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मसीही विश्वास पर पूछे गए ज्यादातर प्रश्न

विषय १: पानी और आत्मा से नया जन्म पाना

1-25. क्या आप ऐसा नहीं मानते की उद्धार के लिए यीशु का बपतिस्मा जरुरी है ऐसी समझ सुसमाचार में से यीशु के क्रूस पर की मृत्यु को रद कर देगा?

यीशु का बपतिस्मा और क्रूस पर उसकी मृत्यु दोनों का हमारे उद्धार के लिए एक जैसा महत्त्व है। हम ऐसा नहीं कह सकते की एक से दुसारा ज्यादा महत्वपूर्ण है। हालाँकि, इन दिनों में ज्यादातर मसीही लोगों की समस्या यह है की वे केवल क्रोस पर के यीशु के लहू को पहिचानते है। वे ऐसा विश्वास करते है की वह क्रूस पर मरा इस लिए उन्हें माफ़ी मिलती है, लेकिन वो केवल क्रूस नहीं है जिसके द्वारा यीशु ने जगत के पापों को उठा लिया। वह यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा पाया और जगत के सारे पापों को अपने पीठ पर उठा लिए, इसलिए क्रूस पर उसकी मृत्यु हमारे पापों का न्याय था। 
यीशु के बपतिस्मा के बिना केवल क्रूस पर विश्वास करना बलिदान के सिर पर हाथ रखे बिना परमेश्वर को बलिदान चढ़ाने जैसा है। जो लोग ऐसा बलिदान चढाते है वे छूटकारा नहीं पा सकते क्योंकि ऐसा बलिदान बिना नियम का बलिदान है, जो परमेश्वर के द्वारा ग्रहण नहीं किया जा सकता था। परमेश्वर ने मूसा को बुलाया और मिलापवाले तम्बू से उसके साथ बात करते हुए कहा, “यदि वह गाय-बैलों में से होमबलि करे, तो निर्दोष नर मिलापवाले तम्बू के द्वार पर चढ़ाए कि यहोवा उसे ग्रहण करे। वह अपना हाथ होमबलिपशु के सिर पर रखे, और वह उसके लिये प्रायश्‍चित्त करने को ग्रहण किया जाएगा” (लैव्यव्यवस्था १:३-४)। 
परमेश्वर धर्मी और नियमों का पालन करनेवाला है। उसने हमारे पापों को धोने के लिए उचित और न्यायी बलिदान की पध्धति की स्थापना की। जब हम व्यवस्था का पालन करके बलिदान चढाते है, तब हमारे लिए प्रायश्चित करने के लिए परमेश्वर के द्वारा बलिदान को स्वीकार किया जाता है। हाथ रखे बिना कोई भी बलिदान परमेश्वर के द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता। उसी तरह, यदि हम हमारे विश्वास में से यीशु के बपतिस्मा को निकाल दे, तो वैसे विश्वास के द्वारा हम पापों की माफ़ी नहीं पा सकते।
आज के मसीही लोग जो विश्वास करते है उसमे से सबसे गलत बात यह है की वे केवल यीशु उनका उद्धारकर्ता है ऐसा कबूल करने के द्वारा उद्धार पाएंगे, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है। बाइबल निश्चितरूप से हमें बताती है की, “जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा” (प्रेरितों २:२१, रोमियों १०:१३), फिर वो हमें ऐसा भी कहता है की,“जो मुझ से, ‘हे प्रभु! हे प्रभु!’ कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है” (मत्ती ७:२१)। 
यीशु हमारा उद्धारकर्ता है ऐसा कबूल करने के लिए, हमें परमेश्वर के द्वारा स्थापित कि गई उद्धार की व्यवस्था को जानना पडेगा। यदि हम केवल यीशु के नाम पर विश्वास करने के द्वारा बच जाए, तो फिर पुराने नियम की बलिदान की पध्धति का नियम लिखने का और मत्ती ७:२१ में जो नियमभंग करते है उनके बारे में कोई मतलब नहीं रहता। 
