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उपदेश

विषय ११ : मिलापवाला तम्बू

[11-15] मिलापवाले तम्बू के प्रत्येक तख्ते के लिए दो चाँदी की कुर्सियां और दो चूलें ह (निर्गमन २६:१५-३७)

मिलापवाले तम्बू के प्रत्येक तख्ते के लिए दो चाँदी की कुर्सियां और दो चूलें ह
(निर्गमन २६:१५-३७)
“फिर निवास को खड़ा करने के लिये बबूल की लकड़ी के तख़्ते बनवाना। एक एक तख़्ते की लम्बाई दस हाथ और चौड़ाई डेढ़ हाथ की हो। एक एक तख़्ते में एक दूसरे से जोड़ी हुई दो दो चूलें हों; निवास के सब तख़्तों को इसी भाँति से बनवाना। निवास के लिये जो तख़्ते तू बनवाएगा उनमें से बीस तख़्ते तो दक्षिण की ओर के लिये हों; और बीसों तख़्तों के नीचे चाँदी की चालीस कुर्सियाँ बनवाना, अर्थात् एक एक तख़्ते के नीचे उसके चूलों के लिये दो दो कुर्सियाँ। निवास की दूसरी ओर, अर्थात् उत्तर की ओर के लिए बीस तख़्ते बनवाना; और उनके लिये चाँदी की चालीस कुर्सियाँ बनवाना, अर्थात् एक एक तख़्ते के नीचे दो दो कुर्सियाँ हों। निवास की पिछली ओर, अर्थात् पश्‍चिम की ओर के लिये छ: तख़्ते बनवाना। और पिछले भाग में निवास के कोनों के लिये दो तख़्ते बनवाना; और ये नीचे से दो दो भाग के हों, और दोनों भाग ऊपर के सिरे तक एक एक कड़े में मिलाये जाएँ; दोनों तख़्तों का यही रूप हो; ये दोनों कोनों के लिये हों। और आठ तख़्ते हों, और उनकी चाँदी की सोलह कुर्सियाँ हों; अर्थात् एक एक तख़्त के नीचे दो दो कुर्सियाँ हों। “फिर बबूल की लकड़ी के बेंड़े बनवाना, अर्थात् निवास के एक ओर के तख़्तों के लिये पाँच, और निवास के दूसरी ओर के तख़्तों के लिये पाँच बेंड़े, और निवास का जो भाग पश्‍चिम की ओर पिछले भाग में होगा, उसके लिये पाँच बेंड़े बनवाना। बीचवाला बेंड़ा जो तख़्तों के मध्य में होगा वह तम्बू के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुँचे। फिर तख़्तों को सोने से मढ़वाना, और उनके कड़े जो बेंड़ों के घरों का काम देंगे उन्हें भी सोने के बनवाना; और बेड़ों को भी सोने से मढ़वाना। और निवास को इस रीति खड़ा करना जैसा इस पर्वत पर तुझे दिखाया गया है। “फिर नीले, बैंजनी और लाल रंग के और बटी हुई सूक्ष्म सनीवाले कपड़े का एक बीचवाला परदा बनवाना; वह कढ़ाई के काम किये हुए करूबों के साथ बने। और उसको सोने से मढ़े हुए बबूल के चार खम्भों पर लटकाना, इनकी अंकड़ियाँ सोने की हों, और ये चाँदी की चार कुर्सियों पर खड़ी रहें। और बीचवाले परदे को अंकड़ियों के नीचे लटकाकर, उसकी आड़ में साक्षीपत्र का सन्दूक भीतर ले जाना, इस प्रकार वह बीचवाला परदा तुम्हारे लिये पवित्रस्थान को परमपवित्र स्थान से अलग किये रहे। फिर परमपवित्र स्थान में साक्षीपत्र के सन्दूक के ऊपर प्रायश्‍चित्त के ढकने को रखना। और उस परदे के बाहर निवास के उत्तर की ओर मेज़ रखना; और उसके दक्षिण की ओर मेज़ के सामने दीवट को रखना। फिर तम्बू के द्वार के लिये नीले, बैंजनी और लाल रंग के और बटी हुई सूक्ष्म सनीवाले कपड़े का कढ़ाई का काम किया हुआ एक परदा बनवाना।  और इस परदे के लिये बबूल के पाँच खम्भे बनवाना, और उनको सोने से मढ़वाना; उनकी कड़ियाँ सोने की हों, और उनके लिये पीतल की पाँच कुर्सियाँ ढलवा कर बनवाना।”
 
 
तख्ता
मिलापवाला तम्बू ४८ पटिए से बना हुआ था; दक्षिण और उत्तर की बाजू के लिए २० पटिए, पश्चिम बाजू के लिए छह पटिए, और दो पटिए पीछे के दोनों कोनो के लिए। प्रत्येक पटिए का नाप ४.५ मीटर (१५ फीट) लंबा और तक़रीबन ६७.५ सेंटीमीटर (२.२. फीट) चौड़ा। प्रत्येक पटिए को सीधा खड़ा रखने के लिए, दो चाँदी की कुर्सिया और दो कडिया थी उन दोनों को एक दुसरे के साथ बाँधा गया था। यह हमें फिर से बताता है की परमेश्वर का उद्धार केवल मसीह पर विश्वास के द्वारा उसके अनुग्रह से दिया गया है।
 
 

मसीह पर विश्वास के द्वारा अनुग्रह से उद्धार

 
बहुत सारे लोग इफिसियों २:८-९ के भाग को जानते भी है और पढ़ते भी है, “क्योंकि विश्‍वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है; और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन् परमेश्‍वर का दान है, और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्ड करे।” लेकिन दुर्भाग्य से, वे लोग यह नहीं जानते की उसका अनुग्रह क्या है और उन्हें उद्धार पाने के लिए कैसा विश्वास करने की जरुरत है। हालाँकि, दो चाँदी की कुर्सिया और दो कड़ी जिनको के दुसरे के साथ बाँधा गया है उसका रहस्य स्पष्ट रूप से हमें परमेश्वर के उद्धार के रहस्य के बारे में बताते है।
हमारे लिए पटिए के निचे रखे गए “दो कड़ी और दो कुर्सियों” के सत्य को समझने के लिए, हमें सबसे पहले सुसमाचार के मूल सत्य को जानने की आवश्यकता है। मिलापवाले तम्बू के सारे द्वार नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी से बुने हुए थे। यह चार रंग हामी बताते है की हमारे लिए हमारे पाप और नाश से बचने के लिए, यीशु का बपतिस्मा और लहू आवश्यक है। और वे हमें किसी भी संदेह से मुक्त यीशु के उद्धार के सत्य पर विश्वास करने के लिए समर्थ बनाते है। हमारे पास नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुए सत्य का स्पष्ट ज्ञान होना चाहिए जिसने हमें बचाया है, और उस पर विश्वास करना चाहिए।
यीशु ने कहा, “तुम सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा” (यूहन्ना ८:३२)। उसी रूप से, हम मिलापवाले तम्बू के द्वार और परमपवित्र स्थान के परदे में प्रगट हुए चार रंगों में छिपे आत्मिक सत्य को जानने के द्वारा पाप से सम्पूर्ण माफ़ी को प्राप्त करना चाहिए। नीला, बैंजनी, और लाल कपड़ा और बटी हुई सनी का कपड़ा मिलापवाले तम्बू के द्वार की सामग्री है।
दुसरे शब्दों में, यीशु मसीह हमारा उद्धारकर्ता है और जो विश्वास करते है उनका राजा है, जिसने एक बार यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा और एक ही बार में हमेशा के लिए हमारे सारे पापों को अपने शरीर पर उठाने के द्वारा, और जगत के पापों को क्रूस तक लेजा कर अपना लहू बहाने के द्वारा उसने हमें जगत के सारे पापों से बचाया है। वह यीशु मसीह जो राजा है, उसने हमें हमारे पापों से बचाया क्योंकि उसने बपतिस्मा लिया था और क्रूस पर चढ़ा था। इसलिए, नीला और लाल कपड़ा हमें स्पष्ट और निश्चित सत्य के बारे में बताते है जो हमें हमारे पापों से बचने के लिए छोड़ा नहीं जा सकता। हमारे पापों को उठाने के लिए यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लिया, और जगत के पापों को क्रूस तक लेजाने के द्वारा और अपना लहू बहाने के द्वारा, उसने हमें एक ही बार में हमेशा के लिए बचाया है, इस प्रकार अपने उद्धार का कार्य परिपूर्ण किया।
यहाँ, हमें विश्वास करना चाहिए की यह चार बिंदु नीला कपड़ा (यीशु का बपतिस्मा), लाल कपड़ा (उसका लहू), बैंजनी कपड़ा (वह हमारा राजा है), और बटी हुई सनी का कपड़ा (वह जटिल वचन का परमेश्वर है, और हमें धर्मी बनाया है) यह वो सामग्री है जिसे हमारे उद्धार के लिए उपयोग किया गया था। हमें समझना चाहिए की यदि हम इसके बजाए केवल इनमें से किसी एक पर विश्वास करके बचने का प्रयास करते है, तो ऐसा उद्धार सम्पूर्ण नहीं होगा। क्यों? क्योंकि मिलापवाले तम्बू के प्रत्येक पटिए के निचे, पटिए को सहारा देने के लिए चाँदी की कुर्सियों के साथ बाँधने के लिए दो कडियाँ लगाईं है।
बाइबल में चाँदी परमेश्वर के अनुग्रह को दर्शाती है, जो परमेश्वर का उपहार है। और रोमियों ५:१-२ में यह लिखा है, “अत: जब हम विश्‍वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्‍वर के साथ मेल रखें, 2जिसके द्वारा विश्‍वास के कारण उस अनुग्रह तक जिसमें हम बने हैं, हमारी पहुँच भी हुई, और परमेश्‍वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें।” हमारा उद्धार केवल तब मिलता है जब हमारा विश्वास सही रीति से परमेश्वर के उद्धार के साथ मेल खाता हो। ठीक वैसे जैसे मिलापवाले तम्बू के प्रत्येक पटिए के निचे दो कड़ियाँ थी, और पटिए को सहारा देने के लिए इन कड़ियों को कुर्सियों के साथ बाँधा गया था, परमेश्वर हमें कह रहा है की हमारा उद्धार केवल तभी सम्पूर्ण होता है जब हम यीशु के बपतिस्मा और क्रूस के लहू इन दोनों पर विश्वास करते हो।
हम सब को इस कारण और उसके वास्तविक तत्व पर विश्वास करना चाहिए की क्यों प्रत्येक पटिए में आगे की ओर निकली हुई दो कड़ियाँ थी।
पटिए की दो कुर्सियां और दो कड़ियाँ पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रतिबिम्ब है, की नए नियम के युग में यीशु मसीह आएगा, यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेगा, क्रूस पर चढ़ेगा, अपना लहू बहाएगा और क्रूस पर मर जाएगा, और इस प्रकार हमारे उद्धार को परिपूर्ण करेगा।
दुसरे शब्दों में, पाप की माफ़ी का अनुग्रह केवल उन लोगों को दिया गया है जो वास्तव में उनके धर्मी उध्दार पर विश्वास करते है जिसे यीशु ने हमारे पापों को मिटने के लिए यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर और क्रूस पर अपना लहू बहाने के द्वारा परिपूर्ण किया है। उसी रूप से, हमें हमारे पापों से बचने के लिए, हमें ऐसे विश्वास की आवश्यकता है जो जो यीशु के इन दो कार्यो पर विश्वास करता हो। दर असल, मिलापवाले तम्बू की प्रत्येक चीज यीशु के बारे में विस्तृत चित्र को बताती है जिसने हमें हमारे पापों से बचाया है। यह बिना वजह नहीं था की परमेश्वर ने इस्राएलियों को मिलापवाले तम्बू के प्रत्येक पटिए के लिए दो कड़ियाँ और दो चाँदी की कुर्सिया इस्तेमाल करने के लिए कहा था।
हम परमेश्वर के द्वारा हमें दिए गए बपतिस्मा और लहू को बहाने के कार्यो के द्वारा हमारे सारे पाप और दण्ड से पूरी तरह से बच गए है और छूडाए गए है। दुसरे शब्दों में, पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा हमने परमेश्वर की संतान बनने का अधिकार पाया है। हमारा विश्वास जो सोने जैसा शुध्ध है उसका निर्माण परमेश्वर से यह उपहार प्राप्त करने के द्वारा हुआ है।
 
