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उपदेश

विषय १० : प्रकाशितवाक्य (प्रकाशितवाक्य पर टिप्पणी)

[अध्याय 21-1] पवित्र नगर जो स्वर्ग से उतरा ( प्रकाशितवाक्य २१:१-२७ 21:1-27 )

पवित्र नगर जो स्वर्ग से उतरा
( प्रकाशितवाक्य २१:१-२७ 21:1-27 )
“फिर मैं ने नये आकाश और नयी पृथ्वी को देखा, क्योंकि पहला आकाश और पहली पृथ्वी जाती रही थी, और समुद्र भी न रहा। फिर मैं ने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्वर्ग से परमेश्‍वर के पास से उतरते देखा। वह उस दुल्हिन के समान थी जो अपने पति के लिये सिंगार किए हो। फिर मैं ने सिंहासन में से किसी को ऊँचे शब्द से यह कहते हुए सुना, “देख, परमेश्‍वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है। वह उनके साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्‍वर आप उनके साथ रहेगा और उनका परमेश्‍वर होगा। वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा; और इसके बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रहीं।” जो सिंहासन पर बैठा था, उसने कहा, “देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूँ।” फिर उसने कहा, “लिख ले, क्योंकि ये वचन विश्‍वास के योग्य और सत्य हैं।” फिर उसने मुझ से कहा, “ये बातें पूरी हो गई हैं। मैं अल्फा और ओमेगा, आदि और अन्त हूँ। मैं प्यासे को जीवन के पानी के सोते में से सेंतमेंत पिलाऊँगा। जो जय पाए वही इन वस्तुओं का वारिस होगा, और मैं उसका परमेश्‍वर होऊँगा और वह मेरा पुत्र होगा। परन्तु डरपोकों, और अविश्‍वासियों, और घिनौनों, और हत्यारों और व्यभिचारियों, और टोन्हों, और मूर्तिपूजकों, और सब झूठों का भाग उस झील में मिलेगा जो आग और गन्धक से पानीती रहती है : यह दूसरी मृत्यु है।” फिर जिन सात स्वर्गदूतों के पास सात अन्तिम विपत्तियों से भरे हुए सात कटोरे थे, उनमें से एक मेरे पास आया, और मेरे साथ बातें करके कहा, “इधर आ, मैं तुझे दुल्हिन अर्थात् मेम्ने की पत्नी दिखाऊँगा।” तब वह मुझे आत्मा में एक बड़े और ऊँचे पहाड़ पर ले गया, और पवित्र नगर यरूशलेम को स्वर्ग से परमेश्‍वर के पास से उतरते दिखाया। परमेश्‍वर की महिमा उनमें थी, और उसकी ज्योति बहुत ही बहुमूल्य पत्थर, अर्थात् बिल्‍लौर के समान यशब की तरह स्वच्छ थी। उसकी शहरपनाह बड़ी ऊँची थी, और उसके बारह फाटक और फाटकों पर बारह स्वर्गदूत थे; और उन फाटकों पर इस्राएलियों के बारह गोत्रों के नाम लिखे थे। पूर्व की ओर तीन फाटक, उत्तर की ओर तीन फाटक, दक्षिण की ओर तीन फाटक, और पश्‍चिम की ओर तीन फाटक थे। नगर की शहरपनाह की बारह नींवे थीं, और उन पर मेम्ने के बारह प्रेरितों के बारह नाम लिखे थे। जो मेरे साथ बातें कर रहा था उसके पास नगर और उसके फाटकों और उसकी शहरपनाह को नापने के लिये एक सोने का गज़ था। वह नगर वर्गाकार बसा हुआ था और उसकी लम्बाई, चौड़ाई के बराबर थी; और उसने उस गज़ से नगर को नापा, तो साढ़े सात सौ कोस का निकला : उसकी लम्बाई और चौड़ाई और ऊँचाई बराबर थी। उसने उसकी शहरपनाह को मनुष्य के अर्थात् स्वर्गदूत के नाप से नापा, तो एक सौ चौवालीस हाथ निकली। उसकी शहरपनाह यशब की बनी थी, और नगर ऐसे शुद्ध सोने का था जो स्वच्छ काँच के समान हो। उस नगर की नींवें हर प्रकार के बहुमूल्य पत्थरों से सँवारी हुई थीं; पहली नींव यशब की, दूसरी नीलमणि की, तीसरी लालड़ी की, चौथी मरकत की, पाँचवीं गोमेदक की, छठवीं माणिक्य की, सातवीं पीतमणि की, आठवीं पेरोज की, नवीं पुखराज की, दसवीं लहसनिए की, ग्यारहवीं धूम्रकान्त की, और बारहवीं याकूत की थी। बारहों फाटक बारह मोतियों के थे; एक एक फाटक एक एक मोती का बना था। नगर की सड़क स्वच्छ काँच के समान शुद्ध सोने की थी। मैं ने उसमें कोई मन्दिर न देखा, क्योंकि सर्वशक्‍तिमान प्रभु परमेश्‍वर और मेम्ना उसका मन्दिर है। उस नगर में सूर्य और चाँद के उजियाले की आवश्यकता नहीं, क्योंकि परमेश्‍वर के तेज से उस में उजियाला हो रहा है, और मेम्ना उसका दीपक है। जाति–जाति के लोग उसकी ज्योति में चले–फिरेंगे, और पृथ्वी के राजा अपने अपने तेज का सामान उसमें लाएँगे। उसके फाटक दिन को कभी बन्द न होंगे, और रात वहाँ न होगी। लोग जाति जाति के तेज और वैभव का सामान उसमें लाएँगे। परन्तु उसमें कोई अपवित्र वस्तु, या घृणित काम करनेवाला, या झूठ का गढ़नेवाला किसी रीति से प्रवेश न करेगा, पर केवल वे लोग जिनके नाम मेम्ने के जीवन की पुस्तक में लिखे हैं।”
 
