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उपदेश

विषय ८ : पवित्र आत्मा

[8-10] आत्मा में चलना! (गलातियों ५:१६-२६, ६:६-१८)

आत्मा में चलना!
(गलातियों ५:१६-२६, ६:६-१८)
पर मैं कहता हूँ, आत्मा के अनुसार चलो तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे। क्योंकि शरीर आत्मा के विरोध में और आत्मा शरीर के विरोध में लालसा करता है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं, इसलिये कि जो तुम करना चाहते हो वह न करने पाओ। और यदि तुम आत्मा के चलाए चलते हो तो व्यवस्था के अधीन न रहे। शरीर के काम तो प्रगट हैं, अर्थात् व्यभिचार, गन्दे काम, लुचपन, मूर्तिपूजा, टोना, बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट, विधर्म, डाह, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा और इनके जैसे और-और काम हैं, इनके विषय में मैं तुम से पहले से कह देता हूँ जैसा पहले कह भी चुका हूँ, कि ऐसे ऐसे काम करनेवाले परमेश्‍वर के राज्य के वारिस न होंगे। पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्‍वास, नम्रता, और संयम है; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं। और जो मसीह यीशु के हैं, उन्होंने शरीर को उसकी लालसाओं और अभिलाषाओं समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है। यदि हम आत्मा के द्वारा जीवित हैं, तो आत्मा के अनुसार चलें भी। हम घमण्डी होकर न एक दूसरे को छेड़ें, और न एक दूसरे से डाह करें।
जो वचन की शिक्षा पाता है, वह सब अच्छी वस्तुओं में सिखानेवाले को भागी करे। धोखा न खाओ; परमेश्‍वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है वही काटेगा। क्योंकि जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा; और जो आत्मा के लिये बोता है, वह आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की कटनी काटेगा। हम भले काम करने में साहस न छोड़ें, क्योंकि यदि हम ढीले न हों तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे। इसलिये जहाँ तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें, विशेष करके विश्‍वासी भाइयों के साथ। देखो, मैं ने कैसे बड़े बड़े अक्षरों में तुम को अपने हाथ से लिखा है। जो लोग शारीरिक दिखावा चाहते हैं वे ही तुम्हारा खतना करवाने के लिये दबाव डालते हैं, केवल इसलिये कि वे मसीह के क्रूस के कारण सताए न जाएँ। क्योंकि खतना करानेवाले स्वयं तो व्यवस्था पर नहीं चलते, पर तुम्हारा खतना इसलिये कराना चाहते हैं कि तुम्हारी शारीरिक दशा पर घमण्ड करें। पर ऐसा न हो कि मैं अन्य किसी बात का घमण्ड करूँ, केवल हमारे प्रभु यीशु मसीह के क्रूस का, जिसके द्वारा संसार मेरी दृष्‍टि में और मैं संसार की दृष्‍टि में क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ। क्योंकि न खतना और न खतनारहित कुछ है, परन्तु नई सृष्‍टि। जितने इस नियम पर चलेंगे उन पर, और परमेश्‍वर के इस्राएल पर शान्ति और दया होती रहे। आगे को कोई मुझे दु:ख न दे, क्योंकि मैं यीशु के दागों को अपनी देह में लिये फिरता हूँ। हे भाइयो, हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम्हारी आत्मा के साथ रहे। आमीन।
 
 
हमें पवित्र आत्मा में चलने के लिए क्या करना चाहिए?
हमें खुबसूरत सुसमाचार का प्रचार और अनुसरण कारण है।

प्रेरित पौलुस ने गलतियों की अपनी पत्री में पवित्र आत्मा के बारे में लिखा है। गलातियों ५:१३-१४ में लिखा है, “के भाइयो, तुम स्वतंत्र होने के लिए बुलाए गए हो; परन्तु ऐसा न हो कि यह स्वतंत्रता शारीरिक कामों के लिए अवसर बने, वरन प्रेम से एक दुसरे के दास बनो। क्योंकि सारी व्यवस्था इस एक ही बात में पूरी हो जाति है, “तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।” पर यदि तुम एक दुसरे को दांत से काटते और फाड़ खाते हो, तो चौकस रहो कि एक दूसरे का सत्यानाश न कर दो।”
संक्षेप में, संदेश यह है की जब से हम खुबसूरत सुसमाचार पर विश्वास के द्वारा बचाए गए है और हमारे पाप से मुक्त हुए है, तो फिर हमें इस स्वतंत्रता को दैहिक वासना में पड़ने का मौक़ा नहीं बनाना है, लेकिन प्रेम से हमें एक दूसरों की सेवा करनी चाहिए और खुबसूरत सुसमाचार का अनुसरण करना चाहिए। जब परमेश्वर ने हमें हमारे सारे पापों से बचाया है, तो हमें सुसमाचार का प्रचार करना चाहिए। पौलुस ने भी कहा है, “पर यदि तुम एक दुसरे को दांत से काटते और फाड़ खाते हो, तो चौकस रहो कि एक दूसरे का सत्यानाश न कर दो” (गलातियों ५:१५)।
 
 

