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उपदेश

विषय १० : प्रकाशितवाक्य (प्रकाशितवाक्य पर टिप्पणी)

[अध्याय 2-9] क्या पानी और आत्मा से आपका उद्धार हुआ है? ( प्रकाशितवाक्य २:१८-२९ )

क्या पानी और आत्मा से आपका उद्धार  हुआ है?
( प्रकाशितवाक्य २:१८-२९ )

थुआतीरा की कलीसिया ने प्रेम, विश्वास और धैर्य के साथ परमेश्वर के कार्यों की सेवा की, और समय बीतने के साथ इसके कार्य बेहतर होते जा रहे थे। लेकिन साथ ही, यह एक ऐसी कलीसिया थी जो एक दुष्ट भविष्यवक्ता से त्रस्त थी। दुसरे शब्दों में, इसका गलत कार्य यह था कि इसके कुछ सदस्यों को इस पश्चाताप न करनेवाली झूठी भविष्यद्वक्ता द्वारा मूर्तिपूजा और यौन अनैतिकता करने के लिए धोखा दिया गया था। इस प्रकार प्रभु ने थुआतीरा की कलीसिया से पश्चाताप करने और अंत तक अपने पहले विश्वास को बनाए रखने की मांग की। प्रभु ने यह भी वादा किया कि जो लोग अंत तक अपने विश्वास की रक्षा करते हैं, उन्हें वह राष्ट्रों और भोर के तारे पर अधिकार देगा।
 