 

विवरण

 
वचन १: फिर मैं ने नये आकाश और नयी पृथ्वी को देखा, क्योंकि पहला आकाश और पहली पृथ्वी जाती रही थी, और समुद्र भी न रहा। 
इस वचन का अर्थ है कि हमारे प्रभु परमेश्वर अपने नए स्वर्ग और पृथ्वी को अपने उपहार के रूप में उन संतों को देंगे जिन्होंने पहले पुनरुत्थान में भाग लिया था। इस पल से, संत पहले स्वर्ग और पृथ्वी में नहीं, बल्कि नए, दूसरे स्वर्ग और पृथ्वी में रहेंगे। यह आशीर्वाद परमेश्वर का उपहार है जो वह अपने संतों को प्रदान करेगा। परमेश्वर ऐसा आशीर्वाद केवल उन संतों को देंगे जिन्होंने पहले पुनरुत्थान में भाग लिया था। 
दुसरे शब्दों में, वे लोग जो इस आशीष का आनंद लेंगे वे वो सन्त है जिन्होंने मसीह द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा पापों की माफ़ी प्राप्त की है। हमारा प्रभु संतों का दूल्हा है। अब से, जो कुछ भी दुल्हनों की प्रतीक्षा कर रहा है, वह है अपने दुल्हा मेमने से दुल्हन के रूप में दूल्हे की सुरक्षा, आशीर्वाद और सामर्थ प्राप्त करना और उसके गौरवशाली राज्य में महिमा में रहना है। 

वचन २: फिर मैं ने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्वर्ग से परमेश्‍वर के पास से उतरते देखा। वह उस दुल्हिन के समान थी जो अपने पति के लिये सिंगार किए हो। 
परमेश्वर ने संतों के लिए एक पवित्र शहर तैयार किया है। यह शहर नया यरुशलम का शहर है, जो परमेश्वर का पवित्र महल है। यह महल विशुद्ध रूप से परमेश्वर के संतों के लिए तैयार किया गया है। और यह हमारे प्रभु परमेश्वर ने ब्रह्माण्ड की रचना की उससे पहले सब यीशु मसीह में संतों के लिए नियोजित किया है। संत इसलिए केवल परमेश्वर को उनके अनुग्रह के उपहार के लिए धन्यवाद देते हैं और अपने विश्वास के साथ उन्हें सारी महिमा देते हैं।
 
वचन ३: फिर मैं ने सिंहासन में से किसी को ऊँचे शब्द से यह कहते हुए सुना, “देख, परमेश्‍वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है। वह उनके साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्‍वर आप उनके साथ रहेगा और उनका परमेश्‍वर होगा।” 
अब से, संतों को हमेशा के लिए परमेश्वर के मंदिर में परमेश्वर के साथ रहना है। यह सब प्रभु परमेश्वर की कृपा से है, एक उपहार जो संतों को पानी और आत्मा के उद्धार के वचन में उनके विश्वास के लिए प्राप्त होगा। इसलिए वे सब जो प्रभु के मन्दिर में प्रवेश करने और उसके साथ रहने की आशीष को पहिने हुए हैं, वे प्रभु परमेश्वर को सदा के लिए धन्यवाद और महिमा देंगे।
 