 
क्या आप यीशु पर विश्वास करने के बाद भी यह नहीं जानते की वास्तव में आप कौन है?
 
क्या आप खुद को अच्छा मानते है? क्या आप खुद से ऐसा सोचते है की आपके पास धर्मी चरित्र है जो किसी भी परिस्थिति में किसी भी प्रकार का अधर्म सहन नहीं करता? क्या आप ऐसा सोचते है की आप किसी भी तरह परमेश्वर के सामने धर्मी है, क्योंकि आप हरदिन परमेश्वर की आज्ञाओं को अपने हृदय में रखते है और उनका पालन करने की कोशिश करते है और अपने जीवन में लागू करते है? हम जो कुछ भी करते है वह धर्मी होने का ढोंग है, जब की हम गुप्त में व्यभिचार और परस्त्रीगमन करते है।
इन दिनों, केबल या सेटेलाईट टीवी के द्वारा देखने के लिए सेंकडो चेनल उपलब्ध है। दिन में २४ घंटें कार्यरत यह चेनल अपने ख़ास कार्यक्रम को लाते है और निरंतर उसका प्रसारण करते है। इन चेनलो में, सबसे ज्यादा सफल विज्ञापन की ख़ास चेनल है, वयस्क लोगों की चेनल। ऐसे बहुत सारी वयस्क चेनले है जहाँ केवल चेनल बदलने से हर प्रकार की अश्लील सामग्री देखने के लिए उपलब्ध है। अश्लील वेबसाईट के बारे में क्या? कहने की जरुरत नहीं है, अश्लील स्पाम-मेल ने दुनिया को डुबो दिया है। प्रत्येक व्यक्ति को इन अश्लील वेबसाईट की निंदा करनी चाहिए, लेकिन जब हम “आपूर्ति और मांग के नियम” के बारे में सोचते है, तब उनकी सफलता का केवल एक ही मतलब निकलकर आता है की वास्तव में अनगिनत लोग अपने एकांत में इन वेबसाईट का आनन्द लेते है।
यह तथ्य हमें बताता है की हम मनुष्य मूल रूप से भ्रष्ट और अश्लील है। बाइबल परस्त्रीगमन, व्यभिचार, और श्लीलता को दर्शाने के द्वारा मनुष्यों के पापी हृदय को दिखाता है। परमेश्वर ने कहा है की यह चीजे मनुष्य के हृदय से निकलती है और उन्हें अशुध्द कराती है, और वे स्पष्ट रूप से पाप है। तो फिर क्या हम सब पाप से भरे हुए नहीं है? परमेश्वर ने बार बार कहा है की हमारा असली स्वभाव पापी है।
लेकिन क्या हम वास्तव में इसका स्वीकार करते है? क्या हम अपनी आँखे बंद करके और अपने कानों को ढँक कर हमारे पापी स्वाभाव से भाग सकते है? हम अपने मन की कल्पना और विचारों से हर तरह के पाप करते है। कोई फर्क नहीं पड़ता की हम अपने आप इन पापों से दूर रहने के बारे में कह, और कोई फर्क नहीं पड़ता की ऐसा करने के लिए हम कितनी कोशिश करते है, वे सब व्यर्थ है। वास्तव में, हमारी देह ऐसी है की न केवल हम सम्पूर्ण संत बन सकते है जो दैहिक पापों को नहीं करता, लेकिन हमारे अन्दर ऐसा आकर्षण है जो बिना किसी अलगाव के पाप करता है। मनुष्यों की देह और हृदय पवित्र चीजो से बहुत दूर है, और यह सच्चाई है, उसके अलावा वे न केवल पाप के नजदीक रहना चाहते है लेकिन वे बड़े पाप को भी करना चाहते है।
पूर्व में, कई लोगों ने जन्म से ही कन्फ्युशियस की शिक्षा को सिखा है, और इसलिए वे इन शिक्षा को लागू करने के लिए कठिन प्रयास करते है। दूसरी तरफ, पश्चिम में केथोलिक और विधि सम्मत मसीही कलीसिया का प्रभुत्व है, और कई पश्चिमी लोग परमेश्वर की व्यवस्था का पालन करने की कोशिश करते है, सोचते है की जब तक वे प्रयास करना ज़ारी रखते है उतना ही वे पवित्र होते जाते है। लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ता की उनकी धार्मिक पृष्ठभूमि क्या है, जब वे अपने आप को परमेश्वर के सामने रखते है और अपने वास्तविक स्वभाव में आते है, तब वे सब केवल पाप का ढेर और कुकर्म करनेवालों का बिज है।
मनुष्य अधर्मी, दोष से भरे हुए, और कीचड़ और धुल से बने पापों का ढेर हैव् यहाँ तक की प्रतीत होना है की अच्छे लोग जिनके अच्छे कार्य उनकी स्वीकृति के लिए नहीं लेकिन उनके अच्छे हृदय से निकले है, और जो लोग अपने अच्छे कामों के लिए किसी भी प्रकार की प्रसंशा प्राप्त करना नहीं चाहते, वे इस तथ्य से भाग नहीं सकते की जब उनका मूल स्वरुप परमेश्वर के सामने प्रगट होता है, तब वे पाप का ढेर और कुकर्म करनेवालों का बिज है। क्योंकि मनुष्य की भलाई की हिमायत करना परमेश्वर के सामने बहुत बड़ा पाप है, इसलिए जब तक लोग अपने दण्ड को नहीं पहचानते और पानी और आत्मा के सुसमाचार का स्वीकार नहीं करते जो परमेश्वर का प्रेम है तब तक वे पाप के दण्ड से बच नहीं सकते। परमेश्वर के सामने, मनुष्य की कोशिश को अच्छाई के रूप में नहीं देखा जा सकता, धुल के जीतनी छोटी भी नहीं, और मनुष्य की इच्छा परमेश्वर के सामने केवल मलिन है।
बाइबल में, मनुष्यों को अक्सर लकड़ी के रूप में दर्शाया गया है। बबूल की लकड़ी को मंदिर के प्रवेश द्वार पर खम्भे के रूप में तब तक नहीं रखा गया जब तक परमेश्वर ने उसे सोने से न मढ़ा। और परमेश्वर के द्वारा दिए गए उद्धार के अनुग्रह के बगैर, लोग धुल से बढ़कर नहीं है जो आग के न्याय का सामना करेंगे।
हालाँकि, भले ही हम पापी है लेकिन परमेश्वर ने यीशु मसीह को बपतिस्मा देकर और मृत्यु तक लहू बहाकर हमारे सारे पाप और अपराध मिटा दिए है। ऐसा उद्धार मसीह के आने के हजारों साल पहले राजा दाउद के द्वारा भविष्यवाणी किया गया था: “उदयाचल अस्ताचल से जीतनी दूर है, उसने हमारे अपराधों को हम से उतनी ही दूर कर दिया है। जैसे पिता अपने बालको पर दया करता है, वैसे ही यहोवा अपने डरवैयों पर दया करता है। क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही है” (भजन संहिता १०३:१२-१४)।
हम परमेश्वर की धार्मिकता को जानते उससे पहले, मनुष्यों की धार्मिकता हमारे जीवन का मापदंड थी। जब मैं परमेश्वर के उद्धार के उपहार को नहीं जानता था और उसके वचनों पर विश्वास नहीं करता था तब मैं भी वैसा ही था। वास्तव में, मेरे पास खुद की कोई धार्मिकता नहीं थी, लेकिन फिर भी मैं अपने आप को अच्छा मनाता था। इसलिए मेरे बचपन से, कई बार ऐसा समय आया जब मैं अन्याय को सहन नहीं कर पाया और यहाँ तक की जो लोग मेरे मुकाबले की नहीं थे उनसे भी लड़ाई करता था। “धर्मी जीवन जीना” मेरा उद्देश्य था। इस तरह, क्योंकि मैंने अपने आप को परमेश्वर के सामने रखने से विफल हुआ इसलिए मैं खुद की धार्मिकता से भर गया। इसलिए मैंने खुद को दुसरे से अच्छा मन और धर्मी जीवन जीने के लिए कठिन प्रयास किए।
लेकिन मेरे जैसे लोग परमेश्वर की धार्मिकता के सामने पाप के ढेर से बढ़कर ज्यादा कुछ नहीं है। मैं ऐसा व्यक्ति नहीं था जो परमेश्वर के द्वारा दी गई दस आज्ञाए और ६१३ नियमों का पालन करता था। वास्तविकता यह है की उन्हें पालन करने की मेरी इच्छा अपने आप में अधार्मिकता का कार्य था जो परमेश्वर के वचन के विरुध्ध में विद्रोह था जो घोषित करता था की मैं पूरी तरह से पाप करने के लिए सक्षम था, और यह मेरे खिलाफ में था। मनुष्यों की सारी धार्मिकता परमेश्वर के सामने अधार्मिकता है।
यह पीढ़ी, जिसने अश्लीलता और भ्रष्टता की बाढ़ के बिच में परमेश्वर और उसके वचन को गवा दिया है, उन्होंने अपराध बोध के विवेक को भी गवा दिया है। 
 
