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मसीही विश्वास पर पूछे गए ज्यादातर प्रश्न

विषय १: पानी और आत्मा से नया जन्म पाना

1-31. क्योंकि परमेश्वर दयालु और अनुग्रहकारी है, तो यदि हम यीशु पर विश्वास करे तो क्या वह हमें धर्मी नहीं मानेगा, भले ही फिर हमारे दिल में पाप क्यों ना हो?

परमेश्वर प्रेम और न्यायी भी है। इसलिए, वह पाप का सीधा न्याय करता है। “क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है” (रोमियों ६:२३)। इसका मतलब यह है की न्याय पाने के बाद पापी नरक में जाने के लिए नियोजित है। जैसे उसने ज्योति को अन्धकार से अलग किया, वैसे ही उसने धर्मियों को पापियों से अलग किया है। परमेश्वर ऐसे लोगों को बुलाता है, जो विश्वास करते है की यीशु के बपतिस्मा और क्रूस के द्वारा उनके सारे पाप धुल गए है और वे धर्मी बने है। 
हालाँकि, यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास न करने की वजह से जिनके अन्दर अभी भी पाप है, वे परमेश्वर की उपस्थिति में पापी है। वे वही है जो पानी में विश्वास नहीं करते, दुसरे शब्दों में, यीशु के बपतिस्मा में, जैसे नूह के दिनों में लोगों ने नहीं किया था। जिनके दिलों में अभी भी पाप है ऐसे पापियों को यदि परमेश्वर धर्मी और पापरहित गिने, तो वे झूठ बोलते है और इसलिए वह अपनी सृष्टि का न्याय नहीं कर सकता और उनके ऊपर राज नहीं कर सकते। 
उसने कहा, “मैं दुष्ट को निर्दोष न ठहराउँगा” (निर्गमन २३:७)। दुष्ट वह है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार जिससे परमेश्वर ने न्यायी और उचित तरीके से हमें हमारे सारे पापों से छूटकारा दिया उसे छोड़कर मनुष्यों के रीतिरिवाजों को अपनाते है और उस पर भरोषा रखते है। यीशु ने कहा, “पाप के विषय में इसलिए कि वे मुझ पर विश्वास नहीं करते” (यूहन्ना १६:९)। अब जगत में केवल एक ही पाप बाकी है वो यह है की यीशु ने अपने बपतिस्मा और क्रूस के द्वारा हमारे सारे पापों को उठा लिया है, और वह हमारा उद्धारकर्ता बना है इस बात पर विश्वास न करना। यह पवित्र आत्मा को खेदित करने का पाप है, जो कभी माफ़ नहीं किया जाएगा। जो पवित्र आत्मा को खेदित करते है उनको बचाने का दूसरा कोई मार्ग नहीं है क्योंकि वे विश्वास नहीं करते की यीशु ने उनके सारे पापों को धो दिया है। 
प्रेरित यूहन्ना ने कहा, “जो कोई पाप करता है, वह व्यवस्था का विरोध करता है; और पाप तो व्यवस्था का विरोध है। 5तुम जानते हो कि वह इसलिये प्रगट हुआ कि पापों को हर ले जाए; और उसके स्वभाव में पाप नहीं। जो कोई उसमें बना रहता है, वह पाप नहीं करता : जो कोई पाप करता है, उसने न तो उसे देखा है और न उसको जाना है” (१ यूहन्ना ३:४-६)। यीशु ने अपने बपतिस्मा और क्रूस के द्वारा हमारे सारे पापों को उठा लिया है इस वास्तविकता पर विश्वास न करना व्यवस्था का विरोध करना है। जो लोग व्यवस्था का विरोध करते है ऐसे लोगों को आख़री दिन स्वीकार नहीं किया जाएगा। 
जो उसमे रहते है उनके अन्दर पाप नहीं अहि और यीशु के बपतिस्मा के द्वारा वे उसके साथ एक हुए है। यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास के द्वारा जिन्होंने अपने जीवनभर के सारे पाप उसके ऊपर डाले है उनमे पाप नहीं है, भले ही फिर शरीर की कमजोरी के कारण वे अभी भी पाप क्यों न करते हो। 
परमेश्वर ऐसे लोगों को बुलाता है जिन्होंने अपने पापों को यीशु के ऊपर डाले है और जीवन के आत्मा के नियम के द्वारा पवित्र और धर्मी बने है। वह उसे पवित्र आत्मा की भेंट देता है। पवित्र आत्मा कभी भी ऐसे व्यक्ति के ऊपर नहीं आता जिनके हृदय में पाप है। दाऊद भजन संहिता में कहता है, “क्योंकि तू ऐसा ईश्‍वर नहीं जो दुष्‍टता से प्रसन्न हो; बुराई तेरे साथ नहीं रह सकती” (भजन संहिता ५:४)। परमेश्वर का पवित्र आत्मा कभी भी ऐसे लोगों के दिल में नहीं रहता जिनके अन्दर पाप है। एक पापी जिसके अन्दर पवित्र आत्मा नहीं है वह भी अपने सिध्धांत और विचारों के अनुसार कह सकता है की उसने उद्धार पाया है। हालाँकि, कोई कभी भी नहीं कह सकता की उसके दिल में पाप नहीं है और वह विश्वास के द्वारा धर्मी है क्योंकि उसकी अंतरात्मा उसे पीड़ा देती है। 
इसलिए, ऐसी व्यक्ति कहती है की दुसरे लोगों की नज़र में वह पापी है, लेकिन वास्तव में वह ऐसा सोचता है की परमेश्वर की नज़र में वह धर्मी है। लेकिन परमेश्वर कभी भी पापी को धर्मी नहीं कहता। एक पापी उसके निर्णय का विषय है और पापी को उद्धार पाने के लिए पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करना ही चाहिए।