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मिलापवाले तम्बू का अभ्यास

पीतल की हौदी

संबंधित उपदेश

· हौदी के अन्दर प्रगट हुआ विश्वास (निर्गमन ३०:१७-२१)

हौदी के अन्दर प्रगट हुआ विश्वास
(निर्गमन ३०:१७-२१)
“यहोवा ने मूसा से कहा, “धोने के लिये पीतल की एक हौदी, और उसका पाया भी पीतल का बनाना। उसे मिलापवाले तम्बू और वेदी के बीच में रखकर उसमें जल भर देना; और उसमें हारून और उसके पुत्र अपने अपने हाथ पाँव धोया करें। जब जब वे मिलापवाले तम्बू में प्रवेश करें तब तब वे हाथ पाँव जल से धोएँ, नहीं तो मर जाएँगे; और जब जब वे वेदी के पास सेवा टहल करने, अर्थात् यहोवा के लिये हव्य जलाने को आएँ तब तब वे हाथ पाँव धोएँ, न हो कि मर जाएँ। यह हारून और उसके पीढ़ी पीढ़ी के वंश के लिये सदा की विधि ठहरे।”
 
 
मिलापवाले तम्बू के आँगन की हौदी
 
पीतल की हौदी
सामग्री: पीतल से बना, जो हमेशा पानी से भरा हुआ रहता था।
आत्मिक अर्थ: पीतल का मतलब है मनुष्यजाति के सारे पापों का न्याय। मनुष्यजाति के सारे पापों के दोषों को सहने के लिए, यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा जगत के सारे पापों को अपने ऊपर उठाया। इस प्रकार, हौदी का मतलब यह है की हम यह विश्वास करने के द्वारा हमारे पापों को साफ़ कर सकते है की हमारे सारे पाप यीशु के बपतिस्मा के साथ उसके ऊपर चले गए थे। 
मिलापवाले तम्बू में सेवा करनेवाले याजक भी अपनी मौत से बचने के लिए तम्बू में जाने से पहले अपने हाथ और पर हौदी में धोते थे। पीतल सारे पापों को दर्शाता है, और हौदी का पानी यीशु के बपतिस्मा को दर्शाता है जो यीशु ने यूहन्ना से लिया था जिसके द्वारा उसने जगत के सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया था। दूसरे शब्दों में, हौदी हमसे कहती है की यीशु ने उन सारे पापों का स्वीकार किया जो उसके ऊपर डाले गए थे और इन पापों के दोष को सहा। हौदी के पानी का मतलब पुराने नियम में मिलापवाले तम्बू का नीला कपड़ा है और नए नियम में यीशु का बपतिस्मा है जो उसने यूहन्ना से लिया था (मत्ती ३:१५, १ पतरस ३:२१)।
इसलिए यह हौदी यीशु के बपतिस्मा को दर्शाती है, और यह वह जगह है जहाँ हम इस तथ्य में अपने विश्वास की पुष्टि करते है कि यीशु ने हमारे वास्तविक पापों के साथ सारे पापों को उठाया और २००० साल पहले यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के द्वारा एक ही बार में उन सारे पापों को मिटा दिया। 
इस दुनिया में वो लोग धर्मी है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके नया जन्म पाए है। वे वो लोग है जिन्होंने यह विश्वास करते हुए अपने पापों की माफ़ी पाई है की नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े में प्रगट हुए यीशु के कार्य के द्वारा उनके सारे पाप माफ़ हुए है। हालाँकि, क्योंकि जिन धर्मियों ने पापों की माफ़ी पाई है वे भी अपनी देह में अपर्याप्त है, इसलिए वे हरदिन पाप करते है, और ऐसे पापों को वास्तविक पाप कहा जता है। धर्मी जिन्होंने पापों की माफ़ी पाई है वे जिस अपने वास्तविक पाप की समस्या हल करने के लिए जिस स्थान पर आते है वह ओर कोई नहीं लेकिन यश हौदी है। जब भी धर्मी वास्तविक पाप करते है, तब वे मिलापवाले तम्बू के आँगन की हौदी के पास आते है और अपने हाथ और पैर धोते है, और फिर वे इस तथ्य की प्रतीति कर सकते है की परमेश्वर के लिखे हुए वचन के द्वारा यीशु ने उनके वास्तविक पापों को पहले से ही माफ़ किया है।
बाइबल में, कई बार पानी का इस्तेमाल परमेश्वर के वचन का उल्लेख करने के लिए भी किया जाता है, लेकिन पानी का सबसे महत्वपूर्ण अर्थ यीशु का बपतिस्मा है। इफिसियों ५:२६ कहता है “कि उसको वचन के द्वारा जल के स्‍नान से शुद्ध करके पवित्र बनाए,” और यूहन्ना १५:३ कहता है, “तुम तो उस वचन के कारण जो मैं ने तुम से कहा है, शुद्ध हो।” जिन संतो अपने पापों की माफ़ी पाई है उनको हौदी इस बात का प्रमाण प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाती है की प्रभु ने पानी के द्वारा उनके सारे पापों को माफ़ किया है भले ही उनकी देह अपर्याप्त क्यों ना हो। १ पतरस ३:२१ और २२ दर्शाता है, “उसी पानी का दृष्‍टान्त भी, अर्थात् बपतिस्मा, यीशु मसीह के जी उठने के द्वारा, अब तुम्हें बचाता है; इससे शरीर के मैल को दूर करने का अर्थ नहीं है, परन्तु शुद्ध विवेक से परमेश्‍वर के वश में हो जाने का अर्थ है। वह स्वर्ग पर जाकर परमेश्‍वर की दाहिनी ओर बैठ गया; और स्वर्गदूत और अधिकारी और सामर्थी उसके अधीन किए गए हैं।” इन वचनों के पहले, पतरस नूह के दिनों के पानी का आत्मिक मतलब बताता है। हालाँकि नूह ने पापियों को चेतावनी दी थी, दुसरे शब्दों में, पहली दुनिया में पाप के द्वारा जो आत्माए कैद हो गई थी, बाढ़ की वजह से उसकी सारी गंदकी साफ़ हो गई, पानी के द्वारा केवल आँठ लोगो बच पाए थे। उस समय बाढ़ के पानी ने उन सब का नाश कर दिया था जिन्होंने कभी भी परमेश्वर के वचन पर विश्वास नहीं किया था। और अब, पतरस बाढ़ की घटना से यह निष्कर्ष निकालता है कि यीशु का बपतिस्मा इस पानी का प्रतिबिम्ब है। वैसे तो, हौदी वह जगह है जहाँ हम उद्धार पाते है और उसके बाद फिर एक बार और परमेश्वर के सामने हमारे उद्धार की पुष्टि कर सकते है।
जो संतों विश्वास करने के द्वारा बचाए गए है वे हौदी के पानी (यीशु का बपतिस्मा), पीतल (सारे पापों के लिए परमेश्वर का न्याय), और यीशु ने उन्हें उनके पापों से छूटकारा दिया है यह विश्वास करने के द्वारा परमेश्वर के अनुग्रह को पहिन लेते है। भले ही हम कमजोरी और दुर्बलता से भरे हुए हो की हम अपने आप को धर्मी के रूप में पहचान न सके, फिर भी हम निश्चित तौर पर इस बात की पुष्टि कर सकते है की यीशु के बपतिस्मा (पापों को सहना, पानी) और क्रूस पर बहाए उसके लहू (पाप का दोष, पीतल) पर विश्वास करने के द्वारा हम धर्मी है। क्योंकि हम परमेश्वर के वचन पर विश्वास करते है जिसने हमें पहले से ही हमारे सारे पापों से और इन पापों के दोषःसे बचा लिया है, इसलिए हम हमेशा धर्मी बन सकते है जो पापरहित है। 
परमेश्वर का वचन जिस पर हम विश्वास करते है वह हमें कहता है की यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाया, हमारी जगह पापों का दोष सहने के लिए क्रूस पर अपना लहू बहाया, और इस प्रकार हमें हमारे पापों से पूरी तरह बचाया है। परमेश्वर ने मिलापवाले तम्बू के आंगन के हौदी को रखा ताकि हमें हमारे विश्वास की पुष्टि हो की चाहे परिस्थिति कैसी भी क्यों न हो लेकिन फिर भी हम वो है जो अपने पापों से सम्पूर्ण रीति से बच गए है।
 
 
क्या आपने अपने वास्तविक पापों से अनंतकाल के लिए छूटकारा पाया है?
 
आख़री भोज लेते समय, अपने चेलों को फसह की रोटी और दाखरस बाँटने के बाद, यीशु क्रूस पर मरने से पहले पतरस और बाकी चेलों के पैर पानी से धोना चाहता था। क्योंकि यीशु ने पहले ही यूहन्ना के द्वारा बपतिस्मा लेने के द्वारा अपने चेलों के पाप अपने ऊपर ले लिए थे, इसलिए वह उन्हें हौदी के सत्य के बारे में सिखाना चाहता था। यीशु ने उन्हें बताया कि बपतिस्मा लेने के बाद, वह फसह के मेमने के रूप में, एक पेड़ पर लटककर पाप की कीमत (मृत्यु) चुकाएगा। उसी रूप से, यीशु के बारह चेले उस पर विश्वास करने के बाद अयोग्य रहे लेकिन वे फिर कभी पापी नहीं बने। 
इसी तरह, यह तथ्य कि यीशु ने उनके पैर धोए थे इससे उन्हें पुष्टि हुई की सत्य का वचन क्या गवाही देता है – की यीशु ने पहले ही उनके जगत के सारे पापों को साफ़ कर दिया है। इस प्रकार चेलों ने हमेशा दुनिया के लोगों को यह प्रचार किया की यीशु उद्धारकर्ता है और पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार किया जो उसने पहले ही परिपूर्ण कर दिया था (इब्रानियों १०:१-२०)। इस प्रकार हौदी उन धर्मी लोगों को अनुमति देता है जो यीशु के बपतिस्मा की सच्चाई पर विश्वास करके बच गए थे। यह उन्हें उद्धार का विश्वास भी दिलाता है कि स्वयं परमेश्वर ने उन्हें छूडाया है।
 
 
बाइबल में हौदी का नाप नहीं दर्शाया गया है
 
जबकि मिलापवाले तम्बू में बाकी सब चीज़ों का नाप दर्ज है, लेकिन हौदी का नाप नहीं है। यह हमें इस तथ्य के बारे में बताता है कि यीशु जो परमेश्वर का पुत्र है उसने अपने बपतिस्मा से हमारे पापों को अपने ऊपर उठाया है जो असीम रूप से महान है। यह हमें यह भी बताता है कि यीशु का प्रेम जिसने हमें हमारे पाप और दोष से बचाया है वह असीमित है। हौदी परमेश्वर के महान प्रेम को दर्शाती है जो असीम है। इंसान जब तक जिंदा रहता है तब तक पाप करता है। लेकिन यूहन्ना से लिए बपतिस्मा के द्वारा जगत के सारे पापों को अपने ऊपर उठाकर, और क्रूस पर चढ़कर और अपना लहू बहाकर, यीशु ने हमेशा के लिए हमारे सारे पापों की मिटा दिया है।
मिलापवाले तम्बू में सेवा करनेवाली स्त्रियों के पीतल के आइनों को पिघलाकर हौदी बनाई गई थी (निर्गमन ३८:८)। इसका मतलब यह है कि परमेश्वर का वचन पापियों पर उद्धार का प्रकाश चमकाता है और उनके अंधेरे को दूर करता है। हमें इस बात का एहसास होना चाहिए कि परमेश्वर ने हौदी इसलिए बनाई ताकि वह हमारे पापों को धो सके। सत्य के इस वचन ने लोगों के दिलों की गहराई में छिपे पापों पर प्रकाश डाला है, उनके पापों को हमेशा के लिए धो दिया है, और उन्हें पापों की माफ़ी दी है, और इस तरह उन्हें धर्मी में बदल दिया है। दूसरे शब्दों में, हौदी स्पष्ट रूप से सत्य की गवाही देती है की यीशु मसीह ने हम पापियों को परमेश्वर के वचन के द्वारा बचाया है।
 
