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मसीही विश्वास पर पूछे गए ज्यादातर प्रश्न

विषय १: पानी और आत्मा से नया जन्म पाना

1-26. क्या आप मुझे पानी और आत्मा के सुसमाचार को समझाएँगे?

यदि हमारी सुई बहार कही खो जाए, तो हम उसे वहाँ खोजेंगे जहाँ वो खो गई है। हालाँकि, घर के अन्दर उजियाला है इसलिए उसे अन्दर खोजना निरर्थक बात लगाती है। मैंने आज की कलीसिया में वैसे ही निरर्थक लोगों को देखा है। जब वे विश्वासियों के पानी के बपतिस्मा के अन्तहीन बाइबल आधारित विवादों में आसानी से जुड़ जाते है, तब वे खुद से यह महत्वपूर्ण प्रश्न नहीं पूछते, की “क्यों यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लिया?” ऐसी आदत की वजह से, आज के मसीही समाज में बहुत सारे संप्रदाय और पंथ हुए है। 
ऐसे अन्तहीन विवादों का अन्त लाने के लिए, हमें बिखरें हुए गाँव से बहार निकलना चाहिए और वहाँ जाना चाहिए जहाँ हमारी सुई खो गई है। यदि हमें निष्ठा से सत्य की खोज करनी हो, तो रुढ़िवादी धारणाओं को छोड़ना पडेगा क्योंकि हम उसे धर्म के गाँव में नहीं ढूँढ पाएंगे। क्यों प्रेरितों ने यीशु के बपतिस्मा पर ज्यादा जोर दिया? पानी और आत्मा के सुसमाचार का सत्य जो उन्होंने यीशु से पाया था उसे पूरी दुनिया में प्रचार किया गया था। 
यीशु ने उत्तर दिया, “मैं तुझ से सच सच कहता हूँ, जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे तो वह परमेश्‍वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता” (यूहन्ना ३:५)। बाइबल हमें बताती है की हमारे सारे पापों से हमें बचाने के लिए यीशु पानी और आत्मा के द्वारा आया (१ यूहन्ना ५:६)। लहू का मतलब है क्रूस पर हुई उसकी मृत्यु। तो फिर, आपके मुताबिक़ “पानी” का क्या मतलब है? क्यों यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने यीशु को बपतिस्मा दिया? क्यों उसने अपने बपतिस्मा के पहले घोषित किया की, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है” (मत्ती ३:१५)?
मैं उम्मीद करता हूँ की आप पानी और आत्मा के सुसमाचार को समझ ते है और विश्वास करते है, खासतौर पर यीशु के बपतिस्मा को। यहाँ उसने अपने चेलोंन को पानी और आत्मा के सुसमाचार के बारे में दिया हुआ स्पष्टीकरण है। जब प्रेरित सुसमाचार का प्रचार करते थे तब वे यीशु के बपतिस्मा पर विशेष जोर देते थे। प्रेरित पौलुस ने कहा, “इसी कारण मैं ने सबसे पहले तुम्हें वही बात पहुँचा दी, जो मुझे पहुँची थी कि पवित्रशास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया, और गाड़ा गया, और पवित्रशास्त्र के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठा” (१ कुरिन्थियों १५:३-४)। 
उसका मतलब है की, “अपवित्रशास्त्र के अनुसार मसीह हमारे पापों के लिए मर गया” उसका मतलब है की पुराने नियम में परमेश्वर क द्वारा दी गई पध्धति के मुताबिक उसका मृत्यु हमारे सारे पापों का प्रायश्चित करता है। पुराने नियम के प्रकाशन और वाचा की अनुसार वह हमारे लिए मरा। इब्रानियों १:१० में लिखा है की, “व्यवस्था, जिसमे आनेवाली अच्छी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब है।” आइए हम लैव्यव्यवस्था १:३-५ में विशिष्ठ बलिदानों को देखे। एक पापी को अपने पापों के प्रायश्चित के लिए होमबलि की तिन शर्तो को पूरा करना चाहिए। 
