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उपदेश

विषय १० : प्रकाशितवाक्य (प्रकाशितवाक्य पर टिप्पणी)

[अध्याय 22-2] महिमा की आशा में आनंदित और दृढ रहे ( प्रकाशितवाक्य २२:१-२१ )

महिमा की आशा में आनंदित और दृढ रहे
( प्रकाशितवाक्य २२:१-२१ )
 
प्रकाशितवाक्य २२:६-२१ हमें स्वर्ग की आशा दिखाता है। अध्याय २२, प्रकाशितवाक्य की पुस्तक का अंतिम अध्याय, पवित्रशास्त्र की भविष्यवाणियों की विश्वासयोग्यता की पुष्टि और नए यरूशलेम के लिए परमेश्वर के निमंत्रण से संबंधित है। यह अध्याय हमें बताता है कि नया यरूशलेम परमेश्वर का एक उपहार है जो उन संतों को दिया गया है जिन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके नया जन्म प्राप्त किया है।
नया जन्म पाए हुए संतों ने परमेश्वर के घर में उसकी स्तुति की। इसके लिए मैं प्रभु का तहे दिल से शुक्रगुजार हूं। हमारे शब्द यह व्यक्त नहीं कर सकते कि हम कितने आभारी हैं कि हम जिन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा अपने पापों की माफ़ी प्राप्त की है उन्हें संत बनने की अनुमति दी गई है। इस पृथ्वी पर ऐसा कौन है जिसने हमसे बढाकर आशीष पाई हो? ऐसा कोई नहीं है! 
आज का मुख्य भाग प्रकाशितवाक्य का अंतिम अध्याय है। उत्पत्ति की पुस्तक में, हम परमेश्वर को मनुष्यजाति के लिए योजनाए बनाते हुए देखते हैं, और प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में, हम अपने परमेश्वर को इन सभी योजनाओं को पूरा करते हुए देखते हैं। प्रकाशितवाक्य के वचन को परमेश्वर की योजना के अनुसार मनुष्यजाति के लिए परमेश्वर के कार्यो को पूरा करने के लिए इस दुनिया की एक विनाशकारी प्रक्रिया के रूप में वर्णित किया जा सकता है। प्रकाशितवाक्य के वचन के माध्यम से, हम पहले से ही स्वर्ग के राज्य को देख सकते हैं जैसा कि परमेश्वर द्वारा प्रकट किया गया है।
 

परमेश्वर के नगर और उसके बगीचे का आकार

अध्याय २१ परमेश्वर के नगर के बारे में बताता है। वचन १७-२१ हमसे कहता है: “आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुननेवाला भी कहे, “आ!” जो प्यासा हो वह आए, और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले। मैं हर एक को, जो इस पुस्तक की भविष्यद्वाणी की बातें सुनता है, गवाही देता हूँ : यदि कोई मनुष्य इन बातों में कुछ बढ़ाए तो परमेश्‍वर उन विपत्तियों को, जो इस पुस्तक में लिखी हैं, उस पर बढ़ाएगा। यदि कोई इस भविष्यद्वाणी की पुस्तक की बातों में से कुछ निकाल डाले, तो परमेश्‍वर उस जीवन के वृक्ष और पवित्र नगर में से, जिसका वर्णन इस पुस्तक में है, उसका भाग निकाल देगा। जो इन बातों की गवाही देता है वह यह कहता है, “हाँ, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ।” आमीन। हे प्रभु यीशु आ! प्रभु यीशु का अनुग्रह पवित्र लोगों के साथ रहे। आमीन।” 
प्रकाशितवाक्य का यह वचन नए यरूशलेम का वर्णन करता है जिसे परमेश्वर अपने नया जन्म पाए हुए लोगों को देगा। हमें बताया गया है कि स्वर्ग में यरूशलेम का यह शहर बारह विभिन्न प्रकार के कीमती पत्थरों से बना है, जिसमें मोतियों से बने बारह द्वार हैं।
अध्याय 22 यरूशलेम शहर के बगीचे में पाए जाने वाले प्रकृति की बात करता है। वचन १ कहता है, “फिर उसने मुझे बिल्‍लौर की सी झलकती हुई, जीवन के जल की नदी दिखाई, जो परमेश्‍वर और मेम्ने के सिंहासन से निकली।” परमेश्वर के शहर में, एक बिल्लौर के समान नदी अपने बगीचे के माध्यम से बहती है, जैसे परमेश्वर ने शुरुआत में अदन वाटिका में चार नदियों को बहाया था। परमेश्वर हमें बताता है कि यह वो वाटिका है जिसका भविष्य में धर्मी आनंद उठाएंगे। 
मुख्य भाग हमें यह भी बताता है कि जीवन का वृक्ष इस बगीचे में खड़ा है; वह बारह प्रकार के फल फलता है, और हर महीने फल देता है; और इसकी पत्तियाँ जाति-जाति के लोगों की चंगाई के लिए हैं। मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि स्वर्ग की प्रकृति ऐसी है कि न केवल इसके फल खाए जाते हैं, बल्कि इसके पत्ते भी खाने लायक है, क्योंकि पत्तियों में चंगा करने की सामर्थ है।
 

धर्मी जन के द्वारा प्राप्त की जाने वाली आशीषे!

