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उपदेश

विषय १० : प्रकाशितवाक्य (प्रकाशितवाक्य पर टिप्पणी)

[अध्याय 21-2] हमारे अन्दर ऐसा विश्वास होना चाहिए जो परमेश्वर के द्वारा स्वीकृत हो ( प्रकाशितवाक्य २१:१-२७ )

हमारे अन्दर ऐसा विश्वास होना चाहिए जो परमेश्वर के द्वारा स्वीकृत हो
( प्रकाशितवाक्य २१:१-२७ )

परमेश्वर ने हमें नया स्वर्ग और पृथ्वी दी है। परमेश्वर हमें बताता है कि जो कुछ तुम अभी देखते हो, पहला स्वर्ग और पृथ्वी, और उसकी सारी चीजे, सब गायब हो जाएगा, और वह हमें उनके स्थान पर नए ब्रह्माण्ड में एक नया स्वर्ग, एक नई पृथ्वी और एक नया समुद्र देगा, और सभी चीजों को नया करेगा। इसका मतलब यह है कि प्रभु परमेश्वर नए स्वर्ग और पृथ्वी को अपने उपहार के रूप में उन संतों को देंगे जिन्होंने पहले पुनरुत्थान में भाग लिया था। यह आशीर्वाद परमेश्वर की ओर से एक उपहार है जो वह अपने उन संतों को प्रदान करेगा, जिन्होंने अपने पापों की क्षमा प्राप्त कर ली है।
इसलिए परमेश्वर यह आशीष उन संतों को देगा जिन्होंने पहले पुनरुत्थान में भाग लिया था। यह आशीर्वाद केवल उन संतों को दिया जाता है, जिन्होंने यीशु मसीह के द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के पवित्र सुसमाचार में विश्वास करके अपने पापों की क्षमा प्राप्त की है। इस प्रकार हमारा प्रभु संतों का दूल्हा बनेगा। अब से, दुल्हनों को जो कुछ करना है वह यह है की दूल्हे की सुरक्षा प्राप्त करे, मेमने की पत्नी के रूप में आशीर्वाद सामर्थ प्राप्त करे, और हमेशा के लिए उसके गौरवशाली राज्य में महिमा में जिए। 
यह भाग हमें ये भी बताता है कि पवित्र शहर, नया यरूशलेम, स्वर्ग से उतरा। यह कोई साधारण शहर नहीं था, क्योंकि यह कहता है कि यह शहर स्वर्ग से उतरकर अपने पति के लिए सजी एक दुल्हन के समान सुंदर था। 
परमेश्वर ने संतों के लिए एक पवित्र शहर तैयार किया है। यह शहर यरूशलेम का शहर, परमेश्वर का मंदिर है। यह मंदिर केवल परमेश्वर के संतों के लिए तैयार किया गया है। और यह यीशु मसीह में सभी संतों के लिए इस ब्रह्माण्ड के निर्माण से पहले योजना बनाई गई है। इसलिए संत अपने विश्वास के साथ प्रभु परमेश्वर को धन्यवाद देते हैं और अनुग्रह के इस उपहार के लिए उन्हें महिमा देते हैं।
ये सभी चीजें—कि संतों को परमेश्वर की प्रजा बनाया गया है और वह उनका परमेश्वर बन गया है—परमेश्वर द्वारा दिया गया अनुग्रह और एक उपहार है जो संतों ने पानी और आत्मा के उद्धार के वचन में विश्वास करने के लिए उनसे प्राप्त किया है।
इसलिए, वे सभी जो प्रभु के मंदिर में प्रवेश करने और उसके साथ रहने के लिए धन्य हैं, वे हमेशा के लिए परमेश्वर का धन्यवाद और महिमा देंगे, क्योंकि पवित्रशास्त्र हमें बताता है कि परमेश्वर उनके आंसू पोंछ देगा, और न तो मृत्यु होगी और न ही रोना होगा, और न ही अब और दुख सहना होगा, और पहिली बातें बीत जातीं है। हालाँकि इस दुनिया में अब दु:ख, रोना, दर्द, मृत्यु, विलाप और उदासी बहुत अधिक है, लेकिन नए स्वर्ग और पृथ्वी में, ऐसी सभी चीज़ें समाप्त हो जातीं है। जो लोग प्रभु द्वारा दिए गए नए स्वर्ग और पृथ्वी में रहते हैं, वे अब दुख के आंसू नहीं बहाएंगे या अपने प्रियजनों के खोने के लिए दुख में नहीं रोएंगे, कभी नहीं।
जब नए स्वर्ग और पृथ्वी में संतों के प्रवेश का यह समय आता है, तो पहला स्वर्ग, पहली पृथ्वी, और उनके सभी दुख गायब हो जाते हैं, और जो कुछ भी संतों की प्रतीक्षा करता है, वह है नए स्वर्ग और पृथ्वी में हमेशा के लिए परमेश्वर के साथ अपने गौरव और सभी आशीषों के साथ जीवन जीना। परमेश्वर ने पहले संसार की सभी अपूर्णताओं को दूर कर इस नई दुनिया को परिपूर्ण बनाया होगा।
अध्याय २१ का मुख्य भाग हमें नए स्वर्ग और पृथ्वी के बारे में बताता है, जो अध्याय २० में वर्णित हजार साल के राज्य के बीत जाने के बाद इस दुनिया के पूर्ण विनाश का अनुसरण करेगा। अध्याय २० के साथ, जो कुछ भी इस पृथ्वी से संबंधित है, वह सब समाप्त हो गया। मसीह विरोधी (पशु), झूठे भविष्यद्वक्ता, उसके अनुयायी, और जो लोग परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते थे लेकिन इस दुनिया में उसके खिलाफ खड़े हुए थे उनका युग समाप्त हो चुका है। जब हजार साल का राज्य करीब आता है तब वे सभी आग में दाल दीया जाता है, अब केवल एक ही जगह है जहाँ उन्हें देखा जा सकता है वह है नरक। 
इस प्रकार, अध्याय २१ में, परमेश्वर हमें नए स्वर्ग और पृथ्वी के बारे में बताता है कि वह संतों को एक पूर्णता का स्थान देगा जहां कोई पापी कभी नहीं मिल सकता है। जैसे जंगली जानवरों को देखने के लिए आप चिड़ियाघर जाते हैं, वैसे ही समय आने पर जो कोई भी शैतान और उसके अनुयायियों को देखना चाहता है उसे नरक की यात्रा करनी होगी।
