सबसे पहले, हमें इब्रानियों ६:२ में लिखे “बपतिस्मा के सिध्धांत” की ओर ध्यान देना चाहिए। बाइबल के मुताबिक़, तिन अलग अलग बपतिस्मा है; पश्चाताप के लिए यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का बपतिस्मा, यीशु मसीह ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से पाया हुआ बपतिस्मा, और विधि के मुताबिक़ हमारा पानी का बपतिस्मा।
हम जो बपतिस्मा लेते है वो यीशु के बपतिस्मा पर हमारे विश्वास की कबूलात है। कहने का मतलब है की, हम विश्वास करते है की यीशु ने हमारे सारे पापों को उठाने के लिए बपतिस्मा लिया और उसका मूल्य चुकाने के लिए क्रूस पर मरा यह कबूल करने के लिए हम बपतिस्मा लेते है। अब आप मत्ती ३:१५ समझ सकते हो, जहा लिखा है की, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।” यहाँ, “अब तो” का मतलब है की यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला, मनुष्यजाति के प्रतिनिधि के द्वारा बपतिस्मा लेकर यीशु ने जगत के सारे पापों को उठा लिया।
वह पाप की जाल में से हमें बचाने के लिए परमेश्वर की योजना थी। परमेश्वर ने “सैम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया” (यशायाह ५३:६) और हमें उसकी धार्मिकता दी है। यहाँ “धार्मिकता” का मतलब ग्रीक में “Δικαίωση (दिकाइयोसुने)” है, जो उचितता और न्याय” भी संकेत देती है। वह हमें कहता है की यीशु ने हाथ रखेजाने के द्वारा बपतिस्मा लेकर बहुत ही उचित और न्यायी रीति से सारी मनुष्यजाति के अपराधों को ले लिया है।
हमने यीशु के बपतिस्मा, क्रूस पर उसके मृत्यु, और उसके पुनरुत्थान पर हमारे मजबूत विश्वास के कारण उद्धार पाया है। बपतिस्मा के आत्मिक ख़तने का (रोमोयो २:२९) सामर्थ्य, जो हमारे हृदय से सारे पापों को दूर करता है, और हमारे ह्रदय के पापों को साफ़ करता है। इसलिए, प्रेरित पतरस ने पिन्तेकुस्त के दिन कहा की, “मन फ़िराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिए यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे” (प्रेरितों २:३८)।
यीशु के नाम पर विश्वास करने के द्वारा सारे पापोयों को अपने हृदय में पापों की माफ़ी पानी चाहिए। उसके नाम का क्या मतलब है? “वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना, क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा” (मत्ती १:२१)। यीशु नाम का मतलब है ‘उद्धारकर्ता’ जो अपने लोगों को सारे पापों से बचाएगा। कैसे वो हमें अपने सारे पापों से बचाएगा? यीशु ने अपने बपतिस्मा और क्रूस पर अपने मृत्यु के द्वारा हमें बचाया है।
जब यीशु के प्रेरितों ने सुसमाचार का प्रचार किया था, तब उन्होंने यीशु के बपतिस्मा और क्रूस के स्पष्ट समझ का यकीन दिया था, इसलिए उन्होंने सच्चा सुसमाचार सिखाया, और फिर जितनों ने उसमे विश्वास किया था उनको बपतिस्मा दिया था। इया रीति से, हमने बाह्य अंगीकार करने के लिए बपतिस्मा लिया था की हम यीशु के बपतिस्मा और मृत्यु पर दिल की गहराई से विश्वास करते है। हब हमने बपतिस्मा लिया, तब हमने अंगीकार किया, “आपका धन्यवाद प्रभु। आपने अपने बपतिस्मा के द्वारा मेरे सारे पापों को ले लिया, मेरे लिए मरे और मुझे बचाने के लिए फिरसे जीवित हुए। मैं आपके सुसमाचार पर विश्वास करता हूँ।” यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके मृत्यु पर हमारे विश्वास के चिह्न के रूप में हमें सेवक के द्वारा पानी का बपतिस्मा दिया गया था। इस तरह, आरम्भ की कलीसिया के संतो ने अपने विश्वास के सबूत के तौर पर बपतिस्मा लिया था, फिर उन्होंने सुसमाचार में अपने विश्वास का अंगीकार किया और छूटकारा पाया, पापों की माफ़ी।
