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मसीही विश्वास पर पूछे गए ज्यादातर प्रश्न

विषय १: पानी और आत्मा से नया जन्म पाना

1-28. ये वह है जिस पर मैं पहले से विश्वास करता हूँ और मुझे सिखाया गया है जब तक की आप ने बार बार नकारे गए यीशु के बपतिस्मा पर जोर ना दिया। तो फिर पानी और आत्मा के सुसमाचार में अलग क्या है?

“उद्धार पाने का” मतलब है सारे पापों की माफ़ी पाना। उसका मतलब नया जन्म पाना भी होता है। जब एक पापी जीवन के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा धर्मी व्यक्ति बनाता है, तब हम कहते है की। वह यीशु के उद्धार के द्वारा पानी और आत्मा से नया जन्म पाया हुआ है। पवित्र आत्मा उनके ऊपर आता है जो छूटकारा और नया जन्म पाए हुए है और गवाही देते है की वे परमेश्वर की संतान है। इसलिए, पापों की माफ़ी पाना, पवित्र आत्मा पाना, छूटकारा पाना, नया जन्म पाना, परमेश्वर की संतान बनना, और धर्मी बनाना यह सब एक जैसा ही है। 
यीशु ने कहा, “मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता” (यूहन्ना १४:६), जो सूचित करता है की केवल यीशु मसीह, परमेश्वर के एकलौते बेटे के द्वारा ही हम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकते है। इसलिए, हमें जानना चाहिए की यीशु में कैसे हमारे सारे पापों को धोया है और हमें अपना बनाया है, जो उसके राज्य में प्रवेश करने के लिए योग्य है। 
फिर भी, ज्यादातर मसीही लोग अभी भी सोचते है की केवल उसका नाम लेने से वे बच जाएंगे। वे कभी भी बाइबल को खोले बगैर, हमें हमारे सारे पापों से बचाने के लिए उसने क्या किया वह जाने बिना यीशु पर विश्वास करते है। परमेश्वर आत्मा है और पवित्र है जिसमें कोई भिन्नता या परिवर्तन नहीं है, लेकिन हम पापमय जीवन जीते है। केवल यीशु के द्वारा ही प्रभु के राज्य में प्रवेश करना सम्भव है, और हम ‘जीवन की आत्मा की व्यवस्था’ (रोमियों ८:२) पर विश्वास के द्वारा उस पर विश्वास कर सकते है।
कई लोग यीशु ने उद्धार के लिए क्या किया है यह भी नहीं जानते; उसके बदले, वे आँखे बंद करके उसमें विश्वास करते है और कहते है, “प्रभु! प्रभु!” वे ऐसा भी सोचते है की वह उद्धार पाए हुए है, लेकिन फिर भी उनके हृदय में अभी भी पाप है। यदि आप के हृदय में यीशु पर विश्वास की जगह अभी भी पाप है, तो फिर आपने किससे उद्धार पाया है? यदि कोई पूछे की, “यीशु ने हमारे पापों को कैसे धोता?” बड़ी तादाद में लोग प्रत्युत्तर देंगे, “उसने शायद क्रूस पर पापों को धोया है।” उसके बाद, दूसरा प्रश्न, “क्या आपके दिल में पाप है?” वे कहेंगे, “निश्चित रूप से। कौन इस पृथ्वी पर पापों से पूर्णरीति से मुक्त हो सकता है?” 
यीशु के नाम का मतलब है “उद्धारकर्ता जो अपने लोगों को उनके पापों से बचाएगा” (मत्ती १:२१)। पापों से बचाने के लिए हम यीशु में विश्वास करते है। 
हालाँकि, यीशु पर विश्वास करने के बावजूद भी यदि हमारे दिल में पाप है, तो हम पाप के गुलाम है और उस अनुसार हमारा न्याय किया जाएगा। प्रेरित पौलुस ने कहा, “अब जो मसीह यीशु में है, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं” (रोमियों ८:१)। इस रीति से निश्चित होता है की जिस व्यक्ति के दिल में अभी भी पाप है वह मसीह यीशु के साथ नहीं है। क्यों यीशु में विश्वास करने के बावजूद भी वे अभी पापी है जो छूटकारा पाए हुए नहीं है उअर उद्धार से दूर है? वह इस लिए क्योंकि वह यीशु पर हाथ रखने के द्वारा उसके बपतिस्मा पर विश्वास करण के बदले केवल क्रूस के लहू पर विश्वास करते है। इसलिए, उनके दिल में अभी भी पाप है, जब की यीशु उनके पापों के लिए क्रूस पर मरा। 