हालाँकि, परमेश्वर के उद्धार का अद्भुत और सम्पूर्ण मार्ग बाइबल में स्पष्ट रीति से दर्शाया गया है। वास्तव में, हम लैव्यव्यवस्था अध्याय ३ और ४ में से स्पष्ट रूप से देख सकते है की पापी को अपने पाप बलिदान पर डालने के लिए उसके सिर पर हाथ रखना पड़ता था और उसे मारना पड़ता था और जब वो पापबलि और मेलबलि का बलिदान चढ़ाता तब उसके लहू का छिड़काव करना पड़ता था। हाथ रखे बिना बलिदान चढ़ाना या कलंकित बलिदान चढ़ाना प्रायश्चित के लिए व्यवस्था को तोड़ना था। 
पुराने नियम और नए नियम दोनों के शब्द एकदूसरे में पूरक है (यशायाह ३४:१६)। यरदन में यीशु का बपतिस्मा पुराने नियम में पापबलि के सिर पर हाथ रखने के बराबर है। जब यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया, तब उसने कहाँ, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है” (मत्ती ३:१५)। 
यहाँ, “सारी धार्मिकता” का मतलब होता है “न्याय और उचितता।” इसका मतलब है की उस पध्धति के द्वारा यीशु का पापबलि बनाना उचित था। उसके लिए यह भी उचित था की वह बलिदान की पध्धति अनुसार सबसे उचित रीति से जगत के सारे पापों को उठाने के लिए हाथ रखने के रूप में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा पाए, वह पध्धति हाथ रखने और लहू से बनी थी, जो परमेश्वर ने पुराने नियम में स्थापित की थी। 
केवल क्रूस पर विश्वास करने का मतलब है की उसके मृत्यु का हमारे पाप से कोई लेना देना नहीं है क्योंकि यीशु के बपतिस्मा के बगैर हमारे पापों को कभी उसके ऊपर नहीं डाला जा सकता। उसके लहू का परिणाम है की वह हमारे पापों को धोने में सक्षम नहीं है (इब्रानियों १०:२९)। 
इसलिए, उसका लहू विश्वासियों के हृदय के पापों को धोने के लिए केवल तभी कार्यरत होगा जब वे विश्वास करेंगे की यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने अपने हाथ रखने के द्वारा उसे बपतिस्मा दिया तब उनके सारे पाप यीशु पर डाले गए। इस तरह, प्रेरित यूहन्ना ने गवाही दी थी की जो विश्वास करता है की यीशु परमेश्वर का पुत्र है, जो पानी और लहू के द्वारा आया, वे जगत पर जय पायेंगे। यीशु पानी और लहू के द्वारा आया, केवल पानी या लहू के द्वारा नहीं (१ यूहन्ना ५:४-६)। 
पूरे पवित्रशास्त्र में यीशु ने अपने चेलों को अपने सम्बंधित बातों को बताया है। मूसा और सारे भविष्यवक्ताओं से अहुरु करके, उसने बताया की पुराने नियम में पापबलि के रूप में वह खुद था। दाऊद ने उसके बारें में भजन संहिता में कहा है, “तब मैं ने कहा, ‘देख, मैं आ गया हूँ, पवित्रशास्त्र में मेरे विषय में लिखा हुआ है, ताकि हे परमेश्‍वर, तेरी इच्छा पूरी करूँ” (भजन संहिता ४०:७,८, इब्रानियों १०:७)।
परिणाम स्वरुप, उसका बपतिस्मा क्रूस को रद नहीं करता, लेकिन वह क्रूस के मतलब को सम्पूर्ण और परिपूर्ण करता प्रभु के सुसमाचार का महत्वपूर्ण भाग है। यह हमें ऐसा भी सिखाता है की यीशु के बपतिस्मा और मूल्यवान लहू के बगैर हम छूटकारा नहीं पा सकते। उद्धार पाने का मतलब यह है की यीशु के बपतिस्मा और क्रूस के लहू पर विश्वास करने क द्वारा आप पापों की माफ़ी पाते है और पवित्र आत्मा की भेंट प्राप्त करते हो (१ यूहन्ना ५:८, प्रेरितों २:३८)।