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उपदेश

विषय ९ : रोमियों (रोमियों की पत्री किताब पर टिप्पणी)

[अध्याय 1-2] परमेश्वर की धार्मिकता जो सुसमाचार में प्रकट हुई (रोमियों १:१६-१७)

( रोमियों १:१६-१७ )
“क्योंकि मैं सुसमाचार से नहीं लजाता, इसलिए कि वह हर एक विश्वास करनेवाले के लिए, पहले यहूदी फिर यूनानी के लिए, उद्धार के निमित परमेश्वर की सामर्थ्य है, क्योंकि उसमे परमेश्वर की धार्मिकता विश्वास से और विश्वास के लिए प्रगट होती है; जैसा लिखा है, “विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा।” 
 


हमें परमेश्वर की धार्मिकता को प्राप्त करना ही चाहिए


प्रेरित पौलुस मसीह के सुसमाचार से लज्जित नहीं हुआ। उसने प्रभावशाली रूप से सुसमाचार की गवाही दी। हालाँकि, कई लोगों के रोने का एक कारण यह है कि वे अपने पापों के करण यीशु में विश्वास करते हैं। यह परमेश्वर की धार्मिकता को स्वीकार करने में उनकी अज्ञानता के कारण भी है। हम परमेश्वर की धार्मिकता में विश्वास करने और अपनी धार्मिकता को त्यागने के द्वारा बचाए जा सकते हैं।
प्रेरित पौलुस सुसमाचार से लज्जित क्यों नहीं हुआ? सबसे पहले, यह इसलिए था क्योंकि इसमें परमेश्वर की धार्मिकता प्रकट हुई थी। 
ग्रीक में सुसमाचार, `युगेलियोन` का अर्थ है `सुसमाचार`। जब यीशु मसीह का जन्म बेतलेहेम में हुआ, तो परमेश्वर के दूत ने प्रकट होकर उन चरवाहों से कहा, जो रात में अपने झुंड की रखवाली कर रहे थे, "आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में से जिनसे वह प्रसन्न है, शान्ति हो!" (लूका २:१४) यह सुसमाचार था `मनुष्यों में से जिनसे वह प्रसन्न है, शान्ति हो।` प्रभु के सुसमाचार ने हमें सारे पापों से बचाया और संसार के पापों को धो दिया। यीशु ने हमारे सारे पापों को धो दिया। उन्होंने स्वयं उन लोगों के सारे पापों को धो डाला, जो ढिल्लों में कीड़ों की तरह फुसफुसाते थे और जिन्होंने कीचड़ में पाप किया था।
सबसे पहले, प्रेरित पौलुस ने कहा कि परमेश्वर की धार्मिकता सुसमाचार में प्रकट हुई थी। परमेश्वर की धार्मिकता उस सुसमाचार में प्रकट हुई जिसने हमारे सारे पापों को मिटा दिया। परमेश्वर की धार्मिकता ने हमें संत और धर्मी बनने की अनुमति दी। इसने हमें अनन्त जीवन प्राप्त करने और पापरहित होने की भी अनुमति दी।
मनुष्य की धार्मिकता क्या है? जब हमारे पास घमंड करने के लिए कुछ हो तब हम लोग परमेश्वर के सामने खुद को दिखाना पसंद करते हैं। अच्छे कर्म करके अपना अभिमान इकठ्ठा करना मनुष्य की धार्मिकता को चित्रित करता है। हालाँकि, यीशु के धर्मी कार्य ने हमें हमारे सभी पापों से बचाया, जिससे परमेश्वर की धार्मिकता सुसमाचार में प्रकट हुई। यह परमेश्वर की धार्मिकता है।
इन दिनों, ज्यादातर मसीही परमेश्वर की धार्मिकता के सुसमाचार को जाने बिना सुसमाचार का प्रचार करते हैं। वे कहते हैं, "यीशु पर विश्वास करो और तुम बच जाओगे और अमीर बन जाओगे।" हालाँकि, ये परमेश्वर की धार्मिकता के सुसमाचार की शिक्षाएँ नहीं हैं। सुसमाचार किसी भी चीज़ से अधिक लोकप्रिय प्रतीत होता है, परन्तु अधिकांश लोग अज्ञानी हैं और सुसमाचार को नहीं समझते हैं। यह इस तथ्य के समान है कि बाइबल सबसे ज्यादा बिकनेवाली किताब है, लेकिन अभी भी लोग वास्तव में इसके विषय वस्तु को नहीं जानते हैं। इस जगत में सबसे कीमती और लाभकारी चीज है सुसमाचार जो परमेश्वर ने हमें दिया है।
“क्योंकि उसमे परमेश्वर की धार्मिकता विश्वास से और विश्वास के लिए प्रगट होती है।" परमेश्वर का सुसमाचार रेगिस्तान में एक हरित भूमि की तरह है। यीशु उन पापियों के पास आया जिन्होंने बहुत से पाप किए थे और अपने सभी पापों को धो डाला था। हालाँकि, लोगों ने अपनी धार्मिकता को स्थापित करने के प्रयास में उसकी धार्मिकता के उपहार को अस्वीकार कर दिया है, जिसने जगत के पापों को धो दिया है। जो लोग अपने स्वयं के प्रयासों (सेवा, समर्पण, जोश, भेंट, पश्चाताप की प्रार्थना, उपवास प्रार्थना, प्रभु के दिन का पालन करना, परमेश्वर के वचन को अभ्यास में लाना आदि) दिखाते हैं और परमेश्वर के उपहार को अस्वीकार करते हैं, वे उसकी धार्मिकता को अस्वीकार करते हैं। परमेश्वर की धार्मिकता तभी प्राप्त हो सकती है जब व्यक्ति अपनी धार्मिकता का त्याग करे।
 


उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़ जोड़ कर लंगोट बना लिये


उत्पत्ति ३:२१ में लिखा है, “और यहोवा परमेश्वर ने आदम और उसकी पत्नी के लिए चमड़े के अंगरखे बनाकर उनको पहिना दिए।”
प्रथम मनुष्य, आदम ने शैतान की चाल में फसकर परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया। आदम और हव्वा ने पाप करने के ठीक बाद अंजीर के पत्तों को आपस में सिलकर और अपने लिए कपड़े बना लिए थे। सिले हुए अंजीर के पत्तों से बने वस्त्र खाल से बने वस्त्रो से बिलकुल विपरीत होते हैं। यह `मनुष्य की धार्मिकता` और `परमेश्वर की धार्मिकता` के बीच का अंतर था। उत्पत्ति ३:७ में लिखा है, “उन्होंने अंजीर के पत्ते जोड़ जोड़ कर लंगोट बना लिए।" क्या आपने कभी मूली के पत्ते तोड़े हैं? हम कोरियाई मूली से मूली के पत्ते काटते हैं और उन्हें सुखाने के लिए चावल के भूसे के साथ जोड़ते हैं। हम सर्दियों में उनके साथ बीन पेस्ट स्टू पकाते हैं। यह बहुत स्वादिष्ट है!
आदम और हव्वा ने पाप करने के बाद अंजीर के पत्तों को एक साथ जोड़ा और वस्त्र बनाए। इस तरह के कृत्य; अच्छे कर्म, आत्म-परीक्षण और आत्म-बलिदान, मानव धार्मिकता का गठन करते हैं। यह आत्म-धार्मिकता है, परमेश्वर की धार्मिकता नहीं। यह तथ्य कि उन्होंने अंजीर के पत्तों से अपने वस्त्र स्वयं बनाए थे, परमेश्वर के सामने अपने अच्छे कामों के साथ अपने पापों को छिपाने की कोशिश करके गर्व के पाप को दर्शाता है। अपनी धार्मिकता - अपनी भक्ति, आत्म-बलिदान, आत्म-परीक्षण, सेवा, और पश्चाताप की प्रार्थनाओं को एक वस्त्र में बांधना, और अपने मन में पापों को इसके साथ ढँकना `मूर्तिपूजा` है, जो परमेश्वर के सामने व्यक्ति के गर्व को दर्शाता करता है।
क्या हम अंजीर के पत्तों को सिलकर वस्त्र बनाने के द्वारा परमेश्वर के सामने अपने पापों को अपने हृदय में छिपा सकते हैं? क्या हम अपने पापों को अपने अच्छे कर्मों से छिपा सकते हैं? कभी नहीँ। एक ही दिन में पत्ते गिरना शुरू हो जाएंगे और तीसरे दिन सभी पत्ते गिर जाएंगे। सब्जियों से बने कपड़े ज्यादा देर तक नहीं टिकते। जो लोग अंजीर के पत्तों को एक साथ सिलते हैं और वस्त्र बनाते हैं, अर्थात्, जो अपने कर्मों से परमेश्वर की अच्छी तरह से सेवा करके धर्मी होने का प्रयास करते हैं, वे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते। हम अपने कर्मों की धार्मिकता से पापों की माफ़ी प्राप्त नहीं कर सकते।
जब आदम और हव्वा ने अंजीर के पत्तों से वस्त्र बनाकर अपने पापों को छिपाने की कोशिश की, तो परमेश्वर ने आदम को बुलाया, "आदम, तुम कहाँ हो?" उस ने बाटिका के पेड़ों में छिपकर कहा, मैं डर गया, क्योंकि मैं नंगा था; और मैं ने अपने आप को छिपा लिया।” पाप करने वाला व्यक्ति पेड़ों के बीच छिपने की कोशिश करता है। पेड़ अक्सर बाइबल में पुरुषों को सूचित करते हैं। जिसके मन में पाप है वह अपने आप को लोगों के बीच छिपाने की कोशिश करता है। वह बीच में बैठना पसंद करता है, न कि बहुत पीछे या कलीसिया के सामने जहां कई लोग एक साथ इकट्ठा होते हैं। क्यों? क्योंकि वह खुद को लोगों के बीच छुपाना चाहता है।
हालाँकि, वह अपने पापों को परमेश्वर के सामने नहीं छिपा सकता। उसे अपनी धार्मिकता को त्याग कर और प्रभु की धार्मिकता में विश्वास करके अपने पापों की माफ़ी प्राप्त करनी चाहिए। जो लोग अस्पष्ट विश्वास रखते हैं और जो सत्य में विश्वास नहीं करते हैं, वे लोग भी खुद को उसी तरह के लोगों के बिच छिपाते हुए स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना चाहते हैं, लेकिन जो लोग अपने अच्छे कर्मो से अपने पापों को छिपाने की कोशिश करते है उनके साथ उसका अन्त नरक में होगा। परमेश्वर के सामने पापियों को पापियों के रूप में प्रकट होना चाहिए और स्वयं को परमेश्वर के हाथों में सोंप देना चाहिए।
परमेश्वर ने आदम से पूछा, जिसने अंजीर के पत्तों से वस्त्र बनाए थे, “तू ने फल क्यों खाया? तुम्हें किसने खिलाया?" "हे परमेश्वर, जिस स्त्री को तू ने मेरे संग रहने के लिये दिया है, उस ने उस वृक्ष में से मुझे दिया, और मैं ने खा लिया।" "हव्वा, तुमने ऐसा क्यों किया?" "सर्प ने मुझे बहकाया, और मैं ने खा लिया।" तब यहोवा परमेश्वर ने सर्प से कहा, तू ने जो यह किया है इसलिए तू सब घरेलू पशुओं, और सब बनैले पशुओं से अधिक शापित है; तू पेट के बल चला करेगा, और जीवन भर मिट्टी चाटता रहेगा।" इसलिए सांप अपने पेट पर रेंगते हैं। फिर से परमेश्वर ने आदम और हव्वा से कहा, “तूमने भी पाप किया है। तुम जो पाप के बहकावे में आए, और जिसने तुमको पाप करवाया दोनों एक समान हो।” आजकल, झूठे भविष्यद्वक्ता भी झूठे सुसमाचार का प्रचार करते हुए कहते हैं, "आग प्राप्त करो!" जो लोग उनके द्वारा बहक जाते हैं, उनके साथ भी झूठे भविष्यवक्ताओं के समान व्यवहार किया जाएगा और वे नरक में जाएंगे।
 


