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उपदेश

विषय १२: यदि आपके ह्रदय में भ्रम और खालीपन है, तो सत्य के प्रकाश की खोज करे

[12-7] जब हम सुखी हड्डियों की तरह थे तब परमेश्वर ने हम पर जीवन की सांस फूंकी और हमें फिर से जीवित किया (यहेजकेल ३७:१-१४)

जब हम सुखी हड्डियों की तरह थे तब परमेश्वर ने हम पर जीवन की सांस फूंकी और हमें फिर से जीवित किया
(यहेजकेल ३७:१-१४)
“यहोवा की शक्‍ति मुझ पर हुई, और वह मुझ में अपना आत्मा समवाकर बाहर ले गया और मुझे तराई के बीच खड़ा कर दिया; वह तराई हड्डियों से भरी हुई थी। तब उसने मुझे उनके चारों ओर घुमाया, और तराई की तह पर बहुत सी हड्डियाँ थीं; और वे बहुत सूखी थीं। तब उसने मुझ से पूछा, “हे मनुष्य के सन्तान, क्या ये हड्डियाँ जी सकती हैं?” मैं ने कहा, “हे परमेश्‍वर यहोवा, तू ही जानता है।” तब उसने मुझ से कहा, “इन हड्डियों से भविष्यद्वाणी करके कह, ‘हे सूखी हड्डियो, यहोवा का वचन सुनो। परमेश्‍वर यहोवा तुम हड्डियों से यों कहता है: देखो, मैं आप तुम में साँस समाऊँगा, और तुम जी उठोगी। मैं तुम्हारी नसें उपजाकर मांस चढ़ाऊँगा, और तुम को चमड़े से ढाँपूँगा; और तुम में साँस समाऊँगा और तुम जी जाओगी; और तुम जान लोगी कि मैं यहोवा हूँ।’” इस आज्ञा के अनुसार मैं भविष्यद्वाणी करने लगा; और मैं भविष्यद्वाणी कर ही रहा था, कि एक आहट आई, और भुईंडोल हुआ, और वे हड्डियाँ इकट्ठी होकर हड्डी से हड्डी जुड़ गईं। मैं देखता रहा, कि उन में नसें उत्पन्न हुईं और मांस चढ़ा, और वे ऊपर चमड़े से ढँप गईं; परन्तु उनमें साँस कुछ न थी। तब उसने मुझ से कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, साँस से भविष्यद्वाणी कर, और साँस से भविष्यद्वाणी करके कह, हे साँस परमेश्‍वर यहोवा यों कहता है: चारों दिशाओं से आकर इन घात किए हुओं में समा जा कि ये जी उठें।” उसकी इस आज्ञा के अनुसार मैं ने भविष्यद्वाणी की, तब साँस उन में आ गई, और वे जीकर अपने अपने पाँवों के बल खड़े हो गए; और एक बहुत बड़ी सेना हो गई। फिर उसने मुझ से कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, ये हड्डियाँ इस्राएल के सारे घराने की उपमा हैं। वे कहते हैं, हमारी हड्डियाँ सूख गईं, और हमारी आशा जाती रही; हम पूरी रीति से कट चुके हैं। इस कारण भविष्यद्वाणी करके उन से कह, परमेश्‍वर यहोवा यों कहता है: हे मेरी प्रजा के लोगो, देखो, मैं तुम्हारी कबरें खोलकर तुम को उन से निकालूँगा, और इस्राएल के देश में पहुँचा दूँगा। इसलिये जब मैं तुम्हारी कबरें खोलूँ, और तुम को उन से निकालूँ, तब हे मेरी प्रजा के लोगो, तुम जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ। मैं तुम में अपना आत्मा समाऊँगा, और तुम जीओगे; और तुम को तुम्हारे निज देश में बसाऊँगा; तब तुम जान लोगे कि मुझ यहोवा ही ने यह कहा, और किया भी है, यहोवा की यही वाणी है।”
 

आज के शास्त्र पठन की पृष्ठभूमि

आज का वचन यहेजकेल 37:1-14 से लिया गया है। यहाँ लिखा है: 
“यहोवा की शक्‍ति मुझ पर हुई, और वह मुझ में अपना आत्मा समवाकर बाहर ले गया और मुझे तराई के बीच खड़ा कर दिया; वह तराई हड्डियों से भरी हुई थी। तब उसने मुझे उनके चारों ओर घुमाया, और तराई की तह पर बहुत सी हड्डियाँ थीं; और वे बहुत सूखी थीं। तब उसने मुझ से पूछा, “हे मनुष्य के सन्तान, क्या ये हड्डियाँ जी सकती हैं?” मैं ने कहा, “हे परमेश्‍वर यहोवा, तू ही जानता है।” तब उसने मुझ से कहा, “इन हड्डियों से भविष्यद्वाणी करके कह, ‘हे सूखी हड्डियो, यहोवा का वचन सुनो। परमेश्‍वर यहोवा तुम हड्डियों से यों कहता है : देखो, मैं आप तुम में साँस समाऊँगा, और तुम जी उठोगी। मैं तुम्हारी नसें उपजाकर मांस चढ़ाऊँगा, और तुम को चमड़े से ढाँपूँगा; और तुम में साँस समाऊँगा और तुम जी जाओगी; और तुम जान लोगी कि मैं यहोवा हूँ।’” इस आज्ञा के अनुसार मैं भविष्यद्वाणी करने लगा; और मैं भविष्यद्वाणी कर ही रहा था, कि एक आहट आई, और भुईंडोल हुआ, और वे हड्डियाँ इकट्ठी होकर हड्डी से हड्डी जुड़ गईं। मैं देखता रहा, कि उन में नसें उत्पन्न हुईं और मांस चढ़ा, और वे ऊपर चमड़े से ढँप गईं; परन्तु उनमें साँस कुछ न थी। तब उसने मुझ से कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, साँस से भविष्यद्वाणी कर, और साँस से भविष्यद्वाणी करके कह, हे साँस परमेश्‍वर यहोवा यों कहता है : चारों दिशाओं से आकर इन घात किए हुओं में समा जा कि ये जी उठें।” उसकी इस आज्ञा के अनुसार मैं ने भविष्यद्वाणी की, तब साँस उन में आ गई, और वे जीकर अपने अपने पाँवों के बल खड़े हो गए; और एक बहुत बड़ी सेना हो गई। फिर उसने मुझ से कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, ये हड्डियाँ इस्राएल के सारे घराने की उपमा हैं। वे कहते हैं, हमारी हड्डियाँ सूख गईं, और हमारी आशा जाती रही; हम पूरी रीति से कट चुके हैं। इस कारण भविष्यद्वाणी करके उन से कह, परमेश्‍वर यहोवा यों कहता है : हे मेरी प्रजा के लोगो, देखो, मैं तुम्हारी कबरें खोलकर तुम को उन से निकालूँगा, और इस्राएल के देश में पहुँचा दूँगा। इसलिये जब मैं तुम्हारी कबरें खोलूँ, और तुम को उन से निकालूँ, तब हे मेरी प्रजा के लोगो, तुम जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ। मैं तुम में अपना आत्मा समाऊँगा, और तुम जीओगे; और तुम को तुम्हारे निज देश में बसाऊँगा; तब तुम जान लोगे कि मुझ यहोवा ही ने यह कहा, और किया भी है, यहोवा की यही वाणी है।”
परमेश्वर ने भविष्यद्वक्ता यहेजकेल को हड्डियों से भरी एक घाटी दिखाई। परमेश्वर ने उससे कहा, “यहेजकेल, क्या ये हड्डियाँ जीवित रह सकती हैं?” भविष्यवक्ता यहेजकेल ने उत्तर दिया और कहा, "हे प्रभु, आप जानते हैं।" तब परमेश्वर ने उससे कहा, “मैं तुझे इन हड्डियों से भविष्यद्वाणी करने की आज्ञा देता हूं, और यह कह, ‘सूखी हड्डियाँ, यहोवा का वचन सुनो,’ और भविष्यद्वक्ता यहेजकेल ने परमेश्वर के वचन की ठीक वैसे ही भविष्यवाणी की जैसे परमेश्वर ने आज्ञा दी थी, कि सांस लो, सांस लो उन घात किए हुओं पर, कि वे जीवित रहें।” फिर सांस इन हड्डियों में आ गई, और वे जीवित हो गईं, और उनकी गिनती बहुत बड़ी सेना के समान हो गई।
भविष्यवाणी का यह वचन इस बारे में था कि परमेश्वर इस्राएल के लोगों पर कैसे कार्य करेगा। 70 वर्षों से गुलामी में रहने के बाद, इस्राएल के लोग अब अपने गलत कामों से पूरी तरह परिचित थे। वे पछतावे से भरे हुए थे, अपने आप में सोच रहे थे, "जब हमने परमेश्वर से इतना अनुग्रह, प्रेम, और विशेषाधिकार प्राप्त किए, तो हम ऐसे विद्रोही पापियों में कैसे बदल गए?"
आज, सभी मनुष्य भी अपने पूर्वजों के पापों के कारण परमेश्वर से अलग जी रहे हैं, और परमेश्वर हमें बता रहे हैं कि वे उन सूखी हड्डियों के समान हैं जिन्हें यहेजकेल ने घाटी में देखा था। परमेश्वर कह रहा है कि वह उनका न्याय करेगा जिन्होंने अपने हृदयों को उसके शत्रु के साथ जोड़ दिया है। ऐसे लोगों का उल्लेख करते हुए, परमेश्वर उन्हें विद्रोही पापी कहता है जिन्होंने उसे छोड़ दिया है। आज तक, सभी मनुष्यों के मन में परमेश्वर के वचन के विरोध में खड़े होने की विद्रोही इच्छा रही है, और इसीलिए वे सच्चे परमेश्वर से दूर चले गए हैं। इस तरह, शैतान के कार्य के कारण प्रत्येक मनुष्य परमेश्वर का विरोधी बन गया है।
यह मूलभूत रूप से इसलिए हुआ क्योंकि लोगों ने अपने हृदयों को उस स्वर्गदूत के साथ जोड़ा जो परमेश्वर के विरुद्ध खड़ा था। परिणामस्वरूप, जिस दिन से वे पैदा हुए, सभी मनुष्य परमेश्वर के वचन के विरोध में खड़े होने के रूप में पैदा हुए, और इसीलिए वे पापी बन गए। इसलिए, उन सभी को यह स्वीकार करना चाहिए कि वे परमेश्वर के विरुद्ध खड़े हैं और अपने पापों को धोना चाहिए। जब मनुष्य परमेश्वर के वचन का विरोध और अवज्ञा करते हैं, तो वे स्वयं को उसके सामने दुष्ट प्राणियों के रूप में प्रकट कर रहे हैं, और इसका अर्थ है कि वे परमेश्वर के विरुद्ध खड़े हैं। यह देखकर परमेश्वर हमसे कह रहा है कि वे उसके शत्रु और पापी हैं।
अधिकांश लोग सोचते हैं कि वे वास्तव में परमेश्वर के विरुद्ध नहीं खड़े हैं। हालाँकि, यदि लोग परमेश्वर के वचन के विरोध में खड़े हैं, तो यह इस बात का प्रमाण है कि वे स्वयं परमेश्वर के विरुद्ध खड़े हैं। जब भी किसी के मन में परमेश्वर के लिखित वचन को अस्वीकार करने और उसका विरोध करने की इच्छा होती है, तो यह इच्छा ही प्रदर्शित करती है कि वह व्यक्ति परमेश्वर के विरुद्ध खड़ा है। हम सभी को यह स्वीकार करना चाहिए कि स्वभाव से हम विद्रोही हैं। इस संसार में ऐसा एक भी व्यक्ति जन्मा और जीवित नहीं है जो परमेश्वर के वचन के विरुद्ध खड़ा न हो। तब आप कह सकते हैं, “मैं कब कभी परमेश्वर और उसके वचन के विरुद्ध खड़ा हुआ?” यहां तक कि अगर आप जानबूझकर अपने कार्यों के साथ परमेश्वर के खिलाफ खड़े नहीं हुए हैं, तो निश्चित रूप से आपका दिल कभी-कभी परमेश्वर के वचन से असहज हो गया होगा, इसे नापसंद किया होगा, या इससे बचने की इच्छा की होगी। यह वही प्रमाण है जो दर्शाता है कि तुम परमेश्वर के विरुद्ध खड़े हो। अधिकांश लोग अकेले रहना चाहते हैं और जब परमेश्वर हस्तक्षेप करते हैं तो यह पसंद नहीं करते।
दूसरे शब्दों में, भले ही आप सीधे परमेश्वर और उसके वचन के विरुद्ध खड़े न हों, फिर भी आप परमेश्वर के दखल से मुक्त होकर जीना चाहते हैं। यह इच्छा प्रत्येक मनुष्य के हृदय में पायी जाती है क्योंकि हमारे पूर्वज आदम और हव्वा के प्राचीन काल से ही, मनुष्यों ने परमेश्वर से बचने और स्वतंत्र रूप से जीने की कामना की है। जब ऐसी इच्छाएँ एक साथ हो जाती हैं, तो लोग अंत में परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह कर देते हैं।
इसे स्पष्ट करने के लिए, निम्न उदाहरण पर विचार करें। परमेश्वर का लिखित वचन कहता है, "मूर्तियों की पूजा मत करो," परन्तु आप स्वयं सोच सकते हैं, "मुझे मूर्तियाँ पसंद हैं। परमेश्वर मुझे क्यों बता रहे हैं कि क्या करना है और क्या नहीं करना है? मुझे इसका एतराज है। मैं वैसे ही जीना चाहता हूं जैसा मैं चाहता हूँ। मैं परमेश्वर के दखल देने वाले हाथ से मुक्त होकर जीवित रहूँगा!” परमेश्वर के प्रति अवज्ञाकारी हृदय होने का ठीक यही अर्थ है। यदि आपकी ऐसी विद्रोही इच्छाएं और विचार हैं, तो इसका अर्थ है कि आप पहले ही परमेश्वर के विरोधी बन चुके हैं। आप अपने जीवन में परमेश्वर के हस्तक्षेप को नापसंद करते हैं और उसके खिलाफ खड़े होते हैं क्योंकि आपको ऐसी इच्छाएं अपने पूर्वजों से विरासत में मिली हैं, और परिणामस्वरूप आप अपने अहंकार को आघात करना चाहते हैं। इसलिए, स्वभाव से परमेश्वर के शत्रु होने के कारण, आप और मैं अपने विचारों और कार्यों के साथ परमेश्वर और उसके वचन के विरुद्ध हमारे पूरे जीवनकाल में खड़े रहते हैं, केवल अंत में नाश होने के लिए।
जिस दिन से वे पैदा होते हैं, सभी मनुष्य परमेश्वर से दूर जाना चाहते हैं, जब परमेश्वर उनके जीवन में हस्तक्षेप करता है तो उससे घृणा करते हैं, और अपने स्वयं के भाग्य के स्वामी बनने के लिए तरसते हैं। परिणामस्वरूप वे अपने हृदयों में परमेश्वर और उसके वचन के बिना रहते हैं, और यही कारण है कि वे इतने दयनीय हैं। परमेश्वर की दृष्टि में, प्रत्येक मनुष्य एक खोई हुई भेड़ के समान है। हम परमेश्वर द्वारा दखल दिए जाने से घृणा करते हैं। हमें पूरे हृदय से परमेश्वर के सामने यह स्वीकार करना चाहिए कि हम यही हैं। और हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर विश्वास करना चाहिए जो परमेश्वर ने हमें हमारे पापों को मिटाने के लिए दिया है, और इस विश्वास से उन सभी पापों से छुटकारा पाएं जो हमने उसके वचन की अवज्ञा करके किए हैं।
हमारे पापों के कारण, हम परमेश्वर से दूर हो गए थे। हालाँकि, हमारा परमेश्वर अभी भी हमसे प्यार करता है और हमें आशीष देना चाहता है, और हमें अब उसके साथ अपना रिश्ता पुन:स्थापित करना चाहिए। यह पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर विश्वास करने के द्वारा किया जाता है जो परमेश्वर ने हमें दिया है। विश्वास के द्वारा ही हम परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर सकते हैं। अब से, हमें यह समझना चाहिए कि हमारे परमेश्वर ने हम सभी को इस संसार के सभी पापों से बचाने के लिए उद्धार का सच्चा वचन दिया है। परमेश्वर ने स्वयं हमारे पापों की समस्या को पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन से दूर कर दिया है, और हमें इस वचन को अपने हृदय में स्वीकार करना चाहिए और इस प्रकार अपने सभी पापों से धोना चाहिए। परमेश्वर ने अब हमें पानी और आत्मा का सुसमाचार वचन दिया है। विश्वास के द्वारा, हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि उद्धार का यह वचन उद्धार का सबसे सुंदर समाचार है जो हमें उन पापों से बचाता है जो हमने परमेश्वर के शत्रुओं के रूप में रहते हुए किए थे।
 