वचन ४: “वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा; और इसके बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रहीं।”
अब जब परमेश्वर संतों के साथ रहते हैं, तो दुख के आंसू नहीं होंगे, न ही अपनों के खोने पर रोना होगा, और न ही दुख में रोना होगा। 
पहले स्वर्ग और पृथ्वी के सभी दुख संतों के जीवन से दूर हो जाएंगे, और संतों को अपने नए स्वर्ग और पृथ्वी में अपने प्रभु परमेश्वर के साथ अपने धन्य और महिमामय जीवन जीने के लिए इंतजार करना होगा। हमारे प्रभु परमेश्वर, संतों के अपने परमेश्वर बनकर, सभी चीजों और सभी बातों को नया बना देंगे, ताकि अब नई पृथ्वी पर ओर दुःख के आंसू न हो, न रोना हो, न मृत्यु हो, न शोक हो, न बीमारी हो, न ही कुछ और जो पीड़ा दे। 
 
वचन ५: जो सिंहासन पर बैठा था, उसने कहा, “देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूँ।” फिर उसने कहा, “लिख ले, क्योंकि ये वचन विश्‍वास के योग्य और सत्य हैं।”
प्रभु अब सब कुछ नया करेगा, और एक नया आकाश और एक नई पृथ्वी बनाएगा। पहले स्वर्ग और पहली पृथ्वी की अपनी सृष्टि को दूर करके, वह नया, दूसरा स्वर्ग और पृथ्वी बनाएगा। यह वचन हमें जो बताता है वह यह नहीं है कि परमेश्वर पुराने को फिर से बनाएगा, बल्कि इसके बजाय एक नए ब्रह्मांड का निर्माण करेगा। इस प्रकार परमेश्वर नया स्वर्ग और पृथ्वी बनाएगा और संतों के साथ रहेगा। जिन संतों ने पहले पुनरुत्थान में भाग लिया था, वे भी इस आशीर्वाद में भाग लेंगे। यह कुछ ऐसा है जिसे मनुष्य अपने मानव निर्मित विचारों के साथ सपने में भी नहीं देख सकता, लेकिन यह वही है जो परमेश्वर ने अपने संतों के लिए तैयार किया है। इसलिए संत और सभी चीजें इस महान कार्य के लिए परमेश्वर को सारी महिमा, धन्यवाद, सम्मान और स्तुति देते हैं।
 
वचन ६: फिर उसने मुझ से कहा, “ये बातें पूरी हो गई हैं। मैं अल्फा और ओमेगा, आदि और अन्त हूँ। मैं प्यासे को जीवन के पानी के सोते में से सेंतमेंत पिलाऊँगा।”
हमारे प्रभु परमेश्वर ने आरम्भ से अन्त तक इन सब बातों की योजना बनाई और पूरी की है। जो कुछ काम प्रभु ने किया है, वह सब उस ने अपने लिए और अपने पवित्र लोगोंके लिए किया है। संतों को अब "मसीह का" कहा जाता है और उन्हें परमेश्वर के लोग बना दिया गया है। जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके परमेश्वर के संत बन गए हैं, वे अब समझ सकते हैं कि यद्यपि वे हमेशा के लिए परमेश्वर को धन्यवाद और स्तुति देते हैं, फिर भी वे प्रभु परमेश्वर के प्रेम और कार्यों के लिए उन्हें पर्याप्त धन्यवाद नहीं दे सकते। 
"मैं प्यासे को जीवन के जल के सोते में से सेंतमेत पिलाऊँगा।" नए स्वर्ग और पृथ्वी में, हमारे प्रभु ने संतों को जीवन के पानी का सोता दिया है। यह सबसे बड़ा उपहार है जो परमेश्वर ने अपने संतों को दिया है। अब संतों को हमेशा के लिए नए स्वर्ग और पृथ्वी में रहना है और जीवन के पानी के सोते से पीना है, जिससे वे फिर कभी प्यासे नहीं रहेंगे। दुसरे शब्दों में, संत अब परमेश्वर की सन्तान बन गए हैं, जिनके पास अनन्त जीवन होगा, ठीक प्रभु परमेश्वर की तरह, और उनकी महिमा में जिएंगे। हमें यह महान आशीष देने के लिए मैं एक बार फिर हमारे प्रभु परमेश्वर को धन्यवाद और महिमा देता हूं। हाल्लेलूयाह!
 
