पण को निर्दोष होना था, नए नियम के समय में भी, यीशु परमेश्वर के निर्दोष मेमने के रूप में आया, और सारे पापियों के अपराधों को साफ़ करने के लिए उसने बपतिस्मा लिया और क्रूस पर अपना लहू बहाया। जैसे पुराने नियम में बलिदान के अर्पण को हाथ रखवाने के द्वारा पापियों के सारे अपराधों को स्वीकार करना पड़ता था, उसी तरह जब यरदन नदी में यूहन्ना ने यीशु को बपतिस्मा देने के लिए उसके सिर पर अपने हाथ रखे तब जगत के सारे पाप यीशु के ऊपर डाले गए (मत्ती ३:१५)। पुराने नियम के बलिदान के अर्पण और नए नियम के यीशु को एक समान रीति से हाथ रखवाने पड़े और मरते दम तक लहू बहाना पडा। हाथ रखने और लहू बहाने के द्वारा दिया गया बलिदान का अर्पण वाही अर्पण है जो पुराने और ने नियम दोनों में पापियों के लिए तैयार किया गया था।
 
 
मनुष्यजाति के पाप निश्चित रूप से परमेश्वर का क्रोध लाते है
 
परमेश्वर के सामने, हम पापी थी जो अपने पापों की वजह से मरनेवाले थे, ठीक बलिदान के अर्पण की तरह जो पापों को उठाने की वजह से मारा जाता था। जब हम इस बलिदान के अर्पण को टुकड़ों में काटने और फिर उसे होमबलि की वेदी पर जलाने की कल्पना करते है, तब हम समझ सकते है की हम भी परमेश्वर के सामने नाश होनेवाले थे, और फिर भी प्रभु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर और अपना लहू बहाकर हमें बचाया।
उसी रूप से, जो अभी तक नया जन्म नहीं पाए है उन्हें खुद को पापी के रूप में स्वीकार करना चाहिए जो परमेश्वर के सामने दण्ड को सह रहा है और प्रभु के बपतिस्मा और लहू पर उसके उद्धार के रूप में विश्वास करना चाहिए। हमें पापों की वजह से दण्ड देने के बजाए हमें बचाने के लिए परमेश्वर ने उद्धार के अर्पण को तैयार किया, अनंतकाल के इस अर्पण पर हमारे पापों को डाला, उसका लहू बहाया, और इस प्रकार हमारे सारे पाप माफ़ किए (लैव्यव्यवस्था १६:१-३४, रोमियों ८:३-४, इब्रानियों १०:१०-१२)। क्या अभी भी आपके हृदय में पाप है? तो फिर आपको सबसे पहले परमेश्वर के सामने यह अंगीकार करना चाहिए की आप पापी है जो परमेश्वर के दण्ड का सामना कर रहा है, और आपको विश्वास करना चाहिए की यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर ने आपके उद्धार की योजना को परिपूर्ण किया जिसे उसने इस जगत की उत्पत्ति से पहले आयोजित किया था।
ठीक रीति से कीमत चुकाए बिना पाप की माफ़ी नहीं हो सकती। इसी लिए परमेश्वर ने इस्राएल को लोगों को बलिदान की पध्धति दी थी। इस बलिदान की पध्धति में, केवल वाही बलिदान विश्वास का बलिदान होता था जिसके सिर पर हाथ रखकर और उसका लहू बहाकर अर्पण किया जाता था जो इस्राएलियों के पापों को साफ़ कर सकता था।
विश्वास के द्वारा, हमें भी जसी प्रकार पवित्रशास्त्र में लिखा है वैसे बलिदान की पध्धति के अनुरूप हाथ रखने और लहू बहाने के द्वारा परमेश्वर को बलिदान अर्पण करना चाहिए। प्रभु ने अपना लहू बहाया क्योंकि उसने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे पापों को ले लिया था, और हमारी जगह पाप के दण्ड को सहा था, और इस प्रकार हमारे पापों को मिटाया था (मत्ती ३:१५, यूहन्ना १:२९, यशायाह ५३:१-७)। जब हम पानी और आत्मा के वचन पर विश्वास करते है, और जब हम प्रभु पर हमारे हाथ रखते है जो हमारा बलिदान का अर्पण बना है और इस प्रकार हम हमारे पापों को उसके ऊपर डालते है, तब हम यह विश्वास करने के द्वारा पाप की माफ़ी पाते है की जिस प्रभु ने हमारे पापों को ले लिया उसने हमारी जगह पाप के दण्ड को भी सहा है। पाबी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा, हम हमारे सारे पाप प्रभु के ऊपर डाल सकते है जो हमारा बलिदान का अर्पण बना है, और हम उसके साथ मर सकते है और जी सकते है (रोमियों ६:१-११, गलातियों ३:२७)।
प्रायश्चित के दिन के बलिदान से हमें जो आत्मिक सिक्षा लेनी चाहिए वह यह है, सबसे पहले, हमें हमारे पापों को और पापों के दण्ड को पहचानना चाहिए, और फिर हमें विश्वास का अर्पण देना चाहिए जो परमेश्वर प्राप्त करना चाहता है – अर्थात्, हमें यीशु पर विश्वास होना चाहिए जिसने अपने बपतिस्मा और क्रूस पर लहू बहाकर हमारे उद्धार को परिपूर्ण किया है। हमें यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करने के द्वारा उसके सिर पर हाथ रखना चाहिए। क्यों? क्योंकि जब हम विश्वास से अर्पण के सिर पर हाथ रखते है और उसका लहू बहाते है केवल तभी हम हमारे सारे पापों से उद्धार पा सकते है।
इसी तरह, कोई भी व्यक्ति परमेश्वर के सामने अपने पापों की माफ़ी पाना चाहता है उसे जीवन की कीमत चुकानी चाहिए, क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है। चाहे धनवान हो या गरीब, एक बलिदान का अर्पण तो चढ़ाना ही चाहिए जो व्यक्ति के पाप की मजदूरी चुकाए और जीवन के प्रायश्चित की कीमत भी चुकाए। जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक कोई भी विश्वास के द्वारा पाप की माफ़ी को प्राप्त नहीं कर सकता।
 
 

प्रायश्चित के दिन के लिए पुराने नियम का बलिदान

 
आइए लैव्यव्यवस्था १६:६-१० की ओर मुड़ते है, “और हारून उस पापबलि के बछड़े को जो उसी के लिये होगा चढ़ाकर अपने और अपने घराने के लिये प्रायश्‍चित्त करे। और उन दोनों बकरों को लेकर मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के सामने खड़ा करे; और हारून दोनों बकरों पर चिट्ठियाँ डाले, एक चिट्ठी यहोवा के लिये और दूसरी अज़ाज़ेल के लिये हो। और जिस बकरे पर यहोवा के नाम की चिट्ठी निकले उसको हारून पापबलि के लिये चढ़ाए; परन्तु जिस बकरे पर अज़ाज़ेल के लिये चिट्ठी निकले वह यहोवा के सामने जीवित खड़ा किया जाए कि उस से प्रायश्‍चित्त किया जाए, और वह अज़ाज़ेल के लिये जंगल में छोड़ा जाए।”
इस्राएल को लोगों को विश्वास के द्वारा उनके पापों की माफ़ी पाने के योग्य बनाने के लिए, महायाजक, उनकी जगह बलि चढ़ाता था जिसे हाथ रखकर और लहू बहाकर परिपूर्ण किया जाता था। तो फिर आज के मसीहियों का विश्वास कैसा है? क्या यह काल्पनिक और आधारहीन विश्वास नहीं है जिसका अर्पण उनके पापों को पारीर किए बगैर पाप की माफ़ी को ढूँढता है? यदि आपका विश्वास इस प्रकार का विश्वास नहीं है जिसने यीशु पर हाथ रखने के द्वारा आपके पाप उसके ऊपर डाले है, तो आपके अन्दर समस्या है। जब तक आपके पास ऐसा विश्वास नहीं होता जो यीशु के बपतिस्मा सुर क्रूस के उसके लहू पर विश्वास करता हो, तब तक यह सच्चा विश्वास नहीं बन सकता।
हम परमेश्वर के सामने व्यवस्था का पालन करने में विफल रहे और पिछले सालों में सब प्रकार के पाप किए। इसलिए यदि हम पुराने नियम के समय में जीवन जी रहे होते, तो हमें पापबलि पर विश्वास करके हमारे पापों की माफ़ी प्राप्त करनी पड़ती जो महायाजक हमारे बदले अर्पण करता। परमेश्वर को विश्वास का अर्पण देने के लिए, सबसे पहले हमें यह स्वीकार करना चाहिए की हम हमारे पापों के लिए नाश की ओर जा रहे है, और फिर हमें हाथों को रखने की विधि पर विश्वास करना चाहिए जो हमारे सारे पाप बलिदान के अर्पण के ऊपर डालता है जिसे परमेश्वर ने हमारे लिए तैयार किया है और इस बलिदान के लहू बहाने पर विश्वास करना पड़ता।
क्योंकि बलिपशु के सिर पर हाथ रखने और उसके लहू बहाने में उद्धार की सामर्थ्य थी इसलिए पुराने नियम के लोग इस बलिदान के द्वारा उनके पापों से माफ़ी पा सके जो महायाजक ने परमेश्वर के द्वारा नियुक्त की गई बलिदान की पध्धि के अनुसार अर्पण किया था। बलिदान के अर्पण पर अपने हाथ रखने के द्वारा, महायाजक लोगों के साल भर के पाप उसके ऊपर डाल देता था, उसका गला काटता था और उसका लहू निकालता था, और इस लहू को पश्चाताप के ढकने पर और उसकी पूर्व में सात बार छिड़कता था। ऐसा करने के द्वारा, वह हर साल परमेश्वर को उचित बलिदान अर्पण करने से रुकता नहीं था। इस तरह उन दिनों में इस्राएल के लोग अपने पापों की सम्पूर्ण माफ़ी को प्राप्त करते थे।
इसी तरह, पापबलि के द्वारा जो महायाजक देता था, इस्राएल के लोग अपने हृदय में विश्वास करते थे और स्वीकार करते थे की इस प्रकार उनके सारे पाप माफ़ किए गए है। पुराने नियम के प्रायश्चित का बलिदान हमें दिखाता है की, नए नियम में यीशु मसीह ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के पापों को ले लिया और क्रूस पर अपना लहू बहाया, और हमें भी इस यीशु मसीह पर हमारे उद्धार के रूप में विश्वास करना चाहिए और विश्वास से पाप की अनन्त माफ़ी को प्राप्त करना चाहिए। इस दुनिया की सारी आत्माए जिनके हृदय उनके पापों के कारण पीड़ा में और दर्द में है उन्हें यह समझना चाहिए की वे पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा पाप की माफ़ी प्राप्त कर सकते है, और उन्हें इस पर अपने हृदय से विश्वास करना चाहिए। इस तरह, सारे पापों की माफ़ी का अर्पण परमेश्वर ने पहले से ही नियुक्त कर के रखा था और वायदा किया था की वह उसे परिपूर्ण करेगा, और उद्धार का यह वायदा नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में भी प्रगट हुआ है जिसे मिलापवाले तम्बू को बनाने के लिए सामग्री के तौर पर इस्तेमाल किया गया था।
 
