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उपदेश

विषय १० : प्रकाशितवाक्य (प्रकाशितवाक्य पर टिप्पणी)

[अध्याय 1-1] परमेश्वर के प्रकाशितवाक्य के वचन को सुने ( प्रकाशितवाक्य १:१-२० )

परमेश्वर के प्रकाशितवाक्य के वचन को सुने
( प्रकाशितवाक्य १:१-२० )
“यीशु मसीह का प्रकाशितवाक्य, जो उसे परमेश्‍वर ने इसलिये दिया कि अपने दासों को वे बातें, जिनका शीघ्र होना अवश्य है, दिखाए; और उसने अपने स्वर्गदूत को भेजकर उसके द्वारा अपने दास यूहन्ना को बताया, जिसने परमेश्‍वर के वचन और यीशु मसीह की गवाही, अर्थात् जो कुछ उसने देखा था उसकी गवाही दी। धन्य है वह जो इस भविष्यद्वाणी के वचन को पढ़ता है, और वे जो सुनते हैं और इसमें लिखी हुई बातों को मानते हैं; क्योंकि समय निकट है। यूहन्ना की ओर से आसिया की सात कलीसियाओं के नाम : उसकी ओर से जो है और जो था और जो आनेवाला है; और उन सात आत्माओं की ओर से जो उसके सिंहासन के सामने हैं, 5और यीशु मसीह की ओर से जो विश्‍वसायोग्य साक्षी और मरे हुओं में से जी उठनेवालों में पहिलौठा और पृथ्वी के राजाओं का हाकिम है, तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे। वह हम से प्रेम रखता है, और उसने अपने लहू के द्वारा हमें पापों से छुड़ाया है, और हमें एक राज्य और अपने पिता परमेश्‍वर के लिये याजक भी बना दिया; उसी की महिमा और पराक्रम युगानुयुग रहे। आमीन। देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे। हाँ। आमीन। प्रभु परमेश्‍वर, जो है और जो था और जो आनेवाला है, जो सर्वशक्‍तिमान है, यह कहता है, “मैं ही अल्फ़ा और ओमेगा हूँ।” मैं यूहन्ना, जो तुम्हारा भाई और यीशु के क्लेश और राज्य और धीरज में तुम्हारा सहभागी हूँ, परमेश्‍वर के वचन और यीशु की गवाही के कारण पतमुस नामक टापू में था। मैं प्रभु के दिन आत्मा में आ गया, और अपने पीछे तुरही का सा बड़ा शब्द यह कहते सुना, “जो कुछ तू देखता है उसे पुस्तक में लिखकर सातों कलीसियाओं के पास भेज दे, अर्थात् इफिसुस, और स्मुरना, और पिरगमुन, और थूआतीरा, और सरदीस, और फिलदिलफिया, और लौदीकिया को।” तब मैं ने उसे, जो मुझ से बोल रहा था, देखने के लिये अपना मुँह फेरा; और पीछे घूमकर मैं ने सोने की सात दीवटें देखीं, और उन दीवटों के बीच में मनुष्य के पुत्र सदृश एक पुरुष को देखा, जो पाँवों तक का वस्त्र पहिने, और छाती पर सोने का पटुका बाँधे हुए था। उसके सिर और बाल श्‍वेत ऊन वरन् पाले के समान उज्ज्वल थे, और उसकी आँखें आग की ज्वाला के समान थीं। उसके पाँव उत्तम पीतल के समान थे जो मानो भट्ठी में तपाया गया हो, और उसका शब्द बहुत जल के शब्द के समान था। वह अपने दाहिने हाथ में सात तारे लिये हुए था, और उसके मुख से तेज दोधारी तलवार निकलती थी। उसका मुँह ऐसा प्रज्‍वलित था, जैसा सूर्य कड़ी धूप के समय चमकता है। जब मैं ने उसे देखा तो उसके पैरों पर मुर्दा सा गिर पड़ा। उसने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रखकर कहा, “मत डर; मैं प्रथम और अन्तिम और जीवता हूँ; मैं मर गया था, और अब देख मैं युगानुयुग जीवता हूँ; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियाँ मेरे ही पास हैं। इसलिये जो बातें तू ने देखीं हैं और जो बातें हो रही हैं और जो बातें इसके बाद होनेवाली हैं, उन सब को लिख ले। अर्थात् उन सात तारों का भेद जिन्हें तू ने मेरे दाहिने हाथ में देखा था, और उन सात सोने की दीवटों का भेद : वे सात तारे सातों कलीसियाओं के दूत हैं, और वे सात दीवट सात कलीसियाएँ हैं।”
 