परमेश्वर ने आदम और उसकी पत्नी के लिए चमड़े के अंगरखे बनाकर उनको पहिना दिए


प्रभु ने सोचा, "मैं आदम और हव्वा को अकेला नहीं छोड़ूंगा, जिन्होंने शैतान के बहकावे में आकर पाप किया था। मैंने मूल रूप से अपने स्वरूप में मनुष्य को बनाने और उन्हें अपना पुत्र बनाने का मन बना लिया था, इसलिए मैं अपनी योजना को पूरा करने के लिए उन्हें बचाऊंगा।” यह योजना परमेश्वर में थी। इसलिए, परमेश्वर ने उनके पापों को एक जानवर के ऊपर पारित कर दिया, जानवर को मार डाला, उसकी खाल उतार दी और उसके चमड़े से अंगरखे बना लिए और आदम और हव्वा को अंगरखा पहना दिया। उसने इसे हमारे उद्धार का प्रतीक बनाया। वास्तव में, अंजीर के पत्तों से बने पौधे के वस्त्र एक दिन भी नहीं चल सकते थे, और उन्हें बार-बार ठीक करना पड़ता थी। परमेश्वर ने आदम और हव्वा को यह कहते हुए अनन्त जीवन दिया, “तूम, आदम और हव्वा, आओ, मैं ने पशु की खाल का नया अंगरखा बनाया है, उसे पहिनलो। यह उस जानवर की खाल है जो तुम्हारे लिए मरा।” परमेश्वर ने आदम और हव्वा को नया जीवन देने के लिए परमेश्वर की धार्मिकता से आशीषित त्वचा के अंगरखे से आदम और हव्वा को कपड़े पहनाए। यहोवा परमेश्वर ने आदम और उसकी पत्नी के लिए चमड़े से अंगरखे बनाए और उन्हें पहिनाया, ठीक वैसे ही जैसे परमेश्वर ने विश्वासियों को अपनी धार्मिकता का उद्धार दिया है।
हालाँकि, मनुष्यजाति का उद्धार जो परमेश्वर के उद्धार से अलग था, वह था अंजीर के पत्तों से बना वस्त्र। परमेश्वर ने हमें चमड़े के अंगरखे पहिनाए, जो परमेश्वर की धार्मिकता है। प्रभु ने हमें अपना मांस और लहू देकर परमेश्वर की धार्मिकता से हमें हमारे पापों की माफ़ी दी। उसने हमारी जगह सारे न्याय को स्वीकार करने के लिए अपने बप्तिस्मा और क्रूस पर चढ़ने के द्वारा हमारे पापों को ले लिया। जब हम यीशु के बपतिस्मा और लहू के सुसमाचार के द्वारा परमेश्वर की धार्मिकता में विश्वास करते हैं तो परमेश्वर हमें पापों की माफ़ी देता है। यह सुसमाचार है जो पापियों को उनके पापों से बचाता है।
ऐसे बहुत सारे लोग है जो परमेश्वर की धार्मिकता का अस्वीकार करके जगत में खुद से अपनी धार्मिकता को स्थापित करने की कोशिश करते है। उन्हें अपनी धार्मिकता का त्याग करना ही चाहिए। रोमियों १०:१-४ में लिखा है, “हे भाइयो, मेरे मन की अभिलाषा और उनके लिये परमेश्‍वर से मेरी प्रार्थना है कि वे उद्धार पाएँ। क्योंकि मैं उनकी गवाही देता हूँ कि उनको परमेश्‍वर के लिये धुन रहती है, परन्तु बुद्धिमानी के साथ नहीं। क्योंकि वे परमेश्‍वर की धार्मिकता से अनजान होकर, और अपनी धार्मिकता स्थापित करने का यत्न करके, परमेश्‍वर की धार्मिकता के अधीन न हुए। क्योंकि हर एक विश्‍वास करनेवाले के लिये धार्मिकता के निमित्त मसीह व्यवस्था का अन्त है।”
इस्राएलियों ने परमेश्वर की धार्मिकता की उपेक्षा करते हुए, अपनी धार्मिकता को स्थापित करने के लिए अपने विधिवाद पर जोर दिया। परमेश्वर ने मनुष्यों को पाप के प्रति सजाग करने के लिए व्यवस्था दी है। लोगों को दस आज्ञाओं के माध्यम से पाप का ज्ञान हुआ है और परमेश्वर के उद्धार की धार्मिकता में विश्वास करके पाप की माफ़ी प्राप्त करते हैं, जो उन्हें तम्बू की बलि प्रथा के माध्यम से उनके पापों से बचाता है। इसलिए, तम्बू के पापबलि का तात्पर्य है कि यीशु नए नियम में परमेश्वर का प्रतिनिधित्व है। हालाँकि, इस्राएली परमेश्वर की इस धार्मिकता को नहीं जानते थे।
 

यीशु ने बप्तिस्मा क्यों लिया?

