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उपदेश

विषय ३ : पानी और आत्मा का सुसमाचार

[3-8] यीशु का बपतिस्मा हमारे छुटकारे के लिए अनिवार्य प्रक्रिया है (मत्ती ३:१३-१७)

यीशु का बपतिस्मा हमारे छुटकारे के लिए अनिवार्य प्रक्रिया है
(मत्ती ३:१३-१७) 
‘उस समय यीशु गलील से यरदन के किनारे पर यूहन्ना के पास उस से बपतिस्मा लने आया। परन्तु यूहन्ना यह कहकर उसे रोकने लगा, कि मुझे तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है, और तू मेरे पास आया है? यीशु ने उस को यह उत्तर दिया, कि अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है, तब उस ने उस की बात मान ली। और यीशु बपतिस्मा लेकर तरन्तु पानी में से ऊपर आया, और देखो, उसके लिये आकाश खुल गया; और उस ने परमेश्वर के आत्मा को कबूतर की नाईं उतरते और अपने ऊपर आते देखा। और देखो, यह आकाशवाणी हुई, कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यन्त प्रसन्न हूँ।’
 
 

यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का बपतिस्मा 

 
पश्चाताप क्या है?
पापमय जीवन से लौटना और पवित्र होने के लिए यीशु पर विश्वास करना।

अतः संसार में बहुत से लोग इस बात से अनजान हैं कि यीशु इस दुनिया में क्यों आया और क्यों यूहन्ना के द्वारा बपतिस्मा लिया? इसलिये आइए, हम यीशु के बपतिस्मा लेने के उद्देश्य और यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला जिसने उसे बपतिस्मा दिया, उसके बारे में चर्चा करें। 
सर्वप्रथम, हमें उस विषय पर विचार करना है कि किसने यूहन्ना को यरदन नदी में लोगों को बपतिस्मा देने हेतु प्रेरित किया। यह सब मत्ती ३:१-१२ में वर्णित है कि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवालेने लोगों को उनके पापों से मन फिरा कर, परमेश्वर के पास बपतिस्मा के माध्यम से परमेश्वर के पास वापस लाता था। जिसका काम था, पापों से मुक्त होने में लोगों की मदद करना। 
‘मैं तो पानी से तुम्हें मन फिराव का बपतिस्मा देता हूँ,’ (पद ११), और ‘जंगल में एक पुकारनेवाले का शब्द हो रहा है, कि प्रभु कर मार्ग तैयार करो, उस की सड़कें सीधी करोंʼ (पद ३ यूहन्ना)। यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला ऊंट के रोम का वस्त्र पहनता था, और अपनी कमर में चमड़े का कटिबन्ध बाँधता था, उसका भोजन टिड्डियां और वनमधु था। यह जंगल में वह ऊंचे शब्द से बपतिस्मा, पश्चाताप व मनफिराव का प्रचार करता था ।
वह ऊंची आवाज से लोगों से कहता था कि ‘मन फिराओ, दया का मसीहा (मनुष्यों का उद्धारकर्ता) आ रहा है, उसके लिए मार्ग तैयार करो, उसके उद्धार के मार्ग को सीधा करो, व गैर यहूदियों के ईश्वरों की आराधना बंद करो और प्रभु को अपने हृदय में ग्रहण करो।’
किससे लौटना है? मूर्ति पूजा व दुष्कर्म से भरे जीवन से। अतः हमें क्या करना है? हमें यीशु के नाम से बपतिस्मा लेना है, जिससे हम पवित्र किये जाते हैं। यूहना बपतिस्मा देनेवाला जंगल में पुकारता था कि ‘मेरे द्वारा बपतिस्मा लेकर अपने पापों से शुद्ध हो जाओ। यीशु मसीह, वह उद्धारकर्ता है जो इस संसार में आ रहा हैं।ʼ उसने आप के पापों को पुराने नियम के परमेश्वर के मेमने की भांति अपने ऊपर उठा कर आपके पापों से आपको शुद्ध करेगा।
पुराने नियम में, पापबलि के माध्यम से प्रतिदिन के पापों को बलि पशु के सिर के ऊपर हाथ रखने के द्वारा उसे सौंप दिया जाता था। वर्ष में एक बार फसह के पर्व के दिन महायाजक को बकरे के ऊपर हाथ रख कर पूरे इस्राएलियों के पापों हेतु प्रायश्चित करना पड़ता था, यह पर्व प्रति वर्ष सातवे वर्ष के दसवें दिन मनाया जाता था (लैव्यव्यवस्था १६:२९-३१)।
वैसे ही, मनुष्यजाति के पापों को यीशु मसीह के ऊपर बपतिस्मा के माध्यम से डाल दिया गया ताकि एक ही बार में उसके द्वारा मिटा दिया गया। अतः यूहन्ना लोगों से आग्रह करता था कि वे यीशु के पास वापस आये और उसके द्वारा बपतिस्मा प्राप्त करें। 
प्रथम महत्वपूर्ण बात जो, यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का बपतिस्मा था, वह मनफिराव कर था, जिसके द्वारा इस्राएलियों को यीशु के पास वापस लाया गया जो बाद में आने वाला था। मन फिराव का अर्थ है, पापों से पश्चाताप कर वापस आना और यीशु मसीह पर विश्वास करना ताकि सारे पापों से माफ़ी मिले। 
इस्राएली प्रजा इस आशा से छुड़ाई जाएगी कि मसीहा आयेगा और उनके पापों को धो डालेगा। वैसे ही, हम भी यीशु पर विश्वास के द्वारा छुड़ाये गये, कि आज से २००० वर्ष पूर्व यीशु स्वर्ग से आए और उन्होंने संसार के सारे पापों को धो दिया। परन्तु इस्राएलियों ने पुराने नियम में परमेश्वर की व्यवस्था को पूर्णतः त्याग दिया और वे गलत तरह से बलिदानों को चढ़ाते थे और वे मसीहा को भूल गये। 
इसलिये यूहन्ना बपतिस्मा देनेवालेने उन्हें परमेश्वर की व्यवस्था और मसीहा जो आने वाला था, उसके बारे में पुनः उन्हें चिताया करता था। अतः वह उसी उद्देश्य से लोगों को बपतिस्मा देता था और अंत में उसने यरदन नदी में यीशु मसीह को भी बपतिस्मा दिया। 
बहुतेरे परमेश्वर की व्यवस्था को त्यागने और मूर्ति पूजा जैसे पापों से पश्चाताप करते हुये, यूहन्ना के पास आकर बपतिस्मा लेते थे। नियमानुसार बलिदान चढ़ाने में तीन प्रकार के महत्वपूर्ण व अनिवार्य तत्व होते थे। जैसे एक जीवित पशु, हाथों को पशु के ऊपर रखना, और उसका लहू। संसार के सभी मनुष्य, यीशु पर विश्वास करने के द्वारा बचाये गये हैं। 
जब उसने बहुत से फरीसियों और सदूकियों को बपतिस्मा लेने के लिये अपने पास आते देखा तो यूहन्ना ने उनसे कहा, ‘हे सांप के बच्चों, तुम्हें किसने जता दिया, कि आनेवाले क्रोध से भागो? सो मन फिराव के योग्य फल लाओ। और अपने अपने मन में यह न सोचो, कि हमारा पिता इब्राहीम है; क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ कि परमेश्वर इन पत्थरों से इब्राहीम के लिये सन्तान उत्पन्न कर सकता है’ (मत्ती ३:७-९)।
ये फरीसी सदुकी व राजनेता और मूर्ति पूजक अपने आप को परमेश्वर की संतान सोचते थे, परन्तु वास्तविकता यह थी कि वे परमेश्वर के वचन पर विश्वास ही नहीं करते थे। वे पराये ईश्वर पर व अपने स्वयं के विचारों पर ही विश्वास करते थे। 
जब वे बपतिस्मा लेने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के पास आये, तो उसने उन्हें कहा, ‘तुम्हें अनुचित बलिदान नहीं चढ़ाने चाहिये, परन्तु अपने पापों से मन फिराकर लौट आओ और यह विश्वास करों कि मसीह आयेगा और तुम्हारे सारे पापों से वह पवित्र करेगा। ये बाते तुम्हें अपने पूरे मन से विश्वास करनी है।ʼ
पश्चात्ताप का अर्थ है, गलत मार्ग से वापस लौट आना। सही विश्वास का अर्थ है पापों से लौट आना व गलत विश्वास को त्याग कर यीशु के पास आना। यह यीशु के बपतिस्मा के छुटकारा और क्रूस पर उसके न्याय में विश्वास करना है।
अतः यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला इस्राएलियों से जो परमेश्वर की व्यवस्था और उसके बलिदान को त्याग चुके थे, उन्हें पुकार कर कहते थे ताकि वे परमेश्वर के पास लौट आयें। यही यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले की मुख्य भूमिका थी, कि लोग यीशु के पास लौट आयें ताकि उनके पाप मिटाये जायें और यीशु पर विश्वास करें। 
 
 

क्या आप यीशु मसीह के बपतिस्मा के द्वारा पाप से छुटकारे में विश्वास करते हैं?