वे लोग जो सुखी हड्डियों के समान थे

यहेजकेल की पुस्तक घाटी में सूखी हड्डियों के बारे में लिखती है। फिर वे कौन लोग हैं जो इन सूखी हड्डियों के समान हैं? क्या ये वही लोग नहीं हैं जिन्हें हमें अब सुसमाचार का प्रचार करना चाहिए? क्या वे सभी इस संसार में पैदा नहीं हुए हैं, जो परमेश्वर से बचने और अपने दम पर जीने की कोशिश में, अपने शेष जीवन को दुख में जीने के लिए अभिशप्त हैं? भले ही उनका यह इरादा नहीं था, वे पाप के शोक में गिर गए क्योंकि उनका भाग्य पहले से ही किसी और के द्वारा निर्धारित किया गया था। हम ऐसे लोगों को पापी कहते हैं, जो परमेश्वर को छोड़कर उसके विरोध में खड़े हैं। परमेश्वर हमें बता रहे हैं कि हमारा सुसमाचार प्रचार ठीक इन्हीं लोगों के लिए है।
यद्यपि जो लोग शारीरिक रूप से जीवित हैं उन्हें जीवित कहा जाता है, वास्तव में, उन्हें तब तक जीवित नहीं कहा जा सकता जब तक कि उनके प्राणों और शरीरों में परमेश्वर का जीवित श्वास न हो। परमेश्वर कह रहा है कि जिसके हृदय में उसकी जीवित सांस नहीं है वह सूखी हड्डी के समान है। जो लोग परमेश्वर से बिछड़े हुए हैं उन्हें पहले से ही मरा हुआ वर्णित किया जा सकता है। इसलिए, क्योंकि लोगों की आत्माएं उस दिन से परमेश्वर से अलग हो गई हैं जब से वे इस दुनिया में पैदा हुए थे, भले ही वे शारीरिक रूप से जीवित हैं, वे पहले से ही मृतकों के समान स्थिति में हैं।
चूँकि मनुष्य पहले से ही उन लोगों के वंशज के रूप में पैदा हुए थे जिन्होंने परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया था, वे अपने भाग्य को बदल नहीं सकते चाहे वे कितनी भी कोशिश कर लें, और इसलिए उन सभी को परमेश्वर की देखभाल, क्षमा और दया की आवश्यकता है। फिर भी, परमेश्वर के विरोधियों के वंशजों के रूप में जन्म लेने के बावजूद, उसकी दया की तलाश करना तो दूर, वे वास्तव में अपने दम पर उससे बचने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसी मानसिकता से वे अपना भाग्य नहीं बदल सकते। मनुष्य को यह समझना चाहिए कि वह इस दुनिया में एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पैदा हुआ है जो पहले ही दुख के गर्त में गिर चुका है, और वह इतनी दयनीय स्थिति में जी रहा है। यह मानवता का भाग्य है।
इसलिए, लोगों को यह समझना चाहिए कि वे अपनी सभी दुखद परिस्थितियों से तभी बच सकते हैं जब वे सृष्टिकर्ता परमेश्वर के इरादे को समझते हैं कि उन्हें इस तरह के भाग्य के साथ जन्म लेने की अनुमति है। हालाँकि, यह कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसे कोई भी अपने आप समझ सकता है, और इसलिए लोगों को किसी और से मदद की ज़रूरत होती है। अलग तरीके से कहें, तो आपको धर्मी की जरूरत है, जो पहले से ही आपकी दुर्दशा को समझते हैं, आपको इस दुख के गड्ढे से निकालने का ज्ञान रखते हैं, और आपके लिए करुणा महसूस करते हैं। आपको उनके माध्यम से परमेश्वर के विधान को समझना चाहिए। आपको अपने दिल में स्वीकार करना चाहिए कि आप विश्वास के पूर्ववर्तियों द्वारा निर्देशित होने के लिए नियत थे, जो पहले ही आपके सामने दुख की घाटी से बच चुके हैं, और स्वेच्छा से उनके मार्गदर्शन के लिए खुद को समर्पित करें।
जो लोग परमेश्वर के विरुद्ध खड़े हुए हैं उनके साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जा सकता जैसे कि वे परमेश्वर के विरोध में खड़े नहीं है। इसलिए आपको यह स्वीकार करना चाहिए कि आप इतने विद्रोही पापी थे। मनुष्य के लिए यह असंभव है कि वह परमेश्वर की अवज्ञा न करे। आखिरकार, इस तथ्य को देखते हुए कि इस दुनिया में हर कोई परमेश्वर के विरुद्ध खड़े होने के लिए एक विद्रोही हृदय के साथ पैदा हुआ है, कोई इसका विरोध कैसे कर सकता है? हम, जो केवल मनुष्य हैं, परमेश्वर के विरुद्ध खड़े होने की अपनी विद्रोही इच्छा से स्वयं को कैसे मुक्त कर सकते हैं और स्वयं को उसके अधीन होने के लिए बाध्य कर सकते हैं? ऐसा हो ही नहीं सकता। ऐसा होने के लिए, हमें उन लोगों से हर तरह की मदद लेनी चाहिए जो पहले से ही परमेश्वर के लोग बन चुके हैं।
क्योंकि हर कोई शुरू से ही पाप के बीज के रूप में पैदा हुआ था, किसी के पास परमेश्वर के वचन की अवज्ञा न करने की क्षमता नहीं है। चूँकि सभी मनुष्य ऐसे पापी हृदय के साथ पैदा हुए थे, उन सभी का परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह करने के पाप के लिए न्याय किया जाना चाहिए, भले ही यह जानबूझकर न किया गया हो। फिर, हृदय की ऐसी दयनीय स्थिति से कोई कैसे बच सकता है? ऐसी स्थिति से उबरने का एक ही तरीका है। यह समझना है कि त्रिएक परमेश्वर ने हम जैसे लोगों के लिए उद्धार की एक महिमामय योजना बनाई, हमारे आत्मिक कान खोले, और हमारे हृदयों से ध्यानपूर्वक सुनो। हमें यह समझना चाहिए कि विश्वास का प्रयोग करके हम इस सत्य को हृदय की आँखों से देख सकते हैं।
इस महिमामयी योजना को खोजने का तरीका यीशु मसीह को अपने ह्रदय से खोजना है, मानवजाति का उद्धारकर्ता जो इस पृथ्वी पर हमें ढूंढ़ते हुए आया था। हम उद्धार के सत्य पर विश्वास करने के द्वारा महिमा का यह मार्ग पाते हैं, कि यीशु मसीह ने हमें पानी और लहू के द्वारा बचाया है। हम इस मार्ग पर तभी चल सकते हैं जब हम परमेश्वर पिता के प्रेम में विश्वास करते हैं जिसने हमारे लिए अपने पुत्र को बलिदान कर दिया, और इस प्रकार हम उन सभी पापों से छूट जाते हैं जो हमारे हृदय में हैं और पवित्र आत्मा का उपहार प्राप्त करते हैं।
परमेश्वर ने हमें विश्वास के प्रभुत्व में रहने के लिए अपनी संतान बनाया है, और यह आशीष उसके प्रेमपूर्ण हृदय से उत्पन्न होती है। इसलिए, हम मनुष्य इस महिमा में तभी प्रवेश कर सकते हैं और जी सकते हैं जब हम परमेश्वर से विमुख होने के दौरान किए गए सभी पापों की मजदूरी का भुगतान कर दें। इस संसार के पापों को मिटाने का अपना कार्य पूरा करने के बाद, यीशु अब हमारी प्रतीक्षा कर रहा है, हमें पापों की क्षमा का उद्धार देना चाहता है। पापों की क्षमा का यह मार्ग केवल पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन पर विश्वास करने के विश्वास में पाया जाता है। जो कोई भी इस शानदार तरीके को खोजता है और विश्वास का जीवन जीने की कोशिश करता है, उस पर पापों की क्षमा की जीवित सांस फूंकने के लिए प्रभु प्रसन्न होता है।
जैसे परमेश्वर ने भविष्यद्वक्ता यहेजकेल को अपनी ओर से भविष्यद्वाणी कराकर सूखी हड्डियों को वापस जीवन में लाया, वैसे ही नए नियम के वर्तमान युग में, परमेश्वर ने पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वासियों को उनके ह्रदय में जीवित सांस प्राप्त करने के लिए आशीषित किया है। इस तरह, परमेश्वर ने हमें सच्चा विश्वास रखने का आशीर्वाद दिया है। आज, मैं इस मुद्दे पर वचन साझा करना चाहूंगा।
 


हम अपराधों और पापों में पहले ही मर चुके है


इफिसियों 2:1-2 में लिखा है: "उसने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे 2जिनमें तुम पहले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात् उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न माननेवालों में कार्य करता है।” यहाँ परमेश्वर हमें बता रहा है कि उसने "हमें जीवित किया है, जो अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे।" इसका मतलब यह है कि हम उस समय से पापी थे जब से हम इस पृथ्वी पर पैदा हुए थे, और यह कि हमारे स्वभाव से, हम अपने पूरे सांसारिक जीवन में अनगिनत अपराध किए बिना नहीं रह सकते।
ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे पूर्वजों ने हमारे सृष्टिकर्ता परमेश्वर द्वारा उन्हें दी गई चेतावनी के वचन को नहीं सुना और अपने हृदय से उस पर विश्वास करने में असफल रहे। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे शैतान के प्रलोभन में गिर गए, और परिणामस्वरूप, उन्होंने परमेश्वर पर विश्वास करने के बजाए शैतान का पक्ष लिया और परमेश्वर के वचन के खिलाफ खड़े होकर पाप किया। यह तभी से है कि मनुष्य परमेश्वर के वचन के विरुद्ध खड़े होकर परमेश्वर के विरोधियों में बदल गया। मानवजाति के पूर्वज आदम और हव्वा को शुरू से ही परमेश्वर के वचन पर विश्वास करना और उसका पालन करना चाहिए था, लेकिन वे ऐसा करने में असफल रहे, और यह असफलता बताती है कि क्यों हम सभी उनके वंशजों के रूप में जन्म लेकर इस दुनिया में मौजूद ऐसे घोर पापी है। इसलिए आदम और हव्वा के दिनों से, मनुष्य परमेश्वर के शत्रुओं के रूप में रहने लगे। तब से, मानवजाति इस पृथ्वी पर परमेश्वर के विरोधी के रूप में जीते आए है’।
परमेश्वर के शत्रु का जीवन दयनीय है। निरपवाद रूप से, परमेश्वर के शत्रु के रूप में जीना कांटों के क्षेत्र से होकर गुजरना है। जो लोग परमेश्वर के विरोध में खड़े होते हैं वे कभी भी उसके बोले हुए वचन पर विश्वास नहीं करते हैं, और इसके बजाय वे हमेशा अपने ही विचारों का पालन करते हैं। इस वजह से उनके जीवन का कोई उद्देश्य नहीं रह जाता है। भले ही वे अपने लिए एक रास्ता साफ करने की कोशिश करते हैं, वे केवल भ्रम की राह पर समाप्त होते हैं, उनके जीवन में बार-बार असफलताओं के अलावा कुछ नहीं दिखता है, और अंततः, उनका अंतिम परिणाम मृत्यु है।
हम मनुष्यों को अपने जीवन में इतनी हानि उठानी पड़ी क्योंकि हमने विश्वास से परमेश्वर के वचन का पालन नहीं किया। इसलिए, मनुष्य को यह सीखना था कि परमेश्वर पर भरोसा कैसे किया जाए, जैसा कि विश्वास शब्द द्वारा दर्शाया गया है। शब्द "विश्वास" का अर्थ है "भरोसा करना और विश्वास करना।" परमेश्वर में विश्वास रखना परमेश्वर पर भरोसा करना और उसके आधीन रहना है। यदि हम शरीर और आत्मा दोनों में परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं और विश्वास से जीते हैं, तो हम निश्चित रूप से अपने सभी पापों से छूट जाएंगे और खुशी पाएंगे। इसलिए, अब से, आइए हम परमेश्वर पर भरोसा करें, उसके वचन में अपना विश्वास रखकर उसकी आज्ञा मानें, और विश्वास के द्वारा यीशु मसीह जब हमारी अगुवाई करता है तब हम उसके मार्गदर्शन का पालन करें। जिस प्रकार बाइबल कहती है कि विश्वास आशा की गई वस्तुओं का प्रमाण है, यदि हम विश्वास करते हैं कि पापों की क्षमा और स्वर्ग की आशीषें हमारे लिए वैसे ही पूरी होंगी जैसा परमेश्वर ने हमसे कहा था, और यदि हम इस विश्वास के द्वारा उनका अनुसरण करते हैं, तो हम वास्तव में उन आशीषों का आनंद लेंगे जो परमेश्वर हमें प्रदान कर रहे हैं और अंततः विश्वास में विजयी होंगे। आप में से जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन में विश्वास करते हैं और उसका पालन करते हैं, आइए हम अब परमेश्वर के शत्रुओं के रूप में न जिएं, बल्कि हम परमेश्वर पर विश्वास करके जीवन जिए और विश्वास से उसका अनुसरण करें।
आज के पवित्र शास्त्र के पठन पर लौटते हुए, आइए हम जांच करें कि परमेश्वर का वचन हमसे क्या कह रहा है ताकि हम विश्वास से विजयी हो सकें। भले ही प्रत्येक मनुष्य को परमेश्वर के वचन का पालन करना चाहिए, सभी मनुष्य वास्तव में ऐसा करने में विफल रहे। इस अवज्ञा का परिणाम क्या हुआ? परमेश्वर के वचन की अवहेलना करने वाले सभी मनुष्यों की उसके सामने पूरी तरह से भ्रष्ट पापियों के रूप में पुष्टि की गई थी। इसी कारण परमेश्वर की दृष्टि में सब पापी कहलाने लगे। मनुष्य अपने गलत कामों के कारण परमेश्वर के सामने पापी नहीं बने, बल्कि इसलिए कि उन्होंने अपने हृदय से परमेश्वर द्वारा बोले गए वचन पर विश्वास नहीं किया, और इसके विपरीत उन्होंने अपने विरोधी के भ्रामक शब्दों का पक्ष लिया। यही कारण है कि मनुष्य अंततः परमेश्वर के शत्रु बन गए। अंततः, यह इसलिए है क्योंकि उन्होंने परमेश्वर के वचन पर विश्वास नहीं किया कि वे अवज्ञाकारी बन गए। इसलिए, चूँकि हम सभी आदम के वंशज के रूप में पैदा हुए थे, हम सभी ने इस संसार में जन्म लेने से पहले ही परमेश्वर की अवहेलना करने के लिए अवज्ञा का बीज विरासत में प्राप्त किया था; और परिणामस्वरूप, हम परमेश्वर के शत्रु बन गए।
इसका कारण पुराने नियम की उत्पत्ति की पुस्तक में विस्तार से बताया गया है। उत्पत्ति 3:1 में, हम सर्प को हव्वा से पूछते हुए देखते हैं, "क्या सच है कि परमेश्वर ने कहा, कि तुम इस बाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना?" तब हव्वा ने सर्प से कहा, "जो वृक्ष बाटिका के बीच में है उसके फल के विषय में परमेश्वर ने कहा है कि न तो तुम उसको खाना और न उसको छूना, नहीं तो मर जाओगे" (उत्पत्ति 3:3)।
हव्वा ने यहाँ क्या कहा - "ऐसा न हो कि तुम मर जाओ" - इंगित करता है कि वह परमेश्वर द्वारा बोले गए वचन में विश्वास नहीं करती थी। हव्वा ने सर्प का विष निगल लिया क्योंकि उसने उस बात पर विश्वास नहीं किया जो परमेश्वर ने उससे कहा था। तथ्य यह है कि उसने सर्प के प्रश्न का उत्तर यह कहकर दिया, "परमेश्वर ने मुझे फल खाने से मना किया है, ऐसा न हो कि मैं मर जाऊं," इसका अर्थ है कि वह पहले से ही सर्प द्वारा जहर दी गई थी। वह अपने स्वयं के संदेह के साथ परमेश्वर के वचन को अनदेखा कर रही थी, जो दर्शाता है कि उसका हृदय परमेश्वर के शत्रु का पक्ष ले रहा था। परमेश्वर के शत्रु ने परमेश्वर और हव्वा के बीच एक कील डाल दी थी, ताकि वह उससे दूर चली जाए। यह इसलिए है क्योंकि हव्वा ने अपने सृष्टिकर्ता परमेश्वर के वचन पर विश्वास नहीं किया कि सभी मनुष्य उसके शत्रु बन गए। इस अविश्वास का अंतिम परिणाम मृत्यु था: हर कोई अविश्वासी, अवज्ञाकारी प्राणी के रूप में परमेश्वर से अलग हो गया।
सर्प के विचार में, आदम और हव्वा आज्ञा मानने के बजाय परमेश्वर और उसके वचन के विरोध में खड़े थे, इसलिए शैतान ने इस बात का फ़ायदा उठाया और अपने शब्दों से उनके दिलों में संदेह पैदा कर दिया। जैसे ही आदम और हव्वा इन भ्रामक शब्दों में पड़ गए, उन्होंने स्वयं को शैतान के साथ जोड़ लिया। उत्पत्ति 3:4-5 में लिखा है: "तब सर्प ने स्त्री से कहा, `तू निश्चय न मरेगी। क्योंकि परमेश्वर आप जानता है, कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे।`” हम यहाँ पर सर्प को परमेश्वर के विरुद्ध बोलते हुए देख सकते है जब वह हव्वा से झूठ बोलते हुए कहताहाई की जब तुम भले और बुरे के ज्ञान का फल खाओगे तब तुम परमेश्वर के समान हो जाओगे। शैतान हव्वा से फुसफुसा रहा था, “परमेश्वर ने तुमसे कहा था कि तुम फल मत खाओ क्योंकि वह डरता है कि तुम उसके जैसे हो जाओगे। इसलिए, यदि तुम इसे खाओगे, तो तुम परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे।” अंततः आदम और हव्वा ने परमेश्वर के शत्रु का साथ दिया और भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल खा लिया।
परिणामस्वरूप क्या हुआ? आदम और हव्वा के मन में न्याय का एक मानक उत्पन्न हुआ, और वे परमेश्वर के विरोधियों में बदल गए, चाहे कुछ भी हो, उसके किसी भी वचन पर विश्वास करने से इनकार कर दिया। दूसरे शब्दों में, भलाई और बुराई का बैरोमीटर अचानक उनके दिलों में प्रकट हो गया। यही कारण है कि मनुष्य परमेश्वर के विरुद्ध क्यों खड़ा होता है, जो हर चीज के लिए मानक निर्धारित करता है। दूसरे तरीके से कहें तो, वे परमेश्वर के वचन से दूर जाने के लिए अपने मन में न्याय के स्टार को प्राप्त किया था। केवल परमेश्वर ही सभी न्याय का बैरोमीटर सेट कर सकता है, फिर भी मनुष्यों के पास स्वयं न्याय का अपना मानक था, तो यह कैसे कहा जा सकता है कि उन्होंने परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह नहीं किया? क्योंकि आदम और हव्वा के पतन के समय मनुष्य ने न्याय के अपने स्वयं के मानक स्थापित किए थे, इसलिए परमेश्वर और हम मनुष्यों के बीच पाप की एक अदृश्य दीवार खड़ी हो गई।
मनुष्य मूल रूप से परमेश्वर के प्रेम की वस्तु थे। हालाँकि, क्योंकि उन्होंने परमेश्वर की चेतावनी पर विश्वास नहीं किया और इसके बजाय उसके खिलाफ खड़े हुए, परमेश्वर और हमारे बीच पाप की दीवार खड़ी हो गई। जैसे ही आदम और हव्वा ने वर्जित फल खाया, इस अवज्ञा से पाप उत्पन्न हुआ; और इस पाप के कारण, मानवजाति परमेश्वर से दूर हो गई और पाप की एक दीवार बन गई। इसलिए आपके लिए यह समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि जितना अधिक आप अपने हृदय में अपने स्वयं के मानक का निर्माण करेंगे, उतना ही अधिक आप परमेश्वर से दूर हो जाएंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि भलाई और बुराई का पूर्ण मानक केवल हमारे सृष्टिकर्ता परमेश्वर का है। जो लोग शैतान के प्रलोभन में पड़ जाते हैं वे अच्छाई और बुराई के अपने स्वयं के मानक को प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन यह मानक उस मानक के साथ फिट नहीं बैठता है जिसके द्वारा परमेश्वर अच्छे और बुरे का न्याय करता है, और परिणामस्वरूप वे परमेश्वर के शत्रु बन जाते हैं। इसलिए इस दुनिया में हर किसी के लिए परमेश्वर और उसके वचन का पालन करने के लिए सच्चा विश्वास होना अनिवार्य है।
परमेश्वर के वचन में विश्वास हमारे भीतर से उत्पन्न होना चाहिए। इस तरह से परमेश्वर के प्रत्येक लिखित वचन पर विश्वास करने के लिए, हमें नम्र होना चाहिए, जैसा कि नए नियम में मत्ती 5:5 कहता है, "धन्य हैं वे जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।" इसका अर्थ यह है कि यदि मनुष्य परमेश्वर के वचन में विश्वास करता है और उसका पालन करता है, तो वह पृथ्वी को विरासत में पाने के लिए आशीषित होगा। हम आज देख सकते हैं कि जो लोग परमेश्वर के पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर विश्वास करते हैं और उसकी इच्छा का पालन करते हैं वे इस पृथ्वी पर भी भरपूर शांति और भौतिक आशीषों के साथ जी रहे हैं। बाइबल कहती है कि “पाप की मजदूरी तो मृत्यु है।” सभी मनुष्यों को उनके पापों के लिए दोषी ठहराया जाना तय है, लेकिन प्रभु ने पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन से उनके सभी पापों को मिटाकर ऐसे अभिशप्त लोगों को बचाया है। इस वचन पर विश्वास करने के द्वारा हमें अपने हृदयों में पापों की क्षमा प्राप्त करनी चाहिए।
जो कोई भी शैतान के बहकावे में आ गया और उसके शब्दों का पक्ष लिया, वह परमेश्वर का शत्रु बन गया। इसीलिए इफिसियों में परमेश्वर कहता है कि उसका आत्म-बलिदान हमें हमारे सारे पापों से छुड़ाने के लिए आवश्यक था, जो परमेश्वर के विरुद्ध खड़े हुए थे। परमेश्वर के विरुद्ध खड़े होकर किए गए पापों के बारे में बोलते हुए, यीशु हमें बता रहा है कि उसने "हमें जीवित किया है, जो अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे।" यह उसके वचन के साथ है कि परमेश्वर मानवजाति से पापों की क्षमा के उद्धार के बारे में बात करता है, और यह वचन परमेश्वर द्वारा दिया गया पानी और आत्मा का सुसमाचार वचन है। हम सब परमेश्वर के वचन का विरोध करने की विद्रोही इच्छा से भरे हुए हैं। हम परमेश्वर की दृष्टि में पापी हैं क्योंकि हमने अपने हृदयों को उसके वचन से नहीं जोड़ा है। चूँकि मनुष्य परमेश्वर द्वारा बोले गए वचन पर विश्वास नहीं करते है, इसलिए जब वे शैतान द्वारा प्रलोभित हुए, तो उन्होंने इसके बजाय परमेश्वर के इस शत्रु के वचनों पर विश्वास किया। परिणामस्वरूप, मानवजाति परमेश्वर की शत्रु बन गई। वे अंततः स्वयं परमेश्वर के शत्रु बन गए। तभी से मानवजाति परमेश्वर के विरोधियों के रूप में उसका विरोध करने लगी।
हालाँकि, इस तथ्य के बावजूद कि हम उसके शत्रु बन गए थे, परमेश्वर ने फिर भी हमसे इतना प्रेम किया कि उसने हमें हमारे सभी पापों से बचाने की कोशिश की। हमें यानी उन पापियों को बचाने के लिए जिन्होंने परमेश्वर के विरूद्ध विद्रोह किया था, और हम मनुष्यों को हमारे पापों और मृत्यु से बचाने के लिए, परमेश्वर ने स्वयं का बलिदान देकर हमें जीवित करने की योजना बनाई। यहेजकेल की पुस्तक में उल्लिखित घाटी की सूखी हड्डियों की तरह, हम परमेश्वर से बहुत दूर चले गए थे और उनके शत्रु बन गए थे, लेकिन हमारा प्रभु अभी भी हमें पापों की क्षमा और नया जीवन देना चाहता था। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर ने हमें पानी और आत्मा का सुसमाचार वचन देकर हम विश्वासियों को नया जीवन देने का फैसला किया जो मानव हृदय में पापों की क्षमा लाता है। प्रभु ने पानी और आत्मा के इस सुसमाचार पर विश्वास करने वालों को विश्वास का एक नया जीवन जीने के लिए आशीषित किया है।
आत्मिक रूप से, यहेजकेल की पुस्तक में वर्णित सांस का अर्थ है कि यीशु मसीह इस पृथ्वी पर आएंगे और उसने प्राप्त किए हुए बपतिस्मा और क्रूस पर बहाए गए लहू से मानव जाति के पापों की मजदूरी का भुगतान करने के द्वारा हमें प्रायश्चित का उद्धार देंगे। "पानी और आत्मा के सुसमाचार" के द्वारा, प्रभु ने हमें विश्वास के द्वारा बचाए जाने का एक और अवसर दिया है। मनुष्यों के रूप में, हम उसके वचन पर विश्वास करने से इनकार करके परमेश्वर के खिलाफ खड़े हुए थे, लेकिन प्रभु ने हमें पानी और आत्मा का सुसमाचार वचन दिया है ताकि हम विश्वास के द्वारा, प्रभु के पापों की अनन्त क्षमा प्राप्त कर सकें। यह वह आशीष है जो परमेश्वर ने सभी मनुष्यों को दी है, ताकि वे अब से परमेश्वर के वचन पर अपने विश्वास के द्वारा जीवित रह सकें। दूसरे शब्दों में, यीशु मसीह ने हमें एक बार फिर से परमेश्वर की धार्मिकता में विश्वास करके उसके साथ रहने के लिए आशीष दी है। इसलिए हम अपने परमेश्वर के प्रत्येक वचन पर विश्वास न करने का जोखिम नहीं उठा सकते।
पानी और आत्मा के वचन पर विश्वास करने के द्वारा जो हमारे प्रभु यीशु मसीह ने हमें दिया है, हम अपने सभी पापों की क्षमा प्राप्त कर सकते हैं। अब, कोई भी पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन, परमेश्वर के वचन पर विश्वास करने के द्वारा परमेश्वर की संतान बन सकता है। उद्धार के ये सभी उपहार और पापों की क्षमा वे आशीषें हैं जो परमेश्वर ने हमें दी हैं। यदि हम वास्तव में पानी और आत्मा के सुसमाचार के सत्य के अनुसार यीशु मसीह में विश्वास करते हैं, और यदि हम वास्तव में परमेश्वर की दृष्टि में पापरहित हो गए हैं, तो ये सभी आशीर्वाद स्वयं परमेश्वर से आए हैं, और इसलिए हम उनकी कृपा को नहीं छोड़ सकते। अपने स्वभाव से, हम केवल परमेश्वर की व्यवस्था का पालन करने में अक्षम थे, न ही हम अपने शरीर की वासना का विरोध कर सकते थे। हम इस दुनिया में ऐसे कमजोर प्राणियों के रूप में रहने के अलावा कुछ नहीं कर सकते थे, लेकिन यीशु मसीह ने हमें पानी और आत्मा का सुसमाचार वचन दिया है ताकि हम अपने उद्धार तक पहुँच सकें।
इस तरह, संसार की उत्पत्ति से पहले ही, त्रिएक परमेश्वर ने हमारा उद्धारकर्ता बनने का निर्णय लिया था, और उद्धार का सारा कार्य यीशु मसीह को सौंप दिया था। पापियों के उद्धारकर्ता के रूप में, यीशु मसीह ने परमेश्वर पिता और पवित्र आत्मा के साथ पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन को पूरा किया है, और उद्धार के इस सुसमाचार की योजना हम विश्वासियों को नया जीवन देने के लिए परमेश्वर के दृढ़ संकल्प के अनुसार बनाई गई थी। दुनिया की नींव से पहले यीशु मसीह में बनाई गई उद्धार की योजना पानी और आत्मा के सच्चे सुसमाचार वचन में निहित है जो हमारे लिए पापों की क्षमा का उद्धार लेकर आया है।
इस कारण से यीशु मसीह ने एक स्त्री के शरीर से एक पुरुष के रूप में जन्म लिया, जैसा कि परमेश्वर ने अपने वचन के द्वारा वादा किया था कि वह हमारा उद्धारकर्ता होगा वह इस पृथ्वी पर आया। और जब समय आया, तो यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लिया, और ऐसा करके उसने मनुष्यजाति के सारे पापों को अपनी देह पर उठा लिया। यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त बपतिस्मा के माध्यम से, यीशु मसीह स्वयं मानव जाति के सभी पापों को एक बार और हमेशा के लिए उठाना चाहते थे, और वह उन्हें अपने कन्धे पर उठाकर क्रूस पर अपने बहुमूल्य लहू से क्षमा करना चाहते थे। अब, आइए हम नए नियम के लिखित वचन की ओर मुड़ें और जब वह यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के पास एक बार और हमेशा के लिए इस संसार के सभी पापों को लेने के लिए गया तब क्या हुआ यह देखते हुए यीशु के पदचिन्हों का पता लगाएं।
 