 

विवरण


वचन १: “यीशु मसीह का प्रकाशितवाक्य, जो उसे परमेश्‍वर ने इसलिये दिया कि अपने दासों को वे बातें, जिनका शीघ्र होना अवश्य है, दिखाए; और उसने अपने स्वर्गदूत को भेजकर उसके द्वारा अपने दास यूहन्ना को बताया,”
प्रकाशितवाक्य की पुस्तक प्रेरित यूहन्ना द्वारा लिखी गई थी, जिन्होंने ईजियन समुद्र के एक द्वीप पतमुस टापू पर रहने के दौरान यीशु मसीह के प्रकाशितवाक्य को दर्ज किया था, उस टापू पर उन्हें रोमन सम्राट डोमिनियन के शासन (लगभग ९५ AD में) के पतन के वर्षों में निर्वासन में भेजा गया था। यूहन्ना को परमेश्वर के वचन और यीशु की गवाही की साक्षी देने के लिए पतमुस द्वीप में निर्वासित कर दिया गया था, और यूहन्ना ने इस द्वीप पर पवित्र आत्मा और उसके स्वर्गदूतों की प्रेरणा के माध्यम से यीशु मसीह द्वारा दिखाए गए परमेश्वर के राज्य को देखा। 
यह "यीशु मसीह का प्रकाशितवाक्य" क्या है? यीशु मसीह के प्रकाशितवाक्य से, इसका अर्थ है कि परमेश्वर अपने प्रतिनिधि यीशु मसीह के माध्यम से हमें प्रकट करेगा कि भविष्य में इस दुनिया और स्वर्ग के राज्य का क्या होगा। अपने मूल सिद्धांतों में यीशु कौन है? वह सृष्टिकर्ता परमेश्वर और उद्धारकर्ता है जिसने मनुष्यजाति को संसार के पापों से छुड़ाया है।
यीशु मसीह आने वाले नए राज्य का परमेश्वर है, वह उन बातों कप प्रकट करने वाला है जो हमें इस आने वाली नई दुनिया के बारे में सब कुछ दिखाता है, और परमेश्वर पिता का प्रतिनिधि है। यूहन्ना द्वारा दर्ज किए गए प्रकाशितवाक्य के वचन के माध्यम से, हम देख सकते हैं कि यीशु पुरानी दुनिया के साथ कैसे व्यवहार करेगा और नई दुनिया को खोलेगा।

वचन २: “जिसने परमेश्‍वर के वचन और यीशु मसीह की गवाही, अर्थात् जो कुछ उसने देखा था उसकी गवाही दी।”
यूहन्ना ने सच्चाई के वचन की गवाही दी थी, खासकर क्योंकि उसने देखा कि यीशु मसीह भविष्य में पिता परमेश्वर के प्रतिनिधि के रूप में क्या करेगा। यूहन्ना ने देखा और सुना कि यीशु मसीह के माध्यम से क्या पूरा होगा, और इस तरह, उसने ऐसी सभी बातों की गवाही दी।