पवित्र आत्मा से भरने के लिए आत्मा में चले

 
गलातियों ५:१६ में पौलुस कहता है, “पर मैं कहता हूँ, आत्मा के अनुसार चलो तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे।” और वचन २२-२६ में वह कहता है, “पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्‍वास, नम्रता, और संयम है; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं। और जो मसीह यीशु के हैं, उन्होंने शरीर को उसकी लालसाओं और अभिलाषाओं समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है। यदि हम आत्मा के द्वारा जीवित हैं, तो आत्मा के अनुसार चलें भी। हम घमण्डी होकर न एक दूसरे को छेड़ें, और न एक दूसरे से डाह करें।” यहाँ, पौलुस हमें कहता है की यदि हम आत्मा में चले, तो हम आत्मा के फल लायेंगे। आत्मा में चलने के लिए हमें पवित्र आत्मा की जरुरत है। लेकिन हम शरीर में जी रहे है।
हम मनुष्यजाति शरीर के साथ जन्मे है जो कभी भी आत्मा के फल नहीं दे सकता। यहाँ तक की यदि हम आत्मा में चलने की कोशिश करे, हमारा स्वभाव नहीं बदल सकता। इसी लिए केवल जिन्होंने खुबसूरत सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा पवित्र आत्मा का अंतर्निवास पाया है वे ही आत्मा में चल सकते है और आत्मा के फल दे सकता है।
जब बाइबल हमें आत्मा में चलने के लिए कहता है, इसका मतलब है की हमें खुबसूरत सुसमाचार का प्रचार करना चाहिए जिससे दुसरे लोगों के पाप माफ़ हो सके। यदि हम इस खुबसूरत सुसमाचार के लिए जी रहे है, तो हम आत्मा के फल लाएंगे। दुसरे शब्दों में, यह मनुष्य के स्वभाव को बदलने की बात नहीं है। जब हम इस खुबसूरत सुसमाचार के साथ चलते है, हम पवित्र आत्मा के फल लाते है, जैसे की प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता और संयम। आत्मा के फल दूसरो को उनके पापों से बचाने में और उन्हें अनन्त जीवन पाने में हमारी मदद करता है।
 
 

दैहिक वासना बनाम आत्मा की इच्छा

 
पौलुस कहता है, “क्योंकि शरीर आत्मा के विरोध में और आत्मा शरीर के विरोध में लालसा करता है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं, इसलिये कि जो तुम करना चाहते हो वह न करने पाओ” (गलातियों ५:१७)। जब से हम, जिन्होंने छूटकारा पाया है, तब से दैहिक वासना और आत्मा साथ में धारण किया है, यद् दोनों चीजे एक दुसरे के खिलाफ में है। परिणाम स्वरुप दोनों में से कोई भी हमारे दिल को पूरी रीति से नहीं भर सकते।
आत्मा हमें हमारे दिल की गहराई से, खुबसूरत सुअमाचार का प्रचार और प्रभु की सेवा के लिए अगुवाई करता है। वह हमें आत्मिक कार्यो में जुड़ने के लिए उत्सुक बनाता है। यह हमें परमेश्वर का खुबसूरत सुसमाचार प्रचार करने के द्वारा दूसरो को बचाने में हमारी मदद करता है।
लेकिन दूसरी तरफ, हमारी इच्छा दैहिक वासना को उत्तेजित कराती है जिससे हम आत्मा में चल सके। यह आत्मा और दैहिक पाप के बिच में अनन्त लड़ाई है। जब कोई व्यक्ति दैहिक वासना से भर जाता है, तब वह देह के लिए प्रतिबन्ध करने के द्वारा अन्त करता है। देह आत्मा के विरुध्ध अपनी इच्छा बनाता है। वह एक दुसरे के खिलाफ में है, इसलिए हम वो कार्य नहीं करते जो हम चाहते है।
तो फिर आत्मा में चलने के लिए क्या जरुरी है? और किस प्रकार की चीजे परमेश्वर को प्रसन्न कराती है? परमेश्वर कहता है की खुबसूरत सुसमाचार का प्रचार और अनुसरण करना आत्मा में चलना है। जिनके पास पवित्र आत्मा का अंतरनिवास है उनको परमेश्वर आत्मा में चलने का हृदय देता है, जिससे वे आत्मिक जीवन की अगुवाई कर सके। आत्मा में चलने के द्वारा आत्मा के फल लाने की आज्ञाए जो परमेश्वर ने हमें दी थी वह खुबसूरत सुसमाचार का प्रचार करके दूसरो को बचने के लिए हमारे लिए परामर्श और आदेश था। पवित्र आत्मा में चलने का मतलब है ऐसा जीवन जीना जो परमेश्वर को प्रसन्न करे।
