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उपदेश

विषय १० : प्रकाशितवाक्य (प्रकाशितवाक्य पर टिप्पणी)

[अध्याय 19-1] वह राज्य जिस पर सर्वशक्तिमान शासन करेगा ( प्रकाशितवाक्य १९:१-२१ )

वह राज्य जिस पर सर्वशक्तिमान शासन करेगा
( प्रकाशितवाक्य १९:१-२१ )
“इसके बाद मैं ने स्वर्ग में मानो बड़ी भीड़ को ऊँचे शब्द से यह कहते सुना, “हल्‍लिलूय्याह! उद्धार और महिमा और सामर्थ्य हमारे परमेश्‍वर ही की है। क्योंकि उसके निर्णय सच्‍चे और ठीक हैं। उसने उस बड़ी वेश्या का, जो अपने व्यभिचार से पृथ्वी को भ्रष्‍ट करती थी, न्याय किया और उससे अपने दासों के लहू का बदला लिया है।” फिर दूसरी बार उन्होंने कहा, “हल्‍लिलूय्याह! उसके जलने का धुआँ युगानुयुग उठता रहेगा।” तब चौबीसों प्राचीनों और चारों प्राणियों ने गिरकर परमेश्‍वर को दण्डवत् किया, जो सिंहासन पर बैठा था, और कहा, “आमीन! हल्‍लिलूय्याह!” तब सिंहासन में से एक शब्द निकला, “हे हमारे परमेश्‍वर से सब डरनेवाले दासो, क्या छोटे, क्या बड़े; तुम सब उसकी स्तुति करो।” फिर मैं ने बड़ी भीड़ का सा और बहुत जल का सा शब्द, और गर्जन का सा बड़ा शब्द सुना: “हल्‍लिलूय्याह! क्योंकि प्रभु हमारा परमेश्‍वर सर्वशक्‍तिमान राज्य करता है। आओ, हम आनन्दित और मगन हों, और उसकी स्तुति करें, क्योंकि मेम्ने का विवाह आ पहुँचा है, और उसकी दुल्हिन ने अपने आप को तैयार कर लिया है। उसको शुद्ध और चमकदार महीन मलमल पहिनने का अधिकार दिया गया”– क्योंकि उस महीन मलमल का अर्थ पवित्र लोगों के धर्म के काम है। तब स्वर्गदूत ने मुझ से कहा, “यह लिख, कि धन्य वे हैं, जो मेम्ने के विवाह के भोज में बुलाए गए हैं।” फिर उसने मुझ से कहा, “ये वचन परमेश्‍वर के सत्य वचन हैं।” तब मैं उसको दण्डवत् करने के लिये उसके पाँवों पर गिर पड़ा। उसने मुझ से कहा, “देख, ऐसा मत कर, मैं तेरा और तेरे भाइयों का संगी दास हूँ जो यीशु की गवाही देने पर स्थिर हैं। परमेश्‍वर ही को दण्डवत् कर।” क्योंकि यीशु की गवाही भविष्यद्वाणी की आत्मा है। फिर मैं ने स्वर्ग को खुला हुआ देखा, और देखता हूँ कि एक श्‍वेत घोड़ा है; और उस पर एक सवार है, जो विश्‍वासयोग्य और सत्य कहलाता है; और वह धर्म के साथ न्याय और युद्ध करता है। उसकी आँखें आग की ज्वाला हैं, और उसके सिर पर बहुत से राजमुकुट हैं। उस पर एक नाम लिखा है, जिसे उसको छोड़ और कोई नहीं जानता। वह लहू छिड़का हुआ वस्त्र पहिने है, और उसका नाम परमेश्‍वर का वचन है। स्वर्ग की सेना श्‍वेत घोड़ों पर सवार और श्‍वेत और शुद्ध मलमल पहिने हुए उसके पीछे पीछे है। जाति जाति को मारने के लिये उसके मुँह से एक चोखी तलवार निकलती है। वह लोहे का राजदण्ड लिये हुए उन पर राज्य करेगा, और सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर के भयानक प्रकोप की जलजलाहट की मदिरा के कुंड में दाख रौंदेगा। उसके वस्त्र और जाँघ पर यह नाम लिखा है : 
“राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु।” 
फिर मैं ने एक स्वर्गदूत को सूर्य पर खड़े हुए देखा। उसने बड़े शब्द से पुकारकर आकाश के बीच में से उड़नेवाले सब पक्षियों से कहा, “आओ, परमेश्‍वर के बड़े भोज के लिये इकट्ठे हो जाओ, जिस से तुम राजाओं का मांस, और सरदारों का मांस, और शक्‍तिमान पुरुषों का मांस, और घोड़ों का और उनके सवारों का मांस, और क्या स्वतंत्र क्या दास, क्या छोटे क्या बड़े, सब लोगों का मांस खाओ।” फिर मैं ने उस पशु, और पृथ्वी के राजाओं और उनकी सेनाओं को उस घोड़े के सवार और उसकी सेना से लड़ने के लिये इकट्ठे देखा। वह पशु, और उसके साथ वह झूठा भविष्यद्वक्‍ता पकड़ा गया जिसने उसके सामने ऐसे चिह्न दिखाए थे जिनके द्वारा उसने उनको भरमाया जिन पर उस पशु की छाप थी और जो उसकी मूर्ति की पूजा करते थे। ये दोनों जीते जी उस आग की झील में, जो गन्धक से जलती है, डाले गए। शेष लोग उस घोड़े के सवार की तलवार से, जो उसके मुँह से निकलती थी, मार डाले गए; और सब पक्षी उनके मांस से तृप्‍त हो गए।” 
 