 
सभी लोगों को यीशु के सामने क्या करना चाहिये?
उन्हें अपने पापों के छुटकारे के लिए यीशु पर विश्वास करना चाहिये।

सर्वप्रथम यीशु मसीह ने अपनी सेवकाई से पूर्व यूहन्ना के द्वारा बपतिस्मा प्राप्त किया। संसार के सारे पापों को इस प्रकार उसके ऊपर डाला गया। 
अतः यीशु का बपतिस्मा परमेश्वर के उद्धार की योजना का प्रारंभ है, और साथ ही साथ यीशु का धार्मिक कार्य है जिससे सारे मनुष्यजाति के पापों को उसने धो डाला। परमेश्वर उन्हें छुटकारा देता है जो इस सच्चाई पर विश्वास करते हैं कि यीशु के बपतिस्मा के माध्यम से संसार के पापों को यीशु ने अपने ऊपर उठा लिया। 
जब यीशु ने इस संसार में आकर यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा बपतिस्मा ग्रहण किया, तब स्वर्ग के राज्य के सुसमाचार का आरंभ हुआ। मत्ती ३:१५ में जैसा वर्णन है कि यीशु के बपतिस्मा के समय स्वर्ग का खुल जाना, वैसा ही है जैसा कि लैव्यव्यवस्था १:१-५, ४:२७-३१ में प्रायश्चित और बलिदान संबंधित नियम पुराने नियम में वर्णित है। 
पुराने नियम की सभी बातें नए नियम में साथ-साथ जुड़ी हुई हैं। जैसा कि यशायाह ३४:१६ में वर्णित है, ‘यहोवा की पुस्तक से ढूंढ़कर पढ़ो: इनसे से एक भी बात बिना पूरी हुई न रहेगी; कोई बिना जोड़ा न रहेगा। क्योंकि मैंने अपने मुंह से यह आज्ञा दी है और उसी की आत्मा ने उन्हें इकठ्ठा किया है।ʼ
 
 

पुराना और नया नियम दोनों मनुष्यों के पापों से मुक्ति और प्रायश्चित के बारे में वर्णन करता है

 
क्या हमारे प्रतिदिन के पापों के लिए हमें प्रतिदिन पश्चात्ताप करना है?
नहीं! सच्चा पश्चात्ताप वही है जो अपने पापों को मानकर अपने आप को यीशु की ओर मोड़कर उसके बपतिस्मा पर विश्वास करता है ताकि वह छूटकारा प्राप्त कर सके।

पुराने नियम में प्रतिदिन के पापों हेतु पाप बलि के पशु के ऊपर हाथ रखने के द्वारा पापों को उसके ऊपर चढ़ा दिया जाता था। तब वह बलि पशु के लहू बहाने के द्वारा उसे दंड दिया जाता था, पापियों के बदले में। और तब वर्ष भर के संकलित पापों को भी पाप बलि के पशु के ऊपर हाथ रखने के द्वारा उसके ऊपर चढ़ाया जाता था। जिससे कि सभी मनुष्यों को वर्ष भर के उनके पापों से दोष मुक्त किया जा सके। 
नए नियम में वैसे ही यीशु मसीह ने इस संसार में आकर यरदन नदी में बपतिस्मा प्राप्त किया और सारे संसार के लोगों के पापों को अपने ऊपर उठा लिया। अतः जो बातें पुराने नियम में भविष्यवक्ताओं के द्वारा भविष्यवाणी की गई थी, वह नए नियम में परिपूर्ण हुई। 
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने यीशु को बपतिस्मा दिया। वह परमेश्वर के द्वारा संसार में यीशु मसीह से छः माह पहिले भेजा गया था। वह परमेश्वर का सेवक था, उसने यह गवाही दी थी कि यीशु संसार के पापों को अपने ऊपर उठा लिया, जो यूहन्ना १:२९ में इस प्रकार लिखा है, ‘देखो, यह परमेश्वर का मेमना है जो जगत का पाप उठा ले जाता है।ʼ
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने यरदन नदी में यीशु को बपतिस्मा देने के द्वारा जगत के पापों को यीशु के ऊपर डाल दिया। इस प्रकार यीशु ने सारे संसार के मनुष्यों के पापों के लिए प्रायश्चित किया। अब हमें केवल उस पर विश्वास करना है। 
सारे जगत के पापों को यीशु मसीह के ऊपर चढ़ा दिया गया। यीशु के शिष्यों ने प्रेरितों के काम ३:१९ में इस प्रकार कहा, ‘इसलिये, मन फिराओ और लौट आओ कि तुम्हारे पाप मिटाए जाएं, जिससे प्रभु के सन्मुख में विश्रान्ति के दिन आएं।ʼ
शिष्य लोग हम से समझने हेतु आग्रह कर रहे हैं कि क्यों यूहन्ना बपतिस्मा देनेवालेने यीशु को बपतिस्मा दिया। उसने उन लोगों से कहा कि उसका अनुसरण करें? उसने कहा, ‘इसलिये मन फिराओ और लौट आओ और यीशु के छुटकारे के बपतिस्मा पर विश्वास करो और अपने पापों से छुटकारा पाओ।ʼ 
यीशु मसीह संसार में आया और उसने हमारे पापों को अपने बपतिस्मा के द्वारा एक ही बार में हमेशा के लिए धो डाला। इस तरह सारे संसार के पापों को यीशु के ऊपर डाल दिया गया। अतः परमेश्वर की वाचा यीशु के बपतिस्मा के द्वारा परिपूर्ण हो गयी। जैसा कि मत्ती ३:१३-१७ में वर्णित है। 
‘उस समय यीशु गलील से यरदन के किनारे पर यूहन्ना के पास उससे बपतिस्मा लेने आया। परन्तु यूहन्ना यह कहकर उसे रोकने लगा, ‘‘मुझे तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है, और तू मेरे पास आया है?’’ यीशु ने उसको यह उत्तर दिया, ‘‘अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।’’ तब उसने उस की बात मान ली। और यीशु बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी में से ऊपर आया, और देखो, उसके लिए आकाश खुल गया, और उसने परमेश्वर के आत्मा को कबूतर की नाई उतरते और अपने ऊपर आते देखा। और देखो, यह आकाशवाणी हुई: ‘‘यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यन्त प्रसन्न हूं।ʼ’
परमेश्वर की उद्धार की योजना को पूरा करने के लिये यीशु मसीह स्वयं यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के पास बपतिस्मा लेने आता है। यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला परमेश्वर का एक विशेष सेवक था। जैसा की लूका अध्याय १ में लिखा है कि वह यूहन्ना प्रथम महायाजक हारुन के वंशज में से था। परमेश्वर ने यूहन्ना को जो हारुन के वंश में से था, चुना क्योंकि वह सारे मनुष्यजाति के प्रतिनिधि के रुप में धार्मिकता को परिपूर्ण करने हेतु अलग किया गया था। 
इसलिए परमेश्वर ने चाहा कि यूहन्ना एक महायाजक के घर में यीशु से छः महिने पहिले पैदा हो। यूहन्ना ने यीशु मसीह के लिए मार्ग सुधारक का कार्य किया। जंगल में पुकारते हुए उसने कहा कि ‘हे सांप के बच्चों, मन फिराओं और लौट आओ। वह मसीहा आयेगा, उसके पास लौट आओ या वह तुम्हें काट कर आग के भट्ठे में फेंक देगा। उसके बपतिस्मा और उसके क्रूस पर बहाये गये लहू पर विश्वास करो, पश्चात्ताप करो और बपतिस्मा लो। तब तुम बचाये जाओगें।ʼ
छुटकारे का सुसमाचार स्पष्ट रुप से प्रेरितों के काम ३:१९ में लिखा है, जब यूहन्ना बपतिस्मादाता ने मनुष्यों के पापों के बारे में चिल्लाकर कहा तो बहुतों ने मन फिराए व बपतिस्मा प्राप्त किया। 
क्योंकि यूहन्ना ने सारे मनुष्यजाति के पापों को यीशु के ऊपर चढ़ा दिया और सारे पाप एक ही बार में मिटा दिये गये। क्योंकि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने यह गवाही दी कि यीशु ने सारे मनुष्यजाति के पापों को अपने ऊपर उठा लिया है। हम जानते है कि हम उसके उसके पानी व आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं। 
 
 

यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले को यीशु से पहले क्यों आना पड़ा उसका कारण

 
‘ऐसा ही होने दे’ का क्या अर्थ है?
१. सबसे उचित
२. सबसे उपयुक्त
३. केवल इसी रीति से अति आवश्यक
(दूसरा कोई रास्ता नहीं है)
 