जिस स्थान पर परमेश्वर हमें नया स्वर्ग और पृथ्वी देगा, वहां हमारा प्रभु भी हमारे साथ रहेगा। परमेश्वर ने हमारे लिए सुंदर प्रकृति और शानदार हरे-भरे बगीचों के साथ पवित्र शहर भी बनाया है। जब नया स्वर्ग और पृथ्वी आएंगे, तो पहली दुनिया की सभी चीजें और उसकी सभी अपूर्णताएं गायब हो गई होंगी, केवल सत्य का अस्तित्व होगा, और संपूर्ण संत स्वर्ग के पूरे राज्य पर हमेशा और हमेशा के लिए शासन करेंगे।
 

अपनी वर्त्तमान स्थिति से निराश मत हो

यह वर्तमान युग अंधकार और निराशा का युग है। आशा इस युग में कहीं नहीं मिलती, जिसका भविष्य केवल अनिश्चितता के बादल से घिरा है। इसलिए, कभी-कभी, हम निराश और कमजोर महसूस करते हैं फिर भले ही हम सुसमाचार का प्रचार कर रहे हों। जहाँ तक मेरी बात है, मेरा दिल अक्सर इस वजह से उदास रहता था, लेकिन प्रकाशितवाक्य के वचन को पढ़ते हुए और उसके अंशों की व्याख्या करते हुए, मैंने समझा है कि परमेश्वर के संतों और सेवकों को अंत समय का सामना करना पड़ रहा है, इससे दुखी होने की कोई बात नहीं है। मुझे यह समझा कर कि वर्तमान क्लेश और कष्ट केवल अल्पकालिक हैं, और यह कि एक उज्ज्वल दुनिया मेरी आंखों के सामने खड़ी है, परमेश्वर ने मेरे दिल को फिर कभी परेशान न होने के लिए मजबूत किया है। 
यदि हम केवल अपनी वर्तमान परिस्थितियों को देखें, तो हमारा जीवन वास्तव में निराशाजनक, दुखद और रुचिहीन है, और सुसमाचार की सेवा करते समय हमारे पास आने वाली निरंतर परेशानियों से हम निराश होने की संभावना रखते हैं। लेकिन प्रभु के सभी आशीर्वादों के कारण जो हमारे पास आ रहे हैं, भले ही वे हमारी दैहिक की आंखों से नहीं देखे जा सकते हैं, हमारे हृदय सभी भटकावों से मुक्त हो गए हैं, और इसके बजाय बड़ी आशा और आनंद से भर गए हैं। हमें दुख में जीने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है इसका कारण यह है कि हमारे परमेश्वर ने हमें पहले ही अपना नया स्वर्ग और पृथ्वी दे दिया है।
क्या आप नए स्वर्ग और पृथ्वी में विश्वास करते हैं? यद्यपि आपने इसका अनुभव नहीं किया है, क्या आपने कभी इस पर विचार किया है? 
इस धरती में भी कुछ खूबसूरत जगहें हैं। जब हम इस दुनिया में जीने के लिए अच्छे वातावरण की बात करते हैं, तो हम आमतौर पर पेड़ों, नदियों के अलावा हरे भरे चरागाहों, खेतों में फूलों और अच्छे लोगों की बात कर रहे होते हैं। वहाँ भी साफ पानी बहना चाहिए, और उसमें कोई बुरे लोग नहीं होने चाहिए, और न ही किसी चीज की कमी होनी चाहिए। जब ऐसी सभी शर्तें पूरी हो जाती हैं, तो हम कहते हैं कि यह सबसे शानदार माहौल है। लेकिन स्वर्ग में, सब कुछ परिपूर्ण है, पूरी दुनिया में सबसे अच्छी जगह की तुलना में कहीं अधिक और बेहतर है।
तो सवाल यह है कि परमेश्वर ने इस सम्पूर्ण तरीके से बनाए हुए पवित्र नगर को किसके लिए तैयार किया है और इसे किसके लिए स्वर्ग से नीचे लाएगा। परमेश्वर ने इस शहर को संतों के अलावा किसी और के लिए नहीं बनाया है। इसलिए हम सब पहली पृथ्वी के बारे में सब कुछ भूल सकते हैं। यद्यपि हम हजार साल के राज्य में, अगले संसार में, अध्याय २१ में वर्णित नए स्वर्ग और पृथ्वी में महिमा में रहेंगे, जिसे परमेश्वर वास्तव में हमें देना चाहता है, हम और भी अधिक महिमा में प्रभु के साथ रहेंगे। ऐसा करने के लिए, परमेश्वर ने हमें यीशु मसीह को भेजकर बचाया है, और हमारा पुनरुत्थान और रेप्चर करेगा। पुनरुत्थित यीशु के शरीर की तरह परिपूर्ण बनाए गए शरीरों में प्रभु के साथ रहना आनंदमय और धन्य जीवन की एक चित्र-परिपूर्ण छवि प्रदान करता है जो हमारी प्रतीक्षा कर रहा है। 
हमें नए स्वर्ग और पृथ्वी का राज्य देने के लिए, परमेश्वर ने आपको और मुझे इस पृथ्वी पर जन्म लेने के लिए बनाया है, और उन्होंने हमें बचाया है। यदि संत इस संसार में परमेश्वर के गहन विधान की समझ के साथ जीते हैं, तो वे सभी बिना किसी कठिनाई का सामना किए, दुःख सहे, या निराशा का सामना किए बिना अच्छी तरह से जी सकते हैं। यह देखकर कि प्रभु ने क्या किया है और भविष्य में वह हमारे लिए क्या करेगा, हम सभी उद्यमी और सकारात्मक रूप से जी सकते हैं। 
लेकिन यदि हम खुद को और इस धरती की राजनीति, अर्थशास्त्र और समाज की निराशाजनक स्थिति को देखें, तो निराशा में पड़ने के अलावा और कोई चारा नहीं है। आपको और मुझे यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि परमेश्वर ने हमें नया स्वर्ग और पृथ्वी दी है, और वह स्वर्ग हमारा है। यह सच्चाई है। यह तथ्य है। भले ही यह दुनिया आपको दुखी करने की कोशिश करे, इससे कभी दुखी न हों और न ही क्रोधित हों, बल्कि केवल प्रभु की ओर देखें। और अपने जीवन को आशा के साथ जियो, यह विश्वास करते हुए कि प्रभु ने वास्तव में अपने संतों को नया स्वर्ग और पृथ्वी दिया है।
परमेश्वर ने कहा कि वह सब कुछ नया कर देगा। उसने यूहन्ना से इन वचनों को लिखने के लिए कहा, कि वह सब कुछ नया कर देगा, "क्योंकि ये वचन सत्य और विश्वासयोग्य हैं।" जो लोग पहले पुनरुत्थान में भाग लेते हैं, वे भी उस स्थान पर रहने की इन सभी आशीषों में भाग लेंगे जहां परमेश्वर ने सभी चीजों को नया बनाया होगा। यह कुछ ऐसा है जिसे हम अपने मानव निर्मित विचारों से सपने में भी नहीं देख सकते हैं, लेकिन यह कुछ ऐसा है जिसे परमेश्वर ने अपने संतों के लिए तैयार किया है। इस प्रकार इस महान कार्य को पूरा करने के लिए संत और सभी चीजें हमेशा के लिए परमेश्वर को सारी महिमा, धन्यवाद, सम्मान और स्तुति देंगे।