 
हम अधर्मी थे और पाप से भरे हुए थे, लेकिन अब प्रभु ने पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा हमें बचाकर अपनी प्रजा बनाया है
 
हम सब अधर्मी थे, लेकिन उद्धार के उपहार के द्वारा, परमेश्वर ने हमारे जैसे लोगों को उनके पाप से बचाया है। पवित्र स्थान का प्रत्येक पटिया ४.५ मीटर (१५ फीट) ऊँचा और ६७.५ सेंटीमीटर (२.२ फीट) चौड़ा था, जो बबूल की लकड़ी से बना हुआ सोने से मढ़ा गया था और आपवित्र स्थान की दीवार के रूप में लगाया गया था। प्रत्येक पटिए के निचे, पटिए को बनाए रखने के लिए चाँदी की दो कुर्सिया लगाईं गई थी। यहाँ चाँदी की कुर्सिया प्रगट करती है की परमेश्वर ने खुद आपको और मुझे बचाया है।
परमेश्वर ने हमें पाप से बचाया यह सत्य उसका प्रेम है, जिसके तहत यीशु इस पृथ्वी पर आए और हमारे पापों को लेने के लिए बपतिस्मा लिया, क्रूस पर मरने के द्वारा हमारे पापों का दण्ड सहा, इस तरह उसने हमें जगत के सारे पाप और दण्ड से बचाया है। उसने हमें जो उद्धार का उपहार दिया है उस पर विश्वास करने के द्वारा, हम नया जन्म प्राप्त कर पाए है। परमेश्वर ने हमें जो उद्धार का उपहार दिया है वह सोने की तरह शुध्ध है, इसलिए यह हमेशा के लिए न बदलने वाला है।
प्रभु ने हमें जो उद्धार दिया है वह यीशु के बपतिस्मा और लहू से बना हुआ है, और इसने पूरी तरह से और स्पष्ट रीति से हमारे सारे पापों को मिटा दिए है। प्रभु ने हमें हमारे सारे पपों से बचाया है इसलिए आप और में पूरी तरह से उन पापों से छूटकारा पा चुके है जो हमने अपने मन, अपने विचार, और हमारे वास्तविक कर्मों के द्वारा किए थे। परमेश्वर ने हमारे हृदय में जो उद्धार का उपहार दिया है उस पर विश्वास करने के द्वारा, हम उसके अमूल्य संत बन गए है। मिलापवाले तम्बू के प्रत्येक पटिए को बनाए रखनेवाले दो कुर्सियों के द्वारा, परमेश्वर ने हमें पानी और आत्मा के उद्धार के बारे में बताया है। परमेश्वर हमें कहता है की यह १०० प्रतिसत उसका अनुग्रह और उपहार है की हम उसकी संतान बने है।
यदि हम यीशु के बपतिस्मा और लहू पर हमारे विश्वास को हमसे निकाल दे, तो हमारे अन्दर कुछ भी नहीं बचेगा। हम सब ऐसे लोग थे जो पाप के लिए दण्ड के हकदार थे। हम केवल नाशवान है जो परमेश्वर की व्यवस्था के मुताबिक़ हमारी निश्चित मौत से पहले घबराते है, जिन्हें समझने और आग के न्याय के लिए विलाप करना था जो हमारा इंतजार करता है। इसलिए यदि हम पानी और आत्मा के सुसमाचार के बगैर जीवन जीते है तो हम कुछ भी नहीं है।
ऐसे युग में जीवन जीते जो अब पाप से व्याप्त है, हमें कभी भी नहीं भूलना चाहिए की हमारे प्रारब्ध में केवल आग का न्याय हमारा इंतज़ार कर रहा है। हम ऐसे नाशवान लोग थे। हालाँकि, परमेश्वर का अनुग्रह हम पर आया क्योंकि उसने हमें पानी और आत्मा का उद्धार दिया है। मसीहा इस पृथ्वी पर आया, यूहन्ना से बपतिस्मा लिया, अपना लहू बहाया और क्रूस पर मरा, मृत्यु से फिर जीवित हुआ, और इस प्रकार हमें हमारे सारे पाप, अधर्म, और सारे दण्ड से बचाया। पानी और आत्मा के इस सम्पूर्ण सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा, अब हम हमारे सारे पाप से बच गए है, और हम हमारे विश्वास से केवल परमेश्वर को धन्यवाद दे सकते है।
हालाँकि हम देह में, हमारे कार्य में, सेवकाई में अपर्याप्त है, और फिर भी मैं पूरी दुनिया में पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार करता हूँ। हालाँकि यह युग भ्रष्ट है, लेकिन हम पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है इसलिए हम दुष्टता से स्वतंत्र होकर पूर्ण रूप से प्रभु की सेवा कर पाते है। हमारे मन में यह आया है वह हमारे खुद की समर्थ से नहीं है, लेकिन परमेश्वर ने हमें उद्धार का अनुग्रह दने के द्वारा पवित्रता दी है इसलिए।
क्योंकि परमेश्वर ने हमें सम्पूर्ण रीति से पाप और दण्ड से बचाया है इसलिए हम इस उद्धार की सामर्थ्य को पा सके है, और यह पूरी तरह से इसकी वजह से है की हम पूर्ण रूप से प्रभु की सेवा कर पाते है। क्योंकि प्रभु ने पानी और आत्मा के द्वारा हमें हमारे सारे पापों से बचाया है, इसलिए मैं विश्वास करता हूँ की हम अपनी कमजोरी के बावजूद भी उसकी सेवा कर पाते है, और अब हमारे पाप, कमियाँ, और दोषों से बंधे हुए नहीं है।
 
 
मैं आज जो कुछ भी हूँ वह परमेश्वर के अनुग्रह के द्वारा हूँ
 
वास्तव में, यदि यह हमारे प्रभु का अनुग्रह नहीं होता तो यह सारी चीजे असंभव होती। यदि प्रभु का अनुग्रह नहीं होता तो पूरी दुनिया में पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रसार करना और पूर्ण तरीके से इस सुसमाचार की सेवकाई करना सम्भव नहीं होता। १०० प्रतिसत यह परमेश्वर ने हमें दिए हुए उद्धार के अनुग्रह के द्वारा है की आप और में सुसमाचार का बचाव और सेवकाई करके हमारा जीवन जीते है।
हम विश्वास से परमेश्वर के मंदिर (प्रकाशितवाक्य ३:१२) के खम्भे और उसके राज्य की प्रजा बने है। क्योंकि प्रभु ने हमें सोने के समान विश्वास दिया है, इसलिए अब हम परमेश्वर के घर में रह सकते है। इस युग में जहाँ दुनिया पाप में बह रही है, ऐसे युग में जहाँ ज्यादातर लोग परमेश्वर को भूल गए है या उस पर दोष लगते है, हम शुध्ध पानी से साफ़ किए गए है और शुध्ध बने है, और हम शुध्ध पानी को पीने के योग्य और पूर्ण रूप से परमेश्वर की सेवकाई करने के योग्य बने है – शब्द इस बात को बयाँ नहीं कर सकते की इस आशीष की वजह से मैं कितना धन्यवादित हूँ।
हमारा विश्वास वास्तव में ऐसा है। हम कैसे धर्मी बने? हम कैसे खुद को धर्मी कहने के योग्य बने जब की हमारे अन्दर कोई अच्छाई नहीं है। कैसे आपके और मेरे जैसे पापी मनुष्य पापरहित बने? क्या आप अपने देह की धार्मिकता से पापरहित और धर्मी बने है? देह के विचार, आपके अपने प्रयास, और आपके अपने कर्म – क्या इनमे से किसी ने आपको पापरहित, धर्मी व्यक्ति बनाया है? क्या आप पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके धर्मी बने है? क्या अप नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुए परमेश्वर के उद्धार पर विश्वास के द्वारा धर्मी बने है? क्या आप मसीहा के द्वारा परिपूर्ण किए गए और परमेश्वर के वचन में प्रगट हुए पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास किए धर्मी बन सकते है? आप कभी धर्मी नहीं बन पाएंगे! केवल लाल कपड़े पर विश्वास करने के द्वारा हम कभी भी धर्मी नहीं बन सकते।
क्योंकि यीशु मसीह, हमारे मसीहा ने हमारे सारे पापों को मिटाने के लिए हमारी जगह यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के सारे पापों को अपने कंधो पर उठाया है जिसमे हमारे जीवनभर के सारे पाप भी सम्मिलित है, इसलिए हम विश्वास से धर्मी बने है। जैसे पुराने नियम का बलिदान का अर्पण जब महायाजक उसके सिर पर हाथ रखता था तब सारे पापों को उठता था, वैसे ही नए नियम में, यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के सारे पापों का स्वीकार किया। वास्तव में यीशु ने अपने बपतिस्मा (मत्ती ३:१५) के द्वारा हमारे सारे पापों को उठाया था और यूहन्ना ने इस प्रकार गवाही दी थी, “देखो यह परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत का पाप उठा ले जाता है” (यूहन्ना १:२९)।
अपना बपतिस्मा प्राप्त करने के बाद, तिन साल यीशु हमारे उद्धार के लिए जीवन जिया, क्रूस तक जाने के द्वारा उसने हमारे पाप और दण्ड का अन्त किया और खुद की देह को परमेश्वर के सामने अर्पण किया, जैसे भेड़ अपने कुतरनेवाले के पास जाति है, और हमें नया जीवन दिया।
क्योंकि यीशु मसिह ने यूहन्ना से प्राप्त बपतिस्मा के द्वारा हमारे पापों को उठाया था इसलिए जब उसे रोमन सैनिको के द्वारा क्रूस पर चढ़ाया गया तब उसके दोनों हाथ और पैरों में किले ठोकी गई। क्रूस पर लटककर, यीशु ने अपने शरीर के सारे लहू को बहा दिया। और वह हमारे उद्धार के आख़री पड़ाव में आया और कहा, “पूरा हुआ” (यूहन्ना १९:३०)।
इस प्रकार वह मरा, तिन दिनों के अन्दर वह मृत्यु से जीवित हुआ, स्वर्ग के राज्य में उठा लिया गया, और इस प्रकार हमें अनन्त जीवन देने के द्वारा वह हमारा उद्धारकर्ता बना। यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर जगत के पापों को अपने कंधो पर उठाकर, और अपने क्रूस, पुनरुत्थान, और स्वर्ग में उठाए जाने के द्वारा यीशु हमारा सम्पूर्ण उद्धारकर्ता बना। इसलिए बाइबल कहती है, “और जब इनकी क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा” (इब्रानियों १०:१८)।
 