 

विवरण


वचन १: “इसके बाद मैं ने स्वर्ग में मानो बड़ी भीड़ को ऊँचे शब्द से यह कहते सुना, “हल्‍लिलूय्याह! उद्धार और महिमा और सामर्थ्य हमारे परमेश्‍वर ही की है।”
यह भाग उन संतों का वर्णन करता है जो प्रभु परमेश्वर की स्तुति करते हैं क्योंकि मेम्ने के साथ उनका विवाह दिन निकट आता है। हमारे प्रभु परमेश्वर ने संतों को उनका उद्धार और महिमा दी है, कि वे अच्छे कारण से उसकी स्तुति करें। इसलिए हवा में रेप्चर संत प्रभु परमेश्वर की स्तुति करना जारी रखते हैं, क्योंकि उनके सभी पापों और उनकी अपरिहार्य निंदाओं से उन्हें छुड़ाने की उनकी कृपा इतनी महान है। 
शब्द "अलेलुइया" या "हालेलुय्याह" इब्रानी शब्द "हलाल" से बना है, जिसका अर्थ है स्तुति, और "याह," जिसका अर्थ "यहोवा" है - इसलिए, इसका अर्थ "यहोवा की स्तुति करो" है। विशेष रूप से, पुराने नियम के भजन संहिता ११३-११८ को "मिस्र का हालेल" कहा जाता है, और भजन संहिता १४६-१५० को "हालेल के भजन" कहा जाता है। 
ये "हालोल के भजन" ऐसे गीत हैं जिनमे यहूदी लोगों के आनंद और दुख सामेल है, उन्हें दुख और क्लेश के समय में ताकत देते थे, और उद्धार और जीत के समय में खुशी के गीत के रूप में गाए जाते थे। ये गीत तब भी गाए जाते थे जब "हल्लेलुजाह" की स्तुति केवल परमेश्वर के लिए ही गाई जा सकती थी। इसका कारण यह है कि इस संसार पर की गई महान विपत्तियों के बारे में प्रभु का न्याय सच्चा और धर्मी है, और क्योंकि उद्धार, सामर्थ और महिमा केवल परमेश्वर के हैं।