 

प्रायश्चित के दिन का अर्पण मिलापवाले तम्बू में परिपूर्ण हुआ

 
प्रायश्चित के दिन, इस्राएल के लोगों के सारे पापों को मिटाने के लिए, महायाजक इस्राएल के सारे लोगों की उपस्थिति में बलिदान के अर्पण के सिर पर हाथ रखता था (लैव्यव्यवस्था १६:१-२३)। यह उसके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण था की वह उनके बदले में सारे पापों को बलिदान के सिर पर हाथ रखने के द्वारा उसके ऊपर डाल दे। जब महायाजक हारून इस्राएल के लोगों के लिए प्रायश्चित के दिन मिलापवाले तम्बू के अन्दर बलिदान अर्पण करता था, तब दूसरा कोई भी तम्बू के अन्दर प्रवेश नहीं कर सकता था। यह एक बहुत ही अनोखी घटना थी, क्योंकि प्रायश्चित के दिन के अलावा तम्बू के आँगन में बहुत सारे याजक हुआ करते थे।
महायाजक अपने हाथ रखने के द्वारा इस्राएल के लोगों के पापों को बलिदान के ऊपर डालता था, बलिदान के अर्पण के लहू को परमपवित्र स्थान में लेकर जाता था, और अपनी ऊँगली से पूर्व में प्रायश्चित के ढकने के ऊपर उसे छिड़कता था; और प्रायश्चित के ढकने के सामने वह सात बार छिड़कता था (लैव्यव्यवस्था १६:१४)।
इस समय, महायाजक के अंगरखे की कोर के साथ जोड़े गई सोने की घंटी बजती थी, और इसलिए प्रत्येक समय जब वह प्रायश्चित के ढकने या पूर्व में लहू छिड़कता था, तब घंटी बजती थी और इस्राएल के लोग जो तम्बू के बहार खड़े थे वे घंटी की आवाज को सुनते थे। जब इस्राएली इस घंटी की आवाज को सुनते थे, तब वे समझते थे की अब महायाजक उनकी जगह परमेश्वर को बलिदान अर्पण कर रहा है। और सात बार घंटी की आवाज सुनकर, उन्हें चैन पड़ता था, क्योंकि वे जानते थे की प्रायश्चित के दिन के अर्पण को चढ़ाना अब समाप्त हो चुका है, उनके साल भर के पापों को माफ़ करने वाले अर्पण की समाप्ति की पुष्टि करते थे।
इसके बाद, महायाजक हारून तम्बू से बहार निकालता था, बाकी बचे हुए बकरे को दुसरे बलिदान के रूप में लेता था, और इस्राएल के लोगों की उपस्थिति में प्रायश्चित के दिन के अर्पण को देता था। परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को प्रायश्चित के दिन कुछ न करने के लिए कहा था (लैव्यव्यवस्था १६:२०-२१,२९)। इस बलिदान के अर्पण को चढाते हुए देखने के लिए तम्बू के बहार इस्राएल के लोगों की बड़ी भीड़ के साथ, महायाजक अपने कार्य को परिपूर्ण करने के लिए बलिदान के बकरे के सिर पर अपने हाथों को रखता है और उसे नियुक्त व्यक्ति के हाथों जंगल में छोड़ देता है।
प्रायश्चित के दिन, महायाजक इस्राएल के लोगों के सामने बकरे को लाता था, उसके सिर पर अपने हाथ रखता था, और इस्राएल की सतानों के सारे अपराध और दुष्कर्मों को कबूल करता था, उसे बकरे के ऊपर डालता था। “प्रभु, पिछले साल इस्राएल के लोगों के किए हुए सारे पापों को मैं अंगीकार करता हूँ। हम व्यवस्था का पूर्ण रूप से पालन करने में विफल रहे है, हमने आपके और एक दूसरों के खिलाफ अनगिनत पाप किए है, आपने जिस तरह जीवन जीने का आदेश दिया था वैसा जीवन जीने में हम विफल रहे है, और हमने वो किया है जो अपने करने के लिए मना किया था। हमने पिछले साल आपकी बहुत सारी आज्ञाओं को तोड़ा है। हमने झूठ बोला है। हमने हत्या की है। हमने व्यभिचार किया है। हमने चोरी की है।” इस तरह, महायाजक उनकी उपस्थिति में बलिदान के बकरे के सिर पर हाथ रखने के द्वारा इस्राएल के लोगों के सारे पाप उनके सिर पर डालता था, और फिर नियुक्त व्यक्ति के द्वारा उसे जंगल में छोड़ देता था।
क्योंकि पाप की मजदूरी मृत्यु है, इसलिए इअरैल के लोगों के पापों का स्वीकार करने के बाद परमेश्वर बलिदान के बकरे को ज़िंदा नहीं रख सकता था। जीवित बकरा जिसे जंगल में दर्द सहने और मरने के लिए छोड़ दिया था, क्योंकि उसने इस्राएल के लोगों के सारे अधर्म, निंदा और अपराधों को उठाया था। अब, इस्राएल के सारे लोगों ने झोपड़ियों का पर्व मनाने की शुरुआत की (लैव्यव्यवस्था २३:३४) क्योंकि जिन पापों ने उन्हें पिछले साल बाँध कर रखा था, प्रायश्चित के दिन के अर्पण के द्वारा अब उन्हें हटाया गया था।
हाथ रखना एक विधि है जिसके द्वारा सारे लोगों के पाप बलिदान के अर्पण के ऊपर डाले जाते है। जब महायाजक बलिदान के अर्पण पर अपने हाथ रखता था, तब इस्राएल के लोगों के सारे पाप जो उन्होंने पिछले साल किए थे वे एक ही बार में हमेशा के लिए उसके ऊपर डाले जाते थे। महायाजक के हाथ रखने के द्वारा इस्राएलियों के एक एक पाप बलिदान के अर्पण के ऊपर डाले जाते थे।
क्या आज के लोगों के पाप भी हाथ रखने के द्वारा बलिदान के अर्पण के ऊपर डाल दिए गए है, जैसे पुराने नियम में इस्राएल के लोगों के अधर्मों को महायाजक के हाथ रखने के द्वारा डाला गया था? यदि ऐसा सम्भव नहीं होता, तो आजके लोगों के लिए उनके पापों की माफ़ी पाने का रास्ता कहा है? आज के लोगों के पाप कौन, कैसे, और किसके द्वारा पारित किया गया? परमेश्वर के द्वारा स्थापित पुराने नियम के युग की बलिदान की पध्धति के अनुसार, नए नियम में यीशु मसीह ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के पापों को उठाया। ठीक वैसे जैसे प्रायश्चित के दिन के अर्पण के द्वारा महायाजक इस्राएल के लोगों के साल भर के पाप बलिदान के अर्पण के ऊपर डालता था, इसलिए हमारे पाप यीशु मसीह पर डाले गए जिसने आख़री महायाजक यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया था। तो फिर आज के लोगों के सारे पाप कहाँ है? वे अब यीशु मसीह के सिर पर है।
जिस तरह महायाजक के हाथ रखने के द्वारा जीवित बकरे ने इस्राएल के लोगों के सारे पापों को उठाया था, उसी तरह यीशु भी हम जो वर्त्तमान युग में जी रहे है उनके लिया पाप की अनन्त माफ़ी का बलिदान का अर्पण बना है। यीशु जो हमारा जीवित बलिदान बना उसने हमारे लिए खुद को परमेश्वर के सामने अर्पण किया। दुसरे शब्दों में, यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लिया और और खुद को क्रूस पर चढ़ाया, जैसे पुराने नियम में परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों के लिए अर्पण नियुक्त किया था और उनके पापों को बलिदान के अर्पण पर डाले थे और उसका न्याय किया था।
जिस जीवित बकरे को जंगल में छोड़ दिया जाता था वह बच नहीं पाटा था, क्योंकि जंगल में पानी नहीं था लेकिन केवल जलती हुई धूप थी। उसी तरह, यीशु, भी क्रूस पर चढ़ा, क्योंकि उसने पहले ही अपने बपतिस्मा से जगत के सारे पाप अपने ऊपर ले लिए थे। जिस तरह जीवित बकरे को जंगल में छोड़ दिया गया था, वैसे यीशु को भी जिसने जगत के पापों को अपने ऊपर ले लिया था कई लोगों के द्वारा घृणित और तिरस्कृत किया गया था। यदि बलिदान के बकरे को जंगल में लेजाकर और छोड़ दिया जाता था जो निर्लज भूमि थी, तो क्या वो प्यास से मरने के लिए वहाँ भटका नहीं होगा? 
उसी तरह, यीशु जिसने हमारे पापों को स्वीकार किया था वह कई लोगों के द्वारा अस्वीकृत हुआ, और उसे हमारे पापों का दण्ड सहने के लिए क्रूस पर चढ़ना पडा, अपना लहू बहाया, और मर गया। यह वो उद्धार था जो यीशु ने पानी और आत्मा के सुसमाचार में अपने सच्चे उद्धार को हमें देने के लिए परिपूर्ण किया था।
इस्राएल के लोगों ने पाप की माफ़ी के प्रायश्चित की प्रक्रिया को अपनी आँखों से देखा था और अपने हृदय से उस पर विश्वास किया था। उनके जैसे, हमें भी अब यीशु के धर्मी कार्यों को देखने, सुनने, और हमारे हृदय में विश्वास करने के द्वारा पाप की माफ़ी को प्राप्त करना चाहिए। यह हमें बताता है की यीशु मसीह यूहन्ना से बपतिस्मा लेगा, जगत के पापों को उठाएगा, क्रूस पर चढ़ेगा, अपना लहू बहाएगा, मरेगा, और मृत्यु से फिर जीवित होगा, और इस प्रकार हम सब अपनी आत्मिक आँखों से यह देखने और हमारे हृदय में विश्वास करने के द्वारा उद्धार पाएंगे।
जब तक इस्राएली अस्तित्व में है तब तक यह प्रायश्चित का दिन चलता रहेगा। वे अभी भी अपने केलेंडर में सांतवे महीने के दसवे दिन प्रायश्चित के दिन बलिदान अर्पण करते है, क्योंकि परमेश्वर ने उन्हें कहा था, “और यह तुम्हारे लिये सदा की विधि होगी कि इस्राएलियों के लिये प्रतिवर्ष एक बार तुम्हारे सारे पापों के लिये प्रायश्‍चित्त किया जाए।” यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार जो उसने मूसा को दी थी हारून ने किया” (लैव्यव्यवस्था १६:३४)। इस तरह इस्राएल के लोगों से प्रायश्चित के दिन बलिदान अर्पण करवाने के द्वारा, परमेश्वर उन्हें अपनी दया देता था ताकि उनके सारे पाप साफ़ हो सके और वे इन पापों के दण्ड से बच सके। 
इसी तरह, आज के लोगों के लिए भी, परमेश्वर ने उन्हें यह समझने के लिए सक्षम बनाया है की यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर जगत के सारे पापों को खुद पर उठाया है, क्रूस पर चढ़ा, और इस प्रकार पाप को साफ़ करने के अनन्त कार्य को परिपूर्ण किया। यीशु मसीह ने अपने बपतिस्मा से जगत के पापों को अपने कंधे पर उठाया और स्वर्ग का अनन्त महायाजक बना। अब, हमारे उद्धार के लिए इस सत्य पर विश्वास करने के अलावा हमारे लिए ओर कुछ नहीं रह गया है।
 