आत्मा में चलने के लिए, सबसे पहले हमारे अन्दर पवित्र आत्मा का अंतरनिवास होना चाहिए। यदि हम पवित्र आत्मा पाना चाहते है जो हमारे अन्दर रहता है तो सबसे पहले हमें परमेश्वर ने दिया हुआ खुबसूरत सुसमाचार पर विश्वास कारण पडेगा। यदि हम अपने दिल की गहराई से खुबसूरत सुसमाचार पर विश्वास नहीं करते है तो हम ना तो पवित्र आत्मा का अंतर्निवास पा सकते है और ना तो पाप से उद्धार पा सकते है, जिसका मतलब है की हम आत्मा में चलने के लिए सक्षम नहीं बनेंगे।
आत्मा हमें खुबसूरत सुसमाचार प्रचार करने की, प्रभु की सेवा करने की और परमेश्वर की महिमा करने की इच्छा देता है। यह इच्छा ऐसे हृदय से आती है जो परमेश्वर के प्रति और जगत में खुबसूरत सुसमाचार प्रचार करने के लिए समर्पित हो। यह ऐसे हृदय से भी आती है जो किसी भी कीमत पर खुबसूरत सुसमाचार प्रचार करने के लिए तैयार है। जो लोग खुबसूरत सुसमाचार में विश्वास करते है और अपने पापों की माफ़ी पाने के बाद पवित्र आत्मा पाटा है वह आत्मा में चलने के लिए और खुद को सुसमाचार प्रचार करने के लिए समर्पित करने के लिए सक्षम बनाता है। यह ऊपर से उसके लिए आत्मिक विरासत है।
जिन के अन्दर पवित्र आत्मा का अंतर्निवास होता है वे पवित्र आत्मा की आज्ञा का पालन करते है और आत्मा में चलते है, भले ही उनके अन्दर दैहिक वासना क्यों न हो क्योंकि पवित्र आत्मा उनके अन्दर बसता है। पौलुस ने कहा, “आत्मा में चलो।” यह कहने का उसका मतलब था की हमें पानी और आत्मा के खुबसूरत सुसमाचार का प्रचार करना ही चाहिए जो यीशु ने हमें दिया है जिससे हम दूसरों को उनके पाप माफ़ होने के लिए मदद कर सके।
कभी कभी आत्मा में चलते समय, हम देह के मुताबिक़ चलते है। दैहिक वासना और पवित्र आत्मा की इच्छा हमारे जीवन में युध्ध करते है, लेकिन हमें स्पष्ट रूप से जो जानने की और पहिचानने की जरुरत है वो यह है की जिनके अन्दर पवित्र आत्मा का अंतर्निवास है वे आत्मा के अनुसार चलने का जीवन जीते है। केवल इसी तरीके से हम परमेश्वर की आशीषों से भरा जीवन जीने के लिए सक्षम बन पाएंगे। यदि जिन्होंने पवित्र आत्मा का अंतर्निवास पाया है वे लोग आत्मा के फल देने से इनकार कर दे, तो वह देह के पाप देने के द्वारा नाश होंगे। उनके फल नाशवंत और तुच्छ है। यहाँ हमार लिए आत्मा में चलने के लिए कारण है।
हमने सुना कि “आत्मा में चलो,” लेकिन हम में से कुछ लोग शायद ऐसा सोचेंगे “जब मैं खुद के अन्दर पवित्र आत्मा को महसूस नहीं करता हूँ तो मैं यह कैसे करू?” हम में से कुछ लोग सोचेंगे की यदि परमेश्वर हमारे सामने आकर हमसे बात करेगा तभी हम पवित्र आत्मा का अंतर्निवास पहचान पाएंगे। लेकिन यह गलत फहमी है। पवित्र आत्मा हमें पानी और आत्मा के खुबसूरत सुसमाचार के लिए जीवन जीने की इच्छा देता है।
शायद कभी ऐसा भी होगा की हमें निश्चय होगा की पवित्र आत्मा हमारे अन्दर है लेकिन हम उसका एहसास नहीं कर पाएंगे क्योंकि देह के मुताबिक़ चलते है। कुछ लीग शायद यह भी सोचेंगे की वह हमारे अन्दर सो रहा है। वे वह लोग है जिन्होंने पवित्र आत्मा प्राप्त तो कर लिया है लेकिन अभी भी देह में चल रहे है।
यह लोग केवल अपनी देह को ही आराम देते है और ऐसा कार्य करते है और यह देह की बढाती आवश्यकताओं के कारण अन्त में नाश होता है। यहाँ तक की जिसने पवित्र आत्मा का अंतर्निवास पाया है वे भी दैहिक वासना के अनुसार जीवन जीते है, क्योंकि वे सोचते है की ऐसा करना स्वाभाविक है। लेकिन जो देह के आधीन है वे देह के गुलाम बन जाते है।
प्रभु हमें आत्मा के अनुसार जीवन जीने के लिए कहते है। इसका मतलब है खुबसूरत सुसमाचार की सेवा करना। इसका यह मतलब भी होता है की हमें हमारा सम्पूर्ण जीवन पानी और आत्मा के खुबसूरत सुसमाचार के आधीन करना चाहिए। सुसमाचार में आनंदित होना और इसके द्वारा जीवन जीना आत्मा में चलना है। आत्मा में चलना क्या है यह सिखने के द्वारा हमें वैसे जीवन जीना है। क्या आप आत्मा में चलते है?
 