वचन २: “क्योंकि उसके निर्णय सच्‍चे और ठीक हैं। उसने उस बड़ी वेश्या का, जो अपने व्यभिचार से पृथ्वी को भ्रष्‍ट करती थी, न्याय किया और उससे अपने दासों के लहू का बदला लिया है।”
प्रभु परमेश्वर पृथ्वी के सभी धर्मवादियों और सभी अविश्वासियों पर सात कटोरे की विपत्तियां डालकर संतों का बदला लेंगे, यह परमेश्वर का सच्चा और धर्मी न्याय है। चूँकि इस संसार के धर्मवादियों ने परमेश्वर के पापरहित और धर्मी सेवकों की हत्या की थी, वे बदले में, परमेश्वर द्वारा अनन्त मृत्यु की दण्ड के पात्र हैं।
क्या परमेश्वर के सेवकों ने कभी इस धरती पर कुछ ऐसा किया है कि वे सांसारिक धर्मवादियों द्वारा मारे जाने के योग्य हों? बिलकूल नही! फिर भी दुनिया के सभी धर्मवादी प्रभु परमेश्वर की संतानों की हत्या करने की अपनी योजना में एकजुट हो गए हैं। इस प्रकार, परमेश्वर द्वारा इन हत्यारों पर सात कटोरों की विपत्तियाँ डालना न्यायसंगत है, जो परमेश्वर की धार्मिकता को भी प्रकट करता है।

वचन ३: फिर दूसरी बार उन्होंने कहा, “हल्‍लिलूय्याह! उसके जलने का धुआँ युगानुयुग उठता रहेगा।”
संत हवा में प्रभु परमेश्वर की स्तुति कर रहे हैं क्योंकि यीशु जो मेमना बन गया है उसके साथ उनके विवाह का दिन निकट आ गया है। 
"उसके जलने का धुँआ युगानुयुग उठता रहेगा।" यह इस दुनिया से निकलने वाले धुएं को संदर्भित करता है जो परमेश्वर द्वारा डाले गए सात कटोरे के महान विपत्तियों द्वारा नष्ट किया जाएगा और जला दिया जाएगा। यह हमें दिखाता है कि यह दुनिया अपने खंडहरों से कभी नहीं उबर पाएगी क्योंकि इसका विनाश घातक और शाश्वत होगा।

वचन ४: तब चौबीसों प्राचीनों और चारों प्राणियों ने गिरकर परमेश्‍वर को दण्डवत् किया, जो सिंहासन पर बैठा था, और कहा, “आमीन! हल्‍लिलूय्याह!” 
तथ्य यह है कि प्रभु यीशु के साथ संतों के विवाह का दिन आ गया है, यह एक ऐसी शानदार घटना है कि स्वर्ग में २४ प्राचीन और चार जीवित प्राणी अपने सिंहासन पर बैठे प्रभु परमेश्वर की आराधना और स्तुति करते हैं। यही कारण है कि परमेश्वर के सभी सेवक हवा में प्रभु परमेश्वर की स्तुति कर रहे हैं।

वचन ५: तब सिंहासन में से एक शब्द निकला, “हे हमारे परमेश्‍वर से सब डरनेवाले दासो, क्या छोटे, क्या बड़े; तुम सब उसकी स्तुति करो।”
क्योंकि मेम्ने का संतों के साथ विवाह का दिन उसके सभी सेवकों और संतों के लिए एक बहुत बड़ा आनंद है जो प्रभु परमेश्वर में विश्वास करके बचाए गए हैं, सिंहासन से निकलती आवाज उन सभी को परमेश्वर की स्तुति करने की आज्ञा देती है। अब समय आ गया है कि परमेश्वर के सेवकों और उसके सभी संत आनन्दित हो और प्रभु की स्तुति करे।
 
वचन ६: फिर मैं ने बड़ी भीड़ का सा और बहुत जल का सा शब्द, और गर्जन का सा बड़ा शब्द सुना: “हल्‍लिलूय्याह! क्योंकि प्रभु हमारा परमेश्‍वर सर्वशक्‍तिमान राज्य करता है।”
यह वचन हमें बताता है कि प्रभु परमेश्वर के राज्य का समय निकट आया है, अब समय आ गया है कि उनके संतों और सेवकों को उनकी शाश्वत शांति, आनंद और नदी की तरह बहने वाले आशीर्वाद प्राप्त हों। इसलिए वे प्रभु परमेश्वर की स्तुति कर रहे हैं। भले ही इस पृथ्वी पर महान विपत्तिया जारी है लेकिन फिर भी संत हवा में हमारे परमेश्वर की स्तुति कर रहे हैं, क्योंकि समय आ गया है कि वे प्रभु परमेश्वर द्वारा राज्य करें —अर्थात, अब समय आ गया है कि परमेश्वर अपने सभी संतों की महिमा करें। इस समय संतों की स्तुति का शब्द गर्जन और बहुत जल की आवाज की तरह है। इस प्रकार प्रभु के राज्य का विवाह भोज संतों की सुंदर स्तुति के साथ शुरू होता है।
 