बाइबल हमें बताती है कि परमेश्वर के नगर में, “फिर स्राप न होगा, और परमेश्‍वर और मेम्ने का सिंहासन उस नगर में होगा और उसके दास उसकी सेवा करेंगे। वे उसका मुँह देखेंगे, और उसका नाम उनके माथों पर लिखा हुआ होगा।” यह हमें बताता है कि हम में से जिन्हें उनके पापों के लिए क्षमा किया गया है, वे हमेशा के लिए उस परमेश्वर के साथ राज्य करेंगे जिसने हमें बचाया है।
जिनके पाप इस पृथ्वी पर रहते हुए पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके मिटा दिए गए हैं, वे न केवल अपने सभी पापों के दूर होने का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे, बल्कि वे परमेश्वर की संतान भी बनेंगे, जब वे परमेश्वर के राज्य में जाएँगे तब उनकी सेवा करने वाले कई स्वर्गदूत होंगे, और वे प्रभु के साथ सर्वदा राज्य करेंगे। यह भाग हमें बताता है कि धर्मी लोगों को जीवन की नदी पर खड़े होकर जीवन के फल खाने जैसे अनन्त आशीर्वाद प्राप्त होंगे, और वहां कोई बिमारी न होगी यह बात इन आशीर्वादों के एक भाग के रूप में होगी। 
यह हमें यह भी बताता है कि उन्हें न तो इस पृथ्वी के प्रकाश की आवश्यकता होगी और न ही सूर्य की, क्योंकि परमेश्वर के महिमामय राज्य में वे हमेशा परमेश्वर के साथ रहेंगे, जो स्वयं उसकी ज्योति है। दुसरे शब्दों में, परमेश्वर की सन्तान जिन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा अपने पापों की क्षमा प्राप्त की है, परमेश्वर के समान जीवन व्यतीत करेंगे। यह धर्मी जन को प्राप्त आशीर्वाद है।
प्रेरित यूहन्ना, यीशु के बारह शिष्यों में से एक, जिन्होंने प्रकाशितवाक्य की पुस्तक लिखी, उसने नए नियम की यूहन्ना का सुसमाचार और तीन पत्र-पहला, दूसरा और तीसरा यूहन्ना भी लिखा। रोमन सम्राट को परमेश्वर के रूप में मानने से इनकार करने के कारण उन्हें पतमुस द्वीप में निर्वासित कर दिया गया था। इस निर्वासन के दौरान, परमेश्वर ने अपने दूत को यूहन्ना के पास भेजा और उसे दिखाया कि इस पृथ्वी पर क्या होने वाला है, उसे दुनिया के विनाश और उस स्थान के बारे में बताया जहां संत अंततः प्रवेश करेंगे और रहेंगे।
यदि हम उत्पत्ति की पुस्तक को सृष्टि की योजना के रूप में वर्णित करते हैं, तो हम प्रकाशितवाक्य की पुस्तक को योजना की पूर्ती के रूप में वर्णित कर सकते हैं। ४,००० वर्षों से, हमारे प्रभु ने मनुष्यजाति से कहा है कि वह यीशु मसीह के माध्यम से उसके सभी पापों को मिटा देगा। और नए नियम के युग में, जब समय आया, परमेश्वर ने अपनी सभी प्रतिज्ञाओं को पूरा किया, कि वह यीशु उद्धारकरता को इस पृथ्वी पर भेजेगा, कि वह यीशु को यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा देगा, और यह कि वह संसार के पापों क्रूस पर मसीह के लहू के द्वारा दूर करेगा।
जब मनुष्यजाति शैतान के धोखे में पड़ गई और पाप के कारण अपने विनाश में फंस गई, तो हमारे प्रभु ने वादा किया कि वह उसे उसके पापों से छुड़ाएगा। फिर उसने यीशु मसीह को भेजा, उसे बपतिस्मा दिया और लहू बहाया, और इस तरह मनुष्यजाति को उसके पापों से पूरी तरह से बचाया।
प्रकाशितवाक्य के वचन के माध्यम से, परमेश्वर ने विस्तार से दर्ज किया है कि किस तरह की महिमा उन लोगों की प्रतीक्षा कर रही है जिन्होंने अपने पापों की क्षमा प्राप्त कर ली है, और दूसरी ओर पापियों को किस तरह का न्याय मिलने वाला है। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर हमें बताता है कि बहुत से ऐसे हैं जो नरक में समाप्त होंगे, भले ही फिर उन्होंने विश्वासपूर्वक परमेश्वर पर विश्वास करने का दावा किया हो (मत्ती ७:२१-२३)।
हमारे प्रभु ने पापियों को उनके पापों से बचाया है, और उन्होंने हमें उन आशीर्वादों के वचन को मुहरित नहीं करने के लिए कहा है जो उसने धर्मियों के लिए तैयार किए हैं।
 

अन्याय करनेवाले और मलिन कौन है?

वचन ११ कहता है, “जो अन्याय करता है, वह अन्याय ही करता रहे; और जो मलिन है, वह मलिन बना रहे; और जो धर्मी है, वह धर्मी बना रहे; और जो पवित्र है; वह पवित्र बना रहे।” यहाँ "अन्याय करने वाला" कौन हैं? अन्य करने वाला कोई और नहीं, केवल वे हैं जो प्रभु के द्वारा दिए हुए पानी और आत्मा के सुसमाचार के प्रेम पर विश्वास नहीं करते। क्योंकि लोग हर समय पाप करते हैं, उन्हें पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करना चाहिए जो प्रभु ने उन्हें दिया है और इस तरह परमेश्वर की महिमा करते हुए अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए। क्योंकि केवल एकमात्र परमेश्वर ही वह है जिसे मनुष्यजाति से महिमा प्राप्त करनी है, और क्योंकि केवल वही है जिसने हमें अपना उद्धार का अनुग्रह दिया है, हम सभी को ऐसा जीवन जीना चाहिए जो परमेश्वर को सारी महिमा प्रदान करे। जो लोग परमेश्वर की अवज्ञा करते हैं वे मलिन हैं, क्योंकि वे हमेशा परमेश्वर के वचन में विश्वास नहीं करते हैं।
मत्ती ७:२३ में, हमारे प्रभु ने उन धर्मवादियों से कहा जो केवल होठों से उस पर विश्वास करने का दावा करते हैं, “मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ।” हमारे प्रभु ने उन्हें "कुकर्म करनेवालो" के रूप में बुलाया। उसने उन्हें फटकार लगाई क्योंकि ये लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार में पूरे मन से विश्वास करने के बजाय केवल अपने कामों के द्वारा यीशु पर विश्वास करते थे। कुकर्म पाप है, और अपने मन से परमेश्वर के वचन पर विश्वास नहीं करना है। इसलिए, जब लोग परमेश्वर के सामने कुकर्म करते हैं, तो इसका मतलब है कि वे उस प्रेम और पानी और आत्मा के उद्धार में विश्वास नहीं करते जो परमेश्वर ने उन्हें दिया है। कुकर्म कुछ ओर नहीं बल्कि परमेश्वर के वचन को अपनी मर्जी से बदलना और किसी भी तरह से मनमाना विश्वास करना है।
जो लोग वास्तव में यीशु में विश्वास करते हैं, उन्हें परमेश्वर ने जो कुछ भी स्थापित किया है, उसे जैसा है वैसा ही स्वीकार करना चाहिए। हम यीशु में विश्वास करते हैं, लेकिन यह हमें किसी भी तरह से परमेश्वर की योजना और उसके उद्धार की पूर्णता को बदलने की अनुमति नहीं देता है। मुख्य भाग का संदेश यह है कि परमेश्वर उन लोगों को अनन्त जीवन देगा जो उसके उद्धार में विश्वास करते हैं, लेकिन उन लोगों को नरक में भेज देगा जो परमेश्वर की व्यवस्था में परिवर्तन करते हैं और मनमाने ढंग से विश्वास करते है।
"जो अन्य करता है, वह अन्याय ही करता रहे।” इससे हमें पता चलता है कि ऐसे लोग अपनी जिद्द में परमेश्वर द्वारा निर्धारित उद्धार में विश्वास नहीं करते हैं। वे अन्य करनेवाले हैं। और इसलिए पापी हमेशा अन्य करनेवाले ही होते हैं।
यह भाग आगे कहता है, "जो मलिन है, वह मलिन बना रहे।" यह उन लोगों को संदर्भित करता है, जो पापी है, और इस तथ्य के बावजूद कि यीशु ने उनके पापों को पानी और आत्मा से मिटा कर दिया है, फिर भी वे अपने पापों को मिटाने का कोई इरादा नहीं रखते है। इस प्रकार, परमेश्वर इन अविश्वासी लोगों को वैसे ही छोड़ देगा, जैसे वे हैं, और फिर उनका न्याय करेगा। लोगों को विवेक देकर, परमेश्वर ने उनके लिए उनके दिलों में स्पष्ट रूप से पाप को पहचानना संभव बनाया है। और फिर भी उनके मन में पापों को शुद्ध करने का कोई इरादा नहीं है और न ही पानी और आत्मा के सुसमाचार को जानने का उनका कोई इरादा है। परमेश्वर हमें बताता है कि वह इन लोगों को वैसे ही रहने देगा जैसे वे हैं।
नीतिवचन ३०:१२ कहता है, "ऐसे लोग है जो अपनी दृष्टि में शुध्ध है, तौभी उनका मेल धोया नहीं गया।" धर्मवादी-मसीही आज ऐसे लोग हैं जो अपने पापों से मुक्त होना भी नहीं चाहते हैं। हालाँकि, यीशु, जो स्वयं परमेश्वर हैं, पापियों को बचाने के लिए इस पृथ्वी पर आया, एक ही बार में अपने बपतिस्मा के साथ मनुष्यजाति के पापों को अपने ऊपर ले कर उनके सभी पापों को साफ कर दिया, इन सभी पापों के लिए एक बार क्रूस पर चढ़ाकर न्याय किया गया, और इस प्रकार हम में से जो विश्वास करते हैं, उन्हें पाप से बचाया है। 
जो कोई भी पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन को जानता और मानता है जिसके द्वारा यीशु मसीह ने पापियों को बचाया है, हमारे प्रभु ने ऐसे व्यक्ति के सभी पापों को क्षमा किया है फिर चाहे वह किसी भी तरह का पापी क्यों न हो। और फिर भी अभी भी ऐसे लोग हैं जिन्होंने विश्वास के द्वारा पाप की यह क्षमा प्राप्त नहीं की है। ये वही हैं जिन्होंने अपने पापों को दूर करने का प्रयास भी न करने का संकल्प लिया है। परमेश्वर उन्हें वैसे ही रहने देंगे जैसे वे हैं।
यह परमेश्वर के न्याय को पूरा करने के लिए है। यह ये दिखाने के लिए है कि परमेश्वर न्याय का परमेश्वर है। ये लोग गंधक की उस आग में फेंक दिए जाएंगे जो सदा के लिए जलती रहती है। तब उन्हें पता चलेगा कि न्याय का परमेश्वर वास्तव में कौन है। यद्यपि वे यीशु को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार करते हैं, वे न केवल अपने विवेक को धोखा दे रहे हैं, बल्कि वे दूसरों के विवेक को भी दूषित कर रहे हैं। क्योंकि उन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार को ठुकरा दिया है, परमेश्वर उन्हें उनके कामों के अनुसार प्रतिफल देगा। जब वह दिन आएगा, तो परमेश्वर अपना क्रोध उन लोगों पर लाएगा जो उसके क्रोध के पात्र हैं।
 