वे जिनके पापों की क्षमा यीशु मसीह को उद्धारकर्ता के रुप में विश्वास करने के द्वारा हुई वे अपने उद्धार कि निश्चयता की गवाही मत्ती के सुसमाचार के अनुसार यीशु के बपतिस्मा द्वारा कह सकते हैं। जैसे कि मत्ती ३:१५-१६ अनुसार यीशु यूहन्ना के पास आकर कहता है, ‘मुझे बपतिस्मा दे।ʼ तब यूहन्ना ने उत्तर दिया, ‘स्वयं मुझे आपसे बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है, और आप मेरे पास आये हैं।ʼ
यह यूहन्ना ही था जिसने यीशु को पहचाना कि वह कौन है, और उसे बपतिस्मा दिया। यूहन्ना परमेश्वर का सेवक था जिसे परमेश्वर ने इसलिए भेजा था कि वह सारे मनुष्यजाति के पापों को यीशु के ऊपर चढ़ा देवें। क्योंकि यीशु ‘मसीह‘ पुराने नियम की भविष्यवाणी को पूरा करने आया था। इसलिये यीशु ने यूहन्ना से कहा की वह उसे बपतिस्मा दे जिससे वह सारे मनुष्यजाति के पापों को उसके ऊपर ऊपर डाल दे। 
क्यों? क्योंकि यीशु परमेश्वर का पुत्र है, वह सृष्टिकर्ता और उद्धारकर्ता है, वह इस संसार में इसलिए आया कि वह सारे मनुष्यजाति के पापों को धो कर दूर करे, ताकि सभी लोग बचाये जावें। अतः उसने बपतिस्मा लिया। 
‘इस कारणʼ यीशु को यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा बपतिस्मा दिया गया ताकि वह सारे मनुष्यों के पापों को धो डाले। वह हमारे पापों हेतु क्रूस पर श्रापित हुआ। यीशु का बपतिस्मा हमारे उद्धार की साक्षी है। जैसा कि पुराने नियम में प्रतिज्ञा की गयी है, सारे पापों को पाप बलि के मेमने के ऊपर डाला जायेगा। परमेश्वर का पुत्र वह मेमना बना जिसने सारे मनुष्यजाति के पापों को स्वयं अपने ऊपर उठा लिया। 
अतः दोनों कार्य पुराने नियम में हाथ रखने व नए नियम में यीशु मसीह का बपतिस्मा के द्वारा पापों को चढ़ाना और उसके द्वारा अनंत उद्धार का दिया जाना जो उसके पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते हैं, एक ही घटना को दर्शाते हैं। 
 
 

यीशु मसीह के बपतिस्मा ने हमारे सारे पापों को धो दिया

 
हम कैसे यीशु को धारण करें?
उसके बपतिस्मा के द्वारा।

जब यीशु बपतिस्मा प्राप्त करना चाहते थे, तब यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला उसे यह कहकर रोकना चाहते थे कि ‘मुझे तेरे हाथ से बपतिस्मा लेना है, परन्तु तुम मेरे पास आ रहे हो?ʼ
परन्तु यीशु ने उसे उत्तर दिया कि अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है। अब तो ऐसा ही होने दे, उसने आदेशित किया और यूहन्ना से कहा कि तुम सारी मनुष्यजाति के पापों को मेरे ऊपर डाल दो ताकि उन्हें जो मेरे पानी के छुटकारे के सुसमाचार पर विश्वास रखते हैं, को मैं अपने पास वापस ला सकूं। तब मेरा न्याय उन सभी के पापों के बदले में होगा जिससे जो मुझ पर विश्वास करें व मेरे बपतिस्मा पर विश्वास रखते हैं, वे बचाये जाएंगे। मुझ पर सारे संसार के पापों को बपतिस्मा के द्वारा डाल दे। ताकि आने वाले युगों तक जो मुझ पर विश्वास रखें, वे भी पापों से छुड़ाये जाएं। इसलिए ऐसा ही होने दे।
यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा बपतिस्मा पाया। वह बपतिस्मा परमेश्वर की धार्मिकता और उसके छुटकारे के नियम के अंतर्गत था। क्योंकि सारे पापों को यीशु के ऊपर उसी समय डाला गया जब उसने बपतिस्मा लिया। हम सभी उसी समय छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं, जब हम यीशु पर विश्वास करके बपतिस्मा लेते हैं। क्योंकि उसने हाथों के रखने के द्वारा हमारे सारे अधर्म को अपने ऊपर उठा लिया। वह हमारे पापों हेतु क्रूस पर मारा गया, अब वह परमेश्वर के दाहिने हाथ बैठा है। हम पानी और आत्मा के छुटकारे पर विश्वास करके बचाये जा सकते हैं। 
वह यीशु है जिसने हमें संसार के सारे पापों से बचा लिया है। हम यीशु पर विश्वास करने के द्वारा बचाये जा सकते हैं कि उसने हमारे सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया और पाप की मजदूरी को क्रूस चुका दिया। यीशु मसीह का बपतिस्मा ही छुटकारे के सुसमाचार का आरंभ है। 
बाइबल में छुटकारे के बपतिस्मे का वर्णन कई जगह मिलता है और संत पौलुस भी गलातियों की पत्री में कहते हैं कि वह यीशु के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया क्योंकि उसने यीशु में बपतिस्मा के द्वारा उसे धारण कर लिया था। संत पौलुस अपने विश्वास के बारे में कहता है कि यीशु के बपतिस्मा और उसकी क्रूस पर मृत्यु द्वारा उसे छुटकारा मिला था। 
 
 
“अब तो ऐसा ही होने दे”
 
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले की
क्या भूमिका थी?
उसका मुख्य कार्य यह था कि वह सारी’ मनुष्यजाति के 
याजक केरुप में संसार केपापों को यीशु के ऊपर डाल दे।

यीशु ने कहा, ‘क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना है।ʼ सब धार्मिकता का अर्थ है कि सारे पापों को उसके बपतिस्मा के द्वारा मिटाया गया ताकि लोगों को हृदय से निष्पाप बनाया जावे। ‘तब उसने वैसा ही होने दिया।ʼ यीशु ने यरदन नदी में बपतिस्मा लिया। 
जैसा कि महायाजक अपने हाथों को बकरे के ऊपर रखता था वैसे ही यूहन्ना बपतिस्मा देनेवालेने यीशु के सिर के पर अपने हाथों को रखा और उसने ऐसा करने के द्वारा सारे संसार के पापों को यीशु के ऊपर डाल दिया। यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला एक महायाजक था जिसने यीशु के ऊपर सारे संसार के पापों को डाल दिया। ऐसा करके से उसने सारी मनुष्यजाति के प्रतिनिधि के रुप में कार्य किया। उसने यह कहा कि ‘हे परमेश्वर मैं संसार के पापों को आपके मेमने यीशु के ऊपर डाल रहा हूँ।ʼ अतः इसी प्रकार से सारे मनुष्यजाति के पापों को यीशु के ऊपर डाल दिया गया है। 
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने यीशु के सिर पर अपने हाथों को रखा और उसे पानी में डुबाया। और जैसे ही यीशु पानी में से ऊपर आया उसने अपना हाथ हटा लिया। यीशु का बपतिस्मा उद्धार की धार्मिकता हेतु किया गया। अतः यीशु सारे मनुष्यजाति को बचा सकता है जो उस पर विश्वास करते हैं। 
 
 
आकाश खुल गया और स्वर्ग से यह आकाशवाणी हुई
 
किस समय से स्वर्गका राज्य खुल गया?
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के दिनों से (मत्ती ११:१२)

‘और यीशु बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी में से ऊपर आया, और देखो उसके लिए आकाश खुल गया, और उसने परमेश्वर के आत्मा को कबूतर के समान उतरते और अपने ऊपर आते देखा। और देखो, यह आकाशवाणी हुई: ‘‘यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यंत प्रसन्न हूँʼ’ (मत्ती ३:१६-१७)।
जब यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा सारे संसार के पापों को अपने ऊपर उठा लिया, तब स्वर्ग उसके लिए खुल गया। अतः परमेश्वर की वाचा जो उसने हजारों वर्ष पहिले बांधी थी, वह उसके यरदन में बपतिस्मा लेने के द्वारा परिपूर्ण हो गयी। 
इस तरह यीशु ने परमेश्वर का मेमना बनकर संसार के लोगों को उनके पापों से बचाया। संसार के सारे पापों को उसके ऊपर डाल दिया गया और उसने परमेश्वर की इच्छा को परिपूर्ण किया। 
यूहन्ना १:२९ में उसकी गवाही भी दी गई है। ‘देखो, यह परमेश्वर का मेमना है जो जगत का पाप उठा ले जाता है।ʼ क्योंकि सारे पापों को यीशु के ऊपर डाल दिया गया। यीशु परमेश्वर का मेमना था। वह क्रूस को अपने ऊपर उठाकर गुलगुथा की ओर चल पड़ा और तीन वर्ष तक अपने कंधों पर वह बोझ उठा कर, बपतिस्मा के बाद से जहां भी गया उसने उन लोगों से कहा की, जिन्होंने उसे विश्वास से ग्रहण किया है उनके पाप क्षमा कर दिये गये हैं। 
यूहन्ना ८:११ में उसने उस महिला से कहा जो व्यभिचार में पकड़ी गई थी, ‘मैं भी तुझ पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता।ʼ उसने उसे दण्ड नहीं दिया क्योंकि जिसे दण्ड मिला वह यीशु था, जिसने सारे संसार के पापों को अपने ऊपर उठा लिया। इसलिए उसने सारे लोगों से कहा कि वह पापियों का उद्धारकर्ता है। 
क्योंकि वह परमेश्वर का पुत्र जिसने हमारे पापों को अपने ऊपर उठा लिया। संसार के सारे विश्वासी उसी के द्वारा पवित्र किये गये। आकाश खुल गया जब उसने बपतिस्मा लिया, तब स्वर्ग के द्वार खुल गये। जो कोई यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करें, वह निश्चित रुप से उसमें प्रवेश करेगा। 
 
 

यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा सारे संसार के पापों को अपने ऊपर उठा लिया, उसके बाद उसे क्रूस पर चढ़ाया गया