 

क्या जिस व्यक्ति के पास पवित्र आत्मा का अंतर्निवास नहीं है वह आत्मा में चल सकता है?

 
जिनका नया जन्म नहीं हुआ है वे आत्मा में चलना क्या है वह नहीं जानते। इसतरह, कई लोग अपने तरीके से पवित्र आत्मा पाने की कोशिश करते है। वे ऐसा सोचते है की पवित्र आत्मा पाने की इच्छा और पवित्र आत्मा से भर जाना दोनों ही एक जैसे है।
उदाहरण स्वरुप, जब लोग सभा के लिए आराधनालय में जमा होते है, तब सेवक जोर से प्रार्थना करना शुरू करता है और लोग भी प्रभु का नाम लेने लगते है। कई लोग अन्य भाषा में बोलते है जैसे की वे पवित्र आत्मा से भर गए है, लेकिन कोई भी नहीं, यहाँ तक की वे खुद भी, ये नहीं समझते की वे क्या दोल रहे है। इस दौरान, कुछ लोग जमीं पर गिर जाते है और उनके शरीर आनन्द से हिलाने लगते है। वास्तव में वे दुष्टात्मा से ग्रसित होते है लेकिन वे सोचते है की उन्होंने पवित्र आत्मा पाया है। उसके बाद बड़ा हंगामा होता है जब लोग चिल्लाते है, “प्रभु, प्रभु!” वे प्रभु का नाम लेते है, आँसू बहते है और अपने हाथों से तालियां बजाते है। इस घटना को “पवित्र आत्मा से भरजाना” कहते है।
सेवक वेदी के पास खड़ा होकर जोर जोर से अन्य भाषा में बोलता है और लोग भी जोर से “प्रभु! प्रभु!” चिल्लाते है। उनको इस तरह का माहौल पसंद है और कुछ लोग तो कहते है की जब वे बेहोश थे तब उन्होंने दर्शन में एदन वाटिका में भले और बुरे के ज्ञान का पेड़ और यीशु का चहेरा देखा। वे इस मिथ्या विचार को पवित्र आत्मा पाने का, उससे भरजाने का, और उससे बात करने का तरिका समझते है। परमेश्वर और पवित्र आत्मा के बारे में उनके मिथ्या विचार उनके गलत कार्यो का परिणाम है।
“आत्मा में चलो।” परमेश्वर नया जन्म पाए हुए लोगों को यह कहता है। इसका मतलब है की उसे प्रसन्ना करनेवाले कार्यो को करना। पौलुस देह के कार्यो को पवित्र आत्मा के फलों के साथ तुलना करता है। उसने कहा, “पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्‍वास, नम्रता, और संयम है” (गलातियों ५:२२-२३)।
“आत्मा में चलने” का मतलब है खुबसूरत सुसमाचार का प्रचार करना और दूसरों को उनके पापों से बचाना। यदि हम ऐसा करते है, तब हम आत्मा के फल देने के लिए सक्षम बनते है। प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम आत्मा के फल है और हम आत्मा के यह फल केवल तभी दे सकते है जब हम खुबसूरत सुसमाचार के द्वारा जीवन जिए। यदि कोई व्यक्ति खुबसूरत सुसमाचार का प्रचार करता है, इसके लिए खुदको बलिदान करता है, तो वह पवित्र आत्मा से भरा आत्मिक जीवन जी सकता है।
आत्मा के फल की तरह, “भलाई” का मतलब है अच्छे कार्यो को करना। इसका मतलब सदाचार भी है। खुबसूरत सुसमाचार के लिए सदाचार को बनाए रखना और दूसरों के फायदे के लिए कुछ करना भलाई है। परमेश्वर की दृष्टि में सबसे बड़ी भलाई दूसरो के फायदे के लिए सुसमाचार का प्रचार करना।
और “कृपा” का मतलब है लोगों के लिए तरस से भर जाना। जो दूसरो के प्रति दयालु है वह सुसमाचार की धीरज और कृपा से सेवा करता है और शान्ति स्थापित करता है। जो आत्मा में चलता है वह प्रभु के कार्य को पूरा होते हुए देखकर खुश होता है, उसका कार्य करना अच्चा लगता है, दूसरो को प्रेम करता है और हर बात में वह विश्वासयोग्य रहता है। हालाँकि कोई भी उसे ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं करता, फिर भी जिसके पास पवित्र आत्मा का अंतर्निवास है वह काम पूरे होने तक विश्वासयोग्य रहता है। वह नम्र है और संयम को बनाए रखता है। उसके अन्दर आत्मा के फल है। जिस व्यक्ति के अन्दर पवित्र आत्मा है वह आत्मा में चलता है। यदि वह ऐसा करता है केवल तभी वह आत्मा के फल दे सकता है।
यदि आप आत्मा में चले तो आप भी आत्मा के फल दे सकते है। लेकिन यदि आप नहीं चलते, तो आप दैहिक वासनाओं के साथ चलेंगे। गलातियों ५:१९-२१ में वचन कहता है, “शरीर के काम तो प्रगट हैं, अर्थात् व्यभिचार, गन्दे काम, लुचपन, मूर्तिपूजा, टोना, बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट, विधर्म, डाह, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा और इनके जैसे और-और काम हैं, इनके विषय में मैं तुम से पहले से कह देता हूँ जैसा पहले कह भी चुका हूँ, कि ऐसे ऐसे काम करनेवाले परमेश्‍वर के राज्य के वारिस न होंगे।”
 
 
देह के कार्य स्पष्ट है
 
देह के कार्य स्पष्ट है। देह का सबसे पहला कार्य “व्यभिचार” है, जिसका मतलब है विपरीत लिंग के साथ अनैतिक संबंध रखना। दूसरा है “गंदे काम।” तीसरा है “लुचपन।” चौथा है “लीलाक्रीडा,” जिसका मतलब है वासना से भरा हुआ। पाँचवा है “मूर्तिपूजा,” जिसका मतलब है परमेश्वर को छोड़ मूर्ती की सेवा करना। छठवाँ है “टोना”। साँतवा है “बैर”। यदि व्यक्ति पवित्र आत्मा के बगैर देह के अनुसार चलें, तो वह केवल अपने पापी स्वभाव के अनुसार दूसरों के प्रति बैर रखेगा। आँठवा है “झगड़ा”। इसका मतलब है हमारे मित्र या परिवार के साथ झगड़ा करना। दुसरे है “ईर्ष्या, क्रोध और विरोध”। यह सब देह से चलनेवाले व्यक्ति के गुण है।
दसवाँ है “विरोध”। जब व्यक्ति केवल अपने देह के अनुसार चलता है तो उसके लिए कलीसिया के कार्य करना असंभव हो जाता है और धीरे धीरे वह अपनी इच्छासे कलीसिया को छोड़ा देगा। ग्यारवाँ है “विधर्म”। जो देह में चलता है वह अपनी इच्छा को पूरा करता है। लेकिन परमेश्वर की इच्छा से जीवन बिलकुल अलग है और वह धीरे धीरे खुबसूरत सुसमाचार से दूर चला जाता है। विधर्म का मतलब है बाइबल के सत्य से अलग हो जाना। जो कोई भी परमेश्वर के वचन पर विश्वास करता है और आत्मा में चलता है वह कभी भी परमेश्वर की इच्छा से दूर नहीं होगा। “डाह, मतवालापन, लीलाक्रीडा, और इनके जैसे” सभी देह के कार्य है। जो केवल देह के काम के अनुसार चलता है वह अन्त में ये सारी चीज करता है। इसी लिए प्रभु ने कहा है, “आत्मा में चलो”। हम, जो नया जन्म पाए हुए है, उन्हें आत्मा में चलना चाहिए।
जो लोग नया जन्म नहीं पाए है उनके हृदय में केवल दैहिक वासना है। इसी लिए वे “लुचपन, गंदे काम, लीलाक्रीडा, और मूर्तिपूजा” में हिस्सा लेते है। झूठे सेवक जिन्होंने नया जीवन नहीं पाया है वे अपने अनुयायियों से ज्यादा पैसे एठने के लिए उन पर “टोने” का प्रयोग करते है। वे उन लोगों को कलीसिया में महत्व के और उच्च पद देते है जो ज्यादा पैसे दान देते है। जो लोग देह के अनुसार चलते है वे दूसरो के प्रति “बैर” रखते है। उन्होंने कलीसियाओं को अनेक पंथो में विभाजित कर दी है, वे अपने पंथ पर अभिमान करते है और दुसरे के पंथ को झूठ समझते है। “ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट, विधर्म और डाह” उनके हृदयों में होता है जिन्होंने नया जन्म नहीं पाया। यदि हम केवल देह के मुताबिक़ चलेंगे तो हम संतों के साथ भी ऐसा ही होगा।
 