 
महान प्रायश्चित का बलिदान जो मसीहा ने खुद की देह से परमेश्वर को अर्पण किया
 
क्यों परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को प्रायश्चित के दिन का अर्पण देने के लिए कहा? उसने ऐसा किया ताकि वे अपने विश्वास के द्वारा आगे उस दिन को देख सके जब परमेश्वर पिता सारे मनुष्यों के पापों के लिए अपने बेटे के बपतिस्मा और उसके लहू बहाने के द्वारा बलिदान अर्पण करे। इसी लिए यीशु मसीह, परमेश्वर पिता का एकलौता पुत्र और मनुष्यजाति का उद्धारकर्ता प्रत्येक लोगों के पापों को मिटाने के लिए इस पृथ्वी पर आया, परमेश्वर के प्रेम के साथ सब कुछ परिपूर्ण किया, और मनुष्यजाति के सामने उद्धार प्रगट किया। मनुष्यजाति के सारे पापों को उठाने के लिए यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा और क्रूस पर अपना लहू बहाने के द्वारा, यीशु ने जगत के सारे पाप और दुष्टता को मिटाया है, उनके लिए दण्ड सहा, और इस प्रकार हमारा सच्चा उद्धारकर्ता बना।
परमेश्वर ने मूसा को बुलाया और सबसे पहले उसे व्यवस्था दी। फिर उसने उसे आदेश दिया की वह नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े जैसी सामग्री से मिलापवाला तम्बू बनाए और उसे बलिदान की पध्धति दी। ऐसा करने के द्वारा, परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को हाथ राकहने और लहू बहाने के महत्त्व को समझने के योग्य बनाया, और उन्हें यीशु मसीह दिखाया, मिलापवाले तम्बू में भविष्यवाणी किया हुआ उद्धार का द्वार, इस पृथ्वी पर आएगा, बपतिस्मा लेकर जगत के सारे पाप उठाएगा, क्रूस पर चढ़ेगा और अपना लहू बहाएगा। पाप को साफ़ करने का उद्धार जो परमेश्वर ने हमें दिया है वह स्पष्ट रूप से उस सामग्री में प्रगट होता है जो मिलापवाले तम्बू के द्वार को बनाने के लिए इस्तेमाल हुई थी।
तम्बू के लिए इस्तेमाल हुई सामग्री में, नीले कपड़े का मतलब है की यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के दारा एक ही बार में हमेशा के लिए जगत के पापों को ले लिया; बैंजनी कपड़ा दिखाता है की यीशु राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है; लाल कपड़ा हमसे कहता है की क्योंकि यीशु ने बपतिस्मा लिया था, इसलिए उसने क्रूस पर लहू बहाने के द्वारा सारे पापियों के पापों का दण्ड सहा; और बटी हुई सनी का कपड़ा हमसे कहता है की नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुई इन तिन सेवकाई के बारे में बाइबल विस्तृत रूप से वर्णन कराती है, और जो लोग इस सत्य पर विश्वास करते है उन्हें परमेश्वर ने पापों की माफ़ी दी है।
अब, सब लोगों को खुद को यह दिलाना है और विश्वास करना है यह सत्य – अर्थात्, यीशु मसीह उनका उद्धारकर्ता है और उसने यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा उनके पापों को साफ किया है और क्रूस पर अपना लहू बहाया है – भी मिलापवाले तम्बू को बनाने के लिए इस्तेमाल हुई चीजों के रूप में नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुआ है, और उन्हें इस प्रकार अपने पाप की माफ़ी को प्राप्त करना चाहिए। मूसा के द्वारा, परमेश्वर ने उध्दार की व्यवस्था को स्थापित किया, मनुष्यजाति के लिए पाप की माफ़ी की व्यवस्था, और जब समय आया, तब उसने यीशु मसीह को इस पृथ्वी पर भेजा और यूहन्ना से बपतिस्मा लिया और क्रूस पर अपना लहू बहाया, ताकि यीशु बलिदान का अर्पण बन सके जो जगत के पापों को साफ करता है। और ऐसा करने के द्वारा, परमश्वर ने उन सब को सक्षम बनाया जो विश्वास से अपने पापों से शुध्ध होने पर विश्वास करते थे।
इसलिए, जब हम यीशु पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करने का दावा करते है, तब हमें यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसने बहाए लहू को जानने के द्वारा विश्वास करना चाहिए। जैसे पुराने नियम का बलिदान का अर्पण हाथ रखने के द्वारा पापियों के अपराधों को स्वीकार करता था और उनकी जगह लहू बहाने के द्वारा दण्ड को सहता था, वैसे यीशु मसीह इस पृथ्वी पर जीने वाले सभी लोगों के लिए पाप के बलिदान के अर्पण के रूप में आया, बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के पापों को उठाया, क्रूस पर चढ़ा और अपना कीमती लहू बहाया, और जो लोग विश्वास करते है उनके पापों को एक ही बार में हमेशा के लिए मिटा दिया।
हमें जैसे लिखा है ठीक वैसे ही लिखित वचन के सत्य पर विश्वास करना चाहिए। बाइबल आधारित सत्य यह है की पुराने नियम में महायाजक जिस रीति से अर्पण चढ़ाता था ठीक उसी रीति से, यीशु इस पृथ्वी पर आया, बपतिस्मा लिया और क्रूस पर चढ़ा, और हमें एक ही बार में हमेशा के लिए जगत के हमारे सारे पापों से बचाने के लिए अपना लहू बहाया। इसलिए हमें जैसे लिखा है ठीक वैसे बाइबल में विश्वास करना चाहिए। हम हमारे पापों के लिए हमेशा दण्ड पाने वाले थे, लेकिन यीशु मसीह इस पृथ्वी पर आए और उसने अपने बपतिस्मा और लहू से हमें बचाया।
परमेश्वर ने इस प्रकार हमारे सारे पापों को माफ़ किया है ऐसा विश्वास न करना पाप है जिसे परमेश्वर कभी माफ़ नहीं करेगा। उसने केवल एक पाप को छोड़कर जगत के सारे पापों को मिटा दिया है, “पवित्र आत्मा की निंदा का पाप” (मरकुस ३:२८-२९)। उसी रूप से, जो लोग सच में पाप की माफ़ी प्राप्त करना चाहते है उन्हें विश्वास करना चाहिए की यीशु ने बपतिस्मा लिया था, अपना लहू बहाया था, मृत्यु से फिर जीवित हुआ था, और इस प्रकार हमें जगत के सारे पापों से छुडाया था। ऐसे विश्वास के अलावा, हमारे पाप की माफ़ी के लिए कौन से अच्छे कार्य जरुरी है? अब समय आ गया है की हम जाने की पानी और आत्मा के सुसमाचार का सत्य क्या है, और इस सत्य पर विश्वास करे।
प्रत्येक लोगों को यह समझना और विश्वास करना चाहिए की नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कापडे से से बुने तम्बू के द्वार में प्रगट हुआ सत्य सच्चे उद्धार का सुसमाचार, और आने वाले यीशु मसीह का प्रतिबिम्ब है। अब तक यीशु मसीह पर विश्वास के संबंध में, उसने लिया हुआ बपतिस्मा और क्रूस पर बहाया हुआ लहू हमारे उद्धार के लिए महत्वपूर्ण है, और इसलिए हमें इस पर विश्वास करना चाहिए। स्पष्ट और अटूट सत्य यह है की यीशु ने उन लोगों को उद्धार दिया है जो उसके बपतिस्मा, क्रूस पर उसके बहाए लहू, और मृत्यु से उसके पुनरुत्थान पर विश्वास करते है, और यह सब हमें जगत के पापों से बचाने के लिए किया गया। 
 