 
कैसे यीशु ने शैतान के सिर को कुचला?
हमारे सारे पापों के बदले दण्ड उठाकर मृत्यु से पुनरूत्थान के द्वारा उसने शैतान के सिर को कुचला

क्योंकि सारे गुनाह यीशु के सिर ऊपर लाद दिया गए थे, ताकि यीशु ने क्रूस पर दण्ड पाया। जब वह इस भारी संकट के विषय में जो उसे क्रूस पर उठाना पड़ेगा, विचार कर रहा था तो वह व्याकुल हो उठा और दुखः से भर गया, और जब वह गतसमनी नामक बाग में प्रार्थना कर रहा था तो उसके माथे से पसीने के सामान लहू की बूंद टपक रही थी। उसने इस प्रकार ऊंचे शब्दों से पुकारा; ‘हे मेरे पिता, यदि हो सके तो यह कटोरा मुझे से टल जाएʼ (मत्ती २६:३९)। मैंने बपतिस्मा के द्वारा सारे संसार के गुनाहों को अपने ऊपर उठा लिया, परन्तु मुझे इसके बदले मृत्यु से छुड़ा ले। परन्तु परमेश्वर पिता ने कोई उत्तर नहीं दिया। 
प्रायश्चित के दिन पुराने नियम में पाप बलि का जो पशु होता था, उसे मारा जाता था ताकि उसके लहू को महायाजक द्वारा दया-आसन के सामने छिड़का जाए। ठीक उसी तरह यीशु ने भी क्रूस पर मृत्यु के द्वारा परमेश्वर की इच्छा को पूरा किया। 
वेदी परमेश्वर के न्याय का सिंहासन है और पापबलि का लहू जीवन है। और उस लहू को सात बार दयासन के ऊपर छिड़कने का अर्थ है कि सारे गुनाह पापबलि के ऊपर चढ़ा दिये गये (लैव्यव्यवस्था १६:१-२२)।
यीशु ने परमेश्वर से प्रार्थना की कि यह दुःख का प्याला मेरे पास से हट जाये, परन्तु परमेश्वर ने ऐसा होने नहीं दिया। तब यीशु ने अन्त में यह प्रार्थना की, ‘तौभी जैसा मैं चाहता हूँ वैसा नहीं, परन्तु जैसा तू चाहता है, वैसा ही होʼ (मत्ती २६:३९)। उसने परमेश्वर से प्रार्थना की कि वह वैसा ही करे जैसा उचित हो। उसने प्रार्थना करना बंद की और वह पिता की इच्छा के अनुरुप चलने लगा। 
यीशु ने अपनी इच्छा के बजाय पिता परमेश्वर की इच्छा का पालन क्यों किया? क्योंकि यदि वह क्रूस पर दुःख उठा कर दण्ड नहीं पाता तो शायद उद्धार का कार्य पूर्ण नहीं होता। उसे क्रूस पर चढ़ाया गया क्योंकि उसने सारे संसार के पापों को बपतिस्मा के द्वारा अपने ऊपर उठा लिया ‘क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे यीशु मसीह में अनन्त जीवन है।ʼ (रोमियों ६:२३)।
परमेश्वर ने अपनी वाचा को पूर्ण किया जो उसने कही थी कि वह एक उद्धारकर्ता को भेजेगा जो सारी मनुष्यजाति के पापों को हाथों को रखने के द्वारा अपने ऊपर उठा लेगा। यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा परमेश्वर की आज्ञा को पूरा किया और न्याय को हमारे बदले अपने ऊपर ले लिया। 
यह उत्पत्ति ३:१५ कि भविष्यवाणी की परिपूर्ति है जो इस प्रकार है, ‘और मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करुंगा; वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।ʼ परमेश्वर ने आदम से वादा किया था कि वह मसीह को स्त्री के वंश से भेजेगा और वह शैतान के सारे सामर्थ को हराकर मनुष्यजाति को नरक जाने से रोकेगा। 
जब हम जानते हैं कि यीशु ने अपने बपतिस्मा व क्रूस पर मृत्यु के द्वारा हमारे सारे पापों को धो डाला और हमें दण्ड से छुड़ा लिया है। 
तब हमें अपने सच्चे दिल से यीशु के बपतिस्मा और क्रूस की मृत्यु पर विश्वास करना चाहिये। इस पर दिल से विश्वास करें, तभी हम बचाये जाएंगे। 
 
 

यीशु मसीह का बपतिस्मा स्वर्गीय सुसमाचार का आरंभ है 

 
र्स्वगारोहण के पहिले यीशु का अंतिम आदेश क्या था?
उसने अपने शिष्यों को आदेश दिया कि ‘जाओ सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो।ʼ

यीशु का बपतिस्मा सुसमाचार का आरंभ था। और उसने पापियों को अपने लहू व बपतिस्मा से बचाया। मत्ती २८:१९ में इस प्रकार लिखा है, ‘इसलिये तुम जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ; और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो।ʼ यीशु ने शिष्यों से गवाही देने को कहा कि पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा ने सारी मनुष्यजाति को उनके पापों से छुड़ाकर उन्हें उसके बपतिस्मा और लहू के द्वारा बचाया है। 
यीशु ने उन्हें अधिकार दिया कि वे सारे जगत के लोगों को शिष्य बनाएं एवं उन्हें यीशु के बपतिस्मा के बारे में शिक्षा देने, छुटकारे का बपतिस्मा व संसार के पापों को धो डालने वाले बपतिस्मा के बारे में सिखाये। 
आज से लगभग २००० वर्ष पहिले यीशु इस संसार में शरीर धारण करके आया और यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के हाथों बपतिस्मा लिया। यीशु के बपतिस्मा से संसार के सारे पापों के साथ ही हमारे पापों को उसके ऊपर डाल दिया गया। 
कितने पाप उसके सिर पर डाले गये? भूतकाल के पापों का क्या हुआ? वह कहता है कि भूतकाल के पापों को भी उसके ऊपर डाला गया। हमारे बचपन के पापों को और उन सभी युगों के पापों को भी, वर्तमान, भूतकाल, भविष्य सभी पापों को यहाँ तक आदम से लेकर अब तक के पापों को उसके ऊपर डाला गया। 
अब हम कैसे निष्पाप रह सकते है? कैसे अब दुबारा पाप नहीं होगा? क्योंकि यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे व संसार के सारे पापों को अपने ऊपर उठा लिया। इसलिए सभी विश्वासी जन अपने आपको पापों से स्वतंत्रता प्राप्त कर स्वर्ग राज्य में प्रवेश करेंगे। 
जैसा की यूहन्ना ३:२१ में इस प्रकार लिखा है; ‘परन्तु जो सत्य पर चलता है, वह ज्योति के निकट आता है, ताकि उसके काम प्रगट हों कि वह परमेश्वर की ओर से किए गये हैंʼ (यूहन्ना ३:२१)।
यीशु हमारे सारे पापों को अपने बपतिस्मा और अपने क्रूस पर लहू बहाने के द्वारा और उसकी मृत्यु और अपने पुनरुत्थान के द्वारा धो डाला। इसलिए हम उसके बपतिस्मा तथा उसकी क्रूस पर की मृत्यु पर विश्वास करके हम पापों से बचाये जा सकते हैं। यही छुटकारे का विश्वास है। 
जब हम यीशु के बपतिस्मा व उसकी क्रूस पर की मृत्यु पर विश्वास करते हैं, तब हम उस विश्वास के द्वारा बचाये जाते हैं। जब हम यीशु पर सही विश्वास करते हैं, तब क्या हम धर्मी हैं या पापी? उत्तर है, हम धर्मी लोग हैं। क्या हम कमजोर व अधूरे मनुष्य होते हुए भी निष्पाप हैं? हाँ, हम निष्पाप हैं। यीशु के बपतिस्मे और उसके द्वारा क्रूस पर दण्ड भोगना आदि पर विश्वास करते है, तो हम उसके ऊपर संपूर्ण व सही विश्वास करते हैं। 
 