 
आत्मा नया जन्म पाए हुए लोगों में पवित्र आत्मा के फल लाता है 
 
जिन्होंने नया जन्म पाया है उन्हें खुबसूरत सुसमाचार का प्रचार करने के लिए जीवन जीना चाहिए। जैसे की हमारे लिए अकेले प्रभु का अनुसरण करना बहुत ही कठिन है, इसलिए हमें खुबसूरत सुसमाचार की सेवा का कार्य परमेश्वर की कलीसिया के साथ मिलकर करना चाहिए। हमें साथ मिलकर प्रार्थना करनी चाहिए और हमारी उर्जा ऐसे व्यक्ति बनने के लिए खर्च करनी चाहिए जो आत्मा के खुबसूरत सुसमाचार के अनुसार चलता हो। जो लोग आत्मा में चलते है वे पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार करने के लिए जीवन जीते है। दुसरे शब्दों में, देह अनुसार चलने का मतलब है केवल खुद के लिए जीवन जीना और आत्मा में चलने का मतलब है दूसरो की आत्मा बचाने के लिए कार्य करना। कई सारे मसीही इस तरह का खुबसूरत जीवन जीते है। वे दूसरो की भलाई के लिए जीवन जीते है।
इस दुनिया में बहुत सारे लोग ऐसे भी है जिन्होंने खुबसूरत सुसमाचार को नहीं सुना है। हम आफ्रिका और एशिया के लोगों को प्रेम करते है। हम यूरोप और अमरीका और दूर दरार के द्वीपों को भी प्रेम करते है। हमें पानी और आत्मा के खुबसूरत सुसमाचार की पहिचान करा कर उनको हमारा प्रेम दिखाना चाहिए।
हमें आत्मा में चलना चाहिए। इसके विरोध में कोई व्यवस्था नहीं है। “पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्‍वास, नम्रता, और संयम है; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं” (गलातियों ५:२२-२३)। क्या कोई व्यवस्था है जो इसके विरोध में हो? नहीं। यह आत्मा की व्यवस्था है जिसका हमें पालन करना है। पौलुस हमें आत्मा में चलने के लिए कहता है। जैसे हमारे प्रभु ने अपना जीवन हम पापियों के लिए दिया, हमें दुसरे लोगों को सुसमाचार प्रचार करना चाहिए। दूसरों को उनके पापों से बचाना आत्मा में चलना है। हमें आत्मा में चलना चाहिए।
गलातियों ५:२४-२६ में पौलुस ने कहा है, “और जो मसीह यीशु के हैं, उन्होंने शरीर को उसकी लालसाओं और अभिलाषाओं समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है। यदि हम आत्मा के द्वारा जीवित हैं, तो आत्मा के अनुसार चलें भी। हम घमण्डी होकर न एक दूसरे को छेड़ें, और न एक दूसरे से डाह करें”। यदि हम आत्मा में जीवन जीना चाहते है तो हमें खोई हुई आत्मा को बचाने के लिए जीना पडेगा। हमें आत्मा के कार्य करना चाहिए और उसके साथ चलना चाहिए। परमेश्वर ने हमें जो पवित्र आत्मा दिया है वह हमें हमारे हृदय में यीशु के साथ जीने के लिए अगुवाई करेगा। पवित्र आत्मा सबके ऊपर राजा है। परमेश्वर हमें अपने प्रेम के साधन के रूप में इस्तेमाल करते है।
पौलुस ने कहा, “और जो मसीह यीशु के हैं, उन्होंने शरीर को उसकी लालसाओं और अभिलाषाओं समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है” (गलातियों ५:२४)। उसने यह भी कहा है की जो लोग नया जन्म पाए हुए है वे यीशु मसीह के साथ मर चुके है। हम इस बात को नहीं समझते, लेकिन जब वह हमारे पापों की कीमत चुकाने के लिए मारा तब हम भी उसके साथ मर गए थे। दुसरे शब्दों में, यीशु मसीह को सूली पर चढ़ाया उसका मतलब है आप और मैं क्रूस पर उसके साथ मर गए। हमारे अन्दर विश्वास की जरुरत है। हमारा विश्वास आत्मा में चलने के लिए हमारी अगुवाई करता है।
परमेश्वर ने हमें आत्मा में चलने के लिए सामर्थ्य दिया है। इसलिए, हम जिनके पाप माफ़ किए गए है उन्हें आत्मा में चलना चाहिए। जिन्होंने पवित्र आत्मा पाया है उन्हें धन्यवाद देना चाहिए की उनके पाप माफ़ किए गए है और खोई हुई आत्माओं के उद्धार के लिए खुबसूरत सुसमाचार का प्रचार करने के लिए अपना जीवन समर्पित करना चाहिए। हालाँकि कोई व्यक्ति अपने पापों से माफ़ी पा चूका हो लेकिन यदि फिर भी वह दैहिक वासनाओं के मुताबिक़ जीवन जीता है तो वह प्रभु की कलीसिया से अलग हो जाएगा और उसकी सेवा नहीं कर पाएगा। प्रभु यीशु मसीह के दिन तक आपको और मुझे पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा जीवन जीना चाहिए।
 