ईजेबेल का बाल देवता

ईज़ेबेल एक अन्यजाति राजकुमारी थी जो अपने अन्यजाति देवता बाल को इस्राएल में ले आई थी जब वह राजा अहाब की पत्नी बनी थी (१ राजा १६:३१)। बाल सूर्य का एक अन्यजाति देवता था, फोनीशियन की एक मूर्ति जिसे लोग समृद्धि की कामना के लिए पूजते थे। इस देवता की मूर्तियों को तराशा और पूजा जाता था, जिसके बाद इसके अनुयायियों ने अपने परिवार और भूमि की उर्वरता के लिए प्रार्थना की। यह दुनिया भर में पाई जाने वाली पृथ्वी और प्रकृति की पूजा करने की सामान्य मूर्तिपूजक प्रथा के समान था। उदाहरण के लिए, एक बड़ी चट्टान पर देवता को प्रतिष्ठित करना और उसे भगवान के रूप में पूजा करना प्राकृतिक तत्वों की पूजा करने की एक सामान्य मूर्तिपूजक प्रथा है। इस तरह की धार्मिक प्रथा और विश्वास उन लोगों द्वारा अपनाई जाती है जो सर्वेश्वरवाद का पालन करते हैं।
ईज़ेबेल द्वारा इस मूर्तिपूजक धर्म की शुरूआत के साथ, बाल इस्राएल के लोगों के लिए मूर्तिपूजा का एक महान देवता बन गया। राजा अहाब, जो केवल सच्चे यहोवा परमेश्वर की आराधना करता था, इस अन्यजाति स्त्री से विवाह के कारण बाल की उपासना करने लगा। बहुत से इस्राएलियों ने उसके पदचिन्हों का अनुसरण किया, अपने सच्चे परमेश्वर को त्याग दिया और इसके बजाय बाल की आराधना के साथ मूर्तिपूजा करने लगे। इस प्रकार वे परमेश्वर के क्रोध को अपने ऊपर ले आए।
झूठी भविष्यवक्ता ईज़ेबेल के विश्वास को कलीसिया में अनुमति देने के लिए परमेश्वर ने थुआतीरा की कलीसिया के सेवक को फटकार लगाई। ईज़ेबेल और उसके अनुयायियों को पश्चाताप करने की आज्ञा देते हुए, परमेश्वर ने चेतावनी दी कि यदि वे आज्ञा नहीं मानते हैं तो वह उन पर भारी क्लेश और विनाश लाएगा। 
इसका मतलब यह है कि परमेश्वर की सच्ची कलीसिया धन और भौतिक संपत्ति को अपनी चिंताओं पर हावी नहीं होने दे सकती। इसका मतलब यह है कि आज के विश्वासी संसार को अपने परमेश्वर के रूप में पूज नहीं सकते, जिस प्रकार इस्राएलियों ने उर्वरता और समृद्धि के लिए सूर्य के देवता बाल की पूजा की थी। 
३ यूहन्ना १:२ कहता है, “हे प्रिय, मेरी यह प्रार्थना है कि जैसे तू आत्मिक उन्नति कर रहा है, वैसे ही तू सब बातों में उन्नति करे और भला चंगा रहे।” जब हम प्रेरित यूहन्ना के विश्वास को देखते हैं, तो हम देखते हैं कि उसकी पहली चिंता आत्मिक समृद्धि थी। अन्य सभी चीजों के लिए समृद्धि उसकी पहली चिंता नहीं थी, लेकिन आत्माओं की समृद्धि के लिए यूहन्ना की चिंता थी। तो फिर, आज की दुनिया में यह विश्वास कैसे बदल गया? यह एक ऐसे विश्वास में भ्रष्ट हो गया है जो केवल दैहिक आशीष चाहता है, सांसारिक समृद्धि को विश्वास में सबसे आगे रखता है और आत्मिक समृध्धि की चिंता की अवहेलना करता है। बहुत से लोग यीशु पर अपनी आत्मा की समृध्धि के लिए नहीं, बल्कि केवल अपनी दैहिक समृध्धि के लिए विश्वास करते है। 
हमारे आस-पास नशीले पदार्थों जैसे जहरीले कई धार्मिक पंथ हैं, जो अपने अनुयायियों को उनकी आराधना के बदले में धन और स्वास्थ्य देने का दावा करते हैं। ईज़ेबेल की बाल-पूजा इस प्रकार की ही थी। लोगों ने केवल अपनी देह की समृद्धि और उर्वरता का अनुसरण करने के लिए ऐसे पंथों का पालन किया।
आज नई-नई कलीसियाओं में, कुछ लोग अपनी कलीसियाओं का विस्तार करने के लिए ईज़ेबेल के विश्वास को समायोजित करने का सहारा ले सकते हैं। लेकिन इसका तर्क परमेश्वर के भवन में मूर्ति रखने जैसा है।
ईज़ेबेल मूर्तिपूजक देवता बाल को न केवल इस्राएल में, बल्कि यहोवा के मन्दिर में भी ले आई। इस तरह का विश्वास जो यीशु में पाप के छुटकारे से बेखबर रहते हुए देह और सांसारिक लाभ की समृद्धि का पीछा करता है, वह उतना ही गलत है जितना कि परमेश्वर की आंखों के सामने मूर्तियों की पूजा करना। 
आज दुनिया भर की कलीसियाएं यूहन्ना १:२९ से यह कहते हुए प्रचार करती हैं, "तुम्हारे सब पाप मिट चुके है, क्योंकि यीशु ने उन्हें क्रूस पर उठा लिया।" उन्होंने यह दावा करते हुए यीशु के बपतिस्मा को केवल एक सहायक में बदल दिया है कि उद्धार केवल यीशु पर विश्वास करने से ही प्राप्त होता है, भले ही कोई उसके बपतिस्मा में विश्वास करे या न करे। परन्तु जो बपतिस्मा मसीह ने यूहन्ना से प्राप्त किया, वह बपतिस्मा जिसके द्वारा उसने संसार के सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया वह वैकल्पिक नहीं है जिसे हम मनमाने ढंग से शामिल या बहिष्कृत कर सकते हैं। यीशु के बपतिस्मा को केवल सुसमाचार के सहायक के रूप में मानना और उसका प्रचार करना बाल की आराधना के समान है।
तो फिर, ये लोग यीशु के बपतिस्मा के बिना सुसमाचार का प्रचार क्यों करते हैं? वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उनकी आशा परमेश्वर के राज्य में नहीं, बल्कि इस पृथ्वी पर उनके सांसारिक धन में पाई जाती है। इस प्रकार का विश्वास रखने वाले लोग ठीक वैसे ही होते हैं जो बाल के मूर्तिपूजक देवता की पूजा करते थे।
जो लोग पहले पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते थे, अब केवल क्रूस के लहू का प्रचार कर रहे हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि वे बाल की मूर्तिपूजा के समान गंभीर पाप कर रहे हैं।
इस संसार के भौतिक लाभ पर अपना लक्ष्य निर्धारित करके कोई भी व्यक्ति ठीक से सेवा नहीं कर सकता है। यदि पादरी यीशु के बपतिस्मा को छोड़ दें और केवल क्रूस पर के उसके लहू का प्रचार करें, तो वे इस संसार के सांसारिक लाभों को संचित करने में सक्षम हो सकते हैं। लेकिन उन्हें इस बात का एहसास होना चाहिए कि न तो ऐसा विश्वास सच्चा विश्वास है और न ही ऐसा उपदेश सच्चा उपदेश है।
प्रकाशितवाक्य के इस भाग को देखते हुए, हम देख सकते हैं कि थुआतीरा की कलीसिया के अगुवों ने अपनी कलीसिया में बाल की पूजा की, जैसे ईज़ेबेल ने बाल की पूजा की थी। 
यदि लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास नहीं करते हैं, तो पवित्र आत्मा न तो उनके हृदयों में निवास कर सकता है और न ही उनमें कार्य कर सकता है। जैसा कि प्रेरित पौलुस हमें बताता है, "यदि किसी के पास मसीह का आत्मा नहीं है, तो वह उसका जन नहीं है," कोई व्यक्ति परमेश्वर की संतान है या नहीं, यह इस बात से निर्धारित होता है कि उसके हृदय में मसीह की आत्मा है या नहीं। बाइबल हमें बताती है कि जिनके पास मसीह की आत्मा नहीं है वे त्यजे हुए हैं।
 