 
यीशु के नाम से बपतिस्मा पाना और बपतिस्मा देना
 
स्वर्ग के राज्य के सुसमाचार का आरंभ क्या है?
यीशु का बपतिस्मा

क्योंकि मनुष्य अपूर्ण प्राणी है, इसलिए परमेश्वर के सेवक जब यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करते हैं, उन्हें वे बपतिस्मा देते हैं। और उससे उनके विश्वास की पुष्टि करते हैं। 
सबसे पहले सेवक नया जन्म पाये हुए व्यक्ति के सिर पर अपने हाथों को रखकर प्रार्थना करता है और उसके लिए आशीष मांगता है, ताकि आगे जीवन भर वह परमेश्वर की आराधना करता रहे। तब वह उसे परमेश्वर पिता, परमेश्वर पुत्र, और परमेश्वर पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा देता है। 
हम सभी ने विश्वास के आधार पर यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू द्वारा बपतिस्मा प्राप्त किया है। यह बपतिस्मा इस बात का प्रतीक है कि हमारे सारे पाप यीशु के ऊपर चढ़ा दिये गये हैं। और वह बपतिस्मा प्राप्त व्यक्ति यीशु के साथ मारा गया और उसके साथ जी भी उठा। 
बपतिस्मा प्राप्त करने का तात्पर्य है कि वह व्यक्ति अपने विश्वास की घोषणा करता है, कि उसके सारे पाप यीशु के ऊपर उसके बपतिस्मा के द्वारा डाल दिये गये हैं। यीशु ने उसके पापों के बदले क्रूस पर दण्ड उठाया। और वह उसके साथ जिलाया भी गया। इसी विश्वास को वह व्यक्ति पिता परमेश्वर, पुत्र परमेश्वर, और पवित्र आत्मा परमेश्वर के सामने घोषणा करता है कि वह पानी और आत्मा के द्वारा नया जन्म प्राप्त कर चुका है। 
जो यीशु पर विश्वास करते हैं, वे इस बात के लिए कि यीशु के बपतिस्मा तथा उसके क्रूस पर लहू बहाये जाने के द्वारा वे संसार के सारे पापों से बचाये गये हैं, इसलिये उन्होंने पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा प्राप्त किया है। 
‘जैसा कि बाइबल कहती है कि ‘पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, सब बातें नई हो गई हैंʼ (२ कुरिन्थियों ५:१७)। हमारे अंदर की पुरानी बातें बीत गई और हम नया जन्म प्राप्त कर विश्वास के द्वारा नये बन गये हैं। और अपने हृदय कि निश्चयता हेतु हमने बपतिस्मा लिया है। हमने यीशु में उसके बपतिस्मे पर विश्वास कर उसी के नाम से बपतिस्मा लिया है।
 
 
यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू बहाने के द्वारा नया जन्म पाने के पश्चात का जीवन
 
नया जन्म पाये हुए लोग किसके लिए जीवित हैं?
परमेश्वर के राज्य, उसकी धार्मिकता, और सुसमाचार का सारे जगत में प्रचार करने के लिए जीवित हैं

नया जन्म पाने और छुड़ाये जाने के पश्चात् विश्वासियों को परमेश्वर के वचन से जुड़ना चाहिये। उन्हें भावनाओं में नहीं रहना चाहिये कि उसे प्रतिदिन के पापों हेतु बार-बार पश्चात्ताप करना है। अपितु उन्हें विश्वास में दृढ़ होकर निश्चयता के साथ कह सके कि यीशु ने उनके सारे पापों को अपने बपतिस्मा के द्वारा अपने ऊपर एक ही बार में सदा के लिए उठा लिया है। 
हमारे सारे पाप व गुनाह यीशु के ऊपर डाल दिये गये हैं। जब यीशु बपतिस्मा ले रहा था, तब वह तीन वर्ष तक उस बोझ को उठाकर जी रहा था जब तक कि उसने क्रूस पर न्याय नहीं चुका दिया। और पापों के लिए सलीब पर बलिदान हो गया। 
इसलिए हम विश्वासी लोग लिखित वचनों पर विवास करते हैं, भावनाओं पर नहीं। यदि हम ऐसा नहीं करते हैं, तो हम छुटकारा पाने और नया जन्म पाने के बाद भी हम अपने प्रतिदिन की पापों के बारे में चिंतित रहेंगे। 
हमें पाप के अवास्तविक दृष्टिकोण को त्याग कर केवल पानी और लहू के सुसमाचार पर विश्वास करना चाहिए। यही वह जीवन है जिसे एक छुटकारा पाए हुए व्यक्ति को जीना चाहिए। 
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने यीशु के विषय में क्या कहा? उसने कहा, ‘देखो, यह परमेश्वर का मेमना है जो जगत का पाप उठा ले जाता हैʼ (यूहन्ना १:२९)। उसने गवाही दी कि यीशु ने आज, कल, और आने वाले भविष्य, सभी के पाप उठा लिए, यहाँ तक मूल पाप को भी उसने हर लिया। 
क्या उसने सभी पापों को अपने ऊपर नहीं उठा लिया? क्या सभी पापों को उसके ऊपर नहीं डाला गया? संसार के पापों का अर्थ है, आज कल, और आने वाले कल के पापों का समावेश। हमें यीशु के बपतिस्मे के द्वारा उसके छुटकारे के सुसमाचार को पुख्ता करना है। 
जो यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू की सच्चाई पर विश्वास करते हैं, वे बचाये जायेगे। जो कोई भी यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास रखते हैं, उनके हृदय शुद्ध हैं। 
जैसा कि बहुत से लोगों का मानना है, कि वे पापों में हैं क्योंकि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि उनके पापों को यीशु के बपतिस्मा के द्वारा यीशु के ऊपर डाल दिया गया है। वे शैतान के द्वारा उसकी चाल में फंसे हैं, शैतान उन्हें अपने सांसारिक विचारों से धोखा देता है कि ‘तुम हर दिन पाप करते हो, तुम कैसे बिना पाप के रह सकते हो?ʼ
उन्हें केवल परमेश्वर पर विश्वास करना चाहिए, तभी वे निष्पाप रह सकते हैं। परन्तु शैतान उन्हें छल के द्वारा यह सोचने पर विवश करता है कि वे अब भी पाप में बने हैं क्योंकि वे पापी हैं। कोई भी पापी नहीं है, जो यीशु के बपतिस्मा और उसके क्रूस पर बहाये हुए लहू पर विश्वास करता है। 
क्योंकि हम इस संसार में अपूर्ण व कमजोर मानव के रुप में रहते हैं। हम यह कभी नहीं कह सकते कि हम अपने कर्म के द्वारा बचाये गये हैं। परन्तु हम यह निश्चित तौर पर कह सकते हैं कि हम यीशु के बपतिस्मा और उसके क्रूस पर बहाये गये लहू के द्वारा छुडा़ये हुए लोग हैं। एक बार जब हम इस सच्चाई की अच्छी तरह से समझ लेते हैं तब हमारा मन शुद्ध हो जाता है, तब हम निश्चयता से समझ जाते हैं कि हम में पाप नहीं है। 
‘मैं भी छुड़ाया गया हूँ तुम भी छुड़ाये गये हो और हम सब भी छुड़ाये गये हैं।ʼ यह क्या ही मनोहर और आनंददायक अनुभव है कि हम सुसमाचार के फैलाने वाले, और सभी आत्मा के चलाये चलने वाले लोग हैं। 
हाँ, हम विश्वासी प्रतिदिन पाप करते हैं, परन्तु हम में पाप नहीं है क्योंकि हमारे हृदय के अंदर यीशु का बपतिस्मा और उसका लहू वास करता है। हमारे मनों में पाप भरा हुआ था, परन्तु यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करने के द्वारा अब हम कैसे पापी रह सकते हैं। 
‘प्रभु कहता है कि जो वाचा मैं उन दिनों के बाद उनसे बांधूंगा, वह यह है कि मैं अपने नियमों को उनके हृदय पर लिखूंगा और मैं उनके विवेक में डालूंगाʼ (इब्रानियों १०:१६) 
हमारे हृदय पाप से आजाद हैं, यीशु ने ये सब अपने बपतिस्मा और क्रूस पर अपनी मृत्यु के द्वारा सम्भव किया। पाप से छुटकारे का पैगाम परमेश्वर के वचन पर विश्वास से मिलता है। 
 
 
जो कोई यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर बहाये गये उसके लहू पर विश्वास करता है, वह कभी भी फिर से पापी नहीं बनाता
 
जब हम पाप करते है तो क्या हम फिरसे पापी बन जाते है?
नहीं, हम कभी भी फिरसे पापी नहीं बनते।

जब हम यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू पर विश्वास नहीं करते, तो इससे फर्क नहीं पड़ता कि हम पाप क्षमा हेतु कितनी बार प्रार्थना करते हैं। हमारे हृदय में पाप मौजूद होता है, परन्तु जब हम उसके सच्चे सुसमाचार पर विश्वास करते हैं, तब हमारे सारे पाप व अधर्म धो दिए जाते हैं। 
‘हे! इन दिनों में तुम बहुत खुश और चमक रहे हो?ʼ
‘क्या बात है। देखो; मेरे मन में किसी भी प्रकार के पाप नहीं हैं।ʼ
‘सचमुच मैं सोचता हूँ कि तुम जितना चाहो पाप कर सकते हो?ʼ
‘देखो तुम जानते हो कि मनुष्य कुछ भी नहीं कर सकता सिवाय पाप के। यही एक मनुष्य की वास्तविकता है। लेकिन यीशु ने सारे पापों को अपने ऊपर उठा लिया और क्रूस पर दण्ड उठाने के द्वार सारे पापों को मिटा डाला। इसी कारण अब मैं अपना समर्पण उसके सुसमाचार को कलीसिया में सुनाने के लिए अपना समय देता हूँ। रोमियों अध्याय ६ हम सब को ऐसे ही जीने को सिखाता है। जबकि अब मेरे अन्दर कोई पाप नहीं है, अब मैं धर्म के कार्य करना चाहता हूँ। अब हमें यीशु के बपतिस्मा और उसके क्रूस पर बहाये गये लहू पर विश्वास कर उसके सुसमाचार को सारे संसार के छोर तक प्रचार करना चाहिये। जब अपना छुटकारा देने वाले प्रभु पर विश्वास करने के द्वारा हम कभी भी पाप कर ही नहीं सकते हैं। हमें यीशु के बपतिस्मा और उसके क्रूस पर बहाये गये लहू पर जिसके द्वारा हमें अनन्त उद्धार प्राप्त हुआ विश्वास करके उसे धन्यवाद देना चाहिए।ʼ 
 
 

कौन पवित्र आत्मा पाता है?