 
पुत्र का बलिदान जो परमेश्वर पिता चाहता था
 
आइए इब्रानियों १०:५-९ की ओर मुड़े: “इसी कारण वह जगत में आते समय कहता है, “बलिदान और भेंट तू ने न चाहि, पर मेरे लिये एक देह तैयार की। होमबलियों और पापबलियों से तू प्रसन्न नहीं हुआ। तब मैंने कहा, ‘देख, मैं आ गया हूँ, पवित्रशास्त्र में मेरे विषय में लिखा हुआ है, ताकि हे परमेश्वर, तेरी इच्छा पूरी करूँ।” ऊपर तो वह कहता है, “न तू ने बलिदान और भेंट और होमबलियों और पापबलियों को चाहा, और न उनसे प्रसन्न हुआ,” यद्यपि ये बलिदान तो व्यवस्था के अनुसार चढ़ाए जाते है। फिर यह भी कहता है, “देखो, मैं आ गया हूँ, ताकि तेरी इच्छा पूरी करूँ,” अत: वह पहले को उठा देता है, ताकि दुसरे को नियुक्त करे।”
यहाँ जो भाग कहता है की परमेश्वर बलिदान को और भेंट को नहीं चाहता उसका मतलब क्या है? यह भाग भजन संहिता ४०:६-७ से लिया गया है। इसका मतलब है की पुराने नियम के हरदिन के बलिदान से जगत के सारे पाप सम्पूर्ण रीति से नहीं मिटाए गए, और इसलिए अनंतकाल के बलिदान को देने के लिए, यीशु मसीह को इस पृथ्वी पर आना पडा, बपतिस्मा लेना पडा, अपना लहू बहाना पडा, मृत्यु से फिर जीवित होना पडा, और इस प्रकार हम सब का उद्धारकर्ता बना। भजन संहिता ४०:७ जो कहता है, “तब मैंने कहा, “देख, मैं आया हूँ, क्योंकि पुस्तक में मेरे विषय ऐसा ही लिखा हुआ है,” इसका मतलब है की यीशु मसीह इस पृथ्वी पर आए और हाथ रखने और अपने लहू बहाने के द्वारा सारे पापों को मिटाया, ठीक वैसे जैसे पुराने नियम में लिखा हुआ है। 
पुराने नियम के युग में, प्रायश्चित के दिन बलिदान के अर्पण पर महायाजक के हाथ रखने और उसके लहू बहाने के द्वारा इस्राएल के लोगों के पाप मिटाए जाते थे। उसी तरह, यीशु मसीह जो मनुष्यजाति का अनन्त बलिदान बनने आया था उसने हाथ रखने की विधि से बपतिस्मा लेकर जगत के पापों को उठाया, और जगत के इन पापों को क्रूस तक लेजाकर पूरी मनुष्यजाति के पापों का दण्ड सहा, क्रूस पर चढ़ा, अपना कीमती लहू बहाय और मरा। ऐसा करने के द्वारा, यीशु ने विश्वास करनेवाले लोगों को अनन्त उद्धार दिया।
जैसे परमेश्वर ने मिलापवाले तम्बू की पध्धति के द्वारा वायदा किया था, वैसे ही नए नियम में यीशु इस धरती पर आया और इस प्रकार एक ही बार में हमेशा के लिए उद्धार को परिपूर्ण किया। इसलिए जो विश्वास करते है उन्होंने सारे पापों से उद्धार पाया है। मिलापवाले तम्बू में परमेश्वर का वायदा था की यीशु बपतिस्मा लेकर और अपना लहू बहाकर हमेशा के लिए लोगों के पापों को दूर करेगा। और सच में यीशु आया और वास्तव में बपतिस्मा लेकर और अपना लहू बहाकर उसने वायदा किया हुआ उद्धार परिपूर्ण किया, और इस प्रकार परमेश्वर के वचन को परिपूर्ण किया। दुसरे शब्दों में, परमेश्वर के उद्धार के सारे वायदे यीशु मसीह में परिपूर्ण हुए।
इस्राएल के लोगों ने विश्वास किया की पुराने नियम की व्यवस्था और भविष्यवक्ता के वचन परमेश्वर के वचन है। लेकिन वे यीशु मसीह पर विश्वास करने में अयोग्य रहे जो नए नियम के युग में परमेश्वर या उद्धारकर्ता के रूप में हमारे पास आया। इस दुनिया के सारे लोगों को जिसमे इस्राएल के लोग भी सम्मिलित है, अब समझना चाहिए की यीशु मसीह खुद परमेश्वर है और अपने हृदय में स्वीकार करना चाहिए की वह आनेवाला मसीहा है।
 
 

यीशु क्यों आया था?