 
हौदी भी पीतल से बनी हुई थी
 
क्या आप पीतल के महत्त्व को जानते है जिसका इस्तेमाल हौदी बनाने के लिए किया गया था? पीतल पाप के दोष को दर्शाता है जिसका हमें सामना करना था। अधिक स्पष्ट रूप से, यह हमें बताता है कि यीशु ने अपने बपतिस्मा के साथ हमारे सारे पापों को क्रूस तक पहुचाया और हमारी जगह उस पर दोष लगाया गया। यह हम थे जिन्हें वास्तव में हमारे पापों के लिए दोषी ठहराना था, लेकिन हौदी के पानी के द्वारा, हम एक बार और पुष्टि कर सकते है की हमारे सारे पापों को साफ़ कर दिया गया है। जो लोग इस पर विश्वास करते है वे अपने विश्वास के द्वारा न्याय का सामना करने वाले बन गए है, और इसलिए वे अब ओर न्याय का सामना नहीं करेंगे। 
पानी से भरी हौदी हमें बता रही है, “नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के द्वारा, यीशु ने पहले ही आपके पापों को साफ़ कर दिया है और आपको आपके पापों से पूरी रीति से बचाया है। उसने आपको शुध्ध किया है।” दूसरे शब्दों में, हौदी धर्मी लोगों के लिए सकारात्मक प्रमाण है जिन्होंने पाप की माफ़ी पाई है की वे अपने पापों से साफ़ हुए है और बच गए है। 
होमबलि की वेदी का मतलब पाप का न्याय है, जबकि हौदी, मिलापवाले तम्बू के सामग्रियों में नीले कपड़े से सम्बंधित है, और हमें बताती है की नए नियम में यीशु ने अपने बपतिस्मा से हमारे सारे पापों को खुद पर ले लिया था। 
हम पवित्र स्थान में तभी प्रवेश कर सकते है जब हम होमबलि के पास से गुजरकर, और फिर हौदी से गुजरकर मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार को खोलते है। जो लोग मिलकपवाले तम्बू में प्रवेश कर सकते है जहाँ परमेश्वर रहता है वे वाही लोग है जो स्पष्ट रूप से अपने विश्वास के द्वारा होमबलि की वेदी और हौदी से गुजरे है। जिन्होंने मिलापवाले तम्बू के आँगन के बहारी भाग में राखी हुई हौदी के सत्य पर विश्वास करके पाप की माफ़ी पाई है केवल वही पवित्र स्थान में प्रवेश कर सकते है। 
जब कोई अपनी सामर्थ से पवित्र स्थान में प्रवेश करने की कोशिश करता है, तब पवित्र स्थान से आग निकल कर उसे भस्म कर देगी। यहाँ तक कि हारून के बेटों को भी नहीं बक्षा गया था, और वास्तव में उनमें से कुछ लोग उसके परिणाम स्वरुप मर गए (लैव्यव्यवस्था १०:१-२)। जो लोग पाप के प्रति परमेश्वर के धर्मी आचरण और न्याय से अनजान है और जिन्होंने इस सत्य को अनदेखा किया है वे अपने पापों के कारण मारे जाएंगे। जो लोग पाप से उनके अत्यधिक उद्धार में विश्वास करने के बजाय अपने स्वयं के विचारों के मुताबिक़ विश्वास करके परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने की कोशिश करते है, वे निश्चित रूप से अपने पापों के करण आग के न्याय का सामना करेंगे। पाप के अपरिहार्य न्याय के कारण, परिणाम के रूप में नरक उनका इंतजार कर रहा है। 
यीशु ने नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई कपड़े के द्वारा हमारे उद्धार को परिपूर्ण किया ताकि हम पवित्र स्थान में प्रवेश कर सकें। यह इस सत्य पर विश्वास करने के द्वारा है की हम हमारे पाप से सम्पूर्ण रीति से बच गए है। परमेश्वर ने सृष्टि से पहले ही मनुष्यजाति को पाप से बचाने के लिए अपनी योजना निर्धारित की थी, और हमें नीले कपड़े (यीशु का बपतिस्मा), लाल कपड़े (क्रूस पर यीशु की मृत्यु) और बैंजनी कपड़े (परमेश्वर मनुष्य बना) की सच्चाई के द्वारा अपनी योजना बताई। और इस योजना के मुताबिक़, नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े में प्रगट हुई यीशु के कार्यो के द्वारा वास्तव में उसने सारे पापियों को उनके पापों से बचाया।
१ यूहन्ना ५:४ कहता है, “वह विजय जिस से संसार पर जय प्राप्‍त होती है हमारा विश्‍वास है,” और आगे वचन १० में कहा है, “जो परमेश्‍वर के पुत्र पर विश्‍वास करता है वह अपने ही में गवाही रखता है।” उद्धार की यह गवाही क्या है? सत्य का सुसमाचार जिसने हमें पानी, लहू और आत्मा के द्वारा उद्धार दिया है वह परमेश्वर के पुत्र में हमारे विश्वास की गवाही है (१ यूहन्ना ५:६-८)। दूसरे शब्दों में, पानी और आत्मा का सुसमाचार जिस पर हम विश्वास करते है काल वाही प्रमाण है की परमेश्वर ने हमारे पापों को साफ़ किया है और हमें अपनी निज प्रजा बनाया है। हमारे लिए इन सारे पापों से बचने के लिए, पवित्र स्थान में प्रवेश करने के लिए, परमेश्वर के द्वारा दी गई जीवन की रोटी से तृप्त होने के लिए, और उसके अनुग्रह में जीने के लिए इस पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने की जरुरत है। पानी और आत्मा का सुसमाचार जो हमें हमारे पापों से साफ़ करता है उस पर विश्वास करने के द्वारा, अब हमें बचना चाहिए और परमेश्वर की कलीसिया के साथ जुड़ कर हमारे विश्वास का जीवन जीना चाहिए। 
यह पानी और आत्मा के सुसमाचार की सच्चाई की वजह से है की हम उसकी कलीसिया में परमेश्वर के वचन से तृप्त होते है, उसके साथ जुड़े है, और धर्मी जन की तरह जीवन जीते है जिसकी प्रार्थना परमेश्वर सुनता है। जब हम इस सच्चाई पर विश्वास करते है, तब हम धर्मी बन सकते है जिसके पास नीले, बैंजनी और लाल कपड़े का विश्वास है, और जो परमेश्वर की उपस्थिति में उसके अनुग्रह से जीवन जीते है। विश्वास का जीवन जो केवल परमेश्वर के लोगों के द्वारा जीया जा सकता है वह केवल पानी, लहू और आत्मा पर विश्वास करने से आता है। हम यीशु के बपतिस्मा, उसके बहाए लहू और मृत्यु, और यीशु खुद परमेश्वर है यह अपने दिल में विश्वास करने से हम हमारे सारे पापों से बच सकते है। जिस विश्वास ने आपको परमेश्वर की कलीसिया में जीवन जीने के लिए सक्षम बनाया है वह नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े का विश्वास है।
आजकल, कई लोग कहते है, “हमें बस इतना करना है कि केवल यीशु पर विश्वास करो; इन सभी उलझनों से से क्यों परेशान है? बेकार की बातों के साथ अपना समय बर्बाद न करें और जो कुछ भी हमारे विचार में उचित है, उस पर विश्वास करें।” ऐसे लोगों को हम केवल मसीहियत में उपद्रवी के रूप में देख सकते है, लेकिन जो बात बिलकुल स्पष्ट है वह यह है की जो व्यक्ति पाप की माफ़ी पाए बगैरे यीशु पर विश्वास करता है, उसे अनन्त दोष का सामना करना होगा। पानी, लहू और आत्मा के सुसमाचार में पूर्ण विश्वास नहीं करना एक गलत और दोषपूर्ण विश्वास है। वास्तव में यह यीशु पर उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास नहीं करना है।
यदि मैं किसी अजनबी की तरफदारी पाने के लिए, इस अजनबी को आँख बंद करके यह कहता हूँ की, “मैं आप पर विश्वास करता हूँ,” तो क्या यह व्यक्ति मान जाएगा, “इस व्यक्ति को वास्तव में मुझ पर विश्वास करना चाहिए,” और उसके बारे में खुश होना चाहिए? उसके विपरीत, वह मुझसे कहेगा, क्या आप मुझे जानते हो? मुझे नहीं लगता की मैं आपको जानता हूँ।" अगर मैं उससे फिर से कहूँ, "लेकिन मैं फिर भी आप पर विश्वास करता हूँ," और उसे उत्साही नज़र से देखू ताकि उसे बहेतर महसूस हो, तो क्या इसके बारे में खुश होगा? इसकी अधिक संभावना है कि वह केवल मुझे एक खुशामत करनेवाले की दृष्टि से देखेगा, जो केवल उसका दिमाग पढ़ने और उसकी तरफदारी पाने की कोशिश कर रहा है। 
परमेश्वर उन लोगों से प्रसन्न नहीं होते जो आँख बंद करके उस पर विश्वास करते है। जब हम कहते है, “मैं परमेश्वर विश्वास करता हूँ। मैं यीशु पर पापियों के उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करता हूँ," तो हमें यह जानने और विश्वास करने के बाद उस पर विश्वास करना चाहिए कि यीशु ने पापियों के अधर्म को दूर किया है। यदि हम बिना सोचे-समझे या आँख बंद करके विश्वास करते है, जैसे कि हमारा कोई चरित्र नहीं है, तो हम कभी भी नहीं बच सकते। हम केवल तभी बचते है जब हम पहले स्पष्ट रूप से यह विश्वास करते हो की यीशु ने हमारे पापों को कैसे दूर किया है। जब हम कहते है कि हम किसी पर विश्वास करते है, तो हम उस व्यक्ति पर अपना सच्चा विश्वास रखते है क्योंकि हम उसे अच्छी तरह से जानते है और इस व्यक्ति को विश्वसनीय मानते है। किसी ऐसे व्यक्ति पर विश्वास रखना जिसे हम अच्छी तरह से नहीं जानते है, इसका केवल यह मतलब है की हम झूठ बोल रहे है, या हम धोखा देनेवाले मूर्ख है। जैसे, जब हम यीशु पर विश्वास करने का दावा करते है, तो हमें यह जानना चाहिए कि यीशु ने हमारे सारे पाप कैसे दूर किए है। केवल तभी अंतिम क्षण में हमारे परमेश्वर द्वारा हमारा त्याग नहीं होगा और नया जन्म पाए हुए परमेश्वर की संतान के रूप में स्वर्ग में प्रवेश करेंगे।
 
सच्चा विश्वास जो हमें स्वर्ग तक ले जा सकता है वह है नीले, बैंजनी और लाल कपड़े का विश्वास। दूसरे शब्दों में, वास्तविक विश्वास पानी और आत्मा के सुसमाचार का विश्वास है जिसने हमें पानी (यीशु का बपतिस्मा), लहू (यीशु का मृत्यु), और पवित्र आत्मा (यीशु परमेश्वर है) से बचाया है। हमें बस इतना पता होना चाहिए कि हमारे प्रभु का अनुग्रह कितना महान है जिसने हमें बचाया है, और इस पर विश्वास करना है, क्योंकि इस सत्य पर विश्वास करना हमें हमारे उद्धार की ओर लेकर जाएगा। 
किसी व्यक्ति का विश्वास सम्पूर्ण है या नहीं यह इस बात से निर्धारित होता है की वह व्यक्ति सत्य को जानता है की नहीं। आप यीशु पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में केवल तभी विश्वास कर सकते है जब आप अपने दिल से पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है। और यीशु पर हमारे उद्धारकर्ता के रूप में यह विश्वास, जिसने हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा पापों की माफ़ी दी है, यह सच्चा विश्वास है जिसने हमें हमारे सारे पापों से बचाया है। 
 
 

हौदी हमारे उद्धार का वर्णन है जिसने हमारेव पापों को माफ़ किया है

 
हौदी को पानी से भरा हुआ था। इसे पवित्र स्थान के ठीक सामने रखा गया था। हौदी वह जगह है जहाँ हम खुद को याद दिलाते है कि हमने पाप की माफ़ी पाई है, और विश्वास से इसकी प्राप्ति की पुष्टि कर सकते है। यह इस तथ्य की पुष्टि है कि परमेश्वर ने विश्वासियों के सारे पापों को दूर कर दिया है। जिस प्रकार पवित्र स्थान में सेवा करने वाले याजक जब भी गंदे होते है, तब वे अपने हाथ और पैर हौदी में धोते है, ठीक उसी प्रकार जिन्होंने पाप की माफ़ी पाई है जब वे पाप करते है तब वे फिर से परमेश्वर के वचन से यह पुष्टि करके की यीशु ने उनके पापों को मिटा दिया है और दोष उठाकर उन पापों का प्रायश्चित किया है, वे भी अपने पापों को साफ़ कर सकते है।
हम अपवित्र हो जाते है क्योंकि हम इस दुनिया में रहते हुए निरंतर पाप करते है। तो फिर यह सारे पाप जो हमें अपवित्र करते है उन्हें साफ़ करने के लिए क्या करना चाहिए? हमें यह विश्वास करने के द्वारा उन्हें साफ़ करना चाहिए की यीशु मसीह, राजाओं का रजा, २,००० साल पहले मनुष्य देह में पापियों को बचाने के लिए इस पृथ्वी पर आया, अपने बपतिस्मा के द्वारा उनके पापों को अपने ऊपर उठाया, क्रूस पर अपना लहू बहाया, और इस प्रकार पापियों को उनके सारे पापों से माफ़ किया। दुसरे शब्दों में, हम केवल तभी पाप की माफ़ी प्राप्त कर सकते है और अपने वास्तविक पापों को भी साफ़ कर सकते है जब हम इस सत्य पर विश्वास करते है की परमेश्वर ने पहले ही नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े से हमारे सारे पापों को साफ़ किया है।
 
 
हमारे पास ऐसा विश्वास होना चाहिए जो हौदी के सत्य को जनता हो और उस पर विश्वास करता हो
 