 

केवल क्रूस पर के विश्वास और क्रमिक पवित्रता की सिध्धांत ने कभी भी आपको आपके पाप से पूरी तरह नहीं बचाया

 
मसीहियों को जानना चाहिए की वे केवल यीशु के क्रूस के लहू पर विश्वास करने के द्वारा अपने पापों से सम्पूर्ण उद्धार नहीं पा सकते। क्योंकि लोग हरदिन अपनी आँख और कार्य के द्वारा पाप करते है, इसलिए वे केवल क्रूस के लहू पर ही विश्वास करके अपने पापों को मिटा नहीं सकते। वर्त्तमान समय में लोगों के जीवन में जो व्यापक अपराध है जो वे अपने जीवन में करते है वह है यौन अनैतिकता। जैसे यौन अश्लीलता की संस्कृति पूरी दुनिया में फ़ैल रही है, वैसे ही यह पाप हमारी देह में गहराई से समाया हुआ है। बाइबल व्यभिचार न करने की आज्ञा देती है, लेकिन आज की वास्तविकता यह है की अपने आसपास किओ परिस्थितियों से घिरकर, कई लोग न चाहते हुए भी इस पाप को करते है।
परमेश्वर ने घोषित किया है की जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्टि डाले वह अपने मन में उस से व्यभिचार कर चुका (मत्ती ५:२८), और इसलिए हरदिन हमारी आँख जो देखती है वह सब अश्लीलता है। इसलिए लोग हर मिनिट हर पल ऐसे दुष्ट पाप करते है। जब ऐसा है, तो वे कैसे पश्चाताप की प्रार्थना करने से पवित्र हो सकते है और परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकते है? कैसे वे धर्मी बन सकते है? जब वे अपने आप को लम्बे समय तक अनुशासित करते है और बूढ़े होकर किसी भी तरह पवित्र होते है तो क्या उनके हृदय धर्मी बन सकते है? क्या इनके चरित्र नम्र बने है? क्या वे अधिक धैर्यवान बने है? निसन्देह नहीं! उसके ठीक विपरीत हुआ।
मसीही सिध्धान्तों के बिच “क्रमिक पवित्रता का सिध्धांत” प्रचलित है। यह सिध्धांत कहता है की जब मसीही क्रूस पर यीशु की मृत्यु पर लम्बे समय तक विश्वास करते है, हरदिन पश्चाताप की प्रार्थना करते है, और हरदिन प्रभु की सेवा करते है, तब वे धीरे धीरे पवित्र और शांत बनते है। यह दावा करता है की हमने जब यीशु पर विश्वास किया था उसके लम्बे समय बिताने के बाद, हम ऐसे व्यक्ति बनते है जिसका पाप से कोई लेनादेना नहीं है और जिसके कर्म धर्मी है, और जब मौत हमारे पास आती है, तब हम सपूर्ण रीति से पवित्र बनते है और इस प्रकार पूरी तरह से पापरहित बनते है।
और यह ये भी सिखाता है की क्योंकि हमें हर समय पश्चाताप की प्रार्थना करनी है, इसलिए जैसे हमारे कपड़े धुलते है वैसे ही हमें हरदिन हमारे पाप को धोना है, और इसलिए जब हम अन्त में मरेंगे, तब हम ऐसे व्यक्ति बनकर परमेश्वर के पास जाएंगे जो सम्पूर्ण धर्मी है। बहुत सारे ऐसे लोग है जो इस प्रकार विश्वास करते है। लेकिन यह मनुष्यों के विचारों से बना एक परिकल्पित अनुमान है।
रोमियों ५:१९ कहता है, “क्योंकि जैसा एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत लोग पापी ठहरे, वैसे ही एक मनुष्य के आज्ञा मानने से बहुत लोग धर्मी ठहरेंगे।” यह भाग हमसे कहता है की हम सब एक मनुष्य के आज्ञा मानने से धर्मी बने है। जो आप और मैं नहीं कर पाए, वह यीशु मसीह ने प्राप्त किया जब वह व्यक्तिगत रूप से इस पृथ्वी पर आया। इस बात को ठीक तरह जानते हुए की आप और मैं खुद से पाप से स्वतंत्र नहीं हो सकते, यीशु ने हमारे बदले हमारे पाप को मिटाया, कुछ ऐसा जो न तो आप कर सके और न तो मैं कर सका। इस पृथ्वी पर आकर, बपतिस्मा लेकर, क्रूस पर चढ़कर, और मृत्यु से फिर से जीवित होकर, उसने आपको और मुझे बचाया है और एक ही बार में हमेशा के लिए हमें हमारे पापों से शुध्ध किया है।
यीशु मसीह अपने लोगों को उनके पापों की माफ़ी के द्वारा उद्धार दे पाया क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा का पालन किया था। मसीहा के रूप में परमेश्वर की इच्छा का पालन करके, यीशु मसीह ने अपने बपतिस्मा, क्रूस और पुनरुत्थान के द्वारा उद्धार का अनुग्रह हमें दिया है। इस प्रकार हमें उद्धार का उपहार देने के द्वारा, यीशु ने सम्पूर्ण तरीके से पाप की माफ़ी को परिपूर्ण किया है। और अब, विश्वास के द्वारा, हमें इस उद्धार का अनुग्रह मिअला है, क्योंकि प्रभु ने पाप से हमारे उद्धार को परिपूर्ण किया है, जो हमारे प्रयासों से कभी पाया नहीं जा सकता था।
हालाँकि, बहुत सारे लोग यीशु ने लिए हुए बपतिस्मा पर विश्वास नहीं करते, लेकिन उसकी जगह लहू पर विश्वास करते है जो उसने क्रूस पर बहाया था और अपने खुद के कार्य के द्वारा पवित्र बनने का प्रयास करते है। दुसरे शब्दों में, भले ही यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा सारे पापों को ले लिया, फिर भी लोग इस सत्य पर विश्वास नहीं करते। मत्ती का अध्याय ३ हमें कहता है की यीशु ने अपने सार्वजनिक जीवन में सबसे पहले जो किया वह था यूहन्ना से बपतिस्मा लेना। यह सत्य चारों सुसमाचार लेखकों के द्वारा अभिप्रमाणित है।
यीशु ने मनुष्यजाति के प्रतिनिधि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर हमारे पापों को ले लिया, और फिर भी बहुत सारे ऐसे लोग है जो इस सत्य को अनदेखा करते है और इस पर विश्वास नहीं करते। ऐसे लोग यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास किए बिना यीशु पर विश्वास करते है, और उत्साह से क्रूस के लहू की स्तुति करते है जो उसने बहाया था। क्रूस पर यीशु की मृत्यु के दुःख से वे अपनी भावनाओं को उत्तेजित करते है, अपनी स्तुति में हर प्रकार के शोर गुल करते है, चिलाते है, “लहू में अद्भुत सामर्थ्य है। मेमने के लहू में चमत्कार करनेवाला अद्भुत सामर्थ्य है!” दुसरे शब्दों में, वे खुद की भावनाए, जोश और ताकत से परमश्वर के पास जाने की कोशिश करते है। लेकिन आपको यह समझना चाहिए की जितना ज्यादा वे ऐसा करते है, उतना ही ज्यादा वे ढोंगी बनते जाते है, पवित्र होने का ढोंग करते है लेकिन वास्तव में उनके हृदय में गुप्तता से पाप संचित है।
 
 

हम पानी और आत्मा के सुसमाचार को जाने बिना कैसे यीशु पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास कर सकते है?

 
जब हम लोगों को मिलापवाले तम्बू के बारे में बात करते हुए सुनते है, तब अक्सर हम देखते है की उनको थोड़ा सा भी अन्दाजा नहीं होता है की वे किस बारे में बात कर रहे है। जब मिलापवाले तम्बू पर विश्वास करने की बात आती है, तब हमें जो ठीक लगे ऐसे तरीके से कैसे विश्वास कर सकते है? क्योंकि प्रभु के द्वारा परिपूर्ण किया गया पाप से उद्धार इतना व्यापक है, इसलिए परमेश्वर ने हमें इस योग्य बनाया की हम यह समझ सके की कितनी व्यापकता और मजबूती से हमारे उद्धार को परिपूर्ण किया गया है।
मिलापवाले तम्बू के द्वारा, उसने हमें यह भी समझाया है की प्रभु ने हमें नीले, बैंजनी कपड़े यानि की पानी और लहू से बचाया है। “केवल जल से नहीं लेकिन जल और लहू से” (१ यूहन्ना ५:६)। पानी, लहू, और आत्मा जिस पर हम विश्वास करते है वे एक है। यह मनुष्य के रूप में आने के द्वारा, यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेकर, मर कर, और मृत्यु से फिर जीवित होकर परमेश्वर ने हमें बचाया है।
मिलापवाले तम्बू के द्वारा, हम उद्धार के विस्तृत वर्णन को ढूँढने और विश्वास करने के योग्य बने है। पटिए की दो कड़ियाँ और दो चाँदी की कुर्सियों का अभ्यास करने के द्वारा, हमें उस प्रथा के बारे में समझमें आया है जिसके द्वारा यीशु ने हमें हमारे पाप से बचाया था। और इस प्रकार हमने सत्य को ढूँढा है की हमें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुई यीशु की सेवकाई पर विश्वास करना चाहिए।
बाइबल के अलावा, कही ओर इस उद्धार का मूल नहीं मिल सकता। हमें उद्धार के उपहार की आवश्यकता है जो बपतिस्मा और क्रूस इन दो तत्वों से बना है। जो लोग इस सत्य पर विश्वास करते है वे परमश्वर से जन्म लिए हुए लोग बन सकते है। पानी और आत्मा से हमें हमारे पापों से छूटकारा देकर, परमेश्वर ने हमारे उद्धार को सम्पूर्ण रीति से परिपूर्ण किया है।
दुसरे शब्दों में, प्रत्येक पटिए के निचे दो कड़ियाँ बनाई गई थी और उसे चाँदी की कुर्सियों के साथ जोड़ा गया था। यह सत्य हमारे लिए और हमारे पाप की माफ़ी के लिए निश्चित रूप से आवश्यक और बहुत ही महत्वपूर्ण है। सबसे गंभीर रूप से, हमें परमश्वर के द्वारा हमारे लिए परिपूर्ण किए गए उद्धार पर विश्वास करना चाहिए, क्योंकि यदि हम नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के सत्य पर विश्वास नहीं करते है तो हम कभी भी उद्धार नहीं पा सकते।
जैसे मिलापवाले तम्बू के प्रत्येक पटिए को सीधा खड़े रहने के लिए दो चाँदी की कुर्सियों की जरुरत थी, वैसे ही जब यीशु मसीह पर विश्वास करने की बात आती है, तब उसके अनुग्रह के दो सत्य बहुत ही आवश्यक है। वे क्या है? वह है की यीशु ने बपतिस्मा लेकर हमारे पापों को ले लिया, और उसे क्रूस तक लेजा कर और क्रूस पर चढ़ने के द्वारा हमारे पापों के श्राप के सारे दण्ड सहे। जो कोई भी धर्मी बना है वह केवल सम्पूर्ण उद्धार के यह दो अनुग्रहों पर पूर्ण विश्वास करने के द्वारा ही बने है। यीशु के बपतिस्मा और क्रूस के लहू इन दोनों पर हमारा विश्वास, उद्धार के उसके उपहार के दो केंद्रबिंदु है, जो हमें परमेश्वर के घर में मजबूती से खड़े रहने के योग्य बनाते है। जैसे दो कड़ियों को चाँदी की दो कुर्सियों के अन्दर रखा गया, इसलिए प्रत्येक पटिया सीधा खड़ा रह पाया।
इस तरह, हमारे सही विश्वास के द्वारा जो उसके उद्धार के दो केंद्रबिंदु पर विश्वास करता है, हम वास्तव में उसके निर्दोष लोग बने है। यीशु के द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा हमने सोने के जैसा शुध्ध विश्वास पाया है जो कभी न बदलने वाला है। नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुए पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा, हम वो संत बने है जिन्होंने पाप की माफ़ी का सम्पूर्ण उद्धार प्राप्त किया है।
 
