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मसीही विश्वास पर पूछे गए ज्यादातर प्रश्न

विषय १: पानी और आत्मा से नया जन्म पाना

1-32. यदि कहे की आपके दावे के मुताबिक़ यीशु ने पहले से ही हमाते भूतकाल के, वर्त्तमान के और भविष्य के सारे पापों को दूर कर दिया है, तो फिर यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर विश्वास के द्वारा उसके सारे पाप माफ़ हुए है इस वास्तविकता को सोच कर वह निरन्तर पाप करता रहेगा तो उसका भविष्य कैसा होगा? यदि यह व्यक्ति दुसरे व्यक्ति का खून करे, बाद में वह सोचे की क्रूस पर यीशु के द्वारा उसके पाप का भी प्रायश्चित हो गया है। इसलिए, यीशु ने उसके भविष्य के पापों को भी दूर किया है ऐसा सोचने के द्वारा वह बिना जिजक के निरन्तर पाप करता रहेगा। कृपया करके यह बात मुझे समझाइए।

सब से पहले, पानी और आत्मा के सुसमाचार के बारे में प्रश्न पूछने के लिए आपका धन्यवाद। जो प्रश्न अपने पूछे है वे नया जन्म पाने से पहले कई मसीहियों ने पूछे थे। मैं जानता हूँ की आप चिंतित है की सम्पूर्ण सुसमाचार के द्वारा छूटकारा पाने के बाद भी नया जन्म पाया हुआ व्यक्ति पाप करेगा। हालाँकि, मैं आपको कहना चाहता हूँ की जो लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार्म पर विश्वास करते है वे वैसा जीवन जीने की ओर झुके हुए नहीं जिसकी आप चिंता करते है, लेकिन उसके बदले वे धर्मी जीवन जीते है।
आपको पहले इस बारे में सोचना चाहिए। यदि पवित्र आत्मा सचमुच आपके अन्दर है, तो फिर आपकी इच्छा नहीं होगी फिर भी आप पवित्र फल देंगे। दूसरी तरफ, यदि पवित्र आत्मा आपके अन्दर नहीं है, तो फिर आप चाहे जीतनी भी कोशिश करलें आप पवित्र आत्मा के फल नहीं दे पाएंगे। यदि व्यक्ति यीशु मसीह में विश्वास करे लेकिन उसमे पवित्र आत्मा न हो तो फिर वह कैसे पवित्र आत्मा के फल से सकता है? यह असम्भव है। परमेश्वर ने कहा है की निकम्मा पेड़ अच्छा फल नहीं दे सकता (मत्ती ७:१७-१८)। 
अब मैं आपको यह प्रश्न पूछना चाहता हूँ और उसका उत्तर भी देना चाहता हूँ। आप यीशु पर विश्वास करते है, लेकिन जब आप जगत के पापो पर जय पाते है तब क्या आप वास्तव में अपने जीवन का नेतृत्व करते हो? क्या आप जगत के पापो पर जय पानेवाले परमेश्वर के धर्मी सेवक के रूप में जीवन जीते है; परमेश्वर की ज्यादा से ज्यादा सेवा करके लोगों को पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार करके उनको उनके पापो से बचाते हो? क्या आप यीशु पर विश्वास करके सचमें धर्मी व्यक्ति बने है जिसके अन्दर एक छोटा सा भी पाप नहीं है? केवल एक ही सुसमाचार और विश्वास है जो आपको इन प्रशो ने उत्तर “हाँ” में दे सकता है और वह है पानी और आत्मा का सुसमाचार, जिसके बारे में परमेश्वर पुराने और नए नियम में गवाही देते है।
यीशु में विश्वास करने के बाद हम जगत में पाप करना चालु रखते है। हालाँकि, हमें जगत के सारे पापों से बचाने के लिए हमारे प्रभु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया और क्रूस पर लहू बहाया। इसलिए, प्रभु ने हमारे लिए धर्मी कार्य किया है और हम परमेश्वर की धार्मिकता में विश्वास करने के द्वारा बचा लिए गए है, प्रभु का बपतिस्मा और लाहो जिसके द्वारा उसने हमारे पापों को दूर किया है।