वे जो यीशु के बपतिस्मा को जानते है और प्रचार करते है


जब कोई व्यक्ति यीशु के बपतिस्मा (पानी) पर, जिसके द्वारा यीशु ने जगत के सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया, और क्रूस पर के उसके लहू पर विश्वास करता है तब पवित्र आत्मा उसके हृदय में वास कर सकता है। 
लेकिन यदि कोई व्यक्ति पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास नहीं करता है, तो भले ही वह यीशु के लिए शहीद हो जाए, यह सच्ची शहादत नहीं होगी, बल्कि केवल अपनी धार्मिकता को स्थापित करने का प्रयास होगा। कुछ लोग, जो केवल क्रूस के लहू में विश्वास करते हैं, सुसमाचार का प्रचार करने के लिए दुनिया के सबसे दूर के कोने में जाते हैं, अपना पूरा जीवन मिशन के लिए समर्पित कर देते हैं, और कभी-कभी अपने विश्वास के लिए शहीद भी हो जाते हैं। 
भले ही लोग केवल क्रूस पर मसीह के लहू में विश्वास करते हों लेकिन वे मसीह के प्रेम से प्रेरित होकर, इस प्रकार शहीद हो सकते हैं। लेकिन जैसा कि मत्ती ७:२३ हमें बताता है, क्या अच्छा होगा यदि प्रभु स्वयं उनके सभी कार्यों और बलिदानों को पहचानने से इंकार कर दे? इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कितनी उत्सुकता और विश्वास के साथ सुसमाचार का प्रसार करते हैं - जैसे, उदाहरण के लिए, मॉर्मन मिशनरी करते हैं। क्योंकि उन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार नहीं किया, उनका विश्वास और उनके सभी प्रयास व्यर्थ होंगे।
परमेश्वर ने थुआतीरा की कलीसिया के सेवक को फटकार लगाई क्योंकि उसने इज़ेबेल के विश्वास के अनुयायियों को कलीसिया में पनपने दिया था और उनकी बढ़ोतरी को सहन किया था। आज की दुनिया में ऐसे कई धर्मगुरु हैं जो ऐसे ही हैं, जो आत्माओं को धोखा देना चाहते हैं। मसीह के जन्म, उसके बपतिस्मा, उसका क्रूस पर चढ़ना, उसकी मृत्यु, उसका पुनरुत्थान, और उसके स्वर्गारोहण - इन सभी बातों में, परमेश्वर की सच्ची कलीसिया को सही विश्वास होना चाहिए और सही सुसमाचार का प्रसार करना चाहिए। अन्यथा उनका विश्वास बेकार होगा।
झूठे भविष्यवक्ताओं का दावा है कि उद्धार पाने के लिए, मसीह बपतिस्मा के महत्व को समझे बिना केवल क्रूस पर मसीह के लहू पर विश्वास करना पर्याप्त है। क्योंकि उन्होंने पानी की सच्चाई को छोड़ दिया, मसीही धर्म भ्रष्ट हो गया है और दुनिया के कई धर्मों में से एक धर्म में बदल गया है। यही कारण है कि मसीही धर्म अब दुनिया के सभी लोगों को उद्धार नहीं दिला सका।
यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू के बिना, मसीही धर्म एक मात्र ऐसे धर्म में बदल गया है जो दुनिया की नैतिकता पर जोर देता है। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में, जहां आबादी का पूर्ण बहुमत मसीही था, पूर्वी धर्म अब काफी लोकप्रिय हो गए हैं। क्यों? क्योंकि इस तरह के धर्म-उन्मुख मसीही धर्म पापों की माफ़ी और परमेश्वर में सच्चा विश्वास नहीं दे सकते थे, और इस प्रकार बहुत से लोग पूर्वी धर्मों की रहस्यमय प्रकृति से आकर्षित हुए हैं और सोचते हैं कि वे पश्चिमी धर्मों के लिए बेहतर विकल्प प्रदान करते हैं। लेकिन मसीही धर्म न तो पश्चिमी धर्म है और न ही पूर्वी धर्म है।
अब समय आ गया है कि हम पानी और आत्मा के सुसमाचार और आज के मसीही धर्म की स्थिति पर पुनर्विचार करें। हमें यह पूछने और विचार करने की आवश्यकता है कि सच्चाई का मसीही धर्म आज जो है वैसा भ्रष्ट क्यों हो गया है, और आज का मसीही धर्म इतने लोगों की नज़र में इतना बेकार और परेशान करने वाला क्यों हो गया है। इसका उत्तर पानी और आत्मा के सुसमाचार में पाया जाता है। पानी और आत्मा के सुसमाचार को जाने बिना यीशु पर विश्वास करना परमेश्वर की आंखों के सामने बाल की पूजा करने जैसा है। परमेश्वर के सामने सबसे बुरी बात पानी और आत्मा के सुसमाचार को वास्तविक उद्धार के सत्य के रूप में मानने से इंकार करना है।
आज का मसीही धर्म पानी और आत्मा के सुसमाचार की सुंदरता से नहीं, बल्कि दुनिया की सुंदरता से मंत्रमुग्ध है। एशिया की सात कलीसियाओं ने यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू में विश्वास करके प्रभु की सेवा की थी। लेकिन, जैसा कि बाइबल में दिखाया गया है, वे भी, आंशिक रूप से दुनिया के सामने झुक गए, क्योंकि पानी और आत्मा का सुसमाचार तेजी से बाहर धकेल दिया गया था, और इसके स्थान पर संसार ने लोगों के दिलों पर अधिक से अधिक कब्जा कर लिया था।
क्या होगा यदि कोई कलीसिया उद्धार के सत्य का यानी की पानी और आत्मा के द्वारा नया जन्म प्राप्त करने के सुसमाचार का प्रचार नहीं करता है, और इसके बजाय केवल क्रूस के लहू का प्रचार करता है? मैं यह सवाल इसलिए उठाता हूँ क्योंकि यदि परमेश्वर की कलीसिया भी दुनिया का अनुसरण करती है, तो वह जल्द ही दुनिया से भ्रष्ट हो जाएगा, और कुछ समय बाद यह दावा करना शुरू कर देगी की उद्धार प्राप्त करने के लिए यीशु के बपतिस्मा से अनजान होने में कोई गलती नहीं है। यही कारण है कि मैं परमेश्वर के वचन के माध्यम से इस महत्वपूर्ण बिंदु की फिर से जाँच कर रहा हूँ और दोहरा रहा हूँ।
 