वचन ७: “जो जय पाए वही इन वस्तुओं का वारिस होगा, और मैं उसका परमेश्‍वर होऊँगा और वह मेरा पुत्र होगा।”
यहाँ “जो जय पाए”का अर्थ उन लोगों से है जिन्होंने प्रभु द्वारा दिए गए अपने विश्वास की रक्षा की है। यह विश्वास सभी संतों को संसार और परमेश्वर के शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की अनुमति देता है। प्रभु परमेश्वर में हमारा विश्वास और परमेश्वर के द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार के सच्चे प्रेम पर हमारा विश्वास हमें दुनिया के सभी पापों पर, परमेश्वर के न्याय पर, हमारे शत्रुओं पर, हमारी अपनी कमजोरियों पर और मसीह विरोधी के उत्पीडन पर विजय प्रदान करता है। 
हमें साड़ी क्घिजो पर जय देने के लिए मैं अपने प्रभु परमेश्वर को धन्यवाद और महिमा देता हूं। जो संत प्रभु परमेश्वर में विश्वास करते हैं, वे अपने विश्वास के साथ मसीह विरोधी पर पर्याप्त रूप से विजय प्राप्त करते हैं। प्रत्येक संत को, हमारे प्रभु परमेश्वर ने यह विश्वास दिया है जिसके साथ वे सब अपने सभी दुश्मनों के खिलाफ युध्ध में विजय प्राप्त कर सकते हैं।
परमेश्वर ने अब संतों को अनुमति दी है, जिन्होंने इस प्रकार दुनिया और मसीह विरोधी को अपने विश्वास से जीत लिया है, ताकि वे अपने नए स्वर्ग और पृथ्वी को प्राप्त कर सकें। हमारे प्रभु परमेश्वर ने अपने संतों को विजय का विश्वास दिया है ताकि वे उसके राज्य के वारिस हो सकें। क्योंकि परमेश्वर ने हमें वह विश्वास दिया है जो मसीह विरोधी पर विजय प्राप्त करता है, परमेश्वर अब हमारा परमेश्वर बन गया है, और हम उसकी संतान बन गए हैं। हम अपने सभी शत्रुओं पर विजय का यह विश्वास देने के लिए हम अपने प्रभु परमेश्वर को धन्यवाद और स्तुति करते हैं।
 
वचन ८: “परन्तु डरपोकों, और अविश्‍वासियों, और घिनौनों, और हत्यारों और व्यभिचारियों, और टोन्हों, और मूर्तिपूजकों, और सब झूठों का भाग उस झील में मिलेगा जो आग और गन्धक से पानीती रहती है : यह दूसरी मृत्यु है।” 
अपने गुण में, हमारे प्रभु परमेश्वर सत्य के परमेश्वर और प्रेम के परमेश्वर हैं। तो फिर, ये कौन लोग हैं जो मूल रूप से परमेश्वर के सामने डरपोक हैं? ये वे हैं जो मूल पाप में पैदा हुए हैं और जिन्होंने अपने सभी पापों को प्रभु द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन से शुद्ध नहीं किया है। क्योंकि अपने गुण में वे परमेश्वर से अधिक दुष्टों की पूजा करते हैं, वे स्पष्ट रूप से शैतान के सेवक बन गए हैं। यह इस कारण है कि वे प्रभु परमेश्वर के सामने बुराई की उपासना करते हैं, और क्योंकि वे ज्योति से अधिक अन्धकार से प्रेम करते हैं और उसका अनुसरण करते हैं इसलिए वे प्रभु परमेश्वर के सामने डरपोक है। 
परमेश्वर अपने गुण में प्रकाश है। इसलिए यह एक स्थापित तथ्य है कि ये लोग जो स्वयं अन्धकार हैं वे स्वयं परमेश्वर का भय मानते हैं। जैसे उन लोगों की आत्माएं जो शैतान के हैं, अंधकार से प्रेम करते हैं, वे उस परमेश्वर के सामने डरपोक हैं जो स्वयं प्रकाश हैं। यही कारण है कि उन्हें अपनी बुराई और कमजोरियों को परमेश्वर के पास ले जाना चाहिए और उससे अपने पापों की क्षमा प्राप्त करनी चाहिए।
वे "अविश्वासी", जिनके हृदय मूल रूप से हमारे प्रभु परमेश्वर के प्रेम और उनके पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास नहीं करते हैं, वे उसके शत्रु हैं और परमेश्वर के सामने सबसे बड़े पापी हैं। उनकी आत्मा घिनौने लोगों की है, और वे परमेश्वर आर प्रेम के विरुद्ध खड़े हैं, और हर प्रकार के पाप करते हैं, झूठे संकेतों का पालन करते हैं, सभी प्रकार की मूर्तियों की पूजा करते हैं, और सभी प्रकार के झूठ बोलते हैं। इसलिए, परमेश्वर के धर्मी न्याय के द्वारा वे सब आग और गंधक से जलती हुई झील में डाल दिए जाएंगे। यह उनकी दूसरी मौत की सजा है।
परमेश्वर इन लोगों को अपने नए स्वर्ग और पृथ्वी की अनुमति नहीं दी है जो उसके सामने डरपोक हैं, जो पानी और आत्मा के उसके सुसमाचार के वचन में विश्वास नहीं करते हैं, और जो शैतान के सेवक बन गए हैं जो घृणित हैं। इसके बजाय, हमारे परमेश्वर ने उन्हें केवल अपनी अनन्त सजा की अनुमति दी है, उन सभी को (हत्या, व्यभिचार, टोन्हों, मूर्तिपूजक और सभी झूठे सहित) आग और गंधक की झील में डाल दिया। नरक उनकी दूसरी मृत्यु है जो परमेश्वर उन्हें इस प्रकार देगा।
 