 
अब तक का धर्मविज्ञान और पानी और आत्मा के सुसमाचार का युग
 
प्रारंभ की कलीसिया के समय को छोड़ कर, ३१३ ए.डी. में मिलान के आदेश से लेकर, मसीहियत जिसमे वर्त्तमान मसीहियत भी सम्मिलित है, क्रूस का सुसमाचार फैला रही है जिसमे यीशु का बपतिस्मा निकाल दिया गया है। प्रारंभ के समय से लेकर ३१३ ए.डी. तक, जिसने मसीहियत को नए रोमा धर्म के रूप में प्रमाणित किया, मसीहियत पानी और आत्मा का सुसमाचार फैला रही थी, लेकिन बाद में रोमन केथोलिक कलीसिया ने धार्मिक प्रभुत्व हांसिल किया। उसके बाद शुरूआती १४ शताब्दी से, मनुष्य के बनाए हुए विचार को केंद्र में रखनेवाली और मनुष्यजाति के पुन:स्थापना की बुलाहट की संस्कृति की शुरुआत हुई, पहले उत्तर इटली के कुछ समृध्ध शहरों में शुरू हुआ। यह पुनर्जागरण काल था।
१६ शताब्दी तक, यह संस्कृति जो इटली तक सीमित थी वह पश्चिमी दुनिया में फैलाना शुरू हो गई, और विद्वान जिन्होंने मानववादी, मनुष्य के द्वारा निर्मित तत्व ज्ञान का अभ्यास किया था उन्होंने धर्मविज्ञान का अभ्यास शुरू किया। अपने विचार से बाइबल की व्याख्या करने के द्वारा उन्होंने मसीही सिध्धान्तों का निर्माण करना आरम्भ किया। लेकिन क्योंकि वे सत्य को नहीं जानते थे, इसलिए वे बाइबल को पूरी तरह से नहीं समझ सकते थे। इसलिए जो वे अपनी बुध्धि से नहीं समझ सकते थे, उन्हें वे अपने सांसारिक ज्ञान और विचार से सम्मिलित करने लगे, इस प्रकार उन्होंने खुद से मसीही सिध्धान्तों का निर्माण किया।
परिणाम स्वरुप, मसीही इतिहास में अनगिनत मसीही सिध्धांत और धर्मविद्या का उदभव हुआ: लूथरनवाद, केल्विनवाद, आर्मीनियनवाद, नया धर्मविज्ञान, रूढ़िवादी, बुध्धिवाद, आलोचनात्मक धर्मविज्ञान, रहस्यमय धर्मविज्ञान, चूताकारे का धर्मविज्ञान, स्त्रीवादी धर्मविज्ञान, काला धर्मविज्ञान, और यहाँ तक की नास्तिक धर्मविज्ञान।
मसीहियत का इतिहास बहुत लंबा लगता है, लेकिन वास्तव में यह उतना लंबा नहीं है। प्रारम्भिक कलीसिया के ३०० साल तक, लोग बाइबल के बारे में सिख पाए, लेकिन बहुत जल्द मध्यकालीन युग आया, मसीहियत का अन्धकार युग। इस युग के दरमियान, साधारण व्यक्ति के लिए बाइबल पढ़ना सिर काटकर दण्ड देने के योग्य था। १७०० शताब्दी तक यह ज़ारी नहीं रहा जब धर्मविज्ञान की हवा चलने लगी और फिर जैसे जैसे धर्मविज्ञान जोशपूर्व बढ़ने लगा वैसे मसीहियत १८०० और १९०० में फलने फूलने लगी, लेकिन अब, कई सारे लोग रहस्यवादी सिध्धान्तों में गिर गए है, अपने खुद के अनुभव के आधार पर परमेश्वर पर विश्वास करते है। लेकिन इसकी धर्मविज्ञान की भिन्नता के बावजूद, मसीहियत की सारी शाखाओं का एक ही विश्वास बन गया, अर्थात्, केवल यीशु के लहू पर विश्वास करना।
लेकिन क्या यह सच्चाई है? जब आप इस रीति से विश्वास करते है, तब क्या आपके पाप वास्तव में दूर होते है? आप हरदिन पाप करते है। आप हरदिन अपने हृदय, विचार, कार्य और कमजोरियों से पाप करते है। तो फिर क्या आप केवल यीशु का लहू जो उसने क्रूस पर बहाया था उस पर विश्वास करके इन पापों को मिटा सकते हो? बपतिस्मा लेने के द्वारा यीशु ने हमारे पापों को अपने कन्धों पर उठाया था और क्रूस पर मरा था यह बाइबल आधारित सत्य है। फिर भी बहुत सारे ऐसे लोग है जो कहते है की केवल क्रूस के लहू पर विश्वास करके और हरदिन पश्चाताप की प्रार्थना करके उनके पाप माफ़ किए जा सकते है। क्या ऐसी पश्चाताप की प्रार्थना करने से आपके हृदय और विवेक के पाप शुध्ध हुए है? यह असंभव है।
यदि आप मसीही है, तो फिर अब आपको इस सत्य के उद्धार को जानना चाहिए और विश्वास करना चाहिए, की यिहू मसीह इस पृथ्वी पर आए और यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर जगत के सारे पापों को ले लिया। इसके बावजूद, क्या आप अभी भी इस सत्य का अस्वीकार करते है, न इसे जानने की कोशिश करते है, और न ही विश्वास करने की? यदि ऐसा है, तो आप यीशु का उपहास करने का, उसके नाम की निंदा करने का पाप कर रहे है, और आप यह नहीं कह सकते की आप सच में यीशु पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करते हो। यीशु मसीह के द्वारा परिपूर्ण किए इस सुसमाचार से यीशु के बपतिस्मा को निकालकर, और मनचाहे तरीके से उस पर विश्वास करके, आप कभी भी उद्धार का अनुग्रह नहीं पा सकते।
फिर भी बहुत सारे मसीही इस सत्य पर विश्वास नहीं करते, की यीशु ने हमारे पापों को मिटा दिया है, लेकिन इसके बजाए अपने खुद के विचारों का अनुसरण करते है और जैसा वो चाहते है वैसे विकृत सत्य पर विश्वास करते है। इन दिनों, उनके हृदय उनके गलत सैध्धान्तिक विश्वास के द्वारा ज्यादा से ज्यादा कठोर हो रहे है, वे विश्वास करत है की केवल क्रूस के लहू पर विश्वास करने के द्वारा उनके पाप मिट सकते है।
लेकिन परमेश्वर के द्वारा नियोजित उद्धार का उत्तर निम्नलिखित है: हम यीशु के बपतिस्मा, क्रूस पर उसकी मृत्यु, और उसके पुनरुत्थान पर विश्वास करने के द्वारा पाप की अनन्त माफ़ी प्राप्त कर सकते है। फिर भी बहुत सारे लोग बढ़ रहे है जो उद्धार के सत्य से यीशु के बपतिस्मा को निकालकर यीशु पर विश्वास करते है, गलतफहमी और गलत विश्वास का निम्नलिखित सूत्र अचल नियम है: “यिहू (क्रूस और उसका पुनरुत्थान) + पश्चाताप की प्रार्थना + अच्छे कार्य = क्रमिक पवित्रता के द्वारा प्राप्त उद्धार।” जो लोग इस तरह से विश्वास करते है वे केवल अपने होंठो से कहते है की उन्होंने अपने पाप की माफ़ी पाई है। हालाँकि, सत्य यह है की उनके हृदय ढेर सारे पापों से भरे हुए है जो अभी भी अनसुलझे है।
क्या अभी भी आपके हृदय में पाप है? यदि यीशु पर विश्वास करने के बावजूद भी आपके हृदय में पाप, तो फिर स्पष्ट रूप से आपके विश्वास के साथ कोई समस्या है। क्योंकि आप यीशु पर केवल एक धर्म की रीति से विश्वास करते है इसलिए आपका विवेक शुध्ध नहीं है और आप के अन्दर पाप है। हालाँकि, जो वास्तविकता आप समझ सकते है वह है की आपके हृदय में अभी भी पाप है जो अपनी बहुतायत में है। क्यों? क्योंकि जिन लोगों ने सच में यह समझा है की उन्होंने पाप किया है वे यह समझेंगे की वे इन पापों की वजह से नरक में बंधे हुए है, और जब वे ऐसा करते है तब अन्त में वे आत्मा में नम्र बनते ही और इस प्रकार सच्चे उद्धार के वचन को सुनने के योग्य बनते है।
 