सब को उसके कार्य के अनुसार दो

इस पृथ्वी पर दो प्रकार के लोग हैं: वे जो प्रभु से मिले हैं और वे जो नहीं मिले हैं। हमारे परमेश्वर हर किसी को उसके काम के अनुसार बदला देगा। 
कोई भी व्यक्ति खुद से न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है, परन्तु धर्मी ठहराने की प्रक्रिया यीशु से आती है। उसने एक ही बार में अपने बपतिस्मा के द्वारा मनुष्यजाति के सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया, संसार के पापों को क्रूस पर ले गया, और क्रूस पर पाप के सभी न्याय का सामना किया जिसका सामना मनुष्यजाति को स्वयं करना चाहिए था। इस सत्य पर विश्वास करने से मनुष्यजाति धर्मी बन सकती है। जो लोग इस सत्य पर विश्वास करते हैं वे ही प्रभु से मिले हैं। 
परमेश्वर उन लोगों से इस पृथ्वी पर सुसमाचार फैलाने के लिए और इस जब तक वे जीवित है तब तक परमेश्वर के वचन को पालन करने के लिए कहता है जो पाप रहित हैं, जो इस सत्य को जानते हैं और इस पर विश्वास करते हैं। परमेश्वर कहता हैं, "जो पवित्र है, वह पवित्र बना रहे।" हमें इस आज्ञा को अपने हृदय में रखना चाहिए, अपने पवित्र विश्वास की रक्षा करनी चाहिए, और हमेशा सिद्ध सुसमाचार का प्रचार करना चाहिए। क्यों? क्योंकि इस दुनिया में बहुत से लोग इस सच्चे सुसमाचार से अनजान हैं, और परिणामस्वरूप उनका विश्वास गलत है।
इस धरती पर ऐसे लोग हैं जो बिना शर्त क्रमिक पवित्रता के सिद्धांत का समर्थन करते हैं। यद्यपि हमारे प्रभु ने पहले ही मनुष्यजाति के पापों को मिटा दिया है, फिर भी ये लोग अब भी प्रतिदिन अपने पापों की क्षमा के लिए प्रार्थना करते हैं। दैनिक आधार पर पश्चाताप की प्रार्थना करते हुए, वे अपने पापों को शुद्ध करने की कोशिश करते हैं, ताकि वे धीरे-धीरे पवित्र हो सकें ताकि वे अंततः धर्मी बन सकें जो अब कोई पाप नहीं करता है, और इस तरह वे यीशु के साथ मिल सके। लेकिन यीशु मसीह, परमेश्वर का पुत्र, राजा, भविष्यवक्ता और महायाजक है।
परमेश्वर के सच्चे सेवक न केवल यह सुनिश्चित करने के अपने कार्य को पूरा करते हैं कि सभी को वास्तव में पाप से क्षमा किया गया है या नहीं, बल्कि वे परमेश्वर के सहकर्मियों के रूप में सभी को सत्य की ओर ले जाते हैं। परमेश्वर के सेवक वे हैं, जिन्हें लिखित वचन के द्वारा, उन बातों का सटीक ज्ञान होता है जो घटित होंगी।
वचन १२-१३ कहता है, “देख, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ; और हर एक के काम के अनुसार बदला देने के लिये प्रतिफल मेरे पास है। मैं अल्फा और ओमेगा, पहला और अन्तिम, आदि और अन्त हूँ।” हमारा परमेश्वर वास्तव में अल्फा और ओमेगा है, आदि और अंत, पहला और अन्तिम है। हमें भय के साथ हर उस बात पर विश्वास करना चाहिए जो प्रभु ने हम से कही है।
हमारा प्रभु संतों को उनके कार्यों से कहीं अधिक महान आशीषों के साथ पुरस्कृत करेगा, क्योंकि वह गौरवशाली और दयालु है। वह दयालु और कृपालु है जिसने हमें हमारे सभी पापों से बचाया है, और, जैसा कि प्रकाशितवाक्य का वचन हमें बताता है, वह सामर्थ और न्याय का परमेश्वर है जो अपने उद्धार के कार्य को पूरा करेगा। और उद्धार की यह परिपूर्णता, जो जल्द ही होनेवाली है, संतों को नए यरूशलेम के शहर में शानदार प्रवेश की अनुमति दे रहा है, उनके कार्यों के लिए हमारे प्रभु की ओर से उदार और पर्याप्त पुरस्कार।
 