वचन ९: फिर जिन सात स्वर्गदूतों के पास सात अन्तिम विपत्तियों से भरे हुए सात कटोरे थे, उनमें से एक मेरे पास
आया, और मेरे साथ बातें करके कहा, “इधर आ, मैं तुझे दुल्हिन अर्थात् मेम्ने की पत्नी दिखाऊँगा।”
स्वर्गदूतों में से एक जो सात कटोरे में से एक विपत्ति लाया था, उसने यूहन्ना से कहा, “इधर आ, मैं तुझे दुल्हिन अर्थात् मेम्ने की पत्नी दिखाऊँगा।” यहाँ, "मेम्ने की पत्नी" का अर्थ उन लोगों से है जो परमेश्वर के द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार में अपने हृदय से विश्वास करने के द्वारा यीशु मसीह की दुल्हन बन गए हैं। 
वचन १०-११: तब वह मुझे आत्मा में एक बड़े और ऊँचे पहाड़ पर ले गया, और पवित्र नगर यरूशलेम को स्वर्ग से परमेश्‍वर के पास से उतरते दिखाया। परमेश्‍वर की महिमा उनमें थी, और उसकी ज्योति बहुत ही बहुमूल्य पत्थर, अर्थात् बिल्‍लौर के समान यशब की तरह स्वच्छ थी।
"पवित्र नगर यरूशलेम" पवित्र शहर को संदर्भित करता है जहां संतों को अपने दूल्हे के साथ रहना है। यूहन्ना ने जो शहर देखा वह वाकई बहुत खूबसूरत और शानदार था। यह आकार में राजसी था, अंदर से बाहर बहुमूल्य पत्थरों से सजा, बिल्लौर के सामान स्वच्छ था। स्वर्गदूत ने यूहन्ना को यह दिखाया कि यीशु मसीह की दुल्हनें अपने दूल्हे के साथ कहाँ रहेंगी। स्वर्ग से उतरते हुए यरूशलेम का यह पवित्र शहर परमेश्वर का उपहार है जो वह मेम्ने की पत्नी को देगा।
यरुशलम शहर शानदार ढंग से चमकता है, और इसकी रोशनी एक सबसे कीमती पत्थर की तरह है, बिल्लौर के सामान यशब की तरह स्वच्छा। इसलिए, जो इसमें रहते हैं, उनके लिए परमेश्वर की महिमा हमेशा और हमेशा के लिए है। परमेश्वर का राज्य प्रकाश का है, और इसलिए केवल वे ही इस शहर में प्रवेश कर सकते हैं जो अपने सभी अंधकार, कमजोरियों और पापों से मुक्त हो गए हैं। इस प्रकार, हम सभी को यह विश्वास करना चाहिए कि इस पवित्र शहर में प्रवेश करने के लिए, हमें हमारे प्रभु ने जो दिया है वह पानी और आत्मा के सुसमाचार के सच्चे वचन को सीखना, जानना और विश्वास करना होगा।
 
वचन १२: उसकी शहरपनाह बड़ी ऊँची थी, और उसके बारह फाटक और फाटकों पर बारह स्वर्गदूत थे; और उन फाटकों पर इस्राएलियों के बारह गोत्रों के नाम लिखे थे।
इस नगर के फाटकों पर बारह स्वर्गदूत पहरा दे रहे थे, और उन पर इस्राएलियों के बारह गोत्रों के नाम लिखे हुए थे। शहर में "एक बड़ी और ऊँची शहरपनाह" थी, जो हमें बता रही थी कि इस पवित्र शहर में प्रवेश करने का रास्ता इतना कठिन है। दुसरे शब्दों में, परमेश्वर के सामने हमारे सभी पापों से बचाया जाना मानवीय प्रयासों या परमेश्वर की सृष्टि की दुनिया की भौतिक चीजों से असंभव है।
हमारे सभी पापों से मुक्त होने और परमेश्वर के पवित्र शहर में प्रवेश करने के लिए, यह बहुत ही आवश्यक है कि हमें यीशु के बारह शिष्यों के समान विश्वास हो, वह विश्वास जो पानी और आत्मा के सुसमाचार की सच्चाई में विश्वास करता है। इस प्रकार, कोई भी व्यक्ति जिसे पानी और आत्मा के सुसमाचार में यह विश्वास नहीं है, वह कभी भी इस पवित्र शहर में प्रवेश नहीं कर सकता है। यही कारण है कि प्रभु परमेश्वर द्वारा नियुक्त बारह स्वर्गदूत उसके फाटकों की रखवाली करते हैं।
दूसरी ओर, "उन पर लिखे गए नाम" वाक्यांश हमें बताता है कि इस शहर के स्वामी का फैसला पहले ही हो चुका है। इसके स्वामी कोई और नहीं बल्कि स्वयं परमेश्वर और उसके लोग हैं, क्योंकि यह शहर परमेश्वर के लोगों का है जो अब उसकी संतान बन गए हैं। 
 