यीशु का जन्म और उसकी सेवकाई


मत्ती १:२१-२३ में लिखा है: “वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना, क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा।” यह सब इसलिए हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्‍ता के द्वारा कहा था, वह पूरा हो: “देखो, एक कुँवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी, और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा,” जिसका अर्थ है – परमेश्‍वर हमारे साथ।”
अब हमारे साथ रहने के लिए, यीशु मसीह इस्राएल में रहने वाली एक कुंवारी के शरीर के माध्यम से इस पृथ्वी पर पैदा हुआ था। प्रभु ने वादा किया था कि वह अपने लोगों को उनके पापों से छुड़ाने के लिए मानव जाति के उद्धारकर्ता के रूप में इस धरती पर आएंगे, और वह इसे ठीक उसी तरह पूरा करना चाहते थे जैसा उन्होंने वादा किया था।
जब यीशु को यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा दिया गया था, तब स्वर्ग से परमेश्वर पिता की आवाज सुनाई दी, "यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यंत प्रसन्न हूं" (मत्ती 3:17)। अलग तरीके से कहें तो, परमेश्वर पिता हमसे कह रहा था, "मेरी इच्छा का पालन करो और मेरे पुत्र जो धार्मिक कार्य कर रहा है उस पर विश्वास करके अपने पापों को धो दो। यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से अब मनुष्यजाति के पापों को उठाने के लिये बपतिस्मा लिया।” यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेकर, यीशु ने संसार के सारे पापों को एक बार और हमेशा के लिए उठा लिया, और क्रूस पर अपना लहू बहाकर और मरे हुओं में से जी उठकर, उसने हम सभी को हमारे सभी पापों से बचाया है। ये सभी चीज़ें धार्मिक कार्य थीं जो यीशु ने संपूर्ण मानवजाति के पापों की क्षमा के लिए की। जो बपतिस्मा यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त किया वह सबसे धर्मी कार्य था जिसे यीशु ने आपके और मेरे सब पापों को मिटाने और हमें बचाने के लिये किया, जो परमेश्वर के स्वरूप में उत्पन्न हुए थे।
जब यीशु 30 वर्ष का था, तो वह यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के पास गया और उससे बपतिस्मा लेने की इच्छा की। तथापि, मत्ती 3:14 में हम देखते हैं कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला यीशु से यह कहते हुए सबसे पहले इसे अस्वीकार करता है, "मुझे तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है, और क्या तू मेरे पास आता है?" जिस कारण से यीशु ने यहाँ यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेने की कोशिश की वह स्पष्ट है: यह मानव जाति के सभी पापों को एक बार और हमेशा के लिए उठाना था। हम पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन में विश्वास करने वालों के लिए, जो बपतिस्मा प्रभु ने प्राप्त किया था वह हमारी आत्माओं पर पापों की क्षमा की जीवित सांस लेने के लिए था। यीशु ने हमें नया जीवन देने के लिए यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लिया, और उस समय, उसने पूरी मानव जाति के सभी पापों को एक बार और हमेशा के लिए स्वीकार कर लिया; और उन सभी के लिए जो इस तथ्य पर विश्वास करते हैं, उसने उनके हृदय से उनके सारे पाप धो दिए हैं। तथ्य यह है कि यीशु को यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से मानव जाति के पापों को उठाने के लिए बपतिस्मा दिया गया था जो परमेश्वर के प्रेम को प्रदर्शित करता है और हमारे लिए उनके उद्धार को प्रकट करता है। यीशु ने इस पृथ्वी पर जो बपतिस्मा लिया और जो लहू उसने क्रूस पर बहाया वह मानव जाति के इतिहास में पापों की क्षमा का सबसे सुंदर और महान समाचार है, और जो कोई भी इस पर विश्वास करता है वह परमेश्वर की आशीषों को प्राप्त करेगा।
यह समाचार जो पानी और आत्मा के सुसमाचार के माध्यम से हम तक पहुंचा है, सुंदर समाचार है, और यह परमेश्वर का आशीर्वाद भी है जो इस पृथ्वी पर रहने वाले हर उस व्यक्ति के लिए जीवन की सच्ची सांस देता है जो इस आनंदपूर्ण समाचार के सुसमाचार पर विश्वास करता है। कुँवारी मरियम के शरीर के माध्यम से मनुष्य के शरीर में अवतरित इस पृथ्वी पर जन्मे, यीशु उद्धारकर्ता हैं जो मानव जाति के पापों को उठाने और उन्हें एक बार और हमेशा के लिए मिटाने के लिए आए थे। वह स्वर्ग के राज्य का महायाजक, राजाओं का राजा और सच्चा उद्धार का संदेश लाने वाला भविष्यवक्ता भी है। यीशु मसीह हमारे राजा, हमारे महायाजक और हमारे भविष्यवक्ता हैं जो हमें हमारे सच्चे उद्धार के बारे में सिखाते हैं। वह न केवल हमारा उद्धारकर्ता है, बल्कि हमारा सृष्टिकर्ता परमेश्वर भी है जिसने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया है। यीशु स्वर्ग के राज्य के महायाजक के रूप में अपने कर्तव्य को पूरा करने के लिए इस पृथ्वी पर आया था और हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार के विश्वासियों को हमारे सभी पापों से बचाता है। यीशु मसीह मानव जाति का सच्चा उद्धारकर्ता है जो मनुष्य के शरीर में अवतरित हुआ था और यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा एक बार हमेशा के लिए मानव जाति के पापों को स्वीकार कर लिया।
 


“पूरा हुआ”


हमें एक बार और हमेशा के लिए इस दुनिया के पापों से मुक्त करने के लिए, यीशु मसीह ने अपने शरीर पर बपतिस्मा लिया और क्रूस पर अपना प्राण त्याग दिया। प्रभु ने ये सब पाप के सारे दंड को सहन करने के लिए किया, क्योंकि उसने मानवजाति के पापों को हमेशा के लिए उठा लिया था। इसलिए यीशु मसीह जब क्रूस पर मरे तब वह कह सके, “पूरा हुआ”। यीशु ने यहाँ क्रूस पर जो कहा - "पूरा हुआ" - परमेश्वर का धन्य वचन है जो वर्तमान युग में रहने वाले हम लोगों के लिए बहुत प्रासंगिक है जो परमेश्वर के वचन में विश्वास करते हैं। वाक्यांश "पूरा हुआ" परमेश्वर की आशीष की बात करता है कि यीशु ने, इस पृथ्वी पर आकर, संसार के पापियों को एक बार और हमेशा के लिए उनके पापों से शुद्ध किया और उनके दंड को सहा। यह तुरही की धन्य ध्वनि थी जो घोषणा कर रही थी कि यीशु मसीह ने हमारे पापों की समस्या और जीवन की सभी समस्याओं को एक बार और हमेशा के लिए पूरी तरह से हल कर दिया है, जिन्हें परमेश्वर की उपस्थिति में आना चाहिए।
यह परमेश्वर का धन्य वचन है जो हमें बता रहा है कि प्रत्येक और सभी पापियों को हर पाप से छुड़ाया जा सकता है और वे विश्वास के द्वारा स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के योग्य हो सकते हैं यदि वे सिर्फ पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन पर हृदय से विश्वास करते हैं। संसार के पापों से हमें छुड़ाने के लिए, यीशु ने अपने शरीर को हमारे प्रायश्चित के बलिदान के रूप में अपने पिता को अर्पित कर दिया। यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेने और क्रूस पर अपना लहू बहाने के बाद, यीशु ने कहा, "पूरा हुआ।" यह वह आवाज थी जो घोषणा कर रही थी कि स्वर्ग का द्वार खोलने का कार्य अब पूरा हो गया है।
इसलिए हमें अपने उद्धारकर्ता के रूप में यीशु पर विश्वास करना चाहिए, जो स्वेच्छा से हमारे पापों के लिए प्रायश्चित का बलिदान बन गया। अब से, हम पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने वालों को यह विश्वास होना चाहिए कि परमेश्वर के वचन में हमारे विश्वास के कारण हमारे हृदय के सभी पाप हमेशा के लिए धो दिए गए हैं, और यह कि हम इस प्रकार स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के योग्य। हमें विश्वास है कि यीशु मसीह ने हमें स्वर्ग के राज्य में ले जाने के लिए हमारे प्रायश्चित के बलिदान के रूप में खुद को अर्पण किया, और अब से हमें इस विश्वास को पूरी दुनिया में हर किसी के लिए फैलाने का गवाह बनना चाहिए। 
इस वर्तमान युग में जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन पर विश्वास करते हैं जो हमारे प्रभु ने हम सभी को दिया है, वे भी उसी विश्वास से स्वर्ग में प्रवेश कर सकते हैं जो हमारे पास है। एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसे पानी और आत्मा के इस सुसमाचार के वचन पर विश्वास है, आइए हम अब और प्रतीक्षा न करें और विश्वास के द्वारा सभी आत्माओं को पापों की क्षमा और स्वर्ग का प्रचार करने वाले गवाह बनें। आइए हम ऐसे गवाहों के रूप में जिएं जो परमेश्वर और उसके वचन पर उसकी प्रसन्नता के लिए विश्वास करते हैं।
आइए अब हम यह विश्वास करने में संकोच न करें कि प्रभु ने हमारे प्रायश्चित की भेंट के रूप में स्वयं का बलिदान कर दिया। आइए हम पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन में पाए जाने वाले सच्चे उद्धार पर विश्वास करें और इसे अपने हृदय में स्वीकार करें। इस प्रकार हमारे दिल पाप से मुक्त हो गए हैं और पाप रहित हो गए हैं, आइए हम अपने परमेश्वर यीशु मसीह की धार्मिकता की स्तुति करें। हमने यीशु मसीह द्वारा दिए गए प्रायश्चित के अनन्त बलिदान के कारण उद्धार के अनुग्रह को धारण किया है। पाप से हमारे अनंत उद्धार की योजना बनाने के लिए आइए हम सभी हमेशा त्रिएक परमेश्वर की धार्मिकता की स्तुति करें।
 