बाइबल कहती है कि "विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय, और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है (इब्रानियों ११:१)।" दुसरे शब्दों में, हालाँकि हम इन चीज़ों को अपनी आँखों से नहीं देख सकते हैं फिर भी ये सभी सत्य हैं। हमने अपने सभी पापों से बचाए जाने की आशा की थी, और अपने उद्धार में विश्वास करके हम वास्तव में बचाए गए हैं। और क्योंकि हमने बचाए जाने के बाद, एक संपूर्ण और परिपूर्ण दुनिया में हमेशा के लिए जीने की इच्छा और आशा की है, जिसमें कुछ भी कमी नहीं है, परमेश्वर ने वास्तव में हमारे लिए इस आशा को पूरा किया है। हमने जो कुछ भी चाहा है और आशा की है वह सब सच होगा, क्योंकि हमारी सभी आशाएं सच हैं।
प्रकाशितवाक्य के १०वें अध्याय में, जब प्रभु ने अपने दूत के द्वारा जो समुद्र और पृथ्वी पर खड़ा था, यूहन्ना से बात की, और जब यूहन्ना ने उसे लिखने की कोशिश की, तो परमेश्वर ने उसे न लिखने के लिए कहा। जो बातें प्रभु ने कहीं, उनमें से कुछ ऐसी बातें हैं जिन्हें उसने लिखने की अनुमति नहीं दी, क्योंकि ये ऐसे रहस्य हैं जिन्हें वह केवल हम संतों के ऊपर ही प्रकट करेगा।
यह रहस्य कुछ और नहीं बल्कि हमारा रेप्चर है। यह जानने के लिए कि हमारा रेप्चर किस बिंदु पर होगा, हमें पहले यह समझना होगा कि परमेश्वर की सातवीं तुरही इस रहस्य को सुलझाने का निर्णायक प्रमाण है। तो फिर, सातवीं तुरही कब बजेगी? सातवीं तुरही तब बजेगी जब महान क्लेश की सात-वर्ष की अवधि के पहले साढ़े तीन वर्ष बीत जाएंगे। यह तब होगा जब संतों का पुनरुत्थान और रेप्चर आएगा। और जब रेप्चर समाप्त हो जाएगा, तो सात कटोरों की विपत्तियां शीघ्र ही आ जाएंगी।
कुछ साल पहले, मैंने "एशिया माइनर की सात कलीसिया" शीर्षक वाले विषय के साथ एक जागृति की मीटिंग आयोजित की थी। मैंने एशिया माइनर की इन सात कलीसियाओं पर एक पुस्तक भी लिखी है, और इसकी विषय-वस्तु मेरे द्वारा वर्तमान भाग के बारे में जो कुछ भी समझाया गया है, उसके अनुरूप है। पुस्तक में दिए गए उपदेशों को देखकर, मैं समझ सकता हूं कि हालांकि समय काफी बदल गया है लेकिन परमेश्वर का वचन बीतते समय की परवाह किए बिना थोड़ा भी नहीं बदला है। 
क्या आप उस नए स्वर्ग और पृथ्वी में रहना चाहते हैं, जिसे परमेश्वर ने आपके और मेरे लिए तैयार किया है? इस दुनिया की कमिया अब वहां नहीं मिलतीं। जब परमेश्वर ने कहा कि वह सभी चीजों को नया बना देगा, तो कुछ लोग इसकी व्याख्या यह कहते हुए कर सकते हैं कि वह जो पहले से मौजूद था उसे फिरसे बनाएगा। लेकिन अध्याय २१ से और आगे, यह बिल्कुल एक नई दुनिया है, जो अतीत से बिल्कुल अलग है। नया जन्म प्राप्त करनेवाले लोग परमेश्वर द्वारा पूरी तरह से नए बनाए गए नए स्वर्ग और पृथ्वी में भाग लेंगे, क्योंकि वे ही हैं जिनके अन्दर दैवीय गुण है। दूसरे शब्दों में, क्योंकि वे दैवीय क्षेत्र के सहभागी बन गए हैं।
हमें अपने सभी विचारों को भौतिक अवधारणाओं पर आधारित करने के बजाय आत्मिक आयामों में सोचना चाहिए। मैं प्रार्थना करता हूं कि आप सभी उस तरह के संत और सेवक होंगे जो उस पर विश्वास करते हैं जो वास्तव में परमेश्वर ने हमारी आत्माओं को दिया है, और जो विश्वास में भरोषा करते हैं कि ये चीजें, हालांकि अभी तक पूरी नहीं हुई हैं, वास्तव में सच हो जाएंगी। परमेश्वर ने हमें बहुत बड़ा आशीर्वाद दिया है।
परमेश्वर ने कहा कि वह प्यासे लोगों को जीवन के पानी के सोते में से सेंतमेंत पिलाएगा। यह वचन पानी और आत्मा के सुसमाचार का उल्लेख नहीं करता है। जब लोग यह विश्वास करते हैं कि परमेश्वर ने उन्हें इस पृथ्वी पर अपना सुसमाचार देकर और उनके पापों से बचाकर उनकी प्यास बुझाई है, तो यह भी जीवन का पानी पीने के समान है। लेकिन यहां का भाग केवल इसका उल्लेख नहीं करता है, बल्कि यह जीवन के वास्तविक पानी को संदर्भित करता है जो नए स्वर्ग और पृथ्वी में पिया जाएगा, जहां जो कोई भी इस जीवन के पानी को पीएगा वह कभी नहीं मरेगा, उसका शरीर बदल जाएगा वह प्रभु के सामान बन जाएगा, और वह हमेशा उसके साथ रहेगा।
हमारे प्रभु परमेश्वर ने आरम्भ से अन्त तक इन सब बातों की योजना बनाई और पूरी की है। जो कुछ काम प्रभु ने किया है, वह सब उस ने अपने लिए और अपने पवित्र लोगों के लिए किया है। इस प्रकार, संतों को अब स्वयं परमेश्वर ने मसीह के लोगों के रूप में बुलाया है, और उनकी योजना के अनुसार परमेश्वर की सच्ची संतान बन गए है। जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करके संत बन गए हैं, वे अब परमेश्वर के इस महान प्रेम और उसके चमत्कारिक कार्यों में अपने विश्वास से समझ सकते हैं कि उनके लिए प्रभु को हमेशा के लिए धन्यवाद और स्तुति देने के लिए कुछ भी कमी नहीं है। . 