वचन १३: पूर्व की ओर तीन फाटक, उत्तर की ओर तीन फाटक, दक्षिण की ओर तीन फाटक, और पश्‍चिम की ओर तीन फाटक थे। 
चूँकि शहर के पूर्व में तीन फाटक थे, इसके उत्तर, दक्षिण और पश्चिम में भी तीन-तीन फाटक थे। यह हमें दिखाता है कि केवल वे लोग ही इस शहर में प्रवेश कर सकते हैं जिन्होंने पानी और आत्मा के सुसमाचार में अपने दिल से विश्वास करके पाप की क्षमा प्राप्त की है।
 
वचन १४: नगर की शहरपनाह की बारह नींवे थीं, और उन पर मेम्ने के बारह प्रेरितों के बारह नाम लिखे थे। 
विशाल चट्टानों का उपयोग इमारतों या भवनों की नींव के रूप में अच्छी तरह से किया जाता है। बाइबल में `चट्टान’ शब्द हमारे प्रभु परमेश्वर में विश्वास का उल्लेख करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह वचन हमें बताता है कि प्रभु परमेश्वर के पवित्र शहर में प्रवेश करने के लिए, हमारे पास वह विश्वास होना चाहिए जो उसने मनुष्यजाति को दिया है, वह विश्वास जो हमारे सभी पापों से उसके पूर्ण छुटकारे में विश्वास करता है। संतों का विश्वास पवित्र शहर के कीमती पत्थरों से भी ज्यादा कीमती है। यह वचन हमें यहाँ बताता है कि नगर की शहरपनाह बारह नींवों पर बनी थी, और उन पर मेम्ने के बारह प्रेरितों के नाम लिखे हुए थे। यह हमें बताता है कि परमेश्वर के शहर की अनुमति केवल उन लोगों को दी जाती है जिनके पास वही विश्वास है जो यीशु मसीह के बारह प्रेरितों का था।
 
वचन १५: जो मेरे साथ बातें कर रहा था उसके पास नगर और उसके फाटकों और उसकी शहरपनाह को नापने के लिये एक सोने का गज़ था। 
इस वचन का अर्थ है कि परमेश्वर के द्वारा बनाए गए शहर में प्रवेश करने के लिए, व्यक्ति के पास उस तरह का विश्वास होना चाहिए जो परमेश्वर के द्वारा स्वीकार्य हो, उस तरह का जो उसे पाप से छूटकारा दिलाए। यह यहाँ कहता है कि जिस स्वर्गदूत ने यूहन्ना से बात की थी उसके पास शहर को मापने के लिए एक सोने का ग़ज था। इसका मतलब है कि हमें विश्वास करना चाहिए कि हमारे प्रभु ने हमें ये सभी आशीर्वाद पानी और आत्मा के सुसमाचार के भीतर दिए हैं। जैसा कि "विश्वास आशा की गई वस्तुओं का प्रमाण है (इब्रानियों ११:१)," परमेश्वर ने वास्तव में हमें पवित्र शहर और नया स्वर्ग और पृथ्वी दी है, जो कि हमारी आशा से भी बड़ी हैं। 
 
वचन १६: वह नगर वर्गाकार बसा हुआ था और उसकी लम्बाई, चौड़ाई के बराबर थी; और उसने उस गज़ से नगर को नापा, तो साढ़े सात सौ कोस का निकला : उसकी लम्बाई और चौड़ाई और ऊँचाई बराबर थी।
वह शहर वर्गाकार बसा हुआ था और उसकी लम्बाई, चौड़ाई और उंचाई एक सामान थी। यह हमें बताता है कि हम सभी को पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके परमेश्वर के लोगों के रूप में नया जन्म लेने का विश्वास होना चाहिए। वास्तव में, हमारा प्रभु किसी ऐसे व्यक्ति को परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देगा जिसे पानी और आत्मा के सुसमाचार में इतना सटीक विश्वास नहीं है। 
ऐसे बहुत से लोग हैं जिनकी ऐसी अस्पष्ट धारणा है कि वे केवल मसीही बनकर पवित्र शहर में प्रवेश करेंगे फीर भले ही उनके पास अभी भी पाप हो। लेकिन हमारे प्रभु ने उन लोगों को पाप से उद्धार दिया है और पवित्र आत्मा दी है और उन्हें अपने लोग बनाया है जो इस बात पर विश्वास करते है की उसने इस पृथ्वी पर अपने बपतिस्मा और क्रूस के लहू के द्वारा उनके सारे पापों को माफ़ किया है। यह वो विश्वास है जिसकी हमारे प्रभु हमसे माँग करते हैं।
 