 
कभी भी दम्भी मत बनो लेकिन पवित्र आत्मा की भरपूरी के द्वारा जीवन जिओ
 
पौलुस ने कहा, “हम घमण्डी होकर न एक दूसरे को छेड़ें, और न एक दूसरे से डाह करें”। घमण्ड क्या है? यह देह की वासना के अनुसार चलना है। इस दुनिया में बहुत सारे ऐसे लोग है जो अपने खुद के घमण्ड के लिए जीवन जीते है। कई लोग पैसे बटोरते है, श्रेष्ठता की इच्छा रखते है, सांसारिक सुन्दरता को प्रेम करते है और यहाँ अभी के लिए जीते है। इसमें कोई सच्चाई नहीं है, और जैसे समय जाएगा वैसे यह गायब हो जाएगा। इसलिए जो लोग देह के अनुसार चलते है उन्हें घमण्डी कहा गया है। यदि मनुष्य के पास समृध्धि हो, तो क्या उससे उसके दिल में शान्ति और संतुष्टि होगी? देह के फल धीरे धीरे नाश हो जाते है। सांसारिक चीजे दूसरो की भलाई के लिए नहीं होती यह केवल खुद के लिए होती है। वह केवल व्यक्ति की खुद की देह के लिए होती है।
बाइबल कहती है, “ऐसे है, जो छितरा देते है, तौभी उनकी बढाती हो जाति है; और ऐसे भी है जो यथार्थ से कम देते है, और इससे उनकी घटती ही होती है” (नीतिवचन ११:२४)। जो लोग नया जन्म नहीं पाए वे पैसे को बचाके रखते है। क्योंकि सांसारिक चीजे उनके लिए सब कुछ है, उंके अन्दर दूसरो का ख़याल रखने की कोई बात नहीं होती। इसी लिए वे केवल अपने खुद की चिंता करते है। लेकिन बैबला में कहा गया है की ऐसे भी है जो यथार्थ से कम देते है, और इससे उनकी घटती ही होती है। व्यक्ति देह की वासनाओं के अनुसार चलता है, लेकिन उसका परिणाम चोर आकर चोरी कर जाता है और और मार देता है उसके समान होता है। यह सारा परिणाम घमण्ड की वजह से होता है।
 