जैसा कि प्रभु ने कहा, "मैं प्यासेंको जीवन के जल के सोते में से सेंतमेंत पिलाऊँगा," उसने वास्तव में अपने संतों को जीवन के पानी का सोता दिया है और उन्हें अनन्त जीवन का आनंद लेने की अनुमति दी है। यह सबसे बड़ा उपहार है जो परमेश्वर ने अपने संतों को दिया है। अब संतों को हमेशा के लिए नए स्वर्ग और पृथ्वी में रहना है और जीवन के पानी के सोते से पीना है, जिससे वे फिर कभी प्यासे नहीं रहेंगे। दुसरे शब्दों में, संत अब परमेश्वर की संतान बन गए हैं, जिनके पास अनन्त जीवन होगा, ठीक प्रभु परमेश्वर की तरह और वे महिमा में जिएंगे। हमें यह महान आशीष देने के लिए मैं एक बार फिर प्रभु परमेश्वर को धन्यवाद और महिमा देता हूं।
 


सच्चे सुसमाचार में हमारा विश्वास हमें जगत को जित ने में सक्षम बनता है


प्रेरित यूहन्ना अब अपने वर्तमान समय में लौटता है। वचन ७ कहता है, "जो जय पाए वही इन वस्तुओं का वारिस होगा, और मैं उसका परमेश्वर होउंगा और वह मेरा पुत्र होगा।" "जो जय पाए" यहाँ उन लोगों को संदर्भित करता है जो प्रभु द्वारा दिए गए अपने विश्वास की रक्षा करते हैं। यह विश्वास सभी संतों को सभी परेशानियों और प्रलोभनों को दूर करने की अनुमति देता है। प्रभु परमेश्वर में हमारा विश्वास और परमेश्वर द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार के सच्चे प्रेम पर हमारा विश्वास हमें दुनिया के सभी पापों पर, परमेश्वर के न्याय पर, हमारे शत्रुओं पर, हमारी अपनी कमजोरियों पर और मसीह विरोधी के उत्पीडन पर जय प्रदान करता है। 
हमें सारी चीजो पर जय देने के लिए मैं अपने प्रभु परमेश्वर को धन्यवाद और महिमा देता हूं। जो संत प्रभु परमेश्वर में विश्वास करते हैं, वे अपने विश्वास के साथ मसीह विरोधी पर जय पा सकते है, क्योंकि उनमें से प्रत्येक को, हमारे प्रभु परमेश्वर ने यह विश्वास दिया है जिसके द्वारा वे अपने सभी दुश्मनों के खिलाफ लड़ाई में विजय प्राप्त कर सकते हैं। परमेश्वर ने अब संतों को अनुमति दी है, जिन्होंने इस तरह दुनिया और मसीह विरोधी को अपने विश्वास से जीत लिया है, ताकि वे अपने नए स्वर्ग और पृथ्वी को प्राप्त कर सकें। हमें यह दृढ़ विश्वास देने के लिए मैं अपने परमेश्वर का धन्यवाद और स्तुति करता हूं।
परमेश्वर ने कहा कि जो जय प्राप्त करेंगे, उन्हें वह अपना नया स्वर्ग और पृथ्वी उनकी विरासत के रूप में देंगे, जहां न आंसू हैं, न दुख हैं, न चिंताएं हैं। केवल वे जो जय पाते है वे ही इसे प्राप्त करने के पात्र होंगे। इस विजय का विश्वास पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास है जो प्रभु ने हमें दिया है। यह वह विश्वास है जिसके द्वारा हम संसार, अपने पापों, अपनी कमजोरियों और मसीह विरोधी पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
हमारे उस विश्वास के प्रतिफल के रूप में जो मसीह विरोधी पर जय प्राप्त करता है, हम शीघ्र ही परमेश्वर से नया स्वर्ग और पृथ्वी प्राप्त करेंगे। क्योंकि हम अपने विश्वास के लिए इन सभी आशीर्वादों को प्राप्त करेंगे, जब मसीह विरोधी हमारे खिलाफ खड़ा होता है और हमारे विश्वास को छीनने की कोशिश करता है, तो हम अपने सभी शत्रुओं की सभी योजनाओं पर विश्वास के द्वारा विजय प्राप्त कर सकते हैं। जो लोग जय प्राप्त करते हैं वे परमेश्वर के वचन में विश्वास करते हैं, भले ही दूसरे उनसे कुछ भी कहें, और सच्चाई में अपने विश्वास की रक्षा करें कि प्रभु ने उनके सभी पापों को दूर कर दिया है। हम में से जो लोग हमारे पापों की क्षमा प्राप्त करने और नया जन्म लेने के बाद अब अंत समय में जी रहे हैं, उन्हें विश्वास के साथ मसीह विरोधी की योजनाओं पर विजय प्राप्त करनी चाहिए।
हम इस सच्चाई में विश्वास के साथ अल्पकालिक क्लेशों को दूर कर सकते हैं कि प्रभु ने हमें अपना नया स्वर्ग और पृथ्वी, साथ ही सभी धन, वैभव और महिमा दी है। जब एक बेहतर दुनिया हमारी प्रतीक्षा कर रही है, तो क्या हम वास्तव में इस विश्वास के सुसमाचार को धोखा देंगे? जब कल बेहतर चीजें हमारे पास आएंगी, जब आश्चर्यजनक रूप से अद्भुत चीजें हमारा इंतजार कर रही होंगी यदि हम केवल एक दिन के लिए दृढ़ रहें, तो क्या हम आज की कठिनाई का सामना नहीं कर पाएंगे? हम सब टिके रह सकते हैं।
बाइबल हमें बार-बार `विश्वास, आशा और प्रेम` के बारे में बताती है जिसे संतों को अपने मन में आवश्यक गुणों के रूप में रखना चाहिए। जिनके पास आशा है, वे यह विश्वास करके अपने वर्तमान क्लेशों को दूर करने में सक्षम हैं कि ये सभी आशीषें परमेश्वर ने उन्हें दी हैं जो उनकी वास्तविकता हैं। और क्योंकि अंत समय की विपत्तियाँ थोड़े समय के लिए ही रहती हैं, और क्योंकि परमेश्वर अपने संतों को उनसे बचने का मार्ग भी देगा, इसलिए हम सब टिके रह सकते हैं। मुझे आशा है कि आप इसी क्षण से नए स्वर्ग और पृथ्वी में प्रवेश करेंगे और उसमें विश्वास के स्तर में रहेंगे।