यदि आप परमेश्वर से पाप की माफ़ी पाना चाहते है, तो आपका हृदय तैयार होना चाहिए। जिनके हृदय तैयार होते है वे पर्नेश्वर के सामने कबूल करते है, “परमेश्वर, मैं पाप की माफ़ी पाना चाहता हूँ। मैं लम्बे समय से यीशु पर विश्वास करता हूँ, लेकिन अभी भी मेरे अन्दर पाप है। क्योंकि पाप की मजदूरी मृत्यु है, इसलिए मैं नरक में डाला जाउंगा।” इस तरह, वे परमेश्वर के सामने अपने आप को सम्पूर्ण पापी समझते है। जो लोग परमेश्वर के वचन को समझते है, जो लोग विश्वास करते है की परमेश्वर केम्वचन जैसा कहता है वैसे ही परिपूर्ण हुआ है – यह ओर कोई नहीं लेकिन वे लोग है जिनके हृदय तैयार है।
परमेश्वर बिना किसी अपवाद के इन आत्माओं से मिलता है। ऐसे लोग उसके वचन सुनते है, अपनी आँखों से वचन को देखते है, और उसका स्वीकार करते है, और ऐसा करने के द्वारा वे समझते है की, “अरे, मैंने गलत विश्वास किया था। और अनगिनत लोग अब भी गलत तरीके से विश्वास करते है।” और दुसरे लोग क्या कहते है इस बात की परवाह किए बिना पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा, वे अपने पापों की माफ़ी को प्राप्त करते है।
 
 

जो लोग अपने सारे पापों से बच गए है उन्हें पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा अपने विश्वास का बचाव करना चाहिए

 
हालाँकि, यह जगत अनगिनत बुरे सिध्धान्तों से भरा हुआ है जो नया जीवन पाए हुए व्यक्ति के हृदय को भी व्यग्र और शुध्ध कर सकता है। प्रभु यीशु ने हमें चेतावनी दी है, “देखो, फेरिसियों के खमीर और हेरोदेस के खमीर से चौकस रहो” (मरकुस ८:१५)। लेकिन हम यह भी नहीं बता सकते की कितनी खमीरवाली सिक्षाए पी जाति है, जो एक बार सुनने से ही लोगों के हृदय को अशुध्द करती है। हमें यह समझना चाहिए की कैसे यह दुनिया यौन अनैतिकता का सकेंत कर रही है।
हम जो विश्वास करते है उन्हें यह जानना चाहिए की हम अब किस युग में जीवन जी रहे है और हमारे विश्वास का बचाव करना चाहिए। फिर भी जब हम ऐसे पापी संसार में जीवन जी रहे है, हमारे हृदय में अभेद सत्य है की प्रभु ने हमें पाप से बचाया है। गवाही के वचन जो हमारे न बदलनेवाले उद्धार की गवाही देते है वो है पानी और आत्मा का सुसमाचार। हमें सत्य पर विश्वास होना चाहिए जिसे न तो दुनिया के द्वारा हिलाया जा सके और न ही उसे रोक सके।
इस संसार की सारी चीज सत्य नहीं है। परमेश्वर ने हमें कहा है की धर्मी जगत को जित लेगा। यह न बदलनेवाले सत्य के सुसमाचार पर उनका विश्वास है की धर्मी बुराई को जीतेगा और जगत पर जित हांसिल करेगा। भले ही हम अपर्याप्त है, फिर भी हमारे हृदय, हमारे विचार, और हमारी देह अभी भी परमेश्वर के घर में है और वह अभी भी विश्वास से उद्धार के सुसमाचार पर खड़ा है। हम पानी और लहू के सुसमाचार पर दृढ़तापूर्वक खड़े है की प्रभु ने हमें बचाया है।
इसके कारण, हम परमेश्वर के बहुत आभारी है। कोई फर्क नहीं पड़ता की यह दुनिया प्रचुर पाप से भरी हुई है, फिर भी हम धर्मीओं के हृदय में निर्दोष विवेक और विश्वास है जो सोने के जैसा चमकता है। हम सब धर्मी इस विश्वास के द्वारा ऐसा जीवन जी पाएंगे जो जगत को जित लेता है। प्रभु के वापिस लौटने के दिन तक, और यहाँ तक की हम उसके राज्य में है, फिर भी हम इस विश्वास की प्रसंशा करेंगे। हम हमेशा प्रभु की स्तुति करेंगे जिसने हमें बचाया है और हमारे परमेश्वर की स्तुति करेंगे जिसने हमें यह विश्वास दिया है।
यह सच्चा विश्वास जो परमेश्वर के सामने हमारे पास है उसे चट्टान पर उठाया जाएगा, उसे किसी भी परिस्थिति में हिलाया नहीं जा सकता है। इस प्रकार, प्रभु के सामने खड़े होने के दिन तक हम इस पृथ्वी पर जीते है तब हमारे साथ चाहे कुछ भी हो जाए, हम विश्वास के द्वारा हमारे हृदय का बचाव करेंगे। भले चाहे इस जगत की सारी चीजे नष्ट कर दी जाए, भले ही यह दुनिया पाप में डूब जाए, भले ही चाहे यह दुनिया पुराने समय के सदोम और अमोराह से भी बदतर हो जाए, फिर भी हम इस दुनिया का अनुसरण नहीं करेंगे, लेकिन हम पवित्रता से परमेश्वर पर विश्वास करेंगे, हम उसकी धार्मिकता का अनुसरण करेंगे, और हम उस काम को निरंतर करेंगे जो उद्धार के इस दोनों अनुग्रह (यीशु का बपतिस्मा और क्रूस पर उसकी मृत्यु) को फैलाते है, जो परमेश्वर का सच्चा अनुग्रह है।
 
 
वे लोग जो सच्चे सुसमाचार पर विश्वास करने का ढोंग करते है
 
कुछ लोग, वास्तव में पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास न करने के बाद भी, नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के सत्य पर विश्वास करने का ढोंग करते है। लेकिन हम देख सकते है की पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास न करने की वजह से ऐसे लोगों के हृदय में पाप है। वे ऐसे व्यक्ति के समान है जो अपने पडोशी से माँगी हुई कुल्हाड़ी पानी में गिरा देता है (२ राजाओं ६:५)।
इसी तरह से, यह सम्भव है की जैसे जरुरत उठती है वैसे कुछ लोग थोड़े समय के लिए पानी और आत्मा के सुसमाचार का उपयोग करते है। लेकिन यह विश्वास किए बगैर की पानी और आत्मा का सुसमाचार सच्चा है, वे प्रचार करते समय या संगती के समय सच्चे विश्वास के साथ बोल नहीं सकते। और सत्य पर विश्वास न करनेवाले लोग आधे रास्ते में ही अपने विश्वास को त्याग कर देते है। लेकिन पानी और आत्मा के सुसमाचार का सत्य नहीं बदलता, और इसी लिए उन्हें पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करना चाहिए।
लेकिन इब्रानियों ७:१२ कहता है, “क्योंकि जब याजक का पद बदला जाता है, तो व्यवस्था का भी बदलना अवश्य है,”  कुछ लोग दावा करते है, “की व्यवस्था भी बदल गई है।” इसलिए यीशु ने जिस उद्धार को परिपूर्ण किया है वह वास्तव में पुराने नियम के अनुसार परिपूर्ण नहीं हुआ। यीशु ने केवल इस पृथ्वी पर आकर और क्रूस पर मर कर हमें बचाया है, नया तरिका।” कुछ ओर लोग दावा करते है, “ऐसा लगता है की जब यीशु क्रूस पर मरा तब परमेश्वर ने हमारे पापों को उसके ऊपर डाला।”
लेकिन ऐसे सरे दावे दोषपूर्ण और मिथ्या है। हम यह पूछने के द्वारा उनके दावों का खंडन करना चाहिए की, “क्या इसका यह मतलब है की परमेश्वर ने पापरहित यीशु को क्रूस पर चढ़ाया और इस प्रकार जगत के सारे पापों को उसके ऊपर डाला?” जब हम परमेश्वर के वचन पर विश्वास करते है, तब हमें हमारे खुद के विचारों से नहीं लेकिन वह जैसा है वैसा ही विश्वास करना चाहिए। भले ही हमारे पास हमारा खुद का तर्क हो, यदि बाइबल हमें कहती है की यह तर्क गलत है, तो फिर हमें हमारी धार्मिकता को तोड़ देना चाहिए और परमेश्वर के वचन पर विश्वास करना चाहिए।
जैसे समय बितता है, वैसे यह हकीकत उतनी ही ज्यादा सुखद और मूल्यवान बनती है की प्रभु ने हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा बचाया है। जब हम हमारे अपने विचार के अनुसार विश्वास करते है, तब हमारे जीवन में ऐसा समय आता है जब हमारा विश्वास खतरे में पड जाता है और हम कलीसिया से दूर हो जाते है। लेकिन जैसे मिलापवाले तम्बू के प्रत्येक पटिए के दो कड़ियों को दो चाँदी की कुर्सियों के साथ बाँधा जाता था, वैसे ही यीशु के सत्य पर हमारा विश्वास, की उसने बपतिस्मा लेकर और लहू बहाकर हमारे पापों को अपने ऊपर उठाया। यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा और क्रूस पर चढ़ने और अपना लहू बहाने के द्वार हमारे दण्ड को सहने के द्वारा, हमारे प्रभु ने हमें हमारे सारे पापों से बचाया है। वैसे ही, हमारा विश्वास कभी डगमगाएगा नहीं।
नीतिवचन २५:४ कहता है, “चाँदी में से मैल दूर करने पर वह सुनार के लिये काम की हो जाती है।” इस भाग की तरह, जैसे बहुत सारे नीच, दुष्ट, और भ्रष्ट चीजे हमारी देह के विचारों के साथ मिल जाती है, वैसे अपने बपतिस्मा और लहू से, यीशु ने हमें इन भ्रष्ट बातों से, मनुष्यजाति के पापों से शुध्ध किया है, और हमें परमेश्वर की धार्मिकता के सेवक बनाया है। प्रभु ने हमें जगत के पापों से शुध्ध किया है। यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा और इस प्रकार एक ही बार में हमेशा के लिए हमारे पापों का स्वीकार करने के द्वारा, और क्रूस पर चढ़कर और अपना लहू बहाकर हमारे पापों के दण्ड सहने के द्वारा, यीशु ने हमें जगत के पापों से बचाया है।
उसी रूप से, जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है वे अपने उद्धार के लिए निश्चित है। कुछ समय के लिए हमारे कार्य चिंताजनक लग सकते है, लेकिन पानी और आत्मा का सुसमाचार हमारे विश्वास को दृढ़ता से पकड़कर रखता है, ठीक वैसे जैसे चाँदी की कुर्सियां दो कड़ियों से बंध कर प्रत्येक पटिए को बनाए रखता है।
 