वचन १७: उसने उसकी शहरपनाह को मनुष्य के अर्थात् स्वर्गदूत के नाप से नापा, तो एक सौ चौवालीस हाथ निकली। 
बाइबल में नंबर चार का अर्थ पीड़ित है। जिस विश्वास की प्रभु हमसे माँग करता है वह कोई ऐसी चीज नहीं है जो किसी भी व्यक्ति के पास हो सकती है, लेकिन यह विश्वास केवल वे ही प्राप्त कर सकते हैं जो परमेश्वर के वचन को स्वीकार करते हैं, भले ही फिर वे इसे अपने विचारों से पूरी तरह से समझ न सकें। एक मसीही के रूप में, केवल यीशु के क्रूस में विश्वास करने से और यह विश्वास करने से कि प्रभु परमेश्वर और उद्धारकर्ता हैं हमारे लिए परमेश्वर के पवित्र शहर में प्रवेश करना असंभव है। क्या आप जानते हैं कि जब प्रभु ने यूहन्ना ३:५ में कहा, "मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जब तक कोई पानी और आत्मा से न जन्मे, वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता"? क्या आप जानते हैं कि हमारे प्रभु का इस पृथ्वी पर आना, यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा लेना, संसार के पापों को क्रूस पर ले जाना और उस पर अपना लहू बहाने का क्या अर्थ है? यदि आप इस प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं, तो आप समझेंगे कि मैं यहाँ क्या बात कर रहा हूँ।
 
वचन १८: उसकी शहरपनाह यशब की बनी थी, और नगर ऐसे शुद्ध सोने का था जो स्वच्छ काँच के समान हो। 
यह वचन हमें बताता है कि जो विश्वास हमें परमेश्वर के पवित्र नगर में प्रवेश करने की अनुमति देता है वह शुद्ध है और उसमें संसार की कोई वस्तु नहीं है।
 
वचन १९-२०: उस नगर की नींवें हर प्रकार के बहुमूल्य पत्थरों से सँवारी हुई थीं; पहली नींव यशब की, दूसरी नीलमणि की, तीसरी लालड़ी की, चौथी मरकत की, पाँचवीं गोमेदक की, छठवीं माणिक्य की, सातवीं पीतमणि की, आठवीं पेरोज की, नवीं पुखराज की, दसवीं लहसनिए की, ग्यारहवीं धूम्रकान्त की, और बारहवीं याकूत की थी।
नगर की शहरपनाह की नींव सभी प्रकार के बहुमूल्य पत्थरों से सजी हुई थी। यह वचन हमें बताता है कि हम अपने प्रभु के वचन से विश्वास के विभिन्न पहलुओं से पोषित हो सकते हैं। और ये बहुमूल्य पत्थर हमें उस प्रकार के आशीर्वाद को दिखाते हैं जो हमारे परमेश्वर अपने संतों को देंगे।
 
वचन २१: बारहों फाटक बारह मोतियों के थे; एक एक फाटक एक एक मोती का बना था। नगर की सड़क स्वच्छ काँच के समान शुद्ध सोने की थी। 
बाइबल में मोती का अर्थ `सत्य` है (मत्ती १३:४६)। एक सच्चा सत्य को ढूँढने वाला उस सत्य को प्राप्त करने के लिए खुशी-खुशी अपनी सारी संपत्ति को त्याग देगा जो उसे अनन्त जीवन देता है। यह वचन हमें बताता है कि पवित्र शहर में प्रवेश करने वाले संतों को इस धरती पर सच्चाई में अपने विश्वास के केंद्र में मजबूती से खड़े होने के दौरान बहुत धैर्य रखने की आवश्यकता है। दुसरे शब्दों में, जो लोग प्रभु परमेश्वर द्वारा बोले गए सत्य के वचन में विश्वास करते हैं उन्हें अपने विश्वास की रक्षा के लिए अत्यधिक दृढ़ता की आवश्यकता है।
 