यीशु पुनरुत्थान और जीवन है


जैसा कि हम जानते हैं कि सूखी हड्डियाँ प्राकृतिक रूप से जीवित नहीं रहतीं। हालाँकि, जैसा कि यीशु मसीह ने कहा, "पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ" (यूहन्ना 11:25), भले ही हम पहले से ही अपने पापों में मर चुके थे, फिर भी प्रभु हमें अपने सच्चे वचन से जीवित कर सकते हैं। इसलिए आइए हम जैसे अपने जीवन में आगे बढ़ाते है वैसे पुनरुत्थान का विश्वास रखें। प्रभु ने हम सभी के लिए पुनरुत्थान की अनुमति दी है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन पर विश्वास करते हैं। पुराने नियम के दिनों में, परमेश्वर ने सूखी हड्डियों पर जीवित श्वास फूंक कर उन्हें सेना में बदल दिया। ठीक इसी तरह, प्रभु ने भी आज हमारी आत्माओं को नया जीवन पाने की आशीष दी है, क्योंकि हम परमेश्वर द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के वचन पर विश्वास करते हैं।
यद्यपि हम इस संसार में जी रहे हैं, हम केवल उस दिन की प्रतीक्षा कर रहे थे जब हमारे शरीर मरेंगे। हमारे जैसे निराश लोगों के लिए, हमारे प्रभु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले को खोजा, अपने बपतिस्मा के माध्यम से दुनिया के पापों को स्वीकार किया, इन पापों को उठाते हुए क्रूस पर चढ़ाया गया, और अपना कीमती लहू बहाया। अपने बपतिस्मा के द्वारा इस संसार के पापों को स्वीकार करके, क्रूस पर मृत्यु के लिए अपना लहू बहाकर, और मरे हुओं में से जी उठकर, प्रभु ने हमें पानी और आत्मा के वचन में विश्वास करने वालों को नई सृष्टि बनने की आशीष दी है। उसने हम सभी को जो परमेश्वर द्वारा दिए गए उद्धार में विश्वास करते हैं उन्हें पापों की क्षमा प्राप्त करने और परमेश्वर की संतान बनने की आशीष दी है।
क्योंकि हमारे हृदय मूलभूत रूप से पापी हैं, हमारी आत्माएं उन सूखी हड्डियों के समान हैं जिन्हें हम आज के पवित्रशास्त्र के पठन में देखते हैं। हालाँकि, पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर यानी नए जीवन के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा, हमारी आत्माओं के लिए हम नया जीवन प्राप्त करने में सक्षम हुए हैं। हम परमेश्वर के सामने पूरी तरह से निराश थे, क्योंकि जिस दिन से हम इस दुनिया में पैदा हुए थे, उस दिन से हमारे दिल में पाप था। इस तरह, सभी मनुष्य पूरी तरह से निराश हैं, और ऐसा इसलिए है क्योंकि जिस दिन से वे पापियों के रूप में पैदा हुए थे, आज तक उन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार सत्य को नहीं पाया है, जो परमेश्वर की ओर से जीवन की सांस है। अतीत में, जब हमने अभी तक अपने हृदयों में पापों की क्षमा प्राप्त नहीं की थी, यीशु मसीह का बपतिस्मा और क्रूस पर उसका लहू हमारी आत्माओं के लिए बिल्कुल अनिवार्य था। हमें यह समझना चाहिए कि जिस पल हम नए नियम में लिखे पानी और आत्मा के सुसमाचार के अनुसार यीशु मसीह के प्रायश्चित के बलिदान को, जिसने उसे इस पृथ्वी पर आने के द्वारा परिपूर्ण किया, समझते है और विश्वास करते है तब हम सभी पापों की माफ़ी प्राप्त कर सकते हैं।
हम पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन में विश्वास करते हैं जो हमारे पापों को धोता है, और यह हमें नया जीवन देता है। यदि हम इस सुसमाचार के वचन पर अपने हृदय से ठीक वैसे ही विश्वास करते हैं जैसे सत्य हमें बता रहा है, तो हम मृत्यु से अनन्त जीवन में चले जाएँगे। प्रभु हमें पाप से उद्धार दे रहे है, और यदि हम पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन के अनुसार इस उद्धार पर विश्वास करके पापों की क्षमा प्राप्त करते हैं, तो हम उनकी संतान बनने का परमेश्वर द्वारा दिया गया अधिकार प्राप्त करेंगे। पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके जो प्रभु ने हमें दिया है, विश्वास का जीवन जीने का अर्थ है स्वर्ग की सच्ची, परमेश्वर के द्वारा दी गई आशा के साथ जीना। इस प्रकार विश्वास से पापरहित होने के बाद, हम परमेश्वर के लोग बन गए हैं, और अब हम परमेश्वर की कलीसिया में उनके संतों और कार्यकर्ताओं के रूप में रहने के योग्य हैं, जो केवल पापरहितों के लिए खुला है।
जब यीशु ने इस जगत के पापों को उठा लिया, तो उसने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से कहा, "अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है" (मत्ती 3:15)। जब यीशु ने यहाँ यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से कहा, “इस प्रकार हमें सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है,” तो वह उससे कह रहा था, “मैं यहाँ तेरे द्वारा बपतिस्मा लेने आया हूँ। अभी मुझे बपतिस्मा दो और मानवजाति के सारे पाप मुझे सौंप दो। तुम्हारे द्वारा मैं संसार के सारे पाप स्वीकार कर लूंगा। यह वह मार्ग है जिसे परमेश्वर पिता ने मानवजाति के लिए निर्धारित किया है। अब जो कुछ तुम और मैं कर रहे हैं वह परमेश्वर की सारी धार्मिकता को पूरा करेगा।”
इस पृथ्वी ग्रह पर, ऐसे बहुत से लोग हैं जिनका आत्मिक जीवन सूखी हड्डियों के समान है। इन लोगों के लिए, यीशु कह रहे हैं, "क्योंकि मैंने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लिया था, इसलिए मैंने क्रूस पर तुम्हारे पापों की मजदूरी चुकाई है। मैंने जो बपतिस्मा लिया वह इस संसार में सबसे धर्मी कार्य है, क्योंकि मैंने तुम्हारे पापों को स्वीकार किया और सह लिया। मुझ पर विश्वास करो और अपने पापों की क्षमा प्राप्त करो!”
जब यीशु बपतिस्मा लेने के लिये यरदन नदी के पानी में गया, और उसमें से निकला, तो स्वर्ग से यह वाणी हुई, “कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यंत प्रसन्न हूं।“ (मत्ती 3:17)। इसका अर्थ है कि अपने बपतिस्मा के द्वारा, यीशु ने व्यक्तिगत रूप से इस संसार के पापों को स्वीकार किया और पिता परमेश्वर की इच्छा के अनुसार उन्हें अपने शरीर पर धारण किया। परमेश्वर पिता यहाँ कह रहा था, “मेरे पुत्र यीशु मसीह ने जो कुछ किया है, उससे मैं प्रसन्न हूँ। मैं बहुत प्रसन्न हूँ, क्योंकि मेरे पुत्र ने मेरी इच्छा को स्वीकार किया है और उसका पालन किया है।”
इसलिए, हमें अपने हृदय में उन धर्मी कार्यों को स्वीकार करना चाहिए जो यीशु मसीह ने पिता परमेश्वर की आज्ञाकारिता में किए थे - अर्थात्, बपतिस्मा लेना और क्रूस पर अपना लहू बहाना - और हमें परमेश्वर पिता की इच्छा के साथ एकता में विश्वास करने वाले लोग बनना चाहिए। तब यीशु मसीह, पवित्र आत्मा, और परमेश्वर पिता जिस पर हम विश्वास करते हैं, हमारे विश्वास से आनन्दित होते हैं। मैं आशा और प्रार्थना करता हूं कि हम सब पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करें और इस प्रकार त्रिएक परमेश्वर को आनंदित करें। यह मेरी सच्ची आशा है कि हम सब ऐसा जीवन जिएंगे जो विश्वास के साथ परमेश्वर की महिमा करे।
इस वचन को सुनने और पढ़ने के बाद, अब आप क्या करेंगे? क्या आप भी विश्वास के द्वारा परमेश्वर के उस काम में जो उसको भाता है, और उसके वचन में सहभागी होगे? अब हम पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर विश्वास करके इस संसार में अपने जीवन को आगे बढ़ा रहे हैं, और यह आपके और मेरे इस विश्वास के माध्यम से है कि परमेश्वर की महिमा हो रही है। परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए मैंने और आपने कुछ भी नहीं किया है सिवाय एक बात के: अब हम पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार कर रहे हैं। अगर कुछ और है जो हमने किया है, तो यह सिर्फ इतना है कि हमने सुसमाचार सेवकाई का समर्थन करने के लिए कड़ी मेहनत की है, अपने परमेश्वर के लोगों के लिए प्रार्थना की है, और उन्हें दुश्मनों से बचाने के लिए परमेश्वर के वचन से उनका पालन-पोषण किया है।
जब यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने यीशु को उसके बपतिस्मा के बाद फिर से देखा, तो उसने गवाही दी और कहा, “देखो! परमेश्वर का मेमना जो जगत के पाप उठा ले जाता है!” (यूहन्ना 1:29)। यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने यीशु को "परमेश्‍वर का मेम्ना जो जगत के पाप उठा ले जाता है," कहकर इस प्रकार गवाही दी, उसके बाद प्रभु ने सारे पाप अपने ऊपर उठाते हुए उसे क्रूस पर चढ़ाया गया, और उसने हमारे लिए अपना सारा लहू बहा दिया। और, अपनी अंतिम सांस लेने से ठीक पहले, उन्होंने कहा, “पूरा हुआ!” (यूहन्ना 19:30)। यीशु तब तीन दिनों में मरे हुओं में से जी उठे, और उन सभी के लिए मानव जाति के सभी पापों और अपराधों को मिटा दिया, जो यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त बपतिस्मा और क्रूस पर बहाए गए लहू पर विश्वास करते हैं। इसलिए उसने उन सभी को पापों की क्षमा और पवित्र आत्मा का उपहार दिया है जो उद्धार के सच्चे सुसमाचार वचन पर विश्वास करते हैं। परमेश्वर ने मानवजाति को पापों की क्षमा और पवित्र आत्मा दिया है, इसका अर्थ है कि उसने हमें स्वर्ग का आशीषित उपहार दिया है।
आइए हम यहां प्रेरितों के काम 2:38-39 की ओर मुड़ें: "पतरस ने उन से कहा, `मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; और तुम पवित्र आत्मा का उपहार पाओगे। क्योंकि यह प्रतिज्ञा तुझ से और तेरी सन्तान से, और उन सब दूर – दूर के लोगों के लिए भी है जिनको हमारा प्रभु परमेश्वर अपने पास बुलाएगा।`” पतरस प्रेरितों के काम अध्याय 3 पद 19 में आगे कहता है, “इसलिए मन फिराओ और लौट आओ कि तुम्हारे पाप मिटाए जाए, जिससे प्रभु के सम्मुख से विश्रान्ति के दिन आएं।” जैसा कि यहाँ लिखा है, यीशु उन सभी पर नए जीवन की साँस फूंकेगा जो पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन पर विश्वास करते हैं और इस प्रकार अपने पापों की क्षमा के प्रति आश्वस्त हैं।
अब हम सभी को हर पाप से छुटकारा इस विश्वास के द्वारा दिया जा सकता है कि परमेश्वर के पुत्र ने जो बपतिस्मा लिया और जो लहू उसने हमारे पापों को हमेशा के लिए मिटाने के लिए क्रूस पर बहाया वह हमारे पापों की क्षमा है। पानी और आत्मा के सुसमाचार में ऐसा विश्वास, और उद्धार का ऐसा समाचार, मानव जाति के लिए जीवित सांस और पापों की क्षमा का संदेश है। इसके अलावा, यह विश्वास कि यीशु मसीह जो पानी और आत्मा से आया है, हमारा उद्धारकर्ता है, यह उन लोगों का विश्वास है जिन्होंने अपनी आत्मा में जीवित सांस पाई है।
पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन में विश्वास करने वाले हम लोगों के लिए, उद्धार का यह समाचार वह सत्य है जिसने हमारे हृदयों में पापों की क्षमा और नया जीवन लाया है। जैसे यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के द्वारा अपने शरीर पर इस संसार के पापों को उठाने के लिए बपतिस्मा लिया था और क्रूस पर बहाए गए बहुमूल्य लहू से एक बार और हमेशा के लिए पूरी मानव जाति के पापों को मिटा दिया, वह उद्धार का सच्चा परमेश्वर है। जीवन के परमेश्वर ने हम सब को, जो अब पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन पर विश्वास करते हैं, अपने वचन के अनुसार अपनी संतान में बदल दिया है, जैसा कि यूहन्ना 1:12 में लिखा है: “परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं।” इस वर्तमान युग में जो सूखी हड्डियों से भरा हुआ है, परमेश्वर ने हमें सच्चाई से परिचित कराया है, कि हम उसका प्रेम और उद्धार, पापों की क्षमा, और पवित्र आत्मा का उपहार प्राप्त कर सकते हैं। उन सभी के लिए जिन्होंने अपने दिलों में पानी और आत्मा के द्वारा किए गए उद्धार के कार्य को बोया है, जो प्रभु ने इस पृथ्वी पर आने के बाद किया, तो प्रभु ने उन्हें उनके सभी पापों से बचाए जाने का आशीर्वाद दिया है।
पानी और आत्मा के सुसमाचार सत्य यानी जीवन की रोटी को जिसे प्रभु ने हमारे लिए बनाया है, अपने हृदय में ग्रहण करने के द्वारा हम अपने सारे पापों से मुक्त हुए हैं। हमें नए जीवन की आशीष मिली है जो हमें मरे हुओं में से जी उठने और फिर से जीने में सक्षम बनाती है। जिन लोगों ने यीशु के प्रायश्चित के कार्य को अपने हृदय में स्वीकार कर लिया है वे हमेशा के लिए परमेश्वर के साथ रह सकते हैं, क्योंकि उन्हें विश्वास के द्वारा उनके सारे पापों से छुटकारा मिल गया है। हाल्लेलूयाह! मैं हमारे प्रभु यीशु मसीह को हमारे पास आने और सत्य के वचन के साथ अब हमें खोजने के लिए सारी महिमा, स्तुति और धन्यवाद देता हूं! हाल्लेलूयाह!
 

“यहेजकेल, क्या ये हड्डियाँ जी सकती है?”

जब यीशु मसीह इस पृथ्वी पर आया, तो उसने अपने बपतिस्मा और क्रूस पर अपने लहू के द्वारा एक बार और हमेशा के लिए पाप से मानवजाति के उद्धार को पूरा किया। हमें इस उद्धार को ग्रहण करना चाहिए, अपने हृदय से इस पर विश्वास करना चाहिए, और इस प्रकार पापों की क्षमा प्राप्त करनी चाहिए। जब परमेश्वर ने पूछा, “यहेजकेल, क्या ये हड्डियाँ जी सकती है?” यहेजकेल ने उत्तर दिया और कहा, "हां, परमेश्वर, केवल तू ही जानता है।" सूखी हड्डियों को वापस जीवन में लाना केवल परमेश्वर के पुत्र, यीशु मसीह के द्वारा पानी और आत्मा के सुसमाचार कार्य के साथ ही प्राप्त किया जा सकता था, जो उसने इस पृथ्वी पर पूरा किया था। संसार के सभी पापों से मानव जाति को छुड़ाने का यह कार्य धार्मिक कार्य था जिसे केवल हमारे प्रभु यीशु मसीह ही पूरा कर सकते थे।
इस्राएल के लोगों के पास युद्ध की कैद से खुद को मुक्त करने और सच्चा उद्धार और स्वतंत्रता प्राप्त करने की कौन सी शक्ति थी? इस्राएल राष्ट्र युद्ध में हार गया था और बंदी बना लिया गया था, और यह कुछ ऐसा था जिसे केवल प्रभु परमेश्वर, जो यहाँ पुराने नियम के युग में यहेजकेल से बात कर रहा था, कुछ कर सकता था। इसी तरह, युद्ध के कैदियों को उनके देश में वापस लाना भी कुछ ऐसा था जिसे केवल परमेश्वर की सामर्थ से प्राप्त किया जा सकता था, जो मृतकों पर जीवित सांस फूंक सकता था।
परमेश्वर कह रहा था, "इस्राएल के लोग इस प्रकार मेरे विरोध में खड़े हुए हैं, तो किस कारण से वे मेरी आशीषों को प्राप्त करेंगे? ऐसा हो ही नहीं सकता। हालाँकि, मैं अपने लोगों को पूरी तरह से नहीं त्यागूँगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि मेरे पास उनके लिए उद्धार की बहुत सी योजनाएँ हैं, और इसलिए भी कि मैं उनसे प्रेम करता हूँ।” क्योंकि परमेश्वर ने अब्राहम से वादा किया था, "मैं तुम्हारे वंशजों का परमेश्वर बनूंगा," इस्राएल के लोग अभी भी परमेश्वर में उद्धार और आशा पा सकते थे।
इसी तरह, हममें से जो नए नियम के युग में जी रहे हैं और पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर विश्वास करते हैं, हम भी स्वर्ग की आशा के साथ जी रहे हैं क्योंकि परमेश्वर ने हमें पवित्र आत्मा दिया है। इस्राएल के लोग युद्ध की दासता से मुक्त हो सके क्योंकि परमेश्वर ने अब्राहम से प्रतिज्ञा की थी, “मैं तुम्हारे वंश को आकाश के तारों के समान अनगिनित करूंगा; मैं उनका परमेश्वर बनूंगा। जिस प्रकार इस्राएल के लोग जो परमेश्वर के प्रतिज्ञा के वचन पर विश्वास करते थे, अपनी बंधुआई से घर लौटे, वैसे ही हम सभी जो अब नए नियम के वर्तमान युग में जी रहे हैं, यदि हम पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते हैं जो पापों की क्षमा का सुसमाचार है जो प्रभु ने हमें दिया है, तो हम सच्चे उद्धार तक पहुँच सकते हैं। यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेकर हमारे हृदय के सारे पापों को उठा कर, हमारे प्रभु ने संसार के पापों से हमारे छुटकारे को पूरा किया है।
सारे संसार में अब रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए, परमेश्वर ने अपने पुत्र द्वारा किए गए उद्धार का धर्मी कार्य, पानी और आत्मा का सुसमाचार वचन, और जो कोई भी इस वचन पर विश्वास करता है, उसके सारे पाप मिटाने की आशीष दी है। इस युग में भी, प्रभु ने पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने वालों को परमेश्वर के वचन में अपने विश्वास के द्वारा जीने की शक्ति दी है। प्रभु ने उन लोगों को पापों की क्षमा का उपहार प्रदान किया है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार द्वारा घोषित उद्धार के सत्य पर विश्वास करते हैं। परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह से बहुत पहले ही अपने शरीर का बलिदान करके मानव जाति के सभी पापों को मिटा दिया था, परमेश्वर पिता ने पहले से ही अपनी उद्धार की योजना को स्थापित किया था और उस पर कार्य किया था। यीशु इस पृथ्वी पर ठीक उस योजना के अनुसार आए जो परमेश्वर पिता ने इस संसार के पापों से सभी पापियों को बचाने के लिए बनाई थी, और पिता की इस योजना के अनुसार, प्रभु ने परमेश्वर के पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा मानवजाति के पापों को मिटाने का कार्य पूरा किया। स्वर्ग के राज्य के महायाजक के रूप में, मसीह ने भी यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेकर और क्रूस पर अपना लहू बहाकर अपने सांसारिक कर्तव्यों को ईमानदारी से पूरा किया, यहाँ तक कि अपने लोगों को जगत के इन पापों से बचाने के लिए अपने शरीर का बलिदान कर दिया।
महायाजक के रूप में अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए, यीशु मसीह स्वयं इस पृथ्वी पर मनुष्य के शरीर में अवतरित हुए; जब वह 30 वर्ष का हुआ, तो उसने बपतिस्मा लेकर इस संसार के पापों को सदा के लिए उठा लिया; और, तदनुसार, 33 वर्ष की आयु में उन्होंने क्रूस पर अपना कीमती लहू बहाया, इस प्रकार अपने सभी याजकीय कर्तव्यों को पूरा किया। अपने स्वयं के शरीर को अर्पण करने के द्वारा ही यीशु मसीह ने अपने लोगों को उनके पापों से छुड़ाने के लिए उद्धार का कार्य पूरा किया। उद्धार का बलिदान चढ़ाने के लिए, और इस प्रकार हमारे पापों को मिटाने के लिए, प्रभु ने अपने शरीर का बलिदान किया। अपनी देह का बलिदान करने के द्वारा, यीशु मसीह ने हमारे पापों को उठाकर और हमारे प्रायश्चित के रूप में हमारी जगह बलिदान होने के द्वारा वह बलिदान अर्पण किया जो केवल स्वर्ग का महायाजक ही अर्पण कर सकता था। यीशु मसीह ने अपने लहू और मृत्यु के द्वारा पापों के दण्ड को इस प्रकार सहा क्योंकि उसने बपतिस्मा लिया था और इस प्रकार इस पृथ्वी पर रहने वाले हम में से प्रत्येक के सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया था। ये सब बातें हम विश्वासियों को परमेश्वर की सन्तान बनाने के लिये की गई हैं।
 

पुराने नियम से हम क्या समझ सकते है?