वचन ७: “आओ, हम आनन्दित और मगन हों, और उसकी स्तुति करें, क्योंकि मेम्ने का विवाह आ पहुँचा है, और उसकी दुल्हिन ने अपने आप को तैयार कर लिया है।”
अब जब परमेश्वर के द्वारा लाए गए सात कटोरे की विपत्तियां समाप्त हो रही हैं, तो यह पद हमें बताता है कि सभी संतों के खुश होने और आनन्दित होने का समय आ गया है। संत यहां प्रसन्न और आनन्दित होते हैं क्योंकि उनके लिए हमारे परमेश्वर से विवाह करने और उनके राज्य में रहने का दिन आ गया है। संतों के साथ रहने के लिए, हमारे प्रभु परमेश्वर ने अपना नया स्वर्ग और पृथ्वी, पवित्र शहर और उसके बगीचे, और सारी महिमा और धन तैयार किया है, और वह केवल उनकी प्रतीक्षा कर रहा है। इस समय से, संतों को हमेशा के लिए प्रभु के साथ राज्य करना है।

वचन ८: उसको शुद्ध और चमकदार महीन मलमल पहिनने का अधिकार दिया गया”– क्योंकि उस महीन मलमल का अर्थ पवित्र लोगों के धर्म के काम है। 
प्रभु ने पवित्र लोगों को नए वस्त्र दिए हैं, जो उत्तम मलमल के बने हैं। जो कोई प्रभु परमेश्वर की सेवा में रहता है, वह इन वस्त्रों को पहिनता है। दुसरे शब्दों में, परमेश्वर संतों को स्वर्ग के वस्त्र पहनाते हैं। महीन मलमल के ये स्वर्गीय वस्त्र पसीने से भीगे नहीं हैं। यह हमें बताता है कि यह तथ्य कि हम मेम्ने की दुल्हन बने हैं यह हमारे मानव निर्मित प्रयासों और निवेशों के कारण नहीं हैं, बल्कि प्रभु के द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार में हमारे विश्वास के कारण हैं। 
मसीह विरोधी द्वारा पहने जाने वाले लाल और बैंगनी परिधान के विपरीत, यह बढ़िया महीन कपड़ा याजकों और राजाओं के वस्त्र बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला कीमती कपड़ा है। पसीने से मुक्त, सफेद, महीन मलमल हमें दिखाता है कि जो लोग परमेश्वर के अनुग्रह और उसकी धार्मिकता को पहिने हुए हैं, वे अब उसके लोग बन गए हैं।
“क्योंकि उस महीन मलमल का अर्थ पवित्र लोगों के धर्म के काम है,” इस वाक्यांश के द्वारा इसका अर्थ यह है कि जो लोग प्रभु परमेश्वर द्वारा दिए गए उद्धार की कृपा से संत बन गए, उन्होंने अपने विश्वास की रक्षा के लिए मसीह विरोधी और उनके अनुयायियों द्वारा अपनी शहादत के साथ परमेश्वर की महिमा की। दुसरे शब्दों में, "धर्म के काम," व्यवस्था की धार्मिकता को नहीं, बल्कि संतों की शहादत को उनके कीमती विश्वास की रक्षा के लिए संदर्भित करता है। इसी तरह, अंत समय के यीशु मसीह की सभी दुल्हनें शहीद हुई हैं, जिन्होंने प्रभु में अपने विश्वास की शुद्धता की रक्षा करने के लिए, इस धरती पर रहते हुए मसीह विरोधी और उसके अनुयायियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। 
शहादत के अपने विश्वास की तैयारी के लिए, सभी संतों को महान क्लेश के पहले साढ़े तीन वर्षों के लिए तैयार होना चाहिए, क्योंकि जब ये साढ़े तीन साल पूरे हो जाएंगे, तो वे वास्तव में शहीद हो जाएंगे। 