यीशु ने बपतिस्मा क्यों लिया? यूहन्ना बप्तिस्मा देनेवाले ने इस जगत के सभी पापों को धोने के लिए यीशु को बपतिस्मा दिया। बपतिस्मा लेने से ठीक पहले यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से कहा, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।” (मत्ती ३:१५) यही कारण है कि यीशु ने बपतिस्मा लिया। उसने बपतिस्मा लिया ताकि वह मनुष्यजाति के सभी पापों को धो सके। उन्होंने बपतिस्मा लेकर इस संसार के पापों को ले लिया। “देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत का पाप उठा ले जाता है।” (यूहन्ना १:२९) उसने सभी पापों को उठा लिया और पापों के प्रायश्चित के लिए क्रूस पर चढ़ाया गया। हालाँकि, इस्राएलियों ने विश्वास नहीं किया कि यीशु पापियों का सम्पूर्ण उद्धारकर्ता बन गया।
इस्राएलियों ने अपने आप को परमेश्वर की धार्मिकता के आधीन नहीं किया है, लेकिन यीशु हर विश्वास करने वाले के लिए धार्मिकता के लिए व्यवस्था का अंत है। व्यवस्था के अंत का अर्थ है कि यीशु ने जगत के सारे पापों को धो दिया। सारे विश्वासियों को पवित्र करने के लिए मसीह ने व्यवस्था के श्राप का न्याय सहा था। उसने व्यवस्था के शाप को समाप्त कर दिया। यीशु ने सारे लोगों को उनके पापों से छुड़ाया। यीशु ने सारी मनुष्यजाति के पापों को धोने के लिए बपतिस्मा लिया था। उसने बप्तिस्मा लेने के लिए अपनी देह यूहन्ना को सोंपकर और जगत के सारे पाप अपनी देह पर उठाकर जगत के सारे पाप उठा लिए। इस प्रकार उसने सारे लोगों को उनके पापों से बचाया। उसने अपने बपतिस्मा और क्रूस पर चढ़ाए जाने के द्वारा इस जगत के पापों को दूर करके व्यवस्था के शाप के न्याय का अन्त किया। उसने हमें न्याय और व्यवस्था के शाप से पूरी तरह से बचाया। 
यह व्यवस्था का अंत और परमेश्वर के उद्धार की धार्मिकता की शुरुआत थी। यूहन्ना बप्तिस्मा देनेवाले के द्वारा बपतिस्मा लेकर यीशु ने सम्पूर्ण रूप से जगत के पापों को दूर कर दिया और क्रूस पर चले गए। यदि कोई व्यक्ति यीशु के उद्धार पर विश्वास करता है तो यह कैसे संभव है कि उसके हृदय में पाप हो? "क्योंकि विश्वास से विश्वास के द्वारा परमेश्वर की धार्मिकता प्रगट होती है।" यीशु का बपतिस्मा और लहू परमेश्वर की धार्मिकता रही है। परमेश्वर की धार्मिकता में विश्वास करना यीशु के बपतिस्मा और लहू में विश्वास करना है।
परमेश्वर की धार्मिकता उचित तरीके से यीशु के बपतिस्मा के द्वारा पूरी हुई थी। मैं चाहता हूं कि आप इस पर विश्वास करें। तब आप अपने सारे पापों से बच जाओगे। यीशु के बपतिस्मा के द्वारा पापरहित बनने के लिए पापियों को धार्मिकता दी गई थी। इसके अलावा, परमेश्वर के न्याय की धार्मिकता यीशु का क्रूस पर चढ़ाया जाना था। "मसीह व्यवस्था का अंत है।" परमेश्वर का न्याय उन लोगों के लिए आएगा जिनका न्याय तब तक नहीं हुआ जब तक व्यवस्था मौजूद है। परमेश्वर की व्यवस्था पाप को प्रकट करती है और साबित करता है कि पाप की मजदूरी मृत्यु है, एक अभिशाप और नरक है। इसलिए, यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर लहू ने व्यवस्था के अभिशाप को समाप्त कर दिया। यीशु ने हमारे सारे पापों को उठा लिया और सब धार्मिकता को पूरा करने के लिए व्यवस्था का अन्त कर दिया।
 

मूर्खो ने अपनी मशालें तो लीं, परन्तु अपने साथ तेल नहीं लिया

आइए मत्ती २५:१-१३ को देखें। यहाँ दस कुँवारियों का दृष्टान्त है जो अपने दूल्हे, हमारे प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा कर रही थीं। आइए वचन के माध्यम से देखें कि परमेश्वर की धार्मिकता क्या है। 
“तब स्वर्ग का राज्य उन दस कुँवारियों के समान होगा जो अपनी मशालें लेकर दूल्हे से भेंट करने को निकलीं। उनमें पाँच मूर्ख और पाँच समझदार थीं। मूर्खों ने अपनी मशालें तो लीं, परन्तु अपने साथ तेल नहीं लिया; परन्तु समझदारों ने अपनी मशालों के साथ अपनी कुप्पियों में तेल भी भर लिया। जब दूल्हे के आने में देर हुई, तो वे सब ऊँघने लगीं और सो गईं। “आधी रात को धूम मची: ‘देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो।’ तब वे सब कुँवारियाँ उठकर अपनी मशालें ठीक करने लगीं। और मूर्खों ने समझदारों से कहा, ‘अपने तेल में से कुछ हमें भी दो, क्योंकि हमारी मशालें बुझी जा रही हैं।’ परन्तु समझदारों ने उत्तर दिया, ‘कदाचित् यह हमारे और तुम्हारे लिये पूरा न हो; भला तो यह है कि तुम बेचनेवालों के पास जाकर अपने लिये मोल ले लो।’ जब वे मोल लेने को जा रही थीं तो दूल्हा आ पहुँचा, और जो तैयार थीं, वे उसके साथ विवाह के घर में चली गईं और द्वार बन्द किया गया। इसके बाद वे दूसरी कुँवारियाँ भी आकर कहने लगीं, ‘हे स्वामी, हे स्वामी, हमारे लिये द्वार खोल दे!’* उसने उत्तर दिया, ‘मैं तुम से सच कहता हूँ, मैं तुम्हें नहीं जानता।’ इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम न उस दिन को जानते हो, न उस घड़ी को” (मत्ती २५:१-१३)।
यह लिखा है कि स्वर्ग का राज्य उन दस कुँवारियों के समान है जो अपनी मशालें लेकर दूल्हे से मिलने के लिए निकली थीं। स्वर्ग के राज्य में कौन प्रवेश करता है? दस कुँवारियों में से किसने स्वर्ग के राज्य में प्रवेश किया? कुछ कुँवारियाँ जो यीशु पर विश्वास कराती थी फिर भी स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने में सक्षम क्यों नहीं थीं? प्रभु उपरोक्त भाग के माध्यम से हमें बताते है। दस में से पाँच कुँवारियाँ मूर्ख थीं और अन्य पाँच बुद्धिमान थीं। मूर्खों ने अपनी मशालें तो लीं लेकिन अपने साथ तेल नहीं लिया। मशालें ‘कलीसिया’ को दर्शाती है। उन्होंने अपनी मशालें तो ली लेकिन अपने साथ कोई तेल नहीं लिया यह तथ्य उन लोगों को दर्शाता है जो बिना पवित्र आत्मा के कलीसिया जाते है (बाइबिल में तेल पवित्र आत्मा को दर्शाते है)।
मूर्ख ने क्या किया? उन्होंने अपनी मशालें तो लिए, परन्तु तेल नहीं लिया। एक व्यक्ति जो यीशु पर विश्वास करता हो लेकिन जिसका नया जन्म नहीं हुआ है, वह समर्पित रूप से कलीसिया में जा सकता है। हर कोई कहता है, "मेरी कलीसिया वास्तव में रूढ़िवादी है।" इस दुनिया का हर मसीही ऐसा कहता है। उन्हें संस्थापक पिता और उनके संप्रदायों के कुछ पात्रों पर बहुत गर्व है। जो मूर्ख थे, वे अपनी मशालें ले गए, और अपने साथ तेल नहीं लिया, परन्तु बुद्धिमानों ने अपनी मशालों के साथ अपने बर्तनों में तेल लिया।
मनुष्य क्या है? मनुष्य परमेश्वर के सामने एक पात्र है। वह धूल है। मनुष्य धूल से बना है। मनुष्यजाति एक ऐसा बर्तन है, जिसमें परमेश्वर समा सकते हैं। बुद्धिमानों ने अपनी मशालों के साथ बर्तनों में तेल भी लिया।
 