 
यूहन्ना बपतिस्मादाता ने यीशु के बारे में क्या गवाही दी थी?
उसने यह गवाही दी कि देखो वह परमेश्वर का मेमना है जिसने जगत के पापों को अपने ऊपर उठा लिया। मुख्यतः भूतकाल, वर्तमान काल, और भविष्यकाल के पापों को और यहाँ तक कि मूल पाप को भी।

जो कोई भी यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर बहाये गये लहू पर विश्वास करता है, वह उद्धार प्राप्त करता है। हम कैसे पवित्र आत्मा को प्राप्त करते हैं? प्रेरितों के कार्य २:३८-३९ के अनुसार उत्तर इस प्रकार है। ‘पतरस ने उनसे कहा, मन फिराओ, और तुममें से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिए यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्रात्मा का दान पाओगे। क्योंकि यह प्रतिज्ञा तुम, और तुम्हारी सन्तानों, और उन सब दूर-दूर के लोगों के लिये भी है जिनको प्रभु हमारा परमेश्वर अपने पास बुलाएगा।ʼ
यीशु मसीह के नाम में बपतिस्मा लेने का अर्थ यीशु मसीह के बपतिस्मा और उसके छुटकारे पर विश्वास करना है। तब आत्मा उन्हें परमेश्वर के वरदान के रुप में दिया जाएगा। 
यीशु के नाम में बपतिस्मा लेने का अर्थ यह भी है कि मसीह के बपतिस्मा और लहू के द्वारा विश्वास से पवित्रिकरण को प्राप्त करना। जब हम इस विश्वास को अंगीकर करते हैं, तब हम छुड़ाए जाते और धर्मी बन जाते हैं। यीशु के बपतिस्मा एवं क्रूस पर लहू बहाने के द्वारा विश्वासी हिम के समान श्वेत बन जाते हैं।
‘तुम पवित्रात्मा का वरदान पाओगे।ʼ जब हम यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके दण्ड पर नम्रतापूर्वक विश्वास करते हैं कि हमारे पापों को उस पर डाल दिया गया है, तब हमारा हृदय धुलकर साफ हो जाता है। यीशु मसीह के बपतिस्मा और उसके लहू पर विश्वास करने के द्वारा हमारा नया जीवन प्रारंभ होता है। तब हम पवित्रात्मा का वरदान प्राप्त करके परमेश्वर की सन्तान बन जाते हैं।
‘तुम सत्य को जानोगे और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगाʼ (यूहन्ना ८:३२)। क्रूस पर प्रभु के न्याय के सही अर्थ को हमें जानना जरुरी है। सच्चाई यह है कि यीशु ने अपने बपतिस्मा और क्रूस पर अपनी मृत्यु के द्वारा हमारे पापों को मिटा दिया और छुटकारा हमें उसकी सच्चाई पर विश्वास करने के द्वारा मिलता है। 
 
 

यीशु का बपतिस्मा हमें छूटकारा देता है

 
कौन आत्मा पाता है?
वह जिसने यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर बहाए गए लहू पर विश्वास करके छूटकारा पाया है

पुराने नियम में पापों के प्रायश्चित हेतु बलि प्रथा थी, वह नए नियम में यीशु के बपतिस्मा की ओर प्रतिनिधित्व करती है। यीशु का बपतिस्मा पुराने नियम की सभी भविष्यवाणियों का केन्द्र बिन्दु था। पुराने नियम में बलि के ऊपर हाथ रखने का हिस्सा है, वह नए नियम में यीशु का बपतिस्मा हैं। 
संसार के सारे पापों को बपतिस्मा के द्वारा यीशु के ऊपर डाल दिया गया था वैसे ही जैसे पुराने नियम में बलि के बकरे (अजाजेल) के ऊपर हाथों को रखने के द्वारा इस्राएल के पापों को चढ़ा दिया जाता था। 
क्या हमारे सारे पापों से बचने के लिए हम यीशु के बपतिस्मा में विश्वास करते हैं। हाँ! हम करते हैं। हमें इस सच्चाई की वास्तविकता को स्वीकार करना है कि यीशु ने संसार के पापों को अपने बपतिस्मा के द्वारा उठा लिया। यदि हम उसके बपतिस्मा पर विश्वास नहीं करते हैं, तब हमारे पाप उसके ऊपर नहीं डाले गये हैं। हमें अपने सम्पूर्ण उद्धार के लिए उस पर निश्चय विश्वास करना चाहिए अन्यथा हम धर्मी नहीं बन सकते हैं। 
यीशु संसार के सारे पापियों को सबसे उचित एवं धार्मिकता की रीति से अपने बपतिस्मा के द्वारा बचा लिया है। यह उचित रीति से नहीं किया जा सकता था क्योंकि यीशु का बपतिस्मा एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा सारे पापों को उसके ऊपर चढ़ा दिया गया था। हमें यह भी विश्वास करना है कि यीशु का लहू हमारे पापों के न्याय के लिए था। इस प्रकार वे सब जो यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू में विश्वास करते हैं, पाप से बच जाते हैं। 
स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए हमें यीशु के बपतिस्मा में विश्वास करना है। सारे पापों से छुड़ाए जाने और दण्ड से बचने का यह एकमात्र मार्ग है। 
नए नियम में यीशु का बपतिस्मा और पुराने नियम में हाथों को रखना एक दूसरे के दर्पण/पूरक हैं। नए नियम और पुराने नियम के बीच में ये एक दूसरे को जोड़ने वाली मजबूत पकड़ और गांठ है। 
नए नियम में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला यीशु मसीह से छः महिने पूर्व संसार में आया, जब यीशु ने बपतिस्मा लिया। मरकुस १:१ के अनुसार ‘परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह के सुसमाचार का आरंभ।ʼ सुसमाचार का आंरभ उस समय हुआ जब यीशु ने संसार के पापों को बपतिस्मा के द्वारा अपने ऊपर ले लिया। 
मनुष्यजाति के उद्धार की सेवकाई को घटनाक्रम की कड़ियों के द्वारा आगे बढ़ाया गया: यीशु का जन्म, उसका बपतिस्मा, उसकी क्रूस पर मृत्यु, उसका पुनरूत्थान और उसका स्वर्गारोहणा इत्यादि। जब हम जानते हैं और उसे समझकर उस पर विश्वास करते हैं, तब वह उद्धार की घटना की प्रक्रिया आरंभ होती है और हम सारे पापों से बचाए जाते हैं। यीशु का बपतिस्मा सुसमाचार का आंरभ है और जबकि क्रूस पर उसका लहू बहाना उसकी परिपूर्णता है। 
‘परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह के सुसमाचार का आरंभʼ (मरकुस १:१)। हम उसके किसी भी धार्मिकता के कार्यों को छोड़ नहीं सकते। उसका बपतिस्मा, उसका क्रूस पर लहू बहाना, उसका पुनरूत्थान, उसका स्वर्गारोहण और उसका पृथ्वी पर दुबारा आगमन - परमेश्वर के पुत्र के सुसमाचार में से। (उक्त अंकित किसी भी तथ्य को छोड़ा नहीं जा सकता।) 
यीशु इस संसार में शरीर रुप में आया और उन्होंने अपने बपतिस्मा के द्वारा सारे मनुष्यजाति के पापों को धो दिया। यह स्वर्ग के सुसमाचार का आंरभ था। यदि उपरोक्त में से कोई भी एक छूट जाता है, तो स्वर्ग का सुसमाचार परिपूर्ण नहीं होगा। 
इसलिए यदि कोई नया जन्म पाना चाहता है, तो उसे यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू पर विश्वास करना जरुरी है। इन दिनों में बहुत से लोग यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू की सच्चाई पर विश्वास नहीं करते। वे सोचते हैं कि यीशु का बपतिस्मा केवल एक संस्कार है। यह एक बहुत ही गंभीर गलत धारणा हैं। यदि कोई यीशु पर विश्वास करता है, तो उसे उसके बपतिस्मा और लहू में भी विश्वास करना चाहिए। 
केवल पाप की क्षमा की प्रार्थना से हमारे पाप कैसे धुल सकते हैं? हमारे सारे पाप यीशु के ऊपर डाल दिये गये जब उसने यरदन में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया था। इसके सिवाय और कोई दूसरा रास्ता नहीं था कि वह सारी मनुष्यजाति के पापों को अपने ऊपर उठा ले। 
स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए हमें पानी और आत्मा से नया जन्म लेना आवश्यक है। पानी के बपतिस्मा, क्रूस पर लहू, और आत्मा के बिना पापों की क्षमा नहीं है। केवल वे ही जिन्होंने नया जन्म पाया है परमेश्वर को देख सकते हैं। जैसा कि यीशु ने यूहन्ना ३:५ में नीकुदेमुस से कहा कि जब हम यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू में विश्वास करते हैं, तब हमें सच्चा उद्धार मिलता है। 
 
 

क्या हम यीशु के बपतिस्मा के बगैर बच सकते हैं?