वचन ९: तब स्वर्गदूत ने मुझ से कहा, “यह लिख, कि धन्य वे हैं, जो मेम्ने के विवाह के भोज में बुलाए गए हैं।” फिर उसने मुझ से कहा, “ये वचन परमेश्‍वर के सत्य वचन हैं।”
जब इस संसार में परमेश्वर की विपत्तियां समाप्त हो जाएंगी, तो प्रभु परमेश्वर सभी संतों को मेम्ने के विवाह भोज (प्रभु द्वारा निर्मित और राज्य किया गया राज्य) में आमंत्रित करेगा, और वह उन्हें मसीह के राज्य में रहने की अनुमति देगा। जो यहाँ मेमने के विवाह भोज में आमंत्रित हैं वे धन्य हैं। हमारे परमेश्वर ने हमसे कहा है कि वह वायदे के इस वचन को पूरा करने से नहीं चूकेगा। अंत में वह दिन आएगा जब संतों को प्रभु से विवाह करना होगा। हमारा प्रभु अपनी उन दुल्हनों को ले जाने के लिए इस पृथ्वी पर लौटेगा जो पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके अपने सभी पापों से शुद्ध हो गई हैं। और प्रभु अपने राज्य में सदा सर्वदा अपनी दुल्हनों के साथ रहेगा। 
प्रभु के साथ संतों का मिलन तब पूरा होता है जब उन्हें मसीह द्वारा रेप्चर किया जाता है, जिस समय उन्हें हजार साल के राज्य में अंतहीन महिमा और पुरस्कार प्राप्त करना होता है। हाल्लेलूयाह! मैं प्रभु परमेश्वर की स्तुति और धन्यवाद करता हूँ जिसने हमें अपनी प्रजा बनाया है।

वचन १०: तब मैं उसको दण्डवत् करने के लिये उसके पाँवों पर गिर पड़ा। उसने मुझ से कहा, “देख, ऐसा मत कर, मैं तेरा और तेरे भाइयों का संगी दास हूँ जो यीशु की गवाही देने पर स्थिर हैं। परमेश्‍वर ही को दण्डवत् कर।” क्योंकि यीशु की गवाही भविष्यद्वाणी की आत्मा है।”
संतों को ये सभी महिमा केवल प्रभु परमेश्वर को देनी चाहिए। जो संतों से सभी आराधना और स्तुति प्राप्त करने वाला है, वह केवल हमारा त्रिएक परमेश्वर है।
वाक्यांश, "क्योंकि यीशु की गवाही भविष्यवाणी की आत्मा है," का अर्थ है कि यीशु की गवाही और भविष्यवाणी पवित्र आत्मा के माध्यम से आती है।

वचन ११: फिर मैं ने स्वर्ग को खुला हुआ देखा, और देखता हूँ कि एक श्‍वेत घोड़ा है; और उस पर एक सवार है, जो विश्‍वासयोग्य और सत्य कहलाता है; और वह धर्म के साथ न्याय और युद्ध करता है। 
जब अंत का समय आएगा, हमारे प्रभु परमेश्वर, एक सफेद घोड़े पर सवार होकर, शैतान के खिलाफ उसकी धार्मिकता से लड़ेंगे और उसे अथाह गड्ढे और आग की झील में फेंक देंगे।
यहाँ, यीशु मसीह का नाम "विश्वासयोग्य" और "सत्य" है। शब्द "विश्वासयोग्य," जिसका अर्थ है कि मसीह भरोसेमंद है, उसकी सच्चाई और निष्ठा को व्यक्त करता है, जबकि शब्द "सत्य", जिसका अर्थ है कि वह झूठ से मुक्त है, हमें बताता है कि मसीह परमेश्वर के धर्मी न्याय के साथ मसीह विरोधी पर जय प्राप्त करेगा।
 
वचन १२: उसकी आँखें आग की ज्वाला हैं, और उसके सिर पर बहुत से राजमुकुट हैं। उस पर एक नाम लिखा है, जिसे उसको छोड़ और कोई नहीं जानता। 
प्रभु की आंखें "आग की ज्वाला" हैं, हमें बताती हैं कि उनके पास सभी का न्याय करने का सामर्थ है। दूसरी ओर, वाक्यांश "उसके सिर पर बहुत से राजमुकुट है," का अर्थ है कि हमारे परमेश्वर हमेशा शैतान के खिलाफ लड़ाई में शैतान पर जय प्राप्त करते हैं, क्योंकि वह सर्वज्ञ और सर्वशक्तिमान परमेश्वर है।