 
जैसे यीशु परमेश्वर पिता की इच्छा पूरी करने के लिए आया, इसलिई जो लोग उस पर इस प्रकार विश्वास करते है उन सबका वह उद्धारकर्ता है, और वह उनके पापों को हमेशा के लिए साफ़ करने के लिए इस दुनिया में आया। जैसे इब्रानियों १०:१० कहता है, “उसी इच्छा से हम यीशु मसीह की देह के एक ही बार बलिदान चढ़ाए जाने के द्वारा पवित्र किए गए है।” हमें स्पष्ट रूप से समझना और विश्वास करना चाहिए की यह परमेश्वर पिता की इच्छा थी की यीशु मसीह इस पृथ्वी पर पैदा हुए, उसने पिता की इच्छा के मुताबिक़ बपतिस्मा लिया, उसकी इच्छासे वह क्रूस पर चढ़ा, क्रूस पर मरते दम तक अपना लहू बहाया, मृत्यु से फिर जीवित हुआ, और इस प्रकार विश्वास करनेवालों का उद्धारकर्ता बना। परमेश्वर पिता की इच्छा के मुताबिक़ हमारे पापों को दूर करने के लिए, यीशु मसीह को अपने बपतिस्मा और लहू बहाने के द्वारा सरे पापों को दूर करके मनुष्यजाति के उद्धार को परिपूर्ण करना पडा। उसी रूप से, उसने अपनी इच्छा से खुद को बलिदान के लिए दिया, इस प्रकार हमें सम्पूर्ण उद्धार दिया।
क्योंकि यीशु ने न केवल इस्राएल के लेकिन सम्पूर्ण मनुष्यजाति के पापों को मिटाने के लिए खुद का बलिदान दिया, इसलिए हम केवल तभी उद्धार पा सकते है जब हम में से प्रत्येक अपने हृदय में इस पर विश्वास करे। अपने ३३ साल के जीवन के दौरान, यीशु ने केवल एक ही बार बपतिस्मा लिया, एक ही बार बलिदान दिया, और इस प्रकार जगत के पापियों को एक ही बार में हमेशा के लिए बचाया। यही एकमात्र और सम्पूर्ण उद्धार है। 
जिस प्रकार यीशु ने जगत की उत्पत्ति से लेकर अन्त तक के मनुष्यजाति के द्वारा किए गए पापों को एक ही बार में दूर किया है, वैसे उसने हमें विश्वास के द्वारा एक ही बार में उद्धार पाने के लिए सक्षम किया है। एक ही बार हमेशा के लिए खुद की देह का अर्पण करने के द्वारा, यीशु मसीह ने हमेशा के लिए सम्पूर्ण किया है। जैसे उसने यूहन्ना से बपतिस्मा लिया और अपने लहू को बहाने के द्वारा हमारे पापों का दण्ड सहा, इसलिए अब हमें इस सुसमाचार पर हमारे हृदय से विश्वास करना चाहिए और इस प्रकार हमारे सारे पापों से उद्धार पाना चाहिए। परमेश्वर पिता की इच्छा के द्वारा, यीशु मसीह हमारे सारे पापों को उठाने और जीवन का मूल्य चुकाने के लिए इस पृथ्वी पर आया, और उसने पिता की इच्छा के तहत परमेश्वर के प्रेम के द्वारा अपने सच्चे उद्धार को प्रगट किया।
यह वचन निश्चित रूप से सत्य है जिस पर आपको और मुझे जो इस आधुनिक युग में जी रहे है उन्हें विश्वास करना चाहिए। हमें यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू बहाने को क्रूस पर एक साथ बांधना चाहिए और उस पर सत्य के एकवचन के रूप में विश्वास करना चाहिए जो हमें सम्पूर्ण रीति से बचाता है। यदि हम ऐसा करने में विफल होते है, तो हम पाप की अनन्त माफ़ी को गवा देते है। उसी रूप से, हमें परमेश्वर के लिखित वचन के अनुसार विश्वास करना चाहिए, पानी और आत्मा के सुसमाचार के मुताबिक़। पानी और आत्मा का सुसमाचार उद्धार की प्रकाश है, लेकिन यदि हम परमेश्वर पर विश्वास करते समय सच्चे सुसमाचार में कुछ जोड़ते है या कुछ महत्वपूर्ण बात निकल देते है, या य्स्दी हम सत्य पर जैसा वह है उस रूप से विश्वास नहीं करते, तो उद्धार का यह प्रकाश खो जाएगा।
हमें इस भ्रम में नहीं पड़ना चाहिए की पानी और आत्मा की सच्चाई भी सांसारिक सिध्धान्तों में से एक है, जैसे यह सिखाता है की हम पश्चाताप की प्रार्थना करने के द्वारा हरदिन परमेश्वर से माफ़ी माँगने के द्वारा पाप की माफ़ी पा सकते है। परमेश्वर इब्रानियों १०:११ में स्पष्ट रीति से कहते है, “हर एक याजक तो खड़े होकर प्रतिदिन सेवा करता है, और एक ही प्रकार के बलिदान को जो पापों को कभी भी दूर नहीं कर सकते, बार-बार चढ़ाता है।” दुसरे शब्दों में उसने हमसे कहा की हम क्रूस के लहू पर विश्वास के द्वार हम परमेश्वर से कहते है की वह हमारे हरदिन के पापों को माफ़ करे इस तरह हम हरदिन जो पाप करते है वो साफ नहीं होते। 
क्योंकि बलिदान का अर्पण जो यीशु मसीह ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर और क्रूस पर मरने के द्वारा परमेश्वर पिता को जो बलिदान दिया उस पर विश्वास करने के द्वारा हमने संपुर्ण उद्धार पाया है। क्योंकि यीशु मसीह ने यूहन्ना से बपतिस्मा लिया तब जगत के सारे पापों को उसके ऊपर डाल दिया गया इसलिए यीशु हमारे पापों को लेकर क्रूस तक लेकर जा पाया और उन पापों के दण्ड को समाप्त करने के लिए क्रूस पर मरा, और इसके कारण जो लोग उसके बपतिस्मा और लहू बहाने पर विश्वास करते है वे शुध्ध हुए है।
यीशु ने जो बपतिस्मा लिया और क्रूस के लहू पर विश्वास करने के द्वारा, हम भी यीशु मसीह के साथ मर गए और विश्वास से उसके साथ जीवित हुए। रोमियों ६:२३ कहता है, “क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्‍वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है।” पाप की मजदूरी मृत्यु है, कोई फर्क नहीं पड़ता की क्या है, और इसलिए इसकी मजदूरी भी जीवन से चुकाई जानी चाहिए। इसी लिए यीशु मसीह को मनुष्य देह में इस पृथ्वी पर आना पडा, यूहन्ना से बपतिस्मा लेना पडा, और क्रूस पर अपना लहू बहाना पडा। आपके पाप वास्तविक रीति से यीशु की देह पर उसके बपतिस्मा, और इन पापों को उठाकर और मरने के द्वारा परिपूर्ण हुआ, यीशु मसीह ने आपके पाप की कीमत चुकाई है और इस प्रकार उन्हें एक ही बार में हमेशा के लिए मिटा दिया। परमेश्वर ने हमें सुसमाचार का सत्य दिया है उसके बावजूद भी, कई लोग ऐसे है जो हरदिन अपने वास्तविक पापों की माफ़ी पाने के लिए परमेश्वर से निवेदन करते है – वे पानी और आत्मा के सुसमाचार प्रति अनजान है।
जब लोगों के हृदय में पाप होता है, तब वे इस पाप के लिए परमेश्वर के सामने भयभीत होते है। यह सच है की ऐसे बहुत सारे लोग है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार से अनजान है लेकिन फिर भी अपने पापों से साफ़ हुए है वे अपने विवेक के पाप की वजह से भयभीत है। हालाँकि, यीशु उनको उनके सारे पापों से छुडाने के लिए इस पृथ्वी पर आया, यूहन्ना से बपतिस्मा लिया, क्रूस पर अपना लहू बहाया, और इस प्रकार उन्हें सम्पूर्ण रीति से बचाया। जब पानी और आत्मा के सुसमाचार ने, परमेश्वर के उद्धार के सुसमाचार ने हमें सम्पूर्ण रीति से बचाया है और हमारे पाप के दण्ड को दूर किया है तो फिर हमें डरने की क्या जरुरत है? 
जो लोग जानते है और सच में विश्वास करते है की यीशु ने पानी और आत्मा के सुसमाचार से मनुष्यजाति के सारे पापों को मिटा दिया है वे विश्वास के द्वारा सम्पूर्ण रीति से बच सकते है, जैसे परमेश्वर ने वायदा किया है, “तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के हों, तौभी वे हिम के समान उजले हो जाएँगे; और चाहे अर्गवानी रंग के हों, तौभी वे ऊन के समान श्‍वेत हो जाएँगे” (यशायाह १:१८)। हम सब विश्वास से बच सकते है, क्योंकि पुराने नियम के परमेश्वर की व्यवस्था के अनुसार जो बताती है की हाथ रखने की विधि के द्वारा सारे पाप बलिदान के अर्पण के ऊपर चले जाते है, यीशु के बपतिस्मा ने जगत के सारे पापों का स्वीकार किया था। क्योंकि यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लिया था इसलिए वह क्रूस पर मर सका, और क्योंकि परमेश्वर ने पुराने नियम में जिस उद्धार की बात की थी वह परिपूर्ण हुआ इसलिए हम केवल विश्वास के द्वारा हमारे सारे पापों से बच सकते है।
इस अचूक सत्य के बावजूद भी, हम कुछ लोगों को देखते है जो यीशु पर केवल सहानुभूति के लिए विश्वास करते है। वे अपने विश्वास को बढाने के लिए हर दिन विलाप करते है और रोते है क्योंकि उनका विश्वास केवल यीशु ने क्रूस पर जो यातना सही उसकी सहानुभूति प्रगट करना है। ऐसे लोगों के हृदय दोषपूर्ण है, और उन्हें ऐसे झूठे विश्वास को छोड़ देना चाहिए।
आपको और मुझे हमारे उद्धारकर्ता यीशु के बपतिस्मा और लहू की जरुरत है, यीशु को हमारे सहानुभूति की जरुरत नहीं है। सरल सच यह है की हमें यीशु मसीह की जरुरत है, और फिर भी बहुत सारे ऐसे लोग है जो बिना वजह परमेश्वर पर विश्वास करते है, सोचते है की परमश्वर को किसी चीज की जरुरत है, जैसे की परमेश्वर उनसे विश्वास करने के लिए भीख मांगता हो। लेकिन ऐसा विश्वास जो दंभी है उसे परमेश्वर भी तिरस्कृत करते है।
जो लोग यीशु को उत्साहपूर्व कहते हैं की वे उस पर विश्वास करते है, जैसे की वे उसके लिए अनुमोदन करते है, उनके हृदय परमेश्वर से व्ही ऊपर है, इसलिए उनके अहंकार में वे कभी भी पानी और आत्मा के सुसमाचार को हृदय से स्वीकार नहीं करते जो उन्हें उनके पाप से सम्पूर्ण तरीके से बचाता है। वे परमेश्वर के वचन का बहुत ही कम सन्मान करते है की वे इसे अपने पडोशी की कही बात से थोड़ा अलग मानते है, इसका मज़ाक उड़ाते है, जैसे की वे इस पर विश्वास करके परमेश्वर पर सहानुभूति करते हुए उस पर एहसान करते हो।
अन्त में, वे वही है जो यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू बहाने पर अपने पापों की माफ़ी के रूप में विश्वास नहीं करते और परमेश्वर के विरुध्ध खड़े रहते है। वे विश्वास करते है की पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास किए बगैर केवल अपनी प्रायश्चित की प्रार्थना से उनके पाप साफ़ हो सकते है। क्योंकि वे परमेश्वर का नाम व्यर्थ क्लेते है, इसलिए वे न तो जानते है और न ही विश्वास करते है की यीशु मसीह उद्धारकर्ता ने सम्पूर्ण रीति से उनके पापों को मिटा दिया है, और इसलिए वे उद्धार नहीं पा सकते।
परमेश्वर ने कहा, “मैं जिस किसी पर दया करना चाहूँ उस पर दया करूँगा, और जिस किसी पर कृपा करना चाहूँ उसी पर कृपा करूंगा” (रोमियों ९:१५)। यदि परमेश्वर ने फैसला कर लिया है की वह अपनी दया में उद्धार की व्यवस्था से पापियों को बचाएगा, तो फिर उसने जैसा फैसला किया है ठीक वैसा ही करेगा। इसलिए हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करना चाहिए और इस प्रकार हमारे सच्चे उद्धार को प्राप्त करना चाहिए।
जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास नहीं करते वे व्यक्तिगत तौर पर यह देखेंगे की परमेश्वर की तीव्रता और क्रोध वास्तव में कैसा है। दूसरी ओर, जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है वे देखेंगे की परमेश्वर का प्रेम कितना दयापूर्ण है। जो कोई भी परमेश्वर के सामने अपने पापों को स्वीकार करता है और पानी और आत्मा के सुसमाचार को समझता और विश्वास करता है, जो परमेश्वर के सम्पूर्ण उद्धार का सुसमाचार है, वे सारे पापों से छूटकारा पाएगा।
जो लोग विश्वास करते है की यीशु मसीह ने बपतिस्मा लेकर उनके सारे पापों को ले लिया है वे अपने सारे पापों से छूटकारा पाएंगे। उसके विपरीत जो लोग इस सच्चाई को तिरस्कृत करते है वे अपने पापों के लिए भयानक दण्ड का सामना करेंगे। इसलिए इस दुनिया के सारे लोगों को पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करना चाहिए जो वास्तविक सत्य है। जो पापी परमेश्वर के न्याय से नहीं डरता और पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास नहीं करता वे निश्चित रूप से अपने पापों का दण्ड सहेगा। लेकिन जो लोग विश्वास करते है की यीशु ने पापों को साफ़ किया है वे अपने सारे पापों से उद्धार पाएंगे।
जिस किसी के भी विवेक में पाप है वे बीमार है, और इसलिए लोग उद्धार के आधारहीन सिध्धांत के साथ आते है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार से पूरी तरह भिन्न है, और अपने व्यथित विवेक को आराम देने की कोशिश करते है। ऐसे ओर भी लोग है जो कहते है, “जब से मैं यीशु पर विश्वास करता हूँ, तब से मेरे हृदय में पाप होना ठीक है।” लेकिन हमें भूलना नहीं चाहिए की जिन के हृदय में पाप है वे सभी नरक के दण्ड का सामना करेंगे, क्योंकि परमेश्वर निश्चित तौर पर ऐसे लोगों पर उनके पापों की वजह से न्याय भेजेगा। क्योंकि वे शैतान की ओर है, इसलिए परमेश्वर उन्ह अकेला नहीं छोड़ सकता।
लेकिन जो लोग परमेश्वर के न्याय के बारे में जानते है, की पाप के लिए उसका न्याय है, वे परमेश्वर से उसके दयापूर्ण प्रेम को माँगते है, वे सारे पापों से बचना चाहते है, सत्य को ढूँढते है, और परमेश्वर की ओर खड़े रहना चाहते है। ऐसे लोगों के लिए, यहाँ सत्य है की यीशु मसीह ने बपतिस्मा लेने के द्वारा मनुष्यजाति के सारे पाप उठा लिए। अपने बपतिस्मा के द्वारा, यीशु मसीह ने एक ही बार में हमेशा के लिए पूरी दुनिया के पाप ले लिए, और इस प्रकार उसने सारे पापों को मिटाया और हमें धर्मी बनाया।
पानी और आत्मा क सुसमाचार के वचन के द्वारा, हम सब को अब समझना चाहिए की हमारा सच्चा उद्धार क्या है, और हमारे हृदय में ऐसा विश्वास होना चाहिए जो इस सुसमाचार पर विश्वास करता है। जो लोग अपने हृदय में इस सत्य पर विश्वास करते है, कोई फर्क नहीं पड़ता की उन्होंने कैसे पाप किए है, वे विश्वास के द्वारा सारे पापों से शुध्ध होंगे और पाप की सच्ची माफ़ी और अनन्त जीवन प्राप्त करेंगे। क्या आप इस सुसमाचार के वचन पर विश्वास करना और पानी और आत्मा के सुसमाचार को विश्वास से लेना नहीं चाहते, वह सुसमाचार जो आपके हृदय के सारे पापों को दूर करता है? जो लोग परमेश्वर के सामने पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है वे निश्चित ही पाप की माफ़ी को प्राप्त करेंगे।
 
 