यीशु के बपतिस्मा वाला सुसमाचार और उसके बपतिस्मा के बिना सुसमाचार के बिच अंतर


पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा मैंने और आप ने अपने सभी पापों की माफ़ी प्राप्त की है। पानी और आत्मा का यह सुसमाचार प्रभु का सत्य है, जबकि यीशु का बपतिस्मा, क्रूस पर उसका लहू और पवित्र आत्मा हमारे उद्धार के प्रमाण हैं। 
१ यूहन्ना ५:५-७ और १ पतरस ३:२१ हमें बताते हैं कि "पानी" —अर्थात् बपतिस्मा — हमारे उद्धार का चिह्न है, और यह वही उद्धार का वचन है जो मत्ती ३:१५ में प्रकट होता है जहाँ यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा मनुष्यजाति के सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया। जब यीशु का बपतिस्मा इतना महत्वपूर्ण है, तो मसीह के बपतिस्मा को नज़रअंदाज करना और केवल क्रूस पर के उसके लहू का प्रचार करना हमें संपूर्ण और पूर्ण उद्धार की ओर कैसे ले जा सकता है? जिन्हें पाप से छुड़ाया गया है, उन्हें वचन में विश्वास करने के द्वारा उद्धार की एक स्पष्ट रेखा खींचनी चाहिए। उन्हें खुद को बार-बार याद दिलाना चाहिए ताकि यह रेखा और भी स्पष्ट हो जाए। 
यदि कोई अपने उद्धार के लिए स्पष्ट रेखा नहीं खींच सकता है, तो इसका मतलब केवल यह हो सकता है कि उस व्यक्ति ने अभी तक उद्धार प्राप्त नहीं किया है। यह सोचना गलत है कि पाप से हमारा छुटकारा हमारे विश्वास का केवल एक उन्नत चरण है। पाप से छूटकारा आत्मिक पुष्टि का चरण नहीं है, बल्कि यह हमारे विश्वास की नींव है, चट्टान पर हमारे विश्वास के घर के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण कदम है। 
साथ ही, हमें उद्धार के मुद्दे को केवल विभिन्न संप्रदायों के "सैद्धांतिक पदों" के मामले के रूप में नहीं सोचना चाहिए। सिद्धांत अलग-अलग संप्रदाय में भिन्न हो सकते हैं, लेकिन बाइबल की सच्चाई, यह सच्चाई कि यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया यह विश्वास से विश्वास में भिन्न नहीं हो सकता। यही कारण है कि जब हम पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार कर रहे हैं तो हम यीशु के बपतिस्मा के महत्वपूर्ण महत्व को नहीं छोड़ सकते। 
हम मसीह के बपतिस्मा को छोड़कर यीशु को केवल "परमेश्वर के मेम्ने के रूप में प्रचार नहीं कर सकते हैं जो दुनिया के पापों को उठा लेते हैं," या यह प्रचार करने के लिए कि लोगों को केवल क्रूस के लहू में विश्वास करके बचाया जा सकता है। हमें यीशु मसीह के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू दोनों में विश्वास करके अपने पापों की माफ़ी प्राप्त करनी चाहिए। मसीह के बपतिस्मा को छोड़ केवल क्रूस पर मसीह के लहू पर विश्वास करने से कोई कैसे अपने सभी पापों को दूर कर सकता है? जब लोग केवल क्रूस के लहू में विश्वास करते हैं, तो क्या उनकी अंतरात्मा के पाप भी मिट जाते हैं? बिलकूल नही!
बाइबल के माध्यम से, यीशु परमेश्वर की धार्मिकता, हमारे पापों और उनके न्याय की गवाही देते हैं। सच्चा विश्वास जो हमारे पास होना चाहिए वह है मसीह की वाचा के इस सच्चे ज्ञान में विश्वास। सच्चे ज्ञान से मेरा क्या तात्पर्य है? मेरा तात्पर्य यह है कि हमारे वे पाप जो परमेश्वर के द्वारा न्याय किए जाने थे, परमेश्वर की धार्मिकता क्या है, और किस प्रकार का विश्वास है जो परमेश्वर के सामने टूट गया है इन बातों की समझ। इन्हें जानने से ही हमारे सच्चे ज्ञान से सच्चा विश्वास उत्पन्न हो सकता है।
यदि, सुसमाचार का प्रचार करते समय, हम यीशु के बपतिस्मा या क्रूस पर उसके लहू को छोड़ देते हैं, तो हम जो प्रचार करते हैं वह पानी और आत्मा का सुसमाचार नहीं होगा। यदि हम परमेश्वर के सत्य को अपने मानवीय शब्दों में मानते हैं और प्रचार करते हैं कि केवल यीशु में विश्वास करने से हर कोई पापरहित हो सकता है, तो जो लोग प्रचार करते हैं और जो सुनते हैं वे सभी पापी बने रहेंगे। हम यीशु के बपतिस्मा का प्रचार करते हैं या नहीं इसके बीच के अंतर से आत्माओं को बचाने में बहुत फर्क पड़ता है।
जब हम प्रेरितों के विश्वास को देखते हैं, तो हम देखते हैं कि उन्होंने केवल क्रूस के लहू का प्रचार नहीं किया। वे सभी यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू दोनों को उद्धार के एक ही कार्य के रूप में मानते थे। यह तर्क देना कि यीशु ने क्रूस पर हमारे सभी पापों को मिटा दिया, यह विश्वास किए बिना कि उसने पहले अपने बपतिस्मा के द्वारा उन्हें अपने ऊपर ले लिया, न केवल मानवीय तर्क में अतार्किक है, बल्कि यह पानी और आत्मा के सत्य में भी फिट नहीं होता है। ऐसे आधे सुसमाचार में विश्वास करने वाले अपने पापों से मुक्त नहीं हो सकते।
 