वचन १३: वह लहू छिड़का हुआ वस्त्र पहिने है, और उसका नाम परमेश्‍वर का वचन है। 
हमारे प्रभु अपने भयंकर क्रोध के साथ संतों के शत्रुओं का न्याय करने के द्वारा संतों का बदला लेंगे, जो उनके खिलाफ खड़े थे। यह परमेश्वर कोई और नहीं बल्कि स्वयं यीशु मसीह हैं। जैसा कि उसने अपने वचन के साथ वादा किया था, हमारे परमेश्वर वास्तव में एक मनुष्य के शरीर में इस पृथ्वी पर आए, जगत के सभी पापों को उठाने के लिए यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा लिया, उन पापों को क्रूस पर ले गया, और पूरी मनुष्यजाति के पापों को दूर किया। 
"लहू छिड़का हुआ वस्त्र" यह लहू मसीह के अपने लहू का उल्लेख नहीं करता है। यह शत्रुओं के लहू को प्रभु के वस्त्र पर बिखेरने के लिए संदर्भित करता है क्योंकि वह उनके लिए अपने क्रोध का भयावह न्याय लाता है और उन्हें अपने पैरों की सामर्थ से रौंदता है।
"परमेश्वर का वचन" यीशु के चरित्र को दर्शाता है। क्योंकि हमारे प्रभु सब कुछ अपने सामर्थी वचन से करते हैं, उन्हें "परमेश्वर के वचन" के रूप में नामित किया गया है।
 
वचन १४-१६: स्वर्ग की सेना श्‍वेत घोड़ों पर सवार और श्‍वेत और शुद्ध मलमल पहिने हुए उसके पीछे पीछे है। जाति जाति को मारने के लिये उसके मुँह से एक चोखी तलवार निकलती है। वह लोहे का राजदण्ड लिये हुए उन पर राज्य करेगा, और सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर के भयानक प्रकोप की जलजलाहट की मदिरा के कुंड में दाख रौंदेगा। उसके वस्त्र और जाँघ पर यह नाम लिखा है : “राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु।”
प्रभु परमेश्वर की सेना हमेशा परमेश्वर के कार्यों की सेवा करती है और उनकी महिमामय कृपा को धारण करती है। 
परमेश्वर इस संसार का न्याय अपने मुंह से निकले वचन से करेगा। हमारे प्रभु ने हमेशा अपने मुंह के वचन के साथ हमसे वादा किया है, और वह हमेशा इन वादों को अपनी सामर्थ से पूरा करते हैं। जो संसार का न्याय करता है और शैतान का नाश करता है, वह राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु यीशु मसीह है। 

वचन १७: फिर मैं ने एक स्वर्गदूत को सूर्य पर खड़े हुए देखा। उसने बड़े शब्द से पुकारकर आकाश के बीच में से उड़नेवाले सब पक्षियों से कहा, “आओ, परमेश्‍वर के बड़े भोज के लिये इकट्ठे हो जाओ।”
यह दुनिया, शैतान और उसके अनुयायियों के साथ, अंततः यीशु मसीह द्वारा नष्ट कर दी जाएगी। बाइबल इस संसार के विनाश को परमेश्वर की महान दावत के रूप में वर्णित करती है।

वचन १८: “जिस से तुम राजाओं का मांस, और सरदारों का मांस, और शक्‍तिमान पुरुषों का मांस, और घोड़ों का और उनके सवारों का मांस, और क्या स्वतंत्र क्या दास, क्या छोटे क्या बड़े, सब लोगों का मांस खाओ।”
यह वचन हमें बताता है कि क्योंकि जब तक प्रभु परमेश्वर की महान विपत्तियां समाप्त नहीं हो जातीं, तब तक सारे संसार और उसमें रहने वाले सभी लोगों को मौत के घाट उतार दिया जाएगा, आकाश में उड़ने वाले पक्षी उनकी लोथों को खाकर अपना पेट भरते थे। वे ऐसा इसलिए करते क्योंकि परमेश्वर ने सात कटोरों की महान विपत्तियाँ इस संसार पर उंडेल दी। हमारे प्रभु ने हमें बताया, "जहा लोथ हो, वहीँ गिध्ध इकट्ठे होंगे (मत्ती २४:२८)।” अंत समय की दुनिया में, पापियों के लिए केवल विनाश, मृत्यु और नरक की सजा होगी। लेकिन संतों के लिए, मसीह के राज्य में राज्य करने का आशीर्वाद होगा।
 