वचन ३: “धन्य है वह जो इस भविष्यद्वाणी के वचन को पढ़ता है, और वे जो सुनते हैं और इसमें लिखी हुई बातों को मानते हैं; क्योंकि समय निकट है।”
यहाँ कहा गया है कि धन्य हैं वे जो यूहन्ना द्वारा गवाही दी गए परमेश्वर के वचन को पढ़ते और सुनते हैं। धन्य कौन हैं? सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, वे विश्वासी हैं जो परमेश्वर के वचन में अपने विश्वास के माध्यम से अपने सभी पापों से मुक्त होकर परमेश्वर के लोग बन गए हैं। केवल संत ही आशीषित हो सकते हैं क्योंकि यह वे लोग हैं जो परमेश्वर के वचन को पढ़ते हैं, सुनते हैं, और उसकी गवाही देते हैं—वह सब बातें जो यीशु मसीह के द्वारा आने वाली हैं—जो यूहन्ना के द्वारा लिखी गई हैं। जो लोग इस तरह से परमेश्वर के संत बन गए हैं, वे परमेश्वर के वचन को सुनने और उस पर विश्वास रखने के द्वारा स्वर्ग की आशीष प्राप्त करेंगे।
यदि परमेश्वर ने हमें यूहन्ना के माध्यम से, इस पृथ्वी और स्वर्ग में आने वाली सभी बातों के सत्य का रहस्य नहीं बताया होता, तो फिर संत इसे कभी कैसे सुन और देख सकते थे? उन्हें पहले से जानने और दुनिया में हो रहे सभी परिवर्तनों पर विश्वास करने का आशीष कैसे मिल सकता था? मैं यूहन्ना के द्वारा वह सब कुछ जो इस पृथ्वी और स्वर्ग की बाट जोहता है, हमें दिखाने के लिए परमेश्वर का धन्यवाद और महिमा करता हूँ। हमारे वर्तमान समय में, वास्तव में वे लोग धन्य हैं जो अपनी आँखों से यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के प्रकाशितवाक्य के वचन को देख और पढ़ सकते हैं।

वचन ४: “यूहन्ना की ओर से आसिया की सात कलीसियाओं के नाम : उसकी ओर से जो है और जो था और जो आनेवाला है; और उन सात आत्माओं की ओर से जो उसके सिंहासन के सामने हैं,” 
यूहन्ना यहाँ कहता है कि वह अपना पत्र एशिया की सात कलीसियाओं को भेज रहा है। पतमुस द्वीप में अपने निर्वासन के दौरान परमेश्वर ने जो भविष्यवाणियाँ और प्रकाशितवाक्य किए थे, उन्हें दर्ज करने के बाद, यूहन्ना ने इसे एशिया के सात कलीसिया के साथ-साथ पूरी दुनिया में परमेश्वर के सभी कलीसिया में भेज दिया।

वचन ५: “और यीशु मसीह की ओर से जो विश्‍वसायोग्य साक्षी और मरे हुओं में से जी उठनेवालों में पहिलौठा और पृथ्वी के राजाओं का हाकिम है, तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे। वह हम से प्रेम रखता है, और उसने अपने लहू के द्वारा हमें पापों से छुड़ाया है,”
यूहन्ना यीशु मसीह को “विश्वासयोग्य गवाह” क्यों कहता है? हमारा प्रभु इस दुनिया में आया और जो लोग पापों में थे और विनाश में बंधे हुए थे उन्हें छुडाने के लिए यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लिया। अपने बपतिस्मा के माध्यम से यीशु ने एक ही बार में दुनिया के सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया, अपने जीवन से उन पाप की मजदूरी का भुगतान करने के लिए क्रूस पर लहू बहाया, और तीन दिनों में मृत्यु से फिर से जी उठे – केवल सभी विश्वासियों को बचाने और उन्हें उनके पापों को शुध्ध करने के लिए। क्योंकि यह स्वयं यीशु के अलावा कोई नहीं है जिसने दुनिया के सभी पापियों को उनके सभी पापों से मुक्त किया है, इसलिए मसीह इस उद्धार का जीवित गवाह है।
"मरे हुओं में से जी उठनेवालों में पहिलौठा" के द्वारा, यूहन्ना हमें बता रहा है कि यीशु इस संसार में आकर और व्यवस्था की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने वाला पहला फल बना - दूसरे शब्दों में, पाप की मजदूरी का भुगतान करके – अपने बपतिस्मा के द्वारा सभी पापों को अपने ऊपर उठाकर, क्रूस पर मरकर, और मृत्यु से फिर से जीवित होकर। और जैसा कि मसीह ने "हम से प्रेम किया और हमें अपने ही लहू से साफ़ किया," परमेश्वर ने उन लोगों उनके सभी पापों से मुक्त किया है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते हैं। 