सुसमाचार प्रचारक के कार्य

बाइबिल के अनुसार, आत्मिक दियासलाई वे हैं जो पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार करते हैं। आत्मिक उद्धार के दियासलाई बनाने वालों को प्रभु और उनकी दुल्हनों के बीच मध्यस्थता करनी चाहिए। पहली चीज जो उन्हें करनी चाहिए वह यह है कि पापियों को यह प्रचार करना कि प्रभु ने उनके लिए क्या किया है। उन्हें यह सिखाना चाहिए कि यीशु ने उनके पापों को अपने ऊपर लेने के लिए बपतिस्मा लिया था, और क्रूस पर इन सभी पापों के लिए उनका न्याय किया गया था। उन्हें यह भी सटीक रूप से समझना चाहिए कि दुल्हनें इस पर विश्वास करती हैं या नहीं, और जब दुल्हनें मानती हैं, तो दियासलाई की भूमिका पूरी हो जाती है।
इसे हासिल करने के लिए, दियासलाई बनाने वालों के लिए दुल्हनों को यह समझाना बहुत जरूरी है कि दूल्हा कौन है और उसने उनके लिए क्या किया है, ताकि दुल्हनें इसे आसानी से समझ सकें। जब दुल्हनों के दिलों को पता चलता है कि दूल्हे ने उनके लिए क्या किया है, तो दियासलाई बनाने वालों को उन्हें यह सच्चाई सिखानी चाहिए कि दूल्हे ने अपने पानी और लहू से उनके सभी पापों को दूर कर दिया है।
जब दूल्हने इस प्रकार उन सभी चीजों को स्वीकार करती हैं जो दूल्हे ने उनके लिए की हैं, तो वे मसीह की दुल्हन बन जाती हैं और मसीह की दुल्हन कहलाती हैं। जो लोग यीशु मसीह की दुल्हन बन गए हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि दूल्हे ने उन्हें पानी और आत्मा के सुसमाचार की कीमत देकर खरीदा है। उन्हें इस बात का एहसास होना चाहिए कि, उन्हें अपना बनाने के लिए, दूल्हे ने अपने पानी और लहू से उनके सभी पापों को साफ कर दिया है, उन्हें बर्फ की तरह श्वेत कर दिया है, और उन्हें अपनी दुल्हन के रूप में स्वीकार कर लिया है। 
केवल तभी दूल्हनें हमेशा के लिए दूल्हे का सम्मान और पहचान कर सकती हैं। जिन लोगों ने अपने सभी पापों की माफ़ी प्राप्त कर ली है, वे धर्मी हैं, धर्मी पापरहित हैं, और पापरहित यीशु मसीह की दुल्हन हैं। जब दुल्हनों में ऐसा विश्वास होता है, तो उनका विवाह दूल्हे से किया जा सकता है, और दूल्हा उन्हें अपनी बाहों में स्वीकार कर सकता है। इस प्रकार, जब आत्मिक दियासलाई बनानेवालें दुल्हनों को सत्य के वचन के साथ तैयार करते हैं, तभी वे सफलतापूर्वक उनकी शादी की व्यवस्था कर सकते हैं।
सफल होने के लिए, आत्मिक उद्धार के दियासलाई को पता होना चाहिए कि दूल्हे को किस तरह की दुल्हन चाहिए। हमारे दूल्हे यीशु के अन्दर कोई पाप नहीं है। वह पवित्र है। यही कारण है कि यीशु बेदाग दुल्हनें चाहते हैं। और यही कारण है कि दियासलाई बनाने वाले दूल्हे के कार्यों का उपयोग दुल्हन को साफ करने और सजाने के लिए करते हैं। दुल्हनों के इस अलंकरण का अर्थ है कि उन्हें दूल्हे के पास तभी लाया जाएगा जब उनके पाप पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा पूरी तरह से साफ हो जाएंगे। जब उनके पाप आधे साफ़ होते तब यदि उसके पास लाए जाते तो दूल्हा उन्हें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वह चाहता है कि उसकी दुल्हनें पूरी तरह से निष्पाप हों। इस भूमिका को निभाने वाले परमेश्वर के सेवक आत्मिक उद्धार के दियासलाई हैं।