जो मसीही लोग यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करते है और जो विश्वास नहीं करते उनके बिच बड़ा अन्तर है; कुछ लोग यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करके छूटकारा पाए है, जबकि दुसरे विश्वास न करने की वजह से अभी भी पापी है। पवित्र आत्मा पापी के ऊपर नहीं आता। वह केवल धर्मी के ऊपर आता है, जो पानी और आत्मा के द्वारा नया जन्म पाए है। 
इस लिए, प्रेरित पौलुस कहता है, “क्या तुम नहीं जानते कि हम सब जिन्होंने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया, उसकी मृत्यु का बपतिस्मा लिया?” (रोमियों ६:३) कई लोग विश्वास करते है की यीशु ने क्रूस पर हमारे पापों को ले लिया, लेकिन हम कभी भी कबूल नहीं कर पाते की यदि हम यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास न करे तो हमारा हृदय पापरहित है। यदि हम करे, तो परमेश्वर के सम्मुख झूठ बोलने से हम अपराधी है, जो हमारे अपने विवेक के खिलाफ में जाएगा। 
यीशु के बपतिस्मा पर विश्वास करके हमने हमारे सारे पाप यीशु पर नहीं डाले तो हम अभी भी पापी है। जो लोग यीशु के बपतिस्मा और क्रूस के सुसमाचार पर विश्वास नहीं करते, वे कर्मकाण्डवाद में पद जाते है और पापी बनते है। इसलिए, भले ही वे जो कुछ भी करे, जैसे की पर्वत पर जाके प्रार्थना करे या प्रार्थनासभा में गंभीरता से माफ़ी मांगे, फिर भी उनके हृदय में पाप है। 
यीशु ने कहा, “जो मुझ से, ‘हे प्रभु! हे प्रभु!’ कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, ‘हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्‍टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्‍चर्यकर्म नहीं किए?’ तब मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, ‘मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ” (मत्ती ७:२१-२३)। 
“जो व्यवस्था का विरोध करते है” वे किसको दर्शाते है? वे ऐसे लोगों को दर्शाता है जिन्होंने केवल क्रूस पर विश्वास करके अपने हृदय में सम्पूर्ण छूटकारा नहीं पाया। यह मनस्वी विश्वास है, परमेश्वर की ओर से नहीं है। यदि हम विश्वास नहीं करते की यीशु ने अपने बपतिस्मा और क्रूस के द्वारा हमें बचाया है तो हम व्यवस्था को तोड़ते है। यीशु के बपतिस्मा और क्रूस को पहचाने बिना और विश्वास करने से पहले हम ऐसा नहीं कह सकते की हमारा विश्वास सच्चा है। 
यीशु ने कहा की यदि लोग नया जन्म पाना चाहते है, तो वह केवल पानी और आत्मा के द्वारा ही सम्भव है। यदि लोग नूह के जहाज पर होते तभी वे बच सकते थे ठीक उसी रीति से यदि आप पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करेंगे तभी अपने पापों की माफ़ी पाएंगे और सच्चा विश्वास योग्य जीवन जी पाएंगे। पानी और आत्मा के सुसमाचार के बगैर, आप पापों की माफ़ी नहीं पा सकते और परमेश्वर की संतान भी नहीं बन सकते।