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मसीही विश्वास पर पूछे गए ज्यादातर प्रश्न

विषय १: पानी और आत्मा से नया जन्म पाना

1-30. यदि आपकी “पानी और आत्मा की” समझ सच्ची होती, तो फिर क्रूस पर लटके चोर के लिए उद्धार सम्भव नहीं होता। यदि क्रूस पर लटके चोर को अपवाद रूप मान लिया जाए, तो फिर इश्वर को न्यायी कैसे माना जाए, क्योंकि उसने राज्य में प्रवेश करने नियम को खुद ही तोडा है। आप क्रूस पर लटके चोर के उद्धार को कैसे समझाएँगे?

उस समय, सारे यहूदी जिसके बारे में भविष्यवाणी की गई थी उस मसीह का इंतज़ार कर रहे थे। इसलिए, दुसरे लोगों से ज्यादा वे मूसा के द्वारा परमेश्वर ने दी हुई “व्यवस्था और बलिदान की पध्धति” के बारे में ज्यादा जानते थे। वे विश्वास करते थे की मसीह परमेश्वर की प्रायश्चित की व्यवस्था के अनुसार आएगा, और उनको सारे पापों से मुक्त करेगा। 
हालाँकि, उन्होंने विश्वास नहीं किया की यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा यीशु का बपतिस्मा परमेश्वर की ओर से है और वह जगत के सारे पापों को यीशु पर डालने के लिए है (मरकुस ११:२७-३३), लेकिन उसके बदले, उन्होंने उसे एक मनुष्य के तौर पर गिना जो लोगों को भरमाता है इसलिए उसे क्रूस पर चढ़ा दिया। 
रोमन के कानून के मुताबिक़ रोम के लोग कोड़े खाने से और क्रूस पर चाढाए जाने से बचे हुए थे (प्रेरितों २२:२५-२९, २३:२७), हम देखते है की क्रूस पर लटके चोर भी रोमन नहीं थे, लेकिन यहूदी थे। हम यह भी देखते है की चोर यहूदी था जो अपने शब्दों से परमेश्वर का भय रखता था, और कहा की,“हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना” (लूका २३:४२)। यहूदी चोर पहले से ही व्यवस्था और बलिदान की पध्धति जानता था, जो परमेश्वर ने मूसा को दी थी। इसलिए उसने विश्वास किया की परमेश्वर के प्रायश्चित की व्यवस्था के अनुसार मसीह आएगा। 
जो लोग परमेश्वर के पास आते है उन्हें कबूल करना चाहिए की वे पापी है, और अपने पापों की वजह से नरक में जाने के लिए नियोजित है। चोर ने अपने पापों को कबूल किया, और कहा की, और हम तो न्यायानुसार दण्ड पा रहे हैं, क्योंकि हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैं” (लूका २३:४१)। हम उसके शब्दों के द्वारा यह भी देख सकते है की चोर को परमेश्वर का भय था और स्वर्ग में प्रवेश करने की आशा थी, उसने कहा, “हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना” (लूका २३:४२)।
उसने कहा, “पर इसने कोई अनुचित काम नहीं किया” (लूका २३:४१)। यीशु ने जो किया था उसके बारे में चोर क्या जानता था? उसने विश्वास किया की यीशु पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भ में आया, कुमारी मरियम के पेट से जन्मा, मनुष्यजाति के प्रतिनिधि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया, जगत के सारे पापों को उठा लिया, और क्रूस पर चढ़ा। वह एक यहूदी था जिसने यीशुने सारे लोगों के लिए जो किया था उसमे विश्वास किया, यहाँ तक की पृथ्वी पर किए हुए कार्यो के पुरस्कार के लिए वह क्रूस पर चढ़ गया। 
जिन्होंने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के द्वारा अपने पापो का अंगीकार किया उन्होंने जब सुना की यीशु के बपतिस्मा के द्वारा उनके सारे पाप यीशु पर डाले जाएंगे तब उन्होंने परमेश्वर की धार्मिकता को स्वीकारा। हालाँकि, जिन्होंने यूहन्ना का पश्चाताप का बपतिस्मा नहीं किया उन्होंने परमेश्वर की इच्छा को नकारा है क्योंकि उन्होंने यीशु के बपतिस्मा पर भी विश्वास नहीं किया (लूका ७:२८-३०)। 
उससे विपरीत, जिस चोर ने उद्धार पाया था उसने कबूल किया की यीशु ने जो कुछ भी किया था वह सच्चा और न्यायी था, जब दुसरे यहूदियों ने स्वीकार नहीं किया था। वह शायद ऐसे यहूदियों में से था जिसने सारी बातों को सुना था, जो उनके बिच परिपूर्ण हुई थी (लूका १:१)। वह अन्त में कह सका की यीशु धर्मी था और जिसके बारेमें भविष्यवाणी हुई थी वह मसीह था क्योंकि अन्त में उसने यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा पापों को उठा लिया था उस क्रूस पर विश्वास किया। इसके अनुसार उसका बचाव हुआ। पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा भी उसका बचाव हुआ था। क्योंकि परमेश्वर धर्मी है, इसलिए वह उनको धर्मी ठहराता है जो उसके जीवन के आत्मा के नियम अनुसार यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करते है।