आपकी पश्चाताप की प्रार्थना आपको नहीं बचा सकती

 
आज, जो लोग यीशु पर विश्वास करने का दावा करते है वे हरदिन पश्चाताप की प्रार्थना करते है, परमेश्वर से अपने पापों की माफ़ी माँगते है। वे हरदिन परमेश्वर को बलिदान का अर्पण देने के द्वारा अपना जीवन जीते है, पुराने नियम के समय के जैसे। लेकिन यह वो विश्वास का जीवन नहीं है जो आप जीना चाहते है। क्या यीशु ने क्रूस पर अपना लहू इस लिए बहाया था की जब कभी भी आप पश्चाताप की प्रार्थना करे तब आपके पाप शुध्ध हो जाए? ऐसा नहीं है। उसके बदले आपको यीशु मसीह के बपतिस्मा और लहू बहाने की सामर्थ्य पर विश्वास करने क द्वारा एक ही बार में हमेशा के लिए अपने पापों को साफ़ करना चाहिए। जो लोग हरदिन पश्चाताप की प्रार्थना करके अपने पापों को साफ़ करने का प्रयास करते है वे पाप की अनन्त माफ़ी को कभी नहीं प्राप्त कर सकते, न ही उनके पास ऐसा विश्वास है जो उन्हें सच्चा उद्धार पाने के लिए योग्य बनाए।
यदि सारे लोगों के पाप ऐसी पश्चाताप की प्रार्थना से या मनुष्य निर्मित विधि से ही माफ़ हो जाते, तो परमेश्वर कभी भी व्यवस्था का निर्माण नहीं करते जो घोषित कराती है की पाप की मजदूरी तो मृत्यु है। लोगों को अपने पापों की माफ़ी पाने के लिए, उन्हें वास्तव में ऐसा अर्पण देना चाहिए जो विश्वास के द्वारा उनके पाप यीशु की देह पर पारित करता है। हमारे अन्दर हरदिन पश्चाताप की प्रार्थना करनेवाला विश्वास नहीं होना चाहिए, लेकिन ऐसा विश्वास होना चाहिए जो तम्बू के द्वार के लिए इस्तेमाल हुए नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुए पानी और लहू के सुसमाचार पर विश्वास करता है। दुसरे शब्दों में, हमें यह समझना चाहिए की केवल पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास के द्वारा ही हमारे पाप शुध्द होते है, और हमें अपने हृदय में इस पर विश्वास करना चाहिए।
जिस तरह पुराने नियम के पापी को पापबलि चढाते समय बलिदान के अर्पण के सिर पर हाथ रखने के द्वारा अपने पापों को उस पर पारित कारण पड़ता था, वैसे ही हमें भी यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करने के द्वारा हमारे पाप को उसके ऊपर डालना चाहिए, और इस विश्वास के द्वारा जो उसके बपतिस्मा और लहू बहाने पर विश्वास करता है, हमें परमेश्वर के पास आना चाहिए और पाप की अनन्त माफ़ी को प्राप्त करना चाहिए। परमेश्वर ने कहा, “क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्‍वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुँह से अंगीकार किया जाता है” और “अत: विश्‍वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है” (रोमियों १०:१०, १७)।
यूहन्ना १:२९ कहता है, “दूसरे दिन उसने यीशु को अपनी ओर आते देखकर कहा, “देखो, यह परमेश्‍वर का मेम्ना है जो जगत का पाप उठा ले जाता है!” यह भाग गवाही का वर्णन करता है जो यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने यीशु को बपतिस्मा देने के दुसरे दिन दी थी। जब यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने यीशु को अपने पास आते हुए देखा, तब उसने कहा, “देखो! वह जा रहा है!” इसने यूहन्ना के आसपास की भीड़ में उत्तेजना जगाई। यूहन्ना ऊँची आवाज में बोला, “देखो! परमेश्वर का मेम्ना जा रहा है! वह ओर कोई नहीं लेकिन परमेश्वर का पुत्र है, परमेश्वर का मेम्ना जो मेरे द्वारा जगत के पापों को उठाता है। वह हमारा उद्धारकर्ता है। देखो! यह परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत का पाप उठा ले जाता है!” 
क्योंकि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने यीशु को बपतिस्मा दिया था और जगत के पापों को उसके ऊपर डाला था इसलिए यूहन्ना खुद व्यक्तिगत तौर पर यीशु की गवाही दे पाया। दुसरे शब्दों में, क्योंकि यूहन्ना ने यीशु को बपतिस्मा देने के द्वारा हमारे पाप उसके ऊपर डाले थे, इसलिए यीशु मसीह बलिदान का मेम्ना बना जिसने परमेश्वर पिता की इच्छा से हमारे पापों को ले लिया।
पुराने नियम में, परमेश्वर को बलिदान का अर्पण करके पाप की माफ़ी प्राप्त की जाति थी, लेकिन नए नियम में, केवल विश्वास के द्वारा जो पूर्ण रूप से यीशु के बपतिस्मा और उसके क्रूस के लहू पर विश्वास करता है उसके द्वारा हम हमारे पापों से माफ़ी पा सकते है। क्योंकि परमेश्वर बैल, और बकरी जैसे पशु को इस्राएल के लोगों के पाप दूर करने के लिए बलिदान के अर्पण के तौर पर लेता था, अनगिनत पशु के लहू बहाता था, टुकड़ें करता था, और होमबलि की वेदी पर जलाता था। अनगिनत ऐसे बलिदान के पशु को लोगों के पापों के लिए वास्तव में मारा जाता था।
लेकिन नए नियम के युग में, यीशु ने ऐसे पशु बलि को अर्पण नहीं किया, लेकिन उसने खुद की देह को हमारे लिए बलिदान किया। जैसे यीशु परमेश्वर का मेम्ना इस पृथ्वी पर आया, अपने बपतिस्मा के द्वारा जगत के पापों को खुद की देह पर स्वीकार किया, और क्रूस पर अपना लहू बहाया, उसने उन लोगों को एक ही बार में हमेशा के लिए अपने सारे पापों से उद्धार पाने के लिए सक्षम बनाया है जो इस पर विश्वास करते है। यह हमारे पापों को हमेशा के लिए अन्त करने के लिए था की यीशु पानी, लहू, और आत्मा से हमारे पास आया था।
परमेश्वर अब आपको और मुझे आदेश दे रहा है की हम इस वास्तविक उद्धार पर विश्वास करे। वह हमसे कह रहा है, “मैंने तुम्हारे सारे पापों को दूर किया है, क्योंकि मैंने तुम्हें प्रेम किया था। मैंने तुम्हें इस प्रकार बचाया है। इसलिए विश्वास करो! मैंने अपने खुद के पुत्र को आपके लिए पापबलि के रूप में देकर तुम्हारे पापों को दूर किया है। मैंने अपने पुत्र को इस पृथ्वी पर ३३ साल तक अपना जीवन जीने दिया, मैंने उससे बपतिस्मा दिलवाया, मैंने तुम्हारे लिए उसका लहू बहाया, और ऐसा करने के द्वारा मैंने तुम्हें सम्पूर्ण रीति से तुम्हारे पाप और दण्ड से छूटकारा दिया है। अब इस सत्य पर विश्वास करने के द्वारा, तुम मेरी निज संतान बन सकते हो जिससे मैं प्रेम करता हूँ, और जो मेरी बाँहों में रह सकता है।” इसे जानो और अपने हृदय में विश्वास करो – की जो लोग यीशु के बपतिस्मा और उसके बहाए लहू पर विश्वास करते है वे न केवल अपने सारे पापों से उद्धार पाएंगे, लेकिन वे परमेश्वर की निज संतान बनने का अधिकार भी प्राप्त करेंगे।
 
 

क्या वास्तव में यीशु ने जगत के सारे पापों को माफ़ किया है?

 
आइए इब्रानियों १०:१४-१८ की ओर मुड़े, “क्योंकि उसने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्हें जो पवित्र किए जाते है, सर्वदा के लिए सिध्ध कर दिया है। और पवित्र आत्मा भी हमें यही गवाही देता है; क्योंकि उसने पहले कहा था, “प्रभु कहता है कि जो वाचा मैं उन दिनों के बाद उनसे बाँधूँगा वह यह है कि मैं अपने नियमों को उनके हृदय पर लिखूँगा और मैं उनके विवेक में डालूँगा।” फिर वह यह कहता है, “मैं उनके पापों को और उनके अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूँगा।” और जब इनकी क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा।”