हौदी पर विश्वास किए बिना, हम कभी भी पवित्र स्थान में प्रवेश नहीं कर सकते है जहाँ परमेश्वर रहते है। हमारे कर्म हमेशा सही नहीं हो सकते। क्योंकि हमारे पास कमियाँ है, हम कई बार पाप करते है। लेकिन परमेश्वर ने हमें जो उद्धार दिया है, वह पूरी तरह से सम्पूर्ण है, क्योंकि परमेश्वर का वचन सम्पूर्ण है। क्योंकि परमेश्‍वर ने अपने सम्पूर्ण उद्धार के साथ हमारी कमियों को साफ़ किया है, इसलिए हम विश्वास से पवित्र स्थान में प्रवेश कर सकते है। जो लोग हौदी से होकर नहीं गुजरते है वे कभी भी पवित्र स्थान में प्रवेश नहीं कर सकते है। हमें इस सच्चाई पर विश्वास करने के द्वारा पवित्र स्थान में प्रवेश करने के योग्य बनाया गया है कि यीशु २,००० साल पहले इस पृथ्वी पर आए और नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े के द्वारा जो भविष्यवाणी की गई थी उस पानी और आत्मा के सुसमाचार से जगत के सारे पापों को मिटा दिया। यह विश्वास किए बिना कि प्रभु ने हमारे सारे पापों को पहले ही दूर कर दिया है और हमें पापरहित बना दिया है, हम पवित्र स्थान में प्रवेश नहीं कर सकते। 
जैसा कि हम नीले, बैंजनी और लाल कपड़े पर विश्वास किए बिना परमेश्वर के पवित्र स्थान में प्रवेश नहीं कर सकते है, वैसे ही यदि हम पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास नहीं करते है तो हम उसकी कलीसिया में उसके वचन पर विश्वास करने के द्वारा परमेश्वर के सिंहासन के पास जाने की आशीष, उससे प्रार्थना करने और उसका अनुग्रह पाने की आशीष, और उसके सेवक और संतो के साथ रहने की आशीष नहीं पा सकते है। हम केवल तभी अपने साथी विश्वासियों के साथ परमेश्वर की कलीसिया में अपने जीवन को जी सकते है, उसके वचन को सुन और विश्वास कर सकते है और उसे प्रार्थना कर सकते है जब हम विश्वास करे की परमेश्वर ने पहले ही हमें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े से हमें बचाया है। 
हौदी पाप से हमारे उद्धार की अंतिम पुष्टि है। परमेश्‍वर ने पाप की माफ़ी के सुसमाचार पर विश्वास करनेवाले लोगों को विश्वास की पुष्टि कराने के लिए पवित्र स्थान के ठीक सामने हौदी को रखा और उसे पानी से भरा। यह हौदी विश्वास करने वाले धर्मी के अपवित्र विवेक को साफ करती है।
आइए १ यूहन्ना २:१-२ पढ़े, “हे मेरे बालको, मैं ये बातें तुम्हें इसलिये लिखता हूँ कि तुम पाप न करो; और यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात् धर्मी यीशु मसीह; और वही हमारे पापों का प्रायश्‍चित है, और केवल हमारे ही नहीं वरन् सारे जगत के पापों का भी।” आमीन।
यदि हम पाप करते है, तो हमारे पास पिता के साथ एक वकील है, यीशु मसीह जो धर्मी है। यीशु ने पानी से धर्मी लोगों के अपवित्र दिलों को धो साफ़ किया है। उसे क्रूस पर लटकाया उस दिन के पहले, आख़री भिज के दौरान यीशु ने अपने सारे चेलों को इकठ्ठा किया, एक पात्र में पानी लिया, और उनके पैर धोना शुरू किया। “जब मुझे बपतिस्मा दिया गया था, तब मैंने आपके सारे पापों को सहा था, यहाँ तक कि उन पापों को भी जो आप भविष्य में करेंगे, और आपकी जगह क्रूस पर मैंने दोष उठाया। मैंने आपके भविष्य के पापों को भी खुद पर ले लिया, और मैंने उन्हें दूर किया। मैं आपका उद्धारकर्ता बन गया हूँ।” 
यह बताना था कि यीशु ने फसह के अंतिम भोज के दौरान शिष्यों के पैर धोए थे। पतरस ने यीशु से अपने पैर धोए जाने से इनकार कर दिया, उसने कहा, “जो मैं करता हूँ, तू उसे अभी नहीं जानता, परन्तु इसके बाद समझेगा” (यूहन्ना १३:७)। यीशु उन लोगों का सम्पूर्ण उद्धारकर्ता बनना चाहता था जो वास्तव में पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करते है। जो लोग नीले, बैंजनी और लाल कपड़े पर विश्वास करते है, यीशु उनका अनन्त उद्धारकरता बन गया है।
 
 
हौदी का उपयोग
हौदी का उपयोगजब याजक मिलापवाले तम्बू में परमेश्वर को अर्पण चढ़ाने का कार्य करते थे तब हौदी उनकी सारी गंदकी साफ़ करने के लिए इस्तेमाल की जाति थी। यह ज़रूरी था की बलिदान के अर्पण को चढ़ाने से, लहू बनाने से, और इस्राएल के लोगों के पापों के प्रायश्चित के लिए उसके टुकड़ें करके परमेश्वर को अर्पण चढ़ाने से जो मैल जमा होता था उसे साफ़ करना जरुरी था। जब अर्पण चढाते समय याजक गंदे होते थे तब उन्हें पानी से साफ़ होना पड़ता था, और हौदी वह जगह थी जहाँ यह सारी गंदकी साफ़ होती थी।
जब भी हम पाप करते है, चाहे आत्मिक रूप से या शारीरिक रूप से, और जब भी हम परमेश्वर की आज्ञाओं को तोड़कर अपवित्र हो जाते है, तब हमें इस हौदी के पानी से अपनी सारी गंदगी को धोना चाहिए। याजक, जब भी किसी अशुद्ध या गन्दी चीज को छूते थे, तब यदि वे चाहे या ना चाहे लेकिन उन्हें अपने शरीर के गंदे हिस्सों को पानी से धोना पड़ता था। 
इस तरह, जब भी परमेश्वर पर विश्वास करने वाले सारे लोग किसी गंदे या अशुद्ध के संपर्क में आते है, तब हौदी के पानी का उपयोग ऐसी सभी गंदगी को दूर करने के लिए किया जाता है। संक्षेप में, हौदी का पानी नया जन्म पाए हुए लोगों की गंदकी साफ़ करने के लिए दिया गया था। उसी रूप से, हौदी में परमेश्वर का अनुग्रह था। हौदी का मतलब एक वैकल्पिक वस्तु नहीं है जिसे हम विश्वास करने के लिए चुने या न चुने, लेकिन यीशु पर विश्वास करने वालों के लिए यह आवश्यक महत्वपूर्ण वस्तु है।
परमेश्वर ने तम्बू में अन्य सभी वस्तुओं के नाप को निर्धारित किया है, स्पष्ट रूप से वे ऊंचाई, लम्बाई और चौड़ाई में कितने हाथ होने चाहिए। लेकिन उसने हौदी के नाप का उल्लेख नहीं किया है। यह केवल हौदी की विशेषता है। यह उस असीम प्रेम को प्रगट करता है जो मसीहा ने हम पर किया है, जो हर रोज वास्तविक पाप करते है। मसीहा के इस प्रेम में उसका बपतिस्मा पाया गया, हाथों को रखने का तरिका जो हमारे सारे पापों को साफ़ करता है। जब याजक अपने कार्य करते समय गंदे होते थे तब बहुत ज्यादा पानी का इस्तेमाल होता था, इसलिए हौदी को हर समय पानी से भरा हुआ रखना पड़ता था। इसलिए हौदी का आकार जरुरत पर निर्भर करता था। क्योंकि हौदी पीतल से बनी हुई थी, इसलिए जब भी याजक इसके पानी से खुद को साफ़ करता था तब वे पाप के न्याय के बारे में सोचते थे।
जो याजक मिलापवाले तम्बू में सेवा करते थे उन्हें अपने हाथों और पैरों की गंदकी को हौदी के पानी से साफ़ करना पड़ता था। यदि पीतल परमेश्वर के न्याय को प्रगट करता है, तो पानी पाप को साफ़ करने को दर्शाता है। इब्रानियों १०:२२ कहता है, “हमारी देह को शुध्ध जल से धोए,” और तीतुस ३:५ कहता है, “नए जन्म के साथ और पवित्र आत्मा के हमें नए बनाने के द्वारा।” इस भाग की तरह, नए नियम के वचन भी हमें बपतिस्मा के पानी से गंदकी साफ़ करने के बारे में बताते है।
यदि याजक अपने जीवन की सारी गंदकी हौदी के पानी से साफ करे तो, हम आज को दें के नया जन्म पाए हुए मसीही भी हमारे जीवन में किए सारे वास्तविक पापों को यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करने के द्वारा धो सकते है। पुराने नियम की हौदी का पानी हमें दिखाता है कि मसीहा इस पृथ्वी पर आया और उसने यूहन्ना से लिए बपतिस्मा के द्वारा जगत के सारे पापों को साफ़ किया।
बाइबल के द्वारा, परमेश्वर हमें बताता है की न केवल इस्राएल के लोगों द्वारा किए गए पाप लेकिन पूरी मनुष्यजाति के किए सारे पाप यीशु पर डाले गए जब उसने यूहन्ना से बपतिस्मा लिया। जब यीशु को यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा दिया गया, तब उसने मत्ती ३:१५ में कहा, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।” मनुष्यजाति के प्रतिनिधि यूहन्ना से हाथों को रखवाने की रीति से बपतिस्मा लेने के बाद, यीशु ने सारी मनुष्यजाति के सारे पापों को अपनी देह पर उठाया।
इसलिए, इस तथ्य पर विश्वास करके कि अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पाप यीशु मसीहा पर डाले गए थे, हम भी अपने हृदय में जो गंदकी है उससे साफ़ हो सकते है। क्योंकि हमने इस सत्य पर विश्वास करके पहले ही अपने सारे पापों को यीशु पर डाला है, अब हमें केवल इस बात पर विश्वास करना है की परमेश्वर का पुत्र जगत के पापों को क्रूस तक लेकर गया, उसे क्रूस पर चढ़ाया और उसने अपना लहू बहाया, मनुष्यजाति के लिए सम्पूर्ण बलिदान का अर्पण बना, और इस रीति से हमें हमारे पापों से छुडाया है। क्या आप अपने हृदय में इस बात पर विश्वास करते ही? जो लोग वास्तव में विश्वास करते है कि मसीहा हमारा बलिदान का अर्पण बना वे अनंतकाल के लिए बच गए है।
 
 

यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करने से वास्तविक पापों की समस्या को भी हल किया जा सकता है

 
क्या बाइबल बताती है कि हम अपने सारे वास्तविक पापों को कैसे धो सकते है? जैसा कि पुराने नियम में याजक हौदी के पानी से अपने मैल को साफ़ करते थे, वैसे ही नए नियम में हम यह विश्वास करने से अपने सारे वास्तविक पापों की माफ़ी पा सकते है की यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर जगत के सारे पापों को अपने ऊपर उठाकर परमेश्वर की धार्मिकता को पूरा किया है। अंत में, सच्चाई पर विश्वास करने से सारे पाप धुल जाते है।
जब इस्राएल के लोगों ने परमेश्वर को पाप अर्पण चढ़ाया, तब वे एक निर्दोष बलि के पशु को मिलापवाले तम्बू के पास लेकर आए जैसे भेड़ या बकरी, अपनें पापों का अंगीकार किया और बलिदान के सिर पर हाथ रखने के द्वारा सारे पाप उसके ऊपर डाल दिए, और इस बलिदान के अर्पण को मार दिया जिसने उनके पापों को स्वीकार किया था। फिर वे उसका गला काटते थे और उसका लहू निकाल थे, और उस लहू को होमबलि की वेदी के सींगो पर छिड़कते थे और बचे हुए लहू को भूमि पर बहाते थे (लैव्यव्यवस्था ४)। यहाँ तक की प्रायाषित के दिन बलिदान अर्पण करने से उनके साल भर के सारे पाप मिटा दिए जाते थे (लैव्यव्यवस्था १६)। अंत में, हम पुराने नियम के पापबलि की रीति से समान विधि से अपने पाप की माफ़ी प्राप्त करते है - अर्थात्, मसीहा के बपतिस्मा पर विश्वास करके जो हमारे पापों को दूर करने के लिए आया था और क्रूस के लहू पर विश्वास करके।
पुराने नियम में हाथो को रखने का तरीका नए नियम में यीशु ने जो बपतिस्मा लिया था उसके समान ही था। हमारे मसीहा ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर और क्रूस पर चढ़कर हमारे सारे पापों को दूर किया। जब यह मसीहा के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके बहाए लहू का कार्य हो जिसके द्वारा परमेश्वर ने हमारे सारे पापों से हमें सम्पूर्ण तरीके से बचाया है, तो फिर हमारे पापों से माफ़ी पाने के लिए अब ओर क्या हो सकता है? हमें जो याद रखना चाहिए और विश्वास करना चाहिए वह यह है कि जब हम अपनी कमजोरियों की वजह से हमारे जीवन में रोजाना पाप करते है, तो इन सभी पापों को भी यीशु मसीह ने धोया है जो पानी और लहू से आया था। भले ही हम परमेश्वर पर विश्वास करते है, लेकिन अपनी कमियों के कारण, हम अभी भी अपनी कमजोरियों और अपराधों में फसते है। लेकिन हमारा परमेश्वर, जो यह सब जानता है, उसने मसीहा को इस पृथ्वी पर भेजकर, अपने बपतिस्मा से मनुष्यजाति के पापों को अपने ऊपर उठवाकर, और खुद का बलिदान देकर हमें बचाया है। 
मिलापवाले तम्बू के आँगन में होमबलि की वेदी और हौदी रखने के द्वारा, परमेश्वर ने हमें पवित्र स्थान यानी की परमेश्वर के घर में प्रवेश करने से पहले अपने दैनिक पापों को धोने की अनुमति दी है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें पश्चाताप की दैनिक प्रार्थना के द्वारा हमारे पापों को साफ़ करना चाहिए। इसके विपरीत, यह मसीहा के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके लहू पर हमारा विश्वास है जो हमारे सारे पापों को दूर करता है। परमेश्‍वर ने निर्धारित किया है कि जब धर्मी लोग गलतियाँ करते है और यीशु पर विश्वास करने के बाद भी पाप और अधर्म करते है, तब उन्हें मसीहा के बपतिस्मा जो हौदी का प्रभु है उस पर विश्वास करने के द्वारा उन्हें ऐसे सारे पापों को साफ़ करना चाहिए।
बहुत से लोग यीशु के पापों को सहने और सारे पापों का दोष उठाने के के बारे में झुके हुए है और उन्हें एक ही गठरी में बांधते है। लेकिन क्योंकि हम अपनी कमजोरियों के कारण दैनिक तौर पर वास्तविक पाप करते है, इसलिए पाप का धोया जाना और पाप का न्याय दोनों अलग अलग बात है। यूहन्ना के द्वारा यीशु ने लिया बपतिस्मा और क्रूस पर उसकी मृत्यु हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाने के लिए था, ऐसे पापों के दोष के लिए था, और हमें सम्पूर्ण रीति से बचाने के लिए था। इस विश्वास में, हम इस प्रकार एक ही बार में अपने पापों का न्याय प्राप्त कर सकते है। उसी रूप से, रोज़ाना किए गए हमारे वास्तविक पापों की समस्या को मसीहा के बपतिस्मा पर विश्वास करके हल किया जाना चाहिए। यह इन दो घटकों को यानी की बपतिस्मा और क्रूस को एक साथ जोड़ने के द्वारा सम्पूर्ण उद्धार परिपूर्ण होता है। यह पाप की पूर्ण माफ़ी की सच्चाई है। जहाँ तक हमारे पापों की समस्या के समाधान की बात है, हमें यीशु के बपतिस्मा और क्रूस को एक दुसरे से अलग करके सोचना चाहिए।
जब याजकों ने मिलापवाले तम्बू के अन्दर बलिदान के पशु को मारा, तब वे गंदकी और लहू के छींटे से मैले हो गए। हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि वे कितने गंदे हुए थे। याजकों को इस सारी गंदगी को धोना पड़ा, लेकिन यदि मिलापवाले तम्बू के आँगन की हौदी में पानी नहीं होता, तो वे ऐसा कभी नहीं कर पाते। कोई फर्क नहीं पड़ता की यह महायाजक है या साधारण व्यक्ति जिसके वार्षिक पाप माफ़ किए गए है, हौदी के पानी से अपनी गंदकी धोए बिना, ये लोग अभी भी गंदकी के साथ जीवन जीते। 
भले ही महायाजक के ऊपर सब प्रकार की गंदकी थी, लेकिन मिलापवाले तम्बू के आँगन में हौदी थी इसलिए वह हमेशा साफ़ हो सकता था। यहाँ तक कि अगर याजक ने वार्षिक पापों से पूरी तरह माफ़ी पाई हो, फिर भी इस प्रकार वे दैनिक पापों को साफ़ करते थे जिससे वह व्यक्ति साफ़ होता था। परमेश्वर ने निर्धारित किया था की जो याजक उसे अर्पण चढ़ाता था उसे हौदी में अपनी गंदकी को धोना पड़ता था। तब हम महसूस कर सकते है कि परमेश्वर ने मिलापवाले तम्बू के आँगन के अन्दर हौदी को क्यों रखा। हम यह भी जान सकते है कि क्यों इस हौदी को होमबलि की वेदी और पवित्र स्थान के बिच में रखा गया था।
 
 
हमें हौदी की जरुरत क्यों है?
 