विश्वास के स्तर में, यह सब वचन आपके शरीर की त्वचा के बजाय विश्वास के माध्यम से आपके हृदय को छूना चाहिए। जब ऐसा होगा, तब आपका ह्रदय मजबूत हो जाएगा क्योंकि उसे नई सामर्थ मिलेगी, और उसमें आशा होगी।
अंतिम समय में सभी संत शहीद हो जाएंगे। उस आशा को देखते हुए जिसे हमने नए स्वर्ग और पृथ्वी में रखा है, हम नए सिरे से शहादत को स्वीकार करने में सक्षम हैं।
अपने गुण में, हमारे प्रभु परमेश्वर सत्य के परमेश्वर और प्रेम के परमेश्वर हैं। तो फिर, वे लोग कौन हैं जो परमेश्वर के सामने मौलिक रूप से डरपोक हैं? ये वे हैं जो मूल पाप के साथ पैदा हुए हैं और जिन्होंने प्रभु द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार के वचन से अपने सभी पापों को शुद्ध नहीं किया है। क्योंकि वे परमेश्वर की आराधना से अधिक अपने स्वभाव में दुष्टों की पूजा करते हैं, वे स्पष्ट रूप से शैतान के सेवक बन गए हैं। क्योंकि वे प्रभु परमेश्वर के साम्हने बुराई की उपासना करते हैं, और वे ज्योति से अधिक अन्धकार से प्रेम करते और उसका अनुसरण करते हैं, इसलिए वे प्रभु परमेश्वर के सामने डरपोक हैं। वे सभी जो परमेश्वर के सामने डरपोक हैं वे आग और गंधक से जलती हुई झील में हिस्सा लेंगे।
यह एक स्थापित तथ्य है कि ये लोग, जो अपने हृदय में अपने पापों के कारण स्वयं अंधकार हैं, उनके पास परमेश्वर का भय मानने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। जैसे शैतान के लोगों की आत्माएं अंधकार से प्रेम करती हैं, वैसे ही वे उस यीशु के सामने कायर हैं जो उजियाला बन गया हैं। यही कारण है कि उन्हें अपनी बुराई और कमजोरियों को परमेश्वर के पास ले जाना चाहिए और उससे अपने पापों की क्षमा प्राप्त करनी चाहिए। जो लोग प्रभु द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास नहीं करते, वे परमेश्वर के सामने सबसे बड़े पापी और परमेश्वर के शत्रु हैं। 
जैसा कि उनकी आत्मा घिनौने लोगों की है, और क्योंकि वे परमेश्वर के खिलाफ खड़े हैं, हर तरह के पाप से प्रेम करते हैं, झूठे संकेतों का पालन करते हैं, सभी प्रकार की मूर्तियों की पूजा करते हैं, और सभी प्रकार के झूठ बोलते हैं इसलिए वे परमेश्वर के धर्मी न्याय से वे सभी आग और गंधक से जलती हुई झील में डाल दिया जाएंगे’। यह उनकी दूसरी मौत की सजा है।
दूसरी मौत की सजा उन लोगों को दी जाएगी जिन्हें नरक में भेजा जाएगा, और ये वे हैं जो कायर हैं, जो विश्वास नहीं करते हैं, जो घिनौने हैं, जो हत्यारे हैं, व्यभिचारी हैं, टोन्हे हैं, और मूर्तिपूजक हैं, जो मसीह विरोधी और उसके अनुयायीयों के साथ है, अब परमेश्वर के प्रेम को स्वीकार नहीं करते। जो परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते वे सबसे दुष्ट हैं। बाइबल हमें बताती है कि इन सभी दुष्टों को आग और गंधक से जलती हुई झील में डाल दिया जाएगा। यही कारण है कि बाइबल इसे दूसरी मृत्यु कहती है।
जो लोग दूसरे पुनरुत्थान में भाग लेते हैं, वे आग में फेंके जाने पर भी नहीं मरेंगे, और आग में डाले जाने के इसी उद्देश्य के लिए, उन्हें उन शरीरों में पुनरुत्थित किया जाना है जो हमेशा के लिए जीवित रहेंगे।
परमेश्वर पर विश्वास न करनेवालों को फिर से जिलाया जाएगा, कि वे आग और गंधक की झील में डाल दिए जाएं। दूसरा पुनरुत्थान, जो बिना मरे नरक की आग में अनन्त पीड़ा लाएगा, इन सभी लोगों के लिए आरक्षित है जो विश्वास नहीं करते हैं।
सात विपत्तियों वाले सात कटोरे डालने के कुछ ही समय बाद, हजार साल का राज्य पूरा हो जाएगा, और जब इसके हज़ार साल बीत जाएंगे, तो संत नए स्वर्ग और पृथ्वी पर चले जाएंगे। इस वाक्यांश में, "मैं तुम्हें दुल्हन अर्थात् मेम्ने की पत्नी दिखाऊंगा," मेम्ने की पत्नी यहाँ उन लोगों को संदर्भित करती है जो यीशु मसीह द्वारा दिए गए पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके बचाए गए हैं।
 


पवित्र नगर की महिमा और सुन्दरता वर्णन से परे है


यरूशलेम शहर पवित्र शहर को संदर्भित करता है जहां संतों को अपने दूल्हे के साथ रहना है। यूहन्ना ने जो शहर देखा वह वाकई बहुत खूबसूरत और शानदार था। यह आकार में राजसी था, अंदर से बाहर कीमती पत्थरों से सजा बिल्लौर की तरह साफ़ था। स्वर्गदूत ने यूहन्ना को दिखाया कि यीशु मसीह की दुल्हनें अपने दूल्हे के साथ कहाँ रहेंगी। 