इसलिए, परमेश्वर के सेवकों को दुल्हनों को उनके आत्मिक उद्धार के लिए तैयार करते रहना चाहिए। साथ ही, हमें यह भी समझना चाहिए कि आज के मसीही धर्म में कई दियासलाई हैं जो हर जगह अपने भौतिक लाभ के लिए शोषण करते हैं और जबरन वसूली करते हैं। देह के ये दियासलाई यीशु मसीह और अस्वीकृत दुल्हन दोनों से त्रस्त होंगे। हमें दैहिक दियासलाई बनाने वाला नहीं बनना चाहिए।
 

शैतान की गहराई को जानना

यहाँ तक कि परमेश्वर के सेवकों और लोगों में भी बहुत से ऐसे हैं जो शैतान की चालबाजी की गहराई को नहीं जानते हैं। दूसरे शब्दों में, ऐसे बहुत से लोग हैं, जो यह नहीं जानते कि शैतान हमें कितनी जोर से ठोकर मारने की कोशिश करता है। परमेश्वर के बहुत से सेवक यह समझने में असफल रहे हैं कि कैसे शैतान ने पानी और आत्मा के सुसमाचार को बदल दिया और भ्रष्ट कर दिया, और कैसे उसने अपने झूठे विश्वास का अनुसरण करने के लिए विश्वासियों को धोखा दिया। परिणामस्वरूप, यीशु पर विश्वास करनेवाले कई विश्वासियों ने पानी और आत्मा के सच्चे सुसमाचार के बजाय एक भ्रष्ट सुसमाचार को अपनाया है, और उनकी आत्माएं भी, परमेश्वर की इच्छा के विपरीत, नष्ट हो गई हैं। 
परमेश्वर हमें कहता है, "ईज़ेबेल के सिद्धांत का पालन न करें। मेरे लौटने तक पानी और आत्मा के अपने सुसमाचार पर विश्वास करो और दृढ़ता से प्रचार करो। तब मैं तुझे अन्यजातियों पर अधिकार दूंगा।” परन्तु जो लोग ईज़ेबेल के विश्वास से धोखा खाते हैं, परमेश्वर हम से यह भी कहता है, कि वह उन्हें क्लेश में डालेगा, और उन्हें फिर से बनाएगा।
जब मसीह की वापसी का समय आएगा, तो हम देखेंगे कि जिन लोगों ने केवल यीशु के लहू से उद्धार पर विश्वास किया था और उसका प्रचार किया था उन्होंने अपने विश्वास को धोखा दिया। ये लोग अपने विश्वास पर घमंड करने के लिए प्रवृत्त होते हैं, हमेशा दूसरों से श्रेष्ठ महसूस करते हैं जिनका विश्वास उनसे भिन्न होता है। परन्तु परमेश्वर उनके विश्वास और पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करनेवालों के बिच भेद करता है: “जो जय पाए और मेरे कामों के अनुसार अन्त तक करता रहे, मैं उसे जाति जाति के लोगों पर अधिकार दूँगा, और वह लोहे का राजदण्ड लिये हुए उन पर राज्य करेगा, जिस प्रकार कुम्हार के मिट्टी के बर्तन चकनाचूर हो जाते हैं : मैं ने भी ऐसा ही अधिकार अपने पिता से पाया है।” 
जब हमारे प्रभु इस धरती पर वापस आएंगे, तो ऐसे कई मसीही होंगे जिन्हें नया जन्म प्राप्त किए बिना ही प्रभु से मिलना होगा। क्योंकि वे पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास नहीं करते थे, वे अपने हृदयों में पाप के साथ प्रभु से मिलेंगे। इसके विपरीत, जिनके हृदय पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा उनके पापों को माफ़ कर दिया गया है, वे प्रभु के आगमन के साथ बदल जाएंगे, और उसके साथ राज्य करेंगे। जैसा कि यहाँ कहा गया है, प्रभु और उसके लोगों की सामर्थ कुम्हार के बर्तनों को चकनाचूर करने वाली लोहे के राजदण्ड के सामर्थ के समान है।
परमेश्वर निश्चित रूप से उन लोगों को राष्ट्रों पर अधिकार देगा जो अंत तक पानी और आत्मा के सुसमाचार में अपने विश्वास की रक्षा करते हैं। हमारा प्रभु हमें बताता है कि यह सामर्थ वही सामर्थ है जो उसने पिता से प्राप्त की है। हमें ईज़ेबेल और बिलाम जैसे झूठे भविष्यद्वक्ताओं से लड़ना और उन पर विजय प्राप्त करना चाहिए, ताकि हम इस सामर्थ के साथ उन राष्ट्रों पर सदा के लिए राज्य करें जो प्रभु हमें देगा।
 