यह भाग स्पष्ट करता है: “और जब इनकी क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा।” इस आशीषित खबर को सुनिए की हमारे सारे पाप यीशु के बलिदान के द्वारा उसके ऊपर चले! केवल आपने और मैंने अपने जीवन भर पाप किए है उसे ही यीशु पर डाला नहीं गया, लेकिन मनुष्यजाति के सारे पाप उसके ऊपर डाले गए। परमेश्वर की सब धार्मिकता को पूरा करने के लिए, यीशु ने हाथ रखवाया, बपतिस्मा लेकर पानी से बहार आया, और इस प्रकार सारे पाप को अपने ऊपर उठाने के लिए अनुमति दी।
उसके अतिरिक्त, सारे पापों को अपने कंधो पर उठाकर वह क्रूस पर चढ़ा और इस प्रकार मनुष्यजाति के सारे पापों का दण्ड सहा, और इस प्रकार जो लोग विश्वास करते है उन्होंने अपने न्याय से छूटकारा पाया है। जिस प्रकार महायाजक ने बलिपशु के सिर पर हाथ रखने के द्वारा इस्राएल के लोगों के पाप उसके ऊपर डाले, वैसे ही यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने यीशु को बपतिस्मा देकर हमारे सारे पाप उस पर डाल दिए। और उसके बदले में यीशु ने सारे पापों को अपने कंधे पर उठाया और क्रूस पर चढ़ा, और इस प्रकार उस पर विश्वास करनेवालों को पाप से छुडाया। इसलिए, जो इस पर विश्वास करता है वह परमेश्वर की निज संतान बनने का अधिकार प्राप्त कर सकता है।
रोमियों १०:१० कहता है, “उसी इच्छा से हम यीशु मसीह की देह के एक ही बार बलिदान चढ़ाए जाने के द्वारा पवित्र किए गए है।” सब लोग परमेश्वर की धार्मिकता पर हृदय से विश्वास करे यह उचित है, हृदय से उद्धार के सत्य पर विश्वास करने के द्वारा वे पाप की माफ़ी प्राप्त कर सकते है और स्वर्ग में प्रवेश कर सकते है। भाइयों और बहनों, क्या आपने अपने हृदय से विश्वास करके और अपनी जीभ से अंगीकार करके उद्धार पाया है की यीशु का बपतिस्मा और लहू बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है जो “परमेश्वर की धार्मिकता,” “उद्धार का सत्य,” और “पाप की माफ़ी के सुसमाचार” को बनाता है? पुराने नियम की बलिदान की पध्धति के तहत, इस्राएलियों के पाप हाथ रखने की विधि जो उनके पापों को बलिदान के ऊपर डालता था उसके बगैर केवल बलिपशु को मारने से दूर नहीं होते थे। उसी तरह, यदि हम केवल क्रूस के लहू पर विश्वास करते है और यीशु के बपतिस्मा को निकाल देते है, तो फिर हमारे सारे पाप साफ़ नहीं हो सकते।
“मैं उनके पापों को और उनके अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूँगा।” और जब इनकी क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा” (इब्रानियों १०:१७-१८)। यहाँ परमेश्वर क्यों कहता है की वह हमारे पापों को फिर कभी स्मरण नहीं करेगा? भले ही हम मरते दम तक निरंतर पापम करते है, क्योंकि यीशु ने बपतिस्मा लेने के द्वारा एक ही बार में हमेशा के लिए जगत के पापों को ले लिया, इसलिए हमारा उद्धार अब परिपूर्ण हुआ है और हमेशा बना रहेगा, और हम में से जो इस पर विश्वास करते है वे अब पापरहित है। इसी लिए परमेश्वर को हमारे पाप स्मरण करने की जरुरत नहीं है।
परमेश्वर की धार्मिकता मतलब उसका न्याय। परमेश्वर पिता का न्याय बताता है की जैसे वह पवित्र है, इसलिए जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है उन्हें भी पवित्र और पापरहित बनना है। आरम्भ से, परमेश्वर ने हमें प्रेम किया और हमें अपनी निज संतान बनाने की इच्छा जताई। लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ता की वह हमें अपनी संतान बनाने की कितनी भी इच्छा रखता है, लेकिन वह हमारे पापों के करण ऐसा नहीं कर सकता। इसलिए परमेश्वर पिता इसका समाधान लेकर आए।
क्योंकि परमेश्वर ने एक निर्दोष बलिदान को अलग करजे रखा था जो हमारी जगह बलिदान होगा और हमारे सारे पाप इस बलिदान के ऊपर डालने के द्वारा हमारे पापों को साफ़ करने का फैसला किया, यीशु ने बपतिस्मा लेने से, हमारे लिए बलिदान बनने में, हमारी जगह दण्ड को सहने में संकोच नहीं किया, और इस प्रकार अनंतकाल का बलिदान दिया। और इस पापबलि के द्वारा, परमेश्वर ने अपने वायदे को पूरा किया की जो विश्वास करेगा वह अपने पापों से शुध्ध होगा और उन्हें अपनी निज संतान बनाएगा। अब, जो लोग इस सत्य के सुसमाचार पर विश्वास करते है उन्होंने परमेश्वर के सामने अपने सारे पापों से माफ़ी पाई है। क्योंकि यीशु ने बपतिस्मा लेने के द्वारा पहले ही जगत के पापों को साफ़ किया है, इसलिए यदि हम इस यीशु पर विश्वास करते है जिसने दण्ड सहने के द्वारा मनुष्यजाति के पापों को साफ़ किया है, तो हमें हमारे पापों के लिए अब कोई बलिदान देने की आवश्यकता नहीं है। भाइयों और बहनों क्या हमें अभी भी हमारे पाप के लिए बलिदान देने की आवश्यकता है? नहीं, बिलकुल नहीं!
क्या आप जानते है की यीशु पापरहित और शुध्ध थे फिर भी क्यों उन्हें को क्रूस पर चढ़ना पडा? यद्यपि यीशु क्रूस पर चढ़ा, वास्तव में उसने कुछ भी गलत नहीं किया था। क्योंकि यीशु ने यरदन नदी में बपतिस्मा लेने के द्वारा मनुष्यजाति के पापों को स्वीकार किया था केवल इसलिए उसे हमारी जगह मरना पडा। क्रूस पर उसे मरना पडा उसका कारण यह था की क्योंकि उसने पहले ही अपने बपतिस्मा के द्वारा जगत के पापों को स्वीकार किया था और सब धार्मिकता को पूरा करने के लिए तैयार था।
जब इस तरह परमेश्वर के पुत्र ने सब धार्मिकता पूरी करने के लिए बपतिस्मा लिया, तो हम कैसे उसका धन्यवाद नहीं कर सकते? क्योंकि यीशु ने हमारे पापों को ले लिया था इसलिए वह, जैसे कुतरनेवाले के सामने भेड़ कड़ी रहती है, वैसे उसने चुपके से क्रूस के दण्ड को सहा। हमें उसके बपतिस्मा और क्रूस को हमेशा के लिए याद रखना चाहिए, क्योंकि यदि वो क्रूस पर नहीं चढ़ता और दण्ड नहीं सहता तो फिर हमें निश्चित तौर पर दण्ड सहना पड़ता।
हमारे प्रभु ने न केवल हमारे सारे पापों को लिया है, लेकिन उसने खुद पाप के सारे दण्ड को भी सहा है। अलग तरीके से देखे तो, यीशु उद्धारकर्ता खुद, जिसने हमारे पापों को लिया था, वह खुद हमारा पापबलि बना और शान्ति से क्रूस के दण्ड को सहा, केवल हमें पाप से बचाने के लिए और इस प्रकार परमेश्वर की इच्छा पूरी करने। इसी लिए बाइबल कहती है, “मैं उनके पापों को और उनके अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूँगा।” और जब इनकी क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा। इसलिए हे भाइयों, जब हमें यीशु के लहू के द्वारा उस नए और जीवित मार्ग से पवित्रस्थान में प्रवेश करने का हियाव हो गया है” (इब्रानियों १०:१७-१९)।
क्या अब आप समझते है की क्यों यीशु मसीह क्रूस पर चढ़ा? हमें केवल यीशु के क्रूस के लहू पर ही विश्वास नहीं करना चाहिए, लेकिन हमें वह कारण भी समझना चाहिए की क्यों उसे क्रूस पर मरना पड़ा, और हमें ठीक रीति से समझना और विश्वास करना चाहिए की यह कारण यीशु के बपतिस्मा में निहित है। यदि अप और मैं स्पष्ट रूप से जानना चाहते है की हमारे पाप कहा और कैसे साफ हुए, तो हमें समझना और विश्वास करना चाहिए की जब यीशु ने यरदन नदी में यूहन्ना से बपतिस्मा लिया तब हमारे पाप उसके ऊपर डाले गए इसलिए हम विश्वास के द्वारा हमारे पापों से शुध्ध हुए है।
 