कीमती पत्थरों से बने महल में रहने की कल्पना करें। बारह विभिन्न प्रकार के कीमती पत्थरों से बने इस शहर में, जो मेम्ने की दुल्हन बनने वाले हैं, वे हमेशा के लिए जीवित रहेंगे। यह शहर परमेश्वर का उपहार है जो वह मेम्ने की पत्नी को देगा। यह भाग हमें बताता है कि यरूशलेम शहर शानदार ढंग से चमकता है, और उसकी ज्योति बहुत ही बहुमूल्य पत्थर की अर्थात् बिल्लौर के सामान यशब की तरह स्वच्छ है। 
इसलिथे परमेश्वर की महिमा उस नगर और उस में के सब रहनेवालोंके लिए है। परमेश्वर का राज्य उजियाले का राज्य है, और इसलिए केवल वे ही जो अपने सभी अंधकार, कमजोरियों और पापों से मुक्त हो गए हैं, इस शहर में प्रवेश कर सकते हैं और इसमें रह सकते हैं। इसलिए, इस पवित्र शहर में प्रवेश करने के लिए, हम सभी को केवल पानी और आत्मा के सुसमाचार के सच्चे वचन पर विश्वास करना चाहिए जो हमारे प्रभु ने हमें दिया है।
यह भाग कहता है कि शहर में बारह द्वारों के साथ एक बड़ी और ऊंची शहरपनाह है। और यह कहता है कि फाटकों पर नाम लिखे हुए हैं, और यह नाम इस्राएलियों के बारह गोत्रों के नाम हैं। परमेश्वर हमें बताता है कि उसने वास्तव में इस शहर को अपने संतों के लिए तैयार किया है, जो एक महान और ऊंची शहरपनाह से घिरा हुआ है।
यह एक आत्मिक संकेत है कि इस पवित्र शहर में प्रवेश करने का रास्ता उतना ही कठिन है। दूसरे शब्दों में, यह हमें बताता है कि परमेश्वर के सामने हमारे सभी पापों से बचाया जाना मानवीय प्रयासों या परमेश्वर की सृष्टि की हुई दुनिया की भौतिक चीजों से असंभव है। हमारे सभी पापों से मुक्त होने और परमेश्वर के पवित्र शहर में प्रवेश करने के लिए, यह बहुत ही आवश्यक है कि हमारे पास यीशु के बारह शिष्यों के समान विश्वास हो, वह विश्वास जो पानी और आत्मा के सुसमाचार की सच्चाई में विश्वास करता है। इस प्रकार, कोई भी व्यक्ति जिसे पानी और आत्मा के सुसमाचार में यह विश्वास नहीं है, वह कभी भी इस पवित्र शहर में प्रवेश नहीं कर सकता है। 
प्रभु परमेश्वर द्वारा नियुक्त द्वारपालों के रूप में खड़े बारह स्वर्गदूतों द्वारा शहर की रक्षा की जाती है। दूसरी ओर, वाक्यांश, "उनके [द्वारों] पर लिखे गए नाम", हमें बताता है कि इस शहर के मालिक कौन होंगे इसका फैसला पहले ही किया जा चुका है, क्योंकि इसके मालिक कोई और नहीं बल्कि स्वयं परमेश्वर और उनके लोग हैं, और यह शहर परमेश्वर के लोगों का है जो अब परमेश्वर की संतान बन गए हैं। 
इस पवित्र शहर के उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम की चार दिशाओं में से प्रत्येक में तीन फाटक हैं। मुझे यकीन है कि प्रभु ने इन तीन फाटकों का उल्लेख विशेष रूप से हमें यह बताने के लिए किया है कि वे विशेष रूप से उस सुसमाचार से संबंधित हैं जिस पर हम विश्वास करते हैं। १ यूहन्ना ५:७-८ कहता है कि ऐसे तिन तत्व हैं जो स्वर्ग और पृथ्वी दोनों में सच्चे सुसमाचार के गवाह हैं। केवल वे जो स्वर्ग और पृथ्वी दोनों में इन तीन गवाहों पर विश्वास करते हैं, वे ही स्वर्ग में प्रवेश कर सकते हैं। हम, नया जन्म पाए हुए लोग, त्रिएक परमेश्वर और पानी, लहू और आत्मा के माध्यम से हमें बचाने के उसके धर्मी कार्य में विश्वास करते हैं।
यह तथ्य कि बारह प्रेरितों के नाम शहर की दीवार की बारह नींवों पर लिखे गए हैं, हमें बताता है कि प्रभु ने ठीक वैसा ही किया है जैसा उसने वादा किया था, कि वह उनके नामों को जीवन की पुस्तक से मिटाएगा नहीं बल्कि उन्हें लिख देगा।
ग्रीक में एक फर्लांग, `स्टेडियन`, दूरी के लिए माप की एक इकाई है, जो आज के माप में लगभग ६०० फीट (१८५ मीटर) है। जब बाइबल हमें बताती है कि स्वर्ग में वर्गाकार शहर का प्रत्येक कोना १२,००० फर्लांगों माप का है, तो यह हमें बता रहा है कि प्रत्येक कोने का माप लगभग २,२२० किमी (१,३९० मील) है। हमें यह भी बताया जाता है कि इसकी लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई समान है। शहर का राजसी आकार हमें बताता है कि परमेश्वर का राज्य कितना महान और गौरवशाली है।
बाइबल में नंबर चार पीड़ा के अर्थ को दर्शाता है। जिस विश्वास की प्रभु हमसे माँग करता है वह कोई ऐसी चीज नहीं है जो किसी भी व्यक्ति के पास हो सकती है, लेकिन यह विश्वास केवल उन लोगों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है जो परमेश्वर के वचन को स्वीकार करते हैं फिर भले ही वे इसे अपने मानव विचारों से पूरी तरह न समझ सके। 