जिन मूर्ख कुँवारियों के पास केवल मशालें थी लेकिन तेल नहीं था उन्होंने अपनी भावनाओं को जलाया

बाइबल हमें बताती है कि यीशु पर विश्वास करने वाले लोगों में से कुछ मूर्ख कुँवारियाँ हैं। वे अपनी मशालें तो लेते हैं, लेकिन तेल नहीं। उनका मतलब है कि उनका नया जन्म नहीं हुआ है। क्या बिना तेल की बाती लंबे समय तक चलती है? यहां हमें यह जानना चाहिए कि बिना तेल की मशाल जल्दी जल जाति है, चाहे उसकी बाती कितनी भी अच्छी क्यों न हो। वे विश्वासी जिन्होंने अभी तक नया जन्म नहीं पाया है, उनमें सबसे पहले प्रभु के प्रति प्रेम की तीव्र भावना है। यह लगभग 4 या 5 साल तक चलता है। बाद में, प्रभु के लिए उत्साहित प्रेम बुझ जाता है। उन्हें यह समझना चाहिए कि उनके पास पाप की माफ़ी नहीं है। 
जिनका नया जन्म नहीं हुआ है, या बिना तेल (पवित्र आत्मा) के हैं, वे इस तरह की बातें कहते हैं: "मैं बहुत समय पहले अच्छा विश्वास करता था। मैं पहले अच्छा था, लेकिन अब नहीं। तुम जल्द ही मेरे जैसे बन जाओगे।" वे झूठे भविष्यद्वक्ता और झूठे संत हैं जो नया जन्म लिए बिना धार्मिक जीवन जीते हैं। उनके पास उद्धार का विश्वास होना चाहिए क्योंकि उनका विश्वास तेल (पवित्र आत्मा) पर आधारित नहीं है। उनका विश्वास केवल उनकी भावनाओं पर आधारित होता है। उन्हें यीशु मसीह के पानी और लहू में विश्वास करके उद्धार प्राप्त करना चाहिए और एक उपहार के रूप में परमेश्वर का तेल प्राप्त करना चाहिए। बाती मनुष्य हृदय को दर्शाती है।
उपरोक्त भाग में कुँवारिया दूल्हे की प्रतीक्षा करती हैं। यहाँ, हमें इस्राएलियों की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को अच्छी तरह से समझना चाहिए। रात में उनकी शादी की रस्में होती हैं और यह दूल्हे के आने पर शुरू होता है। इसलिए, दुल्हन को अपने दूल्हे की प्रतीक्षा करनी चाहिए। इस्राएलियों का विवाह समारोह ऐसा ही था।
“जब दूल्हे के आने में देर हुई, तो वे सब ऊँघने लगी और सो गई।” वहाँ शोर हुआ, “देखो, दुल्हा आ रहा है!” तब वे कुंवारियाँ उठी और अपनी मशालें ठीक करने लगी। जब वे दस कुंवारियाँ दुल्हे का इंतज़ार कर रही थी, तब दुल्हा डूम मचाता हुआ आया, “देखो, दुल्हा आ रहा है।” “तब वे सब कुंवारियाँ उठकर अपनी मशालें ठीक करने लगी। और मूर्खों ने समझदारों से कहा, ‘अपने तेल में से कुछ हमें भी दो, क्योंकि हमारी मशालें बुझी जा रही है।” मूर्ख हमेशा निर्बुध्ध होते है। उन्हें दुल्हे के आने से पहले तेल तैयार करके रखना चाहिए था। कोई फर्क नहीं पड़ता की मशाल की बाती कितनी कमज़ोर है, तेल वाली मशालें बुझती नहीं है।
मूर्ख कुँवारियाँ जिनके पास बिना तेल की मशालें थे, वे केवल बात्ती जलाती थीं। इसका मतलब है कि केवल उनके हृदय जले थे। "मुझे नया जन्म लेना है, नया जन्म पाए व्यक्ति सा जीवन जीना है, और पवित्र आत्मा से भरना है।" वे इस तरह अपने दिलों को जलाते हैं। हमारे बचपन के समय केरोसिन के दीये रात में कमरों में रोशनी करते थे। यदि हम दीये को कागज की एक पट्टी जलाने देते हैं, तो यह पलक झपकते ही जल जाएगा। आग एक फुट से अधिक लंबी और बहुत तेज होगी, लेकिन यह तुरंत बुझ जाएगी।
मूर्ख कुँवारियाँ जो नरक में जाती हैं वे वो हैं जो बिना तेल के अपने दिलों (भावनाओं) को जलाती हैं और जिनके विश्वास की आग तब बुझ जाती है जब उन्हें वास्तव में प्रभु से मिलना होता है। उनके अन्दर पवित्र आत्मा नहीं है। वे सोचते हैं कि उनके पास पवित्र आत्मा न होने के बावजूद भी वे सही तरीके से विश्वास करते हैं। "आओ, जलती हुई आत्मा, आओ" वे एक बड़ी हलचल में हैं। फिर, महिलाएं नृत्य करती हैं (वे इसे पवित्र आत्मा-नृत्य कहते हैं), वे अपने स्तनों को लहराते हुए कहती हैं, "आओ, कृपया आओ।" वे मूर्ख और पागल हैं। यदि हमारे पास अभी भी उद्धारकर्ता के सामने पाप है तो हम मूर्ख है। भले ही हम यीशु पर विश्वास करे लेकिन यदि हमारे हृदय में पाप है तो हम मूर्ख कुँवारियों के समान होंगे। मूर्ख कुँवारी कभी मत बनो।
 