हौदी की सच्चाई यूहन्ना १३ में दर्शाई गई है। फसह के दौरान, अपने चेलों के साथ अंतिम भोजन करने के बाद, यीशु ने उनके पैर धोना शुरू किया, और अब पतरस की बारी आई। जब यीशु ने उसके पैर धोने की कोशिश की, तब उसने पतरस को अपने पैर बाहर रखने को कहा ताकि वह उन्हें धो सके। हालाँकि, पतरस ने यह कहते हुए मना कर दिया, “मुझे तुम्हारे पैर धोने चाहिए; प्रभु, तू मेरे पैर कैसे धो सकता है?”
पीटर ने इनकार कर दिया क्योंकि उसने सोचा कि यह एक गुरु के लिए उचित नहीं है की वह अपने चेलों के पैर धोए। “मैं अपने को मेरे पैर धोने के बारे में कैसे कह सकता हूँ? मैं नहीं कह सकता।”
पतरस ने यीशु की सेवा को इनकार करना ज़ारी रखा। फिर यीशु पतरस से यहाँ जो कहा वह गहरी बात है।
“जो मैं करता हूँ, तू उसे अभी नहीं जानता, परन्तु इसके बाद समझेगा” (यूहन्ना १३:७)। यीशु के कहने का मतलब यह था: “तुम अभी नहीं समझोगे की मुझे तुम्हारे पैर क्यों धोने है। लेकिन यह निश्चित रूप से तुम्हारे वास्तविक पापों की समस्या को हल करने की कुंजी होगी। तुम अब से कई वास्तविक पाप करोगे, लें मैंने तुम्हारे भविष्य के वास्तविक पापों को भी मेरे ऊपर ले लिया है, और इन पापों के कारण, अब मुझे क्रूस पर अपना लहू बहाना होगा। इसलिए आपको पता होना चाहिए और विश्वास करना चाहिए कि मैं मसीहा हूँ जिसने आपके भविष्य के वास्तविक पापों को दूर किया है।”
पतरस के दिमाग में, यह एक अनैतिक बात थी की मसीहा उसके पैरों को धोए, और इसी लिए उसने धोने से मना कर दिया। लेकिन यीशु ने पतरस से कहा, “तू इसके बाद समझेगा,” और उसके पैर धोए।
“जब मैं तुम्हारे पैर धोता हूँ केवल तभी तुम मेरे साथ रिश्ता रख सकते हो। तुम अभी यह नहीं समझोगे की मैं क्यों तुम्हारे पैर धो रहा हूँ। लेकिन जब मैं क्रूस पर चढ़ाया जाउंगा और स्वर्ग के राज्य में उठा लिया जाऊँगा, तब तुम जानोगे की क्यों मैंने तुम्हारे पैर धोए। क्योंकि मैं तुम्हारा मसीहा हूँ, मैंने पहले से ही अपने बपतिस्मा के द्वारा आपके भविष्य के पापों को भी अपने ऊपर उठा लिया है, और आपके पापों के लिए बलिदान का अर्पण बनकर, मैं आपका उद्धारकर्ता बना हूँ।"
जैसा कि हमारे प्रभु ने कहा, पतरस को उस समय इसकी कोई समझ नहीं थी, लेकिन प्रभु के पुनरुत्थान के बाद, उसे इसका एहसास हुआ। सचमुच, यही वह घटना थी जिसने उसके वास्तविक पापों को भी मिटा दिया।
"क्योंकि मैं दुनिया में वास्तविक पाप करता हूँ, इसलिए प्रभु ने मेरे पैर धोए ताकि मैं विश्वास करू की यीशु मसीहा ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर भविष्य के इन वास्तविक पापों को भी अपने ऊपर उठाया! यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा इन सारे पापों को अपने ऊपर उठाया, जगत के पापों को क्रूस तक लेकर गए, और क्रूस पर चढ़ने के द्वारा सारे पापों का दोष सहा! और मृत्यु से जीवित होकर, उसने सच में हमें हमारे सारे पापों से बचाया है!”
केवल बाद के समय में, जब उसने तीन बार प्रभु का इनकार किया, तब पतरस को यह समझ में आया और उसने विश्वास किया। इसी लिए उसने १ पतरस ३:२१ में कहा है, “उसी पानी का दृष्‍टान्त भी, अर्थात् बपतिस्मा, यीशु मसीह के जी उठने के द्वारा, अब तुम्हें बचाता है; इससे शरीर के मैल को दूर करने का अर्थ नहीं है, परन्तु शुद्ध विवेक से परमेश्‍वर के वश में हो जाने का अर्थ है।” यहाँ, “दृष्टान्त” शब्द का मतलब है, “वह जिसे पहले के चिह्न या प्रकार के द्वारा भविष्यवाणी या पहिचाना गया हो, जैसे की नए नियम का चिह्न जिसका प्रतिरूप पुराने नियम है।” इसलिए पहले का भाग स्पष्ट रूप से दर्शाता है की यीशु मसीह का बपतिस्मा पुराने नियम में “पानी” का दृष्टान्त है।
पुराने नियम में, जब प्रायश्चित के दिन वार्षिक पापों की माफ़ी पाने के लिए परमेश्वर को पापअर्पण चढ़ाया जाता था, जहाँ महायाजक इस्राएल के लोगों का प्रतिनिधि था, उसे बलिदान के अर्पण पर अपने हाथ रखने पड़ते थे और अंगीकार करना पड़ता था ताकि इस्राएल के पाप जो उन्होंने किए थे उसे अर्पण पर दल सके। हाथ रखने की यह विधि यीशु के बपतिस्मा के जैसी ही थी। पुराने नियम में, बलिदान के पशु को लहू बहने के द्वारा मरना पड़ता था क्योंकि उसने अपने ऊपर डाले इस्राएल के सारे पापों का स्वीकार किया था। उसका गला काटा गया, और उसने जल्द ही अपना सारा खून बहा दिया। फिर याजकों ने उसके चमड़े को उतरा, इसे टुकड़ों में काट दिया, और इसके मांस को आग से जलाने के द्वारा परमेश्वर को चढ़ाया।
मसीहा, जो पुराने नियम के बलिदान का वास्तविक तत्व है, इस पृथ्वी पर आया, हाथ रखने के द्वारा हमारे पापों का स्वीकार किया, क्रूस पर अपना लहू बहाया, और हमारी जगह वह मर गया। आज, आपने और मैंने यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसकी मृत्यु के द्वारा पापों की माफ़ी पाई है। और यह विश्वास करते हुए हमें अपने दैनिक जीवन में किए गए अपने वास्तविक पापों को भी धोना चाहिए की हमारे प्रभु ने जो बपतिस्मा लिया था और क्रूस पर जो लहू बहाया था उससे हमारे वास्तविक पाप भी साफ़ हो गए है। हमें इस सच्चाई को जानना चाहिए और इस पर विश्वास करना चाहिए। हम अपने सारे वास्तविक पापों से केवल तभी छुटकारा पा सकते है जब हम विश्वास करते है की यीशु ने हमारे सारे पाप अपने ऊपर ले लिए है और अपने बपतिस्मा से उन्हें साफ़ किए है। दुसरे शब्दों में, जब भी हम वास्तविक पाप करते है तब हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार पर हमारे विश्वास की पुष्टि करनी चाहिए। और इस सत्य पर करते करते हुए कि यह वास्तविक पाप भी यीशु के बपतिस्मा और क्रूस द्वारा पहले ही मिटा दिए गए है, तो हम अपने उद्धार को कभी खो नहीं सकते, और जब भी हमारे हृदय में दोष की भावना आती है तब हम इसे पुन:स्थापित कर सकते है।
क्योंकि यीशु ने पहले से ही धर्मी लोगों के द्वारा किए गए दैनिक पापों को भी दूर कर दिया है, जिन्होंने अपने रोजमर्रा के जीवन में पाप की माफ़ी को प्राप्त किया है, इसलिए परमेश्वर ने उन्हें हौदी दी ताकि यह धर्मी लोग, जिसके पाप की माफ़ी पानी, लहू और आत्मा से हुई थी, वे पानी और आत्मा के सुसमाचार पर अपने विश्वास के द्वारा अपने वास्तविक पापों को साफ़ कर सके। 
यही कारण है कि परमेश्वर ने मिलापवाले तम्बू में कार्य कराती स्त्रियों के आइनों को इकठ्ठा करके उसे पिघलाकर हौदी बनाई, क्योंकि यह आईने हमारी प्रतिमा दिखाते है। जब भी हम वास्तविक पाप करते है और अपनी कमजोरियों के कारण निराशा में पड़ जाते है, तब हमें हौदी के पास जाना चाहिए और अपने हाथ-पैर धोने चाहिए। हौदी की भूमिका हमें यह याद दिलाने के लिए है कि यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर सारी मनुष्यजाति के पापों को एक ही बार में अपने ऊपर उठा लिया है। यह सच्चाई उन धर्मी लोगों को सिखानी थी जिन्होंने पाप की माफ़ी पाई है की हमारे प्रभु ने इन स्त्रियों के आइनों को पिघलावाकर इस्राएलियों से हौदी बनवाई, उसे पानी से भरवाया, और याजकों को अनुमति दी की वे अपनी सारी गंदकी को दूर करने के लिए इस पानी से अपने हाथ और पैर धोए।
हम विश्वास करते है कि यीशु परमेश्वर का पुत्र, सृष्टिकर्ता और मनुष्यजाति का उद्धारकर्ता है। और हमें यह याद रखना चाहिए कि मसीहा मनुष्य की देह में इस पृथ्वी पर आया और उसने यूहन्ना से लिए बपतिस्मा के द्वारा जो पाप उसके ऊपर डाले गए थे उनका स्वीकार किया - अर्थात्, जब भी हम इस दुनिया में वास्तविक पाप करते है, हमारी कमज़ोरी के कारण गिर जाते है या हमारी कमज़ोरी प्रगट हो जाति है, तब हमें यह याद रखना चाहिए की मसीहा देह में आया था, उसने बपतिस्मा लिया और क्रूस पर चढ़ा, और इस तरह हमारे सारे पापों को पहले ही मिटा दिया है। 
यदि हम इसे याद नहीं रखते है और इस पर विश्वास नहीं करते है, फिर भले ही हमने पाप की माफ़ी पाई हो, लेकिन फिर भी हम अपने वास्तविक पाप से बांध जाएंगे और अपने पुराने पापी जीवन में लौट जाएंगे। इस तरह, हमें हर रोज यह विश्वास करना चाहिए कि हमारी कमजोरियों और कमियों के कारण हमने जो पाप किए थे वे यीशु के बपतिस्मा के द्वारा पहले से ही उसके ऊपर चले गए है। हर दिन, हमें याद रखना चाहिए, फिर से विश्वास करना चाहिए, और पुष्टि करनी चाहिए कि मसीहा ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर हमारे सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया है और उन सब को धोया है।
इस पृथ्वी पर ऐसा कोई नहीं है जो यीशु पर विश्वास करके लेकिन उसने यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर जगत के सारे पापों को सहा और क्रूस पर अपना लहू बहाया इस बात पर विश्वास किए बिना पापों की माफ़ी पाए। और भले ही लोगों को पाप की माफ़ी मिली हो, लेकिन ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जो वास्तविक पाप ना करता हो। उसी रूप से, यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास किए बिना, हर कोई पापी होगा, और परमेश्वर की इच्छा किसी के लिए भी पूरी नहीं होगी। इसी लिए परमेश्वर ने हमें अपना पुत्र दिया है, उसे यूहन्ना से बपतिस्मा दिलवाया, और क्रूस पर लहू बहाने के लिए दे दिया।
यदि हम यीशु मसीह पर हमारे उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करते है, तो हमें यह विश्वास करना चाहिए कि यूहन्ना से लिए उसके बपतिस्मा से हमारे सारे पाप उसके ऊपर डाल दिए गए है, और उसने जगत के सारे पापों को क्रूस तक लेजा कर हमारे सारे दोषों को सहा, क्रूस पर चढ़ा, और अपना लहू बहाया। हम यीशु के बपतिस्मा और उसके लहू पर विश्वास करके पाप की माफ़ी पाते है। इस सत्य पर विश्वास करके हमारे सारे पाप मिटा दिए गए है। हमने अपने हृदय से परमेश्वर के प्रेम पर विश्वास करके धार्मिकता को पाया है। अब हमारे हृदय पापरहित, स्वच्छ और निष्कलंक है। लेकिन हमारे शरीर में अभी भी कमियां है। इसी लिए हमें हर रोज यीशु के बपतिस्मा को याद करना चाहिए और खुद को हमेशा इस विश्वास की याद दिलानी चाहिए। जब भी हमारी कमियाँ और कमजोरियाँ प्रगट होती है, जब भी बुरे विचार उठते है और हम अपवित्र हो जाते है, और जब भी हमारे कार्य भटक जाते है, तब हमारा प्रभु केवल तभी प्रसन्न होता है जब हम याद करते है की यीशु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर यह सारे पापों को ले लिया है और इस सत्य पर विश्वास करके हम अपने हृदय को एक ओर बार साफ़ कर सकते है।
जब भी हम पाप करते है तब हमें सबसे पहले परमेश्वर के सामने अपने पापों का अंगीकार करना चाहिए। हमें फिर एक बार विश्वास करना चाहिए कि ये सारे पाप यीशु के बपतिस्मा के द्वारा पहले से ही उसके ऊपर डाल दिए गए है। हम जो यीशु के बपतिस्मा के कार्य से शुध्ध हो चुके है, उन्हें इस कार्य पर विश्वास करके अपने वास्तविक पापों को हर रोज साफ़ करना चाहिए। इसी लिए हमें पूरी तरह से याद रखना चाहिए और इस तथ्य पर विश्वास करना चाहिए कि हम यीशु मसीह के बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पापों को साफ़ कर सकते है।
हमने अब समझा है की क्यों परमेश्वर ने हौदी को होमबलि की वेदी और मिलापवाले तम्बू के बिच में रखा। परमेश्वर ने हौदी को होमबलि की वेदी और मिलापवाले तम्बू के बिच में रखा ताकि जब हम उसके सामने जाएँ, तब हम शुध्ध शरीर और हृदय के साथ जाए। हमने, जिन्होंने यीशु के बपतिस्मा और क्रूस के द्वारा पाप की सम्पूर्ण माफ़ी पाई है उनके धर्मी बनने के बाद भी, हम जब भी पाप करते है तब हमारे हृदय अपवित्र बनते है, चाहे जानबुच कर या अनजाने में। इसी लिए जब हम होमबलि की वेदी से गुजरकर परमेश्वर के सामने जाए तब हौदी के पास हमारी सारी गंदकी को दूर करना चाहिए। क्योंकि यदि हमारे पास छोटी से छोटी गंदकी हो तब भी हम परमेश्वर के सामने नहीं जा सकते, परमेश्वर ने हौदी को होमबलि और मिलापवाले तम्बू के बिच में रखा है ताकि हम हौदी के पानी से खुद को साफ़ करके शुध्धता के साथ परमेश्वर की उपस्थिति में प्रवेश कर सके।
 