एक मसीही के रूप में, केवल यीशु के क्रूस पर विश्वास करके और प्रभु ही परमेश्वर और उद्धारकर्ता हैं यह विश्वास करने के द्वारा, परमेश्वर के पवित्र शहर में प्रवेश करना असंभव है। जैसा कि हमारे प्रभु ने स्वयं कहा था, कोई भी परमेश्वर के राज्य में तब तक प्रवेश नहीं कर सकता जब तक कि वह पानी और आत्मा से नया जन्म न ले। लोगों का नया जन्म तभी हो सकता है जब वे विश्वास करे कि जब यीशु को यूहन्ना से बपतिस्मा दिया गया तब दुनिया के सभी पाप यीशु पर पारित किए गए थे, और उन्होंने अपना लहू बहाकर और उनके स्थान पर क्रूस पर मरकर उनके पापों का प्रायश्चित किया।
यह भाग, "नगर ऐसे शुद्ध सोने का थाजो स्वच्छ काँच के सामान हो," हमें बताता है कि केवल वे लोग जिनका विश्वास सोने की तरह है - यानी, केवल वे ही जो वास्तव में परमेश्वर में विश्वास करते हैं - इसमें प्रवेश कर सकते हैं। यह हमें बताता है कि वह विश्वास जो किसी को प्रभु के पवित्र शहर में प्रवेश करने की अनुमति देता है, वह उस तरह का विश्वास है जो परमेश्वर के वचन पर ठीक उसी तरह विश्वास करता है जैसा कि लिखा गया है जो कि शुद्ध हो और सभी सांसारिक चीजों से मुक्त है। दूसरे शब्दों में, यह हमें बताता है कि व्यक्ति को पानी और आत्मा से नया जन्म प्राप्त करने के लिए परमेश्वर के वचन को स्वीकार करना चाहिए, वास्तव में इस वचन में विश्वास करना चाहिए, और अपने विश्वास को शुध्ध करना चाहिए। 
शहर की दीवार की नींव सभी प्रकार के कीमती पत्थरों से सजी हुई है, जो हमें बताती है कि हम अपने प्रभु के वचन से विश्वास के विभिन्न पहलुओं से पोषित हो सकते हैं। हमारे पास न केवल पानी और आत्मा के सुसमाचार में या स्वर्ग और हजार साल के राज्य की आशा में विश्वास होना चाहिए, लेकिन हमारे पास अनुशासित विश्वास होना चाहिए। यह प्रशिक्षित विश्वास वर्तमान कष्टों को सहते हुए भी परमेश्वर के वचन के माध्यम से आता है। 
प्रभु ने संतों को न केवल उनके पापों की क्षमा का आशीर्वाद दिया है, बल्कि उनकी आशा की पूर्ति का आशीर्वाद भी दिया है, कि जिनके पापों को क्षमा कर दिया गया है वे हजार साल के राज्य और स्वर्ग में प्रवेश करेंगे। हम संत केवल परमेश्वर को धन्यवाद दे सकते हैं कि हमें नए स्वर्ग और पृथ्वी में प्रवेश करने के लिए योग्य बनाया गया है, जहां न तो उदासी है और न ही दुख है। 
पवित्र शहर में प्रवेश करने वाले संतों को इस धरती पर अपने विश्वास के केंद्र में मजबूती से खड़े होने के दौरान बहुत धैर्य रखने की आवश्यकता है। दुसरे शब्दों में, जो लोग प्रभु परमेश्वर द्वारा बोले गए सत्य के वचन में विश्वास करते हैं उन्हें अपने विश्वास की रक्षा के लिए अत्यधिक दृढ़ता की आवश्यकता है। जब अंत का समय आएगा, तब मसीह विरोधी, विश्वास के विरोधी का युग आ जाएगा। 
यह मसीह विरोधी, शैतान के सेवक के रूप में, विश्वास के कई लोगों के लिए बहुत अधिक उत्पीड़न लाएगा, उन्हें उनके विश्वास के साथ विश्वासघात करने की कोशिश करेगा। यदि लोग मसीह विरोधी के पक्ष में खड़े होते हैं और अपने विश्वास को त्याग देते हैं, तो न केवल हजार साल के राज्य और स्वर्ग उनकी पहुंच से बाहर हो जाएगा, बल्कि उन्हें शैतान के साथ नरक में भी डाल दिया जाएगा। 
इसलिए, अंत समय की परीक्षाओं, सतावों और विपत्तियों के बीच, हम सभी को उस दृढ़ता की आवश्यकता है जो हमें अपने विश्वास की दृढ़ता से रक्षा करने की अनुमति दे, क्योंकि यह अटल दृढ़ता ही नए स्वर्ग और पृथ्वी को हमारा बना देगी।
नए स्वर्ग और पृथ्वी में रहना प्रभु की बाहों में आलिंगन में रहने जैसा है। क्योंकि यीशु मसीह, जो नई दुनिया का प्रकाश बन गया है, इस पवित्र पृथ्वी पर अपने प्रकाश के रूप में चमकता है, उस पर सूर्य या चंद्रमा के उजियाले की कोई आवश्यकता नहीं है। यीशु मसीह हमारा उद्धारकर्ता, सृष्टिकर्ता और न्यायी है, और नए स्वर्ग और पृथ्वी में वह परमेश्वर है जो हमारे साथ रहता है। उसी के द्वारा हम स्वर्ग में प्रवेश करते हैं, और उसी से सभी आशीर्वाद प्रदान होते हैं। संतों के पास इस परमेश्वर की हमेशा स्तुति करने के अलावा और कुछ नहीं होगा।
किंग जेम्स संस्करण में, वचन २४ को निम्नलिखित रूप में लिखा गया है: "जाति–जाति के लोग उसकी ज्योति में चले–फिरेंगे, और पृथ्वी के राजा अपने अपने तेज का सामान उसमें लाएँगे।" जब ये यहाँ कहता है कि पृथ्वी की महिमा को स्वर्ग में लाया गया है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि जिन्होंने पहली पृथ्वी पर राज्य किया था और वे अमीर थे इसलिए वे अपने धन को नए स्वर्ग और पृथ्वी में लाएंगे। यहाँ की पृथ्वी हजार साल के राज्य की पृथ्वी को संदर्भित करती है। 
यद्यपि संत बचाए गए हैं और सभी एक ही तरीके से हजार साल के राज्य में प्रवेश करेंगे, फिर भी उन्हें अलग-अलग अधिकार दिए जाएंगे, कुछ दस शहरों पर और बाकी पांच शहरों पर शासन करेंगे जो कि पहली दुनिया में रहते हुए सुसमाचार का प्रचार करने के उनके प्रयास पर निर्भर करता है। . 