धन्य है वे जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते है


वचन १४ के साथ जारी रखते हुए, मुख्य भाग हमें बताता है, "धन्य हैं वे जो उसकी आज्ञाओं को मानते हैं, क्योंकि उन्हें जीवन के वृक्ष के पास आने का अधिकार मिलेगा, और वे फाटकों से होकर नगर में प्रवेश करेंगे।” ऐसे कई लोग हैं जो इस वचन के आधार पर दावा करते हैं कि उद्धार कर्मों से मिलता है - दूसरे शब्दों में, परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करने से।
लेकिन वास्तव में, "उसकी आज्ञाओं को मानने" का अर्थ है विश्वास करना और परमेश्वर के सभी लिखित वचन को विश्वास के साथ मानना। प्रेरित यूहन्ना ने लिखा, "और उसकी आज्ञा यह है, कि हम उसके पुत्र यीशु मसीह के नाम पर विश्वास करें, और जैसा उस ने हमें आज्ञा दी है, वैसा ही एक दूसरे से प्रेम रखें" (१ यूहन्ना ३:२३)। इसलिए, जब हम पानी और आत्मा के सच्चे सुसमाचार में विश्वास करते हैं, और पूरी दुनिया में सभी खोई हुई आत्माओं को बचाने के लिए सुसमाचार का प्रचार करने के लिए खुद को समर्पित करते हैं, तो हम परमेश्वर की उपस्थिति में उनकी आज्ञाओं का पालन कर रहे हैं। 
सच्चाई यह है कि हम अपने पूरे जीवन में जितने भी पाप करते हैं, वे पहले ही उस बपतिस्मा के द्वारा मिटा दिए जा चुके हैं जो यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से प्राप्त किया था। इस बपतिस्मा के बाद, क्रूस पर हमारे प्रभु का लहू, उसका पुनरुत्थान और उसके स्वर्गारोहण ने हमें नया जन्म दिया है और हमें परमेश्वर के सत्य में एक नया जीवन जीने की अनुमति दी है। 
जब भी हम नया जन्म लेने के बाद पाप में पड़ते हैं, तो हमें सत्य के वचन की ओर लौटना चाहिए जिसने हमें हमारे सभी पापों से शुद्ध किया है; इस बात को समझे कि हमारी जड़ें ऐसी हैं कि हम पाप के अलावा कुछ नहीं कर सकते; और, एक बार फिर यरदन नदी के विश्वास की ओर लौटते हुए, जहां हमारे प्रभु ने हमारी सभी कमजोरियों, कमियों और पापों को ले लिया, यीशु के बपतिस्मा के साथ बपतिस्मा लेकर और मसीह के साथ दफ़न हो जाए जो क्रूस पर मर गया। जब हम ऐसा करते हैं, तो हम अंत में नया जन्म प्राप्त करने के बाद किए गए पापों से मुक्त हो सकते हैं, और शुध्ध हो सकते हैं। प्रायश्चित के हमारे अनन्त उद्धार की पुष्टि करके और परमेश्वर के स्थायी और पूर्ण उद्धार के लिए उन्हें धन्यवाद देकर परमेश्वर की धार्मिकता को थामे रहे। 
यीशु पहले ही इस दुनिया के सभी पापों को धो चुका है। समस्या हमारे विवेक के साथ पाई जाती है। यद्यपि हमारे प्रभु ने पहले ही अपने बपतिस्मा से दुनिया के पापों को मिटा दिया है, क्योंकि हम मनुष्यों को यह समझ नहीं है कि प्रभु ने हमारे सभी पापों को अपने बपतिस्मा और क्रूस पर चढ़ने के द्वारा साफ कर दिया है, हमारा विवेक पापियों के रूप में परेशान रहता है। इसलिए हम यह समझते हैं कि हमारे पास अभी भी पाप बचा है, जबकि वास्तव में हमें केवल यह विश्वास करना है कि हमारे सभी पाप वास्तव में यीशु मसीह के द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा पहले ही धो दिए गए हैं। .
यदि हमारे दिलों को हमारे पापों से चोट लगी है, तो हम किस सच्चाई से इन पापों के घावों को भर सकते हैं? 
इन घावों को भी, पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करने के द्वारा ठीक किया जा सकता है—अर्थात, यह विश्वास करने के द्वारा कि हमारे प्रभु ने यरदन नदी में यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा लेने के द्वारा संसार के सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया, और उसने इन सभी पापों को कलवरी के क्रूस पर ले जाकर और उस पर अपना लहू बहाकर मिटा दिया। दूसरे शब्दों में, हमारे कर्मों के पाप जो हम पाप की क्षमा प्राप्त करने के बाद करते हैं, वे तब भी धोए जा सकते हैं जब हम एक बार फिर से सुसमाचार में अपने विश्वास की पुष्टि करते हैं कि यीशु मसीह ने हमारे सभी पापों को पहले ही साफ कर दिया है, जिसमें हमारे कर्मों के पाप भी शामिल हैं। .
जब यीशु मसीह ने अपना बपतिस्मा प्राप्त किया और उन्हें क्रूस पर चढ़ाया गया, तो इस दुनिया के पाप एक ही बार में धुल गए। ऐसे में न तो दुनिया के पाप और न ही हमारे व्यक्तिगत पापों को दो-तीन बार धोने की जरूरत है, जैसे कि उन्हें लगातार साफ करना होगा। यदि कोई सिखाता है कि पाप की क्षमा धीरे-धीरे प्राप्त होती है, तो वह जो सुसमाचार प्रचार कर रहा है वह झूठा सुसमाचार है।
परमेश्वर ने दुनिया के पापों को एक ही बार में दूर कर दिया है। इब्रानियों ९:२७ हमें बताता है, "और जैसा मनुष्यों का एक बार मरना, परन्तु उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है।" जिस प्रकार हम पाप के कारण एक बार मरते हैं, यह परमेश्वर की इच्छा है कि हमें भी पाप की क्षमा एक ही बार में मिल जाए। इस पृथ्वी पर आकर, यीशु मसीह ने हमारे सभी पापों को एक ही बार में अपने ऊपर ले लिया, एक बार मर गया, और हमारे स्थान पर एक ही बार में न्याय किया गया। उसने यह काम बार बार नहीं किया।
जब हम अपने ह्रदय से यीशु मसीह में विश्वास करके पाप की क्षमा प्राप्त करते हैं, तो हमारे लिए यह भी सही है कि हम एक ही बार में साड़ी बातों पर विश्वास करें और अपने सभी पापों की अनन्त क्षमा प्राप्त करें। क्योंकि उसके बाद से हम जो पाप करते हैं, वे समय-समय पर हमारे दिलों को चोट पहुँचाते हैं, हमें बस इतना करना है कि इस उद्धार के वचन के सामने जाना है, कि हमारे प्रभु ने हमारे पापों को एक ही बार में धो दिया है, और हमारे भ्रष्ट ह्रदय को विश्वास के द्वारा शुद्ध और चंगा कर दिया है: "प्रभु, मैं बहुत कमियों से भरा हूं। मैंने फिर पाप किया है। मैं आपकी इच्छा के अनुसार पूरी जिंदगी जीने में असमर्थ था। परन्तु जब तू ने यरदन नदी में यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा लिया और क्रूस पर लहू बहाया, तो क्या तू ने मेरे इन सब पापोंकी भी सुधि नहीं ली? हाल्लेलूयाह! मैं आपकी स्तुति करता हूँ, प्रभु!"