१) वह निष्कलंक बलिदान चढ़ाए (लैव्यव्यवस्था १:३) 
२) उसे बलिदान के सिर पर अपना हाथ रखना (लैव्यव्यवस्था १:४)। यहाँ, हमें परमेश्वर के नियम को स्पष्ट करना चाहिए: बलिदान के सिर पर हाथ रखना उसके ऊपर पापों को डालने का परमेश्वर का नियम था। 
३)अपने पापों के प्रायश्चित के लिए उसे मारना पड़ता था (लैव्यव्यवस्था १:५)। 
प्रायश्चित के दिन, हारों अपने दोनों हाथ जीवित बकरे के सिर पर रखता था, और इस्राएल के लोगों के सारे पापों के सम्बंधित उनके अन्यायों और अपराधों को कबूल करता था और उन्हें बकरे के सिर पर डालता था (लैव्यव्यवस्था १६:२१)। उस समय, हारून इस्राएल का प्रतिनिधि था। वह अकेला बकरे के सिर पर अपनी हाथों को रखता था, और इस्राएल के लोगों के (तक़रीबन २० से ३० लाख लोग) सारे वार्षिक पाप उसके ऊपर डालता था। पुराने नियम का बलिदान आनेवाली अच्छी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब था। पवित्रशास्त्र अनुसार हमें पवित्र करने के लिए यीशु ने परमेश्वर की इच्छा के मुताबिक़ अपना बलिदान दिया। 
सबसे पहले, परमेश्वर का निर्दोष मेम्ना बनने के लिए यीशु देह में आया। वह परमेश्वर का एकलौता बेटा है और “वह उसके तत्व की छाप है” (इब्रानियों १:३)। इस तरह, वह सारे मनुष्यों की पापबलि के लिए उचित है। 
दूसरा, यूहन्ना बपतिस्मा देनेवालेने यीशु को यरदन में बपतिस्मा दिया। बपतिस्मा “हाथ रखने की” रीति से दिया है, और यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला ह्र्रून का वंशज और मनुष्यजाति का प्रतिनिधि है। जब यूहन्ना ने अपने हाथ यीशु मसीह के सिर पर रखे, तब परमेश्वर ने स्थापित कि हुई व्यवस्था के मुताबित जगत के सारे पापों को उसके ऊपर डाला गया। यीशु ने यूहन्ना से कहा, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है” और उसे बपतिस्मा दिया। अन्त में हमारे सारे पापों को उसके ऊपर डाला गया। दुसरे दिन, यूहन्ना कहता है, “देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत का पाप उठा ले जाता है” (यूहन्ना १:२९)। 
तीसरा, यीशु हमारे सारे पापों की माफ़ी के लिए क्रूस पर मरा, और कहा, “पूरा हुआ!” (यूहन्ना १९:३०) परमेश्वर के सम्मुख हमें धर्मी बनाने के लिए वह मृत्यु में से पुनरुत्थित हुआ। याद रखिए की पापबलि पापों की माफ़ी के लिए चढ़ाया जाता था। पापी उसे मारे उसके पहले उसे उसके सिर पर हाथ रखना पड़ता था। यदि वह एक भी चीज करना भूल जाए, तो वह व्यवस्था को तोड़ने की वजह से छूटकारा नहीं पा सकता था। यदि एक मसीही व्यक्ति को पता नहीं है की उसके बपतिस्मा का क्या मतलब है, तो ऐसे व्यक्ति के दिल में पाप है और वह केवल अपने विश्वास से उद्धार नहीं पा सकता। 
ज्यादातर मसीही लोग उसके आधे धर्मी कार्य को ही जानते है। प्रेरित यूहन्ना अपनी पहली पत्री में सुसमाचार को स्पष्ट करता है: “यही है वह जो पानी और लहू के द्वारा आया था, अर्थात् यीशु मसीह : वह न केवल पानी के द्वारा वरन् पानी और लहू दोनों के द्वारा आया था” (१ यूहन्ना ५:६)। बाइबल में ऐसे कई सारे भाग है जो हमारे उद्धार के लिए उसके धर्मी कार्य कितने महत्वपूर्ण है उस बात का समर्थन करते है। सारे मसीही लोगों को पानी और आत्मा के सुसमाचार की ओर वापस मुड़ना चाहिए।