प्रभु कैसे उस दुल्हन से विवाह कर सकता है जिसके अन्दर पाप है?

यहोवा पवित्र परमेश्वर है। दूल्हा परमेश्वर और परमेश्वर का पुत्र है जिसमें कोई पाप नहीं है। परमेश्वर हमारा दूल्हा है। हालाँकि, आप पाप को लिए हुए परमेश्वर से मिलने की कोशिश कैसे कर सकते हैं? क्या आप अपने हृदय में पाप के साथ परमेश्वर से मिलना चाहते हैं? यह बहुत ही तुच्छ और मूर्खतापूर्ण बात होगी।
यीशु, हमारा दूल्हा, जगत में आया और उसने दुल्हनों को पवित्र किया। उसने अपने बपतिस्मा के द्वारा उनके सारे पापों को धोकर अपनी दुल्हनों को धर्मी लोगों में बदल दिया। उसने उन्हें अपनी दुल्हन के रूप में चुना। जब समय पूरा हो गया, तो उनमें से पांच ने कहा, "कृपया चलो।" हालांकि, उनमें से पांच अभी भी अंधेरे में खड़ी थी। जब उनके चेहरे काले हैं तो वे विवाह समारोह कैसे कर सकते हैं? दूल्हा आया और बोला, "कैसी हो तुम?" बाद की पांच दुल्हनों के चेहरे उनके पापों के कारण काले हो गए थे। वे गहरे दुःख में थे क्योंकि उनके पाप उनके हृदयों में यहाँ वहाँ जुड़े हुए थे।
प्रभु कैसे उन दुल्हन से विवाह कर सकता है जो अपने पापों के कारण रोने वाली है? "धन्यवाद, हे प्रभु, मुझे इस प्रकार पवित्र करने के लिए।" ऐसा व्यक्ति अपने आत्मिक दूल्हे के साथ खुश होगा, भले ही वह कमजोर हो, क्योंकि दूल्हा उससे प्यार करता है और उसकी सभी कमजोरियों और पापों को धो देता है। दूल्हा आमतौर पर अपनी दुल्हन को मेकअप लगाने के लिए, कपड़े भेजने के लिए और सभी बेहतरीन इत्र और सौंदर्य प्रसाधन के लिए ले जाता है। फिर, दुल्हन को उन सभी चीजों के साथ तैयार किया जाता है ताकि वह दूल्हे से मिलने के लिए तैयार हो। 
हमारे प्रभु को इस जगत में दूल्हे के रूप में हमारा मार्गदर्शन करने के लिए भेजा गया था ताकि हम उनसे उनकी दुल्हन के रूप में मिल सकें। उसने यरदन नदी में हमारे पाप की माफ़ी के लिए अपना शरीर दिया। "और वचन देहधारी हुआ और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बिच में डेरा किया, और हम ने उसकी एसी महिमा देखि, जैसी पिता के एकलौते की महिमा" (यूहन्ना १:१४)। प्रभु ने स्वयं हमारे सभी पापों को दूर किया ताकि हमें प्रभु में विश्वास करके अनुग्रह, सच्चाई और पाप की माफ़ी की परिपूर्णता मिले। दूल्हे ने यरदन नदी में अपनी सभी दुल्हनों के पापों को दूर किया। प्रभु ने क्रूस पर उनके स्थान पर न्याय को उठाकर अपनी दुल्हनों को उनके पापों से बचाया।
 

क्या हम पैसे और योग्यता से पवित्र आत्मा को खरीद सकते है?