इस तरह के विश्वास के साथ, हम एक बार फिर से अपने पाप की क्षमा की पुष्टि कर सकते हैं और हमेशा प्रभु को धन्यवाद दे सकते हैं। प्रकाशितवाक्य का यह अंतिम अध्याय हमें बताता है कि यीशु मसीह के सामने जाने से, जो जीवन का वृक्ष है, और यह विश्वास करके कि प्रभु ने पहले ही दुनिया के सभी पापों को धो दिया है, जिन्होंने पाप की क्षमा प्राप्त कर ली है, उन्होंने अपने विश्वास के द्वारा परमेश्वर के राज्य, पवित्र नगर में प्रवेश करने का अधिकार प्राप्त कर लिया है। 
जो कोई भी परमेश्वर के शहर में प्रवेश करना चाहता है उसे विश्वास करना चाहिए कि यीशु मसीह ने एक ही बार में अपना बपतिस्मा प्राप्त करके और अपना लहू बहाकर मनुष्यजाति के पापों का प्रायश्चित किया। हालाँकि हम सभी में कई कमियाँ हैं फिर भी यीशु मसीह हमारे उद्धारकर्ता के बपतिस्मा और लहू में विश्वास करके, हमारे विश्वास को परमेश्वर द्वारा सत्य के रूप में स्वीकृत किया जा सकता है, और हम सभी जीवन के वृक्ष के सामने जा सकते हैं। 
केवल मसीह के बपतिस्मा और लहू में विश्वास करने से ही हमें नए यरूशलेम शहर में बहते जीवन के पानी को पिने और जीवन के वृक्ष के फलों को खाने का अधिकार मिल सकता है। क्योंकि नए स्वर्ग और पृथ्वी में प्रवेश करने की योग्यता, जिसे कभी किसी के द्वारा छीनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, केवल पानी और आत्मा के सुसमाचार से आती है, हमें अपने विश्वास की रक्षा करनी चाहिए और कई अन्य लोगों को भी इसका प्रचार करना चाहिए। इसी तरह, हमारे लिए वाक्यांश "(उसकी) आज्ञा का पालन करने" का अर्थ है विश्वास से दुनिया पर जय प्राप्त करना - अर्थात, पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करना और उसका पालन करना, और पूरे संसार में सच्चे सुसमाचार का प्रचार करने के लिए खुद को समर्पित करना। 
मत्ती २२ में, यीशु हमें "विवाह भोज का दृष्टान्त" बताता है। इस दृष्टान्त का निष्कर्ष यह है कि जिनके पास विवाह के वस्त्र नहीं हैं, उन्हें बाहर अंधियारे में फेंक दिया जाएगा (मत्ती २२:११-१३)। मेम्ने के विवाह भोज में भाग लेने के लिए हम अपने विवाह के वस्त्र कैसे पहन सकते हैं, और विवाह के वस्त्र क्या हैं? विवाह के वस्त्र जो हमें मेम्ने के विवाह भोज में प्रवेश करने के योग्य बनाते हैं, वह परमेश्वर की वह धार्मिकता है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा हमें दी गई है। क्या आप पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते हैं? यदि ऐसा है, तो आपने परमेश्वर की धार्मिकता को सुंदर रूप से पहने हैं ताकि आप पुत्र की पापरहित दुल्हन के रूप में स्वर्ग में प्रवेश कर सकें।
हम, नया जन्म प्राप्त करनेवाले लोग भी प्रतिदिन पाप करते हैं। हालाँकि, केवल धर्मी लोग जिन्हें परमेश्वर के सामने उनके पापों के लिए क्षमा किया गया है, वे विश्वास के साथ अपने धार्मिकता के वस्त्र से अपने दैनिक पापों को धोने के योग्य हैं। क्योंकि जिनके पापों को क्षमा नहीं किया गया है, वे अपने पापों को धोने के योग्य नहीं हैं, वे पश्चाताप की अपनी दैनिक प्रार्थनाओं से अपने पापों को कभी भी शुद्ध नहीं कर पाएंगे। हम प्रभु में विश्वास करने के द्वारा संसार के पापों से बचाए गए हैं, यह जानने और विश्वास करने से संभव हुआ कि प्रभु ने इस संसार में आकर, बपतिस्मा लेकर, और अपना लहू बहाकर संसार के हमारे सभी पापों को धो दिया है। 
दूसरे शब्दों में, हम पुष्टि कर सकते हैं कि हमारे दैनिक पाप पहले ही केवल उसके सच्चे सुसमाचार में धोए जा चुके हैं। जिन लोगों ने पानी और लहू के वचन के द्वारा प्रभु से पाप की क्षमा प्राप्त की है, वे भी अपने आनेवाले जीवन में हुए किए गए पापों से अपने उद्धार का विश्वास प्राप्त कर सकते हैं। 
ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे परमेश्वर ने हमारे पापों को एक ही बार में दूर कर दिया है, इसलिए हम इस अनन्त प्रायश्चित के उद्धार में विश्वास करने के द्वारा उन पापों को भी धो सकते हैं जो हम अपने कर्मों से करते हैं। यदि ऐसा नहीं होता, दुसरे शब्दों में, यदि हमारे प्रभु ने हमारे सभी पापों को एक बार में नहीं धोया होता तो हम कभी भी पापरहित कैसे बन सकते हैं? 
हम स्वर्ग के पवित्र शहर में कैसे प्रवेश कर सकते हैं? हम जीवन के वृक्ष यीशु मसीह के सामने कैसे जा सकते हैं? हमारे सभी पापों को मिटाने वाले हमारे प्रभु में विश्वास करके, हम स्वच्छ और बेदाग लोगों के रूप में स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं; और जब भी हम अपने जीवन में पाप करते हैं, अपने प्रभु के सामने जाकर यह पुष्टि करते हैं कि उसने इन पापों को भी दूर कर दिया है, तब हम ऐसे सभी पापों से मुक्त हो सकते हैं। इसलिए मैं आपको बताता हूं कि केवल नया जन्म प्राप्त किए हुए लोगो को ही विश्वास के द्वारा उनके दैनिक पापों को क्षमा करने का विशेषाधिकार प्राप्त है।
राजा दाऊद ने परमेश्वर के सामने बड़े पाप किए, भले ही वह परमेश्वर का दास था। उसने एक विवाहित महिला के साथ व्यभिचार किया, और उसके पति को मार डाला जो उसका एक वफादार व्यक्ति था। फिर भी, उसने परमेश्वर की दयापूर्ण माफ़ी के लिए इस तरह स्तुति की: 
“क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया,
और जिसका पाप ढाँपा गया हो। 
क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले,
और जिसकी आत्मा में कपट न हो (भजन संहिता ३२:१-२)।” 
इस दुनिया में और परमेश्वर के सामने सबसे धन्य कौन है? वह धन्य कोई और नहीं लेकिन हम में से है जिन्होंने नया जन्म लिया है; जिन्होंने उद्धार पाया है; और जो, जब कभी हमारे जीवन में पाप करता है, तो इस तथ्य की ओर देखटा हैं कि प्रभु ने हमारे सभी पापों को दूर कर दिया है, हर रोज जीवन को आनंद से जीता है, और जो रोजाना हमारे भ्रष्ट ह्रदय को साफ़ करता है। यह हमारे छुटकारे पर मनन करना है और हमारे प्रभु के उद्धार के महान अनुग्रह की पुष्टि कर रहा है।
केवल धर्मी लोगों ने पाप की क्षमा प्राप्त की है, जिससे उनकी सभी कमियां पूरी हो गई हैं। उनके कार्य सम्पूर्ण हैं, और उनके ह्रदय भी। इस प्रकार दोषरहित धर्मी बनने के बाद, हम उस राज्य में प्रवेश कर सकते हैं जिसे परमेश्वर ने हमारे लिए तैयार किया है, स्वर्ग का राज्य। यदि हम केवल वही स्वीकार करते हैं जो यीशु मसीह, उद्धार के द्वार और जीवन के वृक्ष ने हमारे लिए किया है, तो परमेश्वर की सामर्थ प्रकट होगी, और इसलिए हम सभी पाप की क्षमा प्राप्त करेंगे और स्वर्ग में प्रवेश करेंगे।
 