 
उद्धार का अनन्त अनुग्रह जो हमें थामे रहता है
 
अब, आइए हम अपने ध्यान को बेड़े की ओर केन्द्रित करते है जिसने मिलापवाले तम्बू के तख्तों को एकसाथ जोड़े रखा था। निर्गमन २६:२६-२७ कहता है, “फिर बबूल की लकड़ी के बेंड़े बनवाना, अर्थात् निवास के एक ओर के तख़्तों के लिये पाँच, और निवास के दूसरी ओर के तख़्तों के लिये पाँच बेंड़े, और निवास का जो भाग पश्‍चिम की ओर पिछले भाग में होगा, उसके लिये पाँच बेंड़े बनवाना।” मिलापवाले तम्बू का आकार समकोणीय था। मिलापवाले तम्बू के द्वार और परमपवित्र स्थान के लिए खम्भे रखे गए थे और बाकी चीजे तख्तों से बनी थी। यह तख्तें पाँच बेड़े से मढ़ी गई थी।
इन बेड़ों को पकड़ने के लिए, प्रत्येक तख्तों के लिए पाँच सोने की कड़ी बनाई गई थी। पाँच बेड़ों को मिलापवाले तम्बू के तीनो बाजू के तख्तों पर रखा गया था, उत्तर, दक्षिण, और पश्चिम। जैसे यह तख्तें सोने की कड़ियों से निकलने वाले इन बेड़ों से थामे हुए थे, वे वहाँ पर पुख्ता थे। इसलिए उनेक निचे चाँदी की कुर्सियों से मंडित, और पाँच बेड़ों से एकसाथ जुड़कर, यह तख्तें सीधे और मज़बूत खड़े थे।
और जैसे ४८ तख्तों को पाँच बेड़े से मढ़ा गया था और एक दुसरे को समर्थित थे, वैसे ही परमेश्वर के लोग भी पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा परमेश्वर के साथ बंधे हुए है। परमेश्वर की कलीसिया वह स्थान है जहाँ पानी और आत्मा के उद्धार के उपहार को प्राप्त किए हुए लोग मिलते है और अपने विश्वास के जीवन को जीते है। यीशु ने पतरस से कहा की वह अपनी कलीसिया को पत्थर पर बनाएगा (मत्ती १६:१८-१९)। वैसे ही, वह स्थान जहाँ पाप की माफ़ी पाए हुए लोगों के मिलाने के द्वारा परमेश्वर के राज्य का निर्माण होता है वह है परमेश्वर की कलीसिया। परमेश्वर हमें दिखा रहा है की उसने नीले, बैंजनी, और ला कपड़े में प्रगट हुए यीशु के कार्यों के द्वारा हमें जगत के पापों से सम्पूर्ण रीति से बचाया है।
निर्गमन २६:२८ कहता है, “बीचवाला बेड़ा जो तख्तों के मध्य में होगा वह तम्बू के एक सिरे से दुसरे सिरे तक पहुंचे।” यह बीचवाले बेड़े को इतना लंबा बनाया था की सारे तख्तों को एक साथ में बाँधा जा सके। तो फिर बीचवाला बेड़ा जो तख्तों के मध्य में से होकर निकलता है उसका क्या मतलब है? इसका मतलब है की धर्मी लोग एक दुसरे से जुड़ेंगे, और उनके विश्वास एक दुसरे से संगत करेंगे। दुसरे शब्दों में, प्रभु के द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा परिपूर्ण उद्धार करने के द्वारा, वे विश्वास से एक दुसरे के साथ संगती कर सकते है। धर्मी विश्वास से आँखों में आँखे डाल सकते है। इसी लिए जब हम अपने साथी संत या सेवक से मिलते है और उनसे संगती करते है, तब हम वास्तव में हृदय की इस संगती को महसूस कर सकते है।
 
 
“एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा, और एक ही परमेश्वर”
 
आइए इफिसियों ४:३-७ देखते है, “और मेल के बन्धन में आत्मा की एकता रखने का यत्न करो। एक ही देह है, और एक ही आत्मा; जैसे तुम्हें जो बुलाए गए थे अपने बुलाए जाने से एक ही आशा है। एक ही प्रभु है, एक ही विश्‍वास, एक ही बपतिस्मा, और सब का एक ही परमेश्‍वर और पिता है, जो सब के ऊपर और सब के मध्य में और सब में है। पर हम में से हर एक को मसीह के दान के परिमाण के अनुसार अनुग्रह मिला है।” प्रेरित पौलुस ने हमें मेल के बंधन में आत्मा की एकता रखने का प्रयास करने के लिए कहा है। यीशु का बपतिस्मा और क्रूस – जब हम इन दो चीजो से बने उद्धार के उपहार को प्राप्त करते है, तब शान्ति हमारे हृदय में प्रवेश करती है। जब हम हमारे हृदय में पाप की माफ़ी को प्राप्त करते है, तब हम मसीह में एक परिवार बनते है। संक्षेप में हम एक देह बनते है।
“एक प्रभु।” यीशु मसीह जिसने हमें बचाया वह एक है। “एक विश्वास।” आप क्या विश्वास करते है? आप नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुईं सनी के कपड़े में प्रगट हुए यीशु के पानी और लहू और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है। “एक बपतिस्मा।” प्रेरित पौलुस एक बार ओर यीशु के बपतिस्मा पर जोर देता है। यहाँ वह क्रूस का उल्लेख नहीं करता, लेकिन उसके बजाए वह यीशु के बपतिस्मा के बारे में बताता है जिसने सारे विश्वासिओं को बिना शर्त शुध्ध किया। हमारे लिए उसके बपतिस्मा पर विश्वास करना मसीह में बपतिस्मा लेना है और इस प्रकार मसीह को पहनना है (गलातियों ३:२७)। “एक परमेश्वर।” पर्मेश्वत्र एक है। इस परमेश्वर ने अपने बेटें को भेजने के द्वारा हमें बचाया है।
यह सारी चीजे पानी, लहू, और आत्मा में एक विश्वास की ओर इशारा करती है (१ यूहन्ना ५:८)। जब हमारे अन्दर पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास होता है तब हमारे हृदय एक दुसरे के साथ संगती कर सकते है। जिन्होंने पापों की माफ़ी पाई है वे एक दुसरे से आँखों में आँखे डालकर मिल सकते है। शायद थोड़ा ऐसा समय रहा होगा जब उन्होंने एक दुसरे को सम्पूर्ण रीति से नहीं समझा होगा। लेकिन जैसे बीचवाला बेड़ा जो तख्तों के मध्य में से होकर निकलता है, वैसे ही यदि उन्होंने अपने हृदय में पाप की माफ़ी को प्राप्त किया है, तो फिर वे एक दुसरे के साथ संगती कर सकते है। “यह भाई भी पाप से बचाया गया है, लेकिन उसकी देह कमज़ोर है और उसके हृदय पर बहुत सारे दैहिक अवशेष है। बाकी सभी की तरह, वह भी कुकर्म करनेवालों का बिज है, लेकिन फिर बजी प्रभु ने उसके पापों को पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा माफ़ किए है।” इस तरह, वे एक दूसरों को जानते है और प्रभु की स्तुति करते है।
कोई फर्क नहीं पड़ता की लोग कितने अपर्याप्त है, यदि वे पाप की माफ़ी प्राप्त करते है और कलीसिया में बने रहते है, तो उनके चहरे प्रकाशित होंगे, उनके विचार प्रकाशित होंगे, उनके हृदय भी प्रकाशित होंगे, और वे एक दुसरे के साथ संगती करने के योग्य बनेंगे। धर्मी जन एक दुसरे की आँखोंन में आँखे डाल सकते है। इसे कौन सम्भव बनाता है? विश्वास इसे सम्भव बनता है। किसी दूसरी स्थिति से नहीं लेकिन विश्वास के कारण वे एक दुसरे की आँखों में आँखे डाल कर देख सकते है। तो फिर दूसरों के साथ संगती रखने की हमारी काबिलियत को कौन वर्णन करता है? हम उन लोगों के साथ हमारे हृदय को बाँट नहीं सकते जो मसीह में नहीं है, क्यों के वे अपने हृदय में पानी और आत्मा के सुसमाचार के सत्य पर विश्वास नहीं करते। जो लोग पानी और आत्मा के इस सुसमाचार पर विश्वास नहीं करते वे किसी भी तरह से हमारे साथ संगती नहीं रख सकते।
भाइयों और बहनों, वास्तव में परमेश्वर की कलीसिया क्या है? यह उन लोगों का इकठ्ठा होना है जो मसीह यीशु में पवित्र किए गए है, संत होने के लिए बुलाए गए है (१ कुरिन्थियों १:२)। यह उन लोगों का समूह है जो सत्य पर विश्वास करते है की यीशु ने बपतिस्मा लेकर उनके पापों को साफ किया है, उसने इन पापों को अपने कन्धों पर उठाकर और क्रूस पर उन सारे दण्ड को सहने के द्वारा उन्हें बचाया है, और वह मृत्यु से जीवित हुआ है और उनका उद्धारकर्ता बना है। परमेश्वर की कलीसिया इस समूह के अलावा ओर कुछ नहीं है जिसमे व्यक्ति पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है।
आपके हृदय और मेरे हृदय में इस विश्वास के कारण जब हम उसकी कलीसिया में होते है तब एक दुसरे की आँखों में आँखे डाल सकते है। जैसे परमेश्वर जब हमारी ओर देखता है तब वह हमारे बाहरी रूप को नहीं देखता है लेकिन हमारे हृदय की ओर देखता है, वैसे ही हम जिन्होंने पाप की माफ़ी पाई है वे भी बाहरी रूप को नहीं देखते लेकिन हम एक दुसरे के हृदय को देखकर संगती करते है। “क्या यह व्यक्ति वास्तव में अपने हृदय में विश्वास करता है?” – यही हम देखते है। कोई फर्क नहीं पड़ता की उसके व्यक्तित्व में भिन्नता है, यदि वह “एक प्रभु, एक विशवास, एक बपतिस्मा; एक परमेश्वर और सबका पिता” पर विश्वास करता है तो फिर कोई फर्क नहीं पड़ता।
क्योंकि हम विश्वास करते है, इसलिए हम मिलापवाले तम्बू के खम्भे और तख्तें बने है, और क्योंकि हम विश्वास करते है, इसलिए हम परमेश्वर का परिवार बने है। क्या आप पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है? क्योंकि हम विश्वास करते है इसलिए हम पूरी दुनिया में उद्धार के प्रकाश को फैला रहे है, जैसे शुध्ध सोना परमेश्वर के घर में चमकता है। हम केवल उनक साथ हमारे हृदय को बाँट सकते है जिन्होंने पाप की माफ़ी पाई है, क्योंकि पवित्र आत्मा उनके हृदय में निवास करता है। यदि हमने पापों की माफ़ी पाई है केवल तभी हम  एक दुसरे के साथ संगती कर सकते है, लेकिन यदि हमने पापों की माफ़ी नहीं पाई है तो फिर हम एक दुसरे के साथ संगती नहीं कर सकते। पापी वो है जो लोगों के बाहरी रूप को देखकर भेद करता है और रूप, सम्पति, या सोहरत को देखकर उसके साथ व्यवहार करते है, लेकिन हम धर्मी अपने हृदय में ऐसा नहीं करते। धर्मी के लिए कोई भेदभाव नहीं है।
जब लोग पहले पाप की माफ़ी को प्राप्त करते है, तब में अक्सर उन्हें पूछता हूँ, “क्या आपने वास्तव में पाप की माफ़ी पाई है? क्या अभी भी आपके अन्दर पाप है, या क्या आपके सारे पाप दूर हो गए है? बहरहाल, बाइबल के विषय में आपके पास बहुत सारे प्रश्न होंगे, क्या नहीं है? जैसे आप अपने विश्वास के जीवन में आगे बढ़ाते है तब समय समय पर उसे पूछिए। आपकी कमजोरी भी प्रगट होंगी और आप आगे बढ़ाते समय कुछ गलतियाँ भी करेंगे। लेकिन अगुवे और वे लोग जो कलीसिया में आपके आगे गए है वे आपको मदद करेंगे, ताकि सब कुछ ठीक हो।” 
भाइयों और बहनों, हम धर्मियों के लिए कलीसिया की आवश्यकता है। मिलापवाले तम्बू का मतलब कलीसिया भी होता है। जो लोग पानी और लहू और नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुए सत्य पर विश्वास नहीं करते वे परमेश्वर की कलीसिया में प्रवेश नहीं कर सकते और वहाँ निवास नहीं कर सकते। जो लोग सत्य पर विश्वास करते है केवल वे ही कलीसिया में निवास कर सकते है, परमेश्वर के लोग और उसके सेवक बन सकते है, और परमेश्वर की महिमा भी देख सकते है। यह केवल लहू या उसकी देह की कुछ विशिष्टता के कारण नहीं है की लोग परमेश्वर की संतान बन सकते है। कोई फर्क नहीं पड़ता की कोई पादरी बहुत आधिकारिक लगते हो, यदि वे पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास नहीं करते, तो वे परमेश्वर की संतान नहीं है।
 