हालाँकि, मूर्ख कुँवारियों ने बुद्धिमानों से तेल साझा करने के लिए कहा, क्योंकि दूल्हे के निकट आने पर उनकी मशालें बुझी जा रही थी। क्या हम पवित्र आत्मा को साझा कर सकते हैं? क्या हम पवित्र आत्मा को पैसे से खरीद सकते हैं? क्या हम पाप की माफ़ी को अच्छे कर्मों, योग्यता या पैसे से खरीद सकते हैं? बुद्धिमानों ने उन्हें जागृति सेवा प्रचारकों से पवित्र आत्मा खरीदने के लिए कहा। मूर्खों ने सोचा कि वे पहले ही उनसे खरीद चुके हैं। उन्होंने सोचा कि वे पैसे से तेल खरीद सकते हैं। उन्होंने जोश के साथ धार्मिक जीवन व्यतीत किया, यह सोचकर कि बड़ी भेंट और सेवाएं, रूढ़िवादी कलीसिया में जाने और बार-बार प्रार्थना करने से उन्हें कुछ मिलेगा। 
लेकिन चाहे कुछ भी हो, कोई भी व्यक्ति पृथ्वी की किसी भी चीज से परमेश्वर ने दी हुई पाप की माफ़ी को खरीद नहीं सकता है। मूर्ख अपनी भावनाओं को तब तक जलाने की कोशिश करते हैं जब तक कि वे प्रभु के सामने खड़े न हों। पांच मूर्ख कुंवारियों में से एक ने यह कहते हुए धार्मिक जीवन शुरू किया, "मैं तुम्हारा अनुसरण करूंगी, मैं प्रार्थनाओं और पश्चाताप की प्रार्थनाओं के लिए एक पहाड़ पर भी जाऊंगी। चलो उसकी सेवा करने चलते हैं, विदेश में सुसमाचार का प्रचार करने चलते हैं।" 
अंत में दूल्हा बड़ी धूमधाम से आया। जब दूल्हा आया तो मूर्ख तेल मोल लेने को गई, परन्तु जिन कुँवारियों के पाप माफ़ हुए और जिन्होंने तेल (पवित्र आत्मा) तैयार किया था, वे विवाह के भोज में गईं। सब कुछ तैयार करने के बाद दूल्हा दुल्हन से मिला। फिर उसने दरवाजा बंद कर दिया। यीशु ने केवल ऐसे ही पाँच कुँवारियों नहीं चुना। बाइबिल में `पांच` संख्या का अर्थ `अनुग्रह` है। पाँच कुँवारियाँ उन लोगों को दर्शाती हैं जिनके पास अनुग्रह से पाप की माफ़ी है और परमेश्वर के अनुग्रह और धार्मिक कार्यों में विश्वास करते हैं। वे उन कामों को पहचानते हैं जो दूल्हे ने उनके लिए किए हैं और प्रभु की उस धार्मिकता पर विश्वास करते हैं, जो उन्हें धर्मी बनाती है। हालाँकि, अन्य कुंवारियाँ अन्त में आई और कहा, "प्रभु, प्रभु, हमारे लिए द्वार खोल।" परन्तु उस ने उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच कहता हूं, मैं तुम्हें नहीं जानता।
 

हम केवल तभी पवित्र आत्मा का उपहार प्राप्त कर सकते है जब हमारे पाप दूर हो जाए

जो लोग तेल को तैयार नहीं करते, वे प्रभु से नहीं मिल सकते। प्रभु केवल उन्हें ही स्वर्ग के राज्य में लेंगे जो परमेश्वर की धार्मिकता में विश्वास करते थे और स्वर्ग के राज्य की प्रतीक्षा करते थे और जिनके हृदय में वास्तव में पाप की माफ़ी थी। यहोवा ने वायदे के वचन कहे। “मन फ़िराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिए यीशु मसीह के नाम से बप्तिस्मा ले” तो फिर हमारे पापों की माफ़ी के बाद क्या होगा? बाइबल कहती है, “तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे” (प्रेरितों २:३८)। यदि आप परमेश्वर की धार्मिकता का सुसमाचार प्राप्त करते हैं, तो आपके हृदय के पाप वास्तव में मिटा दिए जाएंगे और पवित्र आत्मा आपके पास आएगा। हम शारीरिक रूप से परमेश्वर की पवित्र आत्मा को महसूस नहीं कर सकते। फिर भी, पवित्र आत्मा मौजूद है। हम कह सकते हैं कि हमारे पास कोई पाप नहीं है क्योंकि हमारे दिलों में पवित्र आत्मा और परमेश्वर का वचन है। यह वास्तव में मौजूद है। वह जो प्रभु की धार्मिकता को प्राप्त करता है, वह धर्मी बन जाता है, फिर भले ही वह कमजोर हो। हालाँकि, जिसके पास प्रभु की धार्मिकता नहीं है, वह पापी रहता है।
 