पतझड़ के मौसम की शुरुआत के साथ, मैं हाल ही में पुराने नियम में यशायाह की किताब पढ़ रहा हूँ। यशायाह में परमेश्वर इस बारे में बात करता है कि वह इस्राएल के लोगों को कैसे दंड देगा, लेकिन मैं देख सकता हूँ कि उसकी वास्तविक इच्छा इसके बिल्कुल विपरीत थी। हम जानते हैं कि पुराने नियम के दिनों में, प्रभु परमेश्वर उन लोगों का न्याय करने में प्रसन्न था जो इस्राएल के लोगों के लिए पीड़ा लेकर आए थे, और वह अपने लोगों को उनके अत्याचार से छुड़ाने में भी आनन्दित था। हमने देखा है कि कैसे परमेश्वर ने उन लोगों को निश्चित रूप से दंडित किया जिन्होंने इस्राएल के लोगों को गुलामी में सताया और पीड़ा दी, और कैसे उसने उन्हें अपने वचन के साथ वादा किया कि वह उन्हें उनके कष्टों से बचाएगा। जैसे पुराने नियम के युग में परमेश्वर ने अपने लोगों से प्रेम किया, वैसे ही अपने बलिदान के द्वारा परमेश्वर ने भी नए नियम के युग में रहने वाले हम सब के प्रति अपने प्रेम को प्रकट किया है। जब उसकी सृष्टि अपने स्वयं के पापों के कारण पीड़ित हैं, तो परमेश्वर ने स्वयं को उनके उद्धारकर्ता के रूप में प्रकट किया है।
परमेश्वर ने अपराधियों को दण्ड इसलिए नहीं दिया कि वह उनसे घृणा करता था, बल्कि इसलिए कि वह उनसे प्रेम करता था और नहीं चाहता था कि वे शापित हों। क्योंकि वे ऐसे शापित मार्ग पर थे, उन्हें दण्ड देना उन्हें बचाने का धर्मी परमेश्वर का तरीका था ताकि वह उन्हें वापिस ला सके और उन्हें उनके शापित अपराधों से बचा सके। ऐसा इसलिए है क्योंकि मनुष्य, जिन्हें परमेश्वर के स्वरुप में बनाया गया था, वे अपने पापों से नहीं फिरे कि परमेश्वर के पास उन्हें उनके त्रुटिपूर्ण मार्ग से मोड़ने के लिए अपनी छड़ी उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। यह परमेश्वर का धर्मी क्रोध था जो उन्हें धन्य मार्ग की ओर ले जाने के लिए था।
इसलिए, परमेश्वर ने अति प्राचीन काल से वादा किया था कि वह स्वयं इस पृथ्वी पर एक स्त्री के वंशज के रूप में उन मनुष्यों को छुड़ाने के लिए आएंगे, जिन्होंने उनके पापों से उनके शत्रुओं का पक्ष लिया था, और बिल्कुल इस वादे के अनुसार, नए नियम के दिनों में, परमेश्वर ने वास्तव में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से व्यक्तिगत रूप से बपतिस्मा लेने के द्वारा अपने स्वरुप में बनाए गए मानव जाति के सभी पापों को सहन किया। इस बपतिस्मा के द्वारा, यीशु मसीह संसार के सारे पापों को एक बार और हमेशा के लिए धो सकता था। अपने क्रूस पर चढ़ने के साथ, यीशु ने पाप के उस दंड को भी सहा जिसे मानवजाति को उठाना चाहिए था, और मृतकों में से फिर से जी उठकर, वह अब हमारा उद्धारकर्ता बन गया है। वह इस पृथ्वी पर अपने लोगों को उनके पापों से बचाने के लिए खोजते हुए आया था, और उसने इस उद्धार को अपने पिता परमेश्वर को उनके पापबलि के रूप में बलिदान करके पूरा किया। यह पापों की क्षमा है जिसे प्रभु ने स्वर्ग के राज्य के महायाजक के रूप में स्वयं को ठीक उसी तरह बलिदान करके पूरा किया जैसा उन्होंने वादा किया था। इस तरह, यीशु ने मानव जाति के उद्धार का वादा किया था, और इस वादे को ठीक उसी तरह पूरा करने के लिए जैसा उसने वादा किया था, उसने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया और क्रूस पर चढ़कर मानव जाति के पापों की सारी कीमत चुकाई। 
यह यीशु मसीह द्वारा किए गए प्रायश्चित के बलिदान के कारण है कि परमेश्वर ने अब आपको और मुझे बचाया है। यीशु का बपतिस्मा, उसका क्रूस पर चढ़ना, और क्रूस पर उसकी मृत्यु प्रायश्चित का स्वर्गीय बलिदान था जिसे उसने अभी आपके और मेरे लिए अर्पण किया है। इसलिए, स्वर्ग में परमेश्वर की दृष्टि में, आपका और मेरा उद्धार उस प्रायश्चित के माध्यम से पूरा हुआ है जो यीशु ने हमारे लिए किया था। उद्धार का वचन पानी और आत्मा के सच्चे सुसमाचार के वचन के रूप में पूरा हुआ, और यही वह सत्य है जिसके बारे में यीशु बोल रहा है। यह सत्य उद्धार की जीवित सांस का निर्माण करता है जिसे परमेश्वर ने हम सब पर फूंका है, जो पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन के द्वारा आया है। और हम सब के लिए सच्चाई यह है: यदि हम पानी और आत्मा के उस सुसमाचार के वचन को सुनें और उस पर विश्वास करें जिसे परमेश्वर ने हमारे लिए तैयार किया है—अर्थात् संसार के सारे पापों से उद्धार का समाचार—तो हमें हमारे सभी पापों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल सकता है।
 


वे लोग जो अपने पापों के कारण दुखी हृदय के साथ जी रहे हैं


आज, मसीहियों में भी, ऐसे बहुत से लोग हैं जिनका जीवन उनके द्वारा किए गए अपराधों से पीड़ित है। उनमें से कुछ आहत हृदय के साथ जी रहे हैं, यह सोचते हुए कि उन्हें परमेश्वर द्वारा त्याग दिया गया है क्योंकि वे न चाहते हुए भी पाप कर सकते हैं। क्या आप सोचते हैं कि परमेश्वर ने आपको त्याग दिया है क्योंकि वह आपसे पाप करने के लिए घृणा करता है? नहीं, ऐसा नहीं है! आप ऐसा केवल इसलिए सोचते हैं क्योंकि आपकी आत्मा आहत है और इस तथ्य से पीड़ित है कि आप अपनी इच्छा के विरुद्ध पाप करते हैं। हृदय के जो घाव पापों के कारण लगे हैं, वे इस संसार में किसी औषधि से नहीं भरे जा सकते। तो क्या इसका मतलब यह है कि दिल के ये घाव कभी नहीं भर सकते? नहीं, वे अभी भी ठीक हो सकते हैं!
इस समय आप जो दिल का दर्द सह रहे हैं, वह अज्ञानता के दर्द से है, क्योंकि आप इस सच्चाई को नहीं जानते हैं कि हमारे प्रभु ने पहले ही आपके सभी पापों को पानी और आत्मा से धो दिया है। क्या आपने कभी अपने जीवन काल में पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन को सुना और उस पर विश्वास किया है? आपने शायद नहीं किया है, कम से कम आज तक तो नहीं। पाप से उद्धार का सत्य पानी और आत्मा का सुसमाचार है जिसे परमेश्वर के वचन से समझा जा सकता है। यह पानी और आत्मा के बारे में सच्चाई है जिसे आज की सांसारिक ईसाई धर्म में नहीं सुना जा सकता है। यदि आप अपने हृदय के घावों को चंगा करना चाहते हैं, तो आपको पूरे हृदय से पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन पर विश्वास करना चाहिए जो वास्तव में आपको चंगा कर सकता है। ऐसा करने के लिए, आपको परमेश्वर की उपस्थिति में आना चाहिए, उद्धार के सत्य को सुनना चाहिए जो पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन में है, और इस सत्य को समझे। तभी आप अपने घावों से ठीक हो सकते हैं।
यदि आप पानी और आत्मा के परमेश्वर के द्वारा दिए गए सुसमाचार को अपने हृदय में स्वीकार नहीं करते हैं, तो आप अपने घायल हृदय के साथ जीने और अपने पापों से पीड़ित होने के अलावा कुछ नहीं कर सकते। तब आप पापों की उस आशीषित क्षमा को प्राप्त करने में सक्षम नहीं होंगे जो प्रभु दे रहा है। न ही आप इस पृथ्वी पर किसी भी शांति और खुशी का आनंद लेने में सक्षम होंगे जो अन्यथा आप प्रभु में आनंद ले सकते हैं। छुड़ाए हुए लोगों की तरह खुशी से जीना असंभव होगा। यद्यपि सभी मनुष्य परमेश्वर के स्वरुप में बनाए गए अनमोल प्राणी हैं, फिर भी परमेश्वर की दृष्टि में मनुष्य से अधिक दयनीय कुछ भी नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यदि वे पापों की क्षमा में विश्वास नहीं करते हैं जो परमेश्वर उन्हें पानी और आत्मा के सुसमाचार के माध्यम से प्रदान कर रहा है और उनकी संतान बनने के लिए उनकी आशीष को अस्वीकार करते हैं, तो उनके पाप का दंड उसी के अनुसार बढ़ेगा। यदि आप धनी होते तो यह बहुत अच्छा होता, लेकिन क्या आपका धन आपके जीवन को उतना सुखी बना सकता है जितना कोई नया जन्म पाया हुआ और भ्रम से मुक्त हुआ व्यक्ति है? शक्ति होना बहुत अच्छा होगा, लेकिन क्या आपको लगता है कि आप उन लोगों की तरह खुशी से जीने में सक्षम होंगे जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते हैं और परमेश्वर की इच्छा की सेवा करते हैं?
बहुत पहले जब मैं एक बच्चा था, मैं एक चीनी गाना सुनता था। एक समय था जब हांगकांग के गाने कोरिया में काफी लोकप्रिय थे। गाने का शीर्षक "सुसन्ना" है और इसके बोल कुछ इस तरह हैं: "पश्चिम की पहाड़ियों पर सूरज ढलता है, और दिन खत्म हो जाता है। क्या पत्ते सूखे हैं? पतन केवल गहरा होता है। यह गीत सुज़ाना नाम की एक लड़की के बारे में गाया गया था जो कैंसर से पीड़ित थी और आखिरी शेष शरद ऋतु के पत्तों के गिरने पर उसकी मृत्यु होने वाली थी। बची हुई कुछ पत्तियाँ कभी भी गिर सकती थीं और इन पत्तों की अनिश्चितता लड़की की नियति के समान थी। गीत का कोरियाई में अनुवाद किया गया था, और गीत एक कोरियाई गायक द्वारा गाया गया था। यह बहुत ही उदास गाना था। "पत्ते गिर रहे हैं, जीवन एक अर्थहीन यात्रा है।" जैसा कि मुझे याद है, इस गाने की लड़की बहुत अमीर थी। उसके पास दुनिया की सारी दौलत और ऐश्वर्य था, लेकिन उसकी बीमारी ने उसे पतझड़ के पत्तों की तरह खतरनाक बना दिया। जब पेड़ पर आखिरी पत्ता गिरा तो उसकी जिंदगी भी खत्म हो गई। यह जीवन के नितांत खालीपन के बारे में गाता हुआ एक उदास गीत है।
इस तरह, अपने पापों को बरकरार रखते हुए जीना एक घायल दिल के साथ दुःख में जीना है और केवल मृत्यु की प्रतीक्षा करना है। इस संसार में हर पापी पाप से आहत हृदय के साथ जी रहा है। जिस किसी के भी पाप उसके हृदय में रहते हैं, उसे कभी भी कोई सुख नहीं मिल सकता, चाहे वह कितना भी जीवित क्यों न हो। अपने पापों से आहत, ऐसे लोग केवल अंत में मृत्यु तक पहुँचने के लिए पीड़ा और दर्द से भरे हुए हैं।
जिनके मन अभी भी पापी हैं उन्हें अपने पापों के लिए मरना चाहिए, जैसा कि बाइबल कहती है, "पाप की मजदूरी मृत्यु है" (रोमियों 6:23)। हालाँकि, हम सभी को यहाँ जो समझना चाहिए वह यह है कि यीशु मसीह आपके और मेरे सभी पापों को उठाने के लिए यरदन नदी गए और यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा उन्हें हमेशा के लिए स्वीकार कर लिया। इस संसार के सभी पापों को अपने शरीर पर उठाने के बाद, यीशु उन्हें क्रूस पर ले गए, आपके स्थान पर मरे और हमारे पापों के लिए मेरे, मरे हुओं में से जी उठे, और इस प्रकार हमारे उद्धारकर्ता बन गए। आज, प्रभु आप में से प्रत्येक के साथ चलना चाहता है जो एक घायल मन से अपने पापों के लिए रो रहे हैं। यह प्रभु यीशु मसीह के अलावा और कोई नहीं है जिसने अपने बपतिस्मा के द्वारा आपके पापों को उठा लिया, क्रूस पर मृत्यु के लिए अपना लहू बहाया, और मरे हुओं में से जी उठा।
यीशु मसीह उन सभी का उद्धारकर्ता बनना चाहता है जिनके हृदय अभी घायल और पीड़ित हैं। वह आपका मित्र बनना चाहता है, और वह आपके साथ चलना चाहता है। और प्रभु तुम से कह रहा है, “क्या तुम अपने पापों के कारण घायल और दु:खित हो? मैंने उन सभी पापों को उठाने के लिए यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लिया था। यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त बपतिस्मा के द्वारा, मैंने तुम्हारे सारे पापों को एक बार और हमेशा के लिए अपने ऊपर ले लिया। फिर तुम उस बपतिस्मा की उपेक्षा क्यों करते हो जो मैंने तुम्हारे लिये लिया था? मैं चाहता हूँ कि तुम वास्तव में उस बपतिस्मा का अर्थ समझो जो मैंने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त किया था। मैं चाहता हूं कि आप इस तथ्य से मुंह न मोड़ें कि मैंने इस बपतिस्मा के द्वारा आपके पापों का बोझ उठा लिया। यह जानते हुए कि इस पृथ्वी पर आपका जीवन आपके पापों के कारण दुख और आंसुओं से भरा होगा, मैंने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त बपतिस्मा के माध्यम से आपके प्रत्येक पाप को स्वीकार किया और उन्हें मिटा दिए। तो क्यों तुम मेरे धर्मी कार्य पर पूरे हृदय से विश्वास नहीं करते जिसने तुम्हें तुम्हारे सारे पापों से बचाया है, और तुम मुझे अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार क्यों नहीं कर रहे हो?” प्रभु आपको इस प्रकार डाँट रहा है।
प्रत्येक व्यक्ति जीवन की चार मूलभूत अवस्थाओं को देखता है: जन्म, बुढ़ापा, बीमारी और मृत्यु। एक बार जन्म लेने के बाद, सभी मनुष्यों को बूढ़ा होना, बीमार होना और अंत में मरना चाहिए। यह मानव जाति का भाग्य है। लगभग हर बच्चा जल्दी से बूढ़ा होना चाहता है, लेकिन एक बार जब लोग 30 के दशक में पहुंच जाते हैं, तब से समय केवल एक तेज रफ्तार कार की तरह तेजी से गुजरता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है समय तेजी से बढ़ता है। जब हम केवल 30 वर्ष के होते हैं, तो ऐसा महसूस होता है कि हम 30 किमी/घंटा की गति से गाड़ी चला रहे हैं, लेकिन जब हम 40 वर्ष के होते हैं, तो ऐसा महसूस होता है कि हम 40 किमी/घंटा की गति से गाड़ी चला रहे हैं। जैसे-जैसे हम 50, 60, 70, और आगे बढ़ते हैं, गति बढ़ती ही जाती है, और अंतत: हम पाते हैं कि हम गति सीमा से ऊपर जा रहे हैं और 80, 90 किमी/घंटा की गति से उड़ रहे हैं। यह जीवन का एक तथ्य है कि हम जितने बड़े होते जाते हैं, समय उतनी ही तेजी से भागता है।
इस तरह, मानव अस्तित्व क्षणभंगुर कोहरे से अलग नहीं है। जीवन कुछ भी नहीं है। यही कारण है कि आपको यह समझना चाहिए कि यीशु मसीह पापियों को बचाने के लिए इस पृथ्वी पर आए, और आपको इसलिए विश्वास करना चाहिए कि उन्होंने अपने बपतिस्मा और लहू से आपके सभी अपराधों को मिटा दिया है। तब आप भी, अपने सारे पापों से छुटकारा पा सकते हैं और प्रभु के साथ चल सकते हैं। आप सभी जो पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर विश्वास करते हैं परमेश्वर की कलीसिया के लिए धन्यवाद दीजिए की हमेशा के लिए आप प्रभु के साथ चलने के लिए धन्य हो गए हैं। हाल्लेलूयाह!
 


हमारे सभी दुखी जीवनों का सच्चा उद्धारकर्ता यीशु है


हमारा दुखी जीवन आशा से रहित था, लेकिन क्योंकि परमेश्वर ने हमें अपने स्वरुप और समानता में बनाया, उसने हमारी देखभाल करने, हमें हमारे सभी पापों से बचाने, और हमें अनंत जीवन देने के बारे में सोचा। तब परमेश्वर ने उद्धार के इस कार्य को प्राप्त किया, ताकि वह अपने लोगों के सभी पापों को अपने कार्य से मिटा सके और उन्हें अपने राज्य में प्रवेश करने और उसमें रहने के योग्य बना सके। यह वह योजना है जो परमेश्वर ने हमारे लिए बनाई है, और यह हमारे लिए उसका संपूर्ण हृदय प्रेम भी है। इसलिए, जैसा कि हमने आज के पवित्रशास्त्र के भाग में देखा, जब यहेजकेल ने परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार भविष्यवाणी की और सूखी हड्डियों में सांस फूंक दी गई, तो वे एक साथ आए, नसें और मांस उन पर दिखाई दिए, और वे फिर से एक बड़ी सेना की तरह खड़े हो गए। यह उस समय के समान था जब मनुष्य जीवित हो गया था जब परमेश्वर ने उसे भूमि की मिट्टी से बनाया था और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूँक दिया था। उसी तरह से, हमारे परमेश्वर हमें यहाँ बता रहे हैं कि उन्होंने हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वासी बनाया है और हमारे सारे पापों को मिटाकर और हमें अपनी आत्मा का उपहार देकर फिर से जीवित कर दिया है।
जिस दिन से हम इस संसार में पैदा हुए हैं, उस दिन से हमने अपने पूर्वजों से विरासत में मिले पापों के कारण, हम आत्मिक रूप से पहले ही मर चुके थे। जिस समय से हम इस धरती पर पैदा हुए हैं, हमारे जीवन पहले से ही हमारे पापों के कारण परमेश्वर से बहुत दूर चले गए थे। हम सभी अपरिहार्य नियति के साथ पैदा हुए थे जिसने हमें परमेश्वर से अलग होने और श्रापों के अधीन रहने के लिए अभिशप्त किया। क्योंकि सभी मनुष्य अपने स्वभाव से पापियों के रूप में पैदा हुए हैं, वे सभी अपने शेष जीवन के लिए पापियों के रूप में जीने के लिए नियत हैं, केवल उनके जीवन के अंत में उनके पापों के लिए न्याय किया जाना है और उस स्थान पर जाना है जहाँ हर पापी जाता है। इस तरह, क्योंकि हर कोई परमेश्वर के खिलाफ खड़े होने के लिए एक विद्रोही हृदय के साथ पैदा हुआ है और अनिवार्य रूप से पापी है, आप और मैं केवल तभी बचाए जा सकते हैं जब हम अपने हृदय से पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन पर विश्वास करते हैं, जिससे यीशु मसीह ने हमारे सारे पाप एक बार और हमेशा के लिए मिटा दिए है। जो अन्यथा इस सुसमाचार में विश्वास नहीं करते हैं वे अपने पापों के लिए अपने अपराधों की मजदूरी के रूप में दण्डित किए जाएंगे।
यह इसलिए है क्योंकि मनुष्य इस संसार में परमेश्वर का विरोध करने के लिए एक विद्रोही हृदय के साथ पैदा हुए हैं कि वे स्वत: ही उसके विरुद्ध खड़े हो जाते हैं। यही कारण है कि पूरी मानवजाति बिना किसी कारण के पवित्र, धर्मी और दयालु परमेश्वर के विरुद्ध स्वत: ही खड़ी हो जाती है। फिर भी, भले ही मनुष्य परमेश्वर के खिलाफ इस तरह लगातार विद्रोह कर रहे हैं, फिर भी परमेश्वर ने उन्हें पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा खोजा है, और वह उनसे कह रहा है, “तुम्हें बनाने से बहुत पहले, मेरे पास पहले से ही एक उद्धार की योजना थी ताकि मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूं।”
 