 
कैसा विवेक परमेश्वर के सामने अच्छा विवेक है?
 
१ पतरस ३:२१ भी यीशु के बपतिस्मा को “परमेश्वर के प्रति शुध्ध विवेक” का उत्तर बताता है। यहाँ, ‘शुध्ध विवेक’ वह है जो विश्वास करता है की यीशु ने यरदन नदी में यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर मनुष्यजाति के सारे पापों को साफ़ किया है, जिसमे सारे वास्तविक पाप भी शामिल है। हमारे पापों को अपने ऊपर उठाने के लिए, हमारे प्रभु ने यूहन्ना से बपतिस्मा लिया था और इस तरह हमारे पापों को अपने शरीर पर स्वीकार किया था। क्योंकि यीशु ने हमारे सारे पापों को अपने शरीर पर उठाया था, इसलिए उसे क्रूस पर मरना पडा। यदि हम उसने जो किया उसे नज़र अंदाज करते है और उस पर विश्वास नहीं करते है, तो हमारा विवेक भ्रष्ट हो सकता है। इसलिए हम उसके बपतिस्मा पर विश्वास करना चाहिए। परमेश्वर के सामने हमारा विवेक शुध्ध होना चाहिए। हालाँकि हम अपनी देह में १०० प्रतिशत सम्पूर्ण जीवन नहीं जी सकते, लेकिन कम से कम परमेश्वर के सामने हम हमारा विवेक शुध्ध रख सकते है और रखना ही चाहिए।
लगभग आधी सदी पहले, जब कोरिया ने कोरियाई युद्ध में सब कुछ खो दिया था, तब विदेशी सहायता की बाढ़ देश की दुर्दशा को दूर करने के लिए आई थी। हालाँकि अनाथालयों को पहले इस तरह की सहायता प्राप्त होनी थी, लेकिन इसके बजाए, कुछ बेईमान लोगों ने उन्हें अपनी जेब में रख लिया और अपनी खुद की सम्पति बनाई। उनमें विवेक नहीं था। जब विदेशी देशों ने पाउडर दूध, आटा, कंबल, जूते, कपड़े, और अन्य सहायता भेजी ताकि नंगे और भूखे लोग जो जरुरत मंद है उनको कपड़े और खाना मिल सके; वे शायद ही सोच सकते थे कि कुछ दुष्ट सार्वजनिक अधिकारी और ठग इन सहायता सामग्रियों को चुरा लेंगे। 
शुइध्ध विवेक वाले लोग उन्हें गरीबों के बीच उचित रूप से वितरित करते। जिन्होंने विदेशी सहायता को अपनी संपत्ति बनाने की बजाए उन्होंने भूख से मरते गरीबों के बिच उसे उचित रूप से वितरित किया वे परमेश्वर के सामन शर्मिंदा नहीं होंगे, क्योंकि वे शुध्ध विवेक के साथ विवान जिए है। लेकिन जिन्होंने ऐसा नहीं किया वे अपने विवेक के द्वारा चोर बनने के कारण दोषी ठहरेंगे। बेशक, यदि ये चोर अभी भी वापस मुड़े और यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करे तो अपने पापों को धो सकते है।
हमारे पापों को खुद पर लेने के लिए और हमारे वास्तविक पापों को मिटाने के लिए, यीशु इस पृथ्वी पर आया और बपतिस्मा लिया। इस तरह यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा लेने के बाद, यीशु ने एक ही बार में हमारे पापों को साफ़ किया। मैं अविश्वासियों को उनके बपतिस्मा में फटकार लगाते हुए कहना चाहोंगा, “उसके बपतिस्मा पर विश्वास न करते हुए फिर आपको किस बात का घमंड है? आप किस आत्मविश्वास के साथ विश्वास नहीं करते? क्या आप उसके बपतिस्मा पर विश्वास किए बिना राज्य में प्रवेश करने योग्य है?” 
अगर हम वास्तव में शुध्ध विवेक वाले लोग बनना चाहते है, तो हमें अपने सारे वास्तविक पापों को उस बपतिस्मा से धोना चाहिए जो यीशु ने यूहन्ना से प्राप्त किया था। ऐसा करने के लिए, हमें अपने हृदय में विश्वास करना चाहिए कि हमने हमारे जीवनभर में जो पाप किए थे उसे यीशु ने अपने ऊपर उठा लिए और उन्हें साफ़ कर दिया। यही कारण है कि यीशु हमारे मसीहा ने क्रूस पर चढ़ने से पहले यूहन्ना से बपतिस्मा लिया था।
यीशु ने व्यभिचार में पकड़ी गई स्त्री से कहा, “मैं भी तुझ पर दोष नहीं लगाता। मैं तुम्हारा न्याय नहीं करता। क्यों? क्योंकि यीशु ने पहले से ही इस स्त्री के व्यभिचार के पाप को भी अपने ऊपर उठा लिए थे, और क्योंकि यीशु इस पाप के दोष को भी उठाने वाला था। उसने कहा, “मैं वही हूँ जो जिस पर तुम्हारे पापों का दोष डाला जाएगा। लेकिन मेरे बपतिस्मा में विश्वास करके अपने सारे पापों ए शुध्ध हो। इसलिए, मुझ पर विश्वास करके अपने सारे पापों से बच जाओ। विश्वास से भी पाप की निंदा से बचो, और अपने सभी पापों से धोओ। अपने विवेक के पापों से शुध्ध होजा और मुझ से पानी पियो जिससे तुम फिर कभी प्यासे नहीं होगे।”
आज, आप और मैं विश्वास है कि यीशु ही वह है जिसने हमें हमारे पापों से बचाया है। क्या आप वास्तव में विश्वास है कि यीशु ने वास्तव में अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे पापों को अपने ऊपर ले लिया और उन सब को दूर किया? हमारे प्रभु ने बपतिस्मा लेकर हमारे पापों को साफ़ किया। अब हम शुध्ध विवेक के साथ परमेश्वर के पास जा सकते है। क्यों? क्योंकि हमारे प्रभु ने हमारे सारे पापों को खुद पर ले लिया और बपतिस्मा लेकर उन सब को साफ़ किया, इन पाप को क्रूस तक ले गया, क्रूस पर चढ़कर उसने हमारी जगह दोष सहा, और मृत्यु से फिर जीवित हुआ। बहुत समय पहले, यीशु इस पृथ्वी पर आया था, और अपने ३३ वर्षों के जीवन के दौरान, उन्होंने हमारे सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया और उन सभी को अपने बपतिस्मे से साफ़ कर दिया। 
हमारे सारे वास्तविक पापों को भी अपने ऊपर ले कर और उन्हें साफ़ करने के द्वारा, हमारे प्रभु ने हमें परमेश्वर के पास जाने और धर्मी बनने और यीशु मसीह के बलिदान के माध्यम से हमारे सभी पापों का न्याय करने के लिए सक्षम किया है। दुसरे शब्दों में, इस प्रभु पर विश्वास करने के द्वारा हम परमेश्वर को हमारे पिता कह सकते है और उसकी उपस्थिति में जा सकते है। उसी रूप से, जो लोग यीशु के पानी, लहू और आत्मा के कार्यों पर विश्वास करते है वे वही लोग है जिनके पास शुध्ध विवेक है। इसके विपरीत, यह निश्चित रूप से दुष्ट विवेक है जो प्रभु के धार्मिक कृत्यों, उसके बपतिस्मा और क्रूस पर विश्वास नहीं करता है। 
 
 
आजकल, कई लोग अपने अंधविश्वास के कारण परमेश्वर के वचन को गंभीरता से नहीं लेते
 
कई झूठे लोग, परमेश्वर के वचन को ऐसे त्याग देते है जैसे वह कोई आभूषण हो, और केवल प्रचार करते है की स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए हमें परमेश्वर पर विश्वास के साथ कुछ अच्छा भी करना चाहिए। और जब उद्धार की बात आती है, तब वे केवल क्रूस के लहू की बात करते है, और गलती से सोचते है कि देह के अनुभव से परमेश्वर को मिलाने के लिए उन्हें प्रार्थना या उपवास करने के लिए पहाड़ पर जाना पडेगा। हालाँकि इस विश्वास से ज्यादा ओर कुछ गलत नहीं हो सकता, लेकिन वे इसके बारे में बिल्कुल निश्चित है। वे कहते है, "मुझे मेरे पापों ने सताया था, और इसलिए मैं पूरी रात प्रार्थना करता रहा, ‘परमेश्वर, मैंने पाप किया है। मैं आप पर विश्वास करता हूँ, प्रभु।’ उस दिन, शाम तक में परेशान रहा, लेकिन वहाँ ऊपर पूरी रात प्रार्थना करने के बाद, जब भोर हुई, मैंने महसूस किया की एक बड़ी आग मेरे ऊपर आकर ठहर गई, उसी क्षण मेरा मन साफ़ हो गया – मेरे सारे पाप बर्फ़ की तरह श्वेत हो गए थे। तो यह इस समय था कि मैं नया जन्म पाया। हाल्लेलूया!” 
इस तरह के विचार केवल मानव निर्मित, अज्ञानी और मूर्खतापूर्ण है जो परमेश्वर के वचन को व्यर्थ बनाते है। आपको याद होना चाहिए कि परमेश्वर उन लोगों को कई गुना दण्ड देगा जो इस तरह की वाहियात बात करते है और लोगों को भरमाते है और नरक की आग की ओर ले जाते है।
“मेरे कान में बहुत पीड़ा हुई। लेकिन मैंने परमेश्वर ने जो कहा उस पर विश्वास किया, की यदि हम विश्वास करेंगे तो हम चंगाई पाएंगे, और मैंने अपने दर्द का सामना यह कहते ही किया की, ‘प्रभु, मैं विश्वास करता हूँ!’ जब मैंने इस प्रकार विश्वास किया, तब सारा दर्द चला गया था!”
“मुझे एक गैस्ट्रिक अल्सर था, इसलिए हर बार जब मैंने कुछ खाता था, तब मुझे भयानक पेट दर्द होता था। इसलिए खाने से पहले, मैंने प्रार्थना की, ‘प्रभु, मुझे यहाँ पर दर्द है, लेकिन आपने कहा है की जब हम विश्वास से प्रार्थना करते है तब तू सुनता है। मैं अभी भी आप के वचन पर विश्वास करता हूँ।’ निश्चित रूप से, अब मुझे पचाने में कोई समस्या नहीं थी!”
 