क्योंकि उसी में परमेश्वर की धार्मिकता प्रगट हुई

प्रभु पानी और लहू के द्वारा आया। उसने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमें हमारे पापों से बचाया। जब उसने बपतिस्मा लिया तब उसने हमारे सारे पापों को दूर कर दिया और अपना लहू बहाकर हमारे सब पापों के लिए जो न्याय था उसे प्राप्त किया। प्रेरित यूहन्ना, पतरस और पौलुस इस बारे में क्या कहते हैं? वे पूरी तरह से यीशु के मांस और लहू के बारे में बात करते हैं। वे यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू के बारे में बात करते हैं। मत्ती ३:१३-१७ स्पष्ट रूप से यीशु के बपतिस्मा का वर्णन करता है। यीशु ने पापियों को पापरहित करने और यरदन नदी में जगत के सारे पापों को धोने के लिए बपतिस्मा लिया था।
आइए १ पतरस ३:२१ की ओर देखते है। पतरस गवाही देता है की उसका बप्तिस्मा उद्धार का प्रतिबिम्ब है। “उसी पानी का दृष्‍टान्त भी, अर्थात् बपतिस्मा, यीशु मसीह के जी उठने के द्वारा, अब तुम्हें बचाता है; इससे शरीर के मैल को दूर करने का अर्थ नहीं है, परन्तु शुद्ध विवेक से परमेश्‍वर के वश में हो जाने का अर्थ है। वह स्वर्ग पर जाकर परमेश्‍वर की दाहिनी ओर बैठ गया; और स्वर्गदूत और अधिकारी और सामर्थी उसके अधीन किए गए हैं” (१ पतरस ३:२१-२२)।
ऐसा लिखा है की, “उसी पानी का दृष्‍टान्त भी, अर्थात् बपतिस्मा, यीशु मसीह के जी उठने के द्वारा, अब तुम्हें बचाता है।” यीशु का बप्तिस्मा, जो उसके शरीर के द्वारा हमारे सारे पापों को ले लेता है, वह हमारे उद्धार का प्रमाण है। यह तथ्य कि उसने क्रूस पर लहू बहाया, इस बात का प्रमाण है कि हमें हमारे पापों के लिए दण्डित किया गया था। क्या आप देख रहे हैं कि मैं क्या कह रहा हूँ? इसलिए, बाइबल कहती है कि यीशु ही वह है जो पानी, लहू और पवित्र आत्मा के द्वारा आया था (१ यूहन्ना ५:६-९)। यीशु को मनुष्य के शरीर में जगत में भेजा गया, और हमारे सब पापों को उसी प्रकार उठा लिया जिस प्रकार महायाजक हारून ने अपने लोगों के पापों को दूर करने के लिए बलिदानों पर हाथ रखे था।
पानी वह दृष्टांत है जो हमें बचाता है; बपतिस्मा। लिखा है कि यह गन्दी देह को दूर करना नहीं है। इसका अर्थ यह नहीं है कि पाप की माफ़ी प्राप्त करने के बाद हम पाप नहीं करते हैं। हम यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करने के द्वारा पाप की माफ़ी प्राप्त करते हैं। तो, क्या हम शरीर के साथ पाप नहीं करते? हाँ हम करते हैं। बहुत से लोग पाप की माफ़ी को गलत समझते हैं और ऐसी बातें कहते हैं, "यदि तुम्हारे हृदय में कोई पाप नहीं है, तो तुम फिर से पाप नहीं करोगे।" यह एक गलतफहमी है। बाइबल कहती है, “निःसंदेह पृथ्वी पर कोई ऐसा धर्मी मनुष्य नहीं जो भलाई ही करे और जिस से पाप न हुआ हो” (सभोपदेशक ७:२०)। देह अभी भी कमजोर है। यह तब तक कमजोर है जब तक यह मर नहीं जाता। यह तब तक पाप करता है जब तक वह मर नहीं जाता। “इससे शरीर के मैल को दूर करने का अर्थ नहीं है, परन्तु शुद्ध विवेक से परमेश्‍वर के वश में हो जाने का अर्थ है।” यीशु के बपतिस्मा और लहू में हमारे विश्वासों के द्वारा हमारा विवेक परमेश्वर के प्रति अच्छे विवेक में बदल जाता है। प्रभु ने अपने बप्तिस्मा के द्वारा हमारे पापों को ले लिया है इस तथ्य पर हमारे विश्वास के द्वारा हमारा विवेक परमेश्वर को हमारा प्रभु और उद्धारकर्ता कह सकता है।
 

हमारे हृदय के लिए यीशु का बप्तिस्मा और लहू आत्मिक पोषण है

हृदय के लिए पोषण यीशु का बपतिस्मा और लहू है। हृदय के लिए पोषण और हमारे पापों को धोने वाले प्रतिरूप यीशु का बपतिस्मा है। इस प्रकार, प्रेरित पतरस ने कहा कि बपतिस्मा प्रतिरूप है, जिसने हमें बचाया। 
आइए १ पतरस १:२२-२३ को देखे। “अत: जब कि तुम ने भाईचारे की निष्कपट प्रीति के निमित्त सत्य के मानने से अपने मनों को पवित्र किया है, तो तन–मन लगाकर एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो। क्योंकि तुम ने नाशवान् नहीं पर अविनाशी बीज से, परमेश्‍वर के जीवते और सदा ठहरनेवाले वचन के द्वारा नया जन्म पाया है”। आमीन।
हमने यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू में विश्वास करने के द्वारा नया जन्म पाया है और सभी पापों की माफ़ी प्राप्त की है। हम परमेश्वर के लिखित वचन पर विश्वास करके नया जन्म पाते हैं। हमारा नया जन्म ‘परमेश्‍वर के जीवते और सदा ठहरनेवाले वचन के द्वारा हुआ है।’ हाल्लेलूयाह! नया जन्म उस वचन के माध्यम से होता है जो हमेशा ठहरता है। परमेश्वर का वचन सिध्धांत है, जो एक मापने वाली छड़ी को दर्शाता है। यह उद्धार का मानदण्ड है। परमेश्वर के उद्धार को नापने वाला मापदण्ड कभी नहीं बदलता।
यूहन्ना बप्तिस्मा देनेवाले ने यूहन्ना १:२९ में कहा है, “देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत का पाप उठा ले जाता है!” परमेश्वर का मेम्ना जिसने यर्दन नदी में बप्तिस्मा लिया था वह सच्ची जीवन की रोटी है, जो अपने मांस और लहू से हमें बचाती है।
हम परमेश्वर के वचन पर विश्वास करने के द्वारा पवित्र किए गए है और बचाए गए है। बाइबल कहती है, “अंत: विश्वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है,” और “क्योंकि उसमे परमेश्वर की धार्मिकता विश्वास से और विश्वास के लिए प्रगट होती है; जैसा लिखा है, ‘विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा’” (रोमियों १०:१७, १:१७)। हम सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा धर्मी बन सकते है।
क्या आपको पवित्र किया गया है? आमीन।─ क्या आपके अन्दर कोई पाप नहीं है? यह सुसमाचार है, शुभ संदेश, ग्रीक में `युगेलियोन`। परमेश्वर की धार्मिकता क्या है? यह सच है कि प्रभु ने हमें अपना मांस और लहू देकर हमारे सभी पापों को मिटा दिया। परमेश्वर की धार्मिकता ने हमें पवित्र होने दिया। परमेश्वर की धार्मिकता यह है कि यीशु, जो पापरहित था, उसने जगत के पापों को उठा लिया और पापियों के लिए क्रूस पर चढ़ाया गया। यह पानी है, यीशु का बपतिस्मा जिसने जगत के सब पापों को शुद्ध किया। परमेश्वर की धार्मिकता इस तथ्य के माध्यम से दी गई है कि यीशु ने अपने बपतिस्मा और सूली पर चढ़ाए जाने के द्वारा दुनिया के पापों को दूर किया। परमेश्वर की धार्मिकता में उसका बपतिस्मा और मृत्यु शामिल है, और क्रूस हमारे न्याय का प्रतिरूप है। यह परमेश्वर की धार्मिकता है जो सुसमाचार में प्रकट हुई।