वचन ६: “और हमें एक राज्य और अपने पिता परमेश्‍वर के लिये याजक भी बना दिया; उसी की महिमा और पराक्रम युगानुयुग रहे। आमीन।”
पिता परमेश्वर के प्रतिनिधि के रूप में, यीशु इस दुनिया में देह में आए और अपने बपतिस्मा और क्रूस पर लहू बहाने के द्वारा पापियों को बचाया। अनुग्रह के इन कार्यों से, मसीह ने हमें शुद्ध किया है और हमें परमेश्वर के लोग और याजक बनाया है। हम उस पिता को, जिसने हमें अपने अद्भुत अनुग्रह की ये आशीषें दी हैं, और पुत्र को जो उसका प्रतिनिधि और हमारा उद्धारकर्ता है, सभी महिमा, स्तुति और धन्यवाद हमेशा और हमेशा के लिए देते है! मसीह के देहधारण का उद्देश्य हमें पिता के लिए परमेश्वर के राज्य के लोग और याजक बनाना था। दूसरे शब्दों में, हमें स्वर्ग के राज्य का "राजा" बनाया गया है, जहाँ हम अनन्तकाल तक परमेश्वर के साथ रहेंगे।

वचन ७: “देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे। हाँ। आमीन।”
यहां कहा गया है कि मसीह बादलों के साथ आएंगे, और मैं इस पर पूरा विश्वास करता हूँ। यह कोई साइंस-फिक्शन कहानी नहीं है। यह भविष्यवाणी है कि यीशु मसीह वास्तव में स्वर्ग से इस पृथ्वी पर लौट आएंगे। यहाँ यह भी कहा गया है कि "जिन्होंने उसे छेदा है" वे भी उसे देखेंगे। ये लोग कौन हैं? ये वे लोग हैं जिन्होंने पानी और आत्मा के वचन को दुनिया के कई धार्मिक सिद्धांतों में से एक के रूप में देखा, तब भी जब इस वचन में उन सभी लोगों को बचाने की सामर्थ है।
जब मसीह वापस आएगा, तो जिन्होंने उसे अपने अविश्वास से छेदा था, वे निश्चित रूप से शोक मनाएंगे। वे रोएंगे और शोक करेंगे, क्योंकि तब तक वे यह जान लेंगे कि पानी और आत्मा का सुसमाचार वास्तव में उनके पापों से छुटकारे का सुसमाचार है, और यीशु को दुनिया के सभी पापों को उठाने के लिए यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा दिया गया था, लेकिन उनके लिए अब बहुत देर हो चुकी होगी।

वचन ८: “प्रभु परमेश्‍वर, जो है और जो था और जो आनेवाला है, जो सर्वशक्‍तिमान है, यह कहता है, “मैं ही अल्फ़ा और ओमेगा हूँ।”
"अल्फा और ओमेगा" के द्वारा, यूहन्ना हमें बताता है कि हमारा प्रभु न्याय का परमेश्वर हैं जिनसे पूरे ब्रह्मांड और मनुष्यजाति की शुरुआत और अंत निकले है। प्रभु धर्मियों को प्रतिफल देने और पापियों का न्याय करने के लिए लौटेगा। वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर है जो लोगों के पापों का न्याय करेगा और उनकी धार्मिकता को प्रतिफल देगा जो परमेश्वर की धार्मिकता में विश्वास करते हैं।

वचन ९-१०: “मैं यूहन्ना, जो तुम्हारा भाई और यीशु के क्लेश और राज्य और धीरज में तुम्हारा सहभागी हूँ, परमेश्‍वर के वचन और यीशु की गवाही के कारण पतमुस नामक टापू में था। मैं प्रभु के दिन आत्मा में आ गया, और अपने पीछे तुरही का सा बड़ा शब्द यह कहते सुना,”
"भाई" शब्द का प्रयोग तब किया जाता है जब संगी विश्वासी एक दूसरे को बुलाते हैं। नया जन्म प्राप्त की हुई परमेश्वर की कलीसिया में, जो पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके परिवार बन गए हैं, वे एक दूसरे को भाई-बहन कहते हैं, और ये उपाधियाँ हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार में हमारे विश्वास के द्वारा दी गई हैं। 
यहाँ "प्रभु का दिन" सब्त के बाद के दिन को दर्शाता है, जब यीशु मृत्यु से जी उठा। यह सप्ताह का वह दिन है जब यीशु पुनरुत्थित हुए थे, और इसीलिए हम रविवार को "प्रभु का दिन" कहते हैं। यह दिन व्यवस्था के युग के अंत और उद्धार के नए युग के खुलने का प्रतीक है। साथ ही, अपने पुनरुत्थान के साथ, हमारे प्रभु ने हमें बताया कि उसका राज्य इस संसार का नहीं है। 