 
वे जिन्हें आत्मा की इच्छा का अनुसरण करना अच्छा लगता है
 
पौलुस आत्मा के अनुसार जीवन जीना चाहता था। उसने हमें परमेश्वर के वचन के द्वारा जीवन जीने के बारे में सिखाया। उसने गलातियों ६:६-१० में कहा है, “जो वचन की शिक्षा पाता है, वह सब अच्छी वस्तुओं में सिखानेवाले को भागी करे। धोखा न खाओ; परमेश्‍वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है वही काटेगा। क्योंकि जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा; और जो आत्मा के लिये बोता है, वह आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की कटनी काटेगा। हम भले काम करने में साहस न छोड़ें, क्योंकि यदि हम ढीले न हों तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे। इसलिये जहाँ तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें, विशेष करके विश्‍वासी भाइयों के साथ”। 
पौलुस ने उन लोगों को राय दी है जो परमेश्वर के वचन को जानते है और कहा है की सब अच्छी वस्तु में सिखानेवाले को भागी करे। “सब अच्छी वास्तु” का मतलब है की आत्मा में चलने और सुसमाचार का प्रचार करके खोई हुई आत्मा को बचाकर जीवन जीने से परमेश्वर को प्रसन्न करना। जो लोग नया जन्म पा चुके है उन्हें जो लोग आत्मा चलते है और सिखाते है उनके साथ जुड़ना चाहिए, क्योंकि उनके विचार, प्रेम और न्याय एक जैसे ही होते है।
“सब अच्छी वस्तु में सिखानेवाले को भागी करे”। “अच्छी वस्तु” का मतलब है की कलीसिया के द्वारा दूसरों को उनके पापों से बचाना। पौलुस ने हमें सब कुछ एक मन, एक प्रार्थना और एक मनन के साथ करने के लिए कहा है। हमें प्रभु का कार्य साथ में मिलकर करना चाहिए।
पौलुस ने कहा, “धोखा न खाओ; परमेश्‍वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है वही काटेगा”। यहाँ, “ठठ्ठों में उड़ाना” का मतलब है “हँसी उड़ाना और तिरस्कार करना” मतलब परमेश्वर की हँसी मत उडाओ और उसका तिरस्कार मत करो। किसी भी व्यक्ति को परमेश्वर के वचनों को हलके में नहीं लेना चाहिए, वचन का खुद के अनुसार विश्लेषण नहीं करना चाहिए और उसे तिरस्कार नहीं करना चाहिए। पौलुस कहता है, “क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है वाही काटेगा”। इसका मतलब है की जो देह को को बोता है वह भ्रष्टाचार काटेगा, लेकिन जो आत्मा को बोता है वह अनन्त जीवन काटेगा।
यदि हम पानी और आत्मा के खुबसूरत सुसमाचार को बोएँगे तो हम क्या काटेंगे? हम अनन्त जीवन और हमारे पापों से उद्धार पारपत करेंगे। हम दूसरों के पापों के छुटकारे के लिए और परमेश्वर की आशीष के द्वारा अनन्त जीवन से दूसरों की आत्माओं की अगुवाई करके आत्मा के फल काटेंगे।
लेकिन जो लोग अपनी देह के अनुसार जीवन जीते है उनके बारे में क्या? वे लोग भ्रष्टाचार काटेंगे और अन्त में उनकी मौत होगी। उनकी मृत्यु के बाद कुछ भी नहीं बचेगा। मनुष्य खाली हाथ जन्म लेता है और खाली हाथ मर जाता है।
यदि वह दूसरों को उनके पापों से बचाने का कार्य करे, तो वे आत्मा के फल काटेंगे और अनन्त जीवन पाएंगे। लेकिन यदि वे देह की वासनाओं के अनुसार चलेंगे, तो वे भ्रष्टाचार काटेंगे। वे शाप को काटेंगे और दूसरो पर भी शाप लाएंगे। इसलिए, पौलुस, जो विश्वास से जीने के बारे में सब कुछ जानता है, वह हमें देह के अनुसार चलने की राय नहीं देता।
“हम भले काम करने में साहस न छोड़ें, क्योंकि यदि हम ढीले न हों तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे”। पौलुस परमेश्वर का सेवक था जो आत्मा में चलता था। जब लोग बाइबल में देखते है की वह आत्मा में चला था, तो कुछ लोग सोचेंगे की पवित्र आत्मा ने वह करने के लिए उसे सीधे आदेश दिया होगा जैसे की, “पौलुस, बाई ओर जा और किसीको मिल” या “तुझे उस व्यक्ति से दूर रहना चाहिए”। लेकिन यह सच नहीं है।
वह दूसरों को सुसमाचार प्रचार करके और उनकी आत्माओं को बचा ने के लिए मदद करने के द्वारा आत्मा में चला था। जो लोग आत्मा में चलते थे उनके साथ जुड़कर भी पुलिस ने प्रभु की सेवा की थी। मसीहियों में, ऐसे लोग भी है जो आत्मा में नहीं चलते लेकिन देह की वासना के अनुसार चलते है। वे पौलुस का स्वागत नहीं करते लेकिन उसका विरोध करते है और उसे बदनाम करते है। पौलुस कहता है की जो लोग यीशु मसीह के चेलों के विरोध में लड़ते है और उनको बदनाम करते है उनके साथ मेरा कोई लेना देना नहीं है।
यदि आप आत्मा में चलना चाहते है, तो आप को सुसमाचार के अनुसार जीवन जीना पडेगा। खतना किए हुए लोगों ने पौलुस को सताया। गलातियों ५:११ में लिखा है, “परन्तु हे भाइयो, यदि मैं अब तक खतना का प्रचार करता हूँ, तो क्यों अब तक सताया जाता हूँ? फिर तो क्रूस की ठोकर जाती रही”। खतना किए हुए लोग वे थे जो खतना करने की हिमायत करते, कहते थे, “यदि कोई यीशु में विश्वास के द्वारा नया जन्म पाता है, तो उसे खतना करवाना चाहिए। यदि वह शारीरिक खतना नहीं करवाता, तो वह परमेश्वर की संतान नहीं है”। क्यों वे उसके पीछे पद गए? पौलुस विश्वास करता था की छूटकारा और अनन्त जीवन की आशीष केवल यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर के उसके लहू पर विश्वास करने के द्वारा मिलता है। उसने यही प्रचार किया।
लोगों को धर्मी बनानेवाला विश्वास सत्य को सिखाने और उसके उसके प्रचार करने के द्वारा आता है। पौलुस ने पानी और आत्मा के सत्य को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया है। वह विश्वास करता था की जो लोग सत्य को जानते है वे आत्मा में चलते है और इसलिए खतना करने की कोई जरुरत नहीं है। उसने यही प्रचार किया। लेकिन खतना किए हुए लोग विश्वास करते थे व्यक्ति के उद्धार में विश्वास के लिए खतना बहुत ही महत्वपूर्ण है। हालाँकि, परमेश्वर के द्वारा दिए गए सुसमाचार के अलावा ओर कोई सुसमाचार नहीं है और इसलिए हमें इसमे कुछ मिला नहीं है और कुछ घटना भी नहीं है।