 

पानी और आत्मा के सुसमाचार के सत्य को जानने और विश्वास करने के द्वारा, अब हम हमारे सारे पापों से बच गए है

 
अब तक मैंने आपको जो बताया वह पानी और आत्मा के सुसमाचार का सत्य है जिसके बारे में बाइबल विस्तार से बताती है। और यह सत्य उद्धार है जिसे जगत की उत्पत्ति से पहले नियोजित किया गया था, और यह उद्धार तम्बू के द्वार को बनाने के लोए इस्तेमाल हुए नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में भी प्रगट हुआ है। मेरे साथी कर्मचारियों के साथ, मैं इस नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए सत्य को दुनिया के अनगिनत लोगों को प्रचार कर चुका हूँ। और अब भी, इस समय में, यह सुसमाचार हमारी किताबों के द्वारा पूरी दुनिया में फ़ैल रहा है।
फिर भी ऐसे लोग भी है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार से होने के बावजूद भी यीशु पर विश्वास करने का दावा करते है। मैं ऐसे लोगों को मूर्ख कहता हूँ, क्योंकि पानी और आत्मा का यह सुसमाचार मुख्य सत्य है जो हमें यीशु मसीह के द्वारा परिपूर्ण बलिदान की पध्धति के बारे में बताता है, तम्बू में प्रगट हुआ उद्धार का वास्तविक प्रतिबिम्ब।अब, आपकी बारी है। यदि आपने वास्तविक सत्य को जाने बिना ही विश्वास किया है, तो अब आपका समय है की आप वापिस मुड़े, पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करे, आर अपने पापों की माफ़ी प्राप्त करे।
यीशु का बपतिस्मा और क्रूस पर उसकी मृत्यु के बारे में जगत के पहले से वायदा किया गया था, और वह नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कापडे में भी प्रगट हुए थे। इस वायदे को परिपूर्ण करने के लिए, और आपको और मुझे वास्तव में पापों से बचान एके लिए, यीशु ने बपतिस्मा लिया, क्रूस पर मरा, मृत्यु से फिर जीवित हुआ, और अब वह परमेश्वर पिता के दाहिनी ओर बैठा हुआ है। 
क्या आप अभी भी सत्य को जाने बगैर अपने खुद के अनुभव और भावनाओं को अनुसरण करते हुए यीशु पर विश्वास करने की कोशिश कर रहे है? इस दुनिया में ऐसे बहुत सारे लोग है, लेकिन अब उन्हें अपने दोषपूर्ण विश्वास से मुड़ना चाहिए और पूरे हृदय से मिलापवाले तम्बू के द्वार में प्रगट हुए नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में छिपे पानी और आत्मा के सुसमाचार के सत्य पर विश्वास करना चाहिए।
इब्रानियों १०:१९-२० कहता है, “इसलिये हे भाइयो, जब हमें यीशु के लहू के द्वारा उस नए और जीवते मार्ग से पवित्रस्थान में प्रवेश करने का हियाव हो गया है, जो उसने परदे अर्थात् अपने शरीर में से होकर, हमारे लिये अभिषेक किया है।” जब यीशु मसीह ने बपतिस्मा के द्वारा जगत के पापों को ले लिया, क्रूस पर चढ़ा, तब मंदिर का पर्दा फट गया जो नीले, बैंजन, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुना था, वह इतना मजबूत था की उसके चारे कोनो से उसे घोड़े के द्वारा खींचा जाए तब भी नहीं फटता। 
मंदिर का पर्दा बहुत ही मजबूत था इसके बावजूद वह ऊपर से निचे तक फट गया, यहाँ तक की उसे किसी ने छूआ भी नहीं था, यह प्रगट करता है की जिस पल यीशु मसीह ने अपना मिशन पूरा किया, तब स्वर्ग के दरवाजे खुल गए। मंदिर का पर्दा ऊपर से निचे तक फट गया उसका मतलब है की पाप की सारी दीवारे तोड़ दी गई है, यह हमें दिखाता है की यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर ने पाप की दीवार को तोड़ दिया।
तो फिर पाप की दीवारे तोड़ दी गई है उसका मतलब क्या है? इसका मतलब है की कोई भी व्यक्ति यीशु के बपतिस्मा और क्रूस के उसके लहू पर विश्वास करने के द्वारा सारे पापों से माफ़ी पा सकता है। मिलापवाले तम्बू के द्वार के द्वारा परमेश्वर जो प्रगट करना चाहते थे वह यह है की नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में दिखाई गई यीशु की सेवकाई के द्वारा मनुष्यजाति का उद्धार परिपूर्ण किया गया है। क्योंकि परमेश्वर के द्वारा वायदा किया हुआ अनंतकाल का प्रायश्चित परिपूर्ण हुआ इसलिए नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुने परमपवित्र स्थान का पर्दा उपरसे निचे तक फट गया, मनुष्य के हाथों नहीं, लेकिन खुद परमेश्वर के हाथो।
यह प्रगट करता है की यीशु मसीह जो मनुष्यजाति के पापों के लिए अनंतकाल का बलिदान बना था उसने हमें जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है उन्हें सम्पूर्ण रीति से बचाया है। परमेश्वर पिता ने नियुक्त किया था की जो कोई भी यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर बहाए लहू पर विश्वास करता है वह पाप की माफ़ी को प्राप्त कर सकता है और परमेश्वर की उपस्थिति के सामने खड़ा रह सकता है। क्या आप इस सत्य पर विश्वास करेंगे या नहीं?
जिस प्रकार परमेश्वर ने आपसे प्रेम किया है, उसी प्रकार यीशु मसीह परमेश्वर के पुत्र ने भी आपसे प्रेम किया है, और उसने यूहन्ना से बपतिस्मा लेने और क्रूस पर चढ़ने के द्वारा आपको सम्पूर्ण उद्धार दिया है। यीशु मसीह के द्वारा दिए गए परमेश्वर के प्रेम को स्वीकार करने के द्वारा, और इस सत्य पर विश्वास करने के द्वारा जो हमें परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिए सक्षम बनाता है, हमारे सारे पाप दूर हो गए है। पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा, हमारे वास्तविक पाप भी दूर होते है, क्योंकि यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर के उसके लहू के द्वारा हमारे वास्तविक पाप पहले से ही साफ़ हो गए थे। 
इब्रानियों १०:२२ कहता है, “तो आओ, हम सच्‍चे मन और पूरे विश्‍वास के साथ, और विवेक का दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवाकर परमेश्‍वर के समीप जाएँ।” बाइबल निरंतर पाप को शुध्ध करने के बारे में बताती है। हम इस सत्य पर विश्वास करने  के द्वारा हमारे सारे पापों से उद्धार पा सकते है की यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे देह और मन से किए हुए पापों को शुध्ध किया है।
जैसे महायाजक भी बलिदान अर्पण करने के बाद हौदी में अपनी गंदकी साफ़ करता था, वैसे यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करने के द्वारा हमारे सारे पाप शुध्ध करने के बाद हमें भी यह विश्वास को हरदिन याद रखना चाहिए। जैसे महायाजक खुद को हौदी में साफ़ करता था, वैसे हमें भी हरदिन यह याद रखने और विश्वास करने के द्वारा हमारे वास्तविक पापों को साफ़ करना चाहिए की यीशु के बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पाप शुध्ध हो गए है, क्योंकि जब हम इस दुनिया में रहते है, तब ऐसा समय भी आता है जब इसकी मलिनता प्रगट होती है।
सारे पाप चाहे देह, हृदय, या विचार से किए गए हो वे इस जगत से सम्बंधित है। फिर हम कौन से विश्वास के द्वारा जगत के पापों को साफ़ कर सकते है? हम उसे केवल यीशु के बपतिस्मा से साफ कर सकते है। जो लोग एक बार यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास के द्वारा शुध्ध हुए है उभे अपना हृदय शुध्ध रखना चाहिए, और जब कभी वे पाप करे, तब उन्हें फिर से विश्वास के द्वारा उन्हें साफ़ करना चाहिए। जो लोग हरदिन यीशु के बपतिस्मा को याद रखते है और विश्वास से अपने कर्मों को साफ़ करते है वे आशीषित है। क्योंकि यीशु ने यूहन्ना से जो बपतिस्मा लिया उसके द्वारा हमारे सारे पाप यीशु पर डाले गए है, इसलिए इस सत्य पर बने रहने और हरदिन इस पर विश्वास करने के द्वारा, हम हमारे सारे पापों से हमेशा के लिए छूटकारा पा सकते है।
आपको पानी और तमा के सुसमाचार पर विश्वास करना चाहिए, की यीशु ने जब यूहन्ना से बपतिस्मा लिया तब आपके पाप भी उसके ऊपर डाले गए। इस सुसमाचार पर विश्वास करने के लिए आपको कुछ गवाने की जरुरत नहीं है, क्योंकि सर्वसामर्थी परमेश्वर ने इसे जगत की उत्पत्ति से पहले नियिजित किया था, पुराने नियम के युग के पहले से। यह सत्य की यीशु ने यरदन नदी में बपतिस्मा लेने के द्वारा आपके पापों का स्वीकार किया है और क्रूस पर जाने के द्वारा आपके पापों के सारे दण्ड को सहा है यह आपको परमेश्वर की धार्मिकता और आपके उद्धार तक पहुँचाने में आपको सक्षम बनाते है। वह सत्य जिसने आपको यह समझने के लिए सक्षम किया की यीशु राजाओं के राजा ने हमेशा के लिए आपको पाप से बचाया है, और आपके हृदय को बुरे विवेक से बचाया है और आपकी देह को शुध्ध पानी से साफ़ किया है, यह पानी और आत्मा का सुसमाचार है। पानी और आत्मा का सुसमाचार आपके जीवन के लिए अनिवार्य वचन है, और जब आप विश्वास करते है तब यह ओर भी ज्यादा चमकता है।
उसके सार्वजनिक जीवन के ३ सालों के दौरान, यीशु ने मनुष्यजाति को पाप से बचाने के लिए सबसे पहला कार्य किया था बपतिस्मा लेने का। दुसरे शब्दों में, यीशु मसीह को हमारे पाप उठाने पड़े, और ऐसा करने के लिए उसे यूहन्ना के पास जाना पडा और उससे बपतिस्मा लेना पडा। इसलिए, चारों सुसमाचार इस महत्वपूर्ण घटना को आरम्भ में लिखते है।
वास्तव में आप और मै, हमारे पापों के लिए मरनेवाले थे। लेकिन क्या हुआ? हमारा प्रभु इस पृथ्वी पर आया, परमेश्वर का मेम्ना बना, जगत के सारे पापों को क्रूस तक लेकर गया, हमारे पापों के लिए उसके हाथ और पाँव दोनों में किले मारी गई, उसका सारा लहू बहाया गया और वह मर गया, और फिर मृत्यु से जीवित हुआ। इसी लिए जब क्रूस पर वह अपनी आख़री साँस ले रहा था तब यीशु कहता है, “पूरा हुआ”।
जो खुछ भी यीशु ने कहा और वह मरा सब सच है। हमें बचाने के लिए यीशु हमारा पापबलि बना, और टन दिनों में मृत्यु से फिर से जीवित हुआ। और मृत्यु से जीवित होने के बाद, उसने अपने पुनरुत्थान की गवाही ४० दिनों तक दी, स्वर्ग में उठा लिया गया, और अब पिता की सिंहासन के दाहिनी ओर बैठा है। यह यीशु मसीह फिर से इस पृथ्वी पर हमें लेजाने के लिए आएगा। जब यीशु पहली बार इस पृथ्वी पर आया तब उद्धारकर्ता के रूप में आया, लेकिन जब वह फिर से दूसरी बार आएगा, तब वह न्यायाधीश बनके आएगा और जिन्होंने विश्वास नहीं किया उन्हें दण्ड देगा।
अब आपको समझना चाहिए की यीशु मसीह न्यायाधीश के रूप में फिर से आएगा, उन्हें परमेश्वर की संतान के रूप में स्वीकार करेगा जो पानी, लहू, और आत्मा के उद्धार पर विश्वास करते है जिसे उसने इस पृथ्वी पर के अपने ३३ साल के जीवन के दौरान परिपूर्ण किया और उन्हें हजार साल के राज्य में जीने और स्वर्ग में प्रवेश करने के योग्य बनाया, और जो लोग पानी, लहू, और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास नहीं करते और परमेश्वर के प्रेम को तिरस्कृत किया है उन्हें अनंतकाल का न्याय देने के लिए।
अब, आपको पानी और आत्मा के सुसमाचार को अनदेखा नहीं करना चाहिए और उससे अनजान बनने का ढोंग नहीं करना चाहिए, लेकिन आपको उद्धार के इस सत्य पर विश्वास करना चाहिए। और आपको समझना चाहिए की जैसे परमेश्वर ने मिलापवाले तम्बू और बलिदान की पध्धति के द्वारा वायदा किया था, वैसे ही यीशु मसीह इस पृथ्वी पर आए, हाथ रखने की विधि के रूप में बपतिस्मा लिया, क्रूस पर चढ़ा, और इस प्रकार जगत के सारे देशों को सारे पापों से बचाया, और आपको इस सत्य पर पूरे हृदय से विश्वास करने के द्वारा पाप की माफ़ी प्राप्त करनी चाहिए।
फिर भी, इस्राएल देश ने अभी भी सत्य से अपनी पीठ मोदी हुई है और दुसरे मसीहा का इंतज़ार कर रहे है। लेकिन इस्राएलियों को समझना चाहिए की यीशु मसीह को छोड़ दुसरे मसीहा का चाहे वे जितना भी इंतज़ार करले, लेकिन यीशु मसीह के अलावा दूसरा कोई मसीहा नहीं है। इस पृथ्वी पर यीशु को छोड़ दूसरा ओर कोई मसीहा नहीं है यह स्पष्ट सत्य है, और जब इस सत्य की बात आती है तो इस्राएल के लोग अपवाद रूप नहीं है, न ही उनके लिए कोई ओर दूसरा मसीहा है। 
उसी रूप से, इस्राएल के लोगों को यीशु पर परमेश्वर के पुत्र में विश्वास न करने के पाप से पस्तावा करना चाहिए, और उन्हें विश्वास करना चाहिए की यीशु मसीह ही वास्तव में उनका सच्चा मसीहा है और इस सत्य को स्वीकार करना चाहिए। यीशु मसीह ही आनेवाला मसीह है इस बात को फिर से एक बार पुष्टि करने के द्वारा, इस्राएल देश एक सच्चा, परमेश्वर का चुना हुआ आत्मिक देश बन सकता है।
अभी भी, इस्राएल के लोग प्रतापी, कुशल, और सामर्थी मसीहा का इंतज़ार कर रहा है जो उन्हें इस जगत की पीड़ा और क्लेश से बचा सकता है। लेकिन यीशु मसीह पहले ही मसीहा के रूप में मनुष्य की देह में इस पृथ्वी पर आ चुका है और उन्हें उनके पापों से बचाया है जो आग के दण्ड के योग्य थे। उसी रूप से, उन्हें इस सत्य को स्वीकार करना चाहिए और इस पर विश्वास करना चाहिए। उनकी आत्माओं के लिए, यीशु खुद पुराने नियम में वायदा किए हुए उनके पापबलि के रूप में बलिदान होने के लिए इस पृथ्वी पर आए, उन्हें हमेशा के लिए उनके पापों से बचाया, और उन्हें परमेश्वर की संतान बनाया।
यीशु मसीह जो उद्धारकर्ता के रूप में आया उसने हम सब को पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा बचाया, जो नीले, बैंजनी, और ला कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुआ सत्य है। और वह निश्चित रूप से हम में से विश्वास करनेवाले लोगों को उसके साथ हजार साल के राज्य में शासन करने के लिए योग्य बनाएगा। इसके बाद, वह उन्हें परमेश्वर के अनन्त राज्य में हिस्सा लेने के लिए और परमेश्वर के साथ हमेशा आनन्द और महिमा के साथ जीवन जीने के लिए अनुमति देगा। 
उसी रूप से, जब हम अभी भी इस पृथ्वी पर है, हम सब को पानी और आत्मा के सुसमाचार पर हमारे हृदय से विश्वास करना चाहिए और परमेश्वर की निज संतान बनना चाहिए। जो लोग सत्य के सुसमाचार पर विशवास करते है केवल वे ही परमेश्वर की पापरहित संतान बन सकते है और निश्चित रूप से उन सारी आशीषो को प्राप्त करेंगे जो अगली दुनिया में उनका इंतजार कर रही है।
हाल्लेलूयाह! हमें स्वर्ग की आत्मिक आशीष देने के लिए मैं मेरे विश्वास से प्रभु को धन्यवाद देता हूँ। हमारे प्रभु ने वायदा किया था की वह जल्द ही आएगा; इसे ही, प्रभु आइए!