 
यीशु कैसे हमारा उद्धारकर्ता बना?
बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पापों को अपने ऊपर लेने के द्वारा

यदि हम यीशु की जन सेवकाई में से किसी भी एक सच्चाई को छोड़ देते हैं। जैसे यीशु इस संसार में आया और बपतिस्मा के द्वारा उसने हमारे पापों को अपने ऊपर उठा लिया। अथवा यीशु के कुंवारी मरियम से जन्म लेने की पवित्रता को नजर अंदाज करता है या यीशु के क्रूस पर विश्वास न करना। ऐसी दशा में मसीही धर्म केवल एक अंधविश्वासी धर्म हो जाएगा जो विश्वासियों को मुझे क्षमा कर, मुझे क्षमा करो, का राग आलापने वाला बन जाएगा। जैसे बौद्ध मतावलम्बी अपने मंदिरों में माला जपते हैं। 
यदि हम यीशु के बपतिस्मा के अर्थ को छोड़ देते हैं तो इसका अर्थ है कि हमारे पाप उसके ऊपर नहीं सौंपा गया। तब ऐसी दशा में हमारा विश्वास करना व्यर्थ होगा। हम में और एक कर्जदार में कोई फर्क नहीं होगा जो यह दावा करता हैं कि उसने अपना सारा ऋण चुका दिया है। जबकि उसने कुछ भी नहीं पटाया है, यह हमें झूठा ठहराता है। यदि एक ऋणी कहता है कि उसने अपना सब ऋण चुका दिया है। जबकि वह सोचता है कि उसने कोई भूल नहीं की है। वह अब भी अपने अन्तःकरण में ऋणी बना रहेगा। 
यीशु अपने बपतिस्मा के पानी से विश्वासियों को धोकर शुद्ध करता और परमेश्वर की संतान बनाता है। यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा यीशु ने संसार के पापों को अपने ऊपर ले लिया, ताकि सभी विश्वासी पवित्र किए जाएं। जब हम जानते और विश्वास करते हैं, तब हमारा हृदय हमेशा के लिए शुद्ध हो जाता है। 
धन्यवाद परमेश्वर के अनुग्रह के लिए। लूका २:१४ में कहता है, ‘आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है, शांति हो।ʼ यीशु के पानी और लहू पर हमारा विश्वास हमें सम्पूर्ण उद्धार देता है और हमें परमेश्वर की संतान बना देता है। यीशु का बपतिस्मा और उसका लहू हमें बचाता है और जो कोई इन दो बातों पर विश्वास करता है, वह बच जाता है। 
उसके उद्धार के कार्यों में कुछ भी छोड़ा नहीं जा सकता। कुछ लोग केवल लहू पर विश्वास करते हैं। संत पौलुस ने कहा है, क्रूस के सिवाय मैं कुछ नहीं जानता। लेकिन यीशु के क्रूस में उसका बपतिस्मा भी सम्मिलित है। 
हम इसे रोमियों अध्याय ६ में देखते हैं कि पौलुस ने मसीह के साथ बपतिस्मा लिया और मसीह के साथ मारा गया। और गलतियों २:२० में भी इस प्रकार देखते हैं, ‘मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ, अब मैं जीवित नहीं रहा, पर मसीह मुझसे जीवित है; और मैं शरीर में अब जो जीवित हूँ तो केवल उस विश्वास से जीवित हूँ जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिसने मुझ से प्रेम किया और मेरे लिए अपने आप को दे दिया।ʼ
और गलातियों ३:२७-२९ में भी इस प्रकार देखते हैं, ‘और तुम में से जितनों ने मसीह में बपतिस्मा लिया है उन्होंने मसीह को पहिन लिया है। अब न कोई यहूदी रहा और न यूनानी, न कोई दास, न स्वतंत्र, न कोई नर, न नारी, क्योंकि तुम सब मसीह यीशु में एक हो। और यदि तुम मसीह के हो तो अब्राहम के वंश और प्रतिज्ञा के अनुसार वारिस भी हो।ʼ
यीशु में बपतिस्मा लेने का अर्थ उसके सारे कार्यों को जो उसने संसार में किए, बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू बहाने में विश्वास करना है। यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू में विश्वास करने की सच्ची का अर्थ यह है कि उसने आज से २००० वर्ष पहले हमारे पापों को धो दिया है, और इसके सिवाय और कोई दूसरा रास्ता नहीं है जिससे हम उद्धार पा सकें। 
 
 
जब हमने यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू पर विश्वास किया तब परमेश्वर के द्वारा हम बचाए गए
 
क्या केवल पश्चात्ताप की प्रार्थना से हमारे पाप धुल सकते हैं?
नहीं। हमारे पापों की क्षमा तभी संभव है जब हम विश्वास करते हैं कि यूहन्ना के बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पापों को उसके यीशु के ऊपर डाल दिया गया।

रोमियों १०:१० ‘क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिए मुंह से अंगीकार किया जाता है।ʼ
गलातियों ३:२७ ‘तुम में से जितनों ने मसीह में बपतिस्मा लिया है उन्होंने मसीह को पहिन लिया है।ʼ हमारा विश्वास हमें यीशु में बपतिस्मा के लिए ले जाता है, ताकि मसीह को पहिन लें और परमेश्वर की संतान बन जाएं। जब यीशु इस संसार में आया तो उसने बपतिस्मा लिया। तब हमारे और सारे संसार के पापों को उसके ऊपर डाल दिया गया। 
हमारा विश्वास हमें यीशु में एक करता है। जब वह (यीशु) मरा, तब हम भी मारे गए। जब वह जिलाया गया, तब हम भी उसके साथ जिलाये गए। क्योंकि हम उसके बपतिस्मा, उसके लहू और उसके पुनरुत्थान, उसके स्वर्गारोहण, और उसके दुबारा आगमन पर विश्वास करते हैं। तब हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर हमेशा के लिए जीवित रहेंगे। 
जब लोग केवल यीशु के लहू पर ही विश्वास करते हैं, तो वे बच नहीं सकते। परन्तु उनका पाप उनके हृदय में बना रहता है और वे पापों से पीड़ित रहते हैं। क्यों? क्योंकि वे न तो बपतिस्मे के अर्थ को समझते हैं, और न ही उसे स्वीकार करते हैं, जिसने उनके पापों को दूर कर उनके पाप रुपी हृदय को शुद्ध करके उसे हमेशा के लिए हिम के समान श्वेत बना दिया है। 
क्या आप यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू पर विश्वास करते हैं कि यीशु ने आपके पापों से आपको बचाया है? कृपया आप इस न बदलने वाली सच्चाई पर विश्वास करें। यीशु के बपतिस्मा में विश्वास के बिना आपका यह विश्वास व्यर्थ है। बिना यीशु के बपतिस्मे पर विश्वास किये आप अपने पापों से छुड़ाए नहीं पा सकते; आप अमान्य प्रेम में बंधे हुए हैं। 
वे जो केवल क्रूस पर विश्वास करते और कहते हैं कि ‘यीशु मेरा प्रभु है, मेरा उद्धारकर्ता है, वह मेरे लिए क्रूस पर मारा गया। वह मृतकों में से जी उठा और स्वर्गारोहण के पूर्व ४० दिनों तक अपने पुनरुत्थान की साक्षी दी और अब वह परमेश्वर की दाहिने हाथ बैठा है। मैं विश्वास करता हूँ कि वह दूसरी बार हमारा न्याय करने आ रहा है और मैं प्रार्थना करता हूँ कि यीशु मुझे पूर्ण रुप से बदल देगा। अतः मैं उससे मुलाकात करुंगा। ओह, मेरे प्रिय यीशु, मेरे प्रभु।ʼ
वे अपने पापों की क्षमा के लिए कहते हैं और पाप रहित होने की आशा करते हैं, परन्तु उनके हृदय में पाप है। ‘मैं यीशु पर विश्वास करता हूँ, परन्तु मेरे हृदय में पाप है। मैं यीशु से प्रेम करता हूँ, परन्तु मेरे हृदय में पाप है। मैं कैसे कहूँ, ‘कृपया मेरे पास आइए, मेरे दूल्हेʼ। क्योंकि मुझमें पाप है और मुझे अपने उद्धार का निश्चय नहीं हैं। अतः मुझे आशा है कि यीशु आएंगे, तब मैं अच्छी तैयारी और कठोर प्रार्थना के साथ कठोर पश्चात्ताप करुंगा। मैं सम्पूर्ण हृदय से यीशु से प्रेम करता हूँ, परन्तु मैं उसका सामना नहीं कर सकता क्योंकि मेरे हृदय में पाप है। 
यदि उन लोगों को यीशु ने कहा था, ‘तुम सिद्ध नहीं हो क्यों चिंता करते हो?ʼ
वे उत्तर देते है, ‘प्रभु, मैं जानता हूँ, मैं धर्मी नहीं हूँ क्योंकि मैं हर दिन पाप करता हूँ। इसलिए जब आप पापियों को बुलाते हैं तब मुझे भी बुलाएं।ʼ
वे नहीं जानते कि परमेश्वर सृष्टिकर्ता और न्यायी है, परमेश्वर कभी भी पापियों को स्वीकार नहीं करेगा और न ही उन्हें अपनी संतान बनाएगा।
दूल्हा आया और उसने दुल्हिन के पाप की समस्या का निदान किया, परन्तु दुल्हिन इस बात से अनभिज्ञ थी और वह दुःख भोग रही थी। जब हम सोचते हैं कि हम पापी हैं क्योंकि हमने शरीर ने पाप किया है। तब परमेश्वर पर हमारा विश्वास नहीं होता है। जब हम परमेश्वर के वचन की सच्चाई को नहीं समझते और नहीं जानते, तब पाप हमारे हृदय मैं बढ़ता जाता है। 
 