 

यीशु जो पानी और लहू से आया उसने हमें सम्पूर्ण रीति से बचाया है

 
प्रभु ने इस पृथ्वी पर आकर जो किया उसे उसके जन्म, बपतिस्मा, लहू बहाना, और पुनरुत्थान के द्वारा संक्षिप्त किया जा सकता है। यह सब पाप की माफ़ी के लिए उसकी सेवकाई थी। यीशु ने नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े की सेवकाई के साथ यह सब परिपूर्ण किया। मिलापवाले तम्बू में प्रगट हुआ नीला, बैंजनी, और लाल कपड़ा पाप से हमारे उद्धार के लिए था। परमेश्वर का उद्धार इतना व्यापक है की हम अपने तरीके से उस पर विश्वास नहीं कर सकते। हमें उसके उद्धार पर जैसा है वैसा ही विश्वास करना चाहिए।
हमारा विश्वास उसके उद्धार के दो सत्य के साथ सही तरीके से मेल खाना चाहिए: उसका बपतिस्मा और क्रूस पर उसका लहू। इसी लिए दो कड़ियों को सही तरीके से दो चाँदी की किर्सियों के साथ बाँधा गया था। हम सत्य की परवाह नहीं कर सकते जिसे यीशु ने केवल जगत के एक ज्ञान के रूप में दिया है और केवलम उस पर विश्वास करे। आप और मैं वे लोग है जो दो चाँदी की कुर्सियों मी प्रगट हुए यीशु के कार्य पर विश्वास करने क द्वारा परमेश्वर के सामने उद्धार पाए है।
मिलापवाला तम्बू हमें उद्धार की यीशु की विस्तृत विधि के बारे में बताता है, और यह उद्धार पहले ही हमारे लिए परिपूर्ण हो चुका है। परमेश्वर ने आपको उद्धार के जो दो उपहार दिए है उस पर विश्वास करे। मिलापवाले तम्बू में इस्तेमाल हुआ सोना विश्वास को दर्शाता है। यदि आप सत्य पर विश्वास करते है, तो परमेश्वर का उद्धार और महिमा आपका हों सकता है, लेकिन यदि आप विश्वास नहीं करते तो वह आपका नहीं हो सकता। क्या अप विश्वास से तम्बू के अन्दर रहना चाहते है, परमेश्वर की महिमा को पहनाकर उससे रक्षण पाना चाहते है, या विश्वास न करके आप हमेशा के लिए शापित होना चाहते है? यदि आप केवल क्रूस के लहू पर विश्वास करते है, तो आप उद्धार नहीं पा सकते। आपको विश्वास करना चाहिए की क्रूस का लहू और बपतिस्मा एक है। परमेश्वर का उपहार इन दोनों से बना है।
परमेश्वर का आत्मा हमारे हृदय में केवल तभी निवास करता है जब हम इन दोनों तत्वों (यीशु का बपतिस्मा और लहू को बहाना) पर विश्वास करते है। पवित्र आत्मा उन लोगों के हृदय में कभी निवास नहीं कर सकता जो इन पर विश्वास नहीं करते। यदि आप केवल अपने होंठो से अपने पाप को अंगीकार करते है और हृदय में विश्वास नहीं करते, और यदि आपका ज्ञान केवल बौध्धिक व्यायाम है, तो आप अकभी भी उद्धार नहीं पा सकते। उद्धार पाने के लिए, आपको सबसे पहले अपने उद्धार की सीमा रेखा को बनाना होगा: “अब तक, मैंने उद्धार नहीं पाया था। जिस उद्धार पर मैं विश्वास करता था वह सच्चा उद्धार नहीं था। लेकिन यीशु पर विश्वास करने के द्वारा जो पानी और लहू से आया, अब मैंने उद्धार पाया है।” लोग केवल तभी धर्मी बन सकते है जब वे पहले कमसे कम एक बार पापी बने। उन्हें अंगीकार करना चाहिए की बिना उद्धार पाए हुए, वे अपने पाप के दण्ड से बंधे हुए है, और फिर पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके वे सपूर्ण उद्धार पाया हुआ व्यक्ति बन सकता है।
नीले और बैंजनी कपड़े के साथ, जो यीशु का बपतिस्मा और लहू है, हमें हमारा सम्पूर्ण उद्धार प्राप्त करना चाहिए। अपने बपतिस्मा और लहू से, प्रभु ने हमें सम्पूर्ण उद्धार का उपहार दिया है। हमारे अपने विचारों के आधार पर विश्वास करने से हमें रोकने के लिए, परमेश्वर ने तम्बू के द्वारा भी इस उद्धार का विस्तृत वर्णन किया है। क्योंकि यह उद्धार बहुत ही मूल्यवान और सम्पूर्ण है, यह सब लोगों के लिए विश्वास करने योग्य है। उसके उद्धार के एक ही तत्व यानी की क्रूस के लहू पर विश्वास मत करी, लेकिन एक साथ यीशु के बपतिस्मा और लहू पर विश्वास कीजिए! यदि हमारे बिच में यदि कोई ऐसा है जिसने अभी भी उद्धार नहीं पाया है, तो यह मेरी आशा है की वे अभी इस सत्य पर विश्वास करके उद्धार पाए।
क्या कोई ऐसा है जो अभी बजी केवल यीशु के लहू पर विश्वास करता है? अभी भी ऐसे बहुत सारे मसीही है जो केवल आधे सुसमाचार पर विश्वास करते है। लेकिन मेरी आशा यह है की ऐसा गलत विश्वास फी कभी किसी के हृदय के अन्दर न आए। कोई फर्क नहीं पड़ता क्या हो रहा है, मैं बिना उद्धार पाए लोगों की भीड़ का सदस्य नहीं बन सकता। हम वे है जो इन दो चीजो (नीला और लाल कपड़ा) पर विश्वास करने के द्वारा सम्पूर्ण रीति से बचाए गए है – अर्थात्, यीशु के बपतिस्मा और लहू पर। मैं उद्धार के इन दो उपहारों के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ जिसके द्वारा परमेश्वर ने मुझे बचाया है। क्योंकि प्रभु ने सम्पूर्ण रीति से मेरे उद्धार को परिपूर्ण किया है, इसलिए मैं पहले से ही श्राप और न्याय से स्वतंत्र हो चुका हूँ।
वास्तव में, हमारा उद्धार जो नीले और लाल कपड़े से आया है वह सारे शब्दों से परे मूल्यवान है। याद रखे और विश्वास करे की आपके उद्धार को केवल क्रूस के लहू पर विश्वास के द्वारा सम्पूर्ण नहीं बनाया गया, लेकिन बपतिस्मा और क्रूस के लहू दोनों से, और इसी लिए इन दोनों पर विश्वास करने के द्वारा आप परमेश्वर की संतान बनते है। हमने पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन पर विश्वास करके अनन्त जीवन पाया है, ऐसा रहस्य जो तम्बू के तख्तों की दो कड़ीयों और दो चाँदी की कुर्सियों में छिपा हुआ है।
मैं अपना सारा धन्यवाद हमारे प्रभु को देता हूँ जिसने हमें जगत के पापों से बचाया है। हाल्लेलूयाह!