यहाँ वचन २४ हमें बताता है कि ये राजा जिनके पास अलग-अलग अधिकार थे, वे नए स्वर्ग और पृथ्वी में चले जाएंगे। दुसरे शब्दों में, जिन्होंने हजार साल के राज्य में राज्य किया था, वे नए स्वर्ग और पृथ्वी में राजाओं के रूप में प्रवेश करेंगे और प्रभु में अपने विश्वास और अपनी सारी महिमा और सम्मान को साथ लेकर आएंगे। इसलिए इसका इस पहली पृथ्वी से कोई लेना-देना नहीं है, जहां हम सभी अभी जी रहे हैं। 
क्योंकि नया स्वर्ग और पृथ्वी, जहां पवित्र शहर स्थित है, पहले से ही पवित्र प्रकाश से भरा हुआ है, इसमें कोई रात नहीं हो सकती, न ही कोई बुराई हो सकती है। इस संसार के मसीही और गैर-मसीही दोनों में समान रूप से, वे सभी जो पानी और आत्मा के सुसमाचार की सच्चाई को नहीं जानते हैं, वे अशुद्ध, घिनौने और झूठे हैं। इसलिए वे पवित्र शहर में प्रवेश नहीं कर सकते। क्योंकि जो कोई भी पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करता है वह स्वर्ग में प्रवेश कर सकता है, पानी और आत्मा का यह सुसमाचार स्वर्ग की और पाप की क्षमा की कुंजी है। आपको यह समझना चाहिए कि जब आप पहचानते हैं और विश्वास करते हैं कि परमेश्वर ने आपको यह कुंजी दी है, तो आपका नाम जीवन की पुस्तक में लिखा जाएगा। और जब आप इस सुसमाचार की सच्चाई को स्वीकार करते हैं, तो आप इस पवित्र शहर में प्रवेश करने के आशीर्वाद के वस्त्र पहिनेंगे।
विश्वास करें कि पवित्र शहर हमें पहले ही दिया जा चुका है। और अपने जीवन को उसी के अनुसार, आशा के साथ जिए।
क्योंकि वर्तमान समय में हम जो कुछ भी सामना कर रहे हैं, वह इस धर्मनिरपेक्ष दुनिया की मूल्य प्रणाली द्वारा मापा जाता है, हम वास्तव में यह नहीं समझ सकते कि सच्ची खुशी क्या है। लेकिन जब हम परमेश्वर की नापने वाली छड़ी से नापते हैं, तो हम सभी यह समझ सकते हैं कि जिनके पास स्वर्ग है, वे वास्तव में सुखी हैं। क्यों? क्योंकि देर-सबेर दुनिया की सारी चीजें गायब हो जाएंगी। हमारी आशा के बदले में, वे सभी गायब हो जाएंगे क्योंकि क्लेश और विपत्तियां उनके अंत में आती हैं, जैसा कि परमेश्वर की योजना के अनुसार होता है। शरीर की ऐसी चीज़ों में अपनी आशा रखने से बड़ी मूर्खता और कुछ नहीं हो सकती है जो बस जल कर राख हो जाती है। 
लेकिन इसके विपरीत, जो अपनी आशा को अनन्त स्वर्ग के राज्य में रखते हैं जो न कभी सड़ेगा और न ही कभी जलेगा, वे धन्य हैं। केवल वे ही जो पापरहित हैं, परमेश्वर द्वारा तैयार किए गए पवित्र शहर यरूशलेम में प्रवेश कर सकते हैं। इस दुनिया में सबसे खुश लोग वे हैं जिनके पास स्वर्ग है, जिनके पापों को माफ कर दिया गया है और उन्हें साफ कर दिया गया है।
हमें अपने जीवन को परमेश्वर के आशीर्वाद से जीना चाहिए, जो हमें नया स्वर्ग और पृथ्वी देने के लिए उसकी महिमा करते हैं, और जो सच्चे सुसमाचार के प्रचार के लिए खुद को समर्पित करते हैं जो प्रत्येक आत्मा को स्वर्ग में प्रवेश करने में सक्षम बनाता है। 
आइए हम सभी लोग ऐसी आशीषों में जीवन जिए, आइए हम परमेश्वर से प्रेम प्राप्त करे, और, जब हम अपने परमेश्वर की उपस्थिति के सामने खड़े हों, तो हम सभी हमेशा उनकी बाहों के आलिंगन में रहें।