यह सब क्या है? यह ऐसे मामले है जहाँ लोग प्रभु से वचन के द्वारा नहीं मिलते। यह मामले उनके विश्वास की गलतफहमी को प्रदर्शित करते है जो परमेश्वर के वचन के द्वारा विश्वास नहीं करते थे। ये वचन के माध्यम से प्राप्त उनकी प्रार्थनाओं के उत्तर नहीं है, लेकिन केवल उनका गलत विश्वास है। वे परमेश्वर पर वचन से नहीं, लेकिन अपनी खुद की भावनाओं और अनुभवों के आधार पर गलत धारणा में विश्वास करते है। अफसोस और दुख की बात यह है कि आज के मसीहियों के बीच बहुत सारे ऐसे झूठे विश्वास वाले है। 
इस तरह, परमेश्वर के वचन को एक तरफ धकेलना और अपनी भावनाओं या अनुभव के आधार पर आँख बंद करके यीशु पर विश्वास करना अंधविश्वास है। जो लोग वचन के द्वारा विश्वास नहीं करते फिर भी यीशु पर विश्वास करने का दावा करते है उन्हें खुद की जाँच करने की आवश्यकता है की वे दुष्टात्मा ग्रसित है या नहीं। “मैं प्रार्थना करते हुए यीशु से मिला। यीशु मेरे सपने में दिखाई दिया। मैंने बहुत प्रार्थना की और मेरी बीमारी ठीक हो गई।” आधे-अधूरे प्रमाण वाले ऐसे दावे कर सकते है, लेकिन जो स्पष्ट है वह यह है कि यह परमेश्वर द्वारा दिया गया विश्वास नहीं है, लेकिन यह शैतान के द्वारा दिया गया गलत विश्वास है।
नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के द्वारा, हमारे प्रभु ने खुद को हमारे सामने प्रगट किया है। क्या आज के युग में हमारा प्रभु खुद को नए और अलग तरीके से हमारे सामने प्रगट करेगा? क्या वह सच में किसी भ्रम या सपने में हमारे सामने आता है? वह अपने पैरों पर बड़ी-बड़ी जंजीरों को खींच रहा है, चारों तरफ खून बह रहा है, उसके सिर पर कांटों का मुकुट है, और कहता है, "आप देखते है, इस तरह मैंने आपके लिए कितना कष्ट उठाया है। अब, तुम मेरे लिए क्या करोगे? ”- क्या हमारा प्रभु इस रीति से खुद को प्रगट करेगा? यह सब बकवास है! 
फिर भी अभी भी ऐसे लोग है जो इस तरह के सपने को देखने के बाद, परमेश्वर के सामने एक प्रतिज्ञा करते है, “प्रभु, मैं आपका सेवक बन जाऊंगा और अपने पूरे जीवनभर पूरे दिल से आपकी सेवा करूंगा। मैं यहाँ एक प्रार्थना घर बनाऊंगा। मैं यहाँ एक कलीसिया का निर्माण करूंगा। मैं अपने बाकी बचे जीवनभर अपने क्रूस को अपनी पीठ पर उठाऊंगा और सारे देश और पूरी दुनिया में आपको गवाही दूँगा।”
वास्तव में, हम आसानी से सड़कों या सार्वजनिक स्थानों पर ऐसे धार्मिक प्रचारकों से मिल सकते है। बिना किसी अपवाद के, वे सारे रहस्यवादी है जो कहते है कि उन्होंने अपने सपनों में यीशु को देखने या प्रार्थना करते समय प्रभु की आवाज़ सुनने के बाद इस तरह जीने का फैसला किया। लेकिन प्रभु केवल अपने वचन के द्वारा ही स्वयं को प्रकट करता है; वह हमसे सपने में या प्रार्थना करते समय बात नहीं करता, खास तौर से इस युग में जब उसके सारे वचन सम्पूर्ण रीति से मनुष्यजाति को दिया गया है। सपने केवल मानव उप-चेतना के जटिल दायरे से आते है। इन लोगों के पास ऐसा सपना है क्योंकि उनके पास अपने निर्विवाद प्रेम में यीशु के बारे में सब प्रकार की कल्पनाएं है और वे बहुत ज्यादा सोचते है।
जब आपका दिमाग सोने से पहले किसी मामले पर गहराई में जाता है, तो आप अपने सपने में भी इस मुद्दे पर खुद को जूझते हुए देख सकते है। इस तरह, सपने आपकी उप-चेतना से बने होते है। यही कारण है कि यदि हम बहुत अधिक सोचते है, तो हमें सब प्रकार के अजीब सपने आते है। इन सब का विश्वास से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन ये केवल भौतिक परिवर्तनों या उप-चेतना का प्रतिबिंब है।
यही कारण है कि यदि लोग क्रूस पर लहू बहाते यीशु के बारे में ज्यादा सोचते है, तो उनके सपने में वह अपने सिर पर कांटों के मुगुट के साथ दिखाई देता है। अपने आप में, इस तरह के सपने गलत नहीं है। लेकिन इस सपने को गंभीरता से लेना बहुत बड़ी गलती है। क्या होगा यदि यीशु बहते हुए लहू के साथ उनके सामने प्रगट हो और कहे, “तुम मेरे लिए क्या करोगे? तुम मेरे लिए बाकी बचा जीवन एक सन्यासी की तरह बिताओगे। मेरे खातिर, तुम कोई सम्पति नहीं रखोग?” ऐसे मूर्ख लोग है जो वास्तव में अपनी सारी सम्पति छोड़ देते है ताकि वे इस तरह से जी सकें। क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जो सपने की वजह से घबरा गया था, जिसने इसे गंभीरता से लिया, या इसकी वजह से जिसका जीवन बदल गया हो? रहस्यवाद के अलावा यह ओर कुछ नहीं है। 
परमेश्वर वचन के द्वारा हमसे मिलता है। वह कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसे हम सपने में या हमारी प्रार्थना में एक दर्शन के रूप में मिल सकते है। परमेश्वर का वचन पुराने और नए नियम में लिखा हुआ है, और यह तब होता है जब हम इस वचन को सुनते है जो हमें प्रचार किया गया है और इसे हमारे हृदय में स्वीकार करते है ताकि हमारी आत्मा वचन के द्वारा उससे मिल सके। दूसरे शब्दों में, केवल वचन और वचन के द्वारा ही आपकी आत्मा परमेश्वर से मिल सकती है।
हम यह वचन के द्वारा जान पाए है की यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया; यह इस वचन को सुनने के द्वारा हम अपने हृदय में इस पर विश्वास करते है। यीशु क्रूस पर क्यों मरा इस प्रश्न का उत्तर भी वचन में ही मिलता है। यह इसलिए है क्योंकि यीशु बपतिस्मा लेने के द्वारा हमारे पापों को खुद पर लिया है की वह क्रूस पर मर सके और हमें बचा लिया। वचन के द्वारा, हम परमेश्वर को जानते है, और वचन के द्वारा, हम उस पर विश्वास करते है। कि यीशु मसीह परमेश्वर है यह भी हम वचन के द्वारा ही जान पाए है।
 
 
हम परमेश्वर पर विश्वास कैसे कर सकते है?
क्या तह परमेश्वर के लिखित वचन के कारण नहीं है?
 
यदि परमेश्वर का वचन नहीं होता, तो हम यीशु को कैसे मिल पाते और उस पर विश्वास कर पाते, जिसने हमारे सारे पापों को दूर किया है? यदि परमेश्वर का वचन नहीं होता, तो हमारा विश्वास कुछ भी नहीं होता। "मुझे ऐसा ही लगता है" - हम अपने विचारों को बोल सकते है, लेकिन यह सच्चाई नहीं है, और जब हमारे दिल जो सच नहीं है उससे भरे हुए होते है, तो असली सच्चाई हमारे दिलों में प्रवेश नहीं कर सकती। “बाइबल यही कहती है” यह बोलना सही बात नहीं है। जब हम बाइबल पढ़ते है, तब परमेश्वर द्वारा कही गई सच्चाई हमारे हृदय में आती है और हमारे पिछले विचारों की त्रुटियों को ठीक करती है।
पानी और आत्मा के सुसमाचार में आपका विश्वास क्या है? क्या यह आपके अपने विचारों से बना हुआ है? या फिर आप वचन को सुनकर जानने और विश्वास करने के द्वारा नया जन्म पाए हुए है? यह वचन है जिसके द्वारा हम परमेश्वर से मिलते है और उस पर विश्वास करते है। यही कारण है कि मिलापवाले तम्बू के आँगन का द्वार नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुना था।
हौदी में रखे गए पानी का मतलब है बपतिस्मा जिसके द्वारा यीशु मसीह ने हमारे सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया। “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है” (मत्ती ३:१५)।" परमेश्वर के वचन के द्वारा, हम उस बपतिस्मा को जान पाए जिसके द्वारा यीशु ने जगत के पापों को अपने ऊपर उठाया था। क्योंकि यह वचन के द्वारा हुआ है की हम यीशु के बपतिस्मा को जान पाए है जिसने आपके और मेरे द्वारा किए जीवनभर के पापों को खुद पर उठाया, इस वचन ने हमें हमारे हृदय में बपतिस्मा का विश्वास दिलाया है। यह वचन है जिसके द्वारा हम हौदी में प्रगट हुए सत्य को जान पाए है।
परमेश्वर के वचन से, हम यह पता लगा सकते है कि हौदी पीतल से बनी थी। बाइबल में, पीतल का मतलब है न्याय। उसी रूप से, पीतल की हौदी का मतलब यह है की जब हम व्यवस्था के सामने खुद को देखते है, जो आईने का काम करता है और हमारे खुद का प्रतिबिम्ब दिखाता है की हम सब दोष से बंधे हुए है। यही कारण है कि हौदी मिलापवाले तम्बू की सेवा करने वाली स्त्रियों के आइनों से बना था। प्रभु ने इस पृथ्वी पर आकर, बपतिस्मा लेकर, और क्रूस पर मरने के द्वारा हमें बचा लिया है, जो अपने पापों के लिए दोषी ठहराए गए थे। परमेश्वर के लिखित वचन के द्वारा, हम यह जान सकते है कि यह इसलिए था क्योंकि यीशु ने बपतिस्मा लिया था कि वह हमारे सारे पापों को खुद पर ले सके, क्रूस तक गया, और पाप के दोष को सहा। और यह हमारे हृदय में स्वीकार करने और इस सच्चाई पर विश्वास करने के द्वारा है की हम बच गए है। आपके बारे में क्या? आपने कैसे उद्धार पाया है?
रहस्यवाद का अनुसरण करने वाले एक निश्चित संप्रदाय में, वे दावा करते है कि इसके सदस्यो को उनके उद्धार की सही तारीख पता होनी चाहिए की किस महीने और किस तारीख को उन्हें बचाया गया था। और कहा जाता है कि इस संप्रदाय के एक पादरी ने कई विश्वासियों के सामने गवाही दी है कि वह यीशु पर विश्वास करता था और प्रार्थना करने एक पहाड़ पर गया और उसे समझ में आया की वह कुछ नहीं है तब वह बच गया। उसने बहुत गर्व के साथ दावा किया कि वह नया जन्म पाने की तारीख और सही समय को कभी नहीं भूला। निश्चित रूप से इसका बटी हुई सनी के कपड़े से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन यह केवल भावनात्मक है। इस पादरी के विश्वास का नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से कोई लेना देना नहीं है। इस संप्रदाय के द्वारा सिखाए गए उद्धार का परमेश्वर के वचन से बने सच्चे उद्धार से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन यह केवल उनके खुद से बनाया हुआ है।
वास्तव में खुद को सम्मोहित करना संभव है। यदि लोग इस बात पर ज़ोर देते रहते है कि वे पापरहित है, और बार-बार इस तरह सोचते है, तो वे अंत में खुद को सम्मोहित करते है और अपने आप पापरहित बन जाते है। यदि वे स्वयं इस मंत्र का जाप करते रहते है, तो उन्हें वास्तव में ऐसा महसूस होता है कि वे सच में पापरहित हो गए है, लेकिन ऐसी भावनाएं लंबे समय तक नहीं रहती। इसलिए, कुछ ही समय में, उन्हें फिर से यह कहने के द्वारा खुद को सम्मोहित करना होगा की, “मैं पापरहित हूँ। मैं पापरहित हूँ।” यह कितना आत्म-केंद्रित, असत्य, अज्ञान और अंधविश्वास है!
बटी हुई सनी का कपड़ा पुराने और नए नियम का परमेश्वर का वचन है। मिलापवाले तम्बू के आँगन का द्वार, पवित्र स्थान, और अतिपवित्र स्थान का द्वार जिस नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुना हुए था वह हमें बताता है की जिस प्रकार पुराने और नए नियम में लिखा है वैसे ही यीशु हमारे उद्धार का द्वार और उद्धारकर्ता बन गया है। इसलिए मैं वास्तव में परमेश्वर का शुक्रिया अदा करता हूँ, क्योंकि यह उद्धार कितना निश्चित है जिसके बारे में परमेश्वर ने हमें बताया है! 
इसी लिए जब मैं प्रार्थना करता हूँ, तब मैं भावना से या दिखाब्वे के लिए प्रार्थना नहीं करता हूँ। मैं बस परमेश्वर के हाथ में सब कुछ सोंप कर और उस पर भरोषा करके प्रार्थना करता हूँ। “पिता, कृपया मेरी मदद करें। हमसे पूरी दुनिया में सुसमाचार का प्रचार करावा। मेरे सभी साथी सेवक और संतों की रक्षा करें और उन्हें बनाए रख। हमें ऐसे सेवक दें जो सुसमाचार की सेवा कर सकें, इस सुसमाचार को फैलने दें, और विश्वासियों को एहसास दिलाएं की वे तेरे वचन पर विश्वास करें।" यह सब मैं कहता हूँ जब मैं प्रार्थना करता हूँ; मैं अपनी भावनाओं में बहकर और रोने के द्वारा प्रार्थना करने की कोशिश नहीं करता हूँ, और इन बकवास में से कुछ भी मेरी प्रार्थना का हिस्सा नहीं है।
कुछ लोग, चाहे कितनी भी कोशिश कर ले, यहाँ तक की आँसू बहाने के लिए अपने मृत माता पिता के बारे में सोचने के बाद भी वे अपनी भावनाओं को उकसा नहीं पाते और उनकी ढोंगी प्रार्थनाओं को कोई भी गंभीरता से नहीं लेता। इस तरह की आविष्कार की गई प्रार्थनाएं कचरे के एक ढेर की तरह होती है जिससे परमेश्वर को उल्टी होती है। लोग यीशु के क्रूस पर चढ़ने के बारे में सोचकर अपनी भावनाओं को उकसाते है और आँख बंद करके चिल्लाते रहते है, "मैं तुझ पर विश्वास करता हूँ, प्रभु!" 
लेकिन क्या वास्तव में इसका मतलब यह है कि ऐसे लोगों का विश्वास मजबूत है? यदि आप अपने पापों के बारे में सोच कर और अपनी भावनाओं को यह कहा कर उकसाने की कोशिश करते है की, “प्रभु, मैंने पाप किया है। सही तरीके से जीने में मेरी मदद करे,” तब वास्तव में भावनात्मक रूप से खुद को उकसाना संभव है। क्योंकि इस तरह के भावनात्मक अनुभव और कुछ समय रोने से बहुत सारा तनाव दूर होता है, कई लोग यह सोचते हुए ताजगी महसूस करते है की यही विश्वास है। हालाँकि उनका जीवन परेशानियों से भरा हुआ है, ऐसे भावनात्मक अनुभव कम से कम उन्हें कुछ समय के लिए बेहतर महसूस कराते है, और इसलिए वे इस तरह से अपने धार्मिक जीवन को जीना जारी रखते है।
 