क्यों कुछ लोग उस पाप से पीड़ित हैं जो उनके हृदयों में बाकी हैं?
क्योंकि वे यीशु के बपतिस्मा के अर्थ को न ही जानते है और न ही ग्रहण करते हैं कि यीशु ने उनके सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया है।

दूल्हे ने संसार के पापों को अपने ऊपर उठा लिया है। कहाँ? यरदन नदी में जब उसने बपतिस्मा लिया। जो इस बात पर विश्वास नहीं करते, वे अब भी पापी ही हैं। वे अशुद्ध दुल्हिन हैं। 
दूल्हे ने अपनी दुल्हिन से पूछा, ‘तुम कैसे मुझसे प्रेम करती हो जबकि तुम मेरी दुल्हिन नहीं हो? इससे पहिले कि मैं तुम्हें अपनी दुल्हिन कहूँ, तुम्हें तुम्हारे सारे पापों से धुला होना चाहिए।’
क्या हम यीशु के बपतिस्मा के बिना छुटकारा पा सकते हैं? नहीं! हम लोग परमेश्वर की स्वरुप और समानता में ....... हो गए हैं। इसलिए हम अपने हृदय में न्याय ढूंढ़ते हैं और हमारा विवेक हमें धर्मी ठहराने की कोशिश करता है। परन्तु यदि हमारा हृदय धुला हुआ नहीं हैं तो हम निष्पाप हैं, यह सोचना असंभव है। केवल जब हम यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करते और उसे ग्रहण करते हैं, तब वास्तव में कह सकते हैं कि हम में पाप नहीं है और हम धर्मी हैं। 
यदि हम विचार करते हैं कि हम निष्पाप हैं जबकि वास्तव में हमारे हृदय में पाप बसा हुआ है तब ऐसी दशा में हमारा विवेक कभी भी पवित्र नहीं हो सकता है। और ऐसी दशा में परमेश्वर हमें कभी भी ग्रहण नहीं करेगा क्योंकि परमेश्वर कभी झूठ नहीं बोलता। 
परमेश्वर ने मूसा से कहा कि इस्राएलियों की गिनती करों और उनके जीवन के छुटकारे के बदले में मुझे बलि चढ़ाओ। धनी व्यक्ति आधा शेकेल से ज्यादा न देवे और गरीब उससे कम न देवे, क्योंकि प्रत्येक को छुटकारे के लिए देना ही है। 
इसलिए कोई व्यक्ति कैसे शुद्ध हो सकेगा यदि वह यीशु पर विश्वास नहीं करता है कि वह उसके जीवन के लिए छुटकारा दे चुका है? ऐसे व्यक्ति के हृदय में पाप बना रहता है। 
यदि हम केवल यीशु के लहू पर विश्वास करते हैं, तब हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि हमारे हृदयों में पाप है और हम पापी हैं। परन्तु जब हम यीशु के बपतिस्मा और क्रूस के सुसमाचार पर संयुक्त रुप से विश्वास करते हैं, तब हम निश्चय कह सकते हैं कि हम में पाप नहीं है। तब उद्धार और अनन्त जीवन हमारा है। 
 
 

आत्मा के विरुद्ध निंदा

 
किस प्रकार का पाप मनुष्य को नरक का भागी बनाता है?
पवित्रात्मा के विरुद्ध पाप, दूसरे शब्दों में यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास नहीं करना

रोमियों १:१७ कहता है, ‘क्योंकि उसमें परमेश्वर की धार्मिकता विश्वास से और विश्वास के लिए प्रगट होती है।ʼ सुसमाचार में परमेश्वर की धार्मिकता प्रगट हुई है। यीशु इस संसार में आया और उसने अपने बपतिस्मा और क्रूस पर अपनी मृत्यु के द्वारा हमारे सारे पापों को धो दिया। यीशु का बपतिस्मा और उसका लहू सुसमाचार की सामर्थ है। यीशु ने हमारे पापों को एक बार में हमेशा के लिए धो दिया है। 
विश्वास करने का अर्थ उद्धार है, और विश्वास नहीं करने का अर्थ अनन्त विनाश है। इसीलिए हमारे स्वर्गीय पिता ने अपने एकलौते पुत्र यीशु को इस संसार में भेजा और हमारे पापों के प्रायश्चित के लिए उसका बपतिस्मा हुआ। अतः जो उस पर विश्वास करता है, वह अपने सारे अधर्मो से शुद्ध हो जाएगा।
इस संसार में केवल एक ही पाप बाकी है, वह यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू में विश्वास नहीं करना है। उस पर विश्वास नहीं करना आत्मा के विरुद्ध निंदा है और पाप है जिसका परमेश्वर न्याय करेगा। नरक की वास्तविकता पर अविश्वास भी सबसे बड़ा पाप है। यदि आप में से कोई ऐसा पाप करता है तो उसे यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास कर अपने पापों से पश्चात् करना चाहिए ताकि वह बच जाए। यदि नहीं तो आप हमेशा के लिए नाश हो जाएंगे। 
क्या आप उसके बपतिस्मा और लहू के छुटकारे की साक्षी के द्वारा बचाए गए हैं? क्या आपने यूहन्ना की गवाही को ग्रहण किया है। जैसा कि यूहन्ना १:२९ में लिखा है, ‘देखो, यह परमेश्वर का मेमना है जो संसार के पापों को उठा ले जाता है।ʼ क्या आप यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू पर विश्वास करते हैं जैसा कि इब्रानियों १०:१८ में लिखा है, ‘और जब इसकी क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा।ʼ
जो कोई अपने हृदय में यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू पर विश्वास करता है, परमेश्वर उन्हें प्रमाणित करता है। परमेश्वर उन्हें अपनी संतान बनाता है। जो कोई यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू पर विश्वास करते हैं, वे यीशु की धार्मिकता के प्रेम के द्वारा छुड़ाए गए हैं। 
जो कोई परमेश्वर की ओर से भेजा गया है, वह परमेश्वर के वचनों से बोलता है। परन्तु जो कोई व्यक्ति संसार से है, वह परमेश्वर की ओर से भेजा नहीं गया है। वह अपने स्वयं के विचारों का प्रचार करता है। इस संसार में बहुत से लोग है जो परमेश्वर के वचनों का प्रचार करते हैं। परंतु जो कोई परमेश्वर की ओर से भेजा गया है, वह व्यक्ति यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू का प्रचार करता है। 
जो कोई अपने स्वयं के शब्दों का प्रचार करते हैं, वे केवल अपने विचारों को अभिव्यक्त करते हैं। वे कहते हैं ‘कि हम मूल पाप से बचाए गए हैं, परन्तु हमें प्रतिदिन पापों से पश्चाताप करना है।ʼ वे कहते है कि हम क्रमशः पवित्र होते जाएंगे। 
क्या कोई व्यक्ति स्वयं से पवित्र हो सकता है? क्या हम अपने अच्छे कर्मों और अच्छे विचारों और साधनों से पवित्र हो सकते हैं? या क्या हम परमेश्वर के द्वारा अपने पापों से शुद्ध किए गए हैं अथवा क्या हमने अपने स्वयं के प्रयास से इनसे छुटकारा पाया है? 
सच्चा विश्वास ही है जो हमें पवित्र करता है। क्या हम कोयले को हजारों बार धोने के द्वारा श्वेत कर सकते हैं? क्या हम काली त्वचा को क्षार पानी से श्वेत कर सकते हैं? साबुन और क्षार पानी की कितनी भी मात्रा हमारे पापों को धो नहीं सकती, क्योंकि हमारे धर्म के काम मैले-चिथड़ों के समान हैं। क्या हम यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू के द्वारा धर्मी ठहरते हैं या केवल क्रूस पर उसके लहू में विश्वास करने के द्वारा?
सच्चा विश्वास यीशु के पानी के बपतिस्मा और उसके क्रूस के लहू के द्वारा आता है। उद्धार हमारे प्रयासों के द्वारा नहीं होता है। केवल हमारा विश्वास यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू के द्वारा हमारे पापों से मुक्त कर हमें धर्मी बनाता है। 
परमेश्वर पिता ने इस संसार के लोगों को अपने पुत्र के हाथों में सौंप दिया है, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह अनंत जीवन पाए। पुत्र में विश्वास करने का अर्थ है उसके बपतिस्मा और लहू के द्वारा उसके छुटकारे पर विश्वास करना। जो यीशु पर विश्वास करेंगे, वे अनन्त जीवन पाएंगे और परमेश्वर की संतान बनेंगे। जो बचाये हुए लोग हैं वे परमेश्वर के दाहिने हाथ में सदा के लिए जीवित रहेंगे। 
यीशु के बपतिस्मा और पिता के साथ एकता पर विश्वास करना ही आत्मा पर विश्वास करना है। वचन की सच्चाई हमें नए जन्म के लिए अनुमति देती है। हम यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू पर विश्वास करने के द्वारा बचाए गए हैं। 
हम यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू में विश्वास करने से छुटकारा पाते हैं। सत्य के सुसमाचार में विश्वास करने से हमें पापों की क्षमा मिलती है।