वे जो जीवन के वृक्ष के सामने जाते है


हममें से जिन लोगों ने पाप की क्षमा प्राप्त कर ली है, वे हमेशा प्रभु के सामने जाते हैं, इसका कारण यह पुष्टि करना है कि हमारे प्रभु ने हमारे सभी पापों को दूर कर दिया है, उद्धार की कृपा पर एक बार फिर चिंतन करें, इसे याद रखें, और इसके लिए परमेश्वर की स्तुति करें, ताकि हम सब उसके राज्य में प्रवेश करने के योग्य हो सकें। इसलिए हम सुसमाचार का प्रचार करते हैं।
अनगिनत संख्या में मसीही लोग, जो परमेश्वर के उन सेवकों से मिलने में असमर्थ हैं जो बाइबल को सही ढंग से सिखाकर उनका मार्गदर्शन कर सकते हैं, वे वचन और गलत मान्यताओं की अपनी गलतफहमी में फंस गए हैं। अब भी, ऐसे लोग हैं जो अपने कार्यों में व्यस्त हैं, हर सुबह और पूरी रात पश्चाताप की प्रार्थना करते हैं। वे ऐसा क्यों करते हैं? क्योंकि उनका मानना है कि ऐसा करने से उनके पाप क्षमा हो जाएंगे। और वे ऐसा इसलिए मानते हैं क्योंकि उन्हें गलत सिद्धांत सिखाए गए हैं। परन्तु ये परमेश्वर के सामने अधर्म के कार्य हैं। ऐसे लोग दयनीय होते हैं जो न तो परमेश्वर की धार्मिकता को जानते हैं और न ही परमेश्वर के निस्वार्थ प्रेम को जानते है।
बाइबिल कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे हल्के में लिया जा सकता है, जैसे कि इसकी व्याख्या किसी भी तरह से की जा सकती है। और फिर भी क्योंकि लोगों ने अपने स्वयं के मानव-निर्मित विचारों के आधार पर इसकी व्याख्या, शिक्षा और विश्वास किया है, इसका परिणाम उपरोक्त भाग के समान रहा है—अर्थात, वे परमेश्वर की धार्मिकता और प्रेम से अनभिज्ञ रहते हैं। बाइबल के प्रत्येक भाग का सटीक अर्थ है, और इसकी सही व्याख्या केवल परमेश्वर के भविष्यवक्ताओं द्वारा ही की जा सकती है जिन्होंने पापों की क्षमा प्राप्त की है।
जीवन के वृक्ष के सामने जाना हमारे लिए इस पृथ्वी पर रहते हुए प्रभु में विश्वास करना है, हर रोज यह याद रखना है कि हमारे प्रभु ने हमारे पापों को दूर कर दिया है, उसकी स्तुति करना और इस सुसमाचार का प्रचार करना है। हमें जिन्होंने नया जन्म प्राप्त किया है यह भी याद रखना चाहिए कि प्रभु ने हमारे पापों को अपने ऊपर ले लिया, इस सत्य की प्रतिदिन पुष्टि करना है, धन्यवाद के आनंद के साथ उसकी आराधना करनी है, और हमारे प्रभु के सामने जाना है। 
हालाँकि, यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि पूरी दुनिया में मसीहीयों ने इस भाग की गलत व्याख्या की है और गलती से यह विश्वास करते है कि वे पश्चाताप की प्रार्थनाओं के माध्यम से अपने पापों को दैनिक आधार पर धोकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं। लेकिन इस भाग का अर्थ यह नहीं है।
पाप की क्षमा प्राप्त करने के बाद, हमारे दिलों में यह पुष्टि हो सकती है कि हमारे प्रभु ने हमारे द्वारा किए गए सभी पापों को दूर कर दिया है। हमारे सभी पापों की क्षमा की पुष्टि करके, अब हम पाप से बंधे हुए नहीं हैं। यह स्वर्ग में जीवन के वृक्ष के सामने जाने का मार्ग है। 
पवित्रशास्त्र मानव निर्मित विचारों से बिल्कुल भिन्न आयाम पर है। इस प्रकार, सत्य को जानने के लिए, हमें पहले परमेश्वर के नया जन्म प्राप्त किए हुए सेवकों से सत्य सीखना और सुनना चाहिए।
 