मैं फिर से आपकों कुछ प्रश्न पूछना चाहता हूँ। क्या आप अपनी अंतरात्मा के पापों से मुक्त हुए है? क्या आप यीशु में विश्वास करने के बाद भी पापी नहीं थे, जैसे आप यीशु में विश्वास करने से पहले थे? यदि यह सच है, तो वह इसलिए है की आप पानी और आत्मा के सुसमाचार के बारे में जानते नहीं थे। इसलिए, आप मुश्किल में और शरीर के अन्तरगत अवरोधों में पड़े हो क्योंकि आपके हृदय में पवित्र आत्मा नहीं है। भले ही आप चाहे जितने भी विश्वास योग्य क्यों न हो, आप शरीर के विचारों से केवल तभी बच सकते है जब आप अपना हृदय खली करे और पानी और आत्मा के सुसमाचार को हृदय में भर ले। पानी और आत्मा का सुसमाचार सच्चा है इस सत्य को जानने के लिए आपको अपने दैहिक विचारों को छोड़ना चाहिए और परमेश्वर के लिखित वचन की ओर वापस मुड़ना चाहिए। 
इस संसार में ऐसे कई लोग है जो अपने होठों से परमेश्वर का अंगीकार करने के बावजूद भी परमेश्वर ने स्थापित किए हुए उद्धार के नियम को अपनी इच्छा के अनुसार बदल देते है। यदि आप इनमे से एक है, तो प्रभु आपको आख़री दिन छोड़ देगा। मैं आशा करता हूँ की इस जगत में ऐसा किसीके साथ बी ही न हो। मैं प्रार्थना करता हूँ की आप ऐसे व्यक्ति नहीं है जो विश्वास करता है की क्रूस ही एक ऐसी चीज है जो आपको बचा सकती है, और आप बाकी का जीवन पाप से दूर रहकर जीने की इच्छासे यह प्रश्न पूछा है।
हालाँकि, तेरे विचार दैहिक विचार है इसलिए, “वह न तो परमेश्वर की व्यवस्था के आधीन है और न हो सकता है” (रोमियों ८:७)। पौलुस कहता है, “जो शारीरिक दशा मैं है, वे परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकते” (रोमियों ८:८)। यदि आप सचमुच ऐसा विश्वास पाना चाहते है जो परमेश्वर को प्रसन्न करे, तो आपको प्रभु के कार्य पर विश्वास करना चाहिए, जैसे की वह कुमारी मरियम के द्वारा इस जगत में आया, यरदन नदी में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने के द्वारा उसने मनुष्यों के पापों को उठा लिया, और ऐसे परमेश्वर की सब धार्मिकता को पूरा किया।
कौन परमेश्वर के कार्यो को सिध्ध कर सकता है, धर्मी व्यक्ति या पापी? एक पापी अभी भी पाप के बिच में है क्योंकि उसने परमेश्वर के सम्मुख अपने पापों की माफ़ी नहीं पाई। इसलिए, ऐसे व्यक्ति के लिए केवल एक ही चीज़ इंतज़ार कर रही है और वो है उसके पापों का न्याय। परमेश्वर पापियों को अपने राज्य में प्रवेश नहीं करने दे सकता “क्योंकि परमेश्वर ऐसा नहीं जो दुष्टता से प्रसन्न हो” (भजन संहिता ५:४)। परमेश्वर ने कहा की यदि कोई पाप उसके पास आएगा और उससे कुछ भी मांगेगा, तो वह पापियों की प्रार्थना नहीं सुनेगा क्योंकि उनके “अधर्म के कामों ने उनको परमेश्वर से अलग कर दिया है” (यशायाह ५९:२)। एक पापी निश्चितरूप से नरक में जाएगा क्योंकि पाप कि मजदूरी तो मृत्यु है।
धर्मी व्यक्ति जो पवित्र बने है और उनके हृदय में पाप नहीं है केवल वो ही धर्मी कार्यों को कर सकते है। इसके अतिरिक्त, पवित्र आत्मा धर्मी व्यक्ति के दिल में रहता है, जिसके अन्दर यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर विश्वास के बाद कोई पाप नहीं। पिन्तेकुस्त के दिन प्रेरित पितर ने कहा, “मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे” (प्रेरितों २:३८)। 