सत्य का स्पष्ट उद्धार!

पापियों को बचाने के लिए, हमारे प्रभु को इस धरती पर आना पड़ा, और मनुष्यजाति के सभी पापों को अपने ऊपर लेने के लिए, उन्हें यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा लेना पड़ा। क्योंकि प्रभु ने हमारे पापों को लेने के लिए बपतिस्मा लिया था, वह इन पापों को क्रूस पर ले जा सका, उस पर मर सका, और मृतकों में से फिर से जी उठा। उसने हमारे लिए ये धर्मी कार्य किए थे, क्योंकि वह अब और ज्यादा नहीं देख सकता था की मनुष्यजाति अपने पापों के लिए और अधिक संघर्ष करती रहे। पानी और आत्मा का सुसमाचार वह सत्य है जो आपको आपके सारे पापों से छुड़ा सकता है।
और हमारा प्रभु उन सभी के लिए उद्धारकर्ता बन सका जो पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते हैं। क्योंकि प्रभु ने यूहन्ना के द्वारा बपतिस्मा लिया था, इसलिए वह परिणाम स्वरुप आश्चर्यजनक फल लाया और यूहन्ना १:२९ और यूहन्ना १९:३० में उसकी गवाही दी गई है: "देखो! यह परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत का पाप उठा ले जाता है!” और "पूरा हुआ!" जिन लोगों को परमेश्वर के इस वचन के माध्यम से उनके छुटकारे का विश्वास है, वे उस पर दृढ़ विश्वास करने में सक्षम हैं क्योंकि वे जानते हैं कि यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा उनके सभी पापों को दूर किया है। हमें ईमानदारी से अपने दिलों में देखना चाहिए, क्योंकि यदि हम पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास नहीं करते हैं, तो हमारे पाप हमारे दिलों में अपनी उपस्थिति बनाए रखने के लिए बाध्य हैं।
जब हम उन लोगों के दिलों को करीब से देखते हैं जो यीशु के बपतिस्मा की उपेक्षा करते हैं और केवल क्रूस पर उसके लहू में विश्वास करते हैं, तो हम देखते हैं कि उनके दिलों में पाप के अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता। हमें यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा यीशु के बपतिस्मा पर विशेष ध्यान देना चाहिए और उस पर और भी अधिक विश्वास करना चाहिए, क्योंकि हम अपने स्वयं के विचारों को परमेश्वर के वचन में जोड़ या घटा नहीं सकते हैं। हम सभी को झूठे सुसमाचारों से लड़ना चाहिए, क्योंकि वे उन लोगों के विश्वास को नष्ट कर सकते हैं जो पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते हैं। 
यीशु ने स्वयं हम से कहा है, “देखो, फरीसियों और सदूकियों के खमीर से सावधान रहना।” यहाँ "खमीर" उस चीज का उल्लेख नहीं करता है जिसका उपयोग शराब या रोटी बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन उस सुसमाचार के लिए इस्तेमाल किया गया है जिसमें यीशु का बपतिस्मा नहीं है। हमें इस तथ्य को जानना और विश्वास करना चाहिए कि यीशु ने अपने बपतिस्मा के साथ दुनिया के पापों को अपने ऊपर ले जाकर क्रूस पर चढ़ा, और क्रूस पर मरने और मृत्यु से फिर जीवित होने के द्वारा वह हमारा सच्चा उद्धारकर्ता बन गया है। 
यीशु की ओर से, यीशु ने यूहन्ना द्वारा अपने बपतिस्मा के द्वारा जगत के सभी पापों को उठा लिया, और उन सभी को क्रूस पर अपने लहू से दूर कर दिया। लेकिन लोगों की ओर से, क्योंकि वे उस बपतिस्मा में विश्वास नहीं करते हैं जो यीशु ने यूहन्ना से प्राप्त किया इसलिए उनके पाप बने रहते है। इस सच्चाई पर विश्वास किए बिना कि यीशु को यूहन्ना ने जगत के सभी पापों को उस पर पारित करने के लिए बपतिस्मा दिया था, उनके पापों को मूल रूप से मिटाया नहीं जा सकता है। पानी और आत्मा का सुसमाचार सामर्थ का सुसमाचार है इसलिए जब हम यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उनके लहू में विश्वास करते हैं तो वह हमारे सभी पापों को दूर करता है और हमें बर्फ की तरह श्वेत बनाता है।
 