वचन १९: फिर मैं ने उस पशु, और पृथ्वी के राजाओं और उनकी सेनाओं को उस घोड़े के सवार और उसकी सेना से लड़ने के लिये इकट्ठे देखा। 
अपने अंत तक, मसीह विरोधी, शैतान का सेवक, और उसके अनुयायी परमेश्वर के सेवकों और उसके संतों के विरुद्ध खड़े होंगे और उन पर जय प्राप्त करने का प्रयास करेंगे। परन्तु क्योंकि हमारा प्रभु राजाओं का राजा है, वह मसीह विरोधी और झूठे भविष्यद्वक्ता को पकड़कर आग की झील में डाल देगा, और उनके सब सेवकों को उसके वचन की तलवार से मार डालेगा। 

वचन २०: वह पशु, और उसके साथ वह झूठा भविष्यद्वक्‍ता पकड़ा गया जिसने उसके सामने ऐसे चिह्न दिखाए थे जिनके द्वारा उसने उनको भरमाया जिन पर उस पशु की छाप थी और जो उसकी मूर्ति की पूजा करते थे। ये दोनों जीते जी उस आग की झील में, जो गन्धक से जलती है, डाले गए।
यहाँ "पशु" का अर्थ मसीह विरोधी है। "झूठा भविष्यवक्ता" मसीह विरोधी का सेवक है, जो चमत्कार और चिन्ह दिखाकर लोगों को सत्य के वचन में विश्वास से दूर कर देता है। हमारा प्रभु परमेश्वर शैतान, जानवर (मसीह विरोधी), झूठे भविष्यद्वक्ता, और शैतान के अनुयायियों को नष्ट कर देगा, जिन्होंने मसीह विरोधी की मूर्ति की पूजा की थी और परमेश्वर के खिलाफ, संतों के खिलाफ, और पानी और आत्मा के सुसमाचार के खिलाफ खड़े थे। . 
"गंधक से जलती हुई आग की झील" नरक को संदर्भित करती है। नरक अथाह गड्ढे से अलग है। जबकि अथाह गड्ढा वह जगह है जहाँ शैतान की ताकतें अस्थायी रूप से बंधी हुई हैं, "आग की झील" उनके अनन्त दंड का स्थान है। विशेष रूप से, बाइबल में हमेशा आग और गंधक का उपयोग परमेश्वर के दंड और न्याय के साधन के रूप में किया गया है।
इस दुनिया के नष्ट होने के बाद, हमारा प्रभु संतों के साथ इस धरती पर लौटेगा, पहले शैतान और उसके सेवकों को नष्ट करेगा, और फिर मसीह के राज्य को खोलेगा। संत तब जीवित रहेंगे और आने वाले एक हजार वर्षों तक मसीह के राज्य में प्रभु के साथ राज्य करेंगे।

वचन २१: शेष लोग उस घोड़े के सवार की तलवार से, जो उसके मुँह से निकलती थी, मार डाले गए; और सब पक्षी उनके मांस से तृप्‍त हो गए।
यह संसार हमारे प्रभु परमेश्वर के मुख से निकले हुए वचन से उत्पन्न हुआ है; उसी तरह, परमेश्वर के सभी शत्रु उसके मुंह से निकलने वाले न्याय के वचन से नष्ट हो जाएंगे। तब इस पृथ्वी पर मसीह का राज्य स्थापित किया जाएगा। इसलिए, संतों को अपनी आशा को मसीह के राज्य में रखना चाहिए और शैतान, मसीह विरोधी और उसके अनुयायियों के खिलाफ लड़कर और विश्वास के साथ उनकी शहादत को गले लगाकर परमेश्वर की महिमा करनी चाहिए।