यह भाग जो कहता है की यदि आप सच्चा विश्वास और आपके सारे पापों की माफ़ी पाना चाहते है, तो आपको यीशु के बपतिस्मा और क्रूस पर उसके मृत्यु दोनों पर विश्वास करना चाहिए। ऐसा विश्वास आपको “यीशु के नाम से बपतिस्मा” दे सकता है, आप उसके धर्मी कार्यो में विश्वास करने से अपने पापों की माफ़ी पा सकते है। अवश्य, यीशु के चेलों ने भी नया जन्म पाए हुए विश्वासियों को बपतिस्मा देने की विधि को किया था, जिनको उसके बपतिस्मा और क्रूस पर विश्वास था। यीशु ने अपने चेलों को आज्ञा दी की वे सारे लोगों को पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नामसे बपतिस्मा दे (मत्ती २८:१९)। 
आगे, प्रेरित पौलुस कहता है, “यदि किसी में मसीह का आत्मा नहीं तो वह उसका जन नहीं” (रोमियों ८:९)। परमेश्वर धर्मी व्यक्ति पर अपनी सन्तान के रूप में मुहर लगाने के लिए उनको पवित्र आत्मा दिया। पवित्र आत्मा कभी भी पापी के अन्दर नहीं रह सकता क्योंकि उनमे पाप है। पवित्र आत्मा को पाप पसंद नहीं; उसके बदले, वह पवित्रता को पसंद करता है (पाप से अलग होना)। आत्मा धर्मी व्यक्ति को धर्मी मार्ग में लेकर जाता है और पिता की इच्छा पालन करने की ओर ले चलता है। तो फिर पिता की इच्छा क्या है? पिता की इच्छा है की पानी और आत्मा का सुसमाचार सारे देश के लोगों तक फैलाना और महान आदेश के अनुसार उनको बपतिस्मा देना।
धर्मी और पापियों का शरीर उनके मृत्यु तक पाप करता है। हालाँकि, प्रभु ने अपने बपतिस्मा और लहू के द्वारा लोगों के शरीर और आत्मा से किए हुए पापों को दूर करने का कार्य किया है। यह यीशु ने पूरी की हुई परमेश्वर की धार्मिकता है। इसलिए, बाइबल में लिखा गया है की, “क्योंकि उसमें परमेश्‍वर की धार्मिकता विश्‍वास से और विश्‍वास के लिये प्रगट होती है; जैसा लिखा है, “विश्‍वास से धर्मी जन जीवित रहेगा” (रोमियों १:१७)। परमेश्वर की धार्मिकता में विश्वास करके पापों की माफ़ी पानेवाला व्यक्ति ‘पाप और मृत्यु के नियम’ की ऊपर जय पाएगा और खुद की नहीं लेकिन परमेश्वर की धार्मिकता का पालन करेगा। यह केवल पवित्र आत्मा के द्वारा ही सम्भव है, जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करनेवाले लोगों पर आता है और उनमे रहता है। 
जिस समय यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा यीशु को बपतिस्मा दिया गया उस समय धर्मी व्यक्ति के भूतकाल के, वर्तमान के, और भविष्य के पापों को यीशु पर डाला गया था। धर्मी व्यक्ति का शरीर भी यीशु के साथ मर गया था। जब व्यक्ति इसमें विश्वास करता है, तब वह यीशु के साथ एक होता है और उसकी मृत्यु में भी। यह उसके सारे पापों का न्याय बना (रोमियों अध्याय ६)।
इसलिए, भले ही धर्मी व्यक्ति का शरीर जीवनभर पाप करे, फिर भी पवित्र आत्मा उसके हृदय में रहेगा और उसे मार्गदर्शन देगा, जिससे वह आत्मा के अनुसार चल सके। नधर्मी व्यक्ति पवुत्र आत्मा को अनुसरता है और परमेश्वर का कार्य करेगा क्योंकि पवित्र आत्मा उसके अन्दर रहता है।
प्रेरितों के समय में भी, कई लोग बिना वजह नया जन्म पाए हुए लोगों पर दोष लगाते थे क्योंकि नया जन्म पाए ही लोग, यानी की जो लोग पवित्र आत्मा के द्वारा शासित थे उनके जीवन के बारेमे चिंता करने के लिए उनके पास कारण था। हालाँकि, ऐसे लोग प्रेरितों ने प्रचार किए हुए पानी और आत्मा के सुसमाचार को शरीर का एक सहज विचार समझते थे। इसलिए, प्रेरित पौलुस ने इन लोगों से कहा, “तो हम क्या कहें? क्या हम पाप करते रहें कि अनुग्रह बहुत हो? कदापि नहीं! हम जब पाप के लिये मर गए तो फिर आगे को उसमें कैसे जीवन बिताएँ?” (रोमियों ६:१-२) वह आगे कहता है हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्‍वर का धन्यवाद हो। इसलिये मैं आप बुद्धि से तो परमेश्‍वर की व्यवस्था का, परन्तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता हूँ” (रोमियों ७:२५)।