आइए हम ऐसे लोग बने जो जय प्राप्त करते है

इस मुख्य भाग से, हमने थुआतीरा की कलीसिया से कहे गए परमेश्वर के वचन को देखा है। परमेश्वर ने थुआतीरा की कलीसिया के सेवक से वादा किया कि वह उसे राष्ट्रों पर अधिकार देगा। प्रत्येक नया जन्म पाया हुआ संत आत्मिक युद्ध में शामिल हुए आत्मिक युद्ध के मैदान में रहता है। हमें इस आत्मिक युद्ध के मैदान में हमेशा पानी और आत्मा के सुसमाचार में अपने विश्वास के साथ विजय प्राप्त करनी चाहिए। यह आत्मिक युद्ध उसी क्षण से शुरू हो जाता है जब कोई व्यक्ति पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करता है।
जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते हैं, उन्हें शैतान के विरुद्ध अपने संघर्ष में उस पर विजय प्राप्त करनी चाहिए। हम में से कुछ लोग शैतान से लड़ते हैं और झूठे सुसमाचारों पर उस दिन तक विजय प्राप्त करेंगे जब तक वे परमेश्वर के सामने खड़े नहीं हो जाते। जो विजय प्राप्त करते हैं वे विश्वास करते हैं कि हमारे प्रभु ने इस पृथ्वी पर आकर, बपतिस्मा लेकर, क्रूस पर मरकर, और मृतकों में से जी उठकर हमारे सभी पापों को दूर किया है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि दूसरे क्या कहते हैं, वे अपने विश्वास में अडिग हैं कि उनके पापों के शुद्धिकरण का स्थान यरदन नदी है, और यह कि उनके सभी पाप यीशु को बपतिस्मा के द्वारा सौंपे गए थे जो उसने यूहन्ना से प्राप्त किया था।
हमारे प्रभु ने हमें शैतान से लड़ने और उस पर विजय पाने की आज्ञा दी है। हमारा शरीर कभी-कभी कठिन परिश्रम कर सकता है और थक सकता है, लेकिन पानी और आत्मा के सुसमाचार में हमारा विश्वास झूठे सुसमाचारों के विरुद्ध अपनी लड़ाई कभी नहीं हार सकता।
प्रभु हमसे कहता है, “साकेत फाटक से प्रवेश करो, क्योंकि चौड़ा है वह फाटक और सरल है वह मार्ग जो विनाश को पहुंचाता है; और बहुत से है जो उससे प्रवेश करते है। क्योंकि सकेत है वह फाटक और कठिन है वह मार्ग जो जीवन को पहुँचाता है; और थोड़े है जो उसे पाते है” (मत्ती ७:१३-१५)। पुराने नियम के भविष्यवक्ता एलिय्याह ने ८५० से ज्यादा बाल के याजको से युध्ध किया और जित हांसिल की।
प्रेरित पौलुस ने यह भी कहा कि उसने जिस सुसमाचार का प्रचार किया उसे छोड़ दूसरा कोई सुसमाचार नहीं है (गलातियों १:७)। पौलुस का यह सुसमाचार यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू में विश्वास के अलावा और कुछ नहीं था। जो लोग इस सुसमाचार में विश्वास करते हैं, उनके अन्दर नया जन्म लेने के बाद भी कुछ कमियां हो सकती हैं लेकिन उनके दिलों में हमेशा के लिए कोई पाप नहीं है। हमारे प्रभु ने हमारे सभी पापों को अपने पानी से शुद्ध किया है और अपने लहू के द्वारा उनके लिए सभी न्याय प्राप्त किया है। यीशु का बपतिस्मा और क्रूस पर उसका लहू विश्वास करने वालों के लिए अनन्त छुटकारा लाए हैं।
जिन्होंने उद्धार प्राप्त किया है, प्रभु उन्हें उनके विश्वास की रक्षा करने, युध्ध करने और अंत तक जित पाने के लिए सामर्थ देते है।