उद्धार पाने के लिए बपतिस्मा की विधि जरुरी नहीं है। भले ही वह हमारे विश्वास को स्पष्ट करने के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन पानी के बपतिस्मा को हमारे विश्वास के साथ कोई लेना देना नहीं है। हम केवल पानी और लहू के सुसमाचार पर विश्वास करके उद्धार पा सकते है। बाइबल बताती है की जब हम यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करते है तब हम यीशु मसीह में (रोमियों ६:३, गलातियों ३:२७) बपतिस्मा पाते है।
तो फिर, कैसे हम “उसमे बपतिस्मा” पा सकते है? वह केवल तभी सम्भव है जब हम उसके बपतिस्मा पर विश्वास करे, केवल उसके बपतिस्मा पर विश्वास के द्वारा ही हमारा शरीर, हमारा पुराना मनुष्यत्व, यीशु के साथ एक हो जाएगा और उसके साथ क्रूस पर एक हो जाएगा। परिणाम के तौर पर, यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा हमारे सारे पापों को उठा लिया था, उसकी मृत्यु हमारे अपराधों के लिए न्याय था। इसलिए, हम भी उसके साथ क्रूस पर मर गए। दुसरे शब्दों में, हमारा शरीर जो मृत्यु तक पाप करता है, वह पाप में मर जाता है और यीशु के बपतिस्मा के द्वारा उसके साथ जुडके हमारे सारे अपराधों से हम बच जाते है।
जो लोग यीशु के बपतिस्मा और मृत्यु के द्वारा उसके साथ जुड़े हुए है वे उसके पुनरुत्थान के साथ भी जुड़े हुए है। उसका पुनरुत्थान केवल हमारे मृत्यु से पाप का पुनरुत्थान नहीं है, लेकिन वह हमें परमेश्वर की संतान और पवित्र व्यक्ति के तौर पर नया जन्म पाने के लिए अनुमति भी देता है, जो उसके सम्मुख पवित्र और पापरहित है।
यदि हमने उसके बपतिस्मा पर विश्वास करने के द्वारा हमारे पापों को उसके ऊपर नहीं डाला होता, तो उसका मृत्यु और पुनरुत्थान का कोई मतलब नहीं होता, उसका हमारे उद्धार के साथ कोई लेना देना नहीं होता। जिन्होंने विश्वास के द्वारा अपने सारे पाप उसके ऊपर डाले है वे उसके क्रूस पर मृत्यु के साथ एक हुए है, जो उनको धर्मी के तौर पर नया जन्म पाने की अनुमति देता है। हालाँकि, जिन्होंने उसके बपतिस्मा पर विश्वास न करने के द्वारा अपने पापों को उसके ऊपर नहीं डाला, उनका उसकी मृत्यु और पुनरुत्थान के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है।
जैसे हम शादी के समारोह के द्वारा पति पत्नी को कानूनी तौर पर कबूल कर सकते है वैसे ही विश्वासियों का बपतिस्मा विश्वास योग्य है। संतो का बपतिस्मा अंदरूनी विश्वास की बाह्य घोषणा है। जब हम परमेश्वर, संत, और जगत के सामने उसके बपतिस्मा और क्रूस पर हमारे विश्वास की घोषणा करते है तब हमारा विश्वास ज्यादा स्थिर बनता है।
यदि हम यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा यीशु ने लिए हुए बपतिस्मा का सही मतलब नहीं समझते है, तो हमें ऐसा विश्वास नहीं करना चाहिए की यदि हम उसके बपतिस्मा और उसके महत्त्व पर विश्वास नहीं करेंगे तोभी हम बच जाएंगे। वह केवल शैतान की बनाई हुई एक योजना है। हम हमारे खुद के बपतिस्मा पर विश्वास करने के बजाए जब हमारे दिल में सच्ची रीति से यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करेंगे तब हम पापों की माफ़ी पाएंगे और स्वर्ग में हमारा स्वागत होगा।