निष्कर्ष में, धर्मियों का शरीर अभी भी अधूरा है और अभी भी पाप करता है, लेकिन वे पवित्र आत्मा का अनुसरण करते है, और पूरी दुनिया को सुसमाचार का प्रचार करते है। धर्मी व्यक्ति पवित्र आत्मा में चलती है क्योंकि उनके हृदय परमेश्वर के अनुग्रह के तले है। “तो क्या हुआ? क्या हम इसलिये पाप करें कि हम व्यवस्था के अधीन नहीं वरन् अनुग्रह के अधीन हैं? कदापि नहीं! क्या तुम नहीं जानते कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों के समान सौंप देते हो उसी के दास हो : चाहे पाप के, जिसका अन्त मृत्यु है, चाहे आज्ञाकारिता के, जिसका अन्त धार्मिकता है?” (रोमियों ६:१५-१६)।
जैसे असली फूल बनावटी फूलों से अलग होते है, वैसे धर्मी व्यक्ति के अन्दर का और पापी व्यक्ति के अन्दर का स्वामी भिन्न है इसलिए, वह व्यक्ति आत्मा में चलने और अपने जीवन में न्यायी सत्य का अनुसरण करने के लिए सक्षम है, जो परमेश्वर को प्रसन्न करता है। दूसरी तरफ, एक पापी व्यक्ति के पास पाप का अनुसरण करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है क्योंकि उसके अन्दर का स्वामी पाप है। एक पापी पवित्र जीवन जीने के लिए असमर्थ है क्योंकि उसके अपराधों के कारण उसमे पवित्र आत्मा नहीं है।
पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वासी पवित्र जीवन जीने के लिए सक्षम नहीं है ऐसी धारणा केवल शरीर के सहज विचार से उद्भव हुआ तर्क है। परमेश्वर उनको चेतावनी देकर कहता है की, “पर ये लोग जिन बातों को नहीं जानते उनको बुरा-भला कहते हैं, और जिन बातों को अचेतन पशुओं के समान स्वभाव ही से जानते हैं, उनमें अपने आप को नष्‍ट करते हैं” (यहूदा १:१०)। आजकल कई लोग पानी और आत्मा के सुसमाचार का सच्चे सुसमाचार के तौर पर स्वीकार करते है फिर भी धर्मी व्यक्ति के जीवन को समझ नहीं सकते, क्योंकि वे उसे पूर्णरीति से जानते नहीं है और अपने हृदय में स्वीकार भी नहीं करते। 
आप नया जन्म पाए हुए संत के धर्मी कार्यो के बारे में क्या सचते है? उन्होंने पूरी दुनिया में सुसमाचार फैलाने के अच्छे कार्य के लिए अपनी सारी मूल्यवान चीजो को बलिदान कर दिया, और यहाँ तक की उन्होंने अपने आप को भी जीवित बलि के रूप में बलिदान कर दिया। आपकी अपनी सोच के अनुसार, क्यों आप सोचते है की पानी और आत्मा के सुसमाचार के विश्वासी सुसमाचार के बहाने जान बूझ कर पाप करेंगे? 
सत्यकी ज्योति और परमेश्वर की धार्मिकता के बिच धर्मी व्यक्ति अच्छे काम करेगा। जो लोग परमेश्वर की धार्मिकता का अनुसरण करते है वे परमेश्वर के द्वारा नया जन्म पाए हुए है। हम केवल आशा करते है की पापी लोग सुसमाचार की ओर वापस मुड़े जिसमे यीशु ने अपने बपतिस्मा और लहू के द्वारा उनके सारे पापों को धो दिया है। 
हाँ, हमारी तत्परता से यह इच्छा है की आप अपने पूरे दिल से पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके पापों की माफ़ी पाए, और पाप के बगैर आख़री दिन तक प्रभु का इंतज़ार करे।