 

आपको विश्वास करना चाहिए की प्रभु नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के द्वारा हमारे पास आए

 
हमारे प्रभु वचन के द्वारा हमारे पास आए। इसलिए आपको अपनी समझ का सहारा नहीं लेना चाहिए, लेकिन आपको परमेश्वर के वचन को सुनना चाहिए। महत्वपूर्ण यह है कि क्या आप अपने हृदय में परमेश्वर के इस वचन पर विश्वास करते है या नहीं। जब आप प्रार्थना करो, तब अपनी भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश न करें। लेकिन, आपको उन्हें एक उचित स्तर तक नियंत्रित करना चाहिए। क्यों? क्योंकि इस दुनिया में कई झूठे है जो उन लोगों से संपर्क करेंगे जो भावनात्मक रूप से उत्तेजित होना पसंद करते है और अपने भावनात्मक बातों का लाभ उठाने के लिए प्रेरित होते है। जब “महान आत्मिक जागृति” के नाम तहत जागृति की सभाए राखी जाति है तब लोग अक्सर अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए बौद्धिक भागों को खो देते है, ज्यादातर इनका उद्देश्य भाग लेनेवाले लोगों की भावनाए उकसाना होता है। 
हालाँकि, अब जब मेरा नया जन्म हुआ है, मैं ऐसी जागृति को रोक नहीं सकता भले ही यदि में कोशिश करता, क्योंकि परमेश्वर का वचन प्रचार करना इन दुनिया की आत्मिक जागृति किन सभाओं के जैसे लोगों की भावनाओं को उकसाना नहीं है। क्योंकि मै सत्य के वचन से नया जन्म पाया हुआ हूँ, इसलिए मैंने अपने भावनात्मक पहलू को बहुत पहले विदाई दे दी है जो मरे आत्मिक जीवन में दखल देती थी।
हम, धर्मी लोग जो परमेश्वर का वचन सुनते है, हमारी बुद्धि का उपयोग करते है, और हमारे हृदय में विश्वास करते है, और कभी भी भावनात्मक रूप से उत्तेजित नहीं होते। हम बहुत जल्दी यह समझने के द्वारा विश्वास करते है की कोई व्यक्ति परमेश्वर के वचन में जैसा लिखा है वैसे बात करता है की नहीं, और जल्दी से समझ जाते है की जो व्यक्ति हमसे बात कर रहा है वह वास्तव में विश्वास करता है की नहीं। क्योंकि हम जो नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े को जानते है और विश्वास करते है उनके पास हृदय में पवित्र आत्मा है, हम सब समझते है की अआत्मिक उत्तेजन सत्य से कोसो दूर है, और हम केवल वास्तविक सच्चाई को अपने हृदय में स्वीकार करते है।
यीशु नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के द्वारा हमारे पास आया। यह सच्चाई कितनी अद्भुत है? हमारे प्रभु का प्रेम कितना अद्भुत है जिसने आपको बचाया है? परमेश्‍वर के वचन में लिखे यीशु की चार सेवकाई के द्वारा हम सबने यह विश्वास किया है की यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पापों को अपने ऊपर उठाया, क्रूस पर मरा, और इसतरह सब धार्मिकता को परिपूर्ण करके आपको बचाया। 
क्या आप अपने हृदय में इस सच्चाई पर विश्वास करते है? जो लोग सुसमाचार का प्रचार करते है उन्हें इसे बटी हुई सनी के कपड़े के दायरे में इसे फैलाना चाहिए, अर्थात पुराने और नए नियम के परमेश्वर के वचन, और उसका विषय नीला, बैंजनी, और लाल कपड़ा होना चाहिए। और जो लोग इसे सुनते है उन्हें इसे अपने हृदय में स्वीकार करना चाहिए और पूरी ईमानदारी से इस पर विश्वास करना चाहिए।
 
 

हौदी का पानी हमारे पापों को धोता है

 
उसके बपतिस्मा के द्वारा, यीशु ने हमारे सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया और उन्हें साफ़ कर दिया। यीशु का बपतिस्मा हौदी के पानी को दर्शाता करता है; इसने हमें शुद्ध किया है, जो पापों के कारण नरक में बंधे थे, और हमें परमेश्वर के सामने खड़े होने के लिए सक्षम बनाया। क्योंकि यीशु अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पाप खुद पर स्वीकार किए, इसलिए वह क्रूस तक जा पाया और मृत्यु तक क्रूस पर चढ़के उन्हें साफ़ किया। यीशु का बपतिस्मा और क्रूस दोनों गवाही देते है कि यीशु ने हमारे सारे पापों के दोष सहे। बपतिस्मा और क्रूस के द्वारा यीशु ने हमारे उद्धार को परिपूर्ण किया।
पश्चाताप की प्रार्थना करने से हम अपने पापों को साफ नहीं कर सकते। यह इसलिए है क्योंकि यीशु ने पहले ही अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे पापों को खुद पर ले लिया था इसलिए हमारे पाप साफ़ हुए है। यह इस वचन को सुनने और यीशु ने हमारे लिए जो किया है उस पर विश्वास करने से हम हमारे सारे पापों के दोषों से स्वतंत्र हो सकते है। यीशु ने जो दोष सहा उसके लिए धन्यवाद, हमने पहले ही उसके बपतिस्मा पर हमारे विश्वास के द्वारा हमारे पाप के दोष को सहा है। सचमुच, हम विश्वास से बच गए है। एक तरह से, उद्धार बिलकुल सरल है। यदि हम उद्धार के उपहार और प्रेम में विश्वास करते है, तो हम बच सकते है, लेकिन यदि हम विश्वास नहीं करते है, तो हम नहीं बच सकते।
 
 
परमेश्वर के द्वारा परिपूर्ण किए गए उद्धार के अलावा, उद्धार पाने के लिए हम कर सके ऐसा कुछ नहीं है
 
हम अपने उद्धार के लिए कुछ भी नहीं कर सकते है, यदि यह परमेश्वर नहीं करता तो। जैसा कि हमारे परमेश्वर ने सृष्टि से पहले ही हमें इस तरह से बचाने का फैसला किया और हमारे उद्धार को पूरा किया, इसलिए सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि परमेश्वर कैसे फैसला करते है। परमेश्वर पिताने अपने बेटे और पवित्र आत्मा के द्वारा हमें बचाने का फैसला किया, और जब निर्धारित समय आया, तब उन्होंने अपने एकलौते पुत्र यीशु को इस पृथ्वी पर भेजा। जब यीशु ३० साल का हुआ और उसके उद्धार के इन कार्यों को पूरा करने का समय आया, तब पिता ने मसीह को बपतिस्मा दिलवाया और क्रूस पर चढ़ाया, उसे पुनरुत्थित किया और इस प्रकार से हमें बचाया। हम पुराने और नए नियम के वचन से प्रभु ने हमारे लिए क्या किया है, यह सिखाने और जानने और हमारे हृदय में विश्वास करने के द्वारा बचे है। हमारे हृदय में विश्वास करने के द्वारा बचाना ओर कुछ नहीं है लेकिन हमारे हृदय में सत्य का स्वीकार करना है।
क्या आप विश्वास है कि बाइबल के यह वचन परमेश्वर के वचन है? इस बाइबल के अलावा और कोई परमेश्वर नहीं है जो खुद और उसका वचन शुरू से ही अस्तित्व में है। पुराने और नए नियम के वचन के द्वारा जो परमेश्वर के वचन है, हम परमेश्वर को जान सकते है और मिल सकते है। और पुराने और नए नियम के वचन के द्वारा, हम समझ सकते है और विश्वास कर सकते है की उसने हमें नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के द्वारा बचाया है। इसके अलावा, क्योंकि जो लोग वास्तव में इस सच्चाई पर विश्वास करते है वे बच गए है, वे इस बात की गवाही दे सकते है की इस वचन में सामर्थ्य है। हमें अपने छोटे विचारों से परमेश्वर के वचन का न्याय और नाप नहीं करना चाहिए, लेकिन हमें इससे यह जानना चाहिए कि परमेश्वर ने हमें कैसे बचाया है। 
पुराने और नए नियम से, मैं आशा और प्रार्थना करता हूँ कि अब आप सब नीले (यीशु का बपतिस्मा), बैंजनी (यीशु राजाओं का राजा है), और लाल कपड़े (क्रूस) और बटी हुई सनी के कपड़े (पुराने और नए नियम के परमेश्वर के वचन) के वचन समझे और विश्वास करे। यदि आप परमेश्वर के वचन को एक तरफ रख देते है और अपने जीवनभर खुद के मापदंड से उसके वचन का न्याय करते है तो आप कभी नहीं बच पाएंगे।
यदि आप स्वयं को पहचानते है कि आप परमेश्वर के वचन को अच्छी तरह से नहीं जानते है, तो फिर आपको ध्यान से सुनना चाहिए कि विश्वास के पूर्वज क्या कहते है। चाहे वे पादरी, कार्यकर्ता, या आम आदमी हों, जब आप उनके द्वारा प्रचारित परमेश्वर के वचन को सुनते है, और वे जो उपदेश दे रहे है वह वास्तव में परमेश्वर के सामने सही है, तो फिर आपको यह समझना है की वह सही है और अपने हृदय में उस पर विश्वास करना है। 
जो लोग वचन फैलाते है वे इसलिए नहीं फैलाते क्योंकि यह आसान है, लेकिन वे यह इसलिए करते है क्योंकि जो वे फैला रहे है वह परमेश्वर के सामने सही है। यही कारण है कि वे परमेश्वर के सामने सही ज्ञान का प्रचार करते है - अर्थात्, पानी और आत्मा का सुसमाचार, नीले, बैंजनी, और लाल कपड़ा और बटी हुई सनी के कपड़े का सत्य। हम किसके द्वारा सुनते है इस बात की परवाह किए बिना, यदि यह परमेश्वर का सच्चा वचन है, तो फिर हम उसे स्वीकार करने के अलावा ओर कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि पर्मेश्वर्व के वचन में रत्ती भर भी झूठ नहीं है।
हमें परमेश्वर के वचन पर विश्वास करना चाहिए। ‘विश्वास करना’ क्या है? यह स्वीकार करना है। यह भरोसा करना है। दूसरे शब्दों में, क्योंकि हमारे प्रभु ने हमारे लिए बपतिस्मा लिया था, इसलिए हम अपनी सारी दुर्बलताओं को उसके हवाले कर देते है और उस पर भरोसा करते है। “क्या वास्तव में प्रभु ने ऐसा करने के द्वारा मुझे बचाया है? मुझे आप पर भरोसा और विश्वास है।” इस तरह से विश्वास करना ही सच्चा विश्वास है।
इस दुनिया के धर्मशास्त्रियों के बीच, ऐसे व्यक्ति को खोजना बहुत ही कठिन है जो सही बात जानता हो और विश्वास करता हो। हौदी तक पहुँचने से पहले ही वे मिलापवाले तम्बू के आँगन के द्वार में फँस जाते है, वे आन्हान में प्रवेश करने में असमर्थ हो जाते है। जब वे मिलापवाले तम्बू पर उपदेश देते है, तो वे इसके आँगन के द्वार को बड़ी कुशलता से हटा देते है, और जब वे मिलापवाले तम्बू के ऊपर किताब प्रकाशित करते है, तब वे अन्दर चित्र रखते है जिस में द्वार को छोड़ दिया जाता है जो ९ मीटर ऊँचा है।
कभी-कभी, कुछ ऐसे भी होते है जो तम्बू के आँगन के द्वार के बारे में निर्भीक रूप से प्रचार करते है, लेकिन क्योंकि वे नीले कपड़े के मूल पदार्थ को नहीं जानते है, इसलिए वे केवल यह कहते है, "नीला रंग आसमान का रंग है।" इसलिए वे दावा करते है कि नीला कपड़ा आसमान का रंग है जो प्रकट करता है कि यीशु स्वयं परमेश्वर है, और लाल कपड़ा लहू को दर्शाता है जो यीशु ने क्रूस पर बहाया था जब वह इस पृथ्वी पर था, इसतरह से वे तम्बू के आँगन के द्वार को बड़ी कुशलता से बाजू पर धकेल देते है। बैंजनी के बारे में क्या? बैंजनी हमें बताता है कि यीशु राजाओं का राजा और स्वयं परमेश्वर है। यीशु की दैवियता पहले से ही बैंजनी कपड़े में है, इसलिए दुसरे कपड़े के साथ सच्चाई को दोहराने की आवश्यकता ना हो। 
नीले कपड़े की सच्चाई यह है कि यीशु ने इस पृथ्वी पर आकर यूहन्ना से बपतिस्मा लेकर एक ही बार में सारी मनुष्यजाति के पापों को अपने ऊपर उठा लिया। लेकिन इस दुनिया के धर्मविज्ञानी, क्योंकि वे यीशु के इस बपतिस्मे को नहीं पहचानते है, न तो इसे जान सकते है और न ही इसका प्रचार कर सकते है, लेकिन केवल अपनी बकवास का उच्चारण करते है। जिन्होंने नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से आए यीशु पर विश्वास न करके नया जन्म नहीं पाया है वे यह नहीं जानते की यीशु ने बपतिस्मा के द्वारा सारे पापों को खुद पर उठाया और उसका दोष सहा। उसी रूप से, वे आध्यात्मिक रूप से अंधे हो गए है और वचन को हल करने में असमर्थ है, और इसलिए उन्होंने अपने स्वयं के विचारों के आधार पर मनमाने ढंग से व्याख्या करके परमेश्वर के वचन को समझा है। वे सिखाते है, “यीशु पर विश्वास करो। तब आप बच जाएंगे। और अब से अच्छे और नम्र बनो।” उन्होंने यीशु मसीह पर विश्वास को एक धर्म मात्र में तबदील कर दिया है जो केवल उनके धार्मिक कार्यो पर जोर देता है।
क्योंकि लोग यह जानते है की वे चाहे कितना भी प्रयास करे लेकिन फिर भी वे अच्छे नहीं हो सकते, इसलिए वे आसानी से ऐसे वचनों से धोख़ा खाते है जो मनुष्यजाति की इच्छा को अच्छा बनने के लिए प्रेरित करता है। धर्म उसी पुरानी रीति का अनुसरण करता है, "यदि आप कोशिश करते है, तो आप कर सकते है," या "पवित्र बनने के लिए अपनी पूरी कोशिश करें।" सभी धर्मों में चलने वाला आम विषय यह है कि वे मनुष्यजाति के सभ्य विचारों, प्रयासों और इच्छाशक्ति को बहुत अधिक जोर देते है। उदाहरण के लिए, बौद्ध धर्म के बारे में क्या? बौद्ध धर्म मनुष्यजाति के अंतहीन प्रयासों और इच्छा पर जोर देता है और अपने अनुयायियों को खुद से पवित्र बनने की कोशिश करना सिखाता है, और कहता है, "हत्या मत करो; सच की तलाश करो और अच्छा बनो। ” कुछ मायनों में, इसकी शिक्षाएँ मसीही सिद्धांतों से काफी मिलती-जुलती है। मसोहियत और बौद्ध धर्म एक दूसरे के विपरीत छोर पर होने के बावजूद इतने निकट से संबंधित इसलिए दिखाई देते है क्योंकि वे दोनों मात्र धर्म है।
धर्म और विश्वास एक दूसरे से पूरी तरह अलग है। सच्चा विश्वास परमेश्वर के उपहार को समझना और हमारे हृदय में स्वीकार करना है, जिसने हमें परमेश्वर की धार्मिकता के द्वारा बचाया है। विश्वास हमारे हृदय में यह विश्वास करने के द्वारा पाप की माफ़ी पाना है की प्रभु इस पृथ्वी पर आए थे और हमारे पापों को खुद पर लेने के लिए उसने बपतिस्मा लिया, और उसने क्रूस पर चढ़ने के द्वारा हमारे सारे पापों का दोष सहा। हमारे प्रभु ने हमें हमारे सारे पाप और दोषों से छुडाया है और पानी और आत्मा से हमें बचाया है यह मानना ही विश्वास है। क्या आप विश्वास करते है? हमें वास्तव में अपने हृदय में विश्वास करना चाहिए।
 