वचन ११: “जो कुछ तू देखता है उसे पुस्तक में लिखकर सातों कलीसियाओं के पास भेज दे, अर्थात् इफिसुस, और स्मुरना, और पिरगमुन, और थूआतीरा, और सरदीस, और फिलदिलफिया, और लौदीकिया को।”
यूहन्ना ने यीशु मसीह के प्रकाशितवाक्य के माध्यम से जो कुछ देखा, उसे लिखा और उन्हें एशिया की सात कलीसियाओं को पत्र के रूप में भेजा। यह हमें बताता है कि परमेश्वर हमारे आगे चलने वाले अपने सेवकों के माध्यम से पूरी कलीसिया से बात करता है।

वचन १२: “तब मैं ने उसे, जो मुझ से बोल रहा था, देखने के लिये अपना मुँह फेरा; और पीछे घूमकर मैं ने सोने की सात दीवटें देखीं,”
क्योंकि प्रेरितों के दिनों में परमेश्वर का पवित्रशास्त्र अभी तक पूरा नहीं हुआ था, इसलिए शिष्यों को चिह्न और दर्शन दिखाने की आवश्यकता थी। जब यूहन्ना परमेश्वर की आवाज सुनने के लिए मुड़ा, तो उसने "सोने की सात दीवटें" देखीं। यहां दीवट परमेश्वर की कलीसिया का प्रतीक है यानी संतों की सभा जो पानी और आत्मा के सुसमाचार के प्रकाशितवाक्य में विश्वास करते हैं। परमेश्वर एशिया की सात कलीसियाओं का प्रभु था, और वह सारे संतों की देखभाल करनेवाला चरवाहा था और है।

वचन १३: “और उन दीवटों के बीच में मनुष्य के पुत्र सदृश एक पुरुष को देखा, जो पाँवों तक का वस्त्र पहिने, और छाती पर सोने का पटुका बाँधे हुए था।”
“मनुष्य के पुत्र सदृश एक पुरुष,” जिसे यूहन्ना ने “सात दीवटों के बीच” देखा, वह यीशु मसीह को दर्शाता है। संतों के चरवाहे के रूप में, यीशु उन लोगों के पास जाता हैं और उनसे बात करता हैं जो उनके बपतिस्मा और क्रूस पर चढ़ाए जाने के सत्य के वचन में विश्वास करते हैं। यूहन्ना का मसीह के बारे में वर्णन "जो पाँवो तक का वस्त्र पहिने, और छाती पर सोने का पटुका बांधे हुए था" पिता परमेश्वर के प्रतिनिधि के रूप में हमारे प्रभु की स्थिति का प्रतीक है। 

वचन १४: “उसके सिर और बाल श्‍वेत ऊन वरन् पाले के समान उज्ज्वल थे, और उसकी आँखें आग की ज्वाला के समान थीं।”
हमारा प्रभु पूरी तरह से पवित्र, प्रतापी और प्रतिष्ठित है। "उसकी आँखें आग की ज्वाला के सामान है" का अर्थ है कि वह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में, सभी लोगों का न्यायाधीश है। 

वचन १५: “उसके पाँव उत्तम पीतल के समान थे जो मानो भट्ठी में तपाया गया हो, और उसका शब्द बहुत जल के शब्द के समान था।”
हमें क्या लगता है कि यीशु कौन है? संतों का मानना है कि वह पूर्ण और संपूर्ण रूप से परमेश्वर हैं। हमारा प्रभु सर्वशक्तिमान है और उसमें कोई दुर्बलता नहीं है। लेकिन क्योंकि उसने इस पृथ्वी पर रहते हुए हमारी कमजोरियों का अनुभव किया, उसे हमारी परिस्थितियों और स्थिति की गहरी समझ है, और इस प्रकार वह हमारी बेहतर मदद कर सकता है। उसकी आवाज गहरे जल की आवाज के समान थी, यह दर्शाता है कि हमारा प्रभु कितना पवित्र और सर्वशक्तिमान है। हमारे प्रभु में अपूर्णता या कमजोरी का कोई एब नहीं है, और वह केवल परमेश्वर की पवित्रता, प्रेम, महिमा और सम्मान से भरा हुआ है। 