प्रश्न बहुत से लोग परमेश्वर से पूछ रहे हैं

कुछ लोग पूछते हैं, "जब परमेश्वर ने आदम और हव्वा को बनाया, तो क्या वह पहले से जानता था कि शैतान उन्हें धोखा देगा?" इस तरह के एक प्रश्न के लिए परमेश्वर का उत्तर इस प्रकार है: "शैतान का प्रकट होना जिसने आदम और हव्वा को प्रलोभित किया, उनका उसके धोखे में गिरना, और परिणामस्वरूप मानवजाति को हुई पीड़ा, सभी को मेरे विधान के तहत अनुमति दी गई थी। ये चीजें मानव प्राणियों को मेरे अपने लोग और संतान बनाने की पूर्व शर्त को पूरा करने के लिए था। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, मैं एक मनुष्य के रूप में इस पृथ्वी पर आऊंगा और आदम और हव्वा के पापों को, और उनके वंशजों के पापों को, अपने बपतिस्मा और क्रूस पर अपने लहू के द्वारा एक ही बार में मिटा दूंगा। यह सब पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन में निहित है जिसे मैंने आपके लिए तैयार किया है। मैंने सब कुछ पूरा कर लिया है ताकि तुम इस सत्य पर विश्वास करके मेरी संतान बन सको। यह आप सभी को समझना चाहिए।
यदि परमेश्वर ने प्रत्येक मनुष्य को बिना किसी शर्त के अपना पुत्र या पुत्री बनाया होता, तो परमेश्वर द्वारा बनाए गए अन्य सभी प्राणियों ने उग्र विरोध किया होता। मनुष्य और गैर-मनुष्य समान हैं, सभी जीव एक समान हैं क्योंकि वे सभी परमेश्वर द्वारा बनाए गए हैं, इसलिए यदि परमेश्वर को केवल मनुष्यों के लिए विशेष उपचार देना होता, तो वह अपने सभी प्राणियों के साथ समान व्यवहार नहीं कर रहा होता। तब परमेश्वर की उसके प्राणियों द्वारा निंदा की जाती। यदि परमेश्वर ने इस तरह बिना शर्त और एकतरफा विशेष व्यवहार के लिए मानव जाति को चुना होता, तो अन्य प्राणी उसका विरोध करते क्योंकि वे इसे अनुचित मानते। इसलिए, जैसा कि मनुष्यों को परमेश्वर के स्वरुप और समानता में बनाया गया था, परमेश्वर ने उन्हें अपने लोग बनाने के लिए उद्धार की एक महान योजना स्थापित की, और उन्होंने कहा कि जो कोई भी पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करता है, उसे वह उद्धार देगा।
यही कारण है कि परमेश्वर ने अपने पुत्र यीशु को मानवजाति को उनके पापों से बचाने के लिए तैयार किया था, यह जानते हुए कि पतित स्वर्गदूत उन्हें धोखा देगा और उन्हें अपने विरुद्ध कर देगा। और यह यीशु मसीह में है कि परमेश्वर ने मनुष्यजाति को पाप करने की अनुमति दी। यह ऐसे पापियों के सारे अपराधों को दूर करने और विश्वासियों को अपने लोग बनाने के लिए किया गया था। ऐसा करने के लिए, यीशु को स्वयं सभी के पापों को उठाना पड़ा और उनकी मजदूरी चुकानी पड़ी। इसलिए पिता परमेश्वर ने कहा कि वह अपने पुत्र को इस धरती पर भेजकर हर पाप को मिटा देगा।
जब मानव जाति पाप में गिर गई, तो परमेश्वर ने अपने वचन से वादा किया कि यीशु स्वयं एक मनुष्य के रूप में आएंगे और पानी और आत्मा के बचाने वाले सत्य के द्वारा उन्हें उनके सभी पापों से छुटकारा दिलाएंगे। और वाचा के प्रत्येक वचन को पूरा करने के लिए परमेश्वर ने मानव जाति से वादा किया था, यीशु व्यक्तिगत रूप से इस पृथ्वी पर एक कुंवारी के शरीर के माध्यम से मनुष्य के शरीर में अवतरित हुए, और उन्होंने ३० वर्ष की उम्र में यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा मानव जाति के सभी पापों को स्वीकार किया और शुद्ध किया। उन सभी के लिए जो इस सत्य पर विश्वास करते हैं और अपने सभी पापों से शुध्ध होना चाहते हैं, यीशु ने जो बपतिस्मा लिया था उसमें उनके हर पाप से शुद्ध करने के लिए कोई कमी नहीं थी। प्रभु ने उद्धार के कार्य को पूरी तरह से और सम्पूर्ण रीती से पूरा किया, ताकि जो कोई भी पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन को स्वीकार करता है उसे सभी पापों से छुटकारा पाने और परमेश्वर की अपनी संतान बनने के लिए कोई कमी न हो। उद्धार का कार्य जिसे यीशु ने व्यक्तिगत रूप से पूरा किया, वह सब पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन में लिखा हुआ है।
क्योंकि यीशु ने बपतिस्मा के साथ मानवजाति के पापों को अपने कंधों पर उठाया और उन्हें क्रूस तक ले गए, और क्योंकि उन्होंने क्रूस पर अपना लहू बहाया और मृतकों में से जी उठे, इस बिंदु से प्रभु ने उन सभी को उद्धार तक पहुच ने की अनुमति दी है जो उनके उद्धार के कार्य में विश्वास करते हैं फिर चाहे उन्होंने किसी भी प्रकार का पाप क्यों न किया हो। यह सत्य उद्धार का विधान है जिसे परमेश्वर ने समस्त मानवजाति के लिए स्थापित किया है। तब, आपके साथ क्या होगा यदि आप पानी और आत्मा के इस सुसमाचार विधान पर विश्वास करने से इनकार करते हैं जो परमेश्वर द्वारा योजना बनाई गई है, सिर्फ इसलिए कि यह आपकी पसंद के अनुसार नहीं है? उद्धार आपकी पहुंच से बाहर होगा। परमेश्वर ने पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन को पूरा किया है क्योंकि वह हमें हमारे सभी पापों से बचाना चाहता है और हमें अपनी संतान बनाना चाहता है, और हमें अब इस वचन पर अपने हृदय से विश्वास करना चाहिए और इस प्रकार पापों की क्षमा प्राप्त करनी चाहिए। यदि हम उद्धार के इस सत्य पर विश्वास नहीं करते तो हमारे हृदय की क्या स्थिति होती? हम फिर भी पापी बने रहेंगे।
फिर आप निम्नलिखित रूप में पूछ सकते हैं: "तो फिर परमेश्वर ने शुरुआत में ही एक पापरहित संसार क्यों नहीं बनाया?" यह इसलिए है क्योंकि परमेश्वर ने अपने सभी प्राणियों को वास्तव में स्वतंत्र इच्छा दी थी, और वह इसका सम्मान करना चाहता था। अपने प्राणियों को स्वतंत्र इच्छा प्रदान करने के बाद, परमेश्वर इसे उनसे दूर नहीं करना चाहता था। और यीशु इस पृथ्वी पर अपने पिता परमेश्वर की आज्ञा मानने के लिए आया था, और वह यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेकर मानवजाति को इस संसार के पापों से शुद्ध और मुक्त करना चाहता था। परमेश्वर ने हमसे वादा किया, "शैतान ने तुम्हें संसार के पापों के द्वारा मुझ से अलग किया है, परन्तु मैं तुम्हें संसार के पापों और तुम्हारे न्याय के कामों से छुड़ाऊंगा।" परमेश्वर की ओर से उद्धार के इस वादे को पूरा करने के लिए, समय आने पर, यीशु मसीह व्यक्तिगत रूप से मरियम के शरीर के माध्यम से मनुष्य के शरीर में अवतार लेकर इस पृथ्वी पर आए, और 30 वर्ष की आयु में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर, उसने प्रत्येक मनुष्य के द्वारा किए गए सभी पाप को उठा लिया। 
यीशु मसीह तब इस संसार के सारे पापों को क्रूस पर ले गया, और उसने अपना बहुमूल्य लहू बहाकर मृत्यु के लिए मानवजाति के प्रत्येक पाप का दण्ड उठाया। क्योंकि यीशु ने संसार के पापों को उठा लेने के लिए बपतिस्मा लिया था, उसने क्रूस पर कहा, "पूरा हुआ!" वह तब मृतकों में से जी उठा। हममें से जो इस सत्य में विश्वास करते हैं, उनमें नई जान फूंकने के लिए, हमारे प्रभु हमें आत्मा का उपहार देने के लिए प्रसन्न थे।
यह तथ्य कि प्रभु ने हमें इस संसार के पापों से बचाया है, उन सभी के लिए सबसे खुशी की खबर है जो अपने हृदय में पानी और आत्मा के सुसमाचार सत्य को स्वीकार करते हैं जिसे प्रभु ने इस पृथ्वी पर आने पर पूरा किया। पानी और आत्मा का सुसमाचार हमें उन सभी पापों से मुक्त करता है जो हम इस संसार में करते हैं, और यीशु ने पवित्र आत्मा को उद्धार के उपहार के रूप में उनको दिया है जो इस सुसमाचार पर विश्वास करता है। हमारा परमेश्वर उन सभी को पवित्र आत्मा का उपहार देना चाहता है जो उसके वचन पर विश्वास करके पानी और आत्मा के सुसमाचार को स्वीकार करते हैं, और वह चाहता है कि वे उसकी उपस्थिति में रहें। यह उद्धार की योजना है जिसे परमेश्वर ने हमारे लिए और पूरी मानव जाति के लिए स्थापित किया है, और यह उद्धार की पूर्णता भी है जिसे यीशु मसीह ने पूरा किया जब वह इस पृथ्वी पर आया। त्रिएक परमेश्वर ने स्वयं यीशु में उद्धार की इस सारी योजना को बनाया और पूरा किया।
क्या अब आप विश्वास के द्वारा हम मनुष्यों के लिए परमेश्वर के प्रेम को स्वीकार करेंगे? क्या अब आप परमेश्वर की सृष्टि की योजना को समझ सकते हैं जो उसने यीशु में बनाई थी? जब परमेश्वर पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने वालों में आत्मा की जीवित सांस फूंकता है, तब हम अपने सारे पापों से बचाए जाते हैं।
 


यीशु ने उन्हें सच्ची आशा दी है जो अपने पापों के कारण निराश हैं


यीशु ने सभी पापियों को उद्धार की आशा दी है, और निराश लोगों को सच्ची आशा दी है। उसने उन सभी को सच्चा उद्धार और स्वर्ग दिया है जो अपने पापों के लिए नरक की ओर जा रहे हैं, और उसने पानी और आत्मा का सुसमाचार वचन यानी पापों की क्षमा का सुसमाचार, उन सभी को दिया है जो अपने पापों से पीड़ित हैं। जो लोग शैतान के गुलाम हैं, उन्हें प्रभु ने पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन पर विश्वास करने के द्वारा परमेश्वर के सेवक बनने के लिए विश्वास का अवसर दिया है। यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेने और क्रूस पर अपना लहू बहाने के बाद, यीशु ने कहा, "पूरा हुआ," और फिर वह मर गया।
यीशु अपने बपतिस्मा और क्रूस पर कह रहा था कि उसने अब सभी पापों से मानवजाति के उद्धार को पूरा कर लिया है। सभी के लिए, पाप का अर्थ है परमेश्वर से अलग होना। इसलिए, हमारे स्वभाव से पापी होने के नाते, हमें विश्वास करना चाहिए कि पानी और आत्मा का सुसमाचार वचन जो यीशु ने हमारे लिए पूरा किया है वह हमारा उद्धार है। हमें यह समझना चाहिए कि अब हमारे लिए परमेश्वर के साथ अपने टूटे हुए रिश्ते को बहाल करने और विश्वास के माध्यम से उसके साथ बातचीत साझा करने का एक तरीका है। परमेश्वर ने अपने वचन के द्वारा हम से बात की है कि उसने हमारे लिए क्या किया है, और इस वचन के द्वारा हम विश्वास के द्वारा अपने उद्धार तक पहुँच सकते हैं। परमेश्वर कह रहा है कि उसने हम विश्वासियों पर नए जीवन की सांस फूंकी है।
क्या अब आप सत्य के वचन पर विश्वास करते हैं, कि आपकी आत्मा, जो पहले मर चुकी थी, पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन में आपके विश्वास के द्वारा अब मृत्यु से नया जन्म पाई है? अब इस सच्चाई पर विश्वास करें कि यीशु ने अपने पानी और लहू से मानवजाति को उनके पापों से छुड़ाया है। यदि आप पापों की क्षमा के उद्धार देनेवाले वचन, पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर विश्वास करते हैं, तो आप विश्वास के द्वारा अपने सारे पापों से छुटकारा पाएंगे। तब आप समझेंगे कि जैसे आप विश्वास करते हैं, वैसे ही आपके सारे पाप पहले ही पूरी तरह से गायब हो चुके हैं। यीशु मसीह, स्वयं परमेश्वर, ने अब हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार सत्य के माध्यम से संसार के पापों से बचाया है, लेकिन जब तक हम इस सत्य को समझते नहीं, तब तक हमारे लिए अपनी आत्मिक मृत्यु से उठना और नया जन्म पाना हमेशा के लिए असंभव होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपकी और मेरी आत्मा इस दुनिया में पैदा होने से बहुत पहले ही मर चुकी थी।
दुनिया में जब हम फिल्मी सितारों की जिंदगी देखते हैं तो ऐसा लगता है कि वे बिना किसी चिंता के ग्लैमरस जिंदगी जी रहे हैं। हालाँकि, ऐसे लोगों में भी कमियाँ होती हैं, इसलिए वे अपने जीवन में कठिनाइयों में भी भागते हैं, और जब उनके जीवन की परिस्थिति थोड़ी सी भी बिगड़ जाती है तब वे कभी-कभी गलत निर्णय भी ले लेते हैं। लोगों का जीवन एक दूसरे से बहुत अलग नहीं है। परमेश्वर द्वारा बनाए गए मैदान में घास केवल रातोंरात मुरझाने के लिए हरी-भरी दिख सकती है। इसी तरह, परमेश्वर के स्वरुप और समानता में बनाए गए मनुष्य, देह में समृद्ध हो सकते हैं, लेकिन जब वे बीमार पड़ते हैं या उनके व्यवसाय विफल हो जाते हैं तो वे आसानी से खुद को अत्यधिक कठिनाइयों से जूझते हुए पा सकते हैं या रातों-रात बर्बाद हो सकते हैं।
दुख की बात है कि कुछ लोग बहुत कम उम्र में ही मर जाते हैं, जिससे उनके प्रियजनों को बहुत दुख होता है। किसी ऐसे व्यक्ति के लिए यह दुर्लभ नहीं है जो बाहर से पूरी तरह से स्वस्थ दिखता है और अचानक किसी अप्रत्याशित बीमारी से मर जाता है। इसलिए, यह देखते हुए कि जीवन कितना जोखिम भरा है, हमें पानी और आत्मा के परमेश्वर द्वारा पूर्ण किए गए सुसमाचार वचन पर विश्वास करना चाहिए और जब भी हमें मौका मिले पापों की माफ़ी प्राप्त करनी चाहिए। तभी हम खुश रह सकते हैं और तभी हम दूसरा जीवन जी सकते हैं। और हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके अब अपने विश्वास को अगली दुनिया के लिए तैयार करना चाहिए, ताकि जब इस संसार में हमारा जीवन समाप्त हो जाए, तो हम स्वर्ग में प्रवेश कर सकें, जिसमें केवल विश्वास के द्वारा प्रवेश किया जा सकता है।
परमेश्वर ने कहा कि जब उसने हमें मनुष्य बनाया, तो उसने हमें अपने स्वरूप के अनुसार बनाया। यह तथ्य कि परमेश्वर ने हमें अपने स्वरूप के अनुसार बनाया है, इसका अर्थ है कि उसने हमें इसलिए बनाया है कि हम उसके साथ उसके राज्य में सदा ख़ुशी से रहें। परमेश्वर ने हमें केवल हमारे साथ खिलौनों की तरह खेलने के लिए नहीं बनाया है, बल्कि उसने हमें एक उद्देश्य के साथ बनाया है, ताकि हम हमेशा उसके साथ रह सकें। समस्या यह है कि हम मनुष्य परमेश्वर की इस योजना से बेखबर हैं, और जब चीजें हमारे मुताबिक़ नहीं होती और नाश हो जाती हैं तब हम केवल पवित्र परमेश्वर के खिलाफ खड़े होने के लिए अपनी ताकत पर भरोसा करके जी रहे हैं।
भले ही मनुष्य इस दुनिया में परमेश्वर के कारण पैदा हुए हैं, फिर भी वे बिना यह जाने कि परमेश्वर ने उन्हें किस उद्देश्य के लिए बनाया है, अपने जीवन को जी रहे है। यही समस्या है। हम अपने जीवन में ठीक इसलिए असफल होते हैं क्योंकि हम अपने सृष्टिकर्ता परमेश्वर के उद्देश्य को जाने बिना मूर्खतापूर्वक अपने जीवन के तरीके पर जोर देते हैं। समस्या यह है कि हम यह नहीं जानते हुए कि हमारे परमेश्वर ने पहले से ही हमारे लिए अनगिनत आशीषें तैयार की हैं हम विश्वास से नहीं जी रहे हैं, और न ही पानी और आत्मा के सुसमाचार को समझ रहे हैं, वह उद्धार जो परमेश्वर के पुत्र ने हमें दिया है।
इसलिए, हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर विश्वास करके अपने हृदय में पापों की क्षमा प्राप्त करनी चाहिए, यह घोषणा करते हुए कि यीशु मसीह हमारे सृष्टिकर्ता और उद्धारकर्ता ने हमारे सभी पापों को एक बार और हमेशा के लिए मिटा दिया है, ताकि जब वह हमें बुलाए, हम सब उसके साथ उसके राज्य में रह सकते हैं। इसलिए, हमारे लिए यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि इसका क्या मतलब है जब बाइबल कहती है कि हमें परमेश्वर के स्वरुप और समानता में बनाया गया है। हमें मानव जाति के उद्धारकर्ता यीशु मसीह के दयालु प्रेम पर विश्वास करना चाहिए, जिसने हमारे पापों को मिटाने के लिए खुद को बलिदान कर दिया; हमें सच्चे विश्वास को पुनः प्राप्त करना चाहिए; और हमें, विश्वास के द्वारा, अपने परमेश्वर के साथ सदा ख़ुशी से रहना चाहिए।
हमें विश्वास करना चाहिए कि मानव जाति के उद्धारकर्ता यीशु मसीह इस पृथ्वी पर आए, मानव जाति के प्रतिनिधि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया गया, ताकि पापियों के अधर्म को एक बार और हमेशा के लिए मिटा दिया जाए, और इस बपतिस्मा के माध्यम से एक ही बार में दुनिया के आपके और मेरे सभी पापों को उठा लिया। और वह संसार के इन पापों को क्रूस तक ले गया। ऐसा इसलिए है क्योंकि यीशु ने मानवजाति के सारे पापों को अपने शरीर पर उठाते हुए अपना लहू बहाया था, इसलिए जब वह मरा तो उसने कहा, "पूरा हुआ।" यीशु ने जो बपतिस्मा प्राप्त किया और जो लहू बहाया उसके द्वारा, यीशु ने इस पृथ्वी पर अपने 33 वर्षों के छोटे जीवन में मानव जाति को बचाने के अपने उद्देश्य को सम्पूर्ण तरीके से पूरा किया। हमारा परमेश्वर हमें बता रहा है कि उसने अपने द्वारा बनाए गए सभी मनुष्यों में पापों की क्षमा की नई जीवित सांस फूंकी है।
 