जब पौलुस आत्मा में चलता था तब वह अपने यहूदी अनुयायियों के द्वारा नकारा गया और सताया गया। “जो लोग शारीरिक दिखावा चाहते हैं वे ही तुम्हारा खतना करवाने के लिये दबाव डालते हैं, केवल इसलिये कि वे मसीह के क्रूस के कारण सताए न जाएँ। क्योंकि खतना करानेवाले स्वयं तो व्यवस्था पर नहीं चलते, पर तुम्हारा खतना इसलिये कराना चाहते हैं कि तुम्हारी शारीरिक दशा पर घमण्ड करें। पर ऐसा न हो कि मैं अन्य किसी बात का घमण्ड करूँ, केवल हमारे प्रभु यीशु मसीह के क्रूस का, जिसके द्वारा संसार मेरी दृष्‍टि में और मैं संसार की दृष्‍टि में क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ। क्योंकि न खतना और न खतनारहित कुछ है, परन्तु नई सृष्‍टि” (गलातियों ६:१२-१५)। और पौलुस में खतना किए हुए लोगों से कहा, “जो लोग शारीरिक दिखावा चाहते हैं वे ही तुम्हारा खतना करवाने के लिये दबाव डालते हैं, केवल इसलिये कि वे मसीह के क्रूस के कारण सताए न जाएँ”।
जो लोग देह की वासनाओं के अनुसार चलते है उन्हें पौलुस धिक्कारता है। वे देह के वासना के कार्य के अनुसार चलते है और उनके जैसे बहुत सारे लोग है। लेकिन पौलुस उनके साथ रिश्ता ख़त्म कर देता है। पौलुस ने कहा, “पर ऐसा न हो कि मैं अन्य किसी बात का घमण्ड करूँ, केवल हमारे प्रभु यीशु मसीह के क्रूस का”। जगत के सारे पापों को उठाने के लिए यीशु मसीह ने यूहन्ना से बपतिस्मा लिया और पौलुस और प्रभु ने बुलाए हुए सारे लोगों को बचाने के लिए वह क्रूस पर मर गए। पौलुस ने कहा, “केवल हमारे प्रभु यीशु मसीह के क्रूस का, जिसके द्वारा संसार मेरी दृष्‍टि में और मैं संसार की दृष्‍टि में क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ। क्योंकि न खतना और न खतनारहित कुछ है, परन्तु नई सृष्‍टि।” पौलुस, जो संसार के लिए मरा हुआ था, लेकिन मसीह के द्वारा फिर से जिलाया गया।
वास्तव में हम मसीह में मरे हुए है। लेकिन कई बार हम इस अटी को भूल जाते है। हमें इस पर विश्वास करना ही चाहिए। यदि हमें इस सत्य पर विश्वास नहीं है, तो हम देह की वासना और हमारे परिवारों से बंधे हुए है, और यह हमें प्रभु के साथ चलने से रोकता है। हमारी देह इतनी कमज़ोर है की हमारा परिवार भी हमें उसके साथ चलने में मदद नहीं कर सकती। केवल प्रभु हमारी मदद कर सकते है। लेकिन अब हम संसार के लिए क्रूस पर चढ़ गए है। कैसे कोई मरा हुआ मनुष्य संसार के लोगों को सांसारिक बातों में मदद कर सकता है? जो लोग इस संसार में मर चुके है उनके पास कोई सांसारिक चीजे नहीं होती।
यीशु पुनरुत्थित हुआ था। उसका पुनरुत्थान हमें आत्मिक जीवन में नया जन्म पाने की अनुमति देता है। यहाँ हमारे पास नया कार्य, नया परिवार, नई आशा है। हम नया जन्म पाए हुए लोग है। हम, स्वर्ग के सैनिक है इसलिए, परमेश्वर के वचनों को प्रचार करना हमारी जिम्मेदारी है। पौलुस अंगीकार करता है की वह सांसारिक रीति से नहीं लेकिन आत्मिक तरीके से दूसरो को उद्धार पाने में मदद करनेवाला व्यक्ति बना था। उसने कहा की वह पहले से मर चुका है और यीशु मसीह के द्वारा फिर से जिलाया गया है। आइए ऐसे व्यक्ति बने जो ऐसी ही गवाही देनेवाला हो।
पौलुस गलातियों ६:१७-१८ में कहता है, “आगे को कोई मुझे दु:ख न दे, क्योंकि मैं यीशु के दागों को अपनी देह में लिये फिरता हूँ। हे भाइयो, हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम्हारी आत्मा के साथ रहे। आमीन”। पौलुस ने प्रभु यीशु के दाग लिए थे। उसने आत्मा में चलने के लिए प्रभु के लिए अपने स्वास्थ्य की भी चिंता नहीं की। जब वह धीरे धीरे अपनी देखने की क्षमता खो रहा था, तब वह लिख भी नहीं सकता था। इसलिए जब वह परमेश्वर के वचन बोल रहा था तब उसकी कुछ पतरिया उसके साथी तिरतियुस ने लिखी थी। भले ही वह शारीरिक रूप से कमज़ोर था, फिर भी वह आत्मा में चला के खुश था और उसने कहा, “यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नष्ट होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है” (२ कुरिन्थियों ४:१६)।
पौलुस हमें राय देता है की हम आत्मा में चलनेवाले नम्र व्यक्ति बने। उसने ऐसा भी कहा है, “आत्मा में चलने का मतलब है सुसमाचार के लिए जीना”। आपको और मुझे यह बात याद रखने की जरुरत है की आत्मा में चलने का मतलब क्या है। हमें सुसमाचार के लिए जीने की बजाए नाश होनेवाली चीजों के पीछे नहीं भागना चाहिए। आइए हमारे बाकी के जीवन में विश्वास से आत्मा में चले।
अब पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने से, सच्चा आत्मा हमारे हृदयों में है। यदि हम सुसमाचार के अनुसार प्रार्थना करेंगे तो निश्चित ही परमेश्वर उत्तर देगा। आत्मा के फल देने का मतलब है की आत्मा में चलना और आत्माओं को छूडाना। जब हम आत्मा में चलते है और सुसमाचार के अनुसार जीवन जीते है तो आप भी पवित्र आत्मा के फल दे सकते है जैसे की, प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्‍वास, नम्रता, और संयम। पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार करने के लिए, हमें कष्ट उठाना पडेगा, सहनशील बनना पडेगा, कृपा का प्रयोग करना होगा और खोए हुए लोगों के लिए भलाई करनी होगी।
पवित्र आत्मा के फल उनके जीवन में आते है जो खोए हुए लोगों को पवित्र आत्मा का अंतर्निवास प्राप्त करवाने के लिए भलाई करने और सुसमाचार का प्रचार करते है और उन्हें बचाते है। इसी के द्वारा आत्मा के फल पाए जा सकते है और आत्मा में चला जा सकता है।