वचन १६: “वह अपने दाहिने हाथ में सात तारे लिये हुए था, और उसके मुख से तेज दोधारी तलवार निकलती थी। उसका मुँह ऐसा प्रज्‍वलित था, जैसा सूर्य कड़ी धूप के समय चमकता है।”
"वह अपने दाहिने हाथ में सात तारे लिए हुए था" का अर्थ है कि प्रभु परमेश्वर की कलीसिया को संभाल के रखता है। दूसरी ओर, उसके मुंह से निकली "तेज दोधारी तलवार", इस बात का प्रतीक है कि यीशु सर्वशक्तिमान परमेश्वर है जो परमेश्वर के अधिकार और सामर्थ के वचन के साथ काम करता है। "जैसे सूर्य कड़ी धुप के समय चमकता है," हमारे परमेश्वर वचन का परमेश्वर हैं, सर्वशक्तिमान हैं। 

वचन १७: “जब मैं ने उसे देखा तो उसके पैरों पर मुर्दा सा गिर पड़ा। उसने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रखकर कहा, “मत डर; मैं प्रथम और अन्तिम और जीवता हूँ;”
यह वचन हमें दिखाता है कि परमेश्वर की पवित्रता के सामने हम कितने कमजोर और अंधकारमय हैं। हमारा प्रभु हमेशा सर्वशक्तिमान और परिपूर्ण है, और वह कभी-कभी एक मित्र के रूप में, और कभी-कभी सख्त न्यायी के परमेश्वर के रूप में खुद को परमेश्वर के सेवकों के सामने प्रकट करता है।

वचन १८: “मैं मर गया था, और अब देख मैं युगानुयुग जीवता हूँ; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियाँ मेरे ही पास हैं।”
हमारे प्रभु हमेशा के लिए जीवित हैं और उनके पास पिता परमेश्वर के प्रतिनिधि के रूप में स्वर्ग का सारा अधिकार है। मनुष्यजाति के उद्धारकर्ता और न्यायाधीश दोनों के रूप में, वह वो परमेश्वर है जिसके पास अनन्त जीवन और मृत्यु पर अधिकार है।

वचन १९: इसलिये जो बातें तू ने देखीं हैं और जो बातें हो रही हैं और जो बातें इसके बाद होनेवाली हैं, उन सब को लिख ले।”
परमेश्वर के सेवकों का कर्तव्य है कि वे वर्तमान और भविष्य दोनों के उद्देश्य और परमेश्वर के कार्यों को दर्ज करें। इस प्रकार प्रभु ने यूहन्ना से कहा कि जो कुछ उसने उस पर प्रकट किया है, उसे विश्वास के साथ फैलाएं यानि परमेश्वर की कलीसिया का विश्वास जो अनन्त जीवन प्राप्त करेगा, और जो कुछ भी भविष्य में आने वाला है वह। यह वही है जो परमेश्वर ने यूहन्ना के द्वारा हमें करने की आज्ञा भी दी है।

वचन २०: “अर्थात् उन सात तारों का भेद जिन्हें तू ने मेरे दाहिने हाथ में देखा था, और उन सात सोने की दीवटों का भेद : वे सात तारे सातों कलीसियाओं के दूत हैं, और वे सात दीवट सात कलीसियाएँ हैं।”
"सात तारों का भेद" क्या है? यह है कि परमेश्वर अपने सेवकों के माध्यम से हमें अपनी प्रजा बनाकर अपने राज्य का निर्माण करेगा। "सोने की दीवट" उन संतों के माध्यम से निर्मित परमेश्वर की कलीसिया का प्रतीक है जो पानी और आत्मा के उस सुसमाचार में विश्वास करते थे जिसे परमेश्वर ने मनुष्यजाति को दिया था।
अपने सेवकों और अपनी कलीसिया के माध्यम से, परमेश्वर ने विश्वासियों को दिखाया है कि उसका उद्देश्य क्या है और भविष्य में इस दुनिया का क्या होनेवाला है। प्रकाशितवाक्य के वचन के द्वारा जो उसने यूहन्ना को दिखाया और उसे दर्ज करवाया, हम भी शीघ्र ही उसके कार्यों को अपनी आँखों से देखेंगे। मैं परमेश्वर को उनके दैवीय विधान के लिए धन्यवाद देता हूँ और उनकी स्तुति करता हूँ जिसने इस दुनिया में होने वाली सभी चीजों को प्रकट किया है।