वे जो नगर के बहार है

वचन १५ कहता है, “पर कुत्ते, और टोन्हें, और व्यभिचारी, और हत्यारे और मूर्तिपूजक, और हर एक झूठ का चाहनेवाला और गढ़नेवाला बाहर रहेगा। यह वचन अंत समय के उन सभी लोगों को संदर्भित करता है जिनका नया जन्म नहीं हुआ है। यह आश्चर्यजनक है कि हमारे परमेश्वर इन लोगों को इतनी सटीकता के साथ चित्रित करेंगे।
कुत्तों की एक विशेषता यह है कि वे उगल देते है—अर्थात, वे जो कुछ भी खाते हैं उसे उगल देते हैं, उसे फिर से खाते हैं, और बार बार उसे उगलते है, और फिर वही खा लेते हैं जो उन्होंने उगला था। हमारे परमेश्वर यहाँ कहते हैं कि ये "कुत्ते" शहर में प्रवेश करने में सक्षम नहीं होंगे। 
तो फिर ये कुत्ते किसको दर्शाते है? ऐसे लोग हैं जो चिल्लाते हैं, “हे प्रभु, मैं एक पापी हूँ; कृपया मेरे पापों को धो लें," और फिर परमेश्वर की स्तुति गाते हुए कहते हैं, "मुझे क्षमा कर दिया गया है, आपको क्षमा कर दिया गया है, हम सभी को क्षमा कर दिया गया है!" लेकिन अगले ही पल, ये लोग एक बार फिर पुकारते हैं, "हे प्रभु, मैं पापी हूँ; यदि तुम मुझे एक बार और क्षमा कर दोगे, तो मैं फिर कभी पाप नहीं करूँगा।" वे फिर गाते हैं, "कलवरी के लहू ने मुझे क्षमा कर दिया है!" 
ये लोग इतना आगे-पीछे जाते हैं कि किसी भी व्यक्ति को यकीन ही नहीं होता कि उन्हें सच में माफ किया गया था या नहीं। इस तरह के लोगों के अलावा और कोई "कुत्ते" नहीं हैं जिनके बारे में बाइबल बात करती है। कुत्ते रोज भौंकते हैं। वे सुबह भौंकते हैं, दोपहर में भौंकते हैं और भोर में भौंकते हैं। ये लोग ठीक इसी तरह से नहीं भौंकते हैं, लेकिन भले ही उनके पापों को क्षमा कर दिया गया है फिर भी वे चिल्लाते हैं कि वे पापी हैं। वे एक मिनट में धर्मी बन जाते हैं और अगली मिनट पापी बन जाते हैं। 
इस तरह, वे कुत्तों की तरह हैं जो अन्दर पडा है उसे उगल देते है और फिर उसी को खाते है, और फिर उगला हुआ खाने के लिए ही वे फिर से उल्टी कर देते है। संक्षेप में, बाइबल उन मसीहियों का उल्लेख “कुत्तों” के रूप में करती है जिनके अन्दर अभी भी पाप है। ये कुत्ते कभी स्वर्ग में प्रवेश नहीं कर सकते, लेकिन उन्हें शहर के बाहर रहना चाहिए।
अगला, "टोन्हे" कौन हैं? ये वे लोग हैं, जो कलीसिया जाने वालों की भावनाओं का फायदा उठाते है, अपनी मीठी-मीठी बातों से उनका पैसा लूटते हैं, और वे लोगों को उनकी बिमारी ठीक करने के दावो के साथ झूठे चिह्नों और चमत्कारों से लोगों को धोखा देते हैं। क्योंकि वे सब व्यर्थ में परमेश्वर का नाम लेते हैं, वे पवित्र नगर में प्रवेश नहीं कर सकते।
इसके अलावा, व्यभिचारी, हत्यारे, मूर्तिपूजक, और हर एक झूठ का चाहनेवाला और गढ़नेवाला शहर में प्रवेश नहीं कर सकता है। जब अंत का समय आएगा, तो कुत्ते और टोन्हे लोगों को धोखा देंगे, और मसीह विरोधी उठ खडा होगा। मसीह विरोधी जो कई लोगों को झूठे चमत्कारों और चिन्हों से धोखा देता है, उनकी आत्मा को चुराता है, परमेश्वर के विरुद्ध खड़ा होता है, और अपने आप को परमेश्वर से ऊँचा उठाने और खुद की आराधना करवाने का प्रयास करता है वह और उसके सभी अनुयायी कभी भी शहर में प्रवेश करने में सक्षम नहीं होंगे। 
इस प्रकार, यदि हम उन लोगों के धोखे में पड़ जाते हैं जो दावा करते हैं कि हमारे पास अभी भी पाप है, या यदि हम चिन्हों और चमत्कारों के धोखे में पड़ जाते हैं जो हमारी भावनाओं को उत्तेजित करते हैं, तो हम सभी मसीह विरोधी और शैतान के साथ शहर के बाहर समाप्त हो जाएंगे, रोएंगे और अपने दाँत पिसेंगे, ठीक वैसे ही जैसे वचन हमें चेतावनी देता है। 
वचन १६-१७ कहता है, “मुझ यीशु ने अपने स्वर्गदूत को इसलिये भेजा कि तुम्हारे आगे कलीसियाओं के विषय में इन बातों की गवाही दे। मैं दाऊद का मूल और वंश, और भोर का चमकता हुआ तारा हूँ।” आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुननेवाला भी कहे, “आ!” जो प्यासा हो वह आए, और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले।”
क्या आपने अपने पापों की क्षमा स्वतंत्र रूप से प्राप्त की है? पवित्र आत्मा और परमेश्वर की कलीसिया के द्वारा, हमारे प्रभु ने हमें पानी और आत्मा का सुसमाचार दिया है जो हमें जीवन का पानी पीने में सक्षम बनाता है। जो कोई भी परमेश्वर की धार्मिकता के लिए भूखा है, जो सत्य के वचन के लिए प्यासा है, और जो पाप की क्षमा पाने के लिए इच्छा रखता है - ऐसे सभी लोगों के लिए, परमेश्वर ने उन्हें अपनी दया के वस्त्र पहनाने की पेशकश की है और अपने वचन में आमंत्रित किया है, जो उनके उद्धार के जीवन का पानी है। नए स्वर्ग और पृथ्वी जहां जीवन का पानी बहता है वहाँ के निमंत्रण को प्रत्युत्तर देने के लिए पाप की क्षमा प्राप्त करना ही एकमात्र रास्ता है।
 

आमीन, हे प्रभु यीशु आ!

वचन १९ कहता है, “यदि कोई इस भविष्यद्वाणी की पुस्तक की बातों में से कुछ निकाल डाले, तो परमेश्‍वर उस जीवन के वृक्ष और पवित्र नगर में से, जिसका वर्णन इस पुस्तक में है, उसका भाग निकाल देगा।” परमेश्वर के सामने, हम अपने विचारों के आधार पर मन माने ढंग से विश्वास नहीं कर सकते। यदि यह परमेश्वर के वचन में लिखा है, तो हम केवल "हाँ" कह सकते हैं, क्योंकि यदि कोई वचन को "ना" कहता है, तो हमारा प्रभु भी उसे यह कहते हुए दूर कर देगा की, "तुम मेरी संतान नहीं हो।" इसलिए हमें वचन के अनुसार उस पर विश्वास करना चाहिए। हम परमेश्वर के किसी भी वचन में न तो जोड़ सकते हैं और न ही घटा सकते हैं, लेकिन हमें जैसा लिखा है वैसा ही उस पर विश्वास करना चाहिए।
परमेश्वर के सेवकों को थामे रहना और पवित्र आत्मा जो परमेश्वर के कलीसिया के माध्यम से बोलता है उस पर विश्वास करना ही सच्चा विश्वास है। फिर भी बहुत से लोगों ने, क्योंकि उन्होंने पानी औउर आत्मा के सुसमाचार को अपने विश्वास से अलग कर दिया है, उनके हृदय में अभी भी पाप बचा है। यहां तक कि जब वचन बार-बार उन्हें बताता है कि केवल पाप रहित लोग ही परमेश्वर के पवित्र शहर में प्रवेश कर सकते हैं, तब भी वे यीशु के बपतिस्मा को अपने विश्वास से निकाल देते हैं, और इसके बजाय पश्चाताप की प्रार्थना और भौतिक भेंट देने जैसे कार्यों पर अपने आग्रह को जोड़ते हैं।
जो लोग यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में मानते हैं, उन्हें अपने विश्वास के साथ यह स्वीकार करने में सक्षम होना चाहिए कि मनुष्यजाति के सभी पाप यीशु पर उसके बपतिस्मा के माध्यम से पारित किए गए थे जो यीशु ने यर्दन नदी में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से प्राप्त किया था। यदि आप यीशु के बपतिस्मा को छोड़ देते हैं तो आप अनिवार्य रूप से अपने स्वयं के विश्वास को त्याग रहे हैं। दूसरे शब्दों में, यदि आप पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास नहीं करते हैं, तो क्रूस का लहू भी व्यर्थ है, और मसीह का पुनरुत्थान भी आपके लिए अप्रासंगिक है। केवल वे लोग जो यह विश्वास करते हैं कि परमेश्वर ने उनके सभी पापों को स्वतंत्र रूप से दूर कर दिया है, वे यीशु के पुनरुत्थान के लिए प्रासंगिक हैं, और केवल वे ही प्रभु यीशु के आगमन के लिए पुकार सकते है, जैसा कि प्रेरित यूहन्ना वचन २० में करता हैं।
वचन २० कहता है, “जो इन बातों की गवाही देता है वह यह कहता है, “हाँ, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ। आमीन। हे प्रभु यीशु आ।” यह केवल धर्मी जन ही कह सकते हैं। धर्मियों की प्रार्थना के अनुसार हमारा प्रभु जल्द ही इस पृथ्वी पर वापस आएगा। केवल धर्मी लोग, जिन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके पाप की सम्पूर्ण क्षमा प्राप्त की है, आनन्दित होंगे और प्रभु के शीघ्र आने की उत्सुकता से प्रतीक्षा करेंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि जो लोग प्रभु को ग्रहण करने के लिए तैयार हैं, वे केवल वो लोग हैं जो पानी और आत्मा के सुसमाचार के वस्त्र पहिने हुए हैं—अर्थात वे जो निष्पाप हैं।
हमारा प्रभु उस दिन का इंतज़ार कर रहा है जब वह धर्मी लोगों की प्रतीक्षा का जवाब देगा, जिस दिन वह इस धरती पर आएगा। वह हमें अपनी महान आशीष में हजार साल के राज्य के साथ पुरस्कृत करेगा, और हमें, जो धर्मी हैं, नए स्वर्ग और पृथ्वी में प्रवेश करने की अनुमति देगा जहां जीवन का पानी बहता है। हमारे प्रभु की यह प्रतीक्षा इतनी लंबी नहीं है। इस प्रकार, हम केवल इतना ही कह सकते हैं, “आमीन। हे प्रभु यीशु आ!" और, विश्वास और धन्यवाद के साथ, हम उत्सुकता से प्रभु की वापसी की लालसा करते हैं।
अंत में, वचन २१ कहता है, “प्रभु यीशु का अनुग्रह पवित्र लोगों के साथ रहे। आमीन।” प्रेरित यूहन्ना ने प्रकाशितवाक्य की पुस्तक को सभी के लिए आशीषों की अपनी अंतिम प्रार्थना के साथ समाप्त किया। उसने अंत में आशीर्वाद की प्रार्थना की, अपने दिल से यह आशा की कि हर कोई यीशु पर विश्वास करे, उद्धार पाए, और परमेश्वर के नगर में प्रवेश करे। 
मेरे प्यारे संतों, हम परमेश्वर द्वारा बचाए गए हैं, इसका मतलब है कि उसने हमसे प्रेम किया है, हमें हमारे सभी पापों से छुड़ाया है, और हमें अपनी प्रजा बनाया है। इसलिए यह अदभुत और आभारी है कि परमेश्वर ने हमें धर्मी बनाया है ताकि हम उसके राज्य में प्रवेश कर सकें।
बाइबल हमसे जो कुछ कहती है उसका मूल यही है। हमें अपने राज्य में हमेशा के लिए रहने के लिए, परमेश्वर ने आपको और मुझे इस सच्चे सुसमाचार को सुनकर नया जन्म लेने की अनुमति दी है, और उसने हमें हमारे सभी पापों और न्याय से छूटकारा दिया है। मैं अपने प्रभु की उनके उद्धार के लिए स्तुति और धन्यवाद करता हूं।
यह बहुत ही सौभाग्य की बात है कि हमने अपने पापों की क्षमा सुरक्षित रूप से प्राप्त कर ली है। हम सभी ऐसे लोग हैं जिन पर परमेश्वर का बहुत ही अनुग्रह है। और हम उसके भविष्यवक्ता हैं। इस प्रकार, हमें उन सभी आत्माओं को पाप की क्षमा का सुसमाचार फैलाना चाहिए जिन्होंने अभी तक इस सुसमाचार को नहीं सुना है, और उन्हें प्रकाशितवाक्य का वचन यानी सुसमाचार की पूर्णता का प्रचार भी करना चाहिए। 
मैं आशा और प्रार्थना करता हूं कि हर कोई यीशु में विश्वास करेगा, जो सृष्टिकर्ता, उद्धारकर्ता और न्यायाधीश है, और जब अंत का समय आएगा, तो इस तरह प्रभु द्वारा दिए गए नए स्वर्ग और पृथ्वी के पवित्र स्थान में प्रवेश करेंगे। हमारे प्रभु यीशु का अनुग्रह आप सभी पर बनी रहे।