 

परमेश्वर ने पहले ही आपको और मुझे हमारे सारे पापों से बचाया है

 
उसी रूप से, हमें बस इतना करना है कि हमारे हृदय में इस बात पर विश्वास करें और इसे स्वीकार करें। यह वही है जो परमेश्वर के सच्चे आज्ञाकारी संतानों को उसके सामने करना है, और बाकी सब कुछ उतना महत्वपूर्ण नहीं है। क्योंकि परमेश्वर ने आपको प्रेम किया है, उसने अपने एकलौते पुत्र को इस पृथ्वी पर भेजा, जिसने बपतिस्मा लेकर हमारे पापों को अपने ऊपर उठाया, उसे क्रूस पर चढ़ाया और उसका लहू बहाया, और उस पर दोष लगाकर उसे मृत्यु दी, पुनरुत्थित किया, और इस तरह आपको आपके सारे पापों से बचाया। 
फिर, यदि आप इस सच्चाई पर विश्वास नहीं करते है, तो परमेश्वर को कैसा लगेगा? अब भी, यदि आप उसके आज्ञाकारी बेटे और बेटियाँ बनना चाहते है जो उसके हृदय को प्रसन्न कर सकते है, तो आपको विश्वास होना चाहिए कि परमेश्वर ने अपने बेटे के द्वारा, आपके सारे पापों को मिटा दिया और आपको उनसे बचाया। यदि आप अपने हृदय में धन्यवाद के साथ विश्वास करते है, तो फिर आपको अपने मुँह से अंगीकार करना चाहिए। क्या आप भी उस पर विश्वास करना चाहते है, लेकिन क्या आपके लिए अपने हृदय में विश्वास करना मुश्किल लग रहा है? तो फिर अपने मुँह से अपने विश्वास का अंगीकार करने का प्रयास करे। जब आप इस तरह अंगीकार करते है कि आप विश्वास करते है, तो विश्वास बोया जाएगा और धीरे धीरे बढेगा। विश्वास उन लोगों का है जो इसे बहादुरी से लेते है।
एक पल के लिए मान लें कि मेरे पास असली हीरे की अंगूठी है। आगे यह मान लें कि मैं इसे आपको दे दूंगा, लेकिन आप में से एक ने यह कहते हुए इसे स्वीकार करने से इंकार कर दिया कि वह विश्वास नहीं करता है कि अंगूठी असली हीरे से बनी है। हालाँकि अंगूठी असली हीरे की अंगूठी है, क्योंकि यह व्यक्ति विश्वास नहीं किया, इसलिए यह उसके लिए हीरा नहीं है, और इसलिए अब वह असली हीरे की अंगूठी पाने का मौका खो चुका है। 
विश्वास ऐसा होती है। यदि एक आधिकारिक हीरे की परख करनेवाले ने अपने लिखित बयान से लोगों को यह साबित कर दिया कि अंगूठी असली हीरे से बनी है, तो उन्हें विश्वास हो जाएगा। परमेश्वर ने अपने लिखित वचन के द्वारा विस्तार से हमें यह बताया है की उसने हमें जो उद्धार दिया है वह सच्चा है। और जो लोग उसके उद्धार में विश्वास करते है क्योंकि उसका वचन इस बात की गवाही देता है इसलिए वे विश्वास के लोग है। "मेरे लिए यह विश्वास करना कठिन है कि यह वास्तव में सत्य है, लेकिन चूंकि आप सम्पूर्ण व्यक्ति है जो कहते है कि यह सच है, इसलिए मैं विश्वास करता हूँ।" जब लोग इस प्रकार विश्वास करते है, तब वे विश्वास के लोग बन सकते है, और वादे के मुताबिक़ सबसे कीमती उपहार उनका बन जाता है।
दूसरी ओर, एक अलग तरह का विश्वास भी है। मान लें कि एक ठग ने हीरे की अंगूठी की नकल की, और किसी ने इसे नशे में धुत्त होकर इसके शानदार रंगों को देखकर खरीदा, उसे यकीन दिलाया गया की वह असली था। यह व्यक्ति पूरी तरह से आश्वस्त है कि उसने सही फैसला लिया है, लेकिन वास्तव में, उसे धोखा दिया गया है। जब लोग झूठे गवाहों पर विश्वास करते है जो दावा करते है कि अंगूठी हीरे से बनी है जब वह नहीं है, तब यह नकली हीरा इन लोगों के लिए असली हीरे के समान है, क्योंकि वे आँख बंद करके विश्वास करते है कि अंगूठी हीरे से बनी है। लेकिन उनके पास जो कुछ भी है, वह केवल नकली है। इसी तरह, ऐसे लोग भी है जिनका विश्वास झूठा है। भले ही वे अपने विश्वास के बारे में आश्वस्त हों, यह गलत, आधारहीन और रहस्यमय है, क्योंकि यह परमेश्वर के वचन से नहीं आता है।
परमेश्वर ने कहा, “मुझे छोड़ अन्य देवताओं की आराधना मत करो।" परमेश्वर का वचन स्वयं परमेश्वर है, और वचन हमें बताता है कि जब तक हम पानी और आत्मा से जन्म नहीं लेते, हम परमेश्वर के राज्य को देख नहीं सकते (यूहन्ना ३:५)। परमेश्वर हमें बता रहे है कि नीले, बैंजनी, और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े से बुने मिलापवाले तम्बू के आंगन के द्वार से गुजरे बिना, हम तम्बू के आँगन में प्रवेश नहीं कर सकते, और जो लोग हौदी में अपने हाथ और पैर धो के शुध्ध नहीं करते वे मिलापवाले तम्बू में प्रवेश नहीं कर सकते। जैसा कि केवल यह वचन ही सत्य है, इसके अलावा जो कुछ भी है सब नकली है। 
केवल सत्य में विश्वास करना ही वास्तविक विश्वास है, और इसके अलवा किसी भी चीज में विश्वास करना गलत है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग कितना विश्वास करते हो लेकिन अन्त में जो परमेश्वर का वचन नहीं है वह परमेश्वर का वचन नहीं है। जब यीशु आपको कहता है कि उसने अपने बपतिस्मा और क्रूस के लहू से आपके सारे पापों को दूर किया है, तो आपको केवल विश्वास करना है। चूँकि जो कहता है कि उसने ऐसा किया है वह परमेश्वर है, उसके वचन में विश्वास करना सही है। यदि हमारे प्रभु ने वास्तव में ऐसा नहीं किया है, तो यह उनका अधर्म है, और आपका विश्वास स्वयं गलत नहीं है। दूसरी ओर, यदि प्रभु ने निश्चित रूप से ऐसा किया है, और फिर भी आप विश्वास नहीं करते है और नहीं बचे है, तो यह स्पष्ट रूप से आपकी अपनी जिम्मेदारी है। इसी लिए हमें केवल विश्वास करना है। परमेश्वर अपनी कलीसिया के द्वारा हमसे जो बात करता है उस पर हमें विश्वास करना चाहिए। क्या आप विश्वास करते है?
चर्च के माध्यम से बोला गया वचन क्या है? यह यीशु मसीह का वचन है जो नीले, बैंजनी और लाल कपड़े और बटी हुई सनी के कपड़े के द्वारा हमारे पास आया था। कलीसिया परमेश्वर के वचन को फैलाती है, की यीशु ने बपतिस्मा लेकर हमारे पापों को अपने ऊपर ले लिया, यीशु मसीह स्वयं परमेश्वर है, और उसने क्रूस पर हमारे सारे पापों का दोष सहा। यीशु ने इस प्रकार हमें बचाया है इस सत्य पर विश्वास करना ही परमेश्वर के द्वारा आश्वस्त असली हीरे का विश्वास है।
जब हम पहले परमेश्वर की इच्छा को जानते है और फिर मिलापवाले तम्बू में प्रगट हुए आत्मिक मतलब को जानते है और फिर उसके बारे में बोलते है तो यह आसान है। लेकिन यदि हमें मिलापवाले तम्बू के बाहरी प्रारूप के बारे में केवल उपरी ज्ञान होता और हमें इसके लिए मूल हिब्रू शब्द, या इसका ऐतिहासिक पृष्ठभूमि खोजनी होती तो यह हमारे सिर दर्द बन जाता।
यीशु के बपतिस्मा में विश्वास करे। यीशु ने बपतिस्मा प्राप्त किया जो सारा अन्धकार और गंदे पापों को दूर करता है जो अभी भी हमारे हृदय में है। बपतिस्मा का मतलब है पाप को धोना, पारित करना, दफनाना, स्थानान्तरित करना और ढकना। ऐसा इसलिए है क्योंकि यीशु ने ऐसा बपतिस्मा प्राप्त किया कि उसने आपके सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया। जो लोग अब इस पर विश्वास नहीं करते है, उन सब को मार दिया जाएगा और नरक में डाल दिया जाएगा। “धोने के लिये पीतल की एक हौदी, और उसका पाया भी पीतल का बनाना... तब तब वे हाथ पाँव धोएँ, न हो कि मर जाएँ। यह हारून और उसके पीढ़ी पीढ़ी के वंश के लिये सदा की विधि ठहरे” (निर्गमन ३०:१८,२१)। विश्वास नहीं करना श्रापित होना है। विश्वास नहीं करना नरक में डाला जाना है। यदि आप विश्वास नहीं करते है, तो यहोवा का अभिशाप और विनाश आप पर उतरेगा, और आपको अनन्त आग में फेंक दिया जाएगा।
“तब वे हाथ पाँव धोएँ, न हो कि मर जाएँ।” परमेश्वर ने यह महायाजक को यह कहते हुए कहा की यह सदा का नियम है जो उसे और उसके वंश को पालन कारण है। जो कोई भी यीशु पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करना चाहता है उसे बपतिस्मा और क्रूस के लहू पर विश्वास करना चाहिए। विश्वास उन लोगों का है जो इसे बहादुरी से लेते है। जब आप विश्वास करके इसे अपने हृदय में स्वीकार करते है तब उद्धार आपका हो जाता है। सत्य हमारे लिए तभी फायदेमंद हो सकता है जब हम उस पर विश्वास करें। परमेश्वर ने हमें जो कहा है उस पर हमें विश्वास करना चाहिए। अविश्वास से बढ़कर हृदय की कोई बाधा नहीं है।
परमेश्वर ने कहा कि जब याजक उसके सामने आए, तब उन्हें सबसे पहले अपने हाथ और पैर को पीतल की हौदी में साफ़ करना चाहिए, और अभी भी बहुत सारे ऐसे लोग है जिनके पास पीतल की हौदी में अपने हाथ और पैर धोने का विश्वास नहीं है। हौदी में प्रगट हुआ यह विश्वास जिनके पास नहीं है वे सब परमेश्वर के सामने मार दिए जाएंगे। अपने हृदय में पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करना और शुध्ध होना, और फिर उसके बाद परमेश्वर के सामने जाना, आपको मौत से बचा सकता है और उपहार को रूप में उसके राज्य को पा सकते है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप परमेश्वर के सामने कितना बहस करते है और जोर देते है, आपको मौक़ा दिया गया तब आपने विश्वास नहीं किया इसलिए आपको निश्चित रूप से दोषित ठहराया जाएगा। मैं आशा और प्रार्थना करता हूँ कि सत्य में विश्वास न करने की वजह से आप में से किसी को भी मृत्यु का सामना न करना पड़े।
यदि आप उद्धार के सत्य पर विश्वास नहीं करते है जिसने यीशु के बपतिस्मा और क्रूस के लहू के द्वारा आपके पापों को मिटा दिया है, तो आपको बहुत नुकसान होगा। क्या आप विश्वास करते है? हमें हौदी के द्वारा अपने पाप और दोषों से बचाने के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देना चाहिए।
इस पुस्तक के दुसरे भाग में मिलापवाले तम्बू के शेष भाग पर चर्चा की जाएगी। मुझे आशा है कि आप सब को इन पुस्तकों के संदेशों के द्वारा परमेश्वर की संतान बनने का सौभाग्य प्राप्त होगा।