वचन २२-२३: मैं ने उसमें कोई मन्दिर न देखा, क्योंकि सर्वशक्‍तिमान प्रभु परमेश्‍वर और मेम्ना उसका मन्दिर है। उस नगर में सूर्य और चाँद के उजियाले की आवश्यकता नहीं, क्योंकि परमेश्‍वर के तेज से उस में उजियाला हो रहा है, और मेम्ना उसका दीपक है।
इस भाग का अर्थ है कि सभी संत राजाओं के राजा, यीशु मसीह की बाहों में आलिंगनबद्ध होंगे। और पवित्र शहर यरुशलम को पहले सूर्य या चाँद के उजियाले की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि जगत की ज्योति यीशु मसीह इसे रोशन करेगा।
 
वचन २४: जाति–जाति के लोग उसकी ज्योति में चले–फिरेंगे, और पृथ्वी के राजा अपने अपने तेज का सामान उसमें लाएँगे।”
यह भाग हमें बताता है कि जिन लोगों को हजार साल के राज्य में जीना है वे अब नए स्वर्ग और पृथ्वी में प्रवेश करेंगे। “पृथ्वी के राजा” यहाँ उन संतों का उल्लेख करते हैं जो हजार साल के राज्य में जिएंगे। वचन आगे कहता है कि पृथ्वी के यह राजा “अपने अपने तेज का सामान उसमे लाएंगे।” यह हमें बताता है कि जो संत पहले से ही अपने महिमामय शरीर में जी रहे थे, अब हजार साल के राज्य से परमेश्वर के नए स्वर्ग और पृथ्वी के नव निर्मित राज्य में चले जाएंगे। 
इस प्रकार, केवल वे जो इस पृथ्वी पर रहते हुए पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके नया जन्म पाए है और इस प्रकार मसीह के राज्य में एक हजार वर्षों तक रहने के लिए स्वर्गारोहित किए गए थे, वे यरूशलेम के पवित्र शहर में प्रवेश करने में सक्षम होंगे।
 
वचन २५: उसके फाटक दिन को कभी बन्द न होंगे, और रात वहाँ न होगी। 
क्योंकि नया स्वर्ग और पृथ्वी, जहां पवित्र शहर स्थित है, पहले से ही पवित्र प्रकाश से भरा हुआ है, इसमें कोई रात नहीं हो सकती, न ही कोई बुराई हो सकती है।
 
वचन २६: लोग जाति जाति के तेज और वैभव का सामान उसमें लाएँगे। 
यह हमें बताता है कि प्रभु परमेश्वर की अद्भुत सामर्थ के माध्यम से, जो एक हजार वर्षों से मसीह के राज्य में जी रहे थे, वे अब नए स्वर्ग और पृथ्वी के राज्य में जाने के योग्य हैं, वह राज्य जहां पवित्र नगर खड़ा है।
 
वचन २७: परन्तु उसमें कोई अपवित्र वस्तु, या घृणित काम करनेवाला, या झूठ का गढ़नेवाला किसी रीति से प्रवेश न करेगा, पर केवल वे लोग जिनके नाम मेम्ने के जीवन की पुस्तक में लिखे हैं।
इस संसार के मसीही और गैर-मसीहीयों दोनों में समान रूप से, वे सभी जो पानी और आत्मा के सुसमाचार की सच्चाई को नहीं जानते हैं, वे अशुद्ध, घिनौने और झूठे हैं। इसलिए वे पवित्र नगर में प्रवेश नहीं कर सकते।
यहाँ परमेश्वर का वचन हमें इस बात की पुष्टि करने की अनुमति देता है कि पानी और आत्मा के सुसमाचार की सामर्थ कितनी महान है जो प्रभु ने हमें इस पृथ्वी पर दी है। यद्यपि पानी और आत्मा का सुसमाचार इस पृथ्वी पर कई लोगों को प्रचारित किया गया है लेकिन एक ऐसा समय था जब तथाकथित मसीहीयों द्वारा इस सुसमाचार की उपेक्षा भी की गई थी और उसका तिरस्कार किया गया था। लेकिन केवल प्रभु के द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास ही स्वर्ग की कुंजी है। 
बहुत से लोग अभी भी इस सच्चाई से अनजान हैं, लेकिन आपको पता होना चाहिए कि जो कोई भी व्यक्ति यह समझता है और विश्वास करता है कि पानी और आत्मा के सुसमाचार के साथ प्रभु ने उसे स्वर्ग की कुंजी और पापों की माफ़ी दी है, उनके नाम जीवन की पुस्तक में लिखे है। 
यदि आप पानी और आत्मा के सुसमाचार की सच्चाई को स्वीकार करते हैं और उस पर विश्वास करते हैं, तो आप पवित्र शहर में प्रवेश करने की आशीष को प्राप्त करेंगे।