जो मसीह में है वह नई सृष्टि है


नए नियम में 2 कुरिन्थियों 5:17 में लिखा है: “यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है; पुरानी बातें बीत चुकी हैं; देखो, सब कुछ नया हो गया है।” पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन पर विश्वास करने के द्वारा जो प्रभु ने हमें दिया है, हमारी आत्माओं ने नया जीवन प्राप्त किया है। यदि कोई इस पृथ्वी पर पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन के द्वारा किए गए उद्धार के धर्मी कार्य पर विश्वास करता है, तो यह व्यक्ति पापों की अनन्त क्षमा और हृदय में नया जीवन प्राप्त करेगा। अब से, यदि लोग सिर्फ पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर दिल से विश्वास करते हैं, चाहे वे कोई भी हों, वे सभी अपने पापों से बचाए जा सकते हैं और अपनी मृत्यु से उठने और फिर से जीने के लिए परमेश्वर से नया जीवन प्राप्त कर सकते हैं।
इसलिए मैं आपसे यह विश्वास करने का आग्रह करता हूं कि यीशु मसीह स्वयं परमेश्वर है, और वह सृष्टिकर्ता है जिसने आपको और मुझे बनाया है। और मैं आपसे अपने दिल में यीशु मसीह द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार सत्य को स्वीकार करने के लिए कहता हूं, ताकि आप अपने लिए अनुभव कर सकें कि कैसे यीशु आप में नया जीवन फूंकेंगे। यह सत्य पानी और आत्मा के सुसमाचार के रूप में प्रकट हुआ है, इसलिए इस सुसमाचार पर विश्वास करें। यदि आप अब पानी और आत्मा के इस सुसमाचार के वचन को अपने हृदय से सुनते हैं और उस पर विश्वास करते हैं, तो आप अपने हृदय के सभी पापों से क्षमा प्राप्त करेंगे, नया जीवन प्राप्त करेंगे, और परमेश्वर की दृष्टि में एक नई सृष्टि बनेंगे। कोई व्यक्ति जो एक नई सृष्टि बन गया है, वे अपने शेष जीवन को इस तरह से जीएगा जो एक नई सृष्टि होने के योग्य है।
हम सभी वास्तव में प्रभु द्वारा बनाए गए थे, प्रभु ने पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन से हमारे पापों को मिटा दिया है, और इस सुसमाचार पर अपने मन से विश्वास करने के द्वारा हम अपने सभी पापों से बच गए हैं। इसलिए, पूरी दुनिया में हमारे सम्मान और प्यार के लायक कोई और नहीं बल्कि हमारे प्रभु यीशु मसीह हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह हमारा प्रभु है जिसने हमें संसार के सभी पापों से छुड़ाया है, हमें परमेश्वर की सन्तान बनाया है, और हमें आशीष दी है। क्या कोई सुसमाचार है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन से प्यारा है जो प्रभु ने हमें दिया है? पानी और आत्मा के सुसमाचार के अलावा इस संसार में कोई भी सुसमाचार, जैसे कि केवल क्रूस का सुसमाचार, सच्चा सुसमाचार नहीं है। पानी और आत्मा के सुसमाचार की तुलना में, क्रूस का सुसमाचार आधे सुसमाचार से अधिक नहीं है। इस संसार में वास्तविक सुसमाचार पानी और आत्मा का सुसमाचार है जो यह घोषणा करता है कि प्रभु ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लेकर, क्रूस पर अपना लहू बहाकर, और मृतकों में से जी उठकर विश्वासियों को नया जीवन दिया है। पानी और आत्मा के सबसे प्रिय सुसमाचार वचन के अलावा, इस संसार में कोई अन्य सुसमाचार नहीं हो सकता है जो वास्तव में हमारी प्यास बुझा सके।
पूरी मानव जाति के लिए, पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन के अलावा जो प्रभु ने हमें दिया है, कुछ भी कभी भी सच्ची शांति, सच्ची आशीषें और परमेश्वर के साथ अद्भुत संगति नहीं ला सकता है। जब हम पापी थे, यीशु मसीह हमारी खोज में आया और हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन के द्वारा बचाया, और केवल वही हमारा उद्धारकर्ता है। अब हम यह विश्वास करते हुए कि यीशु मसीह हमारा परमेश्वर, हमारा उद्धारकर्ता और हमारे जीवन का सच्चा प्रभु है, हम विश्वास के द्वारा अपने जीवन को आगे बढ़ाने में सक्षम हैं। केवल यीशु मसीह जिसने दुनिया के पापों को मिटा दिया है, वह उद्धारकर्ता है जिसने वास्तव में आपको और मुझे हमारे सभी पापों से छुड़ाया है, और वह अकेला परमेश्वर है जिसने हमें सच्चा उद्धार और वास्तव में नया जीवन दिया है।
जब हमारी आत्मा हमारे पापों के लिए मर गई थी, तब यीशु मसीह हमें जीवन में वापस लाया, और उसने हमें पापों की सच्ची क्षमा और वास्तव में नया जीवन प्राप्त करने का आशीर्वाद दिया है। परमेश्वर ने यहेजकेल 37:12-13 में कहा, “इस कारण भविष्यद्वाणी करके उन से कह, परमेश्‍वर यहोवा यों कहता है: हे मेरी प्रजा के लोगो, देखो, मैं तुम्हारी कबरें खोलकर तुम को उन से निकालूँगा, और इस्राएल के देश में पहुँचा दूँगा। इसलिये जब मैं तुम्हारी कबरें खोलूँ, और तुम को उन से निकालूँ, तब हे मेरी प्रजा के लोगो, तुम जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।“ जो लोग परमेश्वर के वचन के साथ अपने हृदयों को एक किए बिना जीना चाहते हैं, वे पहले उसके पास से दूर हो चुके है। प्रभु ने वादा किया था कि वह मृतकों की कब्रें खोलेंगे, उन्हें उनकी मृत्यु से पुनर्जीवित करेंगे, और पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अनन्त जीवन प्राप्त करने देंगे।
यहेजकेल 37:14 में लिखा है, “मैं तुम में अपना आत्मा समाऊँगा, और तुम जीओगे; और तुम को तुम्हारे निज देश में बसाऊँगा; तब तुम जान लोगे कि मुझ यहोवा ही ने यह कहा, और किया भी है, यहोवा की यही वाणी है।” पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन के साथ, यीशु मसीह ने एक बार और हमेशा के लिए सारे पापों को मिटा दिया है, लेकिन केवल यही उसके कार्य नहीं है। प्रभु ने अपने सभी लोगों को पवित्र आत्मा का उपहार भी दिया है, जिन्होंने पानी और आत्मा के माध्यम से पापों की क्षमा प्राप्त की है, जिससे वे इस पृथ्वी पर अपने जीवन को जारी रखते हुए पवित्र आत्मा के नेतृत्व में चल सकें। इस तरह, ठीक उसी समय जब यीशु मसीह ने पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा हमें हमारे पापों से छुड़ाया, उसने हमारे हृदयों पर पवित्र आत्मा भी डाला ताकि हमारा जीवन हमेशा के लिए आत्मा के द्वारा संचालित हो सके।
ऐसी सभी आशीषें हममें से उन लोगों के लिए परमेश्वर का सच्चा विधान हैं जो अब पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते हैं। जब परमेश्वर ने यहाँ कहा, “मैं तुम में अपना आत्मा डालूँगा, और तुम जीवित रहोगे,” तो वह अपने वचन से प्रतिज्ञा कर रहा था कि वह हमारे हृदयों को पवित्र आत्मा का उपहार देगा ताकि हम उसके साथ सदा के लिए जीवित रह सकें। परमेश्वर ने कहा, "मैं तुम में अपना आत्मा डालूंगा, और तुम जीवित रहोगे।" इसके सिवा और कोई परमेश्वर की इच्छा नहीं है। यदि हम पाप की क्षमा के परमेश्वर द्वारा दिए गए सुसमाचार के वचन पर विश्वास करते हैं, तो हम निश्चित रूप से पवित्र आत्मा का उपहार अपने हृदयों में प्राप्त करेंगे।
आइए हम यहाँ प्रेरितों के काम 2:38 की ओर मुड़ें: "पतरस ने उनसे कहा, `मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; और तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे।“ जिस प्रकार सच्चा वचन यहाँ कहता है, जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन पर विश्वास करता है उन सब को परमेश्वर उनके दिलों में पापों की माफ़ी और पवित्र आत्मा का उपहार दोनों देंगे। जब मैंने पहली बार पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन को समझा, तो मैं जानता था कि पापों की माफ़ी मेरे दिल में आ गई है, लेकिन शुरुआत में मेरे अहसास की सीमा यही थी। जब मैंने प्रेरितों के काम 2:38 पढ़ा और देखा कि मुझे भी पवित्र आत्मा का उपहार मिला है, तो मुझे पूरी तरह से एहसास हुआ कि पवित्र आत्मा पहले से ही मेरे दिल में था और मेरे साथ काम कर रहा था। इस क्षण भी, मैं पवित्र आत्मा के साथ चल रहा हूँ।
इस्राएल के लोगों ने यीशु को उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार नहीं किया जिसके लिए वे प्रतीक्षा कर रहे थे, और उन्होंने उसे अस्वीकार कर दिया। इसलिए, यीशु के शिष्यों ने उन्हें उस पर विश्वास करने की विनती करते हुए कहा, “तुम यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास नहीं करते। मन फिराओ, और यीशु को अपना मसीहा मानकर विश्वास करो।” यह वचन वही है जो सच्चे पश्चाताप के बारे में बाइबल में लिखा है, और जो परमेश्वर अब हमें बता रहा है। वास्तव में पश्चाताप करने का अर्थ यह है: यदि हम अब समझते हैं कि हमारे विश्वास का जीवन इस पूरे समय में गलत दिशा में चला गया था, तो हमें पानी और आत्मा के सही सुसमाचार की ओर लौटना चाहिए और अपने हृदय से उस पर विश्वास करना चाहिए। तब हम पवित्र आत्मा को अपने हृदय में ग्रहण करेंगे। यह पश्चाताप का बाइबल आधारित सच्चा विश्वास है। केवल अपने शब्दों से परमेश्वर से यह कहना कि हमने उसके साथ गलत किया है, सच्चे पश्चाताप का अर्थ नहीं है। बल्कि, वास्तव में पश्चाताप करना इस सत्य की ओर लौटना है कि यीशु ने हमारे सभी पापों को दूर कर दिया है, हमारे द्वारा धारण किए गए दोषपूर्ण धार्मिक विश्वासों से दूर हो जाओ, और इसके बजाय पानी और आत्मा के सुसमाचार सत्य पर विश्वास करो। यह विश्वास ही सच्चा विश्वास है।
 


पश्चाताप करे, और पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करे


यह लिखा है, “मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; और तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे।” कुछ इस्राएली पश्चाताप करने और यीशु को अपना उद्धारकर्ता मानने के लिए आए थे। तो फिर, इन लोगों को भी यीशु की तरह बपतिस्मा क्यों लेना पड़ा? ऐसा इसलिए है क्योंकि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से यीशु ने जो बपतिस्मा लिया था वह वो कार्य था जिसके द्वारा प्रभु ने मानव जाति के सभी पापों को उठा लिया और उन्हें हमेशा के लिए धो दिया। जिस प्रकार यीशु का बपतिस्मा हुआ था, नए विश्वासियों को भी उनके धर्मी कार्यों में उनके विश्वास के चिन्ह के रूप में बपतिस्मा लेना था।
जब हम बपतिस्मा लेते हैं, तो हम निम्नलिखित रूप में अपने विश्वास को अंगीकार करते हैं: “मेरा विश्वास है कि जब प्रभु ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लिया, तो उसने न केवल इस्राएल के लोगों के पापों का बोझ उठा लिया, बल्कि मेरे पापों का भी बोझ उठा लिया। मैं विश्वास करता हूँ कि जब यीशु मसीह बपतिस्मा लेने के लिए पानी में गया, तो यह प्रकट हुआ कि वह मेरे स्थान पर शारीरिक मृत्यु को सहेगा क्योंकि उसने मेरे पापों को उठा लिया था। मैं विश्वास करता हूँ कि यीशु मेरा उद्धारकर्ता है जिसने मेरे सारे पापों को दूर करने के लिए बपतिस्मा लिया था, और जो पापों के लिए एक बार और हमेशा के लिए क्रूस पर चढ़ाए जाने के द्वारा दण्डित किया गया था। और मेरा मानना है कि बपतिस्मा के समय यीशु का पानी से बाहर निकलना उसके पुनरुत्थान का प्रतीक है, कि प्रभु मुझे वैसे ही जीवन में वापस लाएगा जैसे वह मरे हुओं में से जी उठा था। अब मैं पूरे हृदय से विश्वास करता हूँ कि यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा मेरे पापों को उठा लिया।”
हमारे लिए यह विश्वास करना नितांत अनिवार्य है कि यीशु के उद्धार का कार्य, जो बपतिस्मा उसने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त किया था, हमारे पापों को सहन करने के लिए उसके क्रूस पर चढ़ने और उसके पुनरुत्थान के लिए, सभी को पापों की सच्ची क्षमा और हमारे लिए नया जीवन लाने के लिए पूरा किया गया था। विश्वास का वास्तविक अंगीकार तब होता है जब हम अंगीकार करते हैं कि पानी और आत्मा के सुसमाचार सत्य पर विश्वास करने के द्वारा हमें हमारे सारे पापों से छुटकारा मिल गया है। बाइबल कहती है, “मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; और तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे।” स्पष्ट रूप से, पवित्र आत्मा परमेश्वर का उपहार है जो केवल उन्हें दिया जाता है जिन्होंने पापों की क्षमा प्राप्त की है। पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास यह विश्वास करने के बारे में है कि यह सुसमाचार हमारा सच्चा उद्धार है जो हमारे सभी पापों को दूर करता है, और बाइबल कहती है कि जब हम पानी और आत्मा के इस सुसमाचार पर विश्वास करते हैं तब हम पवित्र आत्मा प्राप्त कर सकते है।
हम सभी के लिए जिन्होंने यह विश्वास करके पापों की क्षमा प्राप्त की है कि यीशु ने इस संसार के सभी पापों को पानी के बपतिस्मा और क्रूस पर बहाए गए लहू से मिटा दिया है, परमेश्वर ने हमें पवित्र आत्मा का उपहार प्राप्त करने का आशीर्वाद दिया है। हमारे हृदयों में पापों की क्षमा और पवित्र आत्मा का उपहार देकर, प्रभु ने निश्चित रूप से पुष्टि की है कि उसने हम विश्वासियों को पानी और आत्मा के सुसमाचार में परमेश्वर की अपनी संतान में बदल दिया है जो उसकी महिमा कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में, प्रभु ने हम विश्वासियों पर पवित्र आत्मा के साथ पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन पर मुहर लगा दी है ताकि कोई भी हमारे विश्वास को छीन न ले। जब हमारे हृदयों में पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर विश्वास होता है, तो पवित्र आत्मा हमारे हृदयों पर उतरता है, और पवित्र आत्मा की इस मुहर के साथ, परमेश्वर पुष्टि करता है कि हम वास्तव में उसकी संतान हैं।
जिन लोगों ने पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके पापों की क्षमा प्राप्त की है, वे पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन का पालन कर सकते हैं, क्योंकि जब वे परमेश्वर का वचन सुनते हैं तो पवित्र आत्मा उनके हृदय में कार्य करता है। परमेश्वर की कलीसिया के माध्यम से पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन को सुनने से धर्मी की आत्माएं हमेशा के लिए जीवित हो जाती हैं। पवित्र आत्मा का कार्य उन लोगों के हृदय में प्रकट होता है जो पानी और लहू में विश्वास करते हैं। यह वह जगह है जहाँ पवित्र आत्मा काम करता है जहाँ सच्ची शांति और सच्चा उद्धार पाया जा सकता है। जब हम परमेश्वर की कलीसिया में अपने विश्वास के जीवन में आगे बढ़ते हैं, तो हम सभी महसूस कर सकते हैं कि पवित्र आत्मा हमेशा हमारे बीच पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन के साथ काम कर रहा है।
वास्तव में, पवित्र आत्मा न तो किसी ऐसे व्यक्ति के हृदय में निवास करता है जिसने अभी तक पापों की क्षमा प्राप्त नहीं की है, न ही वह ऐसे लोगों पर कार्य करता है। क्योंकि पवित्र आत्मा का कार्य हमेशा लिखित वचन के अनुसार प्रकट होता है, इसलिए यह अनिवार्य है कि हम परमेश्वर के लिखित वचन पर विश्वास करके उसके कार्य का अनुसरण करें। अलग तरीके से कहें, तो यह तब होता है जब हम परमेश्वर के वचन का पालन करते हैं और भरोसा करते हैं कि हम पवित्र आत्मा के कार्य को अपनी आँखों से प्रकट होते हुए देख सकते हैं। जब तक हम परमेश्वर के वचन का अनुसरण नहीं करते, हम पवित्र आत्मा के कार्य को नहीं देख सकते। इसलिए मैं आपसे विश्वास करने के लिए कहता हूं कि आपके विश्वास का जीवन पानी और आत्मा के परमेश्वर द्वारा दिए गए सुसमाचार वचन के अनुसार चलना चाहिए। पवित्र आत्मा हमेशा परमेश्वर के लिखित वचन के साथ कार्य करता है, और हमें इस स्पष्ट तथ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए।
यदि हम परमेश्वर के वचन के बजाय अपनी स्वयं की भावनाओं पर भरोसा करते हैं और उन्हें पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन से मिलाते हैं, तो हम अंततः शैतान के काम के आगे झुक जाएंगे और उसके दुष्टता के साधन के रूप में जीवन व्यतीत करेंगे। शैतान का कार्य हमेशा हमें परमेश्वर के वचन की उपेक्षा करने और केवल गंभीर त्रुटियों में गिरने के लिए हमारे अपने विचारों और शरीर की भावनाओं का पालन करने के लिए प्रेरित करता है। जब लोग परमेश्वर के वचन के बजाय अपनी स्वयं की भावनाओं का अनुसरण करते हैं तो ऐसी भ्रामक मान्यताएँ उत्पन्न होती हैं। वे आसानी से प्रलोभन में पड़ सकते हैं और बड़ी ठोकर खा सकते हैं, क्योंकि जब वे अपनी भावनाओं के पीछे चलते हैं, तो वे परमेश्वर के वचन के बजाय अपनी भावनाओं के पीछे चलते हैं।
जैसा कि हम इस संसार में अपने जीवन को जारी रखते हैं, हम कभी-कभी अपने शरीर की कमजोरियों में गिरने और पवित्र आत्मा की इच्छाओं के विरुद्ध पाप करने के लिए बाध्य होते हैं। इसीलिए बाइबल कहती है, "आत्मा को न बुझाओ" (1 थिस्सलुनीकियों 5:19)। यदि कोई व्यक्ति जिसने पापों की क्षमा प्राप्त की है, पवित्र आत्मा की इच्छाओं की उपेक्षा करता है और परमेश्वर को प्रसन्न करने के बजाय अपने स्वयं के शारीरिक विचारों का पालन करता है, तो अंततः यह व्यक्ति परमेश्वर के दास के बजाय उसके शत्रु के रूप में जीवन व्यतीत करेगा।
परमेश्वर की दृष्टि में, जो पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन के बजाय अपने शरीर की अभिलाषा के अनुसार जीते हैं, वे उस मनुष्य के समान हैं जिसे एक तोड़ा मिला, और तदनुसार, वे परमेश्वर के शत्रु हैं। यदि आप परमेश्वर के वचन को थामते हैं, उसे समझते हैं, उस पर विश्वास करते हैं, और विश्वास के द्वारा उसे व्यक्तिगत रूप से स्वीकार करते हैं, तो पवित्र आत्मा आपके हृदय में वास करेगा और कार्य करेगा। जिनके हृदयों ने पवित्र आत्मा को प्राप्त कर लिया है वे आनंदपूर्वक परमेश्वर का अनुसरण करना जारी रख सकते हैं, क्योंकि वे पवित्र आत्मा और परमेश्वर के वचन के मार्गदर्शन में चलते हैं। जब वे लोग जिनके हृदय में पवित्र आत्मा का वास है, वे परमेश्वर का वचन सुनते हैं, वे नई सामर्थ प्राप्त करते हैं और वचन के प्रति समर्पित हो जाते हैं। इसलिए, जब वे पवित्र आत्मा के प्रभुत्व में रहते हैं, तो उनका जीवन परमेश्वर के वचन में विश्वास के द्वारा परिभाषित होता है।
विश्वास के उपहार के रूप में पवित्र आत्मा प्राप्त करने वालों के हृदय ताज़ा हो जाते हैं। प्रेरितों के काम 3:19 कहता है, "इसलिये मन फिराओ और मन फिराओ, जिस से तुम्हारे पाप मिटाए जाएं, जिस से प्रभु के सम्मुख से विश्रान्ति के दिन आएं।" परमेश्वर हम सब से यहाँ कह रहे हैं, "अपने पाप को मिटाओ।" जो कोई भी यीशु को उद्धारकर्ता के रूप में मानने का दावा करता है, उसके दिल में कोई पाप नहीं होना चाहिए। यदि कोई वास्तव में पानी और आत्मा के वचन को परमेश्वर के वचन के रूप में मानता है, तो उसके हृदय में कोई पाप नहीं हो सकता। यह वास्तव में सही है कि जो कोई यीशु पर विश्वास करता है उसके पास और पाप नहीं है। क्या यीशु में विश्वास करने के बाद भी हमारे पाप हमारे हृदय में बने रहना चाहिए, या हमारे हृदय निष्पाप होने चाहिए? कौन सा सही है? सही उत्तर यह है कि हमारे हृदय वास्तव में निष्पाप हैं। बाइबल ऐसे स्पष्ट उत्तर की सही उत्तर के रूप में पुष्टि करती है, लेकिन, दुर्भाग्य से, मानव-निर्मित धर्मशास्त्र इसे एक दोहरे, लिखित उत्तर के रूप में मानता है और इसकी शुद्धता पर सवाल उठाता है।
बाइबिल में, प्रभु ने पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वासियों से कहा, “आपने पापों की क्षमा प्राप्त की है। इसलिए आप निष्पाप हैं, क्योंकि आप पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन पर विश्वास करते हैं। आप ठीक कह रहे हैं। आपका विश्वास सही है।“ ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रभु स्वयं इस पृथ्वी पर एक बार और हमेशा के लिए दुनिया के उन सभी पापों को मिटाने के लिए आए थे जो लोगों के दिलों में हैं। और यह इसलिए भी है क्योंकि यीशु ने स्वयं यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त बपतिस्मा के माध्यम से सभी पापों को स्वीकार किया, उन्हें क्रूस पर बहाए गए लहू से धो दिया, और उस दंड के साथ उनके न्याय को मिटा दिया जो उसने स्वयं उठाया था। इसके विपरीत, धर्मशास्त्रियों का दावा है कि ईसाइयों में अभी भी पाप है, लेकिन क्योंकि वे यीशु में विश्वास करते हैं, परमेश्वर उन्हें बचाए हुए लोगों के रूप में मानते हैं जो पाप रहित हैं। इसे "विश्वास द्वारा धर्मी ठहराना" के रूप में जाना जाता है। तब वे उस परिच्छेद के बारे में क्या कहेंगे जिसे हमने अभी पढ़ा, जहाँ परमेश्वर ने कहा कि जब हमारे पाप मिटाए जाएँगे, तो प्रभु की उपस्थिति से विश्रान्ति का समय आएगा? यह भाग हमें स्पष्ट रूप से बताता है कि हमारे पाप वास्तव में मिटा दिए गए हैं।
क्या आपने प्रभु के वचन से निकलने वाले पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा अपने हृदय में पापों की क्षमा प्राप्त की है? मैंने पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन के द्वारा प्रभु से पापों की क्षमा प्राप्त की है। मुझे स्पष्ट रूप से याद है कि कैसे मेरा दिल इतना तरोताज़ा हो गया था जितना कि यह दुनिया मेरे लिए कभी नहीं कर सकती थी। तब से, मैंने आज तक अपने विश्वास के जीवन का नेतृत्व करना जारी रखा है, और मैं केवल बहुत खुश हूँ, क्योंकि मेरा दिल हमेशा पापरहित रहता है। उद्धार की ये सारी आशीषें मेरे पास परमेश्वर के वचन के द्वारा आई है हमारे प्रभु को धन्यवाद। मैं अपने परमेश्वर में अपना विश्वास रखता हूँ और उन्हें सारा धन्यवाद देता हूँ। परमेश्वर आपके और मेरे उद्धार पाए हुए हृदय में पवित्र आत्मा का उपहार देना चाहता है। यह तब होता है जब हम पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते हैं कि परमेश्वर हमें अपनी संतान बनाता है।
परमेश्वर ने पूरी मानव जाति को पानी और आत्मा का सुसमाचार वचन दिया है, और जो लोग इस सुसमाचार पर विश्वास करते हैं, उनके दिलों में परमेश्वर इस क्षण भी पवित्र आत्मा के उपहार के साथ उन्हें उत्तर दे रहे हैं। हमारी सेवकाई पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार करने के बारे में है, और हम यह काम इसलिए कर रहे हैं ताकि जिन्होंने अभी तक पापों की क्षमा प्राप्त नहीं की है वे उद्धार का जीवित जल पी सकें। परमेश्वर ने यहेजकेल से कहा, “मनुष्य के पुत्र, मेरे वचन की भविष्यवाणी करो। मेरे स्थान पर इस्राएल के लोगों से बात करो। तब जीवित श्वास उनमें प्रवेश करेगी। मैं उनमें प्राण फूकुंगा, और वे जी उठेंगे।“ पानी और आत्मा का सुसमाचार वचन जिसका हम अभी प्रचार कर रहे हैं, उन सभी के लिए जीवित सांस है जो अभी तक व्यक्तिगत रूप से प्रभु से नहीं मिले हैं। जब ये लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन को अपने हृदय में स्वीकार करते हैं, तो वे भी पापों की क्षमा प्राप्त करेंगे; और जिस क्षण वे विश्वास के द्वारा पापों की क्षमा प्राप्त करेंगे, हमारा परमेश्वर उनके हृदय में पवित्र आत्मा का उपहार डालेगा। इसलिए परमेश्वर यह सुनिश्चित करेगा कि वे भी हमारे जैसे उनकी संतान बन जाएँ। 
अब हम पूरी दुनिया जो सुखी हड्डियों से भरी हुई है उसमे पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन यानी परमेश्वर के वचन का प्रचार कर रहे हैं। जो लोग अपने पापों से नहीं बचे हैं और उनके दिल में कोई उम्मीद नहीं है और वे बेमतलब दुनिया में अपना जीवन जी रहे है। परमेश्वर हम सभी को आज्ञा दे रहे हैं जो पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन पर विश्वास करने के द्वारा उसकी संतान बन गए हैं कि ऐसे आशाहीन लोगों में इस सुसमाचार को फूंकें। हम परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन का प्रचार कर रहे हैं। मैंने पानी और आत्मा के सुसमाचार पर अपनी धर्मोपदेश श्रृंखला के हिस्से के रूप में कम से कम 65 पुस्तकें लिखी हैं और अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध कराई हैं, और इनमें से एक शीर्षक को छोड़कर सभी इस सुसमाचार की बात करते हैं। श्रेष्ठगीत की पुस्तक एकमात्र ऐसी पुस्तक है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार को प्रत्यक्ष रूप से सम्बोधित नहीं करती है। यदि आप इनमें से किसी भी पुस्तक को यादृच्छिक रूप से चुनते हैं और इसे पढ़ते हैं, तो आप पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन के बारे में सब कुछ सीख सकते हैं, और इस सुसमाचार के माध्यम से, आप पापों की क्षमा और पवित्र आत्मा का उपहार प्राप्त करने में सक्षम होंगे जिसकी आपको बहुत सख्त जरूरत है।
हम सब अब इस बात को समझ गए हैं: “जब प्रभु इस पृथ्वी पर आए तो यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने उन्हें बपतिस्मा दिया, और उन्हें क्रूस पर चढ़ाकर और अपना लहू बहाकर हमारे पापों के लिए दण्डित किया गया। प्रभु ने हमें इस प्रकार हमारे सारे पापों से बचाया है।” यदि अब हम अपने हृदय में उस छुटकारे के कार्य को स्वीकार करते हैं जो यीशु ने पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन के द्वारा हमारे लिए किया है, तो हमारे हृदयों को नई सांस मिलेगी। हम अपने पापों के कारण पहले ही मर चुके थे, परन्तु हम फिर से प्रभु का धन्यवाद करके जीवित रहेंगे। पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास के कारण, वे आत्माएं जो अब तक मरी हुई थीं फिर से जी उठेंगी। पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर विश्वास करने के द्वारा, हमारे हृदयों को जीवन में वापस लाया जाएगा और पवित्र आत्मा का उपहार प्राप्त करेगा, और हम परमेश्वर की संतान के रूप में हमेशा के लिए जीवित रहेंगे। तब से, हम परमेश्वर के पानी और आत्मा के सुसमाचार का इतना प्रचार करना चाहेंगे कि यह अप्रतिरोध्य होगा। परमेश्वर ने भविष्यद्वक्ता यहेजकेल को और आज आपको और मुझे आज्ञा दी है की हम, पानी और आत्मा के इस सुसमाचार के वचन को पूरे संसार में फैलाए।
 

अब इस संसार के साथ क्या हो रहा है?

यह दुनिया अब मौत की घाटी बनती जा रही है। संसार में केवल सूखी हड्डियाँ हैं, और केवल जीवित साँस लेने वाले लोग ही पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन में विश्वासी हैं। इस ग्रह पर रहने वाले लोग अब पूरी तरह से निराश हैं और बस मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहे हैं, क्योंकि उनके पाप उनके दिलों में हैं। आपके माता-पिता से लेकर आपके परिवार के सदस्य और मित्र समान रूप से, और नस्ल और जातीयता की परवाह किए बिना, दुनिया भर में लोग निराशा में नाश हो रहे हैं क्योंकि उन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा पापों की माफ़ी नहीं पाई है। यदि अब सारी मानव जाति के लिये एक ही आशा है, तो वह हमारा प्रभु यीशु मसीह है; पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन के अलावा और कोई आशा नहीं हो सकती है जिसे प्रभु ने मानव जाति को दिया है।
पूरी मानवता के लिए सच्ची आशा यीशु मसीह है। यद्यपि वह मौलिक रूप से स्वयं परमेश्वर है, फिर भी वह मनुष्य के शरीर में देह धारण करके इस पृथ्वी पर आया था। इस प्रकार परमेश्वर के विरुद्ध खड़ी मानवजाति को उनके पापों से बचाने के लिए आकर, मसीह ने वास्तव में उन सभी को जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते हैं, शैतान की शक्ति से छुड़ाया और उन्हें बचाया। यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया, इस बपतिस्मा से उन्हें धो दिया, और व्यक्तिगत रूप से एक बार और हमेशा के लिए मानवजाति के सभी पापों का दोष अपने ऊपर ले लिया। इस प्रकार स्वयं प्रभु ने पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन के द्वारा परमेश्वर के शत्रु शैतान से हमें बचाया है, भले ही हम वास्तव में आशाहीन पापी थे। अब, यदि हम केवल अपने हृदय से पानी और आत्मा के द्वारा किए गए पापों की क्षमा में विश्वास करते हैं, तो हम सभी को हमारे सभी पापों से बचाया जा सकता है। यीशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा जिसने हमें अंधकार से छुड़ाया है, हम नया जीवन प्राप्त कर सकते हैं।
क्योंकि हमने पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन पर विश्वास करके नया जीवन प्राप्त किया है जिसे प्रभु ने हमारे लिए पूरा किया है, हम अपने परमेश्वर के साथ फिर से जुड़ गए हैं और एक बार फिर से उसके राज्य में रहने के लिए आ गए हैं। ये अद्भुत आशीषें आज परमेश्वर की कलीसिया में प्रकट हो रही हैं, और ये परमेश्वर की आशीषें हैं जो हम पर उंडेली जाती हैं। पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन में हमारे विश्वास के लिए धन्यवाद, जिसे हमारे प्रभु ने अपने पानी और लहू से परिपूर्ण किया है, आपने और मैंने अब हमारे परमेश्वर से उद्धार की आशीषें प्राप्त की हैं। प्रत्येक विश्वासी को यह जानना चाहिए कि इस संसार में रहते हुए एक दूसरे के साथ संगति कैसे साझा करें। हमें यह भी जानना चाहिए कि पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन में अपने विश्वास के द्वारा परमेश्वर के साथ कैसे संवाद करना है। जो लोग ऐसे विश्वास के लोग बन गए हैं वे जानते हैं, और अब वे पवित्र परमेश्वर के साथ संगति में हैं। ऐसे लोगों में व्यक्तिगत ईमानदारी होती है। इसके विपरीत, जिनके पास परमेश्वर के सामने कोई खराई नहीं है वे केवल अपने स्वार्थों को जानते हैं। ये दूसरों की बिल्कुल नहीं सुनते। ऐसे लोग ईमानदारी के साथ सच्चे विश्वासी नहीं बन सकते।
हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके परमेश्वर की दृष्टि में अपने उद्धार तक पहुंचना चाहिए, इस विश्वास के माध्यम से उसने हमारे लिए किए गए उद्धार के कार्य को समझना चाहिए, और अपने पूरे हृदय से उसका धन्यवाद करना चाहिए। हम सभी को यह अंगीकार करने में सक्षम होना चाहिए, "परमेश्वर, आपने हमसे इतना प्यार किया कि आपने इस तरह से बपतिस्मा लिया और हमारे लिए खुद को बलिदान कर दिया। जिस उद्देश्य से आपने हमें मनुष्य बनाया है, वह हमें अपने खिलौनों में बदलने के लिए नहीं है, बल्कि हमें अपनी संतान बनाकर हमें आशीर्वाद देने के लिए है। जब हम शैतान की परीक्षा में गिरे और भटक गए, तब आप पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा हमें सच्चा उद्धार देने के लिये ढूंढ़ने आए। आप बपतिस्मा लेकर हमारे पापों को उठाने के लिए इस पृथ्वी पर आए, और आपने क्रूस पर अपना लहू बहाकर और अपने जीवन से हमारे पापों की कीमत चुकाकर हमें बचाया है। पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन के लिए धन्यवाद, अब हम जानते हैं और विश्वास करते हैं कि आपने ये सब चीजें हमारे लिए की हैं।” ऐसा विश्वास वह विश्वास है जो हमें परमेश्वर को प्राप्त करने में सक्षम बनाता है, और ऐसा विश्वास वह विश्वास है जो हमें हमारे पापों से बचाता है। पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन में हमारा विश्वास हृदय से पापों की क्षमा लाता है और हमें परमेश्वर की संतान बनाता है। संक्षेप में, पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर विश्वास करने के द्वारा, हम परमेश्वर द्वारा बचाए गए हैं और उसके राज्य में हमेशा के लिए रहने के लिए विश्वास की आशीषों को प्राप्त किया है।
यह पानी और आत्मा के सुसमाचार में हमारे विश्वास के कारण है कि परमेश्वर ने अब हमें हमारे पापों से बचने के लिए विश्वास की आशीषें प्रदान की हैं। और विश्वास की ऐसी आशीषों के साथ, परमेश्वर ने हमें पानी और आत्मा के इस सुसमाचार का प्रचार करने की आशीष भी दी है। यदि मैं मंच से पानी और आत्मा के सुसमाचार के अलावा कुछ और प्रचार करता, सुसमाचार की सेवा करने के लिए मण्डली को बुलाता, या परमेश्वर के साथ एकता में रहने के लिए उनकी प्रशंसा करता, तो मैं सिर्फ व्यर्थ बातें कह रहा होता।
यहेजकेल 37:14 में लिखा है, "तब तुम जान लोगे कि मुझ यहोवा ही ने यह कहा, और किया भी है, यहोवा की यही वाणी है।" यहाँ परमेश्वर हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार वचन को उन सभी तक फैलाने के लिए कह रहे हैं जो अभी भी उद्धार के इस सच्चे सुसमाचार को नहीं जानते हैं। हम जानते हैं कि परमेश्वर हमें जीवन में वापस लाया है और हमारे विश्वास करने वाले दिलों में उद्धार और पवित्र आत्मा दिया है ताकि हम दुनिया के लोगों को छुड़ा सकें जो यहेजकेल की घाटी में सूखी हड्डियों की तरह हैं। और हम यह विश्वास करते हैं। पुराने नियम के दिनों में परमेश्वर ने यहेजकेल से कही गई प्रतिज्ञा का वचन वह वचन है जिसे परमेश्वर ने हम सब से भी बोला था जो अब पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर विश्वास करते हैं। परमेश्वर ने आप और मुझ पर उद्धार की जीवित सांस फूंकी है।
परमेश्वर अनाड़ी परमेश्वर नहीं है। वह दयालु है, और उसकी भलाई वर्णन से परे है, क्योंकि उसने हमें हमारे पापों से बचाया है। ऐसे परमेश्वर में विश्वास करने के द्वारा ही हमें हमारे सारे पापों से छुटकारा मिला है। हम सब परमेश्वर के बहुत आभारी हैं। हालाँकि, क्योंकि बहुत से लोग अभी भी यह नहीं जानते हैं, उनके लिए हमें उन पर जीवित सांस फूंकने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। हम उनके स्थान पर परमेश्वर के वचन का प्रचार कर रहे हैं। आप पानी और आत्मा के सुसमाचार की सेवा उसकी सेवकाई का समर्थन करके कर रहे हैं, और यह काम उन लोगों का काम है जो विश्वास से जीते हैं। यह कार्य परमेश्वर का कार्य है। और हम इस अमूल्य कार्य में भाग ले रहे हैं जो पूरे विश्व में उद्धार की जीवित सांस को फैलाता है। हमारा श्रम इस अंतिम समय में रहने वाले सभी लोगों के लिए है। मानव जाति के पास अब यीशु मसीह और पानी और आत्मा के उनके सुसमाचार वचन के अलावा कोई आशा नहीं है। कई सौ प्रतिशत की कीमतों में वृद्धि के साथ महंगाई बढ़ेगी। लोग एक दिन अपने खुद के घर का सपना देखते हैं, लेकिन आने वाले वर्षों में ऐसे सपनों को पूरा करना असंभव होगा। देह के लिए दुख और पीड़ा के दिन बस आने ही वाले हैं।
भले ही हम इस तरह के एक उदास दुनिया में रह रहे हैं, यदि हम अपने दिल में पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन जो परमेश्वर हमारे अन्दर साँस फूंक रहा है उसको स्वीकार करते हैं, तो वह निश्चित रूप से हमें हमारे उपहार के रूप में पापों की क्षमा और पवित्र आत्मा का उपहार देगा। यह विश्वास करते हुए कि हमने पापों की क्षमा और पवित्र आत्मा को विश्वास के द्वारा प्राप्त किया है, हमें यह भी विश्वास करना चाहिए कि हमें विश्वास के द्वारा परमेश्वर के वचन की भविष्यवाणी करनी है। परमेश्वर हम पर शरीर और आत्मा दोनों में अनगिनत आशीषें बरसा रहा है। हमारे पास पानी और आत्मा का सुसमाचार वचन है जो हमें इस पृथ्वी पर भी खुशी से रहने और समृद्ध होने में सक्षम बनाता है। जब हम इस धरती से विदा लेते हैं तो हमें भी हमेशा खुशी से जीने का सौभाग्य मिला है। मैं अपने परमेश्वर पर विश्वास करता हूँ जो पानी और आत्मा के द्वारा हमारे पास आया है। आपके बारे में क्या? क्या आप भी विश्वास करते है? इस समय जब मैं परमेश्वर के वचन का प्रचार कर रहा हूं, मेरे शरीर और आत्मा को बल मिला है, और मैं शब्दों से बयां नहीं कर सकता कि मैं कितना खुश और आनंदित हूं।
मैं यह मानता और दृढ़ विश्वास करता हूं कि आप और मैं जो कार्य कर रहे हैं वह अमूल्य है। यही कारण है कि मैं परमेश्वर के छोटे से छोटे कार्य को भी करने में बहुत खुश हूँ। जब भी मैं परमेश्वर के कार्य को करता हूं तो मुझे हमेशा खुशी होती है, क्योंकि पानी और आत्मा के सुसमाचार की सेवा करने के लिए आप और मैं मिलकर जो काम कर रहे हैं वह बेहद महत्वपूर्ण है। हम परमेश्वर के कार्य को करने के लिए बहुत खुश हैं। मुझे भरोसा है कि आपको भी ख़ुशी हो